Home
» Jawani me choda mast chudai जवान लड़के लड़की की चुदाई कहानी Young girl boys sex stories in hindi
» नेहा की चूत का दरवाज़ा खोला - लड़की की चूत चुदाई - लंड फुला कर चोदा - Ladki ki chut ki chudai
नेहा की चूत का दरवाज़ा खोला - लड़की की चूत चुदाई - लंड फुला कर चोदा - Ladki ki chut ki chudai
नेहा की चूत का दरवाज़ा खोला - लड़की की चूत चुदाई - लंड फुला कर चोदा - Ladki ki chut ki chudai , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
किरण आँटी की बेटी नेहा जवान हो रही थी। बड़ी-बड़ी चूचियाँ, उभरी हुई गाँड, क़यामत लगती थी। ख़ैर किरण आँटी मुझे उसके पास फटकने भी नहीं देती थी।
एक दिन मैं उसके यहाँ किसी काम से गया तो नेहा ने दरवाज़ा खोला। उसने स्कर्ट पहन रखी थी. मेरी नज़र उसके चिकने-गोरे पैरों पर पड़ी। मेरा लंड खड़ा होने लगा तो मैंने अपनी साँसों रोककर किसी तरह स्वयं पर नियंत्रण किया। उसने मुझे ड्राईंगरूम में बिठाया। ख़ुद मेरे सामने बैठ गई।
मैंने पूछा- ‘आँटी कहाँ हैं?’ तो मालूम हुआ कि बाहर निकली हुईं हैं। हमारे बीच काफी बातें हुईं। उस दौरान उसने इस बात का ख़ास ख़्याल रखा कि कहीं से उसकी स्कर्ट न उठे और उसके जाँघें मुझे न दिखाई दे।
फिर वह पानी लाने के लिए उठी और जाने लगी। उस दौरान मैं उसकी गाँड निहारता रहा। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। तभी वह पानी लेकर आ गई। इस बार बैठते समय मुझे उसकी काली पैन्टी दिख गई। ख़ैर बातों-बातों में मुझे मालूम हुआ कि उसके कम्प्यूटर पर कुछ प्रोजेक्ट बनाने हैं, तो मैंने तुरन्त उसे प्रस्ताव दिया कि मेरे यहां बना लो।
उसने कहा- ठीक है, माँ से पूछकर आऊँगी।
फिर मैं वहाँ से चला आया।
एक दिन मैं अपने कमरे में सोया था कि नेहा किरण आँटी के साथ आई। मैं नीचे गया तो मालूम हुआ कि नेहा को मुझसे कुछ काम है। जब मैंने पूछा तो मालूम हुआ कि वह कम्प्यूटर पर प्रोजेक्ट बनाना चाहती है। शायद उसने अपनी माँ से हमारी पिछली मुलाक़ात का विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया था।
मैंने कहा- ठीक है चलो। तो वह मेरे पीछ आने लगी। किरण आँटी भी उठी और आने लगी, तो मेरी माँ ने कहा- आप बच्चों के पीछे कहाँ जा रहीं हैं?
इस पर आँटी ने कहा- कहीं नहीं भाभीजी, मैं भी देखूँ यह कम्प्यूटर क्या बला है।
माँ- ठीक है, तब तक मैं चाय बनाती हूँ।
मैं दोनों को अपने कमरे में लाया और कम्प्यूटर को चालू किया। नेहा काम करने लगी तो आँटी ने कहा, चलो तुम्हारे छत से अपना मक़ान देखते हैं।
मैं उन्हें ऊपर ले जाने लगा। ऊपर पहुँचकर मैं बाहर का दरवाज़ा खोलने लगा तो किरण आँटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक लिया।
मैंने कहा,’क्या हुआ आँटी?’
तो वे मेरे कान के पास आकर बुदबुदाई,’ऊपर आना तो एक बहाना था, असल में तुमसे चुदवाना था।’ यह कहकर वो मुझसे लिपट गई और चुम्मा-चाटी करने लगी। उसने मेरा लोअर सरका दिया और सीढ़ियों पर बैठ गई, फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं भी जोश में था। मैंने उनकी चोटी पकड़ी और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। उनका गला घुट गया और आँखों में आँसू आ गए पर मैं नहीं रुका। हाँलाँकि उन्होंने छूटने की कोशिश की पर चूँकि वह सीढ़ियों के बीच बैठीं थीं और मैं ठीक सामने खड़ा था इसलिए उनके छूटने की सम्भावना नहीं थी।
तभी नीचे से चाय के लिए आवाज आई। चूँकि हम सीढ़ी पर ही थे इसलिए मुझे रुकना पड़ा क्योंकि हमारी चुदाई की आवाज़ें नीचे तक जा सकतीं थीं। इसका फ़ायदा उठाकर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और फिर उसने अपना एक पैर उठाकर सीढ़ियों की रेलिंग पर रख दी और अपनी साड़ी कमर तक उठा दी।
फिर उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत फैलाकर मुझे निमंत्रण दिया। मैं घुटनों पर बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उनकी जाँघ पकड़कर उन्हें अपनी ओर खींचकर उनकी चूत चाटने लगा। फिर अपना लंड उसकी चूत में लगाया और पेल दिया। चूत गीली होने के कारण बिना रुके सीधे जड़ तक पहुँच गया। फिर मैंने धक्के लगाने शुरु किए। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहा था। कुछ ही देर बाद उनकी चूत कुछ टाईट हुई और वे झड़ गईं। मैं भी तेज़ी से झड़ा। फिर उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए, मुझे एक चुम्मा दिया और नीचे चली गई।
मैं अपने कपड़े ठीक कर नीचे अपने कमरे में आया। वहाँ नेहा कम्प्यूटर पर अभी भी काम कर रही थी। मैं पीछे से उसके अंगों को देख रहा था। कुछ देर बाद उसने कहा कि उसका काम खत्म हो गया। वह उठी और जाने लगी। ज्यों ही वह खड़ी हुई, मेरा ध्यान उसकी स्कर्ट पर गया। उसकी स्कर्ट ठीक उसकी गाँड के नीचे गीली हो गई थी।
मैंने उसे रोका और कहा- ज़रा यहाँ तो आना।
नेहा- क्या है? कहते हुए मेरे पास आई।
मैं- तुम्हारी स्कर्ट पीछे से गीली हो गई है।
नेहा- बैठे-बैठे पसीना हो रहा था ना, इसलिए हो गई होगी।
मैं- सिर्फ एक गोल सा धब्बा है, अजीब सा लग रहा है।
उसने स्कर्ट घुमाकर पीछे का हिस्सा आगे किया और यह देखकर असमंजस में पड़ गई। फिर उसने कहा- मैं नीचे कैसे जाऊँगी? माँ और आँटी क्या सोचेंगी।
मैंने कहा- कुछ देर खड़ी रहो, सूख जाएगा।
मैं कम्प्यूटर पर बैठ गया और वह मेरे पीछे खड़ी हो गई। मैंने उससे कहा- तुमने अभी तक जो भी काम किया, वह इसमें ही होगा।
उसने कहा- प्लीज़ उसे खोलिएगा मत।
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- बस ऐसे ही।
मैंने कहा- मैं खोलता हूँ, और बताता हूँ कि उसे कैसे ग़ायब करते हैं।
मैंने खोला तो देखा कि उसने मेरी गुप्त फाईलों को खोला था और नंगी चुदाई वाली तस्वीरें देखीं थीं।
मैंने उसे यह साफ करना सिखाया। फिर उसने कहा कि अच्छा हुआ आपने बता दिया वरना मैं किसी दिन पकड़ी जाती।
मैंने कहा- पकड़ी तो तुम फिर भी जाओगी।
उसने पूछा- वह कैसे?
मैं- इसी तरह, यदि तुम नैपकिन का प्रयोग नहीं करोंगी और स्कर्ट गीली करोगी तो कोई भी पकड़ लेगा।
वह शरमा गई, उसका चेहरा लाल हो गया।
मैंने कहा- फिल्म देखोगी?
उसने कहा- नहीं मैं सबसे नई फिल्म देख चुकी हूँ।
मैं- बेवक़ूफ, वो वाली।
नेहा- है?
मैं- हाँ।
नेहा- तो दिखाईए।
मैंने एक डीवीडी निकाली और उसे चालू किया। फिल्म शुरु हुई, 69 की मुद्रा दिखा रहे थे। मेरा खड़ा हो गया और लोअर उठ गया। ख़ैर उसका ध्यान फिल्म पर था। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, वह गर्म हो गई। वह मेरी बगल वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो मैंने उसे अपना रुमाल दिया और कहा- उसे अपनी चड्डी में डाल लो। उसने उसको मोड़कर अपनी चड्डी में डाल ली।
फिल्म में लड़का लड़की को तरह-तरह की मुद्राओं में चोद रहा था। तभी नीचे से उसकी माँ की आवाज़ दी कि जाना नहीं है क्या?
उसने कहा- बस दो मिनट माँ।
फिर वह उठी और जाने लगी।
मैंने कहा- मेरा रुमाल?
उसने कहा- बाद में नया दे दूँगी।
मैंने कहा- मुझे वही चाहिए।
नेहा- अच्छा, साफ़ करके दे दूँगी।
मैं- मैं कर लूँगा।
तब उसने चड्डी में हाथ डाला और रुमाल निकालकर टेबल पर रख दिया। मैं उठा और रुमाल लेकर सूँघने लगा।
उसने पूछा- यह क्या कर रहे हो?
मैं- देख रहा हूँ, कैसी ख़ुशबू है!
उसने पूछा- कैसी है?
मैं- बिल्कुल मदहोश कर देने वाली।
फिर वह चली गई। शाम को वह और उसकी माँ छत पर टहल रहे थे। मैं भी अपने छत पर आया। उनसे दो-चार बातें हुईं। फिर मैंने अपना रुमाल निकाला और पसीना पोंछने लगा। तभी उनकी काम वाली बाई आ गई और किरण आँटी नीचे लगी गईं। फिर मैं रुमाल सूँघकर नेहा को चिढ़ाने लगा। बीच-बीच में उसे रुमाल चाटकर भी दिखाता। मानों वह रुमाल उसकी बुर है। वह शरमा जाती।
एक दिन वह फिर अपनी माँ के साथ कम्प्यूटर पर काम के बहाने आई। मैं समझ गया कि माल गर्म है।
उसने कहा- आज बाकी की मूवी देखनी है।
मैंने फिर वही डीवीडी लगा दी। चुदाई का सीन चलने लगा, वह गर्म हो रही थी।
एक दिन वह फिर अपनी माँ के साथ कम्प्यूटर पर काम के बहाने आई। मैं समझ गया कि माल गर्म है।
उसने कहा- आज बाकी की मूवी देखनी है।
मैंने फिर वही डीवीडी लगा दी। चुदाई का सीन चलने लगा, वह गर्म हो रही थी।
अचानक उसने मुझसे पूछा- क्या मैं आपकी गोद में बैठ सकती हूँ?
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था और उसकी बात सुनकर सलामी देने लगा। ख़ैर मैंने हाँ कर दी। वह बैठ गई। ज़्यों ही मेरे लंड का सम्पर्क उसकी गाँड से हुआ, मेरा लंड उसकी गाँड में घुसने के लिए बेताब होने लगा। ख़ैर मैं कुछ देर तक वैसे ही बैठा रहा, फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और सहलाने लगा। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। यह देख मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा। वह पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।
मैंने उसे उठने के लिए कहा तो उसने कहा- रहने दीजिए ! मज़ा आ रहा है।
मैंने कहा- उठो ! और मज़ा दूँगा।
वह उठी तो मैंने अपनी कुर्सी पीछे की। फिर मैंने उसे टेबल पर झुका दिया और उसकी स्कर्ट उठा दी। उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी। यानि उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरकाई और उसकी टाँगें फैलाईं। एकदम अपनी माँ पर गई थी। मैंने उसके दोनों नितम्बों को दबाना और चूसना शुरु किया। उसकी गोरी गाँड लाल हो गई। उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी।
मैंने उसकी टाँगो और अधिक फैलाईं, नीचे बैठकर उसकी बुर को चाटने लगा। मैं अपनी जीभ उसकी बुर में डालने लगा। वह बेक़ाबू हो गई। थोड़ी ही देर में वह तेज़ी से झड़ी। यह उसकी ज़िन्दगी का पहला स्खलन था। फिर वह थोड़ी शांत हुआ अब मैंने अपना लोअर सरका कर कुर्सी पर बैठ गया और उसे बैठने के लिए कहा, वह मान गई। फिर मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गाँड की छेद पर लगाया और उसे बैठाने लगा। मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड में जाने लगा।
थोड़ा दर्द हुआ पर शीघ्र ही पूरा लंड अन्दर चला गया। फिर मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उससे पूछा, बहुत आसानी से चला गया, पहले भी किया है क्या?
उसने कहा- हाँ, अभी कुछ दिनों पहले ही स्कूल के दो सीनियरों ने मेरी जम कर गाँड मारी थी।
मैं- वह कैसे?
नेहा- हुआ यूँ कि मैं सुबह की प्रार्थनासभा में जाने की बजाय क्लास में मस्तराम पढ़ रही थी कि अचानक वे आ गए। मैंने मस्तराम डेस्क के अन्दर डाल दी। वे मेरे पास आए और पूछा कि तुम प्रार्थना में क्यों नहीं गई। मैंने उन्हें बताया कि तबीयत ठीक नहीं है। वे जाने लगे कि तभी अचानक मस्तराम डेस्क से नीचे गिर गई। उन्होंने देख लिया और कहा अच्छा तो यह बिमारी है। उसका पता तो सबको चलना चाहिए, नहीं तो फैलेगी।
नेहा ने आगे बताया- मैं बुरी तरह से डर गई और उनके आगे गिड़गि़ड़ाने लगी कि प्लीज़ किसी को मत बताइएगा। पक्के हरामी थे दोनों। एक कहता है कि नहीं बताएँगे तो फैलेगी, कल किसी और को लग जाएगी, परसों किसी और को, फिर सारा स्कूल इसकी चपेट में आ जाएगा. मैने उनके पैर पकड़ लिए तो उन्होंने कहा कि एक शर्त पर छोड़ेंगे। मैंने कहा कि हर शर्त मंज़ूर है।
उन्होंने कहा- पहले शर्त तो सुन लो।
मैंने पूछा- क्या?
उन्होंने कहा- गाँड मरवानी होगी।
मैं फिर गिड़गिड़ाने लगी कि प्लीज़, मेरे साथ ऐसा मत कीजिए। पर हाथ में आया माल भला कोई छोड़ेगा! ख़ैर उन्होंने मेरी एक न सुनी और एक ने दरवाज़ा बन्द कर दिया। फिर दूसरे ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और लंड निकालकर सहलाने लगा। उसका लंड खड़ा हुआ तो देखकर ही मेरी आँखों से आँसू आ गए। क़रीब 8 इंच लम्बा और 3इंच गोलाई वाला था। फिर उसने कहा चिन्ता मत करो, पहले वह चोदेगा, उसका मुझसे पतला है।
शायद वे समलैंगिक थे इसलिए उन्हें सिर्फ मेरी गाँड चाहिए थी। उन्होंने मुझे डेस्क पर कुतिया बनाया और एक मेरे आगे और दूसरा मेरे पीछे पहुँच गया। फिर आगे वाले ने पीछे वाले से पूछा कि यार पैकेट तो है ना? पीछे वाले ने कहा कि एक ही है, पर कोई बात नहीं बारी-बारी से इस्तेमाल कर लेंगे।
फिर क्या था। सामने वाले ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और बोला- ले चूस।
मरती क्या ना करती ! मैं चूसने लगी।
दूसरा मेरी गाँड में डालने लगा। गाँड सँकरी पड़ रही थी। उसने दूसरे से पूछा- यह तो बहुत टाईट है यार !
तो दूसरे ने कहा- थूक लगा ले।
उसने वैसा ही किया फिर डालने लगा। उसका थोड़ा सा ही अन्दर गया था कि मैं दर्द से छटपटाने लगी। चूँकि दूसरे ने मुँह में डाल रखा था इसलिए मेरी आवाज़ तक बाहर नहीं निकल पाई। उसने निकाला और फिर से थूक लगाया और दोबारा डालना शुरु किया और धीरे-धीरे करके पूरा डाल दिया।
फिर उसने पेलना आरम्भ किया। धीरे-धीरे मेरा दर्द खत्म हो गया और आनन्द आने लगा। एक मुँह में तथा दूसरा गाँड में पेल रहा था।
तभी पीछे वाले ने कहा- वह झड़ने वाला है।
दूसरे ने कहा- एक ही है, उसे ख़राब मत कर यार, इसके मुँह में झड़।
उसने अपना लंड निकाल लिया और आगे आया। यहाँ उसने अपने लंड से कॉण्डोम उतारा और दूसरे को दे दिया और उसने उसे चढ़ा लिया। फिर दोनों ने अपने स्थान बदल लिए। ज्योहीं दूसरे ने अपना 8 गुणा 3इंच का लण्ड मेरी गाँड में डाला मेरी खुशी दर्द में बदल गई। मैं छटपटाने लगी, पर उसने रहम नहीं दिखाया और पूरा पेल दिया। फिर वह रुका और थोड़ा समायोजन करने की कोशिश करने लगा। कुछ देर में मैं सामान्य हुई तो उसने धीरे-धीरे पेलना शुरु किया।
इधर सामने वाला मेरे मुँह में तेज़ी से झड़ा और ठंडा पड़ गया। ख़ैर उसका साथी चालू रहा। फिर अचानक वह वहशी हो गया और मेरी कमड़ पकड़कर ज़ोरों से धक्के लगाने लगा। फिर वह भी तेज़ी से झड़ा और मेरे ऊपर निढाल हो गया।
जब उसने अपना लंड निकाला तो मेरी गाँड बन्द नहीं हो पा रही थी। उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए। फिर एक ने एक गद्देदार रुमाल मेरी पैन्टी में डाला और मेरी पैन्टी चढ़ा दी, फिर चलते-चलते कहा- गर्म पानी से गाँड की सिंकाई कर लेना, ठीक हो जाएगी।
उनके चले जाने के बाद मैंने बैठने की कोशिश की पर ठीक से बैठ नहीं पा रही थी। ख़ैर जैसे-तैसे किया। काफी अच्छे से चुदाई की थी सालों ने।
शाम को जब मैंने सिंकाई की तो थोड़ा आराम मिला।
इधर मैंने अब उसे उठाकर कम्प्यूटर टेबल पर झुका दिया और उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगाने लगा। मैं तेज़ी से उसकी गाँड मार रहा था। थोड़ी ही देर में मैं चरम पर था। फिर मैं तेज़ी से झड़ा और उसे लेकर कुर्सी पर बैठ गया। उसकी बुर पानी छोड़ रही थी। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी बुर में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
तभी किरण आँटी आ गईं। आते ही बोली- आख़िर साले ने चोद ही दिया।
उसने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे मेर ऊपर से हटाने लगी।
नेहा ने कहा- बस थोड़ा सा ! झड़ने वाली हूँ।
आँटी- अच्छा ! मैं यहाँ खड़ी होकर तेरा झड़ना देखूँ? चल हट, मेरी बारी !
कहते हुए उसने नेहा को उठा दिया और ख़ुद मेरी गोद में बैठ गई। उसने मेरा लंड सहलाया और उसे अपनी चूत में घुसा लिया और कहा चल चोद..!
मुझे दिक्कत हो रही थी तो मैं उसे अपने बिस्तर पर ले आया और उसे घोड़ी बनाकर चोदने लगा। इधर नेहा चुदने को बक़रार थी और अपनी माँ बगल में घोड़ी बन गई। मैं बारी-बारी उन्हें चोदने लगा।
कुछ ही देर में किरण आँटी तेज़ी से झड़ी और ठण्डी पड़ गई। फिर उनका ख्याल मेरी ओर गया कि मैं नेहा कि गाँड मार रहा था।
इस पर उन्होंने मुझसे कहा- अभी इसकी चूत नहीं खोली है क्या?
मैंने कहा- नहीं।
फिर उसने नेहा की ओर देखा और कहा- असली मज़ा तो चूत में है। चल मैं तेरी मदद करती हूँ।
उसने नेहा को सीधा किया और उसका सिर अपनी गोद में ले लिया और उसकी दोनों टाँगें छितराकर मुझसे कहा- आ चल, मेरी बेटी की चूत का उदघाटन कर।
मैंने उसकी चूत को चाटकर गीला किया और अपना लंड उसकी चूत की छेद पर टिकाया और फिर किरण आँटी ने उसका मुँह बन्द किया और मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया। मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया। वह बुरी तरह से तड़प उठी और उसने अपनी माँ की जाँघ में नाखून गड़ा डाला।
उसकी बुर लहूलुहान हो चुकी थी। जब वह थोड़ा शांत हुई तो मैंने पेलना शुरु किया। धीरे-धीरे उसे आनन्द आने लगा, तो किरण आँटी ने उसका मुँह छोड़ दिया और वह गाँड उठा-उठाकर चुदवाने लगी।
फिर किरण आँटी ने कहा- देखा असली मज़ा इसमें है।
नेहा- मुझे क्या मालूम, मैं तो जब भी रात में देखती, आप पापा से गाँड ही मरवाया करतीं थीं।
इस पर किरण आँटी मुस्कुराई- अच्छा तो यह बात है?
नेहा- क्या करूँ? पापा आपकी इतनी ज़ोर-ज़ोर से लेते थे कि मेरी नींद अक्सर खुल ही जाती थी।
किरण आँटी- अच्छा, मैं कहा करती थी कि धीरे करो, नहीं तो बेटी जाग जाएगी, तो कहते कि जागने दो, अपनी माँ से कुछ सबक लेगी तो अपने पति को तीनों छेदों का सुख देगी।
फिर किरण आँटी उठी और अपने कपड़ी ठीक किए और मुझसे वीर्य उसकी चूत में न डालने के लिए कहा और नीचे चली गई।
मैंने अपनी गति बढ़ा दी। उसने मेरे हाथों को ज़ोर से पकड़ लिया। उसकी चूत टाईट हो गई और वह तेज़ी से झड़ी। मैं भी झड़नेवाला था, तो मैंने अपना लंड निकालना चाहा।
उसने रोक लिया और कहा इसी में।
फिर क्या था मैंने गति और बढ़ा दी और उसकी चूत अपने गर्म लावे से भर दी।
हम कुछ देर अगल-बगल ऐसे ही लेटे रहे। इस दौरान मैं उसकी चूचियों से खेलता रहा। फिर वह उठी, अपनी चूत से बाहर बहता हुआ मेरा लावा साफ किया, कपड़े ठीक किए और मुझे एक तगड़ा अधर-चुम्बन दिया और जाने लगी। जाते वक्त वह ठीक से चल नहीं पा रही थी पर उसने अपनी स्कर्ट उठा रखी थी ताकि मैं उसकी गाँड की चाल देख सकूँ और मैं उसे जाते हुए देखता रहा।
किरण आँटी की बेटी नेहा जवान हो रही थी। बड़ी-बड़ी चूचियाँ, उभरी हुई गाँड, क़यामत लगती थी। ख़ैर किरण आँटी मुझे उसके पास फटकने भी नहीं देती थी।
एक दिन मैं उसके यहाँ किसी काम से गया तो नेहा ने दरवाज़ा खोला। उसने स्कर्ट पहन रखी थी. मेरी नज़र उसके चिकने-गोरे पैरों पर पड़ी। मेरा लंड खड़ा होने लगा तो मैंने अपनी साँसों रोककर किसी तरह स्वयं पर नियंत्रण किया। उसने मुझे ड्राईंगरूम में बिठाया। ख़ुद मेरे सामने बैठ गई।
मैंने पूछा- ‘आँटी कहाँ हैं?’ तो मालूम हुआ कि बाहर निकली हुईं हैं। हमारे बीच काफी बातें हुईं। उस दौरान उसने इस बात का ख़ास ख़्याल रखा कि कहीं से उसकी स्कर्ट न उठे और उसके जाँघें मुझे न दिखाई दे।
फिर वह पानी लाने के लिए उठी और जाने लगी। उस दौरान मैं उसकी गाँड निहारता रहा। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। तभी वह पानी लेकर आ गई। इस बार बैठते समय मुझे उसकी काली पैन्टी दिख गई। ख़ैर बातों-बातों में मुझे मालूम हुआ कि उसके कम्प्यूटर पर कुछ प्रोजेक्ट बनाने हैं, तो मैंने तुरन्त उसे प्रस्ताव दिया कि मेरे यहां बना लो।
उसने कहा- ठीक है, माँ से पूछकर आऊँगी।
फिर मैं वहाँ से चला आया।
एक दिन मैं अपने कमरे में सोया था कि नेहा किरण आँटी के साथ आई। मैं नीचे गया तो मालूम हुआ कि नेहा को मुझसे कुछ काम है। जब मैंने पूछा तो मालूम हुआ कि वह कम्प्यूटर पर प्रोजेक्ट बनाना चाहती है। शायद उसने अपनी माँ से हमारी पिछली मुलाक़ात का विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया था।
मैंने कहा- ठीक है चलो। तो वह मेरे पीछ आने लगी। किरण आँटी भी उठी और आने लगी, तो मेरी माँ ने कहा- आप बच्चों के पीछे कहाँ जा रहीं हैं?
इस पर आँटी ने कहा- कहीं नहीं भाभीजी, मैं भी देखूँ यह कम्प्यूटर क्या बला है।
माँ- ठीक है, तब तक मैं चाय बनाती हूँ।
मैं दोनों को अपने कमरे में लाया और कम्प्यूटर को चालू किया। नेहा काम करने लगी तो आँटी ने कहा, चलो तुम्हारे छत से अपना मक़ान देखते हैं।
मैं उन्हें ऊपर ले जाने लगा। ऊपर पहुँचकर मैं बाहर का दरवाज़ा खोलने लगा तो किरण आँटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक लिया।
मैंने कहा,’क्या हुआ आँटी?’
तो वे मेरे कान के पास आकर बुदबुदाई,’ऊपर आना तो एक बहाना था, असल में तुमसे चुदवाना था।’ यह कहकर वो मुझसे लिपट गई और चुम्मा-चाटी करने लगी। उसने मेरा लोअर सरका दिया और सीढ़ियों पर बैठ गई, फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं भी जोश में था। मैंने उनकी चोटी पकड़ी और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। उनका गला घुट गया और आँखों में आँसू आ गए पर मैं नहीं रुका। हाँलाँकि उन्होंने छूटने की कोशिश की पर चूँकि वह सीढ़ियों के बीच बैठीं थीं और मैं ठीक सामने खड़ा था इसलिए उनके छूटने की सम्भावना नहीं थी।
तभी नीचे से चाय के लिए आवाज आई। चूँकि हम सीढ़ी पर ही थे इसलिए मुझे रुकना पड़ा क्योंकि हमारी चुदाई की आवाज़ें नीचे तक जा सकतीं थीं। इसका फ़ायदा उठाकर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और फिर उसने अपना एक पैर उठाकर सीढ़ियों की रेलिंग पर रख दी और अपनी साड़ी कमर तक उठा दी।
फिर उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत फैलाकर मुझे निमंत्रण दिया। मैं घुटनों पर बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उनकी जाँघ पकड़कर उन्हें अपनी ओर खींचकर उनकी चूत चाटने लगा। फिर अपना लंड उसकी चूत में लगाया और पेल दिया। चूत गीली होने के कारण बिना रुके सीधे जड़ तक पहुँच गया। फिर मैंने धक्के लगाने शुरु किए। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहा था। कुछ ही देर बाद उनकी चूत कुछ टाईट हुई और वे झड़ गईं। मैं भी तेज़ी से झड़ा। फिर उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए, मुझे एक चुम्मा दिया और नीचे चली गई।
मैं अपने कपड़े ठीक कर नीचे अपने कमरे में आया। वहाँ नेहा कम्प्यूटर पर अभी भी काम कर रही थी। मैं पीछे से उसके अंगों को देख रहा था। कुछ देर बाद उसने कहा कि उसका काम खत्म हो गया। वह उठी और जाने लगी। ज्यों ही वह खड़ी हुई, मेरा ध्यान उसकी स्कर्ट पर गया। उसकी स्कर्ट ठीक उसकी गाँड के नीचे गीली हो गई थी।
मैंने उसे रोका और कहा- ज़रा यहाँ तो आना।
नेहा- क्या है? कहते हुए मेरे पास आई।
मैं- तुम्हारी स्कर्ट पीछे से गीली हो गई है।
नेहा- बैठे-बैठे पसीना हो रहा था ना, इसलिए हो गई होगी।
मैं- सिर्फ एक गोल सा धब्बा है, अजीब सा लग रहा है।
उसने स्कर्ट घुमाकर पीछे का हिस्सा आगे किया और यह देखकर असमंजस में पड़ गई। फिर उसने कहा- मैं नीचे कैसे जाऊँगी? माँ और आँटी क्या सोचेंगी।
मैंने कहा- कुछ देर खड़ी रहो, सूख जाएगा।
मैं कम्प्यूटर पर बैठ गया और वह मेरे पीछे खड़ी हो गई। मैंने उससे कहा- तुमने अभी तक जो भी काम किया, वह इसमें ही होगा।
उसने कहा- प्लीज़ उसे खोलिएगा मत।
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- बस ऐसे ही।
मैंने कहा- मैं खोलता हूँ, और बताता हूँ कि उसे कैसे ग़ायब करते हैं।
मैंने खोला तो देखा कि उसने मेरी गुप्त फाईलों को खोला था और नंगी चुदाई वाली तस्वीरें देखीं थीं।
मैंने उसे यह साफ करना सिखाया। फिर उसने कहा कि अच्छा हुआ आपने बता दिया वरना मैं किसी दिन पकड़ी जाती।
मैंने कहा- पकड़ी तो तुम फिर भी जाओगी।
उसने पूछा- वह कैसे?
मैं- इसी तरह, यदि तुम नैपकिन का प्रयोग नहीं करोंगी और स्कर्ट गीली करोगी तो कोई भी पकड़ लेगा।
वह शरमा गई, उसका चेहरा लाल हो गया।
मैंने कहा- फिल्म देखोगी?
उसने कहा- नहीं मैं सबसे नई फिल्म देख चुकी हूँ।
मैं- बेवक़ूफ, वो वाली।
नेहा- है?
मैं- हाँ।
नेहा- तो दिखाईए।
मैंने एक डीवीडी निकाली और उसे चालू किया। फिल्म शुरु हुई, 69 की मुद्रा दिखा रहे थे। मेरा खड़ा हो गया और लोअर उठ गया। ख़ैर उसका ध्यान फिल्म पर था। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, वह गर्म हो गई। वह मेरी बगल वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो मैंने उसे अपना रुमाल दिया और कहा- उसे अपनी चड्डी में डाल लो। उसने उसको मोड़कर अपनी चड्डी में डाल ली।
फिल्म में लड़का लड़की को तरह-तरह की मुद्राओं में चोद रहा था। तभी नीचे से उसकी माँ की आवाज़ दी कि जाना नहीं है क्या?
उसने कहा- बस दो मिनट माँ।
फिर वह उठी और जाने लगी।
मैंने कहा- मेरा रुमाल?
उसने कहा- बाद में नया दे दूँगी।
मैंने कहा- मुझे वही चाहिए।
नेहा- अच्छा, साफ़ करके दे दूँगी।
मैं- मैं कर लूँगा।
तब उसने चड्डी में हाथ डाला और रुमाल निकालकर टेबल पर रख दिया। मैं उठा और रुमाल लेकर सूँघने लगा।
उसने पूछा- यह क्या कर रहे हो?
मैं- देख रहा हूँ, कैसी ख़ुशबू है!
उसने पूछा- कैसी है?
मैं- बिल्कुल मदहोश कर देने वाली।
फिर वह चली गई। शाम को वह और उसकी माँ छत पर टहल रहे थे। मैं भी अपने छत पर आया। उनसे दो-चार बातें हुईं। फिर मैंने अपना रुमाल निकाला और पसीना पोंछने लगा। तभी उनकी काम वाली बाई आ गई और किरण आँटी नीचे लगी गईं। फिर मैं रुमाल सूँघकर नेहा को चिढ़ाने लगा। बीच-बीच में उसे रुमाल चाटकर भी दिखाता। मानों वह रुमाल उसकी बुर है। वह शरमा जाती।
एक दिन वह फिर अपनी माँ के साथ कम्प्यूटर पर काम के बहाने आई। मैं समझ गया कि माल गर्म है।
उसने कहा- आज बाकी की मूवी देखनी है।
मैंने फिर वही डीवीडी लगा दी। चुदाई का सीन चलने लगा, वह गर्म हो रही थी।
एक दिन वह फिर अपनी माँ के साथ कम्प्यूटर पर काम के बहाने आई। मैं समझ गया कि माल गर्म है।
उसने कहा- आज बाकी की मूवी देखनी है।
मैंने फिर वही डीवीडी लगा दी। चुदाई का सीन चलने लगा, वह गर्म हो रही थी।
अचानक उसने मुझसे पूछा- क्या मैं आपकी गोद में बैठ सकती हूँ?
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था और उसकी बात सुनकर सलामी देने लगा। ख़ैर मैंने हाँ कर दी। वह बैठ गई। ज़्यों ही मेरे लंड का सम्पर्क उसकी गाँड से हुआ, मेरा लंड उसकी गाँड में घुसने के लिए बेताब होने लगा। ख़ैर मैं कुछ देर तक वैसे ही बैठा रहा, फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और सहलाने लगा। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। यह देख मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा। वह पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।
मैंने उसे उठने के लिए कहा तो उसने कहा- रहने दीजिए ! मज़ा आ रहा है।
मैंने कहा- उठो ! और मज़ा दूँगा।
वह उठी तो मैंने अपनी कुर्सी पीछे की। फिर मैंने उसे टेबल पर झुका दिया और उसकी स्कर्ट उठा दी। उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी। यानि उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरकाई और उसकी टाँगें फैलाईं। एकदम अपनी माँ पर गई थी। मैंने उसके दोनों नितम्बों को दबाना और चूसना शुरु किया। उसकी गोरी गाँड लाल हो गई। उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी।
मैंने उसकी टाँगो और अधिक फैलाईं, नीचे बैठकर उसकी बुर को चाटने लगा। मैं अपनी जीभ उसकी बुर में डालने लगा। वह बेक़ाबू हो गई। थोड़ी ही देर में वह तेज़ी से झड़ी। यह उसकी ज़िन्दगी का पहला स्खलन था। फिर वह थोड़ी शांत हुआ अब मैंने अपना लोअर सरका कर कुर्सी पर बैठ गया और उसे बैठने के लिए कहा, वह मान गई। फिर मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गाँड की छेद पर लगाया और उसे बैठाने लगा। मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड में जाने लगा।
थोड़ा दर्द हुआ पर शीघ्र ही पूरा लंड अन्दर चला गया। फिर मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उससे पूछा, बहुत आसानी से चला गया, पहले भी किया है क्या?
उसने कहा- हाँ, अभी कुछ दिनों पहले ही स्कूल के दो सीनियरों ने मेरी जम कर गाँड मारी थी।
मैं- वह कैसे?
नेहा- हुआ यूँ कि मैं सुबह की प्रार्थनासभा में जाने की बजाय क्लास में मस्तराम पढ़ रही थी कि अचानक वे आ गए। मैंने मस्तराम डेस्क के अन्दर डाल दी। वे मेरे पास आए और पूछा कि तुम प्रार्थना में क्यों नहीं गई। मैंने उन्हें बताया कि तबीयत ठीक नहीं है। वे जाने लगे कि तभी अचानक मस्तराम डेस्क से नीचे गिर गई। उन्होंने देख लिया और कहा अच्छा तो यह बिमारी है। उसका पता तो सबको चलना चाहिए, नहीं तो फैलेगी।
नेहा ने आगे बताया- मैं बुरी तरह से डर गई और उनके आगे गिड़गि़ड़ाने लगी कि प्लीज़ किसी को मत बताइएगा। पक्के हरामी थे दोनों। एक कहता है कि नहीं बताएँगे तो फैलेगी, कल किसी और को लग जाएगी, परसों किसी और को, फिर सारा स्कूल इसकी चपेट में आ जाएगा. मैने उनके पैर पकड़ लिए तो उन्होंने कहा कि एक शर्त पर छोड़ेंगे। मैंने कहा कि हर शर्त मंज़ूर है।
उन्होंने कहा- पहले शर्त तो सुन लो।
मैंने पूछा- क्या?
उन्होंने कहा- गाँड मरवानी होगी।
मैं फिर गिड़गिड़ाने लगी कि प्लीज़, मेरे साथ ऐसा मत कीजिए। पर हाथ में आया माल भला कोई छोड़ेगा! ख़ैर उन्होंने मेरी एक न सुनी और एक ने दरवाज़ा बन्द कर दिया। फिर दूसरे ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और लंड निकालकर सहलाने लगा। उसका लंड खड़ा हुआ तो देखकर ही मेरी आँखों से आँसू आ गए। क़रीब 8 इंच लम्बा और 3इंच गोलाई वाला था। फिर उसने कहा चिन्ता मत करो, पहले वह चोदेगा, उसका मुझसे पतला है।
शायद वे समलैंगिक थे इसलिए उन्हें सिर्फ मेरी गाँड चाहिए थी। उन्होंने मुझे डेस्क पर कुतिया बनाया और एक मेरे आगे और दूसरा मेरे पीछे पहुँच गया। फिर आगे वाले ने पीछे वाले से पूछा कि यार पैकेट तो है ना? पीछे वाले ने कहा कि एक ही है, पर कोई बात नहीं बारी-बारी से इस्तेमाल कर लेंगे।
फिर क्या था। सामने वाले ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और बोला- ले चूस।
मरती क्या ना करती ! मैं चूसने लगी।
दूसरा मेरी गाँड में डालने लगा। गाँड सँकरी पड़ रही थी। उसने दूसरे से पूछा- यह तो बहुत टाईट है यार !
तो दूसरे ने कहा- थूक लगा ले।
उसने वैसा ही किया फिर डालने लगा। उसका थोड़ा सा ही अन्दर गया था कि मैं दर्द से छटपटाने लगी। चूँकि दूसरे ने मुँह में डाल रखा था इसलिए मेरी आवाज़ तक बाहर नहीं निकल पाई। उसने निकाला और फिर से थूक लगाया और दोबारा डालना शुरु किया और धीरे-धीरे करके पूरा डाल दिया।
फिर उसने पेलना आरम्भ किया। धीरे-धीरे मेरा दर्द खत्म हो गया और आनन्द आने लगा। एक मुँह में तथा दूसरा गाँड में पेल रहा था।
तभी पीछे वाले ने कहा- वह झड़ने वाला है।
दूसरे ने कहा- एक ही है, उसे ख़राब मत कर यार, इसके मुँह में झड़।
उसने अपना लंड निकाल लिया और आगे आया। यहाँ उसने अपने लंड से कॉण्डोम उतारा और दूसरे को दे दिया और उसने उसे चढ़ा लिया। फिर दोनों ने अपने स्थान बदल लिए। ज्योहीं दूसरे ने अपना 8 गुणा 3इंच का लण्ड मेरी गाँड में डाला मेरी खुशी दर्द में बदल गई। मैं छटपटाने लगी, पर उसने रहम नहीं दिखाया और पूरा पेल दिया। फिर वह रुका और थोड़ा समायोजन करने की कोशिश करने लगा। कुछ देर में मैं सामान्य हुई तो उसने धीरे-धीरे पेलना शुरु किया।
इधर सामने वाला मेरे मुँह में तेज़ी से झड़ा और ठंडा पड़ गया। ख़ैर उसका साथी चालू रहा। फिर अचानक वह वहशी हो गया और मेरी कमड़ पकड़कर ज़ोरों से धक्के लगाने लगा। फिर वह भी तेज़ी से झड़ा और मेरे ऊपर निढाल हो गया।
जब उसने अपना लंड निकाला तो मेरी गाँड बन्द नहीं हो पा रही थी। उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए। फिर एक ने एक गद्देदार रुमाल मेरी पैन्टी में डाला और मेरी पैन्टी चढ़ा दी, फिर चलते-चलते कहा- गर्म पानी से गाँड की सिंकाई कर लेना, ठीक हो जाएगी।
उनके चले जाने के बाद मैंने बैठने की कोशिश की पर ठीक से बैठ नहीं पा रही थी। ख़ैर जैसे-तैसे किया। काफी अच्छे से चुदाई की थी सालों ने।
शाम को जब मैंने सिंकाई की तो थोड़ा आराम मिला।
इधर मैंने अब उसे उठाकर कम्प्यूटर टेबल पर झुका दिया और उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगाने लगा। मैं तेज़ी से उसकी गाँड मार रहा था। थोड़ी ही देर में मैं चरम पर था। फिर मैं तेज़ी से झड़ा और उसे लेकर कुर्सी पर बैठ गया। उसकी बुर पानी छोड़ रही थी। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी बुर में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
तभी किरण आँटी आ गईं। आते ही बोली- आख़िर साले ने चोद ही दिया।
उसने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे मेर ऊपर से हटाने लगी।
नेहा ने कहा- बस थोड़ा सा ! झड़ने वाली हूँ।
आँटी- अच्छा ! मैं यहाँ खड़ी होकर तेरा झड़ना देखूँ? चल हट, मेरी बारी !
कहते हुए उसने नेहा को उठा दिया और ख़ुद मेरी गोद में बैठ गई। उसने मेरा लंड सहलाया और उसे अपनी चूत में घुसा लिया और कहा चल चोद..!
मुझे दिक्कत हो रही थी तो मैं उसे अपने बिस्तर पर ले आया और उसे घोड़ी बनाकर चोदने लगा। इधर नेहा चुदने को बक़रार थी और अपनी माँ बगल में घोड़ी बन गई। मैं बारी-बारी उन्हें चोदने लगा।
कुछ ही देर में किरण आँटी तेज़ी से झड़ी और ठण्डी पड़ गई। फिर उनका ख्याल मेरी ओर गया कि मैं नेहा कि गाँड मार रहा था।
इस पर उन्होंने मुझसे कहा- अभी इसकी चूत नहीं खोली है क्या?
मैंने कहा- नहीं।
फिर उसने नेहा की ओर देखा और कहा- असली मज़ा तो चूत में है। चल मैं तेरी मदद करती हूँ।
उसने नेहा को सीधा किया और उसका सिर अपनी गोद में ले लिया और उसकी दोनों टाँगें छितराकर मुझसे कहा- आ चल, मेरी बेटी की चूत का उदघाटन कर।
मैंने उसकी चूत को चाटकर गीला किया और अपना लंड उसकी चूत की छेद पर टिकाया और फिर किरण आँटी ने उसका मुँह बन्द किया और मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया। मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया। वह बुरी तरह से तड़प उठी और उसने अपनी माँ की जाँघ में नाखून गड़ा डाला।
उसकी बुर लहूलुहान हो चुकी थी। जब वह थोड़ा शांत हुई तो मैंने पेलना शुरु किया। धीरे-धीरे उसे आनन्द आने लगा, तो किरण आँटी ने उसका मुँह छोड़ दिया और वह गाँड उठा-उठाकर चुदवाने लगी।
फिर किरण आँटी ने कहा- देखा असली मज़ा इसमें है।
नेहा- मुझे क्या मालूम, मैं तो जब भी रात में देखती, आप पापा से गाँड ही मरवाया करतीं थीं।
इस पर किरण आँटी मुस्कुराई- अच्छा तो यह बात है?
नेहा- क्या करूँ? पापा आपकी इतनी ज़ोर-ज़ोर से लेते थे कि मेरी नींद अक्सर खुल ही जाती थी।
किरण आँटी- अच्छा, मैं कहा करती थी कि धीरे करो, नहीं तो बेटी जाग जाएगी, तो कहते कि जागने दो, अपनी माँ से कुछ सबक लेगी तो अपने पति को तीनों छेदों का सुख देगी।
फिर किरण आँटी उठी और अपने कपड़ी ठीक किए और मुझसे वीर्य उसकी चूत में न डालने के लिए कहा और नीचे चली गई।
मैंने अपनी गति बढ़ा दी। उसने मेरे हाथों को ज़ोर से पकड़ लिया। उसकी चूत टाईट हो गई और वह तेज़ी से झड़ी। मैं भी झड़नेवाला था, तो मैंने अपना लंड निकालना चाहा।
उसने रोक लिया और कहा इसी में।
फिर क्या था मैंने गति और बढ़ा दी और उसकी चूत अपने गर्म लावे से भर दी।
हम कुछ देर अगल-बगल ऐसे ही लेटे रहे। इस दौरान मैं उसकी चूचियों से खेलता रहा। फिर वह उठी, अपनी चूत से बाहर बहता हुआ मेरा लावा साफ किया, कपड़े ठीक किए और मुझे एक तगड़ा अधर-चुम्बन दिया और जाने लगी। जाते वक्त वह ठीक से चल नहीं पा रही थी पर उसने अपनी स्कर्ट उठा रखी थी ताकि मैं उसकी गाँड की चाल देख सकूँ और मैं उसे जाते हुए देखता रहा।
Click on Search Button to search more posts.
