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मौसी की लड़की की चुदाई - मौसी की बेटी को चोदा - Mausi ki beti ki chudai masti se khub choda
मौसी की लड़की की चुदाई - मौसी की बेटी को चोदा - Mausi ki beti ki chudai masti se khub choda , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story.
यह बात आज से चार साल पहले की है जब मैं कॉलेज में था मेरा अन्तिम वर्ष था। मुझे एक शादी में कानपुर जाना पड़ा। हमारा एक घर कानपुर में भी है क्यूंकि हमारा बिज़नस कानपुर में भी है। शादी मेरी दूर की मौसी की थी इसलिए उनके और भी परिवार वाले आये हुए थे। मेरी मौसी की बेटी जिसका नाम संतोष था मतलब जो मेरी भी मौसी हुई, वो भी नॉएडा से अपने पति और बेटे के साथ आई हुई थी। क्या बताऊँ दोस्तो, क्या चीज़ थी- उम्र 25 साल, उसका फिगर ३६-३२-३८ था क्या माल थी वो!
मैं शादी से दो दिन पहले ही कानपुर पहुँच गया था। वो भी शादी की एक रात पहले ही आ गई थी। उससे मेरी पहली मुलाकात थी। तो जब वो आई तो मेरी उससे ज्यादा बात नहीं हुई पर हाँ हम दोनों ने एक दूसरे के इरादे भांप लिए थे।
जितने भी मेहमान आये हुए थे वो सब गेस्ट-हाउस में रुके हुए थे। वो भी वहीं थी। शाम को मेरे पिताजी ने कहा कि मैं वहीं रुक जाऊं क्यूंकि लड़की वाले कानपुर में अनजान थे तो अगर रात में किसी को स्टेशन से लाना हो तो मैं चला जाऊं।
खाना खाने के बाद करीब रात नौ बजे हम जवान लोग एक कमरे में बैठ कर अन्ताक्षरी खेल रहे थे। संतोष मेरे बगल में बैठी हुई थी सर्दी होने की वजह से हमने कम्बल ओढ़ रखा था। अचानक मेरे पैर से कोई पैर टकराया मुझे लगा कि किसी का पैर गलती से लग गया होगा, पर ५ मिनट के बाद मुझे फिर महसूस हुआ की कोई पैर मेरे पैर को हौले हौले रगड़ रहा है।
मैंने धीरे से कम्बल उठा के देखा तो मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हुआ वो संतोष का पैर था मैंने संतोष की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मैं भी कम्बल के अन्दर अपने एक हाथ से उसके हाथ को मसलने लगा मुझे भी मज़ा आ रहा था और उसे भी। थोड़ी देर तक अन्ताक्षरी और हमारा खेल चलता फिर मुझे स्टेशन जाना पड़ा, मन तो नहीं था लेकिन जाना पड़ा। खैर फिर उस रात हमारी मुलाकात नहीं हो पाई क्यूँकि जब तक मैं वापस आया वो सो चुकी थी।
अगले दिन मैंने मौका देख कर उसके होटों को चूम लिया उसने भी मेरा पूरा साथ दिया। बारात आने से कुछ देर पहले वो मेरे पिताजी के पास जा कर बोली कि गेस्ट हाउस में बहुत भीड़ है तो मैं उसे घर ले जा कर तैयार करा लाऊं।
पिताजी ने मुझे बुलाया और उसके साथ घर भेज दिया। मोटरसाईकिल पर भी वो मुझसे ऐसे चिपक कर बैठी कि हमारे बीच में से हवा का भी निकलना मुश्किल था। मैं जल्दी से घर पंहुचा, ताला खोल कर अन्दर पहुँच कर मैंने उससे कहा- आप नहा लो, फिर चलना है!
तो उसने कहा- तुम भी नहा के तैयार हो जाओ!
हमारे घर में दो बाथरूम थे, एक पिताजी के कमरे में और एक गेस्ट रूम में! माँ अपने कमरे का ताला लगा के गई थी क्यूंकि उसमें गहने और पैसे रखे हुए थे। सो मैं बोला- बाथरूम एक ही है पहले आप नहा लो, फिर मैं नहा लूँगा।
वो बोली- ऐसे तो बहुत लेट हो जायेंगे, क्यूँ न हम साथ में नहा लें!
तो मैं बोला- हम दोनों? आपको शर्म नहीं आएगी?
तो वो बोली- सुबह जब चूम रहे थे तब नहीं आई तो अब क्या आएगी।
यह सुनते ही मैंने उसे झट से पकड़ लिया और चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और बेतहाशा उसके होठों को चूसने लगा। एक हाथ से मैंने उसका सर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से उसके एक स्तन को सहला रहा था। फिर मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसे बोबे चूसने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो सिसकारी भरने लगी- आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊऊह् ह्ह्ह! ओ रोनित खा जाओ इनको, प्लीज चूसो, और जोर से चूसो, इस ब्रा को फाड़ दो और खा जाओ मेरे बोबों को! ऊम्म्म आआअह्ह ह्हह्ह!
उसने मेरी शर्ट खोल कर मेरे जिस्म से अलग कर दी और फिर मुझे खड़ा करके मेरे जिस्म को चूसने और चाटने लगी। फिर उसने मेरी जींस खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और मैं उसे कुछ कहता उससे पहले वो उसे चूसने और चाटने लगी। आह दोस्तो, क्या बताऊँ वो पहली और आखिरी औरत थी जिसका लंड चूसना मुझे सबसे ज्यादा अच्छा लगा।
फिर मैंने उसको खड़ा किया और फिर से उसके बोबों पर टूट पड़ा। उन्हें जोर से मसला रगड़ा और चूस चूस कर लाल कर दिया। एक दो बार तो मैंने उसके बोबों को काट भी लिया। फिर उसके पेट को चाटते हुए मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरक गई। फिर मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटा।
वो आअह्हह ऊम्म्म स्स्स्स्ष्ह्ह ईईइसस्स जैसी आवाज करने लगी। फिर मैंने उसको लेटा कर मैं ६९ पोजिशन में आ गया और उसने झट से मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी, बीच बीच में वो अंडों को भी चूस रही थी और मैं चूत चूसते चूसते उसकी गांड में उंगली भी कर रहा था जो उसे और भी मज़ा दे रहा था।
फिर हम सीधे हुए और मैं उसके ऊपर लेट गया और अपना लंड उस की चूत पर रगड़ने लगा तो वो कहने लगी- प्लीज अब मत तड़पाओ और मेरी चूत में अपना लंड डाल दो!
लेकिन मैं उसे और तड़पाना और भड़काना चाहता था तो मैंने उसकी एक न सुनी। वो कहती रही पर मैंने तो कुछ और ही सोच रखा था। फिर जब उसकी सहनशक्ति जवाब देने लगी तो वो बोली- मादरचोद, अब तो चोद दे! अब नहीं रुका जाता! घुसा दे अपना लंड मेरी चूत में! देख कितनी तड़प रही है मेरी चूत! बहन के लौड़े, जल्दी से मेरी चूत की भूख को शांत कर दे!
इतना सुनते ही तो मुझे भी जोश आ गया और मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और वैसे भी वो एक बच्चे को पैदा कर चुकी थी इसलिए चूत में डालने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
लंड अन्दर जाते ही जैसे हम दोनों की तन और मन को शान्ति मिल गई हो, ऐसा प्रतीत हुआ। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी चालू की। वो सिस्कारियां भरने लगी और कहने लगी- आआअह्ह्ह रोनित, मेरी जान ऊऊम्म्म चोद दे मेरे भोसड़े को! आज फाड़ डाल आज्ज ईईइस्स ऊऊईईई म्म्म्माआआ कितना मज़ा आ रहा है तेरे लंड में ऊऊम्म्म चोद, मादरचोद चोद इसे! मुझे अपनी रांड बना ले आआअह्ह ह्ह्ह्ह!
क्यूंकि मेरा पहला अनुभव था तो मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। फिर वो मेरे ऊपर आ गई और चुदने लगी। जब वो ऊपर नीचे होती तो उसके मोटे मोटे बोबे झूलने लगते और मुझे वो देख कर बड़ा मज़ा आता और मेरा जोश भी दुगना हो जाता था। हमें चुदाई करते हुए आधा घंटा बीत चुका था। वो इस बीच तीन बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने उस को डौगी पोजीशन में लिया और पीछे से उसकी चूत में डाल दिया। चोदते चोदते मैंने उसकी गांड में थूक लगा कर फिर से उंगली दे डाली और उंगली से गांड को चोदने लगा।
पर मैं भी कहाँ तक संभाल पाता मेरा भी स्खलित होने वाला था। जब मुझे लगने लगा कि अब नहीं रोक सकता तो मैंने उस से पूछा- कहाँ निकालूं?
तो वो बोली- मेरे मुहँ में निकालना, मुझे तुम्हारा पानी पीना है!
सो मैंने झट से लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और आखिरी झटकों के साथ उसका मुँह पानी से भर दिया और वो उसे मज़े लेकर पी गई फिर उसने चाट कर मेरा लंड साफ़ किया।
हमें काफी देर हो चुकी थी तो हम जल्दी से साथ में नहाए और जल्दी से तैयार हो के शादी में पहुँच गए।
यह बात आज से चार साल पहले की है जब मैं कॉलेज में था मेरा अन्तिम वर्ष था। मुझे एक शादी में कानपुर जाना पड़ा। हमारा एक घर कानपुर में भी है क्यूंकि हमारा बिज़नस कानपुर में भी है। शादी मेरी दूर की मौसी की थी इसलिए उनके और भी परिवार वाले आये हुए थे। मेरी मौसी की बेटी जिसका नाम संतोष था मतलब जो मेरी भी मौसी हुई, वो भी नॉएडा से अपने पति और बेटे के साथ आई हुई थी। क्या बताऊँ दोस्तो, क्या चीज़ थी- उम्र 25 साल, उसका फिगर ३६-३२-३८ था क्या माल थी वो!
मैं शादी से दो दिन पहले ही कानपुर पहुँच गया था। वो भी शादी की एक रात पहले ही आ गई थी। उससे मेरी पहली मुलाकात थी। तो जब वो आई तो मेरी उससे ज्यादा बात नहीं हुई पर हाँ हम दोनों ने एक दूसरे के इरादे भांप लिए थे।
जितने भी मेहमान आये हुए थे वो सब गेस्ट-हाउस में रुके हुए थे। वो भी वहीं थी। शाम को मेरे पिताजी ने कहा कि मैं वहीं रुक जाऊं क्यूंकि लड़की वाले कानपुर में अनजान थे तो अगर रात में किसी को स्टेशन से लाना हो तो मैं चला जाऊं।
खाना खाने के बाद करीब रात नौ बजे हम जवान लोग एक कमरे में बैठ कर अन्ताक्षरी खेल रहे थे। संतोष मेरे बगल में बैठी हुई थी सर्दी होने की वजह से हमने कम्बल ओढ़ रखा था। अचानक मेरे पैर से कोई पैर टकराया मुझे लगा कि किसी का पैर गलती से लग गया होगा, पर ५ मिनट के बाद मुझे फिर महसूस हुआ की कोई पैर मेरे पैर को हौले हौले रगड़ रहा है।
मैंने धीरे से कम्बल उठा के देखा तो मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हुआ वो संतोष का पैर था मैंने संतोष की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मैं भी कम्बल के अन्दर अपने एक हाथ से उसके हाथ को मसलने लगा मुझे भी मज़ा आ रहा था और उसे भी। थोड़ी देर तक अन्ताक्षरी और हमारा खेल चलता फिर मुझे स्टेशन जाना पड़ा, मन तो नहीं था लेकिन जाना पड़ा। खैर फिर उस रात हमारी मुलाकात नहीं हो पाई क्यूँकि जब तक मैं वापस आया वो सो चुकी थी।
अगले दिन मैंने मौका देख कर उसके होटों को चूम लिया उसने भी मेरा पूरा साथ दिया। बारात आने से कुछ देर पहले वो मेरे पिताजी के पास जा कर बोली कि गेस्ट हाउस में बहुत भीड़ है तो मैं उसे घर ले जा कर तैयार करा लाऊं।
पिताजी ने मुझे बुलाया और उसके साथ घर भेज दिया। मोटरसाईकिल पर भी वो मुझसे ऐसे चिपक कर बैठी कि हमारे बीच में से हवा का भी निकलना मुश्किल था। मैं जल्दी से घर पंहुचा, ताला खोल कर अन्दर पहुँच कर मैंने उससे कहा- आप नहा लो, फिर चलना है!
तो उसने कहा- तुम भी नहा के तैयार हो जाओ!
हमारे घर में दो बाथरूम थे, एक पिताजी के कमरे में और एक गेस्ट रूम में! माँ अपने कमरे का ताला लगा के गई थी क्यूंकि उसमें गहने और पैसे रखे हुए थे। सो मैं बोला- बाथरूम एक ही है पहले आप नहा लो, फिर मैं नहा लूँगा।
वो बोली- ऐसे तो बहुत लेट हो जायेंगे, क्यूँ न हम साथ में नहा लें!
तो मैं बोला- हम दोनों? आपको शर्म नहीं आएगी?
तो वो बोली- सुबह जब चूम रहे थे तब नहीं आई तो अब क्या आएगी।
यह सुनते ही मैंने उसे झट से पकड़ लिया और चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और बेतहाशा उसके होठों को चूसने लगा। एक हाथ से मैंने उसका सर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से उसके एक स्तन को सहला रहा था। फिर मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसे बोबे चूसने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो सिसकारी भरने लगी- आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊऊह् ह्ह्ह! ओ रोनित खा जाओ इनको, प्लीज चूसो, और जोर से चूसो, इस ब्रा को फाड़ दो और खा जाओ मेरे बोबों को! ऊम्म्म आआअह्ह ह्हह्ह!
उसने मेरी शर्ट खोल कर मेरे जिस्म से अलग कर दी और फिर मुझे खड़ा करके मेरे जिस्म को चूसने और चाटने लगी। फिर उसने मेरी जींस खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और मैं उसे कुछ कहता उससे पहले वो उसे चूसने और चाटने लगी। आह दोस्तो, क्या बताऊँ वो पहली और आखिरी औरत थी जिसका लंड चूसना मुझे सबसे ज्यादा अच्छा लगा।
फिर मैंने उसको खड़ा किया और फिर से उसके बोबों पर टूट पड़ा। उन्हें जोर से मसला रगड़ा और चूस चूस कर लाल कर दिया। एक दो बार तो मैंने उसके बोबों को काट भी लिया। फिर उसके पेट को चाटते हुए मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरक गई। फिर मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटा।
वो आअह्हह ऊम्म्म स्स्स्स्ष्ह्ह ईईइसस्स जैसी आवाज करने लगी। फिर मैंने उसको लेटा कर मैं ६९ पोजिशन में आ गया और उसने झट से मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी, बीच बीच में वो अंडों को भी चूस रही थी और मैं चूत चूसते चूसते उसकी गांड में उंगली भी कर रहा था जो उसे और भी मज़ा दे रहा था।
फिर हम सीधे हुए और मैं उसके ऊपर लेट गया और अपना लंड उस की चूत पर रगड़ने लगा तो वो कहने लगी- प्लीज अब मत तड़पाओ और मेरी चूत में अपना लंड डाल दो!
लेकिन मैं उसे और तड़पाना और भड़काना चाहता था तो मैंने उसकी एक न सुनी। वो कहती रही पर मैंने तो कुछ और ही सोच रखा था। फिर जब उसकी सहनशक्ति जवाब देने लगी तो वो बोली- मादरचोद, अब तो चोद दे! अब नहीं रुका जाता! घुसा दे अपना लंड मेरी चूत में! देख कितनी तड़प रही है मेरी चूत! बहन के लौड़े, जल्दी से मेरी चूत की भूख को शांत कर दे!
इतना सुनते ही तो मुझे भी जोश आ गया और मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और वैसे भी वो एक बच्चे को पैदा कर चुकी थी इसलिए चूत में डालने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
लंड अन्दर जाते ही जैसे हम दोनों की तन और मन को शान्ति मिल गई हो, ऐसा प्रतीत हुआ। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी चालू की। वो सिस्कारियां भरने लगी और कहने लगी- आआअह्ह्ह रोनित, मेरी जान ऊऊम्म्म चोद दे मेरे भोसड़े को! आज फाड़ डाल आज्ज ईईइस्स ऊऊईईई म्म्म्माआआ कितना मज़ा आ रहा है तेरे लंड में ऊऊम्म्म चोद, मादरचोद चोद इसे! मुझे अपनी रांड बना ले आआअह्ह ह्ह्ह्ह!
क्यूंकि मेरा पहला अनुभव था तो मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। फिर वो मेरे ऊपर आ गई और चुदने लगी। जब वो ऊपर नीचे होती तो उसके मोटे मोटे बोबे झूलने लगते और मुझे वो देख कर बड़ा मज़ा आता और मेरा जोश भी दुगना हो जाता था। हमें चुदाई करते हुए आधा घंटा बीत चुका था। वो इस बीच तीन बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने उस को डौगी पोजीशन में लिया और पीछे से उसकी चूत में डाल दिया। चोदते चोदते मैंने उसकी गांड में थूक लगा कर फिर से उंगली दे डाली और उंगली से गांड को चोदने लगा।
पर मैं भी कहाँ तक संभाल पाता मेरा भी स्खलित होने वाला था। जब मुझे लगने लगा कि अब नहीं रोक सकता तो मैंने उस से पूछा- कहाँ निकालूं?
तो वो बोली- मेरे मुहँ में निकालना, मुझे तुम्हारा पानी पीना है!
सो मैंने झट से लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और आखिरी झटकों के साथ उसका मुँह पानी से भर दिया और वो उसे मज़े लेकर पी गई फिर उसने चाट कर मेरा लंड साफ़ किया।
हमें काफी देर हो चुकी थी तो हम जल्दी से साथ में नहाए और जल्दी से तैयार हो के शादी में पहुँच गए।
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