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नौकर की बीवी के साथ सुहागरात मनाया - चुदाई की और खूब चोदा - Naukar ki Biwi ki chudai
नौकर की बीवी के साथ सुहागरात मनाया - चुदाई की और खूब चोदा - Naukar ki Biwi ki chudai , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story.
मेरा एक नौकर है – राजा ! नौकर ही नहीं, एक तरह से वो मेरा राजदार है, सेक्स की हर एक बात मैं उससे करता हूँ। अनेक कुंवारी लड़कियों को उसने पटाया और मेरे नीचे लिटाया। उसकी बहन को मैंने नौ साल तक चोदा, तब जाकर उसकी शादी की।
पंजाब में आजकल शादी करने के लिए लड़कियों की बहुत कमी है। बिना जमीन वाले लड़के को लड़की मिलना बहुत मुश्किल है। एक जगह उसके रिश्ते की बात चली, लेकिन बात जमीन पर आकर अड़ गई। वो मेरा राजदार था तो मैंने उसके होने वाले सास ससुर को विश्वास दिलवाया कि राजा और उसके परिवार के रोज़गार की मैं गारंटी लेता हूँ। आप शादी के लिए हाँ कीजिये। लड़की वाले भी गरीब थे, इतने विश्वास दिलवाने से वो मान गए। शादी पक्की हो गई।
शादी वाले दिन मैं खुद अपनी स्कॉर्पियो में उसकी दुल्हन को लेकर आया। उसके ससुराल वाले बहुत खुश थे कि सरदार खुद अपनी गाड़ी में डोली ले कर गया है।
उसकी दुल्हन का नाम बलबीर कौर है। 18 साल की भरे-पूरे शरीर की सांवली सी लड़की है। आँखें और मोम्मे बहुत बड़े-बड़े और गांड भी थोड़ी बाहर को निकली हुई। मैं समझ गया कि यह भी किसी सरदार का बिस्तर गरम करती होगी। खैर डोली घर आ गई और शगन करने के बाद बलबीर को घर-प्रवेश करवा दिया।
पंजाब में रिवाज है शादी के दूसरे दिन, जब रिश्तेदार वगैरा चले जाते हैं, तो सुहाग रात मनाई जाती है। लेकिन राजा की मां के इरादे कुछ और थे। वो मेरे एहसान का बदला उसी दिन चुकाना चाहती थी। उसने बलबीर को मेरे साथ सुहागरात मनाने के लिए राजी कर लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉं पर पढ़ रहे हैं।
शाम को नौ बजे मुझे बुला कर कमरे में बिठा दिया और विनती करते हुए बोली- सरदार जी ! हम आप का एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलेंगे। नई बहू के साथ सुहागरात राजा नहीं आप मानाओगे ! लड़कियाँ चोदना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी लेकिन किसी और की बीवी के साथ सुहागरात मनाने का यह पहला मौका था, मैंने तो मानना ही था।
मैं कमरे में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद शरमाती हुई बलबीर आई। दूध का गिलास मेज पर रख कर मेरे पैरों को हाथ लगाया। मैंने उसको बिठाया और बातें करने लगा। मैंने उससे शादी के पहले सेक्स के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने कभी सेक्स नहीं किया। वो जिस जमींदार के घर काम करती थी, वो उसे अपनी बेटी की तरह मानते थे और खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, इसलिए वो इतनी गदरा गई थी। मैंने सोचा कि साली ड्रामे कर रही है ! कोई कैसे छोड़ देगा ऐसे गदराये हुए माल को।
मैंने उसे अपनी बाहों में लिया, वो शरमाई लेकिन मैं तो पक्का खिलाड़ी था। उसको खड़ा किया और पूरे जिस्म को अपने बाँहों में जकड़ लिया। मैंने उसे दीवार के साथ खड़ा कर दिया। उसके दोनों हाथ दीवार के साथ सटे हुए थे गांड मेरी तरफ थी, मैंने पीछे से उसके मोम्मे पकड़ लिए और दबाना शुरू कर दिया, वो कसमसाने लगी।
मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराते हुए उसे गर्म कर दिया और धीरे धीरे उसे नंगा कर दिया। वो शरमा रही थी लेकिन मैं पागल हुआ जा रहा था। एक भरी-पूरी 18 साल की जवान लड़की मेरे सामने नंगी खड़ी थी। मैंने उसके मोम्मे चूसना शुरू कर दिया। उसे भी मजा आने लगा लेकिन मुझ से रहा नहीं गया। मैं जल्दी से जल्दी उसे चोदना चाहता था।
मैं भी नंगा हो गया। जैसे ही मैंने उसे लंड चूसने को कहा तो वो बड़ी हैरान हुई। मैंने उसे समझाया कि इसे चूसने के बाद ही सेक्स होता है। वो मना नहीं कर सकती थी क्योंकि उसकी मजबूरी थी। उसने लंड मुँह में डाल लिया लेकिन उसे अच्छी तरह से चूसना नहीं आता था, इसलिए मुझे मजा नहीं आया। मैंने सोचा कि सारी ज़िन्दगी पड़ी है लंड चुसवाने के लिए, आज इसकी चूत फाड़ी जाये।
मैंने उसे लिटा लिया और लंड उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही धक्का लगाया वो सिहर उठी। उसकी चूत कसी थी। जैसे ही मैंने जोर लगाया वो रोने लगी।
मैंने जोर से धक्का लगाया, वो चीख पड़ी- मर गई मां, फाड़ दिया ! मार दिया, बचाआआआआओ ! कोई है मुझे इस जालिम से बचाओ ! फाड़ दी मेरी, धीरे डालो !
मुझे मजा आने लगा। मैं रोज़ नई से नई लड़कियाँ चोदता था और मेरी हवेली से अकसर लड़कियों के चीखने की आवाजें आती थी, लोग मुझे चीखों वाल सरदार पुकारते थे और आज एक और की चीखें निकाल रहा था। यह अलग बात है कि यह उसकी सुहागरात थी और चोद उसे मैं रहा था।
मेरे धक्के बढ़ने लगे और बलबीर को भी स्वाद आने लगा। वो लगातार बोले जा रही थी- हाय री मां, कैसी किस्मत दी भगवान ने मुझे, गाँव के लड़कों और सरदारों से बड़ी मुश्किल से जवानी बचा कर लाई थी, अपने खसम के लिए, यहाँ कोई और ऊपर चढ़ गया। हाय हाय धीरे धीरे । इतना क्यों जुलम कर रहे हो। आपके नीचे ही तो लेटना है हर रोज !
वो चीखे जा रही थी, मैं धक्के मारता चला जा रहा था। मज़ा दोनों को आ रहा था। 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने जा रहा था। मैं भी चिल्लाने लगा- हाय बलबीर मेरी जान ! मजा आ गया तेरी सील तोड़ कर ! साली क्या जवानी है ! फुद्दू था तेरा वो सरदार जिसने तुझे कुंवारी को ससुराल भेज दिया। ले मेरी जान, मेरा लंड खा, सारी ज़िन्दगी की किसी चीज़ की कमी नहीं आने दूंगा। ले ले ले ! वो भी बोले जा रही थी- धीरे ! धीरे ! मां चुद गई तेरी बलबीर ! फट गई कुंवारी चूत आह आह आह आआआआआआआअह !
और मैं झड़ गया। वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। चादर पर खून के धब्बे लग गए थे। वो वाकई कुंवारी थी और मैं खुशनसीब था जिसने उसकी जवानी का पहला रस पिया।
उस रात राजा के सारे रिश्तेदार सोए नहीं। सारी रात हमारी चुदाई की बातें सुनते रहे। पूरी रात में तीन बार चोदा। सुबह बलबीर से ठीक तरीके से चला नहीं जा रहा था। उसकी सास बहुत खुश थी। मुझे हैरानी हुई कि राजा भी बहुत खुश था। उसकी बीवी को पहली रात मैंने चोदा और वो फिर भी खुश था।
पूछने पर उसने बताया- सरदार जी, बलबीर को तो इक न इक दिन आपसे चुदना ही था, लेकिन कल रात मैंने अपनी बिचोलन, बलबीर की बुआ “अंग्रेजो” जो उसके साथ आई हुई थी उसको चोदा। क्या माल है सरदार जी, लंड को मुँह में लेकर छोड़ने का नाम ही नहीं लेती। आज दोपहर को ही हवेली पहुँचाता हूँ।
लेकिन मेरा मूड नहीं था। मैं बलबीर को ही चोदना चाहता था। मैंने मना कर दिया और रात को दोबारा बलबीर को तैयार रखने के लिए कह कर अपनी हवेली वापिस आ गया।
मेरा एक नौकर है – राजा ! नौकर ही नहीं, एक तरह से वो मेरा राजदार है, सेक्स की हर एक बात मैं उससे करता हूँ। अनेक कुंवारी लड़कियों को उसने पटाया और मेरे नीचे लिटाया। उसकी बहन को मैंने नौ साल तक चोदा, तब जाकर उसकी शादी की।
पंजाब में आजकल शादी करने के लिए लड़कियों की बहुत कमी है। बिना जमीन वाले लड़के को लड़की मिलना बहुत मुश्किल है। एक जगह उसके रिश्ते की बात चली, लेकिन बात जमीन पर आकर अड़ गई। वो मेरा राजदार था तो मैंने उसके होने वाले सास ससुर को विश्वास दिलवाया कि राजा और उसके परिवार के रोज़गार की मैं गारंटी लेता हूँ। आप शादी के लिए हाँ कीजिये। लड़की वाले भी गरीब थे, इतने विश्वास दिलवाने से वो मान गए। शादी पक्की हो गई।
शादी वाले दिन मैं खुद अपनी स्कॉर्पियो में उसकी दुल्हन को लेकर आया। उसके ससुराल वाले बहुत खुश थे कि सरदार खुद अपनी गाड़ी में डोली ले कर गया है।
उसकी दुल्हन का नाम बलबीर कौर है। 18 साल की भरे-पूरे शरीर की सांवली सी लड़की है। आँखें और मोम्मे बहुत बड़े-बड़े और गांड भी थोड़ी बाहर को निकली हुई। मैं समझ गया कि यह भी किसी सरदार का बिस्तर गरम करती होगी। खैर डोली घर आ गई और शगन करने के बाद बलबीर को घर-प्रवेश करवा दिया।
पंजाब में रिवाज है शादी के दूसरे दिन, जब रिश्तेदार वगैरा चले जाते हैं, तो सुहाग रात मनाई जाती है। लेकिन राजा की मां के इरादे कुछ और थे। वो मेरे एहसान का बदला उसी दिन चुकाना चाहती थी। उसने बलबीर को मेरे साथ सुहागरात मनाने के लिए राजी कर लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉं पर पढ़ रहे हैं।
शाम को नौ बजे मुझे बुला कर कमरे में बिठा दिया और विनती करते हुए बोली- सरदार जी ! हम आप का एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलेंगे। नई बहू के साथ सुहागरात राजा नहीं आप मानाओगे ! लड़कियाँ चोदना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी लेकिन किसी और की बीवी के साथ सुहागरात मनाने का यह पहला मौका था, मैंने तो मानना ही था।
मैं कमरे में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद शरमाती हुई बलबीर आई। दूध का गिलास मेज पर रख कर मेरे पैरों को हाथ लगाया। मैंने उसको बिठाया और बातें करने लगा। मैंने उससे शादी के पहले सेक्स के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने कभी सेक्स नहीं किया। वो जिस जमींदार के घर काम करती थी, वो उसे अपनी बेटी की तरह मानते थे और खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, इसलिए वो इतनी गदरा गई थी। मैंने सोचा कि साली ड्रामे कर रही है ! कोई कैसे छोड़ देगा ऐसे गदराये हुए माल को।
मैंने उसे अपनी बाहों में लिया, वो शरमाई लेकिन मैं तो पक्का खिलाड़ी था। उसको खड़ा किया और पूरे जिस्म को अपने बाँहों में जकड़ लिया। मैंने उसे दीवार के साथ खड़ा कर दिया। उसके दोनों हाथ दीवार के साथ सटे हुए थे गांड मेरी तरफ थी, मैंने पीछे से उसके मोम्मे पकड़ लिए और दबाना शुरू कर दिया, वो कसमसाने लगी।
मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराते हुए उसे गर्म कर दिया और धीरे धीरे उसे नंगा कर दिया। वो शरमा रही थी लेकिन मैं पागल हुआ जा रहा था। एक भरी-पूरी 18 साल की जवान लड़की मेरे सामने नंगी खड़ी थी। मैंने उसके मोम्मे चूसना शुरू कर दिया। उसे भी मजा आने लगा लेकिन मुझ से रहा नहीं गया। मैं जल्दी से जल्दी उसे चोदना चाहता था।
मैं भी नंगा हो गया। जैसे ही मैंने उसे लंड चूसने को कहा तो वो बड़ी हैरान हुई। मैंने उसे समझाया कि इसे चूसने के बाद ही सेक्स होता है। वो मना नहीं कर सकती थी क्योंकि उसकी मजबूरी थी। उसने लंड मुँह में डाल लिया लेकिन उसे अच्छी तरह से चूसना नहीं आता था, इसलिए मुझे मजा नहीं आया। मैंने सोचा कि सारी ज़िन्दगी पड़ी है लंड चुसवाने के लिए, आज इसकी चूत फाड़ी जाये।
मैंने उसे लिटा लिया और लंड उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही धक्का लगाया वो सिहर उठी। उसकी चूत कसी थी। जैसे ही मैंने जोर लगाया वो रोने लगी।
मैंने जोर से धक्का लगाया, वो चीख पड़ी- मर गई मां, फाड़ दिया ! मार दिया, बचाआआआआओ ! कोई है मुझे इस जालिम से बचाओ ! फाड़ दी मेरी, धीरे डालो !
मुझे मजा आने लगा। मैं रोज़ नई से नई लड़कियाँ चोदता था और मेरी हवेली से अकसर लड़कियों के चीखने की आवाजें आती थी, लोग मुझे चीखों वाल सरदार पुकारते थे और आज एक और की चीखें निकाल रहा था। यह अलग बात है कि यह उसकी सुहागरात थी और चोद उसे मैं रहा था।
मेरे धक्के बढ़ने लगे और बलबीर को भी स्वाद आने लगा। वो लगातार बोले जा रही थी- हाय री मां, कैसी किस्मत दी भगवान ने मुझे, गाँव के लड़कों और सरदारों से बड़ी मुश्किल से जवानी बचा कर लाई थी, अपने खसम के लिए, यहाँ कोई और ऊपर चढ़ गया। हाय हाय धीरे धीरे । इतना क्यों जुलम कर रहे हो। आपके नीचे ही तो लेटना है हर रोज !
वो चीखे जा रही थी, मैं धक्के मारता चला जा रहा था। मज़ा दोनों को आ रहा था। 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने जा रहा था। मैं भी चिल्लाने लगा- हाय बलबीर मेरी जान ! मजा आ गया तेरी सील तोड़ कर ! साली क्या जवानी है ! फुद्दू था तेरा वो सरदार जिसने तुझे कुंवारी को ससुराल भेज दिया। ले मेरी जान, मेरा लंड खा, सारी ज़िन्दगी की किसी चीज़ की कमी नहीं आने दूंगा। ले ले ले ! वो भी बोले जा रही थी- धीरे ! धीरे ! मां चुद गई तेरी बलबीर ! फट गई कुंवारी चूत आह आह आह आआआआआआआअह !
और मैं झड़ गया। वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। चादर पर खून के धब्बे लग गए थे। वो वाकई कुंवारी थी और मैं खुशनसीब था जिसने उसकी जवानी का पहला रस पिया।
उस रात राजा के सारे रिश्तेदार सोए नहीं। सारी रात हमारी चुदाई की बातें सुनते रहे। पूरी रात में तीन बार चोदा। सुबह बलबीर से ठीक तरीके से चला नहीं जा रहा था। उसकी सास बहुत खुश थी। मुझे हैरानी हुई कि राजा भी बहुत खुश था। उसकी बीवी को पहली रात मैंने चोदा और वो फिर भी खुश था।
पूछने पर उसने बताया- सरदार जी, बलबीर को तो इक न इक दिन आपसे चुदना ही था, लेकिन कल रात मैंने अपनी बिचोलन, बलबीर की बुआ “अंग्रेजो” जो उसके साथ आई हुई थी उसको चोदा। क्या माल है सरदार जी, लंड को मुँह में लेकर छोड़ने का नाम ही नहीं लेती। आज दोपहर को ही हवेली पहुँचाता हूँ।
लेकिन मेरा मूड नहीं था। मैं बलबीर को ही चोदना चाहता था। मैंने मना कर दिया और रात को दोबारा बलबीर को तैयार रखने के लिए कह कर अपनी हवेली वापिस आ गया।
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