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गांव की एक प्यासी औरत की सेक्स कहानी Ganv ki ek pyasi aurat ki sex kahani
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मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मैं 22 साल का गबरू जवान हूँ। मैं अभी मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहा हूँ। मुझे सेक्स करने मैं बहुत ही अधिक रूचि है। मैं दिन में 2 से 3 बार हस्तमैथुन करता हूँ। अगर मुझे मौका मिले, तो मैं किसी की गाण्ड मारना भी नहीं छोड़ता, फिर वो लड़का हो या लड़की। मैं अपनी एक सच्ची कहानी आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आएगी। कहानी कुछ इस तरह से है कि मैं जब 21 साल का था तब मैं मेरे गाँव गया हुआ था। मेरा गाँव महाराष्ट्र में सोलापुर में है। मैं वहाँ पर कुछ दिनों गर्मियों की छुट्टी मनाने गया हुआ था। हमारा गाँव बहुत छोटा था और वहाँ पर बहुत कम लोग रहा करते थे।
मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मैं 22 साल का गबरू जवान हूँ। मैं अभी मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहा हूँ। मुझे सेक्स करने मैं बहुत ही अधिक रूचि है। मैं दिन में 2 से 3 बार हस्तमैथुन करता हूँ। अगर मुझे मौका मिले, तो मैं किसी की गाण्ड मारना भी नहीं छोड़ता, फिर वो लड़का हो या लड़की। मैं अपनी एक सच्ची कहानी आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आएगी। कहानी कुछ इस तरह से है कि मैं जब 21 साल का था तब मैं मेरे गाँव गया हुआ था। मेरा गाँव महाराष्ट्र में सोलापुर में है। मैं वहाँ पर कुछ दिनों गर्मियों की छुट्टी मनाने गया हुआ था। हमारा गाँव बहुत छोटा था और वहाँ पर बहुत कम लोग रहा करते थे।
मेरे घर के पड़ोस में एक 32 साल की औरत रहा करती थी। उसका नाम दीपाली था, वो शादी-शुदा थी लेकिन उसका तलाक हो चुका था। उसका पति बहुत दारू पीता था और उसे मारा करता था, इसलिए उसने तलाक ले लिया था। वो दिखने में ‘ब्लैक-ब्यूटी’ थी। उसके मम्मे 34 साइज़ के थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वैसे तो मैं उसे बहुत सालों से लाइन मार रहा था। लेकिन इस बार मैं जब गाँव गया, तब मैंने पक्का कर लिया था कि मैं इस बार कुछ तो ज़रूर करूँगा। जब मैं गर्मियों की छुट्टी में वहाँ पहुँचा उसके दूसरे ही दिन मैं उससे मिलने उसके घर गया। वो उस वक्त खाना बना रही थी और मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- आप कब आए?
मैंने कहा- मैं कल आया था।
उसने मुझसे पूछा- और सुनाओ सब कैसा चल रहा है?
तो मैंने कहा- कुछ भी अच्छा नहीं है।
उसने पूछा- क्यों?
मैंने कहा- बस थोड़ी सी तबियत खराब है।
उसने कहा- दवा ले लो।
मैंने कहा- आप ही दे दो।
वो हँस पड़ी और उसने मुझे बैठने के लिए कहा साथ ही पूछा- आप चाय लेंगे?
मैंने कहा- अगर आप पिला रही हो तो हम कैसे ‘ना’ बोल सकते हैं।
बाद में उसने मेरे लिए चाय बनाई और फिर मैं चाय पीते हुए उनसे बातें करने लगा। बाद में हमने चाय पी और मैंने कहा- मैं बाद में आता हूँ। मैं टहलने चला गया। आपको बताना चाहता हूँ कि हमारे गाँव में लाइट की बहुत दिक्कत होती है। गाँव में रात को जल्दी अंधेरा हो जाता है। 8 बजे से ही ऐसा लगता है कि 12 बज गए हों।
गाँव में ज़्यादातर लोगों के घर पर पंखा और टीवी नहीं होता है। मेरे गाँव के घर पर भी पंखा और टीवी नहीं था, क्योंकि मेरे दादी अकेली रहती थी। लेकिन दीपाली के घर पर पंखा और टीवी दोनों था। रात को मैं खाना खाकर उसके घर गया तो वो खाना खा रही थी।
मैंने कहा- मैं कल आया था।
उसने मुझसे पूछा- और सुनाओ सब कैसा चल रहा है?
तो मैंने कहा- कुछ भी अच्छा नहीं है।
उसने पूछा- क्यों?
मैंने कहा- बस थोड़ी सी तबियत खराब है।
उसने कहा- दवा ले लो।
मैंने कहा- आप ही दे दो।
वो हँस पड़ी और उसने मुझे बैठने के लिए कहा साथ ही पूछा- आप चाय लेंगे?
मैंने कहा- अगर आप पिला रही हो तो हम कैसे ‘ना’ बोल सकते हैं।
बाद में उसने मेरे लिए चाय बनाई और फिर मैं चाय पीते हुए उनसे बातें करने लगा। बाद में हमने चाय पी और मैंने कहा- मैं बाद में आता हूँ। मैं टहलने चला गया। आपको बताना चाहता हूँ कि हमारे गाँव में लाइट की बहुत दिक्कत होती है। गाँव में रात को जल्दी अंधेरा हो जाता है। 8 बजे से ही ऐसा लगता है कि 12 बज गए हों।
गाँव में ज़्यादातर लोगों के घर पर पंखा और टीवी नहीं होता है। मेरे गाँव के घर पर भी पंखा और टीवी नहीं था, क्योंकि मेरे दादी अकेली रहती थी। लेकिन दीपाली के घर पर पंखा और टीवी दोनों था। रात को मैं खाना खाकर उसके घर गया तो वो खाना खा रही थी।
उसने मुझे देखा तो मुझसे कहा- आइए आप भी खा लीजिए।
मैंने कहा- मैं तो खा कर आया हूँ।
उसके ज़ोर करने पर मैंने थोड़ा सा खा लिया और फिर हम बातें करने लगे। बाद मैं रात को करीब 8 बजे में अपने घर आ गया। मैं सोचने लगा कि क्या जुगाड़ किया जाए। फिर मैंने एक प्लान बनाया कि मैं आज रात को इसके घर पर ही रुक जाऊँ। सोने की तैयारी करने लगा। करीब रात को 9 बजे मैंने दादी से कहा- मुझे नींद नहीं आ रही। उन्हें मैंने कारण भी बताया कि गर्मी इतनी हो रही है और हमारे घर पर एक पंखा भी नहीं है।
फिर मेरी दादी ने कहा- तू दीपाली आंटी के घर सोने को चला जा।
मैं बहुत खुश हो गया और कहा- अगर आप कहते हो तो ठीक है।
मैं बहुत ही खुश हो गया था और 5 मिनट के बाद मैं और मेरी दादी दीपाली के घर पहुँच गए।
मेरी दादी ने आंटी से कहा- इसको आज आपके घर में सो जाने दो।
तो आँटी मान गई और फिर दादी दस मिनट के बाद चली गईं।
मेरी तो मुराद पूरी हो गई थी। दीपाली ने मेरा बिस्तर बिछा दिया, मैंने कहा- मुझे इतनी जल्दी सोने की आदत नहीं है।
मैंने कहा- मैं तो खा कर आया हूँ।
उसके ज़ोर करने पर मैंने थोड़ा सा खा लिया और फिर हम बातें करने लगे। बाद मैं रात को करीब 8 बजे में अपने घर आ गया। मैं सोचने लगा कि क्या जुगाड़ किया जाए। फिर मैंने एक प्लान बनाया कि मैं आज रात को इसके घर पर ही रुक जाऊँ। सोने की तैयारी करने लगा। करीब रात को 9 बजे मैंने दादी से कहा- मुझे नींद नहीं आ रही। उन्हें मैंने कारण भी बताया कि गर्मी इतनी हो रही है और हमारे घर पर एक पंखा भी नहीं है।
फिर मेरी दादी ने कहा- तू दीपाली आंटी के घर सोने को चला जा।
मैं बहुत खुश हो गया और कहा- अगर आप कहते हो तो ठीक है।
मैं बहुत ही खुश हो गया था और 5 मिनट के बाद मैं और मेरी दादी दीपाली के घर पहुँच गए।
मेरी दादी ने आंटी से कहा- इसको आज आपके घर में सो जाने दो।
तो आँटी मान गई और फिर दादी दस मिनट के बाद चली गईं।
मेरी तो मुराद पूरी हो गई थी। दीपाली ने मेरा बिस्तर बिछा दिया, मैंने कहा- मुझे इतनी जल्दी सोने की आदत नहीं है।
उन्होंने कहा- चलो फिर टीवी देखते हैं।
मैंने हामी भर दी और हम टीवी देखने लगे। करीब रात के दस बजे लाइट चली गई और फिर अंधेरा हो गया और मैंने अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए उसको छू लिया और उसका हाथ पकड़ लिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसने कुछ भी नहीं कहा, उल्टे मेरा हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में सोने के लिए ले गई। फिर हम लोग लेट गए, लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी। मैं तो सिर्फ़ उसको चोदने के बारे में सोच रहा था और सोने का नाटक कर रहा था। रात को करीब 12 बजे मैं उठा और उसको भी उठाया और कहा- मुझे नींद नहीं आ रही है। तो उसने कहा- मेरे पास सो जाओ।
मेरे तो जैसे होश उड़ गए और मैं उसके साथ उसके बिस्तर पर सोने लगा, लेकिन मैं अभी भी कहाँ सोने वाला था। फिर मैंने धीमे-धीमे अपने पैर उनके पैरों पर रख दिए लेकिन मुझे उसने कुछ नहीं कहा, मुझे लगा कि वो सो गई है। मेरी हिम्मत बढ़ गई फिर मैंने हाथ उसके मम्मों पर रखा और धीमे-धीमे सहलाने लगा। वो फिर भी नहीं उठी इससे मेरी हिम्मत और बढ़ती जा रही थी। लेकिन थोड़ी देर बाद उसके करवट लेते ही मैं डर गया और जल्दी से अपने हाथ-पैर हटा कर मैं सीधा सोने का नाटक करने लगा। थोड़ी देर शान्त रहने के बाद मैंने फिर से उसके मम्मे सहलाना चालू कर दिए। मुझे लगा कि वो जाग रही है और सोने का नाटक कर रही है। फिर मैंने उसके मम्मों को ज़ोर से दबाना चालू कर दिया और अचानक से उसकी आँख खुल गई और मैं डर गया और मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।
उसने मुझसे कहा- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कुछ नहीं कहा और आँखें बंद कर करके शान्त पड़ा रहा और फिर उसने कहा- क्या तुमको मैं पसंद हूँ?
तब मैंने फट से मेरे आँखें खोल कर कहा- बहुत।
तो उसने कहा- तुम्हें पता है कि मैं तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हूँ?
मैंने कहा- हाँ.. मुझे पता है लेकिन प्यार में उम्र नहीं देखी जाती।
उसने कहा- मैं तुम्हारी आंटी लगती हूँ।
तो मैंने कहा- इसमें क्या है? सेक्स में सब कुछ चलता है।
मैंने उसको कस कर पकड़ लिया और चुम्बन करने लगा और उसके मम्मे दबाने लगा। मैं अब कामातुर होकर उसको चाटने लगा और उसे भी मज़ा आ रहा था और वो भी मुझे चुबंन कर रही थी। करीब दस मिनट तक चूमा-चाटी करने के बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार कर उसको पूरी तरह से जोश मे ला दिया था। वो भी मेरे कपड़े उतार रही थी। मेरा 7 इन्च का लंड उसकी जवानी को सलामी दे रहा था।
उसने मेरा लौड़ा देखते ही कहा- ओह्ह.. आपका कितना बड़ा है।
फिर मैंने उससे कहा- इसे मुँह में ले लो।
लेकिन उसके मना करने पर मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में मेरा 7 इंच का लंड डाल दिया और थोड़ी देर बाद वो उसे आईसक्रीम की तरह चूस रही थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। पांच मिनट के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में से निकाला और उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और फिर बड़े प्यार से उसे चाटने लगा। उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो कामुकता से सिसिया रही थी- ओह्ह.. सागर और ज़ोर से चाटो।’ उसकी कामातुर सिसकारी से मेरी रफ्तार बढ़ गई। दस मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा, फिर मैंने देर ना करते हुए अपना सात इंच का लंड उसकी चूत में पेल दिया और वो सीसकारियां लेने लगी। मैं धीमे-धीमे लंड डालता रहा और वो ‘आह..ह..’ की आवाजें निकालती रही। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
वो लगातार बोल रही थी- और ज़ोर से.. मेरे राजा.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आह्ह्ह..।’
मैंने करीब 15 मिनट तक उसे चोदा फिर मैंने उससे कहा- मेरा माल निकलने वाला है। तो उसने कहा- अन्दर ही निकाल दो। कुछ जोरदार धक्के मारते हुए मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और वो भी झड़ गई थी।
फिर मैंने उससे कहा- इसे मुँह में ले लो।
लेकिन उसके मना करने पर मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में मेरा 7 इंच का लंड डाल दिया और थोड़ी देर बाद वो उसे आईसक्रीम की तरह चूस रही थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। पांच मिनट के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में से निकाला और उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और फिर बड़े प्यार से उसे चाटने लगा। उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो कामुकता से सिसिया रही थी- ओह्ह.. सागर और ज़ोर से चाटो।’ उसकी कामातुर सिसकारी से मेरी रफ्तार बढ़ गई। दस मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा, फिर मैंने देर ना करते हुए अपना सात इंच का लंड उसकी चूत में पेल दिया और वो सीसकारियां लेने लगी। मैं धीमे-धीमे लंड डालता रहा और वो ‘आह..ह..’ की आवाजें निकालती रही। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
वो लगातार बोल रही थी- और ज़ोर से.. मेरे राजा.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आह्ह्ह..।’
मैंने करीब 15 मिनट तक उसे चोदा फिर मैंने उससे कहा- मेरा माल निकलने वाला है। तो उसने कहा- अन्दर ही निकाल दो। कुछ जोरदार धक्के मारते हुए मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और वो भी झड़ गई थी।
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