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जिसे बांधी राखी उसी से चुदाई - Jise bandhi rakhi usi se chudwayi
जिसे बांधी राखी उसी से चुदाई - Jise bandhi rakhi usi se chudwayi , जिसको राखी बांधती थी उसी ने चोदा , बहन को भाई ने चोद दिया , अपने भैया के लंड को चूत गांड बुर में लिया , चुदवाने की चाहत में भाई से चुदवाई, भाई ने चोदा , भाई से चुदी , मुंह बोले भाई से अपनी आबरू चुद्वाती थी.
मेरा कोई सगा भाई नहीं है। इसलिए जब भी राखी या दूज का त्यौहार आता है मैं पड़ोस के एक लडके को राखी बांधती हूँ। उस लडके का नाम विशाल है। वह मेरा दूर के रिश्ते की बुआ का लड़का है। उसकी आयु 24 आयु 17 साल है। विशाल मेरे घर से 7 किलोमीटर दूर सिटी में कम्पूटर की मरम्मत की दुकान है।
साथ ही विशाल वहीं पर विडियो लाइब्रेरी भी चलाता था। अपने साथ उसने एक लड़े को भी काम पर रहा था। जिसका नाम सुनील था। सुनील 27 साल का युवक था। उसका काम ग्राहकों को उनकी पसंद की सीडियां देना था। विशाल का घर दूकान और मेरे घर से बहु दूर था ,इसलिए उसने अपनी दूकान के ऊपर एक कमरा किराये पर ले लिया था। कमरे में लैट बाथ साथ ही थे। जब भी विशाल को समय मिलाता था वह एक दो दिन में मेरे घर जरुर अत था। कई बार मम्मी उस से बाजार से जरूरी सामान मंगवा लेती थी।
छोटी होने के कारण विशाल मुझे बहुत चाहता था ,और जब भी आता था मेरे लिए कोई न कोई चीज जरुर लाता मम्मी भी उसे पसंद कराती थीं ,और उस से हरेक बात में सलाह लेती थीं... विशाल के पिता गुजर गए थे ,और वसीयत में एक मकान छोड़ गए थे ,जो दुकान से दूर था ,उसी में विशाल की माँ रहती था ,विशाल दिन भर दुकान पर रहता था ,सुनील उसके लिए घर से खाना ले आता था। रत को विशाल घर में खाना खाता था।
यह घटना राखी के दिन की है ,हर साल की तरह मैं विशाल को राखी बांधती थी। और उसी के आने का इन्तेजार हो रहा था। विशाल ने मुझे राखी पर एक मोबाइल गिफ्ट देने का वादा किया था। उस दिन रह रह कर बरसात हो रही थी। और रास्तों में पानी भर गया था ,करीब शाम के पांच के करीब विशाल आया और देर के लिए माफ़ी मांगी। फिर मैंने जब उसे राखी बांधी तो ,उसे मोबाइल देने का वादा दिलाया।
खाने के बाद विशाल में कहा मेरे साथ मार्केट चलो ,तुम्हें जैसा मोबाईल चाहिए वैसा दिलवा दूंगा। उस समय शाम के सात बज चुके थे ,तभी जोर की बरसात होने लगी। मेरी मम्मी ने विशाल से कहा तुम अगले दिन मोबाइल खरीद देना। लेकिन मैं उसी दिन की जिद करने लगी। विशाल ने कहा अगर पानी के कारण देर हो गयी तो ? मगर मैंने कहा चाहे कितनी भी देर हो जाये नुझे तो मोबाईल चाहिए। मेरी मम्मी भी बोली बेटा यह बड़ी जिद्दी है।
अगर तू आज मोबाईल नहीं देगा तो यह मेरी जान खाती रहेगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ,भले कुछ देर अधिक भी हो जाये।
विशाल बोला आंटी चिंता मत करो ,अगर बरसात जोर से आने लगेगी तो हम अपनी दुकान के ऊपरी कमरे में रुक जायेंगे। क्योंकि वह में सिटी में है। वहीँ नए नए तरह के मोबाइल मिलते है।
यह सुनते ही मैं विशाल की बाइक पर बैठ गयी और जाते जाते विशाल ने ममी से कहा आंटी आप चिंता नहीं करो। मैं आपको फोन कर दिया करूँगा।
उस समय थोड़ी बून्दाबून्दी हो ताहि थी ,हमने काफी घुमानेके बाद एक मोबाईल पसंद कर लिया। लेकिन जैसे ही हम दुकान से बहार निकले तो मुसलाधार बरसात होने लगी। साथ में ठंडी हवाएं भी चलने लगी विशाल ने मेरी मम्मी को बता दिया कि हम बाजार में हैं ,हमें देर हो सकती है ,विशाल का कमरा थोड़ी दूर ही था ,उसने कहा कि बरसात रुकने तक मैं उसके कमरे में रुक सकती हूँ ,क्यों वहां कोई नहीं होगा ,कमरे की एक चाभी विशाल के पास थी। दूसरी उसने अपने नौकर को दे रखी थी।
कमरे के आने तक हम पूरी तरह भीग चुके थे। मिझे सर्दी लग रही थी। मैं काँप रही थी। लेकिन उस कमरे में मेरे लिए दूसरा कपड़ा नहीं था ,विशाल ने मुझे अपना कुरता दे दिया ,मैं निचे से नंगी थी।
विशाल के कमरे में सिर्फ एक तौलिया और लुंगी थी। जब वह गिले कपडे बदने लगा तो उसकी तौलिया निचे गिर गयी और उसका लम्बा मोटा ,गोरा ,प्यारा लंड मैंने देख लिया। शायद उसने जानबूझ कर ऐसा किया होगा।
मैं दो तीन बार मोहल्ले के लड़कों से चुदवा चुकी थी। तब से मुझे लंड लेने की इच्छा होती रहती थी। मैं चाहती थी कि कोई लम्बा लंड वाला मेरी चूत की जमकर चुदाई करे और मेरी चूत की प्यास बुझादे…
विशाल का लंड मुझे अच्छा लगा ,10 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। मेरी चूत भर जाने पर भी लंड बचा रहता
जब से मैंने विशाल का मस्ताना लंड देखा देखा सर्दी होने बावजूद मेरी चूत में वासना की आग भड़क रही थी ,मैं सोच रही थी की ,किसी न किसी तरकीब से विशाल का लंड लिया जाये ,मैंने विशाल से कहा मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे सर्दी होने वाली है। तुम्हारे कमरे में गैस भी नहीं है ,वर्ना चाय बन सकती थी।
विशाल ने कहा मैं तो नीचे से किसी दुकान से चाय मंगवा लेता हूँ। अगर कोई दुकान खुली हो ,मरे पास तो सिर्फ एक बोतल ब्रांडी है। मुझे जब भी सर्दी हो जाती है ,मैं एक दो पैग ले लेता हूँ। मैं नौकर सुनील को फोन करता हूँ वह चाय का इंतजाम कर देगा ,अगत तुम चाहो तबतक तुम भी एक पैग ले सकती हो। मैं खुश होकर बोली अगर तुम खुद अपने हाथों से पिलाओगे ,तो मैं पी लूंगी।
मेरा काम हो गया, मेरी चूत लुप लुपहोने लगी। मैंने फ़ौरन एक कि जगह तिन पैग ले लिए और कहा मेरी सर्दी जल्दी जाने वाली नहीं है ,मुझे और गर्मी चाहिए। विशाल में मुझे अपने पास बिठाया और कहा लो तुम मुझ से सट कर बैठ जाओ ,शायद मेरे शारीर से तुम्हे कुछ गर्मी मिल जाए। बातें करते वक्त विशाल मेरे शारीर पर हाथ फेरने लगा। उसका लंड लुंगी में उछलने लगा था और मेरी चूत से रस रिसने लगा था। विशाल ने मुहे अपने बिलकुल पास लिटा लिया। और अपनी टाँगें मेरी टांगों में फसा लीं। मेरी चूचियां एकदम कड़क हो गयीं। विशाल कि सांसें मेरी सांसों से मिल रही थीं।
तभी विशाल का नौकर सुनील अचानक कमरे में अगया ,हम दरवाजा बंद करना भूल हाय थे ,हमें ऐसी हालत में देखकर सुनील पहले तो चौंका और बोला यार मॉल तो मस्त लाये हो ,क्या अकेले ही मजा लेने का प्लान था। विशाल ने कहा यह मेरी मुंहबोली बहिन है। सुनील बोला इस से कोई फर्क नहीं होता। यह तेरी सगी बहिन तो नहीं है ,तुझ्र यह कहावत पता नहीं ?
“लंड न देखे दिन या रात,छूत ने देखे रिश्ता नात”यार जब लंड टायर हो ,छुट गर्म हो। तो सरे रश्ते नाते भूलकर चुदाई का मजा लेना चाहिए ,ऐसे में अगर मेरी सगी बहिन भी होती तो ,मैं उसे चोदे बिना नहीं छोड़ता। यार चूत का अपमान नहीं करना चाहिए।
सुनील में मुझ से कहा ,आप ही बताइए क्या मैंने कोई गलत बात कही है .? ब्रांडी के नशे में ,या चुदवाने की इच्छा में मैंने हाहा तुम सच कह रहे हो। कुदरत ने सर्फ मर्द और स्त्री ही बनाये हैं ,रिश्ते तो लोगों ने बनादिये हैं।
विशाल ने कहा इसला मतलब ,तुम चुवाने को राजी हो। सुनील भी बोल पड़ा मैंने यह ज्ञान दिया है ,मेरा भी कुछ हक़ बनता है। इस लड़की को एक साथ दो दो लंड का मजा मिलेगा। यह भी याद करेगी कि चुदाई क्या होती है। विशाल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम तय्यार हो ?मैंने अपना सर हिला कर हाँ का इशारा कर दिया।
सुनील फ़ौरन नंगा हो गया ,उसका लंड भी दस इंच से कम नहींथा ,और कड़क होकर ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे लंड का गुलाबी गुलाबी सुपरा बहुत प्यारे लग रहे थे ,और उनको चूसने कि इच्छा नहीं रोक पा रही थी
तभी सुनील ने विशाल हे कहा आओ अज पिंकी को दो दो लंड का मजा इ दें ,यह भी याद करेगी।
अगर यह ऐसा मजा ले लेगी तो हमें खुद चोदने के लिए रोज बुलाया करेगी। विशाल ने कहा पिंकी आओ ,तुम मेरे खड़े लंड पर इस तरह चढ़ जाओ ,जिस से लंड फक से चूत में समां जाए। तुम चुद चुकी हो ,तुम्हे दर्द नहीं होगा। जिस समय में विशाल का लंड लेने के लिए लंड पर सवार होने लगी तो मेरी गंद सुनील के सामने आगई। उसने फ़ौरन अपना लंड मेरी गंद में घुसा दिया। लंड गांड में रास्ता बनाते हुए अन्दर समां गया। मेरी चीख निकने ही वाली थी लेकिन मने उसे रोक लिया। मजा लेने के लिए दर्द सहना ही पड़ता है ,वर्ना मजा कैसे आयेगा।
फिर दौनों के लंड अपना कम करने लगे ,मई स्वर्ग के मजे ले रही थी मेरी चूत से चिकना रस रिस रहा था ,लेकिन गांड लाल हो रही थी।
उस दिन दो घंटे तक मैं दोनो छेदों में दो दो लंड के मजे ले रही थी। थोडा सी ब्रांडी पीकर यही कम दुहराया गया ,दोनो झड गए ,मैंने उनके लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। और वादा किया कि जब भी मैं रिंग करूँ तो सब कम छोड़कर मेरी चूत कि सा सर्दी निकल दिया करो।
आज भी मैं चुप कर दोनो से लंड ले रही हूँ ,मेरी गांड इतनी पोली हो गयी है कि गांड मरवाने में कोई तकलीफ नहीं होती ,बल्कि मजा आता है।
अगर आप चाहे तोआप भी मेरे साथ मजा ले सकते हैं आखिर छूट और गांड किस लिए होते है ?
जो लड़कियाँ दो दो लंड लेती हैं ,वह जवान बनी रहती हैं गांड मरवा कर देखो!
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मेरा कोई सगा भाई नहीं है। इसलिए जब भी राखी या दूज का त्यौहार आता है मैं पड़ोस के एक लडके को राखी बांधती हूँ। उस लडके का नाम विशाल है। वह मेरा दूर के रिश्ते की बुआ का लड़का है। उसकी आयु 24 आयु 17 साल है। विशाल मेरे घर से 7 किलोमीटर दूर सिटी में कम्पूटर की मरम्मत की दुकान है।
साथ ही विशाल वहीं पर विडियो लाइब्रेरी भी चलाता था। अपने साथ उसने एक लड़े को भी काम पर रहा था। जिसका नाम सुनील था। सुनील 27 साल का युवक था। उसका काम ग्राहकों को उनकी पसंद की सीडियां देना था। विशाल का घर दूकान और मेरे घर से बहु दूर था ,इसलिए उसने अपनी दूकान के ऊपर एक कमरा किराये पर ले लिया था। कमरे में लैट बाथ साथ ही थे। जब भी विशाल को समय मिलाता था वह एक दो दिन में मेरे घर जरुर अत था। कई बार मम्मी उस से बाजार से जरूरी सामान मंगवा लेती थी।
छोटी होने के कारण विशाल मुझे बहुत चाहता था ,और जब भी आता था मेरे लिए कोई न कोई चीज जरुर लाता मम्मी भी उसे पसंद कराती थीं ,और उस से हरेक बात में सलाह लेती थीं... विशाल के पिता गुजर गए थे ,और वसीयत में एक मकान छोड़ गए थे ,जो दुकान से दूर था ,उसी में विशाल की माँ रहती था ,विशाल दिन भर दुकान पर रहता था ,सुनील उसके लिए घर से खाना ले आता था। रत को विशाल घर में खाना खाता था।
यह घटना राखी के दिन की है ,हर साल की तरह मैं विशाल को राखी बांधती थी। और उसी के आने का इन्तेजार हो रहा था। विशाल ने मुझे राखी पर एक मोबाइल गिफ्ट देने का वादा किया था। उस दिन रह रह कर बरसात हो रही थी। और रास्तों में पानी भर गया था ,करीब शाम के पांच के करीब विशाल आया और देर के लिए माफ़ी मांगी। फिर मैंने जब उसे राखी बांधी तो ,उसे मोबाइल देने का वादा दिलाया।
खाने के बाद विशाल में कहा मेरे साथ मार्केट चलो ,तुम्हें जैसा मोबाईल चाहिए वैसा दिलवा दूंगा। उस समय शाम के सात बज चुके थे ,तभी जोर की बरसात होने लगी। मेरी मम्मी ने विशाल से कहा तुम अगले दिन मोबाइल खरीद देना। लेकिन मैं उसी दिन की जिद करने लगी। विशाल ने कहा अगर पानी के कारण देर हो गयी तो ? मगर मैंने कहा चाहे कितनी भी देर हो जाये नुझे तो मोबाईल चाहिए। मेरी मम्मी भी बोली बेटा यह बड़ी जिद्दी है।
अगर तू आज मोबाईल नहीं देगा तो यह मेरी जान खाती रहेगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ,भले कुछ देर अधिक भी हो जाये।
विशाल बोला आंटी चिंता मत करो ,अगर बरसात जोर से आने लगेगी तो हम अपनी दुकान के ऊपरी कमरे में रुक जायेंगे। क्योंकि वह में सिटी में है। वहीँ नए नए तरह के मोबाइल मिलते है।
यह सुनते ही मैं विशाल की बाइक पर बैठ गयी और जाते जाते विशाल ने ममी से कहा आंटी आप चिंता नहीं करो। मैं आपको फोन कर दिया करूँगा।
उस समय थोड़ी बून्दाबून्दी हो ताहि थी ,हमने काफी घुमानेके बाद एक मोबाईल पसंद कर लिया। लेकिन जैसे ही हम दुकान से बहार निकले तो मुसलाधार बरसात होने लगी। साथ में ठंडी हवाएं भी चलने लगी विशाल ने मेरी मम्मी को बता दिया कि हम बाजार में हैं ,हमें देर हो सकती है ,विशाल का कमरा थोड़ी दूर ही था ,उसने कहा कि बरसात रुकने तक मैं उसके कमरे में रुक सकती हूँ ,क्यों वहां कोई नहीं होगा ,कमरे की एक चाभी विशाल के पास थी। दूसरी उसने अपने नौकर को दे रखी थी।
कमरे के आने तक हम पूरी तरह भीग चुके थे। मिझे सर्दी लग रही थी। मैं काँप रही थी। लेकिन उस कमरे में मेरे लिए दूसरा कपड़ा नहीं था ,विशाल ने मुझे अपना कुरता दे दिया ,मैं निचे से नंगी थी।
विशाल के कमरे में सिर्फ एक तौलिया और लुंगी थी। जब वह गिले कपडे बदने लगा तो उसकी तौलिया निचे गिर गयी और उसका लम्बा मोटा ,गोरा ,प्यारा लंड मैंने देख लिया। शायद उसने जानबूझ कर ऐसा किया होगा।
मैं दो तीन बार मोहल्ले के लड़कों से चुदवा चुकी थी। तब से मुझे लंड लेने की इच्छा होती रहती थी। मैं चाहती थी कि कोई लम्बा लंड वाला मेरी चूत की जमकर चुदाई करे और मेरी चूत की प्यास बुझादे…
विशाल का लंड मुझे अच्छा लगा ,10 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। मेरी चूत भर जाने पर भी लंड बचा रहता
जब से मैंने विशाल का मस्ताना लंड देखा देखा सर्दी होने बावजूद मेरी चूत में वासना की आग भड़क रही थी ,मैं सोच रही थी की ,किसी न किसी तरकीब से विशाल का लंड लिया जाये ,मैंने विशाल से कहा मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे सर्दी होने वाली है। तुम्हारे कमरे में गैस भी नहीं है ,वर्ना चाय बन सकती थी।
विशाल ने कहा मैं तो नीचे से किसी दुकान से चाय मंगवा लेता हूँ। अगर कोई दुकान खुली हो ,मरे पास तो सिर्फ एक बोतल ब्रांडी है। मुझे जब भी सर्दी हो जाती है ,मैं एक दो पैग ले लेता हूँ। मैं नौकर सुनील को फोन करता हूँ वह चाय का इंतजाम कर देगा ,अगत तुम चाहो तबतक तुम भी एक पैग ले सकती हो। मैं खुश होकर बोली अगर तुम खुद अपने हाथों से पिलाओगे ,तो मैं पी लूंगी।
मेरा काम हो गया, मेरी चूत लुप लुपहोने लगी। मैंने फ़ौरन एक कि जगह तिन पैग ले लिए और कहा मेरी सर्दी जल्दी जाने वाली नहीं है ,मुझे और गर्मी चाहिए। विशाल में मुझे अपने पास बिठाया और कहा लो तुम मुझ से सट कर बैठ जाओ ,शायद मेरे शारीर से तुम्हे कुछ गर्मी मिल जाए। बातें करते वक्त विशाल मेरे शारीर पर हाथ फेरने लगा। उसका लंड लुंगी में उछलने लगा था और मेरी चूत से रस रिसने लगा था। विशाल ने मुहे अपने बिलकुल पास लिटा लिया। और अपनी टाँगें मेरी टांगों में फसा लीं। मेरी चूचियां एकदम कड़क हो गयीं। विशाल कि सांसें मेरी सांसों से मिल रही थीं।
तभी विशाल का नौकर सुनील अचानक कमरे में अगया ,हम दरवाजा बंद करना भूल हाय थे ,हमें ऐसी हालत में देखकर सुनील पहले तो चौंका और बोला यार मॉल तो मस्त लाये हो ,क्या अकेले ही मजा लेने का प्लान था। विशाल ने कहा यह मेरी मुंहबोली बहिन है। सुनील बोला इस से कोई फर्क नहीं होता। यह तेरी सगी बहिन तो नहीं है ,तुझ्र यह कहावत पता नहीं ?
“लंड न देखे दिन या रात,छूत ने देखे रिश्ता नात”यार जब लंड टायर हो ,छुट गर्म हो। तो सरे रश्ते नाते भूलकर चुदाई का मजा लेना चाहिए ,ऐसे में अगर मेरी सगी बहिन भी होती तो ,मैं उसे चोदे बिना नहीं छोड़ता। यार चूत का अपमान नहीं करना चाहिए।
सुनील में मुझ से कहा ,आप ही बताइए क्या मैंने कोई गलत बात कही है .? ब्रांडी के नशे में ,या चुदवाने की इच्छा में मैंने हाहा तुम सच कह रहे हो। कुदरत ने सर्फ मर्द और स्त्री ही बनाये हैं ,रिश्ते तो लोगों ने बनादिये हैं।
विशाल ने कहा इसला मतलब ,तुम चुवाने को राजी हो। सुनील भी बोल पड़ा मैंने यह ज्ञान दिया है ,मेरा भी कुछ हक़ बनता है। इस लड़की को एक साथ दो दो लंड का मजा मिलेगा। यह भी याद करेगी कि चुदाई क्या होती है। विशाल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम तय्यार हो ?मैंने अपना सर हिला कर हाँ का इशारा कर दिया।
सुनील फ़ौरन नंगा हो गया ,उसका लंड भी दस इंच से कम नहींथा ,और कड़क होकर ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे लंड का गुलाबी गुलाबी सुपरा बहुत प्यारे लग रहे थे ,और उनको चूसने कि इच्छा नहीं रोक पा रही थी
तभी सुनील ने विशाल हे कहा आओ अज पिंकी को दो दो लंड का मजा इ दें ,यह भी याद करेगी।
अगर यह ऐसा मजा ले लेगी तो हमें खुद चोदने के लिए रोज बुलाया करेगी। विशाल ने कहा पिंकी आओ ,तुम मेरे खड़े लंड पर इस तरह चढ़ जाओ ,जिस से लंड फक से चूत में समां जाए। तुम चुद चुकी हो ,तुम्हे दर्द नहीं होगा। जिस समय में विशाल का लंड लेने के लिए लंड पर सवार होने लगी तो मेरी गंद सुनील के सामने आगई। उसने फ़ौरन अपना लंड मेरी गंद में घुसा दिया। लंड गांड में रास्ता बनाते हुए अन्दर समां गया। मेरी चीख निकने ही वाली थी लेकिन मने उसे रोक लिया। मजा लेने के लिए दर्द सहना ही पड़ता है ,वर्ना मजा कैसे आयेगा।
फिर दौनों के लंड अपना कम करने लगे ,मई स्वर्ग के मजे ले रही थी मेरी चूत से चिकना रस रिस रहा था ,लेकिन गांड लाल हो रही थी।
उस दिन दो घंटे तक मैं दोनो छेदों में दो दो लंड के मजे ले रही थी। थोडा सी ब्रांडी पीकर यही कम दुहराया गया ,दोनो झड गए ,मैंने उनके लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। और वादा किया कि जब भी मैं रिंग करूँ तो सब कम छोड़कर मेरी चूत कि सा सर्दी निकल दिया करो।
आज भी मैं चुप कर दोनो से लंड ले रही हूँ ,मेरी गांड इतनी पोली हो गयी है कि गांड मरवाने में कोई तकलीफ नहीं होती ,बल्कि मजा आता है।
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