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कच्ची उम्र में चुदाई - Kachchi umar mein chudai ka mauka
कच्ची उम्र में चुदाई , छोटी उम्र में चोदा , कच्ची कलि चुद गई , नादान लड़की को चुदवाया - Kachchi umar mein chudai ka mauka , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवी कक्षा में पढ़ता था। चूँकि मैं सांइस विषय से था इसलिए मुझे लड़कियों के साथ पढ़ने का काफी मौका मिलता था। मैं और मेरी कुछ 2 या 3 लडकियाँ दोस्त अक्सर गेम्स के समय थोड़ा पढते थे और थोड़ा मौज-मस्ती किया करते थे । यह बात मेरी ही क्लास के कुछ लड़के और लड़कियों को अच्छी नहीं लगती थी और वह मुझे कभी-कभार इस बात को लेकर मजाक भी किया करते थे । मेरी ही क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम पूजा था। वह दिखने में एकदम किसी फिल्म की हीरोइन की तरह लगती थी, उसकी आँखों में एक अजब सा नशा दिखाई पढ़ता था।
वह अभी कच्ची उम्र यानि कि करीब 18 साल की रही होगी और वह देखने में गोरी और चिकनी थी। वह मुझसे जब भी मिलती तो मुस्कुरा देती और मुझसे शरारत भरे सवाल पूछती कि तुम उन लड़कियों के साथ क्या करते रहते हो ? वगैरह-वगैरह और मैं कह देता था कि बस पढ़ता ही तो हूँ और क्या करता हूँ। उस समय मैं उसकी शरारत भरी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था और उसे अक्सर टाल जाता था । ऐसे ही महीने बीतते गये और मेरे फाइनल पेपर के लिए कुछ महीने शेष रह गये। तब मुझे भी अन्य विद्यार्थीयों की तरह पेपर में अच्छे नंबर लाने के लिए एक कोचिंग सेन्टर में प्रवेश लेना पडा़।
एक दिन मैं थोड़ा सा बिमार पड़ गया और मैं उस दिन कोंचिग क्लास नहीं ले पाया। मेरी आदत थी कि मैं कोचिंग शुरु होने से पहले ही वहाँ पहुँचकर अपने दोस्तों के साथ थोड़ी यहाँ-वहाँ की बातें करता था। अगले दिन रोज की तरह मैं कोचिंग गया तो मेरे दोस्तो ने बताया कि कल ही तुम्हारे स्कूल की एक लड़की ने यहाँ ऐडमिशन लिया है और उसका नाम पूजा है। मेरी तो यह सुन कर सिटी-पिटी गुम हो गई। मैन सोचा कि अब वह मुझे यहाँ भी चिढ़ायेगी ।
मैं उसकी शरारतों से बहुत ही डरता था। अभी कुछ ही देर हुई थी कि वह कोचिंग क्लास में आ गई। मैंने उसे वहाँ देखा तो देखते ही रह गया, वह पीले पटियाला सूट में एकदम पटाका लग रही थी। उसने मुझे देखते ही हाय किया और मैंने उसे अनदेखा करते हुए यहाँ-वहाँ देखने लगा। जब क्लास खत्म हो गई और मैं वहाँ से जाने लगा तो उसने मुझे पीछे से रोका और मुझे आवाज दी। मैं वहाँ ही रुक गया ।
उसने कहा- तुम भी यहाँ पढ़ते हो ?
तो मैंने कहा- हाँ !
उसने कहा- कबसे ?
मैंने कहा- 10 दिन से ।
उसने कहा- क्या हम साथ चल सकते हैं? तो मैंने बहाना बना दिया और वहाँ से चला गया। दरअसल उसका घर मेरे घर के रास्ते में ही पड़ता था। ऐसे ही कुछ दिन बीत गये और एक दिन क्लास के समय पूजा की तबीयत अचानक खराब हो गई। सर ने पूछा- क्या हुआ ? तो उसने कहा- कुछ नहीं ! बस सर दर्द हो रहा है ! और वह एक तरफ सर झुका कर बैठ गई ।
जब क्लास खत्म हो गई तो भी वह वैसे ही बैठी हुई थी। सर उसके पास गये और उसकी तबीयत देखकर कहा- क्या कोई इसके घर के पास रहता है?तो उसकी सहेलियों में से एक ने मेरा नाम बताया।
सर ने मुझे कहा- अब तुम इसको घर तक पहुँचाओगे। मैं भी क्या करता, मुझे भी हाँ करनी पड़ी। हम दोनों साइकिल से ही जाते थे तो रोज की तरह मैंने साइकिल उठाई और आज पूजा को साथ लेकर चलने लगा । पहले तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा, क्योंकि घर थोड़ी दूर था इस लिए उसने ही पहले शुरुआत करते हुए पढ़ाई कैसी चल रही है वगैरह-वगैरह के बारे में पूछा।
रास्ते में बातें करते करते अब मैं उससे थोड़ा नजदीक आ गया था। उसने अपने घर के बारे में बताते हुए कहा कि उसको घर में रहना बहुत बेकार लगता है क्योंकि उसके मम्मी-पापा हमेशा लड़ते रहते थे। मेरी बातों ही बातों में उससे दोस्ती हो गई ।अब मैं जानने लगा कि वह इतनी भी दिल की बुरी नहीं है जितना कि मैं उसको समझता था। अब तो क्या था वह रोज मेरे साथ कोचिंग जाने और आने लगी।
अब वह मेरे लिए दोस्त से बढ़कर थी। परीक्षा शुरु होने में अभी दो हफ्ते शेष रह गये थे और अब हम लोग घर में रहकर ही परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे। एक दिन अचानक मुझे उसका फोन आया और उसने कहा कि उसके सर के दिए हुए कुछ नोटस खो गये हैं और मुझसे मेरे नोटस मँगवाये। मैं कुछ ही देर बात उसके घर पहुँच गया । उसने मेरा स्वागत किया और कुछ चाय-बिस्किट वगैरह लाकर टेबल पर रख दी। मैंने उससे पूछा- क्या घर पर कोई नहीं है?
तो उसने कहा- चाचा जी के लड़के की शादी है इसलिए सब कानपुर गये हुए हैं अब वह मुझे अपने कमरे में ले गई और उसने मेरे नोटस ले लिए और फिर हम दोनों कुछ बाते करने लगे। आज मैंने उसकी आँखों में कुछ अजीब से शरारत देखी। बातें करते-2 उसने मुझे कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ। उसकी यह बात सुन कर मेरा दिल उछलने लगा क्योंकि दिल ही दिल में मैं भी उसको चाहने लगा था।
उसकी यह बात सुनकर मैंने भी उसे अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसी समय टीवी पर ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ आ रही था और उसमें पल-पल हर पल वाला गाना चल रहा था। आप लोग तो जानते ही होंगे कि वह कितना प्यारा रोमांटिक गाना है। गाने को देखकर पूजा मुझसे लिपट गई और कहने लगी- देव मुझे इतना प्यार दो कि मैं आज तुम्हारे प्यार से भर जाऊँ उसने मेरे औंठों पर अपने गुलाबी औंठ रख दिया। इतना प्यार पाकर मेरे अन्दर का मर्द भी जाग गया
मैंने भी उसे जी भरकर चाटना-चूमना शुरु कर दिया। इतना प्यार पाकर हम दोनों काम वासना की ज्वलंत अग्नि में जलने लगे। हम दोनों का शरीर गर्मी से जला जा रहा था। अब मैंने हिम्मत दिखाते हुए उसके कमीज को अलग कर दिया। वह थोड़ा शरमाने लगी। मैंने कहा- जान, अब क्यों शरमाती हो, मैं तो तुम्हारा ही हूँ। फ़िर सलवार निकालने के बाद तो उसके शरीर पर केवल ब्रा और पेन्टी ही शेष बाकी रह गये थे। उसके रसीले यौवनयुक्त शरीर को देखकर मैं पागल हुए जा रहा था।
उसने कहा कि मुझे ही नंगा किये जा रहे हो। अपने शरीर को भी तो दिखाओ।मैंने कहा- अभी लो जान और मैं झट से नग्न अवस्था में उसके सामने खड़ा हो गया, उसने मेरे शरीर को ऊपर से नीचे तक निहारा और प्यार से मेरे छाती पर अपने औंठों का घुमाने लगी। मेरा 6 इंच का लंड देखकर उसके मुँह खुला का खुला रह गया। मैं तो बस पागल ही हुए जा रहा था।
अब मैं उसकी ब्रा को उठाने लगा तो उसने अपने हाथ आगे कर लिए। धीरे धीरे मैंने आगे बढ़ते हुए उसकी ब्रा को उसके कोमल से शरीर से अलग कर दिया। वह अब किसी परी की तरह लग रही थी। मैंने अब उसके स्तन चूसने प्रारंभ किये। हाय !! कितने सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी मैं आपको बता नहीं सकता। वह अब सिसकियाँ लेने लगी ……… हाय !! ऐसे ही ! हाँ ऐसे ही ! ……..हाय !!
यह सब उसके मुख से निकल रहा था। कुछ देर तक चूची का रस चूसने के बाद मैंने उस कच्ची कली की पैन्टी भी उतार दी। अब उसके शरीर पर एक धागा तक शेष ना बचा था। उसके इस नग्न छरहरे कामुक बदन को देखकर तो शायद कामदेव भी शरमा जाए। मैंने अब उसकी चूत को निहारा, बिल्कुल गुलाबी सा रंग, एक भी बाल न था उसकी चूत पर। अब तो सारा काम मुझे ही करना था ।
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरु किया, पहले तो उसे कुछ गुदगुदी सी हुई फिर उसे मजा आने लगा, मैं अब एक अँगुली उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर रखकर अन्दर-बाहर करने लगा। वह तो मानो पागल हो गई और कामवासना की आग में जलने लगी और कहने लगी- हाँ राजा !! ऐसे ही हाँ ऐसे ही !! ऊम……ऊममममम……ऊईईईईईई……..
अब उसे बर्दाशत नहीं हो रहा था …. थोड़ी देर बाद मैंने सोचा- अब बस बहुत खेल लिया अब इस लंड की प्यास भी बुझाई जाए और मैं अपने लंड को आगे लेकर उसकी चूत की ओर बढ़ा़। उसने कहा- इतना बडा ! मेरी चूत में कैसे जाएगा?
मैंने कहा- जानम ! तुम बस देखती जाओ…… !
उसने कहा- दर्द होगा ?
मैंने कहा- तुम्हें बिल्कुल भी दर्द न होने दूँगा ।
यह सुनकर उसकी जान में जान आई। अब मैंने लंड को उसके योनि-द्वार पर रखा और हल्के से झटका मारा, लंड अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया होगा कि उसकी चीख निकल पड़ी- हाय मर गईईईईईईईई. आआआआआआआ…..
मैंने सोचा- लगता है गई भैंस पानी में। थोड़ी देर तक हम इसी अवस्था में रहे। उसकी कुंवारी चूत जानकर मै पास ही पड़ी एक क्रीम उठाकर उसकी चूत के अन्दर बाहर लगाने लगा ।
उसके कहा- यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- जान घबराओं मत, इसको लगाने से तुम्हें दर्द की अनुभुति कम होगी और मेरा लंड आसानी से तुम्हारी इस प्यारी चूत में समा जायेगा ।
उसने कहा- ठीक है !
उसकी तरफ से हरी झंडी मिलते ही मैंने फिर से एक बार चूत पर अपने लंड की दस्तक दी और मारा एक जोरदार शॉट, ऐसा करते ही उसकी चूत की सील फट गई और उसकी चूत का खून रिस-रिस कर चूत के छेद से बाहर बहने लगा और वह जोर से चिल्लाई-… हाय !! माँ मर गईईईईईईईईईई…………
हाय, मैंने सोचा कि यह क्या हो गया मैंने जल्दी से नैपकिन लाकर उसकी चूत की सफाई करी। थोड़ी देर बात मैंने उससे कहा- क्या फिर से शुरु करें।उस समय तक उसका दर्द कुछ कम हो गया था। मैंने उसे अपनी कसम दी तो वह मान गई मैंने अब फिर से एक बार डरते हुए लंड डाल दिया, वह अबकी बार थोड़ा कम चिल्लाई, मैंने अब हौले-हौले चुदाई शुरु कर दी ।
थोड़ी देर बाद उसको भी मजा आने लगा और वह कहने लगी- हाँ राजा ऐसे ही ऐसे ही…उममममममआ आआआआआा……… हाय……अब मैंने भी अपने पूरे जोर से चोदना चालू रखा ।मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ लगभग 15 मिनट की तेज चुदाई के बाद में झड़ने लगा, उसने कहा- बस थोड़ी और देर ! मैं भी झडने वाली हूँ ।
मैंने कहा- ले ! मैं गया ! और मैं अपने पूरे तेज के साथ उसकी चूत में झड़ गया और वह भी मेरे साथ झड़ गई। हम दोनों का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और हम लगभग आधे घन्टे तक एक दूसरे के ऊपर ही चिपकर लेटे रहे। फिर आधे घन्टे बाद मैंने उसे उस दिन फिर दो बार चोदा दूसरे ही दिन पूजा के मम्मी-पापा शादी से आ गये। फिर पेपर के बाद मेरे पिताजी की पोस्टिंग आ गई और उसके बाद फिर मैं उससे कभी नहीं मिल पाया ।
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवी कक्षा में पढ़ता था। चूँकि मैं सांइस विषय से था इसलिए मुझे लड़कियों के साथ पढ़ने का काफी मौका मिलता था। मैं और मेरी कुछ 2 या 3 लडकियाँ दोस्त अक्सर गेम्स के समय थोड़ा पढते थे और थोड़ा मौज-मस्ती किया करते थे । यह बात मेरी ही क्लास के कुछ लड़के और लड़कियों को अच्छी नहीं लगती थी और वह मुझे कभी-कभार इस बात को लेकर मजाक भी किया करते थे । मेरी ही क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम पूजा था। वह दिखने में एकदम किसी फिल्म की हीरोइन की तरह लगती थी, उसकी आँखों में एक अजब सा नशा दिखाई पढ़ता था।
वह अभी कच्ची उम्र यानि कि करीब 18 साल की रही होगी और वह देखने में गोरी और चिकनी थी। वह मुझसे जब भी मिलती तो मुस्कुरा देती और मुझसे शरारत भरे सवाल पूछती कि तुम उन लड़कियों के साथ क्या करते रहते हो ? वगैरह-वगैरह और मैं कह देता था कि बस पढ़ता ही तो हूँ और क्या करता हूँ। उस समय मैं उसकी शरारत भरी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था और उसे अक्सर टाल जाता था । ऐसे ही महीने बीतते गये और मेरे फाइनल पेपर के लिए कुछ महीने शेष रह गये। तब मुझे भी अन्य विद्यार्थीयों की तरह पेपर में अच्छे नंबर लाने के लिए एक कोचिंग सेन्टर में प्रवेश लेना पडा़।
एक दिन मैं थोड़ा सा बिमार पड़ गया और मैं उस दिन कोंचिग क्लास नहीं ले पाया। मेरी आदत थी कि मैं कोचिंग शुरु होने से पहले ही वहाँ पहुँचकर अपने दोस्तों के साथ थोड़ी यहाँ-वहाँ की बातें करता था। अगले दिन रोज की तरह मैं कोचिंग गया तो मेरे दोस्तो ने बताया कि कल ही तुम्हारे स्कूल की एक लड़की ने यहाँ ऐडमिशन लिया है और उसका नाम पूजा है। मेरी तो यह सुन कर सिटी-पिटी गुम हो गई। मैन सोचा कि अब वह मुझे यहाँ भी चिढ़ायेगी ।
मैं उसकी शरारतों से बहुत ही डरता था। अभी कुछ ही देर हुई थी कि वह कोचिंग क्लास में आ गई। मैंने उसे वहाँ देखा तो देखते ही रह गया, वह पीले पटियाला सूट में एकदम पटाका लग रही थी। उसने मुझे देखते ही हाय किया और मैंने उसे अनदेखा करते हुए यहाँ-वहाँ देखने लगा। जब क्लास खत्म हो गई और मैं वहाँ से जाने लगा तो उसने मुझे पीछे से रोका और मुझे आवाज दी। मैं वहाँ ही रुक गया ।
उसने कहा- तुम भी यहाँ पढ़ते हो ?
तो मैंने कहा- हाँ !
उसने कहा- कबसे ?
मैंने कहा- 10 दिन से ।
उसने कहा- क्या हम साथ चल सकते हैं? तो मैंने बहाना बना दिया और वहाँ से चला गया। दरअसल उसका घर मेरे घर के रास्ते में ही पड़ता था। ऐसे ही कुछ दिन बीत गये और एक दिन क्लास के समय पूजा की तबीयत अचानक खराब हो गई। सर ने पूछा- क्या हुआ ? तो उसने कहा- कुछ नहीं ! बस सर दर्द हो रहा है ! और वह एक तरफ सर झुका कर बैठ गई ।
जब क्लास खत्म हो गई तो भी वह वैसे ही बैठी हुई थी। सर उसके पास गये और उसकी तबीयत देखकर कहा- क्या कोई इसके घर के पास रहता है?तो उसकी सहेलियों में से एक ने मेरा नाम बताया।
सर ने मुझे कहा- अब तुम इसको घर तक पहुँचाओगे। मैं भी क्या करता, मुझे भी हाँ करनी पड़ी। हम दोनों साइकिल से ही जाते थे तो रोज की तरह मैंने साइकिल उठाई और आज पूजा को साथ लेकर चलने लगा । पहले तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा, क्योंकि घर थोड़ी दूर था इस लिए उसने ही पहले शुरुआत करते हुए पढ़ाई कैसी चल रही है वगैरह-वगैरह के बारे में पूछा।
रास्ते में बातें करते करते अब मैं उससे थोड़ा नजदीक आ गया था। उसने अपने घर के बारे में बताते हुए कहा कि उसको घर में रहना बहुत बेकार लगता है क्योंकि उसके मम्मी-पापा हमेशा लड़ते रहते थे। मेरी बातों ही बातों में उससे दोस्ती हो गई ।अब मैं जानने लगा कि वह इतनी भी दिल की बुरी नहीं है जितना कि मैं उसको समझता था। अब तो क्या था वह रोज मेरे साथ कोचिंग जाने और आने लगी।
अब वह मेरे लिए दोस्त से बढ़कर थी। परीक्षा शुरु होने में अभी दो हफ्ते शेष रह गये थे और अब हम लोग घर में रहकर ही परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे। एक दिन अचानक मुझे उसका फोन आया और उसने कहा कि उसके सर के दिए हुए कुछ नोटस खो गये हैं और मुझसे मेरे नोटस मँगवाये। मैं कुछ ही देर बात उसके घर पहुँच गया । उसने मेरा स्वागत किया और कुछ चाय-बिस्किट वगैरह लाकर टेबल पर रख दी। मैंने उससे पूछा- क्या घर पर कोई नहीं है?
तो उसने कहा- चाचा जी के लड़के की शादी है इसलिए सब कानपुर गये हुए हैं अब वह मुझे अपने कमरे में ले गई और उसने मेरे नोटस ले लिए और फिर हम दोनों कुछ बाते करने लगे। आज मैंने उसकी आँखों में कुछ अजीब से शरारत देखी। बातें करते-2 उसने मुझे कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ। उसकी यह बात सुन कर मेरा दिल उछलने लगा क्योंकि दिल ही दिल में मैं भी उसको चाहने लगा था।
उसकी यह बात सुनकर मैंने भी उसे अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसी समय टीवी पर ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ आ रही था और उसमें पल-पल हर पल वाला गाना चल रहा था। आप लोग तो जानते ही होंगे कि वह कितना प्यारा रोमांटिक गाना है। गाने को देखकर पूजा मुझसे लिपट गई और कहने लगी- देव मुझे इतना प्यार दो कि मैं आज तुम्हारे प्यार से भर जाऊँ उसने मेरे औंठों पर अपने गुलाबी औंठ रख दिया। इतना प्यार पाकर मेरे अन्दर का मर्द भी जाग गया
मैंने भी उसे जी भरकर चाटना-चूमना शुरु कर दिया। इतना प्यार पाकर हम दोनों काम वासना की ज्वलंत अग्नि में जलने लगे। हम दोनों का शरीर गर्मी से जला जा रहा था। अब मैंने हिम्मत दिखाते हुए उसके कमीज को अलग कर दिया। वह थोड़ा शरमाने लगी। मैंने कहा- जान, अब क्यों शरमाती हो, मैं तो तुम्हारा ही हूँ। फ़िर सलवार निकालने के बाद तो उसके शरीर पर केवल ब्रा और पेन्टी ही शेष बाकी रह गये थे। उसके रसीले यौवनयुक्त शरीर को देखकर मैं पागल हुए जा रहा था।
उसने कहा कि मुझे ही नंगा किये जा रहे हो। अपने शरीर को भी तो दिखाओ।मैंने कहा- अभी लो जान और मैं झट से नग्न अवस्था में उसके सामने खड़ा हो गया, उसने मेरे शरीर को ऊपर से नीचे तक निहारा और प्यार से मेरे छाती पर अपने औंठों का घुमाने लगी। मेरा 6 इंच का लंड देखकर उसके मुँह खुला का खुला रह गया। मैं तो बस पागल ही हुए जा रहा था।
अब मैं उसकी ब्रा को उठाने लगा तो उसने अपने हाथ आगे कर लिए। धीरे धीरे मैंने आगे बढ़ते हुए उसकी ब्रा को उसके कोमल से शरीर से अलग कर दिया। वह अब किसी परी की तरह लग रही थी। मैंने अब उसके स्तन चूसने प्रारंभ किये। हाय !! कितने सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी मैं आपको बता नहीं सकता। वह अब सिसकियाँ लेने लगी ……… हाय !! ऐसे ही ! हाँ ऐसे ही ! ……..हाय !!
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मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरु किया, पहले तो उसे कुछ गुदगुदी सी हुई फिर उसे मजा आने लगा, मैं अब एक अँगुली उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर रखकर अन्दर-बाहर करने लगा। वह तो मानो पागल हो गई और कामवासना की आग में जलने लगी और कहने लगी- हाँ राजा !! ऐसे ही हाँ ऐसे ही !! ऊम……ऊममममम……ऊईईईईईई……..
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यह सुनकर उसकी जान में जान आई। अब मैंने लंड को उसके योनि-द्वार पर रखा और हल्के से झटका मारा, लंड अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया होगा कि उसकी चीख निकल पड़ी- हाय मर गईईईईईईईई. आआआआआआआ…..
मैंने सोचा- लगता है गई भैंस पानी में। थोड़ी देर तक हम इसी अवस्था में रहे। उसकी कुंवारी चूत जानकर मै पास ही पड़ी एक क्रीम उठाकर उसकी चूत के अन्दर बाहर लगाने लगा ।
उसके कहा- यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- जान घबराओं मत, इसको लगाने से तुम्हें दर्द की अनुभुति कम होगी और मेरा लंड आसानी से तुम्हारी इस प्यारी चूत में समा जायेगा ।
उसने कहा- ठीक है !
उसकी तरफ से हरी झंडी मिलते ही मैंने फिर से एक बार चूत पर अपने लंड की दस्तक दी और मारा एक जोरदार शॉट, ऐसा करते ही उसकी चूत की सील फट गई और उसकी चूत का खून रिस-रिस कर चूत के छेद से बाहर बहने लगा और वह जोर से चिल्लाई-… हाय !! माँ मर गईईईईईईईईईई…………
हाय, मैंने सोचा कि यह क्या हो गया मैंने जल्दी से नैपकिन लाकर उसकी चूत की सफाई करी। थोड़ी देर बात मैंने उससे कहा- क्या फिर से शुरु करें।उस समय तक उसका दर्द कुछ कम हो गया था। मैंने उसे अपनी कसम दी तो वह मान गई मैंने अब फिर से एक बार डरते हुए लंड डाल दिया, वह अबकी बार थोड़ा कम चिल्लाई, मैंने अब हौले-हौले चुदाई शुरु कर दी ।
थोड़ी देर बाद उसको भी मजा आने लगा और वह कहने लगी- हाँ राजा ऐसे ही ऐसे ही…उममममममआ आआआआआा……… हाय……अब मैंने भी अपने पूरे जोर से चोदना चालू रखा ।मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ लगभग 15 मिनट की तेज चुदाई के बाद में झड़ने लगा, उसने कहा- बस थोड़ी और देर ! मैं भी झडने वाली हूँ ।
मैंने कहा- ले ! मैं गया ! और मैं अपने पूरे तेज के साथ उसकी चूत में झड़ गया और वह भी मेरे साथ झड़ गई। हम दोनों का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और हम लगभग आधे घन्टे तक एक दूसरे के ऊपर ही चिपकर लेटे रहे। फिर आधे घन्टे बाद मैंने उसे उस दिन फिर दो बार चोदा दूसरे ही दिन पूजा के मम्मी-पापा शादी से आ गये। फिर पेपर के बाद मेरे पिताजी की पोस्टिंग आ गई और उसके बाद फिर मैं उससे कभी नहीं मिल पाया ।
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