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दफ्तर में चूत चुदाई का अनोखा मजा - Daftar me chudai ka anokha majaa
ऑफिस में चूत की चुदाई , दफ्तर में चूत चुदाई का अनोखा मजा - Daftar me chudai ka anokha majaa , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
यह बात लगभग 3 साल पहले की है एक दिन ऑफिस का काम ज्यादा होने के कारण मैंने मेरी ऑफिस में काम करने वाली एक लड़की से ओवरटाइम में रुकने के लिए कहा। उसने तुरंत स्वीकार कर लिया. सब के चले जाने के बाद मैं और वो ही ऑफिस में बचे थे. लगभग दो घंटे में हमने पूरा काम निपटा दिया. उस ने कहा - सर और कुछ करना हो तो बता देना. मैंने मजाकिया मुड में कह दिया - काम तो करना है लेकिन डरता हूँ कहीं तुम ना तो नहीं करोगी. वह मेरे नजदीक आई और बोली - आप हुक्म तो करो जान भी हाजिर है.
यह बात लगभग 3 साल पहले की है एक दिन ऑफिस का काम ज्यादा होने के कारण मैंने मेरी ऑफिस में काम करने वाली एक लड़की से ओवरटाइम में रुकने के लिए कहा। उसने तुरंत स्वीकार कर लिया. सब के चले जाने के बाद मैं और वो ही ऑफिस में बचे थे. लगभग दो घंटे में हमने पूरा काम निपटा दिया. उस ने कहा - सर और कुछ करना हो तो बता देना. मैंने मजाकिया मुड में कह दिया - काम तो करना है लेकिन डरता हूँ कहीं तुम ना तो नहीं करोगी. वह मेरे नजदीक आई और बोली - आप हुक्म तो करो जान भी हाजिर है.
मैंने उसकी आँखों में आँखे डालकर देखा. वो पूर्ण रूप से वासना से घिर चुकी थी. मैंने उसे छुआ तो वो झट से मेरे शरीर से लिपट गई.
उसने पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है सर...?
मैंने कहा- तुम्हारे होंठ, तुम्हारे गाल ... !
उसने कहा- और..?
वह कुछ और ही सुनना चाहती थी ...
मैंने जारी रखा- तुम्हारे बड़े-बड़े स्तन ... तुम्हारे चूतड़ ... मैं इन्हें सहलाना चाहता हूँ ... इनमें डूब जाना चाहता हूँ..!
उसने सिसकारती आवाज़ में कहा- आपको रोका किसने है सर ... मैं तो कितने दिनों से यही चाह रही थी ...
उसका इतना कहना था कि मैंने अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये और दोनों हाथों से उसके स्तनों को मसलने लगा ... पहले ही काफी देर हो चुकी थी इसलिए ज्यादा समय लगाना उचित नहीं था. हम दोनों ने कपड़े उतार दिए. उसके भरे-भरे कठोर और बड़े स्तन थे, घुटने के बल आकर उसने मेरे सुपारे को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैं सिसकारियाँ लेने लगा और जोर-जोर से उसके स्तन मसलने लगा ... थोड़ी देर बाद मेरे लंड के टिप पे लसलसा सा प्रि-कम आ गया था जो उसने मजे से चाट लिया।
अचानक वो खड़ी हुई ... मैं भी खड़ा हो गया। उसने मेरा एक हाथ अपने वक्ष से हटाया और अपने दोनों टाँगों के बीच वहाँ रख दिया जहाँ दहकता लावा था ...पहले तो मैं सहलाता रहा ... नापता रहा दोनों पंखुड़ियाँ ... उनके बीच की दरार... जहाँ हल्की-हल्की रिसावट हो रही थी ... मैंने उसकी चूत के दरार पे उंगली फ़िराई ...उसने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दिया और अपने गुदाज नितंबों को आगे-पीछे करने लगी...
मैंने अपनी एक उंगली धीरे से अंदर प्रविष्ट कर दी... वो चिहुँक उठी ... .और अपना वस्ति-दोलन और तेज़ कर दिया ... उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं ... मैंने उंगली को आगे पीछे करना शुरु कर दिया ... वो मेरे लंड को एक हाथ में लेकर उसके चमड़े को आगे-पीछे करने लगी ... मेरा सुपाड़ा और मोटा होता जा रहा था... उसकी चूत गीली होती जा रही थी ... वो और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी ... उसके मुँह से आ...ई ...उ.. की आवाज़ निकल रही थी। और मैं उसकी दोनों टांगो के बीच फ़ँसी उस दरार को निहारने लगा जिसके पीछे ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग हो गई थी! मैं तो सिर्फ मानव हूं।
फिर वो पीछे घूम गई ... अब मेरा लंड उसके उन्न्त नितम्बों के बीच की खाई में झटके मार रहा था ... ..मैंने उसके दोनों स्तन पकड़े और पीछे सट गया ... वो अपने चूतड़ मेरे मुन्ने पर रगड़ने लगी। आह ... स्वर्गीय आनंद था ... कामुकता ... वासना ... अपनी चरम सीमा पर थी। मैंने उसके गर्दन पर एक चुम्बन दिया ... उसने कराहती सी वासना में लिप्त आवाज़ में कहा,"उँह्ह्ह्ह्ह्ह ..."
मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज से हटाया और चूत पर फेरने लगा ... एक छोटी सी ... मटर के दाने जितनी घुंडी का अहसास हुआ ... जाने क्यों मैं उस घुंडी को रगड़ने लगा और वो बेसाख़्ता सिसकारियाँ भरने लगी ...और मेरे लंड को अपने गोल-गोल नितम्बो के बीच फ़ँसाकर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी ... लग रहा था किसी लावा में रगड़ा जा रहा है ... मैं अपने आपको संयत कर पाता कि अचानक वो अपने दोनों हाथ सोफे के बैक पर रखकर झुक गई और जन्नत का दरवाजा मेरे सामने था। साँसें घुटती हुई सी लग रही थीं ... धड़कनें थमी सी महसूस हो रही थीं ...
सीटी बजाने के आकार में सुकड़ा हुआ भूरा सा गुदाद्वार किसी खिले हुए चमेली फूल सा लग रहा था ... उसके कुछ आधे इंच नीचे भूरे-भूरे रेशमी झाँटों की एक बारीख लाइन दिखाई दे रही थी ... वो ऐसे लग रही थी जैसे उस के सेक्सी होंठों को किसी ने वर्टिकल कर दिया हो ... थोड़ा गुलाबी ... थोड़ा बादामी ... ऐसा कुछ रंग था उन होंठों के बीच ... मेरे हाथ-पाँव भारी से होते जा रहे थे ... मैं अपने घुटनों पर आ गया और जाने किस अनजान शक्ति ने मेरा मुँह उस खुशबूदार ... तीन इंची दरार में टिका दिया... मेरी जीभ बाहर निकल आई और मैं कुत्ते की तरह उसकी बुर को चाटने लगा ... कुछ नमकीन-कसैला सा स्वाद था... आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
अब वो कुछ अंड-बंड बकने लगी और अपने चूतड़ को आगे-पीछे करने लगी ... मैंने अपने जीभ के आगे का हिस्सा नुकीला करके उसके योनिद्वार में घुसा दिया ... उसकी सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं ... मैंने जीभ को मटर के दाने जितनी घुंडी पर गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया ... उसकी दरारों से और ज़्यादा नमकीन पानी रिसने लगा ... लंड का तनाव काबू से बाहर होता जा रहा था ...जो आम तौर पर आठ इंच का दिखता था ... आज नौ इंच का दिख रहा था ... सुपारा अंगारा हो गया था ... उतना ही गरम ... उतना ही लाल ... अपना दहकता अंगार मैंने उसके सुलगते लावा में रख दिया ... जिसे मैंने चाट-चाट के लाल कर दिया था ... उफ़ क्या गरमी थी ... क्या नरमी थी ... ।
अपने गरम सुपारे को उसकी चूत के दोनों होठों के बीच रगड़ने लगा ... ... जहाँ लसलसे पदार्थ का झरना सा बह रहा था ... वह अपना नियंत्रण खोती जा रही थी ... उसके तन-मन में मादकता छा गई थी ... उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया ... मैंने धीरे से सुपाड़ा अंदर घुसेड़ने की कोशिश की ... कोशिश इसलिये कह रहा हूँ कि सुपारा बार-बार फ़िसल जाता था ... अंदर जा ही नहीं रहा था। इतनी चिकनाई होने के बावजूद उस चूत के छेद के लिये 4-5 इंच घेरे वाला लंड काफ़ी बड़ा साबित हो रहा था ...।
मैंने एक हाथ से उसके नितंब को थामा ... दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा ... उसे जन्नत के दरवाजे पर टिकाया और हाथ से पकड़े-पकड़े अपने चूतड़ों को एक जुम्बिश दी ... सुपारा अन्दर समा गया ... अभी भी आठ इंच का फ़ड़कता हुआ रॉड बुर के बाहर था ... ऑफिस का एसी चलने चलने के बावज़ूद मैं पसीने-पसीने हो रहा था ...।
अब मैंने लंड को छोड़ा ... अपने आपको सीधा किया ... गहरी साँस ली ... दोनों हाथों से उसके गोल-गोल सुडौल नितंबों को थामा ...नज़रें चमेली के फूल पर टिकाई और अपने चूतड़ों को जबरदस्त झटका दिया ... अब मेरा लौड़ा तकरीबन 4-5 इंच अंदर था..। अंदर तो भट्टी दहक रही थी ... सब कुछ गरम-गरम महसूस हो रहा था... वह कराह रही थी ...थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही निश्चल रहे ...लंड आधा ही अंदर था ... मेरा लंड अंदर के कसाव के बावजूद फड़क रहा था ...वह चुपचाप मेरे लंड का फड़कन महसूस कर रही थी। ... मैं भी उसके चूत की मांसपेशियों का फैलना और सुकड़ना को महसूस कर रहा था।
करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद उसने अपने आपको आगे पीछे हिलाना शुरू किया ... अभी भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था ... मुझे याद नहीं आ रहा है जाने कब मैं कुत्ते वाली स्टाइल में उसके ऊपर झुक गया था ... उसके दोनों स्तन मेरे हाथ में थे और मैं पीछे से उसका चूतमर्दन कर रहा था।
मैं रफ़्तार पकड़ चुका था ... और वह भी अपने कूल्हों को हिला-हिला कर पूरा साथ निभा रही थी। उसकी सेक्सी आवाज़ मुझे और उत्तेजित कर रही थी ... वो बड़बड़ा रही थी- पुश इट् हार्ड ... पुश दैट मोर इनसाइड ... ऊह्ह्ह्ह ... ओ गॉड ... आह..ऊँहु्ह्ह्ह ... और जाने क्या-क्या ... ।
अचानक उसका पूरा शरीर बुरी तरह काँपने लगा ... ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पैर उसका बोझ नहीं सम्हाल पा रहे हैं ... उसके नितंबों में अजीब सी थरथराहट हो रही थी ... और मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। अचानकवह कोहनियों के बल सोफे की सीट पर आ गई ... उसका पेट और स्तन सीट पर टिके थे पर नितम्बों वाला हिस्सा ऊपर उठा हुआ था ...
मैंने अपना लंड एक इंच पीछे खींचा ... उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ा और दोनों कूल्हों के बीच निहारा ... उसके फ़ाँकों के बीच फ़ंसे अपने खुद के अंग को देखकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि पूरी ताकत के साथ लंड को वापिस पेल दिया ... वो बोली- ओ गॉड ... यह तो यूटेरस में टकरा रहा है ... इतना कहते ही उसके बुर से तेज धार सी निकली और मेरे झाँटों की भिगोती चली गई ... मैं दुगनी रफ़्तार से भिड़ गया... कोई 20-25 मिनट के बाद मेरे लंड में अजीब सी ऐंठन हुई और पता नहीं कितना वीर्य उसके बच्चेदानी के छेद पे न्यौछावर हो गया ...
बस इतना पता है कि उसने कहा- ओह गॉड ... .इतना सारा ...?
मैं उसके खुशबूदार शरीर से चिपट गया ... उसके स्तनों को मसलने लगा ... मेरा लंड उसकी चूत में फैलने-सुकड़ने लगा... उसने पता नहीं क्या किया ... ऐसा लगा जैसे मेरे लंड का पूरा रस अपने बुर को टाइट करके निचोड़ रही हो। मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमता जा रहा था ... हम दोनों तरबतर हो चुके थे ! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
इसके बाद हम लोग हांफते हुए सोफे पर कटे हुए पेड़ की तरह गिर पड़े। उस दिन मैंने उसको चार बार चोदा। फिर हम लोग ऑफिस बन्द कर के अपने - अपने घर चले गये।
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