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जल्दी में ट्रेन में चढ़कर लण्ड पे बैठ गई - Jaldi mein train me chadhkar land pe baith gayi
जल्दी में ट्रेन में चढ़कर लण्ड पे बैठ गई - Jaldi mein train me chadhkar land pe baith gayi , मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
मैंने जब अम्मी से कहा - अम्मी तेरी बहन की बूर चोदूँगी मैं ? तो वह पलट कर बोली बेटी मैं भी तेरी फूफी की बुर चोदूँगी। तेरी बुर चोदी फूफी उतनी ही चुदक्कड़ है जितनी की तेरी खाला चुदक्कड़ ? दोनों भोसड़ी वाली अपनी चूत में लण्ड पेलवाने में बड़ी माहिर हैं। अपनी भी बुर में लण्ड पेलती हैं और एक दूसरे की बुर में भी लण्ड घुसेड़तीं हैं। इतने में मेरी खाला भी आ गयी और फूफी भी। मैं समझी की इन दोनों ने हमारी बातें सुन लीं हैं। खाला बोली - रुबिका, तेरी बुर चोदी खाला का भोसड़ा और खाला की बहन की बुर। उधर से फूफी बोली - रुबिका तेरी बुर चोदी फूफी की चूत और फूफी की भाभी का भोसड़ा ? अम्मी ने भी सुर में सुर मिला कर कहा बेटी रुबिका तेरी बुर चोदी माँ का भोसड़ा और माँ की बेटी की चूत । मैंने भी सटीक जबाब दिया - अम्मी तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर और बिटिया की माँ की चूत ?
मैं रुबिका हूँ दोस्तों, २५ साल की हूँ शादी शुदा हूँ। अभी पहले ही मेरी साहड़ी हुई है। मैं मादर चोद बहुत बड़ी बुर चोदी हूँ, हरामजादी हूँ और अय्यास हूँ। मैं सबको गाइयाँ खूब सुनाती हूँ। बिना गाली दिए हुए मेरे मुंह से कोई बात नहीं निकलती। मैं अम्मी को भी खूब गालियां देती हूँ। वह भी मुझे खूब प्यार से गालियां देती हैं। मैं सबकी माँ बहन चोदती हूँ। किसी को भी नहीं छोड़ती। मैं तो अपने अब्बू को भी गालियां सुना देती हूँ। मेरा अब्बू बहन चोद बहुत बड़ा अय्यास है। उसके पास दो ही काम है एक तो शराब पीना और दूसरे बुर चोदना। उसके पास धन दौलत बहुत है। अपार संपत्ति है। एक दिन मैंने उसे भी खरी खरी सुना दी। मैंने कहा अब्बू जान तू भोसड़ी का बहुत बड़ा हरामी आदमी है। मैं तेरे कारनामे सब जाती हूँ। ऊपर से तो तू दाढ़ी बढाए हए मौलाना बना घूमता है और अंदर से तू लड़कियां चोदता है ? लड़कियों की माँ चोदता है। लोगों की बीवियां चोदता है उनका हलाला करता है। तूने अपनी ज़िन्दगी में एक भी पैसा पैदा नहीं किया हां नाजयज़ औलादें जाने कितनी तूने पैदा कर डालीं हैं। तेरी बहन का भोसड़ा ? तेरा भोसड़ी का लण्ड तेरे काबू में नहीं है। तूने तो मेरी सहेलियों को भी नहीं छोड़ा। तूने तो मेरी नन्द की भी बुर ले ली और नन्द की माँ की भी। सबके सामने अपंनी लुंगी खोल कर नंगा खड़ा हो जाता है तू। मेरे मुंह मत लगना मैं शराब पीने वालों को पसंद नहीं करती।
यह उस समय की बात है जब मेरी शादी तय हो गयी थी लेकिन निकाह दो महीने बाद होने वाला था। रात में मैं जब उठी तो देखा की खाला के कमरे के लाइट धीमी धीमी जल रही है। मैंने झाँक कर देखा तो मालूम हुआ की खाला तो एकदम नंगी बैठी हैं। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ साफ़ दिखाई पड़ रही हैं। उसके हाथ में एक लण्ड था लण्ड बहुत बड़ा था। मैं समझी की यह लण्ड खाला के देवर का है क्योंकि वह आज शाम को ही आया हुआ था। मैं बेशर्म तो थी ही। मैं बिना हिचक कमरे में घुस गयी। मैंने खाला के हाथ से लण्ड छीन लिया और कुछ बोली नहीं। मैं लण्ड सहलाने लगी और मुंह खोल कर उसका सुपाड़ा चाटने चूसने लगी। खाला मुझे देखती ही रह गयीं। इतने में वह आदमी उठ कर बैठ गया।
मैंने उसकी शकल देखी तो लण्ड मेरे हाथ से छूट गया। खाला बोली रुबिका बेटी कोई बात नहीं तुम्हे शर्माने की कोई जरुरत नहीं है। जवानी में लड़की को किसी का भी लण्ड पकड़ने का हक़ होता है। तेरी चूत में आग लगी है बेटी तो तू किसी के भी लण्ड से आग बुझा सकती है ? देखो न मैं तेरे अब्बा से चुदवाती हूँ। मैंने कहा तो फिर अम्मी जान किससे ,,,,,,,,,,,,,,? वह बोली तेरी अम्मी जान मेरे देवर से चुदवा रही हैं। रात में हम सब रंडी हो जातीं हैं बेटी और किसी का भी लण्ड अपनी चूत में घुसा लेतीं हैं। इतना कह कर खाला ने अब्बू का लण्ड पकड़ कर मेरी चूत में घुसा दिया। मज़ा तो इतना आया की मैं बयान नहीं कर सकती दोस्तों।
एक बार मैं ट्रेन से कोलकाता से मुंबई जा रही थी। ट्रेन समय पर आ गयी। उस समय रात के 11.40 बजे थे। मेरी बुकिंग फर्स्ट क्लास ए /सी में थी जिसमे एक कूपं में ४ बर्थ होतीं हैं. मैं जैसे ही बैठी वैसे ही एक और आदमी आ गया। वह मेरे अब्बू की उम्र का था. उसकी दाढ़ी मूँछ नहीं थी। गोरा चिट्टा था। पैंट कमीज पहने हुए था। देखने से वह मुसलमान नहीं लग रहा था लेकिन था मुशलमान क्योंकि मैं उसका नाम लिस्ट में देख लिया था। ममैने भी अपना सामान न सेट कर दिया और उसने भी। थोड़ी देर में ट्रेन चल पड़ी और फिर टी टी आ गया। उसने हमारा टिकट चेक किया और बोला मैडम अब रात भर में कोई और आने वाला नहीं है। इसमें दो बर्थ खली रहेंगीं कहो तो मैं आपकी बर्थ चेंज कर दूँ क्योंकि आप अकेली हैं। मैंने कहा नहीं मैं अकेली नहीं हूँ। मैंने उस आदमी को आँख मार कर कहा - मेरे साथ मेरे वसीम चचा जान हैं न मुझे कोई डर नहीं है। वह बोला आप अपना कूपा बंद कर लीजिये अब और कोई आने वाला नहीं हैं। मैं मनमें बड़ी खुश हुई। उसके जाने के बाद अंकल ने कहा मैं बाथ रूम से कपड़े बदल कर आता हूँ। थोड़ी देर वह पैजामा पहन कर आ गया और अपने कपड़े टांग दिया। वह दरवाजा बंद करके बैठ गया।
इधर मैं उठी और अपना बुर्का उतार दिया। बुर्का के नीचे मैंने एक छोटी सी ब्रा पहनी थी। ब्रा इतनी छोटी थी की उसमे मेरे निपल्स ही छिप सकते थे। मेरी बड़ी बड़ी चूँचियाँ नंगी होने के लिए तड़प रहीं थीं। नीचे मैंने सलवार पहनी थी। अंकल मेरे बूब्स मस्ती से देखने लगे। मैं भी उसके सामने बैठ गयी और बातें करने लगी। इतने में मेरी एक दोस्त का फोन आ गया। मैंने जान बूझ कर स्पीकर ऑन कर दिया। वह बोली रुबिका ट्रेन मिल गयी न तुझे,,,,, ? मैंने कहा हां यार मिल गई,,,,,,कोई दिक्कत तो नहीं है तुझे ,,,,,,, ? नहीं कोई दिक्कत नहीं यार पर तू इतनी रात गए क्या कर रही है भोसड़ी वाली ,,,,, ? माँ चुदा रही हूँ अपनी ,,,,,,. माँ की लौड़ी तू झूंठ बोल रही है मुझसे। सच सच बता ,,,,,,,? सच कह रही हूँ यार। मेरा ससुर बहन चोद मेरी माँ चोद रहा है ,,,,,,,तो फिर तू क्या कर रही है ,,,,,,,? ,मैं अपने नंदोई से चुदवा रही हूँ ,,,,,,,,सब झूंठ है तू मुझे चूतिया बना रही है ,,,,,,,? अच्छा ले भोसड़ी की रुबिका मैं तुझे अपने ससुर का लण्ड मोबाईल पर भेज रही हूँ और नंदोई का भी लण्ड ,,,,, मैंने देखा तो सच में दोनों के लण्ड मेरे फोन पर आ गए ,,,,,,,,,,, हाय दईया, तू सच में बड़ी मादर चोद है,,,,,,, अच्छा तू बता ट्रेन में अच्छी तरह बैठ गयी है, न ,,,,,,,,? हां मैं पहले ट्रेन में बैठी और अब लण्ड पे बैठी हूँ,,,,,,,,? हाय अल्ला, तू किसके लण्ड पे बैठी है रुबिका,,,,,,,,,,,? वसीम अंकल के लण्ड पे बैठी हूँ। बड़ा मज़ा आ रहा है यार ? फिर फोन कट गया। अंकल मुझे बड़ी हैरान निगाह से देखने लगा। मैंने कहा ये मेरी दोस्त साइना थी और मैं उससे इसी तरह से बात करती हूँ और सच सच बोलती हूँ। कुछ भी नहीं छुपाती। पक्की दोस्त है न मेरी ? please don't mind uncle .
ऐसा कह कर मैंने उसके पैजामे का नाड़ा खोल दिया। वह बोला अरे बेटा यह क्या कर रही हो ? मैंने कहा अरे अंकल अभी तुमने सुना नहीं मैंने कहा की मैं अंकल के लण्ड पे बैठी हूँ। मैं झूंठ नहीं बोलती।अब कहा है तो मैं तेरे लण्ड पे बैठूंगी जरूर अंकल। तब तक मेरा हाथ उसके लण्ड तक पहुँच चुका था। मैंने पैजामा खोल डाला और नंगा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड साला टन टना कर खड़ा हो गया। फिर मैंने अपनी ब्रा खोल दी। मेरी दोनों चूँचियाँ खुल कर नंगीं हो गईं। अंकल का हाथ मेरी चूँचियों पर चला गया। मैं जान गई की वह भी उत्तेजित हो गया है अब मेरा काम हो गया। अब तो मैं अंकल का लण्ड रात भर चोदूगी। फिर मैंने अपनी सलवार भी उतार दी और अपनी मस्तानी चूत उसे दिखा दी। उसने मेरी चूत और मेरी गांड पर हाथ फिराना शुरू कर दिया। उधर मैं उसका लण्ड घुमा घुमा कर चारों तरफ से देख रही थी। मैंने कहा अंकल तेरा लण्ड तो मेरे अब्बू के लण्ड से मिलता जुलता है। उतना ही बड़ा उतना ही मोटा और उतना ही सख्त हां सुपाड़ा में कुछ फरक हैं। उसका सुपाड़ा अंडाकार है और तेरा सुपाड़ा गोल।
वह बोला - वाओ, तो तुम अपने अब्बू का लण्ड पकड़ चुकी हो ? मैंने बड़ी बेशर्मी से कहा - पकड़ ही नहीं अंकल मैं तो उसका लण्ड अपनी चूत में पेल भी चुकी हूँ। मेरे कुनबे में उसके जैसा लण्ड किसी का नहीं है अंकल। नाते रिश्तेदारों में भी नहीं ? जब इतना जबरदस्त लण्ड घर में ही मौजूद हो तो फिर उसका मज़ा क्यों न लिया जाए ? चीज घर में हो और बाहर वाले उसका मज़ा लूटें, घर वाले ललचायें ऐसा तो हो नहीं सकता अंकल ?
इतने मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठी गई और लण्ड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करने लगी जैसे सड़का मारा जाता है। उसके पेल्हड़ भी सहलाने लगी और बीच बीच लण्ड का टॉप झुक कर चूमने चाटने लगी।
फिर मैंने अंकल को नीचे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ बैठी। लें जैसे ही लण्ड पर बैठी वैसे ही लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मैं झुक कर बिलकुल वोसे ही लण्ड चोदने लगी जैसे वह मेरी बुर चोद रहा था। मैंने लण्ड चोदने की स्पीड बढ़ा दी तो उसे भी मज़ा आने लगा।
वह बोला - रुबिका, तुम अब तक कितने लण्ड चोद चुकी हो ?
मैंने कहा - लण्ड गिना तो नहीं मैंने कभी ? पर इतना जरूर है की मैं हर दिन २/३ लण्ड चोदती हूँ। मेरे कुनबे में और नाते रिश्ते दारों में कोई ऐसा लण्ड नहीं है जिसको मैंने चोदा न हो ?
वह बोला - तो फिर तुम अपनी माँ भी चुदवाती होगी ?
मैंने कहा - हां बिलकुल चुदवाती हूँ। मेरी माँ भोसड़ी वाली मुझसे ज्यादा लण्ड की शौक़ीन है। मैं तो कहती हूँ उससे अम्मी तेरी बेटी की माँ का भोसड़ा और तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर ? तेरी बहू की नन्द की चूत ? मैं उसे खूब गालियां देती हूँ और वह भी मुझे खूब गालियां सुनाती है।
वह बोला - रुबिका मैंने अभी तक कई लड़कियां, कई बीवियां और कई बहू बेटियां चोदीं हैं पर तुमसे ज्यादा मस्ती से किसी ने आज तक मुझसे नहीं चुदवाया। मुझे आज जितना चोदने में मज़ा आ रहा है वह मज़ा मुझे पहले कभी नहीं मिला ? तुम तो अपनी बातों से लण्ड में गज़ब का जोश भर देती हो ?
आखिर में मैंने अंकल का झड़ता हुआ लण्ड चाटा। इस तरह मैंने रात में उससे तीन बार चुदवाया।
कुछ दिन बाद मेरी शादी हो गयी और मैं ससुराल चली गयी। मैंने अपनी सुहागरात मनाई। मेरे शौहर का लण्ड औसत साइज का है पर मैं खुश हूँ। खुश इसलिए हूँ की मुझे केवल उसके लण्ड के सहारे तो ज़िन्दगी नहीं गुज़ारनी है। मैं तो कई लोगों के बल्कि सब लोगों के लण्ड का मज़ा लूंगी। शादी के एक हफ्ते तक मैं अपने मियां से ही चुदवाती रही। उसके बाद एक दिन मुझे मौक़ा मिल गया और मैंने अपने छोटे देवर का लण्ड पकड़ लिया उसे अपने मुंह में लिया और फिर चूत में। मेरे तीन देवर हैं, एक जेठ है और एक नन्द। फिर एक रात को दूसरे देवर का लौड़ा भी मिल गया और मैंने उसका खूब फायदा उठाया। एक दिन अचानक मेरी नन्द का ससुर आ गाय। मैं उसे नहीं जानती थी। उसकी शादी मेरी एक साल पहले हो गयी थी। तभी मेरी सास ने उससे मिलवाया। उसे देखते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। वह भी मुझे देख कर दंग रह गया। थोड़ी देर में मैंने देखा की हमारे बीच कोई नहीं तो मैंने कहा भोसड़ी के वसीम तू मेरी नन्द का ससुर है ? यह वही आदमी था जिसने मुझे ट्रेन में चोदा था। जिसके लण्ड की मैं दीवानी हो गयी थी।
मैंने कहा - अंकल अब तो तुम मेरी नन्द की भी बुर लोगे ?
वह बोला - रुबिका, मैं तेरी नन्द की बुर ले चुका हूँ। वह मेरी बहू है। अब तो मैं बहू की माँ चोदने आया हूँ। तुम्हे देख कर तो मेरी इच्छा और बढ़ गयी है। मैं तुम्हे अपनी नन्द के साथ चोदना चाहता हूँ।
मैंने कहा - अब क्या है ? अब तो जब चाहो तब चोदो मुझे ? मेरी नन्द चोदो, मेरी सास चोदो, मुझे चोदो। हम तीनो को एक साथ चोदो। किसी को नहीं मालूम की मैं नन्द के ससुर से चुदवा चुकी हूँ।
एक दिन मेरी नन्द बोली भाभी जान आज तुम मेरे शौहर से चुदवा लो न प्लीज ? वह तुम्हे चोदने के लिए बड़ा बेताब है। मैंने कहा ठीक है चुदवा लूंगी। आज रात को ही बुला लो उसे। वह बोली भाभी एक बात है मैं भी तेरे साथ चुदवाऊंगी। मैंने पूंछा तुम किससे चुदवाओगी ? तो वह बोली मैं अपने मियां के दोस्त से चुदवाऊंगी क्योंकि मेरा मियां उसकी बीवी की बुर लेता है। आज वह मेरी बुर लेगा। मैंने हां कह दी। रात को मैंने अपने नंदोई से चुदवाया। चुदवाते हुए मैं मन ही मन कह रही थी बेटा ठीक से चोदो मुझे ? मैं तो तेरे बाप से भी चुदवा चुकी हूँ। मेरी नन्द बुर चोदी अपने मियां के दोस्त से भकाभक चुदवाने में जुट गयी। और मैं नन्द के मियां का लण्ड चोदने में जुट गयी।
मैंने जब अम्मी से कहा - अम्मी तेरी बहन की बूर चोदूँगी मैं ? तो वह पलट कर बोली बेटी मैं भी तेरी फूफी की बुर चोदूँगी। तेरी बुर चोदी फूफी उतनी ही चुदक्कड़ है जितनी की तेरी खाला चुदक्कड़ ? दोनों भोसड़ी वाली अपनी चूत में लण्ड पेलवाने में बड़ी माहिर हैं। अपनी भी बुर में लण्ड पेलती हैं और एक दूसरे की बुर में भी लण्ड घुसेड़तीं हैं। इतने में मेरी खाला भी आ गयी और फूफी भी। मैं समझी की इन दोनों ने हमारी बातें सुन लीं हैं। खाला बोली - रुबिका, तेरी बुर चोदी खाला का भोसड़ा और खाला की बहन की बुर। उधर से फूफी बोली - रुबिका तेरी बुर चोदी फूफी की चूत और फूफी की भाभी का भोसड़ा ? अम्मी ने भी सुर में सुर मिला कर कहा बेटी रुबिका तेरी बुर चोदी माँ का भोसड़ा और माँ की बेटी की चूत । मैंने भी सटीक जबाब दिया - अम्मी तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर और बिटिया की माँ की चूत ?
मैं रुबिका हूँ दोस्तों, २५ साल की हूँ शादी शुदा हूँ। अभी पहले ही मेरी साहड़ी हुई है। मैं मादर चोद बहुत बड़ी बुर चोदी हूँ, हरामजादी हूँ और अय्यास हूँ। मैं सबको गाइयाँ खूब सुनाती हूँ। बिना गाली दिए हुए मेरे मुंह से कोई बात नहीं निकलती। मैं अम्मी को भी खूब गालियां देती हूँ। वह भी मुझे खूब प्यार से गालियां देती हैं। मैं सबकी माँ बहन चोदती हूँ। किसी को भी नहीं छोड़ती। मैं तो अपने अब्बू को भी गालियां सुना देती हूँ। मेरा अब्बू बहन चोद बहुत बड़ा अय्यास है। उसके पास दो ही काम है एक तो शराब पीना और दूसरे बुर चोदना। उसके पास धन दौलत बहुत है। अपार संपत्ति है। एक दिन मैंने उसे भी खरी खरी सुना दी। मैंने कहा अब्बू जान तू भोसड़ी का बहुत बड़ा हरामी आदमी है। मैं तेरे कारनामे सब जाती हूँ। ऊपर से तो तू दाढ़ी बढाए हए मौलाना बना घूमता है और अंदर से तू लड़कियां चोदता है ? लड़कियों की माँ चोदता है। लोगों की बीवियां चोदता है उनका हलाला करता है। तूने अपनी ज़िन्दगी में एक भी पैसा पैदा नहीं किया हां नाजयज़ औलादें जाने कितनी तूने पैदा कर डालीं हैं। तेरी बहन का भोसड़ा ? तेरा भोसड़ी का लण्ड तेरे काबू में नहीं है। तूने तो मेरी सहेलियों को भी नहीं छोड़ा। तूने तो मेरी नन्द की भी बुर ले ली और नन्द की माँ की भी। सबके सामने अपंनी लुंगी खोल कर नंगा खड़ा हो जाता है तू। मेरे मुंह मत लगना मैं शराब पीने वालों को पसंद नहीं करती।
- एक दिन ऐसा हुआ दोस्तों, की मेरी सहेली नज़मा मेरे पास आयी और बोली - यार रुबिका तेरा अब्बू सच में बड़ा हरामी है। उसने तो मुझे बातों बातों में ही लण्ड पकड़ा दिया अपना ?
- मैंने कहा - तो फिर तुमने पकड़ क्यों लिया लण्ड ? उसी समय फटकार लगा देती और दो चार गालियां सुना देती उसे।
- वह बोली - मन में तो यही आया था लेकिन जब मेरी निगाह उसके लण्ड पर पड़ी तो मैं सारी दुनियां भूल गयी। उसका लण्ड इतना लम्बा चौड़ा और मोटा तगड़ा है की मेरी तो लार टपकने लगी। मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी। मैंने इतना बड़ा और खूबसूरत लण्ड पहले कभी देखा नहीं था. मैं तो बुरी तरह ललचा गयी और मेरा हाथ अपने आप आगे बढ़ गया। मैंने मस्ती से पकड़ लिया उसका लण्ड ? फिर उसने मुझे खूब हचक हचक के चोदा भी और मैंने चुदवा भी लिया ?
- मैंने कहा - तो फिर रोती क्यों हो ?
- उसने कहा - यार कल फिर बुलाया है उसने मुझे चोदने के लिए।
- मैंने कहा - तो फिर जाओ चुदवाओ और इस बार अपनी माँ को भी ले जाना और चुदवा लेना ?
यह उस समय की बात है जब मेरी शादी तय हो गयी थी लेकिन निकाह दो महीने बाद होने वाला था। रात में मैं जब उठी तो देखा की खाला के कमरे के लाइट धीमी धीमी जल रही है। मैंने झाँक कर देखा तो मालूम हुआ की खाला तो एकदम नंगी बैठी हैं। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ साफ़ दिखाई पड़ रही हैं। उसके हाथ में एक लण्ड था लण्ड बहुत बड़ा था। मैं समझी की यह लण्ड खाला के देवर का है क्योंकि वह आज शाम को ही आया हुआ था। मैं बेशर्म तो थी ही। मैं बिना हिचक कमरे में घुस गयी। मैंने खाला के हाथ से लण्ड छीन लिया और कुछ बोली नहीं। मैं लण्ड सहलाने लगी और मुंह खोल कर उसका सुपाड़ा चाटने चूसने लगी। खाला मुझे देखती ही रह गयीं। इतने में वह आदमी उठ कर बैठ गया।
मैंने उसकी शकल देखी तो लण्ड मेरे हाथ से छूट गया। खाला बोली रुबिका बेटी कोई बात नहीं तुम्हे शर्माने की कोई जरुरत नहीं है। जवानी में लड़की को किसी का भी लण्ड पकड़ने का हक़ होता है। तेरी चूत में आग लगी है बेटी तो तू किसी के भी लण्ड से आग बुझा सकती है ? देखो न मैं तेरे अब्बा से चुदवाती हूँ। मैंने कहा तो फिर अम्मी जान किससे ,,,,,,,,,,,,,,? वह बोली तेरी अम्मी जान मेरे देवर से चुदवा रही हैं। रात में हम सब रंडी हो जातीं हैं बेटी और किसी का भी लण्ड अपनी चूत में घुसा लेतीं हैं। इतना कह कर खाला ने अब्बू का लण्ड पकड़ कर मेरी चूत में घुसा दिया। मज़ा तो इतना आया की मैं बयान नहीं कर सकती दोस्तों।
एक बार मैं ट्रेन से कोलकाता से मुंबई जा रही थी। ट्रेन समय पर आ गयी। उस समय रात के 11.40 बजे थे। मेरी बुकिंग फर्स्ट क्लास ए /सी में थी जिसमे एक कूपं में ४ बर्थ होतीं हैं. मैं जैसे ही बैठी वैसे ही एक और आदमी आ गया। वह मेरे अब्बू की उम्र का था. उसकी दाढ़ी मूँछ नहीं थी। गोरा चिट्टा था। पैंट कमीज पहने हुए था। देखने से वह मुसलमान नहीं लग रहा था लेकिन था मुशलमान क्योंकि मैं उसका नाम लिस्ट में देख लिया था। ममैने भी अपना सामान न सेट कर दिया और उसने भी। थोड़ी देर में ट्रेन चल पड़ी और फिर टी टी आ गया। उसने हमारा टिकट चेक किया और बोला मैडम अब रात भर में कोई और आने वाला नहीं है। इसमें दो बर्थ खली रहेंगीं कहो तो मैं आपकी बर्थ चेंज कर दूँ क्योंकि आप अकेली हैं। मैंने कहा नहीं मैं अकेली नहीं हूँ। मैंने उस आदमी को आँख मार कर कहा - मेरे साथ मेरे वसीम चचा जान हैं न मुझे कोई डर नहीं है। वह बोला आप अपना कूपा बंद कर लीजिये अब और कोई आने वाला नहीं हैं। मैं मनमें बड़ी खुश हुई। उसके जाने के बाद अंकल ने कहा मैं बाथ रूम से कपड़े बदल कर आता हूँ। थोड़ी देर वह पैजामा पहन कर आ गया और अपने कपड़े टांग दिया। वह दरवाजा बंद करके बैठ गया।
इधर मैं उठी और अपना बुर्का उतार दिया। बुर्का के नीचे मैंने एक छोटी सी ब्रा पहनी थी। ब्रा इतनी छोटी थी की उसमे मेरे निपल्स ही छिप सकते थे। मेरी बड़ी बड़ी चूँचियाँ नंगी होने के लिए तड़प रहीं थीं। नीचे मैंने सलवार पहनी थी। अंकल मेरे बूब्स मस्ती से देखने लगे। मैं भी उसके सामने बैठ गयी और बातें करने लगी। इतने में मेरी एक दोस्त का फोन आ गया। मैंने जान बूझ कर स्पीकर ऑन कर दिया। वह बोली रुबिका ट्रेन मिल गयी न तुझे,,,,, ? मैंने कहा हां यार मिल गई,,,,,,कोई दिक्कत तो नहीं है तुझे ,,,,,,, ? नहीं कोई दिक्कत नहीं यार पर तू इतनी रात गए क्या कर रही है भोसड़ी वाली ,,,,, ? माँ चुदा रही हूँ अपनी ,,,,,,. माँ की लौड़ी तू झूंठ बोल रही है मुझसे। सच सच बता ,,,,,,,? सच कह रही हूँ यार। मेरा ससुर बहन चोद मेरी माँ चोद रहा है ,,,,,,,तो फिर तू क्या कर रही है ,,,,,,,? ,मैं अपने नंदोई से चुदवा रही हूँ ,,,,,,,,सब झूंठ है तू मुझे चूतिया बना रही है ,,,,,,,? अच्छा ले भोसड़ी की रुबिका मैं तुझे अपने ससुर का लण्ड मोबाईल पर भेज रही हूँ और नंदोई का भी लण्ड ,,,,, मैंने देखा तो सच में दोनों के लण्ड मेरे फोन पर आ गए ,,,,,,,,,,, हाय दईया, तू सच में बड़ी मादर चोद है,,,,,,, अच्छा तू बता ट्रेन में अच्छी तरह बैठ गयी है, न ,,,,,,,,? हां मैं पहले ट्रेन में बैठी और अब लण्ड पे बैठी हूँ,,,,,,,,? हाय अल्ला, तू किसके लण्ड पे बैठी है रुबिका,,,,,,,,,,,? वसीम अंकल के लण्ड पे बैठी हूँ। बड़ा मज़ा आ रहा है यार ? फिर फोन कट गया। अंकल मुझे बड़ी हैरान निगाह से देखने लगा। मैंने कहा ये मेरी दोस्त साइना थी और मैं उससे इसी तरह से बात करती हूँ और सच सच बोलती हूँ। कुछ भी नहीं छुपाती। पक्की दोस्त है न मेरी ? please don't mind uncle .
ऐसा कह कर मैंने उसके पैजामे का नाड़ा खोल दिया। वह बोला अरे बेटा यह क्या कर रही हो ? मैंने कहा अरे अंकल अभी तुमने सुना नहीं मैंने कहा की मैं अंकल के लण्ड पे बैठी हूँ। मैं झूंठ नहीं बोलती।अब कहा है तो मैं तेरे लण्ड पे बैठूंगी जरूर अंकल। तब तक मेरा हाथ उसके लण्ड तक पहुँच चुका था। मैंने पैजामा खोल डाला और नंगा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड साला टन टना कर खड़ा हो गया। फिर मैंने अपनी ब्रा खोल दी। मेरी दोनों चूँचियाँ खुल कर नंगीं हो गईं। अंकल का हाथ मेरी चूँचियों पर चला गया। मैं जान गई की वह भी उत्तेजित हो गया है अब मेरा काम हो गया। अब तो मैं अंकल का लण्ड रात भर चोदूगी। फिर मैंने अपनी सलवार भी उतार दी और अपनी मस्तानी चूत उसे दिखा दी। उसने मेरी चूत और मेरी गांड पर हाथ फिराना शुरू कर दिया। उधर मैं उसका लण्ड घुमा घुमा कर चारों तरफ से देख रही थी। मैंने कहा अंकल तेरा लण्ड तो मेरे अब्बू के लण्ड से मिलता जुलता है। उतना ही बड़ा उतना ही मोटा और उतना ही सख्त हां सुपाड़ा में कुछ फरक हैं। उसका सुपाड़ा अंडाकार है और तेरा सुपाड़ा गोल।
वह बोला - वाओ, तो तुम अपने अब्बू का लण्ड पकड़ चुकी हो ? मैंने बड़ी बेशर्मी से कहा - पकड़ ही नहीं अंकल मैं तो उसका लण्ड अपनी चूत में पेल भी चुकी हूँ। मेरे कुनबे में उसके जैसा लण्ड किसी का नहीं है अंकल। नाते रिश्तेदारों में भी नहीं ? जब इतना जबरदस्त लण्ड घर में ही मौजूद हो तो फिर उसका मज़ा क्यों न लिया जाए ? चीज घर में हो और बाहर वाले उसका मज़ा लूटें, घर वाले ललचायें ऐसा तो हो नहीं सकता अंकल ?
इतने मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठी गई और लण्ड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करने लगी जैसे सड़का मारा जाता है। उसके पेल्हड़ भी सहलाने लगी और बीच बीच लण्ड का टॉप झुक कर चूमने चाटने लगी।
- मैंने पूंछा - अंकल, तेरा लण्ड इतना बढ़िया है तो तुम इसका पूरा इस्तेमाल करते हो की नहीं ?
- वह बोला - हां करता तो हूँ पर कभी कभी नहीं भी करता।
- लड़कियां चोदते हो कि नहीं ? किस किस की बुर लेते हो अंकल ?
- कई लड़कियों की बुर लेता हूँ, कई बीवियों की भी बुर लेता हूँ,
- लड़कियों की माँ चोदते हो की नहीं ?
- हां चोदता हूँ। लड़कियां खुद अपनी माँ चुदवाने आतीं हैं मुझसे ?
- बेटी बहुओं की भी बुर चोदते हो न अंकल ?
- हां चोदता हूँ लेकिन किसी को जबरदस्ती नहीं चोदता. जो ख़ुशी ख़ुशी चुदवाती है उन्हीं को चोदता हूँ।
- तेरी बेटी ने कभी तेरा लण्ड पकड़ा ?
- मेरी कोई बेटी नहीं है ?
- तो फिर घर में औरों की बेटियां चोदी होंगीं तूने ?
- हां चोदीं हैं। अपने साले की बेटियां चोदीं हैं, अपनी साली की बेटियां, अपने दोस्तों की बेटियां और अपनी बहनों की बेटियां चोदीं हैं।
- बाप रे बाप तुम तो बहुत बड़े चोदू हो भोसड़ी के अंकल ? तेरी बहन की बुर, तेरी बहन की बिटिया की बुर ? तेरा ये लण्ड मादर चोद बड़ा हरामी निकला, अंकल (मैंने लण्ड पर प्यार से थप्पड़ मारते हुए कहा)
फिर मैंने अंकल को नीचे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ बैठी। लें जैसे ही लण्ड पर बैठी वैसे ही लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मैं झुक कर बिलकुल वोसे ही लण्ड चोदने लगी जैसे वह मेरी बुर चोद रहा था। मैंने लण्ड चोदने की स्पीड बढ़ा दी तो उसे भी मज़ा आने लगा।
वह बोला - रुबिका, तुम अब तक कितने लण्ड चोद चुकी हो ?
मैंने कहा - लण्ड गिना तो नहीं मैंने कभी ? पर इतना जरूर है की मैं हर दिन २/३ लण्ड चोदती हूँ। मेरे कुनबे में और नाते रिश्ते दारों में कोई ऐसा लण्ड नहीं है जिसको मैंने चोदा न हो ?
वह बोला - तो फिर तुम अपनी माँ भी चुदवाती होगी ?
मैंने कहा - हां बिलकुल चुदवाती हूँ। मेरी माँ भोसड़ी वाली मुझसे ज्यादा लण्ड की शौक़ीन है। मैं तो कहती हूँ उससे अम्मी तेरी बेटी की माँ का भोसड़ा और तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर ? तेरी बहू की नन्द की चूत ? मैं उसे खूब गालियां देती हूँ और वह भी मुझे खूब गालियां सुनाती है।
वह बोला - रुबिका मैंने अभी तक कई लड़कियां, कई बीवियां और कई बहू बेटियां चोदीं हैं पर तुमसे ज्यादा मस्ती से किसी ने आज तक मुझसे नहीं चुदवाया। मुझे आज जितना चोदने में मज़ा आ रहा है वह मज़ा मुझे पहले कभी नहीं मिला ? तुम तो अपनी बातों से लण्ड में गज़ब का जोश भर देती हो ?
आखिर में मैंने अंकल का झड़ता हुआ लण्ड चाटा। इस तरह मैंने रात में उससे तीन बार चुदवाया।
कुछ दिन बाद मेरी शादी हो गयी और मैं ससुराल चली गयी। मैंने अपनी सुहागरात मनाई। मेरे शौहर का लण्ड औसत साइज का है पर मैं खुश हूँ। खुश इसलिए हूँ की मुझे केवल उसके लण्ड के सहारे तो ज़िन्दगी नहीं गुज़ारनी है। मैं तो कई लोगों के बल्कि सब लोगों के लण्ड का मज़ा लूंगी। शादी के एक हफ्ते तक मैं अपने मियां से ही चुदवाती रही। उसके बाद एक दिन मुझे मौक़ा मिल गया और मैंने अपने छोटे देवर का लण्ड पकड़ लिया उसे अपने मुंह में लिया और फिर चूत में। मेरे तीन देवर हैं, एक जेठ है और एक नन्द। फिर एक रात को दूसरे देवर का लौड़ा भी मिल गया और मैंने उसका खूब फायदा उठाया। एक दिन अचानक मेरी नन्द का ससुर आ गाय। मैं उसे नहीं जानती थी। उसकी शादी मेरी एक साल पहले हो गयी थी। तभी मेरी सास ने उससे मिलवाया। उसे देखते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। वह भी मुझे देख कर दंग रह गया। थोड़ी देर में मैंने देखा की हमारे बीच कोई नहीं तो मैंने कहा भोसड़ी के वसीम तू मेरी नन्द का ससुर है ? यह वही आदमी था जिसने मुझे ट्रेन में चोदा था। जिसके लण्ड की मैं दीवानी हो गयी थी।
मैंने कहा - अंकल अब तो तुम मेरी नन्द की भी बुर लोगे ?
वह बोला - रुबिका, मैं तेरी नन्द की बुर ले चुका हूँ। वह मेरी बहू है। अब तो मैं बहू की माँ चोदने आया हूँ। तुम्हे देख कर तो मेरी इच्छा और बढ़ गयी है। मैं तुम्हे अपनी नन्द के साथ चोदना चाहता हूँ।
मैंने कहा - अब क्या है ? अब तो जब चाहो तब चोदो मुझे ? मेरी नन्द चोदो, मेरी सास चोदो, मुझे चोदो। हम तीनो को एक साथ चोदो। किसी को नहीं मालूम की मैं नन्द के ससुर से चुदवा चुकी हूँ।
एक दिन मेरी नन्द बोली भाभी जान आज तुम मेरे शौहर से चुदवा लो न प्लीज ? वह तुम्हे चोदने के लिए बड़ा बेताब है। मैंने कहा ठीक है चुदवा लूंगी। आज रात को ही बुला लो उसे। वह बोली भाभी एक बात है मैं भी तेरे साथ चुदवाऊंगी। मैंने पूंछा तुम किससे चुदवाओगी ? तो वह बोली मैं अपने मियां के दोस्त से चुदवाऊंगी क्योंकि मेरा मियां उसकी बीवी की बुर लेता है। आज वह मेरी बुर लेगा। मैंने हां कह दी। रात को मैंने अपने नंदोई से चुदवाया। चुदवाते हुए मैं मन ही मन कह रही थी बेटा ठीक से चोदो मुझे ? मैं तो तेरे बाप से भी चुदवा चुकी हूँ। मेरी नन्द बुर चोदी अपने मियां के दोस्त से भकाभक चुदवाने में जुट गयी। और मैं नन्द के मियां का लण्ड चोदने में जुट गयी।
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