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रात में मर्द बदल लेती हूँ - Rajasthani hindi sex kahani story on internet
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दोस्तों, मैं आपसे एक बात पूंछती हूँ। क्या आप दूसरों की बीवियां नहीं चोदना चाहते ? क्या आप दूसरों के मियों से नहीं चुदवाना चाहती ? क्या कोई ऐसा भोसड़ी वाला मर्द है जो दूसरों की बीवियां चोदना न चाहता हो ? इसी तरह क्या कोई भोसड़ी वाली ऐसी बीवी है जो गैर मर्द से चुदवाना न चाहती हो ? जब आग दोनों तरफ है तो फिर मिलकर एक दूसरे की बीवियां क्यों नहीं चोदते ? एक दूसरे के मर्दों से क्यों नहीं चुदवाती ? सच कहने में गांड फटती है क्या ? अपने मन की बात कहने में हिचकिचाहट क्यों ? शर्म क्यों ? झिझक क्यों ? संकोच क्यों ? एक बार कोशिश करके तो देखिये ? मुझे जब आपकी बीवी अच्छी लगती है तो कहने में क्या हर्ज है। तुम्हे अगर मेरी बीवी अच्छी लगती है तो कहो न मुझसे ?
मैं तो कहती हूँ अगर इसमें बीवियां पहल करें तो बात बहुत जल्दी बन सकती है। अब मुझे देखो मैं हर रात किसी न किसी पराये मर्द से चुदवाती हूँ। मेरा मियां हर रात किसी न किसी की बीवी चोदता है। आप सोंच रहे होंगे / होंगी की मैं झूंठ बोल रही हूँ। नहीं ऐसा नहीं है। मैं बिलकुल सच कह रही हूँ। हमारे संपर्क में ८/१० कपल ऐसे है जो अपनी बीवियों की अदल बदली करते है। बस रात में मेरा मर्द जिसके पास चला जाता है उसका मर्द मेरे पास चला आता है। जिसकी बीवी मेरे मर्द के पास आती है मैं उसके मर्द के साथ चली जाती हूँ। इसी तरह सारे मर्द करते है और सारी बीवियां करती है। हम सब जवानी का मज़ा लूट रही है।
दोस्तों, अब कहानी आगे बढ़ रही है। आप लण्ड संभाल कर रखिये। बल्कि उसे खोल कर बाहर निकाल लीजिये। थोड़ा पढ़ते ही आपका लण्ड खड़ा हो जायेगा और फिर खड़ा ही रहेगा ? आपका हाथ अपने आप उस पर चला जायेगा। अगर आप कहानी पढ़ रही है तो फिर कपडे खोल कर पढ़िए। अपनी चूंची और चूत का विशेष ख्याल रखिये ?
मैं हूँ मिसेज कविता चौधरी ? मैं ३० साल की एक मद मस्त बड़ी बड़ी चूंचियों वाली एकदम गोरी चिट्टी बिंदास बंगाली महिला हूँ ? पिछले ५ साल से मैं गैर मर्दों से खूब चुदवा रही हूँ। मैं कभी अपने घर में गैर मर्दों से चुदवाती हूँ, कभी दूसरों के घर जाकर गैर मर्दों से चुदवाती हूँ, कभी होटल में एक ग्रुप में गैर मर्दों से चुदवाती हूँ और कभी "मर्दों की अदला बदली" की पार्टी में चुदवाती हूँ। इसी तरह मेरा मरद काके भी दूसरों की बीवियां ५ साल से चोद रहा है ? कभी अपने घर लोगों की बीवियां चोदता है। कभी उनके घर जाकर चोदता है, कभी ग्रुप में सबकी बीवियां चोदता है कभी होटल में, कभी "बीवियों की अदला बदली" की पार्टी में लोगों की बीवियां चोदता है। कभी कभी तो ऐसा भी होता है की मैं अपने पति के सामने अपने ही घर में किसी और से चुदवाती हूँ और वह भी मेरे सामने किसी और की बीवी चोदता है। हम दोनों मियां बीवी इस तरह की चोदा चोदी से बहुत खुश है और इसी तरह की चोदा चोदी आगे भी करते रहना चाहते है।
हम लोग कलकत्ता में रहते है। मेरी शादी का एक ही साल हुआ था। एक दिन मैं अपनी सहेली मधुमिता के घर गयी थी। उसने दरवाजा खोला तो उसे सरप्राईज़ हुआ वह बोली हाय कविता तू कैसी है यार ? तेरी शादी के बाद आज मैं तुझे देख रही हूँ। एक साल में ही तू बड़ी खूबसूरत और सेक्सी हो गयी है यार।
मैंने कहा - मधु तू भी तो बड़ी मस्त हो गयी है। देखो न तेरी चूंचियां बहन चोद दुगुनी हो गयी है।
वह बोली - दुगुनी तो तेरी भी हो गयी है चूंचियां और हां तेरी तो गांड बड़ी मस्त दिखाई पद रही है।
मैंने कहा - यार अगर चूंची बढ़ेंगी तो गांड भी तो बढ़ेगी ? और बता कैसा चल रहा है सब मधु ?
वह बोली - यार मस्ती है। जवानी का मज़ा ले रही हूँ बस ?
तब तक अंदर से एक आदमी बाहर कमरे में आ गया जहाँ हम दोनों बैठी थी। मैं उस आदमी को पहचानने की कोशिश करने लगी ।
तब तक मधु बोली - अरे यार ये है मिस्टर सुदेश मेरे हसबैंड का दोस्त ?
मैंने पूंछा - तो फिर तेरा पति मानव यानी मेरे जीजा जी कहाँ है ?
वह बोली - तेरा जीजा जी इसके घर में इसकी बीवी के साथ है।
मैं बड़ी देर तक कुछ बोली नहीं। इतने में उसने बियर का इंतज़ाम किया और हम तीनो बियर पीने लगे ? गर्मी के दिन थे। इसलिए बियर बड़ी ठंढक पहुंचा रही थी। पर अंदर ही अंदर एक सवाल मेरे दिमाग में उठ रहा था की मधु किसी पराये मर्द के साथ क्या कर रही है ?
मधु बोली - अरी कविता किस सोंच में पड़ गयी तू बहन चोद ?
मैं अपने आप को रोक नहीं सकी और पूंछ ही बैठी तो क्या रात में भी यह आपके साथ था मधु ?
वह बोली देखो कविता मैं कोई भूमिका न बनाते हुए तुम्हे साफ़ साफ़ बताती हूँ की मुझे रात में पराये मर्दों के साथ सोने की आदत है और यह मेरा शौक भी है। इसमें मेरा हसबैंड मेरा बखूबी साथ देता है क्योंकि उसे भी परायी बीवियों के साथ रात में सोने की आदत पड़ गयी है।
मैंने फिर पूंछा :- यार मधु तू सच कह रही है न ?
वह बोली :- मैं बिलकुल सच कह रही हूँ। और अब साफ़ साफ़ सुन मैं पराये मर्दों से खुले आम चुदवाती हूँ। मुझे पराये मर्दों के लण्ड से बड़ा प्यार है। मैं एक नहीं कई मर्दों से चुदवाती हूँ। उधर मेरा पति भी कई बीवियां चोदता है।
मैंने कहा :- यार मन तो मेरा भी करता है पर कभी हिम्मत नहीं की ?
वह बोली :- इसका मतलब है की तेरी गांड फटती है। तू चूतिया है। तेरी गांड में दम नहीं है ? देख गांड मेरी भी फटती थी पहले ? पर एक दिन मैंने हिम्मत करके अपनी सहेली की बुर अपने सामने अपने पति से चुदवा ली। मेरे पति को उसे चोदने में मज़ा आ गया। मैंने दो लड़कियों को और चुदवाया अपने पति से। बस उसे चस्का लग गया और मेरा काम बन गया। अब मैं जिस आदमी का लण्ड पकड़ती हूँ उसकी बीवी को अपने पति का लण्ड पकड़ा देती हूँ। यह हमेशा नहीं होता लेकिन अक्सर होता है। अब तो मैं बिंदास गैर मर्दों से चुदवाती हूँ चाहे उसकी बीवी मेरे पति से चुदवाये चाहे न चुदवाये ? मैं तो कहती हूँ की कविता तू भी पराये मर्दों से चुदवाना शुरू कर दे और ले ले जवानी का असली मज़ा ? आज तू सुदेश से चुदवा ले ? इसके लण्ड का मज़ा तू भी ले ले जैसे मैं लेती हूँ। मैं वादा करती हूँ की कल मैं तेरे घर में ही तेरे पति से चुदवाऊँगी ? मैं सुन्दर हूँ, बड़ी बड़ी चूंचियों वाली हूँ, गोरी हूँ, मस्त गांड वाली हूँ, मैं खूब सेक्सी बातें कर कर के उसके लण्ड में जोश भर दूँगी तू बस मेरी हां में हां मिलाती रहना ?
मैंने उसकी बातों में आकर हाँ कह दी।
मधुमती ने पहले अपने कपडे खोले। वह बिलकुल निःवस्त्र हो गयी। उसकी चूंचियां उसकी चूत उसकी गांड देख कर तो मैं भी मस्ती हो गयी। फिर वह मेरे कपडे खोलने लगी। मेरे सामने सुदेश बैठा था। मेरी जब चूंचियां खुली तो सुदेश उन्हें आँखे फाड़ फाड़ कर देखने लगा। फिर जब मेरा पेटीकोट खुला तो वह मेरी चूत देख कर अपने होंठ चाटने लगा। मेरी मोटी मोटी जांघें मेरी सेक्सी गांड देख कर उसके लण्ड में जोश आ गया। मैं उसके बगल में बैठ गयी और मधु ने उसका हाथ पकड़ कर मेरी चूंची पर रख दिया और बोली लो अब मेरी सहेली की बुर चोद चोद खूब मज़ा लो ? मधु फिर उसके कपडे उतारने लगी। उसकी चौड़ी नंगी छाती और छाती के बाल देख कर मेरी चूत गनगना उठी। उसके बाद जब मधु ने उसका लौड़ा खोल कर निकाला तो मेरी आँखे उसी पर टिक गयी। पकड़ा दिया उसने मुझे लण्ड ? लण्ड हाथ में आते ही मेरे बदन में आग लग गयी। मैंने झुक कर लण्ड की कई बार चुम्मी ली फिर जबान निकाल कर चाटने लगी लण्ड ? सुधेश मेरी चूंची मसलने लगा और मधु मेरी चूत सहलाने लगी ।
मैंने सुधेश को पलंग पर चिट लिटा दिया। उसका लण्ड टन टना रहा था। मुझे अचानक लण्ड पे प्यार आ गया तो लण्ड मुंह में घुसेड़ लिया और उसे आम की गुठली की तरह चूसने लगी। उधर मधु उसके मुंह के ऊपर बैठ कर अपनी चूत चटवाने लगी। थोड़ी में मधु ने मेरी दोनों टांगें फैला दी और लण्ड मेरी बुर के मुंह पर रख कर कहा सुधेश लो इस बुर चोदी कविता की बुर चोदो जैसे तुम मेरी बुर चोदते हो ? लण्ड बहन चोद एक ही धक्के में गप्प से घुस गया मेरी चूत में और मैं मस्त होकर चुदवाने लगी। मधु उसके पेल्हड़ सहलाने लगी। शादी के बाद पहली बार मैं किसी पराये पुरुष से चुदवा रही थी। मुझे पराये पुरुष का लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा था। मैंने मन में ठान लिया की अब मैं आगे भी पराये पुरुषों से चुदवाती रहूंगी। फिर मैंने पीछे से चुदवाया और लण्ड पर बैठ कर चुदवाया। बगल से चुदवाया और ऊपर चढ़ कर चुदवाया। लण्ड जब झड़ने लगा तो मैंने मुंह फैलाकर उसका सारा वीर्य गिरवा लिया और फिर लण्ड पीने लगी। मेरे साथ मधु भी लण्ड पीने लगी। मैं चुदवाकर चुपचाप अपने घर लौट आयी।
दूसरे दिन मधुमती मेरे घर आ गयी. मैंने उसे अपने पति काके से मिलवाया हालांकि वह उसे जानता था। काके बड़ी देर तक मधु को देखता रहा। मधु वाकई सुन्दर ही नहीं बल्कि बड़ी सेक्सी लग रही थी । उसने लो वेस्ट की जींस और बिना ब्रा का टॉप पहना था। टॉप की बटन इतनी नीचे थी की उसकी चूंचियां आधी आधी खुली दिख रही थी। चूंचियां बाहर निकलने को बेताब थी। काके की नज़रें वहीँ टिक गयी। मैं इधर ड्रिंक्स का इंतज़ाम करने लगी तब तक वे दोनों बातें करने लगे।
- काके - हाय मधु भाभी, आज आप बहुत खूबसूरत लग रही है। बड़ी स्मार्ट लग रही है ? कोई ख़ास बात है क्या ?
- मधु - हां ख़ास बात ही है। आज मैं अपने हैंडसम देवर काके से मिलने आये हूँ । इतना मस्त जवान देवर सामने हो फिर भाभी में निखार आ ही जाता है काके ?
- काके -आप तो बड़ी अच्छी बातें भी करती है भाभी ?
- मधु - मैं केवल बातें ही नहीं सब कुछ अच्छा करती हूँ। करवाने वाला चाहिए बस (मधु ने तिरछी निगाह से उसे देखते हुए बड़े सेक्सी अंदाज़ में कहा )
- काके - तो क्या क्या कर लेती हो भाभी ? (तब तक मैं आ गयी )
- मधु - तुम्हारे ऐसे मर्दों की गांड मार लेती हूँ। (काके बड़ी जोर से हंस पड़ा )
- काके - वाह भाभी वाह ? भाभी हो तो तुम्हारी जैसी ? मज़ा आ गया ?
- मधु - तुम बोलते जाओ अभी और मज़ा आएगा ?
- काके - अच्छा और क्या क्या कर लेती हो भाभी ?
- मधु - लोगों की माँ चोद लेती हूँ।
- काके - बाप रे बाप ? तुम तो बहुत कुछ कर लेती हो भाभी ?
- मधु - क्या अभी से गांड फटने लगी तेरी मेरे देवर जी ? तब तक मैंने मधु और काके को व्हिस्की का एक एक पैग पकड़ा दिया फिर हम तीनो चियर्स कह कर पीने लगे शराब ?
- काके मजाक के मूड में आ गया वह फिर बोला भाभी और क्या क्या कर लेती हो ?
- मधु - लण्ड पकड़ लेती हूँ, चूस लेती हूँ और चाट लेती हूँ लण्ड, लण्ड का मुठ्ठ मार लेती हूँ, लण्ड पी लेती हूँ। काके को मधु की बातों में बड़ा मज़ा आ रहा था। मधु के मुंह से 'लण्ड' बार बार सुनकर उसका लण्ड अंदर ही अंदर खड़ा हो गया । इधर शराब का दूसरा पैग चालू हो गया। तब तक मैं अंदर किचेन में कुछ लेने गयी।
- तब मधु उसका लण्ड ऊपर से ही दबाकर बोली अब दिखाओ न अपना ये भोसड़ी वाला लण्ड काके ? उसने कहा अरे भाभी कविता सुन लेगी ?
- मधु बोली - सुन ले बुर चोदी कविता ? मेरा क्या उखाड़ लेगी वो ? तुम चिंता न करो मैं उसके सामने भी तेरा लण्ड पकड़ लूंगी तो भी वह कुछ नहीं कहेगी ? वह मेरी पक्की दोस्त है। इतने में मैं आ गयी।
- काके - कविता देखो ये तेरी दोस्त मजाक मजाक में बहुत आगे बढ़ रही है। मुझसे कुछ गलती हो जाए तो फिर मुझे दोष न देना ? इसलिए मना करो इसे कविता ?
- मैंने कहा - न बाबा न ? मैं तुम दोनों देवर भाभी के बीच में नहीं पड़ने वाली ? जो मन चाहे करो मैं बिलकुल भी बुरा नहीं मानूंगी।
- मधु - देखा काके ? मैंने कहा था न कविता कुछ नहीं कहेगी ? अब दिखा मुझे अपना लौड़ा ?
मधु बोली :- यार कविता तुम कहो तो मैं चुदवा लूँ तेरे पति से ?
काके ने मेरी तरफ मुंह करके पूंछा :- तुम क्या कहती हो कविता ? जो तुम कहोगी मैं वही करूंगा ?
मैंने कहा :- अब जब उसने पकड़ ही लिया है तेरा लण्ड तो फिर चोद दो बुर चोदी मधुमती की बुर ? मेरे मुंह से ऐसा सुनते ही मधु ने अपनी दोनों टाँगे फैलाकर अपनी चूत मेरे पति के सामने कर दी। काके ने उसमे घुसेड़ दिया लण्ड और चोदने लगा। मैं अपने पति से अपनी सहेली बुर चुदवाने लगी। मुझे उतना ही मज़ा आ रहा था जितना मज़ा मुझे सुदेश से चुदवाने में आया था।
दो दिन बाद मधु का फोन आया। वह बोली कविता मैं अपनी एक सहेली नमिता को भेज रही हूँ। तू अपने पति से इसकी भी बुर चुदवा दे। नमिता बड़ी खूबसूरत है बड़े मजे से चुदवा लेगी। जब वह आयी तो मैंने अपने पति काके से मिलवाया। वह बहुत खुश हुआ। हम तीनो बैठ कर बियर पीने लगे। तब मैंने कहा काके सुनो नमिता तुमसे चुदवाने आयी है। बोलो इसकी बुर चोदने का मन है तेरा ? मेरी बात सुनकर नमिता मुस्कराने लगी। वह बोला अरे कविता इतनी खूबसूरत लड़की को भला कौन नहीं चोदेगा ? मैं उसे कमरे में ले गयी और खूब मस्ती से उसकी चूत चुदवाई।
उसी रात को जब मैं काके का लण्ड चूस रही थी तो बोली सुनो जी तुमने मेरी सहेली मधु को चोदा फिर उसकी सहेली नमिता को चोदा अब मैं अगर किसी से चुदवाना चाहूँ तो तुम मुझे चुदवाने की इज़ाज़त दोगे ? वह बोला हां हां बिलकुल ? क्यों नहीं दूंगा ? तुम कविता के पति से चुदवा लो। बल्कि उसे फिर यहाँ बुलाओ मैं एक बार और उसे चोदना चाहता हूँ। दूसरे दिन मैंने मधु के पति मानव से चुदवाया और मधु ने मेरे पति से चुदवाया।
उसके बाद तो एक और कपल मिला जिसके साथ मैंने मर्द बदल कर चुदवाया। और फिर इसी तरह लोग मिलते रहे और मैं चुदवाती रही। मेरा पति चोदता रहा। एक के बाद दूसरा कपल, दूसरे के बाद तीसरा कपल इस तरह चोदने और चुदाने का सिलसिला चलता रहा। बीच बीच में कुछ ऐसे भी लोग मिले जिनकी बीवियां बाहर थी मैंने उनसे भी चुदवाया और आज भी चुदवाती हूँ। कुछ बीवियां मिली जिनके मियां बाहर रहते है वे बिचारी लण्ड के तरसती रहती है। ऐसी बीवियां मेरे पति से चुदवा लेती है।
अब हाल यह है दोस्तों, की रात में २/३ मर्दों से चुदवाकर ही सोती हूँ।
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