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भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya
भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya , साले की बीवी की चुदाई , साले की पत्नी को चोदा , चुदवाने आई थी , चुद कर गई , चुदवाने में तेज चुदवाती है रोज़.
अमिता मेरे बड़े साले की बीवी यानि मेरी सलहज है, दो बच्चों की माँ है, मुझसे करीब आठ साल बड़ी यानि कि 38 साल की लेकिन उसे देखकर लगता है कि उसकी उम्र 30 की होगी।
गोरा रंग, 34-30-36 का बदन, उसके बाल लम्बे हैं और कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो चूतड़ मटकाती हुई चलती है तो आग सी लग जाती है।
मुझे उसकी नज़रों से लगता था कि मेरी तरफ़ उसका कुछ झुकाव है।
मेरे सामने उसकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी व्यस्क चुटकले भी!
लेकिन उसने कभी भी अपनी सीमा नहीं लांघी थी और उसकी यही अदा मुझे उसकी तरफ खींचती थी।
उससे मिल कर आने के बाद मैं बेचैन हो जाता था और उस दिन सुरेखा (मेरी बीवी) को बुरी तरह चोदता था।
वो भी कहती थी ‘आज क्या हो गया है.. उफ़ मार डालोगे क्या..?’
वो बेचारी वैसे ही मेरे मोटे लंड से खौफ खाती थी, पहली रात की चुदाई के बाद ही उसने मुझसे वादा लिया था कि मैं उसके साथ आहिस्ता और सलीके से सेक्स करूँ।
बेचारी को क्या मालूम कि मैं उसे नहीं अमिता भाभी को चोद रहा हूँ।
मैं उन्हें भाभी कहता हूँ।
और अमिता भाभी को तो ऐसे ही चोदना होगा… तभी मजा आयेगा… मैं दिन-रात उस मौक़े की तलाश में रहता था…
और एक दिन वो मौका आ ही गया!
हुआ यों की मेरी बीवी और उसके भाई यानि अमिता भाभी के पति को अपने किसी प्रॉपर्टी के सिलसिले में अपने पुश्तैनी गाँव में जाना था, मुझे भी उन्होंने चलने के लिये कहा लेकिन मुझे ऑफ़िस में कुछ जरूरी काम था।
मैं उन्हें सुबह स्टेशन पर छोड़ने गया.. तब भाई साब ने कहा- अमिता अकेली है और बच्चे भी नाना के यहाँ गए हैं एक महीने के लिये, तुम शाम को एक फ़ोन कर लेना घर पर या फ़िर घर जाकर आना।
मैंने कहा- जी ठीक है!
और मैं वहीं से ऑफ़िस चला गया।
शाम को लौटने में देर हो गई, करीब सात बज चुके थे, अचानक सेल पर मेरी बीवी का फ़ोन आया- अरे भाभी का फ़ोन नहीं लग रहा.. तुमसे कोई बात हुई क्या?
मैंने कहा- नहीं!
‘प्लीज़ जरा उनके घर जाकर आओ!’
मैंने कहा- ठीक है..
लेकिन अचानक मेरे दिमाग में घंटी बजी, ‘यह गोल्डन चांस है, आज उसे उत्तेजित करो और मौका मिले तो… काम कर लो।’
मैंने घर आकर टीशर्ट और जींस पहने, एक अच्छा वाला सेंट स्प्रे किया और कार लेकर चल पड़ा उनके घर।
उनका घर दोमंजिला है। मैं वहाँ पहुँचा तो आवाज़ दी- भाभी…!!
कोई उत्तर नहीं आया।
फ़िर दरवाज़ा खटखटाया, तब हल्की आवाज़ आई- तुम रुको, मैं आती हूँ।
थोड़ी देर में दरवाजा खुला.. उफ़्फ़… भाभी के बाल थोड़े बिखरे हुये उनके चेहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नहीं.. क्या मस्त चूचियाँ हैं… मेरी बीवी की इनके सामने कुछ भी नहीं…
‘आओ!’
‘भाभी, आपका फ़ोन बंद है क्या?’
‘मालूम नहीं, वैसे बहुत देर से किसी का फ़ोन आया नहीं!’
मैं फ़ोन का रीसिवर उठाया.. ‘ओह भाभी, यह तो बंद है।’
मैंने अपने सेल पर सुरेखा का फ़ोन लगाया- हाँ सुरेखा, भाभी का फ़ोन बंद है.. लो भाभी से बात करो।
उन दोनों ने कुछ बात की फ़िर भाभी ने कहा- तुम थोड़ा बैठो, मैं ऊपर स्टोर में से कुछ समान और बिस्तर निकाल रही हूँ। अभी और भी थोड़ा काम है, फ़िर चाय बनाती हूँ..
मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा।
उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- लगता है सुरेखा की बहुत याद आ रही है?
और एक सेक्सी मुस्कान मेरी ओर फ़ेंक दी।
मैं तो तड़प गया, फ़िर वो अपने सेक्सी कूल्हे मटकाते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी और कहा- तब तक तुम टीवी देखो!
मैं अपने को रोक नहीं सका और 5 मिनट बाद मैं भी सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर पहुँचा, वहाँ भाभी की पीठ मेरी तरफ थी और वो बेड को ठीक कर रही थी।
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘प्यार! अभी आपने कहा ना कि सुरेखा को मिस कर रहे हो? मैं उसे नहीं आपको मिस करता हूँ भाभी!’
‘बदमाशी मत करो!’
पर मैंने अपने लंड को उनके चूतड़ों पर दबाया.. जो अब थोड़ा कड़क हो रहा था.. वहाँ लगते ही उसकी आकार बढ़ने लगा।
वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी.. मेरा हाथ उनकी चूचियों पर पहुँच गया.. मैंने उनके गर्दन पर पीछे चूम लिया।
‘अखिलेश…!!! प्लीज़… यह गलत है!’
‘क्या गलत है भाभी?’
‘मैं सुरेखा की भाभी हूँ!’
‘तो क्या हुआ.. आप इतनी हसीं हो कि मेरा दिल मचल गया है आपके लिये!’
मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ और जोर से दबाई।
‘नहींई कर…ओ… आआह्ह धीईरे…’
मेरा लौड़ा पूरा अकड़ कर उनके चूतड़ों में जैसे घुसा जा रहा था।
अमिता बोल रही थी- नहीं…ई…ई…
मैंने हाथों से उनकी चूची और जोर से दबाई।
‘आआह्ह… ह्ह्ह… धीरे…’
यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी चुदवाना तो चाहती हैं लेकिन नखरे कर रही हैं।
मेरा लंड पूरा खड़ा होकर उनकी गांड में घुसा जा रहा था।
अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी, मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया, मैंने उसे जोर से खींचा, वो टूट गया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘आप प्यार से नहीं करने दे रही हैं।’
‘क्या नहीं करने दे रही हूँ??’
और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंठ चिपका दिये।
पहले तो वो मुँह इधर उधर करने लगी.. फ़िर थोड़ी देर बाद मेर होंठों को जगह मिल गई…
वो लम्बा चुम्बन.. गीला… ऊओह.. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा, उन्हें और अब उनके चूतड़ जोर से पकड़ कर खींचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..
फ़िर एक बोसा…
इस बार कूल्हे दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया।
मैंने भाभी के शर्ट को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया।
‘क्या कर रहे हैं आप?’
‘प्यार भाभी!’
मैंने अपना कुरता भी अब उतारा…
वो जाना चाहती थी लेकिन कमीज़ निकल गई, वो ऊपर पूरी नंगी थी, जाली वाली ब्रा थी और उसमें से उनके अंगूर जैसे काले निप्पल दिख रहे थे।
मैंने देर नहीं की, झपट कर उन्हें पकड़ लिया और निप्पल पर मुँह लगाया।
‘आआह्ह हा… मैं तुमसे बड़ी हूँऊ.. ये मत करो..; लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया।
मैंने पीछे हाथ किये और ब्रा का हुक तोड़ दिया, बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ बाहर मेरे हाथो में आ गई.. जोर से दबाया।
‘ऊऊफ़्फ़्फ़ फ्फ धीईरेएए… इतने ज़ोर से मत दबाओ…’
मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।
‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’
लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…
चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।
‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।
मेरी पैंट आधी खुली थी.. मैंने पूरी खोली, उसे वहीं फेंका और अंडरवीयर में उनके पीछे भागा, वो अपने बेडरूम में घुस गई, दरवाजा बंद दिया… मैं दरवाजे के पास गया और हल्के से धकेला… दरवाजा खुल गया।
भाभी वैसी ही बेड पर उलटी लेटी हुई थी.. मैं समझ गया, मैं उनके पीछे गया, मैंने अपना अंडरवीयर भी निकाल दिया.. मेरा काला मूसल जैसा 7″ का लंड छिटक कर बाहर आ गया, मैंने पीछे से उनके बदन पर लण्ड छुआया।
वो चौंक कर पलटी- आआह्… ओह… मुझे क्यों परेशान कर रहे हो.. और यह क्या… हाय अल्ल्लाआह्ह्ह इतना बड़ा और मोटा… बाप रे… सुरेखा तो रोती होगी?
‘उसकी बात छोड़ दो भाभी!’ लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।
मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया।
अब मेरा लंड उनके पेट के पास था, मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलन शुरू की और उनके होंठ चूमने लगा।
इस बार वो सिर्फ ‘आआह नहीं.. ऊऊओह्ह अखिलेश मत करो..’ बोल रही थी लेकिन साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी, मेरे लंड का प्री-कम उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था।
मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना…
और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया..
उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया।
‘आआआह भाभी… प्यार से सहलाओ!’
‘क्या प्यार से इतना मोटा?’ भाभी पुरानी खिलाड़ी थी लेकिन फ़िर भी कहा- तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है… तुम आज मुझे बर्बाद कर के छोड़ोगे!
मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा।
भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा।
मैंने अब सीधे उनके पैर फैला दिये, अपना मुँह उनके पैरों के बीच रखा और चूमा।
‘आआआअ अह्ह्हह… कितने गंदे हो.. वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो?’
‘भाभी, अभी आप कुछ मत कहो!’
‘तुम भाभी भाभी कहते हो, कहते हो ‘इज्जत करता हूँ!’ यह इज्जत का तरीका है? ..उईईई ईईइ…’
मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल घुमाने लगा।
‘आआह्ह ह्ह्ह… अखिलेश… मैं पागल हो रही हूँ… मत करओ… प्लीज.. मैं तुम्हारी भाभी हूँऊ…’
लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उसके अंदर का नमकीन पानी ही याद था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया..
भाभी अपने चूतड़ उछालने लगी थी- अखिलेश… हरामीई ये क्या कर रह है… ईआआअह!
भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है, यह मैं समझ गया।
अब मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली।
फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया.. मैंने पोजीशन बदली और उन्हें उठाया, किनारे पर मैं बैठ गया और उनसे कहा- नीचे आओ!
‘क्यों?’
‘आओ तो!’
वो नीचे आई मैंने उन्हें घुटनों पर बिठाया, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था, वो तो तड़प रही थी, फ़िर भी उठ कर जाने लगी।
मैंने जबरदस्ती बिठाया और लंड को उनके गालों पर रगड़ा, फ़िर होंठों पर रख कर कहा- इसे किस करो !
वो मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होंठों पर रगड़ा।
चाहती तो वो भी थी…
पहले थोड़ा चाटा, जीभ से फ़िर होंठों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया।
मैंने देखा उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है..
मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- ले साली… बहुत दिनों से तडपा रही है… अपनी चूची और चूतड़ दिखा दिखा के..
अब उन्होंने चूसना शुरू किया मैं तो जन्नत में पहुँच गया था.. ‘ऊओह्ह भाभीईईई… मज़ा आ रहा है…!
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में सूजन आ रही है, मेरा हो जाएगा, मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया।
पैर नीचे लटक रहे थे, पैरों को उठाया।
‘नहीं प्लीज़… अभी मैं सेफ नहीं हूँऊ.. मेरे ठहर सकता है.. नहीईई…’
मैंने कहा- फ़िक्र मत करो, मैं बाहर निकाल लूँगा।
और पैरों को फैलाया, अपने कंधे पर रखा, लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया- भाभी, कैसा लग रह है?
‘हरामजादे अपने लंड को मेरी चूत पे लगा के भाभी कह रहा है…? अब जल्दी कर जो करना है।’
यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पे धीरे धीरे रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता हुआ देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था!!
फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !!
वो बोली- मादरचोद… और कितना तड़पायेगा?
मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया।
भाभी तड़प उठी- ऊऊओह्ह ह्ह्ह मर गई मादरचोद निकाल… निकाआल… बहुत मोटा है.. अह… मैं मर जाऊँगीई!मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया।
भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ?
मैंने कहा- आपने कहा ‘निकाल!’ इसलिए निकाल लिया।
‘हरामी, क्यों तड़पा रहा है… अब जो करना है कर…’
मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा।
भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आआअ आआह्ह ह्ह्ह मार डालाआअ रे हरामीईईई… ये आदमी का है या घोड़े का, सुरेखा की क्या हालत करते हो, ऊऊफ़्फ़्फ़ पूरी भर गई मेरी…
मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा, निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा नॉर्मल हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा…
मैंने आधा लंड बाहर निकाल के इस बार तूफानी शॉट मारा और बिल्कुल धोनी के सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी के चूत में पेल दिया।
‘आआआअ… उईईईइ ईईईई माआआआ… किस मनहूस घड़ी में मैं तुम्हारे हाथ लग गईईईई…!’
मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने धोनी की स्टाइल बैटिंग शुरू की।
वो उफ़ उफ्फ्फ आआह अह्ह्ह कर रही थी, चूत से पानी की धार बहने लग गई।
उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी।
मेरी स्पीड जोर की थी, भाभी के मुँह से निकला- वाह मेरे शेर !!! वाह… आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गईईइ… ऊऊह ऊओह्ह मेरा होने वालाआ हैईई ! और ज़ोर सेईई…
मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रह था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे।
‘फाड़ दे… मेरी फाड़ दीईईईए… आआ आआह्ह्ह!’
उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी।
करीब दो मिनट उनका ओर्गैस्म चालू था।
इधर मेरा भी होने वाला था। उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ।
‘मेरे अंदर डाल दो दओ.. आआह्ह !’
‘लो भाभी… ये लओ !’
और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।
दोनों ने एक दूसरे को कस के पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे।
उन्होंने फ़िर मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..?
और मुझे धकेला।
मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी के और मेरे पानी से लिपटा हुआ था।
उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो कैसे मासूम लग रहा है..!!
उन्होंने नीचे देखा, चूत फ़ूल गई थी।
उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो क्या हालत की तुमने… छोटी सी थी.. कितना सूज गई है और कितना दर्द हो रहा है…
उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बाहर टपक रह था, चूत का मुँह भी खुल गया था… वो उठ भी नहीं पा रही थी।
एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी..
इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यः उन्होंने सोचा भी नहीं था लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन इतने सालों बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा..
सबसे बड़ी बात.. मुझे पता था कि भाभी को मोटे और लंबे लंड से ज्यादा मजा आयेगा और वो मेरे पास है…
लेकिन मेरी बीवी मुझसे इस तरह चोदने नहीं देती, रोने लगती है और मुझे चुदाई में रहम से नफ़रत है…
खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था..
और भाभी की चूत भी मुँह खोले ‘O’ की आकृति की हो गई थी.. पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजू में था।
मैंने देखा कि भाभी ठीक से उठ नहीं पा रही हैं… मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर उठाया.. मैंने देखा भाभी की कांख में बाल है.. और चूत पर भी बाल बढ़े हुए थे..
किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया।
मैं- भाभी, आप कांख के बाल क्यों साफ नहीं करती?
भाभी- नहीं, क्यों?
मैं- किया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो!
भाभी- वहाँ शेव कैसे करूँ… डर लगता है, कट जाएगा तो?
मैं- शेविंग का सामान दो मुझे..
भाभी- क्यों?
मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ!
मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था।
उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे।
भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हूँ।
मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा।
भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह…
मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होंने मेरा सिर जोर से दबा लिया.. मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था… वो अपनी चूत उसके साथ सटा रही थी- आआ ह्ह्ह… मत करो नाआह…
मैं- क्या मत करो?
भाभी- बहोत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब किया?
मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत का पानी अब भाभी की जांघों पर बह रहा था.. भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी।
मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिए…
मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा।
भाभी- आआअह्ह ह्ह हरामीईई धीरे कर ना.. अपनी बीवी की चूत समझी है क्या?
मैं- बीवी की नहीं, मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है यह तो !
भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आआअह्ह ह्ह…
उन्होंने हाथ लगा कर देखा- अभी तो इतना बाहर है.. हईईइ अल्लाह मैं तो मर जाऊँगी।
मैं- आपको दर्द हो रहा है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ?
मैंने तड़पाने के लिए कहा।
भाभी- अरे.. अब इतना डाल के बाहर निकालेगा…
और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया- कितना मोटा है!
मैं अब क़मर हिला कर आगे पीछे कर रहा था।
भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पुरा लंड अंदर!
‘मर्र गईई रे ! आप सच में मर्द हो… आज मुझे पता लगा कि असली मर्द क्या होता है… आई लव यू.. मेरे राजा… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ… फाड़ दो मेरीईइ…
मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल को काटते हुए- क्या फाड़ दूँ भाभी?
भाभी- जो फोड़ रहे हो…
मैं- उसका नाम बोलो?
भाभी- अपना काम करो!
मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास!
भाभी- क्या?
मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर- ये वाली फाड़नी है।
भाभी- आआह्ह्ह हह नहींईई वो नईइ.. वो तो मैंने उनको भी नहीं दी!
मैं- तो क्या हुआ.. मुझे तो पसंद है।
भाभी- नहीं नहीं..
मेरे धक्के चालू थे, मैंने देखा कि भाभी का बदन अकड़ने लगा है, वो पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काट रही हैं… नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा रही हैं- यह क्या किया.. आआह्ह मैं गयईईइ मेरा हो गया ओऊओह्ह अब नहीईईइ आआआह हाह!
और भाभी की चूत का पानी धार निकलने लगी, मैं गिरने लगा.. मैं रूक गया.. वो एकदम हल्की हो गई थी।
मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया, उसमें पानी और साबुन भरने लगा..
मैंने देखा उनकी चूत पर भी बाल हैं, सोचा अगर इसे भी चिकनी कर लूँ तो..
मैंने उन्हें वहीं लिटा दिया..
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- तुम्हारे खजाने को और खूबसूरत बाना रहा हूँ जान!
भाभी- क्या कहा.. जान.. फ़िर से कहो ..आह्ह मैं तुम्हारी जान..? लो कर लो साफ इसे भी!
मैंने चूत पर भी साबुन लगाया और उसे साफ करने लगा।
जब चूत पूरी साफ हो गई तो उसे मैंने गुनगुने पानी से धोया।
मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था…
इधर मेरा अभी तक स्खलन नहीं हुआ, एक बार भी नहीं हुआ था.. तो वो तो उछल रहा था..
मैंने भाभी से कहा- इसे थोड़ा सहलाओ ना…!!
मैं उनके मुँह के पास लंड को ले गया, उन्होंने कुछ नहीं किया, मैंने उनकी चूत को देखा, दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हुई मुनिया..
मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली.. फ़िर से गीली लबालब पानी.. मुझसे अब रहा नहीं गया!
मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी पर मुँह रख दिया।
भाभी तड़प उठी- छीईः गंदे..
और पैर उठाने लगी…
मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…
मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।
मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।
थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।
मैंने सिहरन सी महसूस की।
मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!
मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..
अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।
उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!
इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।
इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।
मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!
मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!
अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..
मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।
‘उईईईईई…’
और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।
पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…
अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…
भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।
भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।
‘आअह आआह्ह… मेरे अखिलेश… इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह्ह मेरा होने वाला है…’
और ऐसे ही उछलते हुए उनका पानी नीकल गया, वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा।
अब मैंने भाभी को खड़ा किया, मेरे दिमाग में एक नया पोज़ आया, कमोड के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया, उनके दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखे।
भाभी- यह क्या कर रहे हो?
मैं- मैं तुम्हें और मजा दूँगा जानेमन..
मैं पीछे आ गया।
ऊऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकगम गीला… और गांड का गुलाबी छेद…
मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… और गांड के छेद पर लगाया…
वो एकदम उठ कर खड़ी हो गई- नईई वहाँ नहींई… प्लीज़!
‘नहीं डार्लिंग, मैं सही जगह पर दूंगा!
और फ़िर से उन्हें झुकाया…
चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो…
और फ़िर..
भाभी- अह्ह धीरे… आआ अह्ह!
मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और अब एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
वो तो चिल्ला पड़ी- अररे… मार डालोगे क्या?
मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों साइड से दबाने लगा।
करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी।
मैंने उसी पोज़ में उन्हें खड़ा किया, दीवार की तरफ मुँह किया और उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखा।
और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया।
भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी।
मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना?
भाभी- बहुत.. और जोर से करो!
अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में दबाव आ रहा था..
मैंने भाभी को वहीं बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया, दोनों पैर फैलाये, घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला…
उनकी आँखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर ‘उफ्फ्फ़; वो धक्के लगाए कि भाभी की सांस फूलने लगी, वो सिर्फ अआह इश्ह्ह् इश्ह्ह्ह आआः कर रही थी।
मैं- जानू मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँ या बाहर?
भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर तेरा माल!
मैं- तो लो आआह अह्ह्ह आह्ह ओह्ह ये लो मेरी जान…
और पूरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टिकाया और 1.. 2.. 3.. 4.. 5.. 6.. 7..
कितनी पिचकारी मारी कि मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया।
करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा।
उन्होने आँखें खोली- तुमने आज मुझसे बहुत बड़ा गुनाह करवा लिया.. आज के बाद मैं तुमसे बात भी नहीं करुँगी।
‘बात मत करना जान.. लेकिन ये काम तो करोगी ना?’
भाभी- बेशरम, अब मेरी जूती करेगी ये काम!
मैंने अपना लंड बाहर खींचा..
पूरा लथपथ.. उनकी चूत से सफ़ेद रस निकल रहा था और बाथ टब में फ़ैल रहा था।
मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख कर कहा- अभी तो इसका उदघाटन करना है.. अभी दो दिन और मैं यही रहूंगा.. तुम्हें माँ बना के ही जाऊँगा मैं।
वो बोली- ..क्क्या कहा? दो दिन में? मैं तो मर जाऊँगी!
मैंने धीरे से पूछा- जानेमन कैसा लगा?
वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी..
फ़िर हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया रगड़ रगड़ कर !
मेरा फ़िर खड़ा होने लगा था लेकिन भाभी जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर निकल गई।
Tags: भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya , साले की बीवी की चुदाई , साले की पत्नी को चोदा , चुदवाने आई थी , चुद कर गई , चुदवाने में तेज चुदवाती है रोज़.
अमिता मेरे बड़े साले की बीवी यानि मेरी सलहज है, दो बच्चों की माँ है, मुझसे करीब आठ साल बड़ी यानि कि 38 साल की लेकिन उसे देखकर लगता है कि उसकी उम्र 30 की होगी।
गोरा रंग, 34-30-36 का बदन, उसके बाल लम्बे हैं और कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो चूतड़ मटकाती हुई चलती है तो आग सी लग जाती है।
मुझे उसकी नज़रों से लगता था कि मेरी तरफ़ उसका कुछ झुकाव है।
मेरे सामने उसकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी व्यस्क चुटकले भी!
लेकिन उसने कभी भी अपनी सीमा नहीं लांघी थी और उसकी यही अदा मुझे उसकी तरफ खींचती थी।
उससे मिल कर आने के बाद मैं बेचैन हो जाता था और उस दिन सुरेखा (मेरी बीवी) को बुरी तरह चोदता था।
वो भी कहती थी ‘आज क्या हो गया है.. उफ़ मार डालोगे क्या..?’
वो बेचारी वैसे ही मेरे मोटे लंड से खौफ खाती थी, पहली रात की चुदाई के बाद ही उसने मुझसे वादा लिया था कि मैं उसके साथ आहिस्ता और सलीके से सेक्स करूँ।
बेचारी को क्या मालूम कि मैं उसे नहीं अमिता भाभी को चोद रहा हूँ।
मैं उन्हें भाभी कहता हूँ।
और अमिता भाभी को तो ऐसे ही चोदना होगा… तभी मजा आयेगा… मैं दिन-रात उस मौक़े की तलाश में रहता था…
और एक दिन वो मौका आ ही गया!
हुआ यों की मेरी बीवी और उसके भाई यानि अमिता भाभी के पति को अपने किसी प्रॉपर्टी के सिलसिले में अपने पुश्तैनी गाँव में जाना था, मुझे भी उन्होंने चलने के लिये कहा लेकिन मुझे ऑफ़िस में कुछ जरूरी काम था।
मैं उन्हें सुबह स्टेशन पर छोड़ने गया.. तब भाई साब ने कहा- अमिता अकेली है और बच्चे भी नाना के यहाँ गए हैं एक महीने के लिये, तुम शाम को एक फ़ोन कर लेना घर पर या फ़िर घर जाकर आना।
मैंने कहा- जी ठीक है!
और मैं वहीं से ऑफ़िस चला गया।
शाम को लौटने में देर हो गई, करीब सात बज चुके थे, अचानक सेल पर मेरी बीवी का फ़ोन आया- अरे भाभी का फ़ोन नहीं लग रहा.. तुमसे कोई बात हुई क्या?
मैंने कहा- नहीं!
‘प्लीज़ जरा उनके घर जाकर आओ!’
मैंने कहा- ठीक है..
लेकिन अचानक मेरे दिमाग में घंटी बजी, ‘यह गोल्डन चांस है, आज उसे उत्तेजित करो और मौका मिले तो… काम कर लो।’
मैंने घर आकर टीशर्ट और जींस पहने, एक अच्छा वाला सेंट स्प्रे किया और कार लेकर चल पड़ा उनके घर।
उनका घर दोमंजिला है। मैं वहाँ पहुँचा तो आवाज़ दी- भाभी…!!
कोई उत्तर नहीं आया।
फ़िर दरवाज़ा खटखटाया, तब हल्की आवाज़ आई- तुम रुको, मैं आती हूँ।
थोड़ी देर में दरवाजा खुला.. उफ़्फ़… भाभी के बाल थोड़े बिखरे हुये उनके चेहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नहीं.. क्या मस्त चूचियाँ हैं… मेरी बीवी की इनके सामने कुछ भी नहीं…
‘आओ!’
‘भाभी, आपका फ़ोन बंद है क्या?’
‘मालूम नहीं, वैसे बहुत देर से किसी का फ़ोन आया नहीं!’
मैं फ़ोन का रीसिवर उठाया.. ‘ओह भाभी, यह तो बंद है।’
मैंने अपने सेल पर सुरेखा का फ़ोन लगाया- हाँ सुरेखा, भाभी का फ़ोन बंद है.. लो भाभी से बात करो।
उन दोनों ने कुछ बात की फ़िर भाभी ने कहा- तुम थोड़ा बैठो, मैं ऊपर स्टोर में से कुछ समान और बिस्तर निकाल रही हूँ। अभी और भी थोड़ा काम है, फ़िर चाय बनाती हूँ..
मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा।
उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- लगता है सुरेखा की बहुत याद आ रही है?
और एक सेक्सी मुस्कान मेरी ओर फ़ेंक दी।
मैं तो तड़प गया, फ़िर वो अपने सेक्सी कूल्हे मटकाते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी और कहा- तब तक तुम टीवी देखो!
मैं अपने को रोक नहीं सका और 5 मिनट बाद मैं भी सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर पहुँचा, वहाँ भाभी की पीठ मेरी तरफ थी और वो बेड को ठीक कर रही थी।
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘प्यार! अभी आपने कहा ना कि सुरेखा को मिस कर रहे हो? मैं उसे नहीं आपको मिस करता हूँ भाभी!’
‘बदमाशी मत करो!’
पर मैंने अपने लंड को उनके चूतड़ों पर दबाया.. जो अब थोड़ा कड़क हो रहा था.. वहाँ लगते ही उसकी आकार बढ़ने लगा।
वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी.. मेरा हाथ उनकी चूचियों पर पहुँच गया.. मैंने उनके गर्दन पर पीछे चूम लिया।
‘अखिलेश…!!! प्लीज़… यह गलत है!’
‘क्या गलत है भाभी?’
‘मैं सुरेखा की भाभी हूँ!’
‘तो क्या हुआ.. आप इतनी हसीं हो कि मेरा दिल मचल गया है आपके लिये!’
मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ और जोर से दबाई।
‘नहींई कर…ओ… आआह्ह धीईरे…’
मेरा लौड़ा पूरा अकड़ कर उनके चूतड़ों में जैसे घुसा जा रहा था।
अमिता बोल रही थी- नहीं…ई…ई…
मैंने हाथों से उनकी चूची और जोर से दबाई।
‘आआह्ह… ह्ह्ह… धीरे…’
यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी चुदवाना तो चाहती हैं लेकिन नखरे कर रही हैं।
मेरा लंड पूरा खड़ा होकर उनकी गांड में घुसा जा रहा था।
अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी, मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया, मैंने उसे जोर से खींचा, वो टूट गया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘आप प्यार से नहीं करने दे रही हैं।’
‘क्या नहीं करने दे रही हूँ??’
और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंठ चिपका दिये।
पहले तो वो मुँह इधर उधर करने लगी.. फ़िर थोड़ी देर बाद मेर होंठों को जगह मिल गई…
वो लम्बा चुम्बन.. गीला… ऊओह.. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा, उन्हें और अब उनके चूतड़ जोर से पकड़ कर खींचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..
फ़िर एक बोसा…
इस बार कूल्हे दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया।
मैंने भाभी के शर्ट को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया।
‘क्या कर रहे हैं आप?’
‘प्यार भाभी!’
मैंने अपना कुरता भी अब उतारा…
वो जाना चाहती थी लेकिन कमीज़ निकल गई, वो ऊपर पूरी नंगी थी, जाली वाली ब्रा थी और उसमें से उनके अंगूर जैसे काले निप्पल दिख रहे थे।
मैंने देर नहीं की, झपट कर उन्हें पकड़ लिया और निप्पल पर मुँह लगाया।
‘आआह्ह हा… मैं तुमसे बड़ी हूँऊ.. ये मत करो..; लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया।
मैंने पीछे हाथ किये और ब्रा का हुक तोड़ दिया, बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ बाहर मेरे हाथो में आ गई.. जोर से दबाया।
‘ऊऊफ़्फ़्फ़ फ्फ धीईरेएए… इतने ज़ोर से मत दबाओ…’
मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।
‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’
लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…
चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।
‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।
मेरी पैंट आधी खुली थी.. मैंने पूरी खोली, उसे वहीं फेंका और अंडरवीयर में उनके पीछे भागा, वो अपने बेडरूम में घुस गई, दरवाजा बंद दिया… मैं दरवाजे के पास गया और हल्के से धकेला… दरवाजा खुल गया।
भाभी वैसी ही बेड पर उलटी लेटी हुई थी.. मैं समझ गया, मैं उनके पीछे गया, मैंने अपना अंडरवीयर भी निकाल दिया.. मेरा काला मूसल जैसा 7″ का लंड छिटक कर बाहर आ गया, मैंने पीछे से उनके बदन पर लण्ड छुआया।
वो चौंक कर पलटी- आआह्… ओह… मुझे क्यों परेशान कर रहे हो.. और यह क्या… हाय अल्ल्लाआह्ह्ह इतना बड़ा और मोटा… बाप रे… सुरेखा तो रोती होगी?
‘उसकी बात छोड़ दो भाभी!’ लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।
मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया।
अब मेरा लंड उनके पेट के पास था, मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलन शुरू की और उनके होंठ चूमने लगा।
इस बार वो सिर्फ ‘आआह नहीं.. ऊऊओह्ह अखिलेश मत करो..’ बोल रही थी लेकिन साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी, मेरे लंड का प्री-कम उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था।
मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना…
और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया..
उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया।
‘आआआह भाभी… प्यार से सहलाओ!’
‘क्या प्यार से इतना मोटा?’ भाभी पुरानी खिलाड़ी थी लेकिन फ़िर भी कहा- तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है… तुम आज मुझे बर्बाद कर के छोड़ोगे!
मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा।
भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा।
मैंने अब सीधे उनके पैर फैला दिये, अपना मुँह उनके पैरों के बीच रखा और चूमा।
‘आआआअ अह्ह्हह… कितने गंदे हो.. वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो?’
‘भाभी, अभी आप कुछ मत कहो!’
‘तुम भाभी भाभी कहते हो, कहते हो ‘इज्जत करता हूँ!’ यह इज्जत का तरीका है? ..उईईई ईईइ…’
मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल घुमाने लगा।
‘आआह्ह ह्ह्ह… अखिलेश… मैं पागल हो रही हूँ… मत करओ… प्लीज.. मैं तुम्हारी भाभी हूँऊ…’
लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उसके अंदर का नमकीन पानी ही याद था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया..
भाभी अपने चूतड़ उछालने लगी थी- अखिलेश… हरामीई ये क्या कर रह है… ईआआअह!
भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है, यह मैं समझ गया।
अब मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली।
फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया.. मैंने पोजीशन बदली और उन्हें उठाया, किनारे पर मैं बैठ गया और उनसे कहा- नीचे आओ!
‘क्यों?’
‘आओ तो!’
वो नीचे आई मैंने उन्हें घुटनों पर बिठाया, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था, वो तो तड़प रही थी, फ़िर भी उठ कर जाने लगी।
मैंने जबरदस्ती बिठाया और लंड को उनके गालों पर रगड़ा, फ़िर होंठों पर रख कर कहा- इसे किस करो !
वो मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होंठों पर रगड़ा।
चाहती तो वो भी थी…
पहले थोड़ा चाटा, जीभ से फ़िर होंठों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया।
मैंने देखा उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है..
मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- ले साली… बहुत दिनों से तडपा रही है… अपनी चूची और चूतड़ दिखा दिखा के..
अब उन्होंने चूसना शुरू किया मैं तो जन्नत में पहुँच गया था.. ‘ऊओह्ह भाभीईईई… मज़ा आ रहा है…!
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में सूजन आ रही है, मेरा हो जाएगा, मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया।
पैर नीचे लटक रहे थे, पैरों को उठाया।
‘नहीं प्लीज़… अभी मैं सेफ नहीं हूँऊ.. मेरे ठहर सकता है.. नहीईई…’
मैंने कहा- फ़िक्र मत करो, मैं बाहर निकाल लूँगा।
और पैरों को फैलाया, अपने कंधे पर रखा, लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया- भाभी, कैसा लग रह है?
‘हरामजादे अपने लंड को मेरी चूत पे लगा के भाभी कह रहा है…? अब जल्दी कर जो करना है।’
यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पे धीरे धीरे रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता हुआ देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था!!
फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !!
वो बोली- मादरचोद… और कितना तड़पायेगा?
मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया।
भाभी तड़प उठी- ऊऊओह्ह ह्ह्ह मर गई मादरचोद निकाल… निकाआल… बहुत मोटा है.. अह… मैं मर जाऊँगीई!मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया।
भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ?
मैंने कहा- आपने कहा ‘निकाल!’ इसलिए निकाल लिया।
‘हरामी, क्यों तड़पा रहा है… अब जो करना है कर…’
मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा।
भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आआअ आआह्ह ह्ह्ह मार डालाआअ रे हरामीईईई… ये आदमी का है या घोड़े का, सुरेखा की क्या हालत करते हो, ऊऊफ़्फ़्फ़ पूरी भर गई मेरी…
मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा, निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा नॉर्मल हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा…
मैंने आधा लंड बाहर निकाल के इस बार तूफानी शॉट मारा और बिल्कुल धोनी के सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी के चूत में पेल दिया।
‘आआआअ… उईईईइ ईईईई माआआआ… किस मनहूस घड़ी में मैं तुम्हारे हाथ लग गईईईई…!’
मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने धोनी की स्टाइल बैटिंग शुरू की।
वो उफ़ उफ्फ्फ आआह अह्ह्ह कर रही थी, चूत से पानी की धार बहने लग गई।
उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी।
मेरी स्पीड जोर की थी, भाभी के मुँह से निकला- वाह मेरे शेर !!! वाह… आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गईईइ… ऊऊह ऊओह्ह मेरा होने वालाआ हैईई ! और ज़ोर सेईई…
मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रह था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे।
‘फाड़ दे… मेरी फाड़ दीईईईए… आआ आआह्ह्ह!’
उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी।
करीब दो मिनट उनका ओर्गैस्म चालू था।
इधर मेरा भी होने वाला था। उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ।
‘मेरे अंदर डाल दो दओ.. आआह्ह !’
‘लो भाभी… ये लओ !’
और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।
दोनों ने एक दूसरे को कस के पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे।
उन्होंने फ़िर मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..?
और मुझे धकेला।
मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी के और मेरे पानी से लिपटा हुआ था।
उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो कैसे मासूम लग रहा है..!!
उन्होंने नीचे देखा, चूत फ़ूल गई थी।
उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो क्या हालत की तुमने… छोटी सी थी.. कितना सूज गई है और कितना दर्द हो रहा है…
उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बाहर टपक रह था, चूत का मुँह भी खुल गया था… वो उठ भी नहीं पा रही थी।
एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी..
इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यः उन्होंने सोचा भी नहीं था लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन इतने सालों बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा..
सबसे बड़ी बात.. मुझे पता था कि भाभी को मोटे और लंबे लंड से ज्यादा मजा आयेगा और वो मेरे पास है…
लेकिन मेरी बीवी मुझसे इस तरह चोदने नहीं देती, रोने लगती है और मुझे चुदाई में रहम से नफ़रत है…
खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था..
और भाभी की चूत भी मुँह खोले ‘O’ की आकृति की हो गई थी.. पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजू में था।
मैंने देखा कि भाभी ठीक से उठ नहीं पा रही हैं… मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर उठाया.. मैंने देखा भाभी की कांख में बाल है.. और चूत पर भी बाल बढ़े हुए थे..
किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया।
मैं- भाभी, आप कांख के बाल क्यों साफ नहीं करती?
भाभी- नहीं, क्यों?
मैं- किया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो!
भाभी- वहाँ शेव कैसे करूँ… डर लगता है, कट जाएगा तो?
मैं- शेविंग का सामान दो मुझे..
भाभी- क्यों?
मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ!
मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था।
उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे।
भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हूँ।
मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा।
भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह…
मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होंने मेरा सिर जोर से दबा लिया.. मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था… वो अपनी चूत उसके साथ सटा रही थी- आआ ह्ह्ह… मत करो नाआह…
मैं- क्या मत करो?
भाभी- बहोत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब किया?
मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत का पानी अब भाभी की जांघों पर बह रहा था.. भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी।
मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिए…
मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा।
भाभी- आआअह्ह ह्ह हरामीईई धीरे कर ना.. अपनी बीवी की चूत समझी है क्या?
मैं- बीवी की नहीं, मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है यह तो !
भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आआअह्ह ह्ह…
उन्होंने हाथ लगा कर देखा- अभी तो इतना बाहर है.. हईईइ अल्लाह मैं तो मर जाऊँगी।
मैं- आपको दर्द हो रहा है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ?
मैंने तड़पाने के लिए कहा।
भाभी- अरे.. अब इतना डाल के बाहर निकालेगा…
और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया- कितना मोटा है!
मैं अब क़मर हिला कर आगे पीछे कर रहा था।
भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पुरा लंड अंदर!
‘मर्र गईई रे ! आप सच में मर्द हो… आज मुझे पता लगा कि असली मर्द क्या होता है… आई लव यू.. मेरे राजा… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ… फाड़ दो मेरीईइ…
मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल को काटते हुए- क्या फाड़ दूँ भाभी?
भाभी- जो फोड़ रहे हो…
मैं- उसका नाम बोलो?
भाभी- अपना काम करो!
मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास!
भाभी- क्या?
मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर- ये वाली फाड़नी है।
भाभी- आआह्ह्ह हह नहींईई वो नईइ.. वो तो मैंने उनको भी नहीं दी!
मैं- तो क्या हुआ.. मुझे तो पसंद है।
भाभी- नहीं नहीं..
मेरे धक्के चालू थे, मैंने देखा कि भाभी का बदन अकड़ने लगा है, वो पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काट रही हैं… नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा रही हैं- यह क्या किया.. आआह्ह मैं गयईईइ मेरा हो गया ओऊओह्ह अब नहीईईइ आआआह हाह!
और भाभी की चूत का पानी धार निकलने लगी, मैं गिरने लगा.. मैं रूक गया.. वो एकदम हल्की हो गई थी।
मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया, उसमें पानी और साबुन भरने लगा..
मैंने देखा उनकी चूत पर भी बाल हैं, सोचा अगर इसे भी चिकनी कर लूँ तो..
मैंने उन्हें वहीं लिटा दिया..
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- तुम्हारे खजाने को और खूबसूरत बाना रहा हूँ जान!
भाभी- क्या कहा.. जान.. फ़िर से कहो ..आह्ह मैं तुम्हारी जान..? लो कर लो साफ इसे भी!
मैंने चूत पर भी साबुन लगाया और उसे साफ करने लगा।
जब चूत पूरी साफ हो गई तो उसे मैंने गुनगुने पानी से धोया।
मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था…
इधर मेरा अभी तक स्खलन नहीं हुआ, एक बार भी नहीं हुआ था.. तो वो तो उछल रहा था..
मैंने भाभी से कहा- इसे थोड़ा सहलाओ ना…!!
मैं उनके मुँह के पास लंड को ले गया, उन्होंने कुछ नहीं किया, मैंने उनकी चूत को देखा, दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हुई मुनिया..
मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली.. फ़िर से गीली लबालब पानी.. मुझसे अब रहा नहीं गया!
मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी पर मुँह रख दिया।
भाभी तड़प उठी- छीईः गंदे..
और पैर उठाने लगी…
मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…
मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।
मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।
थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।
मैंने सिहरन सी महसूस की।
मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!
मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..
अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।
उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!
इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।
इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।
मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!
मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!
अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..
मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।
‘उईईईईई…’
और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।
पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…
अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…
भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।
भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।
‘आअह आआह्ह… मेरे अखिलेश… इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह्ह मेरा होने वाला है…’
और ऐसे ही उछलते हुए उनका पानी नीकल गया, वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा।
अब मैंने भाभी को खड़ा किया, मेरे दिमाग में एक नया पोज़ आया, कमोड के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया, उनके दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखे।
भाभी- यह क्या कर रहे हो?
मैं- मैं तुम्हें और मजा दूँगा जानेमन..
मैं पीछे आ गया।
ऊऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकगम गीला… और गांड का गुलाबी छेद…
मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… और गांड के छेद पर लगाया…
वो एकदम उठ कर खड़ी हो गई- नईई वहाँ नहींई… प्लीज़!
‘नहीं डार्लिंग, मैं सही जगह पर दूंगा!
और फ़िर से उन्हें झुकाया…
चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो…
और फ़िर..
भाभी- अह्ह धीरे… आआ अह्ह!
मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और अब एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
वो तो चिल्ला पड़ी- अररे… मार डालोगे क्या?
मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों साइड से दबाने लगा।
करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी।
मैंने उसी पोज़ में उन्हें खड़ा किया, दीवार की तरफ मुँह किया और उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखा।
और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया।
भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी।
मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना?
भाभी- बहुत.. और जोर से करो!
अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में दबाव आ रहा था..
मैंने भाभी को वहीं बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया, दोनों पैर फैलाये, घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला…
उनकी आँखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर ‘उफ्फ्फ़; वो धक्के लगाए कि भाभी की सांस फूलने लगी, वो सिर्फ अआह इश्ह्ह् इश्ह्ह्ह आआः कर रही थी।
मैं- जानू मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँ या बाहर?
भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर तेरा माल!
मैं- तो लो आआह अह्ह्ह आह्ह ओह्ह ये लो मेरी जान…
और पूरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टिकाया और 1.. 2.. 3.. 4.. 5.. 6.. 7..
कितनी पिचकारी मारी कि मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया।
करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा।
उन्होने आँखें खोली- तुमने आज मुझसे बहुत बड़ा गुनाह करवा लिया.. आज के बाद मैं तुमसे बात भी नहीं करुँगी।
‘बात मत करना जान.. लेकिन ये काम तो करोगी ना?’
भाभी- बेशरम, अब मेरी जूती करेगी ये काम!
मैंने अपना लंड बाहर खींचा..
पूरा लथपथ.. उनकी चूत से सफ़ेद रस निकल रहा था और बाथ टब में फ़ैल रहा था।
मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख कर कहा- अभी तो इसका उदघाटन करना है.. अभी दो दिन और मैं यही रहूंगा.. तुम्हें माँ बना के ही जाऊँगा मैं।
वो बोली- ..क्क्या कहा? दो दिन में? मैं तो मर जाऊँगी!
मैंने धीरे से पूछा- जानेमन कैसा लगा?
वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी..
फ़िर हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया रगड़ रगड़ कर !
मेरा फ़िर खड़ा होने लगा था लेकिन भाभी जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर निकल गई।
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