ताऊ ने माँ को चोदा - Tau ne ki Maa ki chudai
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चलिए में आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ इस कहानी में दो लोग- कोई और नहीं एक मेरी माँ और दूसरा एक इन्सान मेरे ताऊ जी की उसकी 60 साल का है यह कहानी कहीं भी कुछ पुरानी है लेकिन मेरे सामने जब भी वह दिन याद आता है तो मुझे ऐसा लगता है कि यह कल के ही बात हो वैसे भी हममें सभी सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम साल में दो या तीन बार जाते हैं। वहां हममें ताऊ जी रहेंगे, उन के बाद पत्नी की मौत के बाद वह अकेले ही रहते हैं। मैं नवरात्रि में गाँव जाने वाला था। पिताजी भी आने वाले थे लेकिन उनको कुछ काम आने के बाद उन्होंने उन दोनों को गांव जाने के लिए कहा था।
माँ ने कहा- ठीक है।
तब मैंने देखा कि माँ खुश था और पैकिंग करने के लिए। हम लोग सुबह से ट्रेन से गाँव पहुँचे वहां ताऊ जी हमें लेने के लिए आए थे। माँ उनको देखकर खुश हुए और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होंने पूछा- परिमल नहीं आया?
माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ गया है, वो दो तीन दिन बाद आयेगे।
और ताओ जी माँ को देखकर और माँ भी उनको देख रहा है मुझे कुछ दाल में काला नजर आया ...
हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताओ जी ने मुझे कहा- तुम चलो आप पढ़ रहे हैं
मुझे कहा- ठीक है।
माँ और ताओ जी पीछे बैठ गए थोड़े दूर चलने के बाद मैं माँ का आवाज़ सुनी, पीछे देखा तो ताओ जी का पैर माँ के साये में था और माँ ने मुझसे कहा कि सामने देख कर चलें।
हम लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आई ...... ......
तौ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलें।
माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये
मैं भी साथ था हम लोग खेत में पहुंचे तो मुझे ताओ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ फुराते हुए देखा गया था।
तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।
उनको पता नहीं था कि मैं देख लिया था
तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर हो और खेलो मुझे तुम्हारी माँ से बातें करना है
तो मैं माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने देखकर मुस्कुरा रही और मुझे कहा कि तुम यहाँ से जाओ
मैं वहां से चलने लगा और माँ-ताउ जी भी खेत के अंदर दूर जाने के लिए। मुझे दाल में काला नज़र आया मैं भी उनके पीछे पीछे गया तो देखा कि ताओ जी माँ की दोनों एक पेड़ की चोटी में चली गई और माँ पेड़ से लग रहे थे खड़े हो गया। अब ताओ जी में अपना हाथ माँ के साये में डालने लगे और माँ भी अपना साया उठा और उनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे उनकी किसी भी बात सुनाई नहीं दे रही है, इसलिये मैं और नज़दीक गया और सुन रहा था तब वो दोों पापा की बातें कर रही थीं
माँ कह रही है- कितने दिन बाद मुझे यह मजबूत लाड़ मिल रहा है, वरना परिमल का लाड़ा तो बेकार है।
अब माँ की बुर को दोनों हाथ से फैलाया माँ थोड़ा सा विरोध कर रहा था लेकिन उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख रहा था। इसके बाद ताऊ जी माँ की बुर पर लांडा सट्टा कर हलका सा कमर को धक्का लगाए गए। माँ का मूह से ऊह्ह्ह्हह्ह अहहह्हह्हहह की आवाज निकल गई मैं समझ गया कि माँ की बुर में ताओ जी का लण्ड चला गया है। तौ जी ने कमर को झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से झटका लगा था तो माँ के मुंह से आआआआ आहह्ह्ह्हहह्ह ईईईईई की आवाज सुनाई पड़ती थी। कुछ देर बाद जब ताऊ जी ने माँ की चूचियों को मसलना शुरू किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक तरफ ताऊ जी बुर में जोर से झटके लगाने लगे थे तो दूसरी तरफ माँ की चूचियों को जोर जोर से मसला लगे।
अब माँ की बुर में लण्ड जब से अधिक से अधिक चला गया तो माँ के मुंह से आआआआहहह आआआआ आह्हह्ह की आवाज़ आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होंठों को चूना शुरू किया। लगभग आधे घण्टे चोडने के बाद ताऊ जी के बीज माँ की चूड़ी में गिरा माँ भी बहुत ही खुश है कुछ देर बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया। माँ पांच मिनट तक लेटी रही |
माँ तो उठना चाहता था तौ जी ने उनको रोक लिया। उन्होंने उन्हें माँ से कहा- कहा जा रहा है?
तब माँ ने कहा- आज के लिए इतना बस!
तब ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई बाकी है, रुक जाओ तुम
तब ताओ जी ने माँ के पीछे जाकर माँ की गाण्ड पर लण्ड रखा और कंबर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा। माँ का मुंह आआआआ आआह्हह्ह्ह्ह ईईह्हहहहहहहह की आवाज निकलते ही मुझे समझ में आया कि माँ की गाण्ड में लांडा गया था। अब ताओ जी ने अपना काम शुरू किया और कुछ देर बाद पूरा लण्ड को माँ के गाण्ड में घुसा दिया। तौ जी माँ के गाण्ड को लगबद दस मिनट तक मारने के बाद जब धीरे धीरे शांत हो गए थे तो मुझे पता चला कि माँ की गाण्ड में बीज गिर गया है। ताऊ जी ने लण्ड को निकाला, तब माँ के पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ ने दोनों पैरों को पूरा रखा था। ताऊ जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से पूछा- पेशाब नहीं करोगी?
माँ ने गर्दन हिला कर कहा- नहीं।
अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के ऊपर बैठे माँ ने अपनी दो हाथों से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के अगले भाग में माँ की बुर में डाल दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अंदर घुसा दिया। माँ मुंह से आआआहफ़फ़्फ़ईईरीईईई धीइइईईईआआआहहह्स इसाससस सससाहहह करत रहा है तौ जी पर उनके इस बात का कोई असर नहीं हो रहा है। वो हर चार पांच छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहा था। उनका लण्ड जब से अधिक से अधिक अंदर चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कह दिया
ताओ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।
> माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत फटने वाला है। माँ की हर कोशिश को नाकाम करने के दौरान तौ जी माँ के चूव में अपने लण्ड को अंदर ले जा रहा था। माँ ने जब देखा कि अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं आपसे बहुत छोटी हूं
तौ जी ने निरंतर कई जोरदार झटके मार कर पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा दिया और माँ की चूचियों को मसला अब माँ को भी मजा आने लगेगा। शायद माँ को इसी का इन्तजार था तौ जी ने अपनी झांट को माँ के झटका में पूरी तरह से सट्टा दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे पैंतीस मिनट तक माँ की चुदाई की उसके बाद माँ और ताऊ जी शांत हो गए थे, तब मुझे समझ में आया कि माँ की बुर में ताओ जी का बीज गिर गया है। वे दोनों पूरी तरह से थक चुके थे अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया और माँ के बगल में लेट गए।
फिर दोनो ने कपड़े पहने और वहां से चलने लगे। तब मैं भी वहां से हट गया था ताकि उनको पता ना चलें कि मैं सब कुछ देख रहा हूं हम तीनों घर वापस आ गए ताऊ जी माँ को देखकर मुस्कुराने लगे कि तुम्हारा बेटा कुछ नहीं पता चला। लेकिन मैं भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे कुछ नहीं पता है...
चलिए में आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ इस कहानी में दो लोग- कोई और नहीं एक मेरी माँ और दूसरा एक इन्सान मेरे ताऊ जी की उसकी 60 साल का है यह कहानी कहीं भी कुछ पुरानी है लेकिन मेरे सामने जब भी वह दिन याद आता है तो मुझे ऐसा लगता है कि यह कल के ही बात हो वैसे भी हममें सभी सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम साल में दो या तीन बार जाते हैं। वहां हममें ताऊ जी रहेंगे, उन के बाद पत्नी की मौत के बाद वह अकेले ही रहते हैं। मैं नवरात्रि में गाँव जाने वाला था। पिताजी भी आने वाले थे लेकिन उनको कुछ काम आने के बाद उन्होंने उन दोनों को गांव जाने के लिए कहा था।
माँ ने कहा- ठीक है।
तब मैंने देखा कि माँ खुश था और पैकिंग करने के लिए। हम लोग सुबह से ट्रेन से गाँव पहुँचे वहां ताऊ जी हमें लेने के लिए आए थे। माँ उनको देखकर खुश हुए और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होंने पूछा- परिमल नहीं आया?
माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ गया है, वो दो तीन दिन बाद आयेगे।
और ताओ जी माँ को देखकर और माँ भी उनको देख रहा है मुझे कुछ दाल में काला नजर आया ...
हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताओ जी ने मुझे कहा- तुम चलो आप पढ़ रहे हैं
मुझे कहा- ठीक है।
माँ और ताओ जी पीछे बैठ गए थोड़े दूर चलने के बाद मैं माँ का आवाज़ सुनी, पीछे देखा तो ताओ जी का पैर माँ के साये में था और माँ ने मुझसे कहा कि सामने देख कर चलें।
हम लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आई ...... ......
तौ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलें।
माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये
मैं भी साथ था हम लोग खेत में पहुंचे तो मुझे ताओ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ फुराते हुए देखा गया था।
तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।
उनको पता नहीं था कि मैं देख लिया था
तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर हो और खेलो मुझे तुम्हारी माँ से बातें करना है
तो मैं माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने देखकर मुस्कुरा रही और मुझे कहा कि तुम यहाँ से जाओ
मैं वहां से चलने लगा और माँ-ताउ जी भी खेत के अंदर दूर जाने के लिए। मुझे दाल में काला नज़र आया मैं भी उनके पीछे पीछे गया तो देखा कि ताओ जी माँ की दोनों एक पेड़ की चोटी में चली गई और माँ पेड़ से लग रहे थे खड़े हो गया। अब ताओ जी में अपना हाथ माँ के साये में डालने लगे और माँ भी अपना साया उठा और उनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे उनकी किसी भी बात सुनाई नहीं दे रही है, इसलिये मैं और नज़दीक गया और सुन रहा था तब वो दोों पापा की बातें कर रही थीं
माँ कह रही है- कितने दिन बाद मुझे यह मजबूत लाड़ मिल रहा है, वरना परिमल का लाड़ा तो बेकार है।
अब माँ की बुर को दोनों हाथ से फैलाया माँ थोड़ा सा विरोध कर रहा था लेकिन उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख रहा था। इसके बाद ताऊ जी माँ की बुर पर लांडा सट्टा कर हलका सा कमर को धक्का लगाए गए। माँ का मूह से ऊह्ह्ह्हह्ह अहहह्हह्हहह की आवाज निकल गई मैं समझ गया कि माँ की बुर में ताओ जी का लण्ड चला गया है। तौ जी ने कमर को झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से झटका लगा था तो माँ के मुंह से आआआआ आहह्ह्ह्हहह्ह ईईईईई की आवाज सुनाई पड़ती थी। कुछ देर बाद जब ताऊ जी ने माँ की चूचियों को मसलना शुरू किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक तरफ ताऊ जी बुर में जोर से झटके लगाने लगे थे तो दूसरी तरफ माँ की चूचियों को जोर जोर से मसला लगे।
अब माँ की बुर में लण्ड जब से अधिक से अधिक चला गया तो माँ के मुंह से आआआआहहह आआआआ आह्हह्ह की आवाज़ आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होंठों को चूना शुरू किया। लगभग आधे घण्टे चोडने के बाद ताऊ जी के बीज माँ की चूड़ी में गिरा माँ भी बहुत ही खुश है कुछ देर बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया। माँ पांच मिनट तक लेटी रही |
माँ तो उठना चाहता था तौ जी ने उनको रोक लिया। उन्होंने उन्हें माँ से कहा- कहा जा रहा है?
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तब ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई बाकी है, रुक जाओ तुम
तब ताओ जी ने माँ के पीछे जाकर माँ की गाण्ड पर लण्ड रखा और कंबर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा। माँ का मुंह आआआआ आआह्हह्ह्ह्ह ईईह्हहहहहहहह की आवाज निकलते ही मुझे समझ में आया कि माँ की गाण्ड में लांडा गया था। अब ताओ जी ने अपना काम शुरू किया और कुछ देर बाद पूरा लण्ड को माँ के गाण्ड में घुसा दिया। तौ जी माँ के गाण्ड को लगबद दस मिनट तक मारने के बाद जब धीरे धीरे शांत हो गए थे तो मुझे पता चला कि माँ की गाण्ड में बीज गिर गया है। ताऊ जी ने लण्ड को निकाला, तब माँ के पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ ने दोनों पैरों को पूरा रखा था। ताऊ जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से पूछा- पेशाब नहीं करोगी?
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अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के ऊपर बैठे माँ ने अपनी दो हाथों से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के अगले भाग में माँ की बुर में डाल दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अंदर घुसा दिया। माँ मुंह से आआआहफ़फ़्फ़ईईरीईईई धीइइईईईआआआहहह्स इसाससस सससाहहह करत रहा है तौ जी पर उनके इस बात का कोई असर नहीं हो रहा है। वो हर चार पांच छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहा था। उनका लण्ड जब से अधिक से अधिक अंदर चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कह दिया
ताओ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।
> माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत फटने वाला है। माँ की हर कोशिश को नाकाम करने के दौरान तौ जी माँ के चूव में अपने लण्ड को अंदर ले जा रहा था। माँ ने जब देखा कि अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं आपसे बहुत छोटी हूं
तौ जी ने निरंतर कई जोरदार झटके मार कर पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा दिया और माँ की चूचियों को मसला अब माँ को भी मजा आने लगेगा। शायद माँ को इसी का इन्तजार था तौ जी ने अपनी झांट को माँ के झटका में पूरी तरह से सट्टा दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे पैंतीस मिनट तक माँ की चुदाई की उसके बाद माँ और ताऊ जी शांत हो गए थे, तब मुझे समझ में आया कि माँ की बुर में ताओ जी का बीज गिर गया है। वे दोनों पूरी तरह से थक चुके थे अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया और माँ के बगल में लेट गए।
फिर दोनो ने कपड़े पहने और वहां से चलने लगे। तब मैं भी वहां से हट गया था ताकि उनको पता ना चलें कि मैं सब कुछ देख रहा हूं हम तीनों घर वापस आ गए ताऊ जी माँ को देखकर मुस्कुराने लगे कि तुम्हारा बेटा कुछ नहीं पता चला। लेकिन मैं भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे कुछ नहीं पता है...
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