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पड़ोसियों से मिलकर रहो, मजे से चोदो और चुदाओ - Padosan ladki mahila chodo apni biwi chudwao
पड़ोसियों से मिलकर रहो, मजे से चोदो और चुदाओ - Padosan ladki mahila chodo apni biwi chudwao , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
अब्बू तुम मेरी नन्द की बुर ले लो। मैं तेरे दोस्त का लण्ड ले लेती हूँ। तुम मेरी नन्द की बुर चोदो और मैं तेरे दोस्त का लण्ड चोदूंगी ? चोदने में न तुम किसी से कम हो भोसड़ी के अब्बू और न तेरा बहन चोद दोस्त ? चुदवाने में न मैं किसी से कम हूँ और न मेरी बुर चोदी नन्द ? फिर क्या मज़ा ही मज़ा आएगा आज रात को ?
मैं ये सब बातें अब्बू से कर रही थी तभी मेरी खाला जान की बेटी सना मेरे सामने आ गयी और बोली - हाय दीदी तुम अपने अब्बू से ये सब कैसे कह रही हो ? तुम्हे बिलकुल भी शर्म नहीं आती ? मैंने कहा - तू अभी कुछ दिन और रुक जा तुझे भी शर्म नहीं आएगी अपने अब्बू से इस तरह की बातें करने में ? देख, बुर चोदी सना रात में जब चूत चुदासी होती है और सामने लण्ड खड़ा होता है तो फिर यह नहीं देखा जाता की यह बहन चोद लण्ड किसका है ? लण्ड साला चाहे बाप का हो या भाई का ? चाहे चचा का हो या खालू का ? लण्ड का काम है बुर चोदना ? वो तो साला चूत में घुसेगा ही । लण्ड में किसी का नाम नहीं लिखा होता सना ? यही हाल चूत का भी है ? लण्ड देख कर चूत पागल हो जाती है। किसी का भी लण्ड घुसेड़ लेती है अपने अंदर ? इसलिए चुदाई में ये सब जायज़ है। एक बार जब सामने लण्ड आ गया तो समझो की वह हमेशा तेरी बुर चोदता रहेगा। एक बार तू चुदवा लेगी तो उसी से बार बार चुदवायेगी ?
तेरी माँ की चूत सना एक बात और सुन ले तू ? जवानी में न कोई बुर चोदी लड़की किसी लण्ड से परहेज़ करती है और न कोई लड़का किसी की चूत से परहेज़ करता है. एक बात और सुन की चुदाई के समय गाली देना, गन्दी से गन्दी बातें करना, लण्ड, बुर, चूत, गांड, भोसड़ा, झांट, लौड़ा सब बोलना बड़ा अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे चुदाई में सबको जोश आता है। चुदाई की ताकत बढ़ जाती है, सना ? जैसे दाल में छौंक लगाने से दाल बड़ी स्वादिस्ट हो जाती है, वैसे ही चुदाई में गालियों का और गन्दी गन्दी बातों का छौंक लगाने से चुदाई बड़ी स्वादिस्ट हो जाती है। एक साल बाद तू भी वही करेगी जो मैं आज कर रही हूँ। अभी तो २० साल की हैं न ?
तब तक सना की अम्मी यानी मेरी खाला जान आ गयी।
वह बोली - अरी रेशमा तुम कैसी बातें कर रही हो ? इस बुर चोदी सना को तुम कम समझ रही हो ? लण्ड पेलती है सना अपनी माँ के भोसड़ा में ? इसको तो बिलकुल ही शर्म नहीं है। यह खुश भोसड़ी की लण्ड पकड़ने में बहुत आगे रहती है। जब भी कोई मरद घर पर आता है तो जब तक मैं उसके लिए चाय बनाकर लाती हूँ तब तक यह उसका लण्ड पकड़ कर चाटने लगती है। अभी कल ही बात है। मेरा पड़ोसी आसिक अली मुझसे मिलने मेरे घर आया। मैंने उसे बैठाया और सना से कहा बेटी तुम अंकल से बातें करो मैं चाय बना कर लाती हूँ। मैं जब चाय बनाकर कमरे में आयी तो देखा की सना भोसड़ी की उसके पैजामे से लण्ड निकाल कर हिला रही है । मैंने कहा अरे क्या हो रहा है ? वह बोली कुछ नहीं अम्मी तूने बातें करने के लिए कहा था तो मैं अंकल के लण्ड से बातें कर रही हूँ। लण्ड देख कर मैं भी ललचा गयी तो मैंने कहा अच्छा ले तू चाय कप में निकाल कर दे लण्ड से बातें मैं करती हूँ।
तो ऐसी है रेशमा तेरी बुर चोदी बहन, सना ?
मैंने कहा - वाओ, तब तक अच्छा ही है न खाला ? सना तू तो इतनी छोटी सी उम्र में ही अपनी माँ चुदाने लगी है।वह बोली :- अरे दीदी मेरी अम्मी की बिटिया की बुर, बहन चोद ? अम्मी भी तो लण्ड पेलती है अपनी बेटी की चूत में। जब वो बेशरम है हरामजादी तो मैं भी बेशर्म हूँ। अब किसी दिन रेशमा दीदी मैं तेरे अब्बू का लण्ड पकड़ने वाली हूँ।
मैंने कहा - नहीं यार आज तो छोड़ दो। आज मेरा अब्बू मेरी नन्द की बुर लेने जा रहा है और मैं उसके दोस्त का लण्ड लेने जा रही हूँ।
सना यह सुनकर चली गयी।
मैं अब्बू को लेकर अपनी नन्द के पास चली गयी। अब्बू के साथ उसका दोस्त हनीफ भी था। मैंने अब्बू को नन्द से मिलवाया तो नन्द भी मिलकर खुश हुई और मैंने उसके दोस्त हनीफ को भी नन्द से मिलवाया। मेरी नन्द का नाम है अदा। अब्बू को लोग अब्बास कहते हैं। हम लोग पहले तो इधर उधर की बातें करते रहे लेकिन फिर असली मकसद पर आ गये। मैंने नन्द का हाथ पकड़ कर अब्बू के लण्ड पर रख दिया और कहा लो मेरी नन्द रानी इसके लण्ड का पूरा मज़ा ले लो ? नन्द मुस्करायी और लण्ड दबा कर बोली हाय अल्ला, बड़ा मोटा लग रहा है इसका लण्ड भाभी ? मैंने कहा नहीं नन्द रानी ऐसे नहीं ? लौड़ा पहले पूरा खोल कर बाहर निकालो फिर उसे प्यार से थोड़ा हिलाओ तब देखो कैसा लग रहा है और कितना बड़ा लग रहा है लण्ड ?
वह अब्बू के पैजामे का नाड़ा खोलने लगी और मैं उसके कपड़े खोलने लगी। थोड़ी देर में वो दोनों नंगे हो गये। नन्द तो मजे से लण्ड हिलाने लगी और अब्बू उसकी चूँचियाँ मसलने लगा। नन्द बोली हाय भाभी जान तेरे अब्बू का लण्ड वाकई बहुत बड़ा है और बहुत खूबसूरत भी है। इसकी तारीफ मैं पहले ही सुन चुकी थी तभी मैंने आपसे कहा था की भाभी मुझे अपने अब्बू का लण्ड पकड़ाओ न किसी दिन ? आज वो दिन आ गया। मैंने कहा हां नन्द रानी अब आज इसे सिर्फ पकड़ो ही नहीं बल्कि इसे अपनी चूत में पेलो और खूब मस्ती से चुदवाओ। मैंने अब्बू कहा है की पहले चोदो मेरी नन्द की चूत फिर चोदो उसकी माँ का भोसड़ा ? वह बोली भाभी यह सही बात है। तेरा अब्बू मेरी माँ का भोसड़ा चोदेगा तो मुझे बड़ा अच्छा लगेगा। मैं अपने सामने ही चुदवाऊंगी अपनी माँ का भोसड़ा भाभी जान ?
मैं आगे बढ़ी और अब्बू के दोस्त हनीफ से लिपट गयी। उसने भी मुझे अपनी तरफ घसीट कर चिपका लिया। फिर मैं उसके कपड़े उतारने लगी और वह मेरे कपड़े। मेरी जब चूँचियाँ खुलीं तो वह मुस्करा पड़ा और बोला रेशमा तेरे स्तन तो वाकई बड़े रसदार हैं। वह झुक कर निपल्स चाटने लगा। मैं उसका लौड़ा टटोल रही थी। मैंने उसका कुर्ता खोला फिर बनियाइन और पैजामा भी खोल डाला। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। ये मुस्लिम मर्द पैजामा के नीचे कुछ नहीं पहनते क्योंकि चोदने का बड़ा चस्का होता है। जहाँ कोई लड़की मिली वहीँ पैजामा खोल के घुसेड़ देते हैं लण्ड ? किसी की बीवी मिली, किसी की बेटी मिली या किसी की माँ मिली तो इनका पैजामा अपने आप खुल जाता है और लण्ड मादर चोद सर उठा के घुस जाता है चूत के अंदर ? इन्हे किसी रिश्ते की परवाह तो होती नहीं। कभी कभी इसी धोखे में अपनी ही बेटी चोदने लगतें हैं। लड़कियां भी और औरतें भी इसी तरह की होती है।
बहुत सारी तो सिर्फ सलवार पहनती है और ऊपर केवल एक चुन्नी। जहाँ लण्ड की आहत हुई वहीँ अपनी चूत खोल कर घुसा लेती हैं लण्ड। इस तरह की चुदाई में धोखे बहुत होतें है और फिर वो हमेशा की चुदाई का हिस्सा बन जातें हैं। मैंने अब्बू का लण्ड , खालू का लण्ड और मामू का लण्ड इसी तरह पकड़ लिया था जो आज भी चल रहा है। अब तो मैं इनसे खुल कर चुदवाती हूँ। अब मेरे सामने हनीफ अंकल बिलकुल नंगा हो चुका था और मैं उसके आगे बिलकुल नंगी। मैं उसका लण्ड चूसने लगी और वह मेरी चूत चाटने लगा। हम दोनों 69 बन चुके थे। उसका ८" + का लण्ड मुझे भा गया।
मैंने कहा :- अंकल, तुम अपने दोस्त की बेटी चोदने आये हो तुम्हे कोई शर्म नहीं आती ?
वह बोला :- नहीं बिलकुल बेटी रेशमा। मैं तो पहले अपनी दोस्त की बीवी चोदता था। वह मेरी बीवी चोदता था। हम दोनों की बेटियां जब जवान हुई तो एक दिन धोखे से मेरी बेटी ने तेरे अब्बू का लण्ड पकड़ लिया। तेरे अब्बू का लण्ड उसे बहुत पसंद आ गया। उसे जब मालूम हुआ की वह मेरा दोस्त है तो थोड़ा झिझकी जरूर पर उसका लण्ड छोड़ा नहीं। तब उसकी माँ ने कहा बेटी कोई बात नहीं। जवानी में सब जायज़ है। जब चूत में आग लगी हो तो किसी का भी लण्ड पेल सकती हो अपनी चूत में। इसे गुनाह नहीं माना जाता ? अब तुम खुल के अंकल से चुदवा लो। बस उसी दिन से मेरी बेटी तेरे अब्बू से चुदवाने लगी। अब देखो न तेरी नन्द भी बुर चोदी तेरे अब्बू से चुदवा रही है। यह सुन कर मेरी चूत की आग और भड़क उठी।
मेरी चूत में हनीफ का लण्ड घुसा था और मेरी नन्द की चूत में मेरे अब्बू का लण्ड ? हम दोनों चुदाई में बुरी तरह ब्यस्त थीं। इतने में एक आवाज़ आयी - रेशमा दीदी ,,,,,,,? मैं जान गयी की यह आवाज़ सना की है। मैंने कहा सना तू भोसड़ी की इस समय कैसे आ गयी ,,,,,,,,,? वह बोली - सना की माँ चोद कर आयी हूँ रेशमा दीदी। यही लण्ड सना की माँ के भोसड़ा में पेल कर आयी हूँ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा की सना एकदम नंगी नंगी एक लड़के का लण्ड पकड़े हुए खड़ी है ? मैंने कहा अगर तू अपनी माँ चोद रही थी तो वह क्या कर रही थी ? सना बोली - वह अपनी बिटिया की बुर चुदवा रही थी। उसने मेरी बुर में एक मोटा सा लौड़ा घुसेड़ दिया। लौड़ा साला मुझे बड़ा अच्छा लगा तो मैं चुदवाती रही। फिर मैंने उसे चूत से निकाल कर देखा। इतना मस्त लौड़ा बहुत कम देखने को मिलता है दीदी। मैं उसका नाम तो नहीं जानती पर उसका लण्ड जानती हूँ। १० लण्ड रख दो तो मैं उसका लण्ड पहचान लूंगी।
एक दिन मैं अपनी सहेली तराना के घर चली गयी। गर्मी के दिन थे। वह मुझे अंदर ए सी कमरे में ले गयी और उसने मेरे सामने ही अपनी शाल उतार दी। वह अंदर से बिलकुल नंगी थी। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ देख कर और उसकी छोटी छोटी झांटों वाली चूत देख कर मैं भी चकरा गयी। तब वह बोली यार मैं अपने ससुर का लण्ड पी रही थी। तब तक तूने बेल बजा दी। मैंने कह यार तराना माफ़ गलत समय पर आ गयी। मैं जा रही हूँ फिर आऊंगी। मैं उठ कर जान लगी।
वह बोली अरे रेशमा तू जाती कहाँ हैं भोसड़ी वाली ? क्या तू मेरे ससुर लण्ड नहीं पी सकती ? क्या तू मेरे मियां से नहीं चुदवा सकती ? क्या तू मेरे अब्बू का लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में नहीं पेल सकती ? मैंने कहा यार तराना मैं ये सब कर सकती हूँ। वह बोली देखो रेशमा मैं अभी चुदाई के मूड में हूँ और मैं चाहती हूँ की तुम मेरा साथ दो। उसने मुझे नंगी कर दिया और बगल के कमरे में ले गयी। वहां मैंने देखा की एक औरत एक आदमी का लण्ड पी रही है। तराना बोली ये मेरी खाला है जो मेरे ससुर का लण्ड पे रही है। ये खाला की बेटी है जो मेरे अब्बू
का लण्ड पी रही है। अब मैं अपने खालू का लण्ड पियूँगी और तुम मेरे नंदोई का लण्ड पियो रेशमा। मैंने देखा की तब तक वहां एक मस्त जवान लड़का नंगा नंगा आ गया। वही तराना का नंदोई था। उसका लण्ड तराना ने मुझे पकड़ा दिया। मैं भी उनके साथ लण्ड पीने में शामिल हो गयी।
तराना अपने खालू का लण्ड पीते पीते बोली यार रेशमा हम लोग यहाँ हर रोज़ सुबह लण्ड पीती हैं और शाम को लण्ड पीती हैं। कोई भी किसी का भी लण्ड पी लेती है। हमारे यहाँ न कोई शर्म है, न कोई डर है, न कोई संकोच है और न कोई झिझक ? यहाँ तो लड़कियां अपने अब्बू का लण्ड पी लेती हैं, अम्मी मेरे भाई जान का लण्ड पी लेती है, खाला अपने दामाद का लण्ड पी लेती हैं। इसके अलावा हम लोग नाते रिश्ते दारों के लण्ड पी लेती हैं और अपने पड़ोसियों के भी लण्ड पी लेती हैं। एक दिन मेरे मामू जान की बेटी आयी तो उसने बताया की हमारे पड़ोसियों से बड़े सम्बन्ध हैं। उनके घर की सारी लड़कियां औरतें हमारे घर के मरदों के लण्ड पीती हैं और हमारे घर की लड़कियां औरतें उनके घर के मरदों के लण्ड पीती हैं। इतना बढ़िया माहौल रहता है की हम लोग एक दूसरे के घर में भी नंगी नंगी ही रहती हैं।
मैंने मन में कहा यार यह तो बड़ी अच्छी बात है :-
अपने पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध बनाओ - और मजे से चोदो और चुदाओ
फिर मैं अक्सर तराना के घर जाती रही और मस्ती से चुदवाती रही।
अब्बू तुम मेरी नन्द की बुर ले लो। मैं तेरे दोस्त का लण्ड ले लेती हूँ। तुम मेरी नन्द की बुर चोदो और मैं तेरे दोस्त का लण्ड चोदूंगी ? चोदने में न तुम किसी से कम हो भोसड़ी के अब्बू और न तेरा बहन चोद दोस्त ? चुदवाने में न मैं किसी से कम हूँ और न मेरी बुर चोदी नन्द ? फिर क्या मज़ा ही मज़ा आएगा आज रात को ?
मैं ये सब बातें अब्बू से कर रही थी तभी मेरी खाला जान की बेटी सना मेरे सामने आ गयी और बोली - हाय दीदी तुम अपने अब्बू से ये सब कैसे कह रही हो ? तुम्हे बिलकुल भी शर्म नहीं आती ? मैंने कहा - तू अभी कुछ दिन और रुक जा तुझे भी शर्म नहीं आएगी अपने अब्बू से इस तरह की बातें करने में ? देख, बुर चोदी सना रात में जब चूत चुदासी होती है और सामने लण्ड खड़ा होता है तो फिर यह नहीं देखा जाता की यह बहन चोद लण्ड किसका है ? लण्ड साला चाहे बाप का हो या भाई का ? चाहे चचा का हो या खालू का ? लण्ड का काम है बुर चोदना ? वो तो साला चूत में घुसेगा ही । लण्ड में किसी का नाम नहीं लिखा होता सना ? यही हाल चूत का भी है ? लण्ड देख कर चूत पागल हो जाती है। किसी का भी लण्ड घुसेड़ लेती है अपने अंदर ? इसलिए चुदाई में ये सब जायज़ है। एक बार जब सामने लण्ड आ गया तो समझो की वह हमेशा तेरी बुर चोदता रहेगा। एक बार तू चुदवा लेगी तो उसी से बार बार चुदवायेगी ?
तेरी माँ की चूत सना एक बात और सुन ले तू ? जवानी में न कोई बुर चोदी लड़की किसी लण्ड से परहेज़ करती है और न कोई लड़का किसी की चूत से परहेज़ करता है. एक बात और सुन की चुदाई के समय गाली देना, गन्दी से गन्दी बातें करना, लण्ड, बुर, चूत, गांड, भोसड़ा, झांट, लौड़ा सब बोलना बड़ा अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे चुदाई में सबको जोश आता है। चुदाई की ताकत बढ़ जाती है, सना ? जैसे दाल में छौंक लगाने से दाल बड़ी स्वादिस्ट हो जाती है, वैसे ही चुदाई में गालियों का और गन्दी गन्दी बातों का छौंक लगाने से चुदाई बड़ी स्वादिस्ट हो जाती है। एक साल बाद तू भी वही करेगी जो मैं आज कर रही हूँ। अभी तो २० साल की हैं न ?
तब तक सना की अम्मी यानी मेरी खाला जान आ गयी।
वह बोली - अरी रेशमा तुम कैसी बातें कर रही हो ? इस बुर चोदी सना को तुम कम समझ रही हो ? लण्ड पेलती है सना अपनी माँ के भोसड़ा में ? इसको तो बिलकुल ही शर्म नहीं है। यह खुश भोसड़ी की लण्ड पकड़ने में बहुत आगे रहती है। जब भी कोई मरद घर पर आता है तो जब तक मैं उसके लिए चाय बनाकर लाती हूँ तब तक यह उसका लण्ड पकड़ कर चाटने लगती है। अभी कल ही बात है। मेरा पड़ोसी आसिक अली मुझसे मिलने मेरे घर आया। मैंने उसे बैठाया और सना से कहा बेटी तुम अंकल से बातें करो मैं चाय बना कर लाती हूँ। मैं जब चाय बनाकर कमरे में आयी तो देखा की सना भोसड़ी की उसके पैजामे से लण्ड निकाल कर हिला रही है । मैंने कहा अरे क्या हो रहा है ? वह बोली कुछ नहीं अम्मी तूने बातें करने के लिए कहा था तो मैं अंकल के लण्ड से बातें कर रही हूँ। लण्ड देख कर मैं भी ललचा गयी तो मैंने कहा अच्छा ले तू चाय कप में निकाल कर दे लण्ड से बातें मैं करती हूँ।
तो ऐसी है रेशमा तेरी बुर चोदी बहन, सना ?
मैंने कहा - वाओ, तब तक अच्छा ही है न खाला ? सना तू तो इतनी छोटी सी उम्र में ही अपनी माँ चुदाने लगी है।वह बोली :- अरे दीदी मेरी अम्मी की बिटिया की बुर, बहन चोद ? अम्मी भी तो लण्ड पेलती है अपनी बेटी की चूत में। जब वो बेशरम है हरामजादी तो मैं भी बेशर्म हूँ। अब किसी दिन रेशमा दीदी मैं तेरे अब्बू का लण्ड पकड़ने वाली हूँ।
मैंने कहा - नहीं यार आज तो छोड़ दो। आज मेरा अब्बू मेरी नन्द की बुर लेने जा रहा है और मैं उसके दोस्त का लण्ड लेने जा रही हूँ।
सना यह सुनकर चली गयी।
मैं अब्बू को लेकर अपनी नन्द के पास चली गयी। अब्बू के साथ उसका दोस्त हनीफ भी था। मैंने अब्बू को नन्द से मिलवाया तो नन्द भी मिलकर खुश हुई और मैंने उसके दोस्त हनीफ को भी नन्द से मिलवाया। मेरी नन्द का नाम है अदा। अब्बू को लोग अब्बास कहते हैं। हम लोग पहले तो इधर उधर की बातें करते रहे लेकिन फिर असली मकसद पर आ गये। मैंने नन्द का हाथ पकड़ कर अब्बू के लण्ड पर रख दिया और कहा लो मेरी नन्द रानी इसके लण्ड का पूरा मज़ा ले लो ? नन्द मुस्करायी और लण्ड दबा कर बोली हाय अल्ला, बड़ा मोटा लग रहा है इसका लण्ड भाभी ? मैंने कहा नहीं नन्द रानी ऐसे नहीं ? लौड़ा पहले पूरा खोल कर बाहर निकालो फिर उसे प्यार से थोड़ा हिलाओ तब देखो कैसा लग रहा है और कितना बड़ा लग रहा है लण्ड ?
वह अब्बू के पैजामे का नाड़ा खोलने लगी और मैं उसके कपड़े खोलने लगी। थोड़ी देर में वो दोनों नंगे हो गये। नन्द तो मजे से लण्ड हिलाने लगी और अब्बू उसकी चूँचियाँ मसलने लगा। नन्द बोली हाय भाभी जान तेरे अब्बू का लण्ड वाकई बहुत बड़ा है और बहुत खूबसूरत भी है। इसकी तारीफ मैं पहले ही सुन चुकी थी तभी मैंने आपसे कहा था की भाभी मुझे अपने अब्बू का लण्ड पकड़ाओ न किसी दिन ? आज वो दिन आ गया। मैंने कहा हां नन्द रानी अब आज इसे सिर्फ पकड़ो ही नहीं बल्कि इसे अपनी चूत में पेलो और खूब मस्ती से चुदवाओ। मैंने अब्बू कहा है की पहले चोदो मेरी नन्द की चूत फिर चोदो उसकी माँ का भोसड़ा ? वह बोली भाभी यह सही बात है। तेरा अब्बू मेरी माँ का भोसड़ा चोदेगा तो मुझे बड़ा अच्छा लगेगा। मैं अपने सामने ही चुदवाऊंगी अपनी माँ का भोसड़ा भाभी जान ?
मैं आगे बढ़ी और अब्बू के दोस्त हनीफ से लिपट गयी। उसने भी मुझे अपनी तरफ घसीट कर चिपका लिया। फिर मैं उसके कपड़े उतारने लगी और वह मेरे कपड़े। मेरी जब चूँचियाँ खुलीं तो वह मुस्करा पड़ा और बोला रेशमा तेरे स्तन तो वाकई बड़े रसदार हैं। वह झुक कर निपल्स चाटने लगा। मैं उसका लौड़ा टटोल रही थी। मैंने उसका कुर्ता खोला फिर बनियाइन और पैजामा भी खोल डाला। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। ये मुस्लिम मर्द पैजामा के नीचे कुछ नहीं पहनते क्योंकि चोदने का बड़ा चस्का होता है। जहाँ कोई लड़की मिली वहीँ पैजामा खोल के घुसेड़ देते हैं लण्ड ? किसी की बीवी मिली, किसी की बेटी मिली या किसी की माँ मिली तो इनका पैजामा अपने आप खुल जाता है और लण्ड मादर चोद सर उठा के घुस जाता है चूत के अंदर ? इन्हे किसी रिश्ते की परवाह तो होती नहीं। कभी कभी इसी धोखे में अपनी ही बेटी चोदने लगतें हैं। लड़कियां भी और औरतें भी इसी तरह की होती है।
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मैंने कहा :- अंकल, तुम अपने दोस्त की बेटी चोदने आये हो तुम्हे कोई शर्म नहीं आती ?
वह बोला :- नहीं बिलकुल बेटी रेशमा। मैं तो पहले अपनी दोस्त की बीवी चोदता था। वह मेरी बीवी चोदता था। हम दोनों की बेटियां जब जवान हुई तो एक दिन धोखे से मेरी बेटी ने तेरे अब्बू का लण्ड पकड़ लिया। तेरे अब्बू का लण्ड उसे बहुत पसंद आ गया। उसे जब मालूम हुआ की वह मेरा दोस्त है तो थोड़ा झिझकी जरूर पर उसका लण्ड छोड़ा नहीं। तब उसकी माँ ने कहा बेटी कोई बात नहीं। जवानी में सब जायज़ है। जब चूत में आग लगी हो तो किसी का भी लण्ड पेल सकती हो अपनी चूत में। इसे गुनाह नहीं माना जाता ? अब तुम खुल के अंकल से चुदवा लो। बस उसी दिन से मेरी बेटी तेरे अब्बू से चुदवाने लगी। अब देखो न तेरी नन्द भी बुर चोदी तेरे अब्बू से चुदवा रही है। यह सुन कर मेरी चूत की आग और भड़क उठी।
मेरी चूत में हनीफ का लण्ड घुसा था और मेरी नन्द की चूत में मेरे अब्बू का लण्ड ? हम दोनों चुदाई में बुरी तरह ब्यस्त थीं। इतने में एक आवाज़ आयी - रेशमा दीदी ,,,,,,,? मैं जान गयी की यह आवाज़ सना की है। मैंने कहा सना तू भोसड़ी की इस समय कैसे आ गयी ,,,,,,,,,? वह बोली - सना की माँ चोद कर आयी हूँ रेशमा दीदी। यही लण्ड सना की माँ के भोसड़ा में पेल कर आयी हूँ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा की सना एकदम नंगी नंगी एक लड़के का लण्ड पकड़े हुए खड़ी है ? मैंने कहा अगर तू अपनी माँ चोद रही थी तो वह क्या कर रही थी ? सना बोली - वह अपनी बिटिया की बुर चुदवा रही थी। उसने मेरी बुर में एक मोटा सा लौड़ा घुसेड़ दिया। लौड़ा साला मुझे बड़ा अच्छा लगा तो मैं चुदवाती रही। फिर मैंने उसे चूत से निकाल कर देखा। इतना मस्त लौड़ा बहुत कम देखने को मिलता है दीदी। मैं उसका नाम तो नहीं जानती पर उसका लण्ड जानती हूँ। १० लण्ड रख दो तो मैं उसका लण्ड पहचान लूंगी।
- वह आगे बोली - मैं दो घंटे से यही कर रही थी दीदी। अब तेरे पास आयी हूँ।
- मैंने कहा - तो यहाँ क्या करने आयी हो सना ?
- तेरी नन्द की बुर चोदने आयी हूँ, दीदी
- उसे तो मेरा अब्बू चोद रहा है ?
- मैं तेरे अब्बू का लण्ड चोदूँगी, रेशमा दीदी।
- हाय दईया तू तो बहुत बड़ी हरामजादी है सना। इतनी छोटी सी उम्र में इतने बड़े बड़े कारनामे ?
- ये तो कुछ भी नहीं ? अभी तो मैं तेरी भी बुर चोदूँगी और चोदूँगी तेरी माँ का भोसड़ा ?
- अच्छा मुझे ज्यादा उकसाओ नहीं सना ? नहीं तो मैं लण्ड पेल पेल कर तेरी चूत ढीली कर दूँगी।
- मेरी चूत बहुत टाइट है, दीदी। २/४ लण्ड से यह ढीली होने वाली नहीं है।
एक दिन मैं अपनी सहेली तराना के घर चली गयी। गर्मी के दिन थे। वह मुझे अंदर ए सी कमरे में ले गयी और उसने मेरे सामने ही अपनी शाल उतार दी। वह अंदर से बिलकुल नंगी थी। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ देख कर और उसकी छोटी छोटी झांटों वाली चूत देख कर मैं भी चकरा गयी। तब वह बोली यार मैं अपने ससुर का लण्ड पी रही थी। तब तक तूने बेल बजा दी। मैंने कह यार तराना माफ़ गलत समय पर आ गयी। मैं जा रही हूँ फिर आऊंगी। मैं उठ कर जान लगी।
वह बोली अरे रेशमा तू जाती कहाँ हैं भोसड़ी वाली ? क्या तू मेरे ससुर लण्ड नहीं पी सकती ? क्या तू मेरे मियां से नहीं चुदवा सकती ? क्या तू मेरे अब्बू का लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में नहीं पेल सकती ? मैंने कहा यार तराना मैं ये सब कर सकती हूँ। वह बोली देखो रेशमा मैं अभी चुदाई के मूड में हूँ और मैं चाहती हूँ की तुम मेरा साथ दो। उसने मुझे नंगी कर दिया और बगल के कमरे में ले गयी। वहां मैंने देखा की एक औरत एक आदमी का लण्ड पी रही है। तराना बोली ये मेरी खाला है जो मेरे ससुर का लण्ड पे रही है। ये खाला की बेटी है जो मेरे अब्बू
तराना अपने खालू का लण्ड पीते पीते बोली यार रेशमा हम लोग यहाँ हर रोज़ सुबह लण्ड पीती हैं और शाम को लण्ड पीती हैं। कोई भी किसी का भी लण्ड पी लेती है। हमारे यहाँ न कोई शर्म है, न कोई डर है, न कोई संकोच है और न कोई झिझक ? यहाँ तो लड़कियां अपने अब्बू का लण्ड पी लेती हैं, अम्मी मेरे भाई जान का लण्ड पी लेती है, खाला अपने दामाद का लण्ड पी लेती हैं। इसके अलावा हम लोग नाते रिश्ते दारों के लण्ड पी लेती हैं और अपने पड़ोसियों के भी लण्ड पी लेती हैं। एक दिन मेरे मामू जान की बेटी आयी तो उसने बताया की हमारे पड़ोसियों से बड़े सम्बन्ध हैं। उनके घर की सारी लड़कियां औरतें हमारे घर के मरदों के लण्ड पीती हैं और हमारे घर की लड़कियां औरतें उनके घर के मरदों के लण्ड पीती हैं। इतना बढ़िया माहौल रहता है की हम लोग एक दूसरे के घर में भी नंगी नंगी ही रहती हैं।
मैंने मन में कहा यार यह तो बड़ी अच्छी बात है :-
अपने पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध बनाओ - और मजे से चोदो और चुदाओ
फिर मैं अक्सर तराना के घर जाती रही और मस्ती से चुदवाती रही।
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