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दुकानदार की बेटी की चुदाई की कहानी Dukandar ki beti ki chudai
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मेरा नाम ईश है मैं पटना, बिहार का रहने वाला हूँ। मैं एक विद्यार्थी हूँ, बीसीए कर रहा हूँ। मेरा रंग गोरा है, उम्र 22 साल है, मेरा शरीर गठीला है क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ, मेरी लम्बाई 5'10" है। यह मेरी पहली कहानी है। घटना करीब 3 माह पहले की है, मैं अकेला रहता हूँ। मेरे कमरे के पास में एक दुकान है जहाँ मैं रोज सामान लेने जाता हूँ। उस दुकानदार की एक बेटी है जिसका नाम नीलू है।
मेरा नाम ईश है मैं पटना, बिहार का रहने वाला हूँ। मैं एक विद्यार्थी हूँ, बीसीए कर रहा हूँ। मेरा रंग गोरा है, उम्र 22 साल है, मेरा शरीर गठीला है क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ, मेरी लम्बाई 5'10" है। यह मेरी पहली कहानी है। घटना करीब 3 माह पहले की है, मैं अकेला रहता हूँ। मेरे कमरे के पास में एक दुकान है जहाँ मैं रोज सामान लेने जाता हूँ। उस दुकानदार की एक बेटी है जिसका नाम नीलू है।
क्या कमाल का जिस्म है उसका 34-28-36 ! दूध की तरह गोरी, शरीर पर एक भी दाग नहीं, सेब के आकार की चूचियाँ, बड़े-2 चूतड़, जैसे की कोई अप्सरा हो। मैं जब भी उसे देखता, उसे बस चोदने का जी करता। वो पढ़ती है। मेरी उस दुकानदार से काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गई थी तो मैं रोज शाम को उसके दुकान में बैठता था क्योंकि नीलू रोज शाम को दुकान का काम भी देखती थी।
एक दिन मैंने अशोकजी (दुकानदार) से कहा- मुझे कोई ट्यूशन दिला दें ताकि मेरे कमरे का किराया ही निकल जाए।
वो बोले- आप मेरी बेटी को पढ़ाइए ! घर के बगल में रहेगी तो अच्छा रहेगा !
मैंने बोला- ठीक है।
मेरी तो जैसे मन माँगी मुराद पूरी हो गई। नीलू दूसरे दिन से मेरे यहाँ पढ़ने आने लगी। वो कमीज-सलवार में आई थी। हम दोनों कुर्सी पर बैठते थे और बीच में मेज रहता था, जब भी वो कुछ लिखती तो उसकी चूचियाँ मुझे दिख जाती थी मेरा तो लण्ड खड़ा हो जाता, वो ब्रा कभी भी नहीं पहन कर आती थी। 2-3 रोज पढ़ाने के बाद वो मुझसे खुलने लगी और अच्छे से बात करने लगी। मैं रोज उसके नाम पर मुठ मरता था।
एक दिन जब वो पढ़ने आई तो रोज की तरह मैं उसकी चूचियाँ घूर रहा था। वो सर नीचे करके पढ़ रही थी। मेरा लण्ड पूरा लोहे की तरह खड़ा था। अचानक उसका पेन नीचे गिर गया, वह मेज के नीचे से पेन उठाने लगी तो मेरा खड़ा लण्ड पैंट में उसे महसूस हुआ, उसने पूछा- सर, यह इतना लम्बा आपकी पैन्ट में क्या है?
मैंने बिना शर्माये बोला- यह मेरा लिंग है।
वो बोली- यह लिंग क्या होता है?
मैंने कहा- हर लड़की और लड़के का लिंग होता है।
वह बोली- मेरा कहाँ पर है मुझे नहीं पता ! आप मुझे दिखायें कि लिंग कैसा होता है।
मैंने कहा- नहीं, यह तुम्हें अपने आप पता चल जायेगा।
वो जिद करने लगी तो मैंने कहा- ठीक है, मैं बताता हूँ।
मैंने उसको अपनी आँखें बन्द करने को कहा और उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया। उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था, उसकी बुर मेरे सामने थी, उस पर हल्के-2 बाल थे। मैंने उसे आँखें खोलने को कहा। उसने अपनी आँखे खोली और हँसने लगी, बोली- यह लिंग होता है। इससे तो पेशाब किया जाता है।
मैंने कहा- यह सिर्फ़ पेशाब करने के लिये नही होता ! औरत बच्चे भी यहीं से पैदा करती है।
वो बोली- इतनी छोटी सी जगह में बच्चा कैसे हो सकता है।
मैं बोला- यह तुम्हें शादी के बाद पता चलेगा।
वो जिद पर अड़ गई कि उसे यह जानना है। उसकी मक्खन जैसी बुर देख कर मेरा भी ईमान डोल गया और मैंने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मस्ती में मेरे होंठों को चूस रही थी। हमारा चूमने का कार्यक्रम करीब 15 मिनट तक चला। फिर मैंने उसकी कमीज उतार दी, अब वो मेरे समने पूरी नंगी खड़ी थी, उसका चेहरा और चूचियाँ लाल थी।
फिर मैंने उसको गोद में उठाया और बेड पर ले गया, मैंने उसकी नंगी चूचियों को खूब मसला, वो मस्ती में सिसकारने लगी। उसके मुँह से आवाजें आने लगी- म्म्म्म्म्म्मम्... आह... ऊऊह ऊ ऊम्म्म ! मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा-चाटा फिर मैं उसकी बुर को चाटने लगा। उसका बुर पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई थी और हल्की गीली थी। मैं उसकी बुर चाटने लगा बहुत मजा आ रहा था। चाट-2 कर मैंने उसे एक बार झाड़ दिया।
फिर उसने बोला- मैंने आज तक किसी लड़के का लिंग नहीं देखा है, आप दिखा दो !
मैंने अपनी पैन्ट उतार दी। मेरा लण्ड देख कर वो बोली- आपका इतना लम्बा है और मेरा एक छोटा सा छेद? ऐसा क्यों?
मैंने कहा- यह लम्बा वाला उस छेद में जायेगा, तभी बच्चा पैदा होगा।
वो बोली- ऐसा नहीं हो सकता ! आप करके दिखा दो !
तो मैंने कहा- पहले तुम इसे चूसो, तभी मैं बताऊँगा !
उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया पर सिर्फ़ लण्ड का आधा हिस्सा ही मुँह में जा सका। वो उसे पूरा मजा ले-ले कर लॉलीपोप की तरह चूस रही थी। मेरा लण्ड पूरा 8" लम्बा हो गया। फिर थोड़ी देर चुसवाने के बाद मैं उसे चोदने की तैयारी करने लगा और उसकी टाँगों को फैला कर अपने लण्ड को बुर में घुसाने की कोशिश करने लगा। वो अभी तक कुंवारी थी और उसकी बुर एकदम बन्द थी। जब भी मैं लण्ड डालता वो फिसल जाता। मैंने फिर दबा कर लण्ड घुसाया इस बार लण्ड का टोपा घुस गया, उसे दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी- सर, मुझे दर्द हो रहा है, इसे बाहर निकालो !
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और सरसों का तेल लाया और अपने लण्ड और थोड़ा सा उसकी बुर पर भी लगाया। फिर मैं अपना लण्ड को दुबारा उसकी बुर में डालने लगा। इस बार लण्ड का टोपा आराम से बुर में चला गया। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और हल्का-2 धक्का लगने लगा पर लण्ड अन्दर जा ही नहीं रहा था, उसकी बुर ही इतनी टाइट थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक जोरदार धक्का लगा दिया। वो चीख पड़ी- मम्म्म्म्मी...ईई...ईई... बहुत दर्द हो रहा है सर... निकालो अपना...
उसकी कुँवारी बुर फट चुकी थी, मैं उसके होंठों को चूसने लगा और थोड़ी देर तक वैसे ही लण्ड को शांत रखा।
वो चुप हो गई और अपने चूतड़ हिलाने लगी। मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर खींच कर एक और करारा धक्का मारा, इस बार मेरा आधा लण्ड बुर में चला गया। वो फिर चिल्लाई और मैं फिर उसके होंठ चूमने लगा। यही प्रक्रिया कई बार चली और मेरा लण्ड उसकी कुंवारी बुर को फाड़ता हुआ अन्दर जड़ तक समा गया और जोर-2 से धक्के लगाने लगा।
कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी चूतड़ हिला-2 कर मेरा साथ देने लगी। उसका चिल्लाना अब सिस्कारियों में बदल गया था। मैं उसे चोदता रहा, वो बोले जा रही थी- आ... आआ... आअह्ह... ऊ...ऊऊ...उईई मम्म्माआआअ... अन्दर तक डालो सर ! और जोर से धक्का लगाओ सर ! फाड़ दो मेरा लिंग ! मुझे बच्चा होना देखना हैऐऐऐअ... म्म्म्म्म ! पूरा कमरा सिस्कारियों और थप-2 चप-2 की आवाज से गूँज रहा था। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-2 से चोदने लगा। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी। मैं भी झड़ने वाला था, 10-15 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसकी बुर फ़ूल गई थी और मेरे रस से भर गई थी।
हम थोड़ी देर बेड पर अपनी साँस ठीक करते रहे, फिर वो उठ कर जाने लगी तो उसने देखा कि बेड की चादर और मेरा लण्ड उसके खून से लाल हो गया है। वो रोने लगी तो मैंने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा होता है।
वो मान गई और अपने घर चली गई। मैंने उसे दवाई लाकर दी और समझाया कि शादी के बाद ही माँ बनना।
उसके बाद मैं रोज उसे चोदने लगा और चुदाई की देवी बना डाला।
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