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मैं बिना लण्ड के एक पल भी रह नहीं सकती - Main bina land ke ek pal bhi rah nahi sakti
मैं बिना लण्ड के एक पल भी रह नहीं सकती - Main bina land ke ek pal bhi rah nahi sakti , मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
आपको पता है दोस्तों, की मैं बिना लण्ड के एक दिन भी नहीं रह सकती ? मुझे हर दिन कोई न कोई लण्ड चाहिए। लण्ड चाहे छोटा हो, बड़ा हो, लंबा हो, मोटा हो, सीधा हो, टेढ़ा हो, गोरा हो, काला हो, देशी हो, विदेशी हो जरुरत इस बात की है वह लण्ड हो ? मुझे हर तरह के लण्ड पसंद हैं। मैं हर तरह के लण्ड से प्यार करती हूँ और उन्हें दिलोजान से चाहती हूँ। मुझे दुनिया में लण्ड से बेहतर कुछ भी नहीं लगता।
मैं १५ साल की उम्र से लण्ड पकड़ती आ रही हूँ। कभी इसके लण्ड, कभी उसके लण्ड, कभी घर के लण्ड, कभी बाहर के लण्ड, कभी नाते रिश्ते दारों के लण्ड, कभी गली मोहल्ले के लण्ड, कभी माईके के लण्ड, कभी ससुराल के लण्ड ? मैं इतनी लकी हूँ की मुझे हर जगह लण्ड मिल ही जातें हैं। कहतें हैं की ढूंढने से भगवान भी मिल जातें हैं. बस मैं इसी हौसले से लण्ड ढूंढते रहती हूँ।लण्ड पकड़ने के लिए मैं कभी कोई रिस्ता नहीं देखती। मैं तो बस लण्ड देखती हूँ। चाहे किसी के भाई का लण्ड हो, चाचा का लण्ड हो, मामा का लण्ड हो, जीजा का लण्ड हो, फूफा का लण्ड हो, देवर का लण्ड हो, जेठ का लण्ड हो, बाप का लण्ड हो, ससुर का लण्ड हो, मैं सबका लण्ड पकड़ लेती हूँ। उसका खूब मज़ा लेती हूँ। आजतक मेरा रिकार्ड है की मैंने जिसका लण्ड पकड़ा उसने कभी ऐतराज़ नहीं किया बल्कि बड़े मजे से मुझे लण्ड पकड़ा दिया ? जानते हो दोस्तों, क्यों पकड़ा दिया ? क्योंकि मैं एक बेहद खूबसूरत सेक्सी और हॉट लड़की हूँ। खूबसूरत लड़कियों को तो लोग ऐसे लण्ड का पकड़ाने के चक्कर में रहतें हैं। यही कारण है की खूबसूरत लड़कियां बदचलन होतीं हैं। उन्हें लण्ड आसानी से मिल जातें हैं और फिर वो भकाभक चुदवाना शुरू कर देती हैं। शादी के बाद भी पराये मर्दों से चुदवाती रहतीं हैं।
दोस्तों, यह बात सच है की मैं बिना लण्ड के न कभी रही हूँ और न कभी रहूंगी। दुनिया इधर की उधर हो जाए पर मुझे तो लण्ड चाहिए बस लण्ड ? मैं लण्ड के लिए कुछ भी कर सकती हूँ। अपनी माँ चुदवा सकती हूँ, अपनी बहन चुदवा सकती हूँ, अपनी गांड मरवा सकती हूँ, किसी के सामने नंगी होकर खड़ी हो सकती हूँ, नंगा नाच कर सकती हूँ और गन्दी से गन्दी गालियां भी दे सकती हूँ।
एक दिन ऐसा हुआ की सुबह से शाम हो गयी मुझे कोई लण्ड नहीं मिला। मुझे लगा की रात भी हो जाएगी और आज मैं बिना लण्ड के रह जाऊंगी। मैं उस समय २२ साल की थी और मेरी शादी भी नहीं हुई थी। मैं लण्ड के लिए छटपटाने लगी। तभी अचानक मुझे मालूम हुआ की एक मौलाना यहीं नजदीक है उसके पास जाया जा सकता है। वह इलाज़ अच्छा कर लेता है। बस फिर क्या मैंने बुर्का ओढ़ा और चली गयी उसके पास। वह मौलाना साला जवान आदमी था। उसकी दाढ़ी भी काली थी। मैंने मन में कहा यार अबना (मेरा नाम ) भोसड़ी की तेरा तो काम बन गया। अब तू खूब मजे से इसके लण्ड का मज़ा ले ले।
मैंने कहा मेरे हर दर्द की दवा है 'लण्ड' हकीम जी ? मुझे लण्ड पकड़ा दो तो मैं बिलकुल ठीक हो जाऊँगी।
मैंने उसकी कमीज उतार दी। उसके पैजामे का नाड़ा खोल दिया। वह नंगा हो गया। मैंने उसका लण्ड देखा तो मुस्करा पड़ी मैंने कहा हाय दईया तेरा तो लण्ड बड़ा हक्कानी लग रहा है यार ? मैं लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड का साइज ८ १/२" x ५ १/२" था। मेरे लण्ड पकड़ने से वह भी मस्त होने लगा और मेरी चूँचियाँ चूमने चाटने लगा। उसने फिर अपना हाथ मेरी सलवार में घुसेड़ दिया। हाथ मेरी छोटी छोटी झांटों तक पहुँच गया। फिर वह मेरी चूत पर भी उंगलियां फिराने लगा।
आपको पता है दोस्तों, की मैं बिना लण्ड के एक दिन भी नहीं रह सकती ? मुझे हर दिन कोई न कोई लण्ड चाहिए। लण्ड चाहे छोटा हो, बड़ा हो, लंबा हो, मोटा हो, सीधा हो, टेढ़ा हो, गोरा हो, काला हो, देशी हो, विदेशी हो जरुरत इस बात की है वह लण्ड हो ? मुझे हर तरह के लण्ड पसंद हैं। मैं हर तरह के लण्ड से प्यार करती हूँ और उन्हें दिलोजान से चाहती हूँ। मुझे दुनिया में लण्ड से बेहतर कुछ भी नहीं लगता।
मैं १५ साल की उम्र से लण्ड पकड़ती आ रही हूँ। कभी इसके लण्ड, कभी उसके लण्ड, कभी घर के लण्ड, कभी बाहर के लण्ड, कभी नाते रिश्ते दारों के लण्ड, कभी गली मोहल्ले के लण्ड, कभी माईके के लण्ड, कभी ससुराल के लण्ड ? मैं इतनी लकी हूँ की मुझे हर जगह लण्ड मिल ही जातें हैं। कहतें हैं की ढूंढने से भगवान भी मिल जातें हैं. बस मैं इसी हौसले से लण्ड ढूंढते रहती हूँ।लण्ड पकड़ने के लिए मैं कभी कोई रिस्ता नहीं देखती। मैं तो बस लण्ड देखती हूँ। चाहे किसी के भाई का लण्ड हो, चाचा का लण्ड हो, मामा का लण्ड हो, जीजा का लण्ड हो, फूफा का लण्ड हो, देवर का लण्ड हो, जेठ का लण्ड हो, बाप का लण्ड हो, ससुर का लण्ड हो, मैं सबका लण्ड पकड़ लेती हूँ। उसका खूब मज़ा लेती हूँ। आजतक मेरा रिकार्ड है की मैंने जिसका लण्ड पकड़ा उसने कभी ऐतराज़ नहीं किया बल्कि बड़े मजे से मुझे लण्ड पकड़ा दिया ? जानते हो दोस्तों, क्यों पकड़ा दिया ? क्योंकि मैं एक बेहद खूबसूरत सेक्सी और हॉट लड़की हूँ। खूबसूरत लड़कियों को तो लोग ऐसे लण्ड का पकड़ाने के चक्कर में रहतें हैं। यही कारण है की खूबसूरत लड़कियां बदचलन होतीं हैं। उन्हें लण्ड आसानी से मिल जातें हैं और फिर वो भकाभक चुदवाना शुरू कर देती हैं। शादी के बाद भी पराये मर्दों से चुदवाती रहतीं हैं।
दोस्तों, यह बात सच है की मैं बिना लण्ड के न कभी रही हूँ और न कभी रहूंगी। दुनिया इधर की उधर हो जाए पर मुझे तो लण्ड चाहिए बस लण्ड ? मैं लण्ड के लिए कुछ भी कर सकती हूँ। अपनी माँ चुदवा सकती हूँ, अपनी बहन चुदवा सकती हूँ, अपनी गांड मरवा सकती हूँ, किसी के सामने नंगी होकर खड़ी हो सकती हूँ, नंगा नाच कर सकती हूँ और गन्दी से गन्दी गालियां भी दे सकती हूँ।
एक दिन ऐसा हुआ की सुबह से शाम हो गयी मुझे कोई लण्ड नहीं मिला। मुझे लगा की रात भी हो जाएगी और आज मैं बिना लण्ड के रह जाऊंगी। मैं उस समय २२ साल की थी और मेरी शादी भी नहीं हुई थी। मैं लण्ड के लिए छटपटाने लगी। तभी अचानक मुझे मालूम हुआ की एक मौलाना यहीं नजदीक है उसके पास जाया जा सकता है। वह इलाज़ अच्छा कर लेता है। बस फिर क्या मैंने बुर्का ओढ़ा और चली गयी उसके पास। वह मौलाना साला जवान आदमी था। उसकी दाढ़ी भी काली थी। मैंने मन में कहा यार अबना (मेरा नाम ) भोसड़ी की तेरा तो काम बन गया। अब तू खूब मजे से इसके लण्ड का मज़ा ले ले।
- मैंने उससे कहा मियां मौलाना जी आप हकीम हैं, मैं आपका नाम सुनकर आयी हूँ। मैंने सुना है की तुम सबकी पीर हर लेते हो। मेरे पूरे बदन में दर्द हो रहा है प्लीज मुझे कोई दवाई बताओ न ? मैं दर्द से मरी जा रही हूँ।
- उसने कहा अच्छा यह बताओ की तुम्हे दर्द कहाँ हो रहा है ?
- मैंने कहा अब एक जगह तो बताऊँ हकीम जी, दर्द तो सब जगह हो रहा है।
- अच्छा तो फिर वह जगह बताओ जहाँ दर्द सबसे ज्यादा हो रहा है।
- वह जगह है मेरे दिल के पास। मैंने अपनी ऊँगली रख कर बताया।
- अच्छा अपना बुर्का उतार कर मुझे वह जगह दिखाओ तो मैं छू कर बताऊंगा की दर्द क्यों हो रहा है ?
- मैंने बुर्का उतारा तो अंदर सीधे ब्रा पर आ गयी। क्योंकि मैंने नीचे कुछ नहीं पहना था। मैं सिर्फ सलवार और ब्रा पहन कर आयी थी। मैंने ब्रा के एक कोने में ऊँगली से बताया की यहाँ दर्द हो रहा है। उसने वही दो उंगलियां रखीं और देखने लगा।
- मैंने कहा यहाँ नहीं थोड़ा और ऊपर ? वह ऊपर बढ़ा तो मैंने कहा और थोड़ा बाईं तरफ। वह थोड़ा बढ़ा और दबा कर देखने लाग।
- मैंने कहा नहीं मौलाना थोड़ा ऊपर बढ़ो न ? वह रुक गया मैंने कहा बढ़ो न प्लीज मुझे कोई ऐतराज़ नहीं नहीं है. तुम अच्छी तरह दबा कर देख लो ?
- ठीक है मैं समझ गया ? मैं देखता हूँ।
- समझ नहीं गये तुम भोसड़ी के मौलाना हकीम। तेरी गांड फट रही है मेरी चूँचियाँ दबाने में ? मैं जब कह रही हूँ की मेरी चूँचियाँ दबा कर देखो तो फिर तू देखता क्यों नहीं ? तू मर्द नहीं है क्या ? तेरे नीचे लण्ड है की नहीं ? और अगर लण्ड है तो उसमे आग है की नहीं ? एक खूबसूरत लड़की अपनी चूँचियाँ दिखा रही है तुम्हे और कहती की इन्हे दबाओ और तू कुछ कर नहीं रहा है। ना मर्द हो क्या तुम ?
- मेरी बातों का ऐसा असर हुआ की उसने दोनों हाथ मेरी दोनों चूँचियों पर रखा और बोला अच्छा तो तुम मुझे अब तक चूतिया बना रहीं थीं। मुझसे झूंठ बोल कर मस्ती कर रही थी तू ?
- देखो मौलाना हकीम सच बात यह है की मैं यह सुनकर आयी हूँ की तेरा लण्ड बड़ा मोटा तगड़ा है और मैं ऐसे लण्ड की बहुत क़दर करती हूँ। हकीकत यह है की मैं तेरे लण्ड से खेलने आयी हूँ। तेरा लण्ड एन्जॉय करने आयी हूँ। तुम भी मेरे जिस्म से खेलो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। चोदना हो तो चोदो। गांड मारना हो तो गांड मारो लेकिन पहले मुझे अपना लण्ड दिखाओ।
मैंने कहा मेरे हर दर्द की दवा है 'लण्ड' हकीम जी ? मुझे लण्ड पकड़ा दो तो मैं बिलकुल ठीक हो जाऊँगी।
मैंने उसकी कमीज उतार दी। उसके पैजामे का नाड़ा खोल दिया। वह नंगा हो गया। मैंने उसका लण्ड देखा तो मुस्करा पड़ी मैंने कहा हाय दईया तेरा तो लण्ड बड़ा हक्कानी लग रहा है यार ? मैं लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड का साइज ८ १/२" x ५ १/२" था। मेरे लण्ड पकड़ने से वह भी मस्त होने लगा और मेरी चूँचियाँ चूमने चाटने लगा। उसने फिर अपना हाथ मेरी सलवार में घुसेड़ दिया। हाथ मेरी छोटी छोटी झांटों तक पहुँच गया। फिर वह मेरी चूत पर भी उंगलियां फिराने लगा।
तब तक उसका लण्ड एकदम तन कर खड़ा हो गया। मैं लण्ड का टोपा चाटने लगी और पेल्हड़ चूमने लगी। मजे की बात यह थी उसकी झांटें बिलकुल नहीं थीं। हकीम भोसड़ी वाले अपनी दाढ़ी तो रखते हैं पर अपनी झांटें हरदम साफ़ रखते हैं। मैंने पूंछा ऐसा क्यों हैं ?
वह बोला अरे अबना मेरे पास हर रोज़ २/३ लड़कियां इलाज़ के बहाने मेरा लण्ड पीने आतीं हैं।
लण्ड पीने वाली लड़कियां झांटें बिलकुल नहीं पसंद करतीं ? पहले खुद लण्ड पीती हैं फिर मेरा लण्ड अपनी माँ के मुंह में घुसेड़ देती हैं। उसके बाद वो खुद चुदवाती है और फिर अपनी माँ चुदवाती हैं। चुदवाने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जब तुमने अपनी चूँची के पास दर्द की बात की तो मैं समझ गया की तुम लण्ड पीने आयी हो इलाज़ के लिए नहीं। तो फिर लो पियो मेरा लण्ड। उसने लण्ड मेरे मुंह में पेल दिया। उसने मस्ती में फिर कहा अबना किसी दिन तुम अपनी माँ को लाना मैं उसे भी पिला दूंगा लण्ड ? फिर मैं तुम्हे भी चोदूंगा और तेरी माँ भी चोदूंगा।
उसकी बातों ने मेरे तन बदन में आग और लगा दी। मैंने अपना मुंह उसकी दोनों टांगों के बीच घुसेड़ दिया और लण्ड चूसने लगी। मैंने अपनी चूत उसकी तरफ कर दिया। उसने भी अपना मुंह मेरी टांगों के बीच घुसाया और मेरी चूत चाटने लगा। उसकी दाढ़ी मेरी बिना झांट की चिकनी चूत पर रगड़ने लगी। मुझे उसके दाढ़ी की छुअन मेरी चूत पर बड़ी अच्छी लग रही थी। मुझे मज़ा आ रहा था। लण्ड साला बड़ा खूबसूरत था। लण्ड का सुपाड़ा तो मुझे बड़ा हैंडसम लग रहा था। फिर मैंने कहा हकीम जी अब लौड़ा पेल दो मेरी चूत में ? चोद डालो मेरी बुर ? पूरी ताकत लगा दो मेरी बुर चोदने में मौलना जी ? आज मैं तेरे लण्ड की चटनी बना दूंगी। भून डालूंगी तेरा लण्ड भोसड़ी के हकीम मियां ?
इन बातों ने हकीम के अंदर जोश भर दिया। उसने अपना फड़फड़ाता हुआ लण्ड मेरी चूत में ठोंक दिया। मैंने भी मजे से ठोंकवा लिया। वह धक्के पे धक्के लगाने लगा और मैं भी उसमे हेल्प करने लगी। मैंने मन में सोंचा कहाँ तो आज मुझे लग रहा था की कोई लण्ड नहीं मिलेगा लेकिन जब मिला तो मज़ा आ गया। मैंने अपने हाथ उसकी कमर में डाल दिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगी। उसे अपने बदन से चिपकाने लगी। मैंने महसूस किया कि हकीम साला वाकई चोदने में बड़ा ताकतवर है। शायद इसीलिए लड़कियां इससे चुदवाने आतीं है और वो ख़ुशी ख़ुशी अपनी माँ भी चुदवाती हैं. इतने में उसने पैतरा बदला और मुझे पीछे से चोदने लगा। मैंने कई पोर्न फिल्म्स देखीं हैं। पोर्न स्टार को पीछे से चुदवाते हुए देखा है तो मैं भी उसी तरह चुदवाने लगी। हकीम बोला अबना तेरी तरह मस्त होकर मुझे कोई भी चुदवाने वाली लड़की अभी तक नहीं मिली। अब तुमसे गुज़ारिश है की तुम आती रहना और मुझसे चुदवाती रहना।
मैं अगले दिन आई तो सारी बातें अम्मी को बता दी। वह खुश हुई और बोली अबना बेटी लगता है की अब तू अपनी माँ जरूर चुदवायेगी ? मैंने कहा तो क्या हुआ अम्मी ? तुम भी अपनी बिटिया चुदवा लेना ? फिर हम दोनों खूब ठहाके लगा कर हंसने लगीं। तब अम्मी ने बताया की तेरी दीदी का ससुर आया हुआ है, अबना। मैंने कहा अम्मी मैं उसे जानती हूँ, पहचानती हूँ लेकिन कभी उससे न तो खुल कर बात की और न ही उसके लण्ड के बारे में सुना। अम्मी ने कहा मैं बात तो करती हूँ मजाक भी करती हूँ पर हां उसके लण्ड के बारे में कुछ भी नहीं जानती ? मैंने कहा अम्मी जान, चिंता न करो आज रात को तुम उसके लण्ड के बारे में सब कुछ जान जाओगी। अम्मी ने कहा बेटी ध्यान रखना कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये ? मैंने कहा अरे अम्मी उसकी बहन का भोसड़ा ? उसकी बिटिया की बुर वह साला मेरा क्या उखाड़ लेगा ? फिर मैंने आँख मार कर कहा अम्मी उसकी बहू की माँ की चूत ? यह मैंने अम्मी की चूत पर मजाक किया। तो अम्मी ने जबाब दिया बेटी अबना उसकी बहू की बहन की बुर ? फिर हम दोनों ने खूब एन्जॉय किया और ठहाका लगाया।
अम्मी ने ड्रिंक्स का सेट लगा दिया। मैं अम्मी और दीदी तीनो लोग बैठ कर शराब का मज़ा लेने लगे। बातें भी होने लगीं। हंसी मजाक भी होने लगी। गंदे गंदे चुटकुले भी होने लगे। इतने में दूसरा पैग चालू हो गया। धीरे धीरे हम दोनों अंकल के खुल गयीं।
फूफी ने अम्मी से कहा - आज मैं तेरी बिटिया की बुर चोद डालूंगी, भाभी जान। इसकी बुर का भरता बना दूगी। बाहन चोद ?
मैंने फूफी से कहा - तो फिर आज मैं भी तेरी भाभी का भोसड़ा भकाभक चोद डालूंगी, फूफी जान।
अम्मी ने मुझसे कहा - बेटी अबना, मैं कहाँ चूकने वाली हूँ। मैं भी आज तेरी फूफी की बुर चोद चोद के तार तार
कर दूँगी। गांड फट जाएगी इसकी जब मैं इसकी बुर चोदूँगी।
तीनों मरद तालियां बजा बजा कर इन गालियों का मज़ा लूटने लगे। अब तो सब बिलकुल बेशर्म हो चुके थे। कभी कोई शर्म नाम की चीज नहीं बची। मैंने दीदी के ससुर के लण्ड पर हाथ रख कहा अंकल अब भी कुछ बचा है जो तुम अपना लण्ड इतनी देर से छिपा रहे हो ? बेटी बहू की बुर खुले आम चोदते हो और यहाँ लौड़ा छुपा कर बैठे हो अपना ? चल खोल कर दिखा सबको अपना लण्ड। ऐसा कह कर मैंने उसकी लुंगी खींच ली। वह भोसड़ी का नंगा हो गया। उसका लण्ड तन कर हमारे आगे खड़ा हो गया। तब फूफी ने मेरे खालू का लण्ड ऊपर से दबाया और बोली है बोली हाय मेरे राजा तू क्या अपना लण्ड अपनी गांड में घुसेड़ेगा ? तू भी खोल के हो जा नंगा ? उसका पैजामा खुला तो लौड़ा फड़फड़ाकर बाहर आ गया। फूफी उसे हिला हिला कर सबको दिखाने लगी। तब तक अम्मी ने फूफी के देवर का लण्ड अपीजमे के अंदर हाथ दाल कर बाहर निकाल लिया। वह साला टन टना रहा था। इस तरफ तीन के तीनो मरद बहन चोद एकदम नंगे हो गये और हम लोग सबके लण्ड बड़ी मस्ती से देखने लगीं। धीरे धीरे हमारे भी कपड़े उतर गए. मैं मादर चोद सबसे पहले नंगी हुई फिर फूफी नंगी हुई और फिर अम्मी। हम तीनो अपने अपने लण्ड चाटने लगीं। पेल्हड़ चूमने लगीं और दूसरों को लण्ड चाटते हुए देखने भी लगीं। मरद बहन चोद हम सबकी चूँचियाँ दबाने लगे और चूत पर हाथ फेरने लगे। मैंने कहा :- ससुर जी तेरा लण्ड वाकई बड़ा मोटा तगड़ा है। अब तू वापस जाकर मेरी दीदी की बुर जरूर लेगा। लेकिन पहले दीदी की बहन की बुर तो चोद लो अंकल ? उसके बाद मेरी माँ का भोसड़ा भी चोदना।
मैं यह सब कह ही रही थी की उसने लण्ड गप्प से मेरी बुर में घुसेड़ दिया। मैं भी रंडी की तरह लण्ड घुसेड़वाकर चुदवाने लगी। मेरे सामने मेरी फूफी जान मेरे खालू से चुदवाने लगीं और अम्मी जान फूफी के देवर से चुदवाने लगीं। कमरा साला चुदाई की आवाज़ों से गूंजने लगा।
मज़ा आने लगा तो फिर गालियों की बौछार होने लगी।
अम्मी ने कहां - अरे मेरी नन्द रानी तू अपनी भाभी का भोसड़ा चुदाने में कोई कसर न छोड़ना ? और बेटी अबना तू भी आज खूब जम कर चुदवा ले अपनी माँ का भोसड़ा ?
फूफी बोली - भाभी जान, तू भी खूब मज़ा ले ले के अपनी नन्द की बुर चुदवाने में लगी है। और उधर अबना को देखो वो तो अपनी फूफी के चूत में लण्ड बार बार आते जाते देख कर मज़ा ले रही है, माँ की लौड़ी ?
मैंने कहा - अम्मी, आज तू भी खूब मजे से अपनी बिटिया की बुर चुदवा रही है। अच्छा है चुदवा लो। और फूफी तुझे तो मेरी बुर में लण्ड बड़ा अच्छा लग रहा होगा। मैं भी इसी तरह किसी दिन तेरे घर आकर तेरी बिटिया की बुर में लण्ड पेलूँगी।
हम सब इसी तरह की मस्ती की बातें करती हुई और आपस में लण्ड बदलती हुई रात भर चुदवाती रहीं।
वह बोला अरे अबना मेरे पास हर रोज़ २/३ लड़कियां इलाज़ के बहाने मेरा लण्ड पीने आतीं हैं।
लण्ड पीने वाली लड़कियां झांटें बिलकुल नहीं पसंद करतीं ? पहले खुद लण्ड पीती हैं फिर मेरा लण्ड अपनी माँ के मुंह में घुसेड़ देती हैं। उसके बाद वो खुद चुदवाती है और फिर अपनी माँ चुदवाती हैं। चुदवाने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जब तुमने अपनी चूँची के पास दर्द की बात की तो मैं समझ गया की तुम लण्ड पीने आयी हो इलाज़ के लिए नहीं। तो फिर लो पियो मेरा लण्ड। उसने लण्ड मेरे मुंह में पेल दिया। उसने मस्ती में फिर कहा अबना किसी दिन तुम अपनी माँ को लाना मैं उसे भी पिला दूंगा लण्ड ? फिर मैं तुम्हे भी चोदूंगा और तेरी माँ भी चोदूंगा।
उसकी बातों ने मेरे तन बदन में आग और लगा दी। मैंने अपना मुंह उसकी दोनों टांगों के बीच घुसेड़ दिया और लण्ड चूसने लगी। मैंने अपनी चूत उसकी तरफ कर दिया। उसने भी अपना मुंह मेरी टांगों के बीच घुसाया और मेरी चूत चाटने लगा। उसकी दाढ़ी मेरी बिना झांट की चिकनी चूत पर रगड़ने लगी। मुझे उसके दाढ़ी की छुअन मेरी चूत पर बड़ी अच्छी लग रही थी। मुझे मज़ा आ रहा था। लण्ड साला बड़ा खूबसूरत था। लण्ड का सुपाड़ा तो मुझे बड़ा हैंडसम लग रहा था। फिर मैंने कहा हकीम जी अब लौड़ा पेल दो मेरी चूत में ? चोद डालो मेरी बुर ? पूरी ताकत लगा दो मेरी बुर चोदने में मौलना जी ? आज मैं तेरे लण्ड की चटनी बना दूंगी। भून डालूंगी तेरा लण्ड भोसड़ी के हकीम मियां ?
इन बातों ने हकीम के अंदर जोश भर दिया। उसने अपना फड़फड़ाता हुआ लण्ड मेरी चूत में ठोंक दिया। मैंने भी मजे से ठोंकवा लिया। वह धक्के पे धक्के लगाने लगा और मैं भी उसमे हेल्प करने लगी। मैंने मन में सोंचा कहाँ तो आज मुझे लग रहा था की कोई लण्ड नहीं मिलेगा लेकिन जब मिला तो मज़ा आ गया। मैंने अपने हाथ उसकी कमर में डाल दिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगी। उसे अपने बदन से चिपकाने लगी। मैंने महसूस किया कि हकीम साला वाकई चोदने में बड़ा ताकतवर है। शायद इसीलिए लड़कियां इससे चुदवाने आतीं है और वो ख़ुशी ख़ुशी अपनी माँ भी चुदवाती हैं. इतने में उसने पैतरा बदला और मुझे पीछे से चोदने लगा। मैंने कई पोर्न फिल्म्स देखीं हैं। पोर्न स्टार को पीछे से चुदवाते हुए देखा है तो मैं भी उसी तरह चुदवाने लगी। हकीम बोला अबना तेरी तरह मस्त होकर मुझे कोई भी चुदवाने वाली लड़की अभी तक नहीं मिली। अब तुमसे गुज़ारिश है की तुम आती रहना और मुझसे चुदवाती रहना।
मैं अगले दिन आई तो सारी बातें अम्मी को बता दी। वह खुश हुई और बोली अबना बेटी लगता है की अब तू अपनी माँ जरूर चुदवायेगी ? मैंने कहा तो क्या हुआ अम्मी ? तुम भी अपनी बिटिया चुदवा लेना ? फिर हम दोनों खूब ठहाके लगा कर हंसने लगीं। तब अम्मी ने बताया की तेरी दीदी का ससुर आया हुआ है, अबना। मैंने कहा अम्मी मैं उसे जानती हूँ, पहचानती हूँ लेकिन कभी उससे न तो खुल कर बात की और न ही उसके लण्ड के बारे में सुना। अम्मी ने कहा मैं बात तो करती हूँ मजाक भी करती हूँ पर हां उसके लण्ड के बारे में कुछ भी नहीं जानती ? मैंने कहा अम्मी जान, चिंता न करो आज रात को तुम उसके लण्ड के बारे में सब कुछ जान जाओगी। अम्मी ने कहा बेटी ध्यान रखना कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये ? मैंने कहा अरे अम्मी उसकी बहन का भोसड़ा ? उसकी बिटिया की बुर वह साला मेरा क्या उखाड़ लेगा ? फिर मैंने आँख मार कर कहा अम्मी उसकी बहू की माँ की चूत ? यह मैंने अम्मी की चूत पर मजाक किया। तो अम्मी ने जबाब दिया बेटी अबना उसकी बहू की बहन की बुर ? फिर हम दोनों ने खूब एन्जॉय किया और ठहाका लगाया।
अम्मी ने ड्रिंक्स का सेट लगा दिया। मैं अम्मी और दीदी तीनो लोग बैठ कर शराब का मज़ा लेने लगे। बातें भी होने लगीं। हंसी मजाक भी होने लगी। गंदे गंदे चुटकुले भी होने लगे। इतने में दूसरा पैग चालू हो गया। धीरे धीरे हम दोनों अंकल के खुल गयीं।
- मैंने कहा - अंकल तुम इतने हैंडसम हो तो तुम्हारे आगे पीछे लड़कियां घूमती होगीं।
- वह बोला - हां तुम सही कह रही हो अबना। और तब मैं खूब एन्जॉय भी करता था।
- अच्छा, तो फिर यह बताओ की तुमने कबसे लड़कियां चोदना शुरू किया और पहली लड़की कौन थी जिसे तुमने चोदा ?
- मैंने १८ / १९ साल की उम्र से ही चोदना शुरू कर दिया था। मैंने सबसे पहले लड़की नहीं चोदी बल्कि लड़की की माँ चोदी ? जी हां सबसे पहले मैंने अपनी खाला की बुर चोदी उसने मुझे चोदना भी सिखाया।
- तो फिर उसकी बेटी भी चोदी होगी तुमने अंकल।
- हां बिलकुल चोदी पहले तो छिप छिप कर चोदी और फिर एक दिन उसके सामने भी चोदी ?
- हाय दईया, तुम तो बड़े खतनाक आदमी हो ? माँ बेटी दोनों को चोद डाला।
- अरे अबना जब आदमी जोश में हो और लड़की भी जोश में हो तो सब कुछ हो जाता है।
- अरे वाह ! तो क्या तुमने कभी अपनी बेटी भी चोदी ?
- हां एक बार खाला की बेटी के धोखे मैंने अपनी बेटी को ही लण्ड पकड़ा दिया।
- तो फिर क्या हुआ ?
- पहले तो वह सकपका गयी लेकिन फिर मेरी खाला बोली बेटी कोई बात नहीं ऐसा अक्सर होता है। जब चूत में आग लगी होती है तो उसे बुझाने के लिए लण्ड चाहिए। फिर यह नहीं देखा जाता की लण्ड किसका है ? लण्ड सिर्फ लण्ड है वह चाहे जिसका हो ? फिर क्या हम दोनों की हिम्मत बढ़ गयी और मैंने उसे चोदा और उसने चुदवा लिया।
- अच्छा तो फिर तुम बहुएं भी चोदते होंगे ?
- हां चोदता हूँ। अपनी बहन की बहू चोदता हूँ, अपने साले की बहू चोदता हूँ।
- अपनी बहू ( यानी मेरी दीदी) चोदते हो की नहीं ?
- अभी तो नहीं चोदा पर हां एक दिन उसने मेरा लण्ड पिया था।
- अच्छा यह बात है ? तो अंकल आज तुम अपनी बहू की बहन चोदो ? अपनी बहू की माँ चोदो ? आज तुम्हे पूरी छूट है। मैं देखूँगी की तेरे लण्ड में कितनी दम है ?
फूफी ने अम्मी से कहा - आज मैं तेरी बिटिया की बुर चोद डालूंगी, भाभी जान। इसकी बुर का भरता बना दूगी। बाहन चोद ?
मैंने फूफी से कहा - तो फिर आज मैं भी तेरी भाभी का भोसड़ा भकाभक चोद डालूंगी, फूफी जान।
अम्मी ने मुझसे कहा - बेटी अबना, मैं कहाँ चूकने वाली हूँ। मैं भी आज तेरी फूफी की बुर चोद चोद के तार तार
तीनों मरद तालियां बजा बजा कर इन गालियों का मज़ा लूटने लगे। अब तो सब बिलकुल बेशर्म हो चुके थे। कभी कोई शर्म नाम की चीज नहीं बची। मैंने दीदी के ससुर के लण्ड पर हाथ रख कहा अंकल अब भी कुछ बचा है जो तुम अपना लण्ड इतनी देर से छिपा रहे हो ? बेटी बहू की बुर खुले आम चोदते हो और यहाँ लौड़ा छुपा कर बैठे हो अपना ? चल खोल कर दिखा सबको अपना लण्ड। ऐसा कह कर मैंने उसकी लुंगी खींच ली। वह भोसड़ी का नंगा हो गया। उसका लण्ड तन कर हमारे आगे खड़ा हो गया। तब फूफी ने मेरे खालू का लण्ड ऊपर से दबाया और बोली है बोली हाय मेरे राजा तू क्या अपना लण्ड अपनी गांड में घुसेड़ेगा ? तू भी खोल के हो जा नंगा ? उसका पैजामा खुला तो लौड़ा फड़फड़ाकर बाहर आ गया। फूफी उसे हिला हिला कर सबको दिखाने लगी। तब तक अम्मी ने फूफी के देवर का लण्ड अपीजमे के अंदर हाथ दाल कर बाहर निकाल लिया। वह साला टन टना रहा था। इस तरफ तीन के तीनो मरद बहन चोद एकदम नंगे हो गये और हम लोग सबके लण्ड बड़ी मस्ती से देखने लगीं। धीरे धीरे हमारे भी कपड़े उतर गए. मैं मादर चोद सबसे पहले नंगी हुई फिर फूफी नंगी हुई और फिर अम्मी। हम तीनो अपने अपने लण्ड चाटने लगीं। पेल्हड़ चूमने लगीं और दूसरों को लण्ड चाटते हुए देखने भी लगीं। मरद बहन चोद हम सबकी चूँचियाँ दबाने लगे और चूत पर हाथ फेरने लगे। मैंने कहा :- ससुर जी तेरा लण्ड वाकई बड़ा मोटा तगड़ा है। अब तू वापस जाकर मेरी दीदी की बुर जरूर लेगा। लेकिन पहले दीदी की बहन की बुर तो चोद लो अंकल ? उसके बाद मेरी माँ का भोसड़ा भी चोदना।
मैं यह सब कह ही रही थी की उसने लण्ड गप्प से मेरी बुर में घुसेड़ दिया। मैं भी रंडी की तरह लण्ड घुसेड़वाकर चुदवाने लगी। मेरे सामने मेरी फूफी जान मेरे खालू से चुदवाने लगीं और अम्मी जान फूफी के देवर से चुदवाने लगीं। कमरा साला चुदाई की आवाज़ों से गूंजने लगा।
मज़ा आने लगा तो फिर गालियों की बौछार होने लगी।
अम्मी ने कहां - अरे मेरी नन्द रानी तू अपनी भाभी का भोसड़ा चुदाने में कोई कसर न छोड़ना ? और बेटी अबना तू भी आज खूब जम कर चुदवा ले अपनी माँ का भोसड़ा ?
फूफी बोली - भाभी जान, तू भी खूब मज़ा ले ले के अपनी नन्द की बुर चुदवाने में लगी है। और उधर अबना को देखो वो तो अपनी फूफी के चूत में लण्ड बार बार आते जाते देख कर मज़ा ले रही है, माँ की लौड़ी ?
मैंने कहा - अम्मी, आज तू भी खूब मजे से अपनी बिटिया की बुर चुदवा रही है। अच्छा है चुदवा लो। और फूफी तुझे तो मेरी बुर में लण्ड बड़ा अच्छा लग रहा होगा। मैं भी इसी तरह किसी दिन तेरे घर आकर तेरी बिटिया की बुर में लण्ड पेलूँगी।
हम सब इसी तरह की मस्ती की बातें करती हुई और आपस में लण्ड बदलती हुई रात भर चुदवाती रहीं।
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