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» मैं मना भी नहीं करती बल्कि मस्ती से चुदवाती हूँ - Main manaa nahi karti aao mujhe chodo
मैं मना भी नहीं करती बल्कि मस्ती से चुदवाती हूँ - Main manaa nahi karti aao mujhe chodo
मैं मना भी नहीं करती बल्कि मस्ती से चुदवाती हूँ - Main manaa nahi karti aao mujhe chodo , मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
अब्बू एक बात कान खोल कर सुन लो। मेरी नन्द का अब्बू मेरी बुर लेता है । मैं मना भी नहीं करती बल्कि मस्ती से उसे अपनी बुर देती भी हूँ। अब तू बता अब्बू क्या तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो ? अगर लेते हो तो बहुत अच्छा ? वह तुम्हे अपनी बुर ख़ुशी ख़ुशी देती है तो और भी अच्छा और अगर नहीं देती है तो मुझे साफ़ साफ़ बताओ। मैं आज ही उसकी माँ का भोसड़ा चोदूँगी ?
मेरा सवाल सुनकर अब्बू थोड़ा मुस्कराया और फिर बोला - बेटी सूफ़िया, यह सच है की तेरी नन्द मुझे अपनी बुर देती है। पहले तो वह थोड़ा झिझकती थी शर्माती भी थी पर जिस दिन तेरी सास ने उसे मेरा लण्ड चाटते हुए देखा तो वह बोली बेटी नूर तू बहुत नसीबवाली है की तुझे इतने बढ़िया लण्ड से चुदवाने का मौक़ा मिल रहा है। इस मौके का फायदा उठा और जी भर के चुदवा ले। बार बार ऐसा लौड़ा नहीं मिलता बेटी। इतने में तेरी नन्द बोली हाय अम्मी जान अगर ऐसा है तो फिर तू भी इस लौड़े का मज़ा ले ले न ? वह बोली नहीं बेटी तुम पहले चुदवा लो मैं फिर बाद में चुदवा लूंगी। अभी तेरा ससुर आने वाला है। आज मैं उसका लण्ड चोदूँगी। तब मैं बड़े इत्मीनान से तेरी नन्द की बुर चोदने लगा बेटी सूफ़िया और मुझे मज़ा भी खूब आया। मैं चाहता हूँ की किसी दिन उसकी माँ का भोसड़ा भी चोदूँ तो अच्छा होगा ? क्योंकि उस दिन मैं रात में रुक नहीं पाया बल्कि मैं अपने दोस्त के घर चला गया।
मैंने कहा - तुम जरूर चोदोगे मेरी नन्द की माँ का भोसड़ा, अब्बू यानी मेरी सास का भोसड़ा ?
अब्बू में कहा - मुझे अगर तेरी सास चोदने को मिल जाये तो मैं सबसे पहले उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ चोदूंगा। मुझे बड़ी बड़ी चूँचियाँ चोदने में बड़ा मज़ा आता है।
मैंने कहा - तब तो तुम मेरी खाला की चूँचियाँ जरूर चोदते होंगे अब्बू जान ?
वह बोला - हां बिलकुल चोदता हूँ और उसकी नन्द की की भी चूँचियाँ चोदता हूँ
मैंने कहा - अब्बू जान बड़े हरामी हो तुम और तुमसे ज्यादा हरामी है तेरा ये भोसड़ी का लण्ड ?
वह बोला - वैसे तेरी सास कई लोगों से चुदवाती है।
आज मुझे मालूम हो गया की मेरी सास बुर चोदी उतनी ही चुदक्कड़ है जितनी की मैं चुदक्कड़। अब मज़ा आएगा सास और बहू की सामूहिक चुदाई का जिसमे मेरी नन्द की भाग लेगी और उसे भी बड़े बड़े लौंड़ों का मज़ा मिलेगा ? अब एक बात और बताओ अब्बू जान क्या तुमने कभी मेरी भाभी की बुर ली है। कभी अपनी बहू की बुर में लौड़ा पेला है तूने ? झूंठ नहीं बोलना। मैं सच्चाई का पता लगाना चाहती हूँ। वह बोला सच्चाई तो यह है बेटी की मैंने कभी भी तेरी भाभी की बुर नहीं ले ली है। मैं उस दिन उसकी बुर लूंगा जिस दिन वह अपने मन से मुझे बुर देगी। मैं जबरदस्ती किसी की बुर नहीं लेता और जो अपने मन से मुझे अपनी बुर देती है मैं उसे बिना चोदे छोड़ता भी नहीं हूँ चाहे वह कोई भी हो ?
दोस्तों, आप यह सोंच रहे होगें की मैं कैसे अपने अब्बू से इतनी गन्दी गन्दी बातें कर रही हूँ। उसको खुल कर गालियां दे रही हूँ और चोदा चोदी की बातें, लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा की बातें कर रही हूँ ? जी हां यह सच है की मैं अपने अब्बू से पूरी तरह खुल चुकी हूँ। मेरा अब्बू एक बहुत अच्छा इंसान है। सबकी मदद करता है. सबकी भलाई करता है और सबका ख्याल रखता है। मुसीबत में वह सबकी सेवा करता है, सबके काम आता है। पैसों से भी गरीब लोगों की भलाई करता है। लेकिन उसकी बस एक ही कमजोरी है और वह है लड़कियां चोदना। उसे चोदने का बेहद शौक है। चुदाई के खेल में वह कोई रिस्ता नहीं देखता। चाहे किसी की बेटी हो, किसी की माँ हो, किसी की बीवी हो, किसी की बहू हो, जेठानी हो, देवरानी हो, सास हो, नन्द हो, सबकी बुर में अपना लौड़ा पेल देता है। खुदा ने उसका लौड़ा भी इतना लम्बा चौड़ा और तगड़ा तंदुरुस्त बनाया है की जो लड़की उसका लौड़ा एक बार पकड़ लेती है वह बार बार पकड़ने आती हैं। जो एक बार चुदवा लेती है वो बार चुदवाने आती है। कोई अपनी माँ चुदवा लेती है, कोई अपनी भाभी, कोई अपनी बहन, अपनी खाला, अपनी फूफी चुदवा लेती है। मेरा अब्बू किसी को भी मना नहीं करता सबकी बुर में लौड़ा पेल देता है।
मैं भी जब जवान हुई तो मुझे लण्ड पकड़ने की आदत पड़ गयी। मैं लड़कों के लण्ड पकड़ने लगी. पहले तो लण्ड पकड़ कर हिलाती थी, सहलाती थी, उसे प्यार से देखती थी, लण्ड की झांटें भी बनाती थी। धीरे धीरे मैं लण्ड का मुठ्ठ मारने लगी। लण्ड की मालिस करने लगी। लण्ड चूमने चाटने लगी और फिर मुंह में डाल कर चूसने लगी। और फिर एक दिन लौड़ा मैंने अपनी चूत में भी घुसेड़ना शुरू कर दिया। तब मैं १९ साल की हो गयी थी। यह बात मेरी खाला को मालूम हो गयी। फिर एक दिन अम्मी भी जान गयी की मैं चुदवाने लगी हूँ। वह कुछ बोली नहीं बल्कि मन ही मन खुश हुई और मेरी हिम्मत बढ़ गयी। एक दिन मैं अपनी दोस्त के घर गयी। बातों ही बातों में वह मेरे अब्बू के लण्ड की तारीफ करने लगी।
वह बोली सूफ़िया तेरे अब्बू के लण्ड जैसा कोई और लण्ड मैंने क्या मेरी माँ ने भी नहीं देखा ? मैंने पूंछा तू कैसे जानती है मेरे अब्बू के लण्ड के बारे में ? वह बोली यार मुझसे पहले मेरी अम्मी जानती है तेरे अब्बू का लण्ड। एक दिन मेरी अम्मी ने तेरे अब्बू को अपने घर बुलाया और फिर उसका नंगा लण्ड मुझे पकड़ा दिया। तब मुझे मालूम हुआ की मेरी अम्मी बुर चोदी तेरे अब्बू से चुदवाती है। मैं तो लण्ड पकड़ कर मस्त हो गयी। अम्मी ने फिर लण्ड फिर मेरी भी चूत में पेल दिया और मैंने जी भर के इतने बड़े और मोटे लण्ड से खूब चुदवाया। मेरे मियां का लण्ड तो इसका आधा भी नहीं है यार ? मेरे अब्बू का लण्ड तो तेरे अब्बू के लण्ड से बहुत छोटा है। मेरे ससुर का लण्ड लम्बा तो है पर इतना मोटा नहीं है। उसकी बातों ने मेरे अंदर आग लगा दी। मैंने सोंचने लगी की जब मेरे घर में ही इतना बड़ा मस्त लौड़ा है तो मैं उसका मज़ा क्यों न लूँ ? बस मैं अब्बू का लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगी।
एक दिन मैं पड़ोस की रहीमा आंटी के घर चली गयी। उसकी बेटी रिया मेरी अच्छी दोस्त है। वह बोली अरी सूफ़िया तू बहुत अच्छे मौके से आयी है। चल तुम्हे दिखाती हूँ की मेरे घर में क्या हो रहा है ? वह मुझे अंदर ले गयी और मुझसे खिड़की के अंदर झांकर देखने के लिए कहा। मैं झाँकने लगी। मैंने देखा की उसकी अम्मी एकदम नंगी बैठी हुई हैं। उसकी बड़े बड़े स्तन बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैं पहली बार आंटी को नंगी देख रही थी। उसका भोसड़ा भी कुछ कुछ दिखाई पड़ रहा था। तब तक रिया मेरे कान में बोली यार सूफ़िया देख कोई मेरी माँ चोदने कोई आया है ? तब तक मैंने देखा की आंटी किसी का लण्ड पकड़ कर हिला रहीं हैं। लण्ड बहन चोद जितना बड़ा और मोटा था उतना ही खूबसूरत था। मेरी तो लार टपकने लगी। मेरा मन हुआ की मैं अभी अंदर घुस जाऊं और लण्ड मुंह में ले लूँ। अचानक आंटी ने मुझे और रिया को देख लिया। वह वहीँ से बोली तुम दोनों वहां क्या अपनी झांटें उखाड़ रही हो वहां बैठी बैठी ? छिप छिप कर देखने की कोई जरुरत नहीं है। तुम दोनों इधर आओ मेरे पास।
हम दोनों अंदर घुस गयी।आंटी ने लण्ड मुझे दिखाते हुए कहा ले भोसड़ी की सूफ़िया पकड़ के देख ले अच्छी तरह लण्ड ? शरमाने की कोई जरुरत नहीं है। अब तू लण्ड पकड़ने वाली और लण्ड चोदने वाली हो गयी है। मैं तो चाहती यही थी। मैंने हाथ बढाकर लण्ड पकड़ लिया और उसे प्यार से हिला हिला कर चारों तरफ से देखने लगी। रिया भी उसके पेल्हड़ सहलाने लगी। तब तक आंटी ने लण्ड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया और मैं लण्ड पीने लगी।आंटी ने पूंछा सूफ़िया तू क्या पहली बार लण्ड पी रही है ? मैंने कहा नहीं आंटी मैं तो कई लण्ड पी चुकी हूँ। कई लण्ड अपनी चूत में घुसा चुकी हूँ. मैं लण्ड से बेहद मोहब्बत करती हूँ। मैं तो अब बिंदास चुदवाती हूँ अपनी बुर। आंटी ने कहा और रिया तू बुर चोदी क्या करती है ? वह बोली मैं भी लण्ड पीती हूँ अम्मी और लण्ड अपनी चूत में घुसा कर चुदवाती हूँ। आंटी ने पूंछा रिया तू जानती है यह किसका लण्ड है ? वह बोली नहीं अम्मी जान ? मैं नहीं जानती ? मैं आज पहली बार इतना बड़ा और मोटा लण्ड पकड़ कर देख रही हूँ। तब आंटी के मुँह से निकला बेटी रिया ये सूफ़िया के अब्बू का लण्ड है ?
यह सुनकर मेरे बदन में सुरसुरी होने लगी और मेरे हाथ से लण्ड छूट गया। उधर अब्बू जान भी उठ कर खड़ा हो गया। लेकिन उसका लण्ड वैसे ही टन टना रहा था। आंटी ने कहा बेटी सूफ़िया कोई घबराने की बात नहीं है ? लण्ड पर किसी का नाम नहीं लिखा है। और धोखे से अगर तूने अपने अब्बू का भी लण्ड पकड़ लिया तो कोई गुनाह नहीं है। तुम्हे लण्ड पसंद है तो तुम इसका इस्तेमाल करो। चोदा चोदी के खेल में कोई रिस्ता नहीं देखा जाता, बेटी। अब मेरी बेटी रिया को देखो। ये बुर चोदी अपनी माँ चुदवाती है। लण्ड मेरे भोसड़ा में पेलती है और मैं इसकी चूत में लण्ड घुसाती हूँ। आज यही लण्ड इसकी चूत में पेलूँगी मैं। ऐसा कह कर आंटी ने लण्ड फिर मेरे मुंह में घुसा दिया और मैं उसी तरह चूसने लगी। फिर उसने मुझे नंगी किया और रिया को भी। उसके बाद आंटी ने हम दोनों की बुर में बारी बारी से लण्ड पेला ? उस दिन मुझे चुदवाने में सबसे ज्यादा मज़ा आया। फिर मैं अब्बू से भी खुल गयी।
अब तो मैं चुदाई के मामले में और लण्ड के मामले में मैं आज़ाद हो गयी। मैंने इसका बड़ा फायदा उठाया और हर रोज़ नये नये लण्ड का स्वाद चखने लगी। कुछ दिन बाद मेरी शादी हो गयी और मैं ससुराल चली गयी। मेरा मन था की मैं अपनी सुहागरात अपने शौहर के साथ साथ कुछ और लोगों के साथ भी मनाऊं लेकिन यह हो नहीं सका। शादी के एक हफ्ते के बाद मेरा शौहर विदेश चला गया। तब मेरी चुदवाने की इच्छा और प्रबल हो गयी। मैं इधर उधर लण्ड की तलाश में घूमने लगी। मेरी नन्द नूर की भी शादी हो चुकी है। उसकी ससुराल लोकल ही है। मेरी सास फातिमा सुना है बड़ी मस्त और हंसमुख हैं। मैं इन दोनों से अपना ताल मेल बैठा ही रही थी तभी एक दिन मुझे मौक़ा मिल गया। वह था मेरा नंदोई। मेरी नज़र उसके लण्ड पर थी। मैंने सोंच लिया की अगर वह आज रात को रुकेगा तो मैं उसका लण्ड जरूर पकड़ लूंगी। मैं अपनी झांटें वगैरह बना कर रात के लिए तैयार हो गयी।
एक समस्या मेरे सामने जरूर थी।मेरी नन्द घर पर थी। तब मैं कैसे उसके शौहर से चुदवा सकती हूँ मेरे मन में आया। शाम होते होते वह मेरे पास आयी और बोली भाभी जान मैं तुम्हे एक बात बता रही हूँ किसी को बताना नहीं है ? मैंने कहा ठीक है नहीं बताऊंगी पर बात क्या है ? वह बोली आज मैं अपनी ससुराल में अपने ससुर से चुदवाने जा रही हूँ। सुना है उसका लौड़ा बड़ा जबरदस्त है। रात भर चुदवाऊंगी और कल दोपहर तक आऊंगी। मेरे मियां को कुछ मत बताना। मैंने कहा मैं मियां क्या किसी को नहीं बताऊंगी। वह चली गईं तो मेरा काम बन गया। रात ११ बजे थे। सब अपने बिस्तर पर चले गए और मैं भी। आधे घंटे के बाद मैं उठी और अपने सारे कपड़े खोल कर एकदम नंगी हो गयी। बस ऊपर से एक साल ओढ़ ली जिससे मेरी चूँचियाँ और चूत छिप गयी और मैं नंदोई के कमरे में घुस गयी। मैंने देखा की वह नंगे बदन लेटा है। गर्मी के दिन थे। उसके पैजामे का नाड़ा खुला था। मैं जान गयी की उसने अपना हाथ अंदर डाल कर लौड़ा सहलाया होगा। मैं कुछ बोली और नज़दीक पहुँच गयी।
पैजामे के उभार से मालूम हो रहा था की लण्ड खड़ा है। मैंने अपना हाथ धीरे से उसके पैजामे में घुसेड़ दिया। वह बोला अरे सूफ़िया भाभी आप ? मैंने कहा हां मैं तेरा लण्ड देखने आयी हूँ नंदोई जी ? तब तक मेरे हाथ में लण्ड आ चुका था और वह मुझे मना भी नहीं कर सका। मैंने अपनी साल फेंक दी। वह मुझे एकदम नंगी देख कर हैरान हो गया। उसका लौड़ा उछाल मारने लगा। मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और कहा जब मैं नंगी हूँ नंदोई तो तुम भी नंगे हो जाओ। मैंने उसका लण्ड का सुपाड़ा चाटा और कहा हाय रे बड़ा प्यारा है तेरा भोसड़ी का लण्ड। इतने में उसने मुझे चिपका लिया और मेरी चूँचियाँ मसलने लगा। वह बोला भाभी आज तो मैं तेरी बुर लूंगा। मैंने कहा नंदोई जी मैं तुम्हे अपनी बुर देने ही आयी हूँ। अच्छा यह बताओ तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो ? वह बोला भाभी तेरी नन्द मेरी बीवी है मगर उसकी बुर मेरे दोस्त लेते हैं। कुनबे के भी कुछ लोग लेते हैं मेरी बीवी की बुर। ऐसा कह कर वह मेरी बुर चाटने लगा।
थोड़ी देर तक वह मेरी बूर चाटता रहा और मैं उसका लण्ड। फिर उसन लण्ड घुसा दिया मेरी चूत में और बोलै भाभी अब रहा नहीं जा रहा है। अब मैं तुझे चोदूंगा। मैंने कहा तो फिर लो मुझे चोदो न ? पेल दो पूरा लौड़ा। मैं भी इसी का इंतज़ार कर रही हूँ। वह चोदने लगा। कुछ देर बाद मैंने पूंछा नंदोई जी कभी अपनी बीवी की माँ चोदी है तुमने। वह बोला चोदी तो नहीं है पर चोदने का मन हैं। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियों में लण्ड पेलना चाहता हूँ मैं। मैंने कहा नंदोई जी जो तेरी सास है वही बुर चोदी मेरी भी सास है। तुम मेरी सास का भोसड़ा चोदोगे तो मैं तेरी सास का भोसड़ा चोदूँगी। मेरी मस्त मस्त बातों से उसका लौड़ा और टन टना उठा। मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा और उसे भी। उसका लौड़ा भी मुझे अच्छा लगा। उसने फिर पीछे से चोदा और फिर लण्ड पे बैठा के चोदा। बाद मैंने झड़ता हुआ लण्ड चाटा।
दूसरे दिन जब मेरी नन्द वापस आयी तो मैंने पूंछा कैसा था तेरे ससुर का लण्ड नन्द रानी ? वह बोली वाओ, क्या लौड़ा है उसका बहन चोद ? मैंने रात में ३ बार चुदवाया अब मैं किसी दिन उसे अपनी माँ चुदवाऊंगी। मेरी माँ को उस तरह का लौड़ा बहुत पसंद है यार। मैंने कहा अच्छा तो तू बुर चोदी अपनी भाभी की बुर भूल गयी। उसने कहा नहीं भाभी मैं तेरी भी बुर में उसका लौड़ा पेलूँगी।
फिर मैं एक दिन अपनी नन्द के साथ अपने माईके आ गयी। वह मेरे घर में दो दिन रुकी और इसी बीच मेरे अब्बू ने उसकी बुर ले ली। मेरी नन्द ने मुझे खुल कर बताया भाभी जी आज तेरे अब्बू ने मेरी बुर चोद ली। उसका लौड़ा मुझे बहुत ही पसंद आ गया इसलिए मैं भी मस्ती से चुदवाती रही। मैंने कहा भोसड़ी की तूने मेरे अब्बू से चुदवाया है। अब मैं तेरे अब्बू से चुदवाऊंगी। वह बोली वाओ, भाभी जान मैं अपने अब्बू का लण्ड तेरी बुर में पेलूँगी। मेरा अब्बा भोसड़ी का बहू बेटों की बुर खूब लेता है। मेरी बड़ी भाभी तो उससे भकाभक चुदवाती हैं। इस तरह मैं भी अपने ससुर से चुदवाने लगी।
अब्बू एक बात कान खोल कर सुन लो। मेरी नन्द का अब्बू मेरी बुर लेता है । मैं मना भी नहीं करती बल्कि मस्ती से उसे अपनी बुर देती भी हूँ। अब तू बता अब्बू क्या तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो ? अगर लेते हो तो बहुत अच्छा ? वह तुम्हे अपनी बुर ख़ुशी ख़ुशी देती है तो और भी अच्छा और अगर नहीं देती है तो मुझे साफ़ साफ़ बताओ। मैं आज ही उसकी माँ का भोसड़ा चोदूँगी ?
मेरा सवाल सुनकर अब्बू थोड़ा मुस्कराया और फिर बोला - बेटी सूफ़िया, यह सच है की तेरी नन्द मुझे अपनी बुर देती है। पहले तो वह थोड़ा झिझकती थी शर्माती भी थी पर जिस दिन तेरी सास ने उसे मेरा लण्ड चाटते हुए देखा तो वह बोली बेटी नूर तू बहुत नसीबवाली है की तुझे इतने बढ़िया लण्ड से चुदवाने का मौक़ा मिल रहा है। इस मौके का फायदा उठा और जी भर के चुदवा ले। बार बार ऐसा लौड़ा नहीं मिलता बेटी। इतने में तेरी नन्द बोली हाय अम्मी जान अगर ऐसा है तो फिर तू भी इस लौड़े का मज़ा ले ले न ? वह बोली नहीं बेटी तुम पहले चुदवा लो मैं फिर बाद में चुदवा लूंगी। अभी तेरा ससुर आने वाला है। आज मैं उसका लण्ड चोदूँगी। तब मैं बड़े इत्मीनान से तेरी नन्द की बुर चोदने लगा बेटी सूफ़िया और मुझे मज़ा भी खूब आया। मैं चाहता हूँ की किसी दिन उसकी माँ का भोसड़ा भी चोदूँ तो अच्छा होगा ? क्योंकि उस दिन मैं रात में रुक नहीं पाया बल्कि मैं अपने दोस्त के घर चला गया।
मैंने कहा - तुम जरूर चोदोगे मेरी नन्द की माँ का भोसड़ा, अब्बू यानी मेरी सास का भोसड़ा ?
अब्बू में कहा - मुझे अगर तेरी सास चोदने को मिल जाये तो मैं सबसे पहले उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ चोदूंगा। मुझे बड़ी बड़ी चूँचियाँ चोदने में बड़ा मज़ा आता है।
मैंने कहा - तब तो तुम मेरी खाला की चूँचियाँ जरूर चोदते होंगे अब्बू जान ?
वह बोला - हां बिलकुल चोदता हूँ और उसकी नन्द की की भी चूँचियाँ चोदता हूँ
मैंने कहा - अब्बू जान बड़े हरामी हो तुम और तुमसे ज्यादा हरामी है तेरा ये भोसड़ी का लण्ड ?
वह बोला - वैसे तेरी सास कई लोगों से चुदवाती है।
आज मुझे मालूम हो गया की मेरी सास बुर चोदी उतनी ही चुदक्कड़ है जितनी की मैं चुदक्कड़। अब मज़ा आएगा सास और बहू की सामूहिक चुदाई का जिसमे मेरी नन्द की भाग लेगी और उसे भी बड़े बड़े लौंड़ों का मज़ा मिलेगा ? अब एक बात और बताओ अब्बू जान क्या तुमने कभी मेरी भाभी की बुर ली है। कभी अपनी बहू की बुर में लौड़ा पेला है तूने ? झूंठ नहीं बोलना। मैं सच्चाई का पता लगाना चाहती हूँ। वह बोला सच्चाई तो यह है बेटी की मैंने कभी भी तेरी भाभी की बुर नहीं ले ली है। मैं उस दिन उसकी बुर लूंगा जिस दिन वह अपने मन से मुझे बुर देगी। मैं जबरदस्ती किसी की बुर नहीं लेता और जो अपने मन से मुझे अपनी बुर देती है मैं उसे बिना चोदे छोड़ता भी नहीं हूँ चाहे वह कोई भी हो ?
दोस्तों, आप यह सोंच रहे होगें की मैं कैसे अपने अब्बू से इतनी गन्दी गन्दी बातें कर रही हूँ। उसको खुल कर गालियां दे रही हूँ और चोदा चोदी की बातें, लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा की बातें कर रही हूँ ? जी हां यह सच है की मैं अपने अब्बू से पूरी तरह खुल चुकी हूँ। मेरा अब्बू एक बहुत अच्छा इंसान है। सबकी मदद करता है. सबकी भलाई करता है और सबका ख्याल रखता है। मुसीबत में वह सबकी सेवा करता है, सबके काम आता है। पैसों से भी गरीब लोगों की भलाई करता है। लेकिन उसकी बस एक ही कमजोरी है और वह है लड़कियां चोदना। उसे चोदने का बेहद शौक है। चुदाई के खेल में वह कोई रिस्ता नहीं देखता। चाहे किसी की बेटी हो, किसी की माँ हो, किसी की बीवी हो, किसी की बहू हो, जेठानी हो, देवरानी हो, सास हो, नन्द हो, सबकी बुर में अपना लौड़ा पेल देता है। खुदा ने उसका लौड़ा भी इतना लम्बा चौड़ा और तगड़ा तंदुरुस्त बनाया है की जो लड़की उसका लौड़ा एक बार पकड़ लेती है वह बार बार पकड़ने आती हैं। जो एक बार चुदवा लेती है वो बार चुदवाने आती है। कोई अपनी माँ चुदवा लेती है, कोई अपनी भाभी, कोई अपनी बहन, अपनी खाला, अपनी फूफी चुदवा लेती है। मेरा अब्बू किसी को भी मना नहीं करता सबकी बुर में लौड़ा पेल देता है।
मैं भी जब जवान हुई तो मुझे लण्ड पकड़ने की आदत पड़ गयी। मैं लड़कों के लण्ड पकड़ने लगी. पहले तो लण्ड पकड़ कर हिलाती थी, सहलाती थी, उसे प्यार से देखती थी, लण्ड की झांटें भी बनाती थी। धीरे धीरे मैं लण्ड का मुठ्ठ मारने लगी। लण्ड की मालिस करने लगी। लण्ड चूमने चाटने लगी और फिर मुंह में डाल कर चूसने लगी। और फिर एक दिन लौड़ा मैंने अपनी चूत में भी घुसेड़ना शुरू कर दिया। तब मैं १९ साल की हो गयी थी। यह बात मेरी खाला को मालूम हो गयी। फिर एक दिन अम्मी भी जान गयी की मैं चुदवाने लगी हूँ। वह कुछ बोली नहीं बल्कि मन ही मन खुश हुई और मेरी हिम्मत बढ़ गयी। एक दिन मैं अपनी दोस्त के घर गयी। बातों ही बातों में वह मेरे अब्बू के लण्ड की तारीफ करने लगी।
वह बोली सूफ़िया तेरे अब्बू के लण्ड जैसा कोई और लण्ड मैंने क्या मेरी माँ ने भी नहीं देखा ? मैंने पूंछा तू कैसे जानती है मेरे अब्बू के लण्ड के बारे में ? वह बोली यार मुझसे पहले मेरी अम्मी जानती है तेरे अब्बू का लण्ड। एक दिन मेरी अम्मी ने तेरे अब्बू को अपने घर बुलाया और फिर उसका नंगा लण्ड मुझे पकड़ा दिया। तब मुझे मालूम हुआ की मेरी अम्मी बुर चोदी तेरे अब्बू से चुदवाती है। मैं तो लण्ड पकड़ कर मस्त हो गयी। अम्मी ने फिर लण्ड फिर मेरी भी चूत में पेल दिया और मैंने जी भर के इतने बड़े और मोटे लण्ड से खूब चुदवाया। मेरे मियां का लण्ड तो इसका आधा भी नहीं है यार ? मेरे अब्बू का लण्ड तो तेरे अब्बू के लण्ड से बहुत छोटा है। मेरे ससुर का लण्ड लम्बा तो है पर इतना मोटा नहीं है। उसकी बातों ने मेरे अंदर आग लगा दी। मैंने सोंचने लगी की जब मेरे घर में ही इतना बड़ा मस्त लौड़ा है तो मैं उसका मज़ा क्यों न लूँ ? बस मैं अब्बू का लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगी।
एक दिन मैं पड़ोस की रहीमा आंटी के घर चली गयी। उसकी बेटी रिया मेरी अच्छी दोस्त है। वह बोली अरी सूफ़िया तू बहुत अच्छे मौके से आयी है। चल तुम्हे दिखाती हूँ की मेरे घर में क्या हो रहा है ? वह मुझे अंदर ले गयी और मुझसे खिड़की के अंदर झांकर देखने के लिए कहा। मैं झाँकने लगी। मैंने देखा की उसकी अम्मी एकदम नंगी बैठी हुई हैं। उसकी बड़े बड़े स्तन बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैं पहली बार आंटी को नंगी देख रही थी। उसका भोसड़ा भी कुछ कुछ दिखाई पड़ रहा था। तब तक रिया मेरे कान में बोली यार सूफ़िया देख कोई मेरी माँ चोदने कोई आया है ? तब तक मैंने देखा की आंटी किसी का लण्ड पकड़ कर हिला रहीं हैं। लण्ड बहन चोद जितना बड़ा और मोटा था उतना ही खूबसूरत था। मेरी तो लार टपकने लगी। मेरा मन हुआ की मैं अभी अंदर घुस जाऊं और लण्ड मुंह में ले लूँ। अचानक आंटी ने मुझे और रिया को देख लिया। वह वहीँ से बोली तुम दोनों वहां क्या अपनी झांटें उखाड़ रही हो वहां बैठी बैठी ? छिप छिप कर देखने की कोई जरुरत नहीं है। तुम दोनों इधर आओ मेरे पास।
हम दोनों अंदर घुस गयी।आंटी ने लण्ड मुझे दिखाते हुए कहा ले भोसड़ी की सूफ़िया पकड़ के देख ले अच्छी तरह लण्ड ? शरमाने की कोई जरुरत नहीं है। अब तू लण्ड पकड़ने वाली और लण्ड चोदने वाली हो गयी है। मैं तो चाहती यही थी। मैंने हाथ बढाकर लण्ड पकड़ लिया और उसे प्यार से हिला हिला कर चारों तरफ से देखने लगी। रिया भी उसके पेल्हड़ सहलाने लगी। तब तक आंटी ने लण्ड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया और मैं लण्ड पीने लगी।आंटी ने पूंछा सूफ़िया तू क्या पहली बार लण्ड पी रही है ? मैंने कहा नहीं आंटी मैं तो कई लण्ड पी चुकी हूँ। कई लण्ड अपनी चूत में घुसा चुकी हूँ. मैं लण्ड से बेहद मोहब्बत करती हूँ। मैं तो अब बिंदास चुदवाती हूँ अपनी बुर। आंटी ने कहा और रिया तू बुर चोदी क्या करती है ? वह बोली मैं भी लण्ड पीती हूँ अम्मी और लण्ड अपनी चूत में घुसा कर चुदवाती हूँ। आंटी ने पूंछा रिया तू जानती है यह किसका लण्ड है ? वह बोली नहीं अम्मी जान ? मैं नहीं जानती ? मैं आज पहली बार इतना बड़ा और मोटा लण्ड पकड़ कर देख रही हूँ। तब आंटी के मुँह से निकला बेटी रिया ये सूफ़िया के अब्बू का लण्ड है ?
यह सुनकर मेरे बदन में सुरसुरी होने लगी और मेरे हाथ से लण्ड छूट गया। उधर अब्बू जान भी उठ कर खड़ा हो गया। लेकिन उसका लण्ड वैसे ही टन टना रहा था। आंटी ने कहा बेटी सूफ़िया कोई घबराने की बात नहीं है ? लण्ड पर किसी का नाम नहीं लिखा है। और धोखे से अगर तूने अपने अब्बू का भी लण्ड पकड़ लिया तो कोई गुनाह नहीं है। तुम्हे लण्ड पसंद है तो तुम इसका इस्तेमाल करो। चोदा चोदी के खेल में कोई रिस्ता नहीं देखा जाता, बेटी। अब मेरी बेटी रिया को देखो। ये बुर चोदी अपनी माँ चुदवाती है। लण्ड मेरे भोसड़ा में पेलती है और मैं इसकी चूत में लण्ड घुसाती हूँ। आज यही लण्ड इसकी चूत में पेलूँगी मैं। ऐसा कह कर आंटी ने लण्ड फिर मेरे मुंह में घुसा दिया और मैं उसी तरह चूसने लगी। फिर उसने मुझे नंगी किया और रिया को भी। उसके बाद आंटी ने हम दोनों की बुर में बारी बारी से लण्ड पेला ? उस दिन मुझे चुदवाने में सबसे ज्यादा मज़ा आया। फिर मैं अब्बू से भी खुल गयी।
अब तो मैं चुदाई के मामले में और लण्ड के मामले में मैं आज़ाद हो गयी। मैंने इसका बड़ा फायदा उठाया और हर रोज़ नये नये लण्ड का स्वाद चखने लगी। कुछ दिन बाद मेरी शादी हो गयी और मैं ससुराल चली गयी। मेरा मन था की मैं अपनी सुहागरात अपने शौहर के साथ साथ कुछ और लोगों के साथ भी मनाऊं लेकिन यह हो नहीं सका। शादी के एक हफ्ते के बाद मेरा शौहर विदेश चला गया। तब मेरी चुदवाने की इच्छा और प्रबल हो गयी। मैं इधर उधर लण्ड की तलाश में घूमने लगी। मेरी नन्द नूर की भी शादी हो चुकी है। उसकी ससुराल लोकल ही है। मेरी सास फातिमा सुना है बड़ी मस्त और हंसमुख हैं। मैं इन दोनों से अपना ताल मेल बैठा ही रही थी तभी एक दिन मुझे मौक़ा मिल गया। वह था मेरा नंदोई। मेरी नज़र उसके लण्ड पर थी। मैंने सोंच लिया की अगर वह आज रात को रुकेगा तो मैं उसका लण्ड जरूर पकड़ लूंगी। मैं अपनी झांटें वगैरह बना कर रात के लिए तैयार हो गयी।
एक समस्या मेरे सामने जरूर थी।मेरी नन्द घर पर थी। तब मैं कैसे उसके शौहर से चुदवा सकती हूँ मेरे मन में आया। शाम होते होते वह मेरे पास आयी और बोली भाभी जान मैं तुम्हे एक बात बता रही हूँ किसी को बताना नहीं है ? मैंने कहा ठीक है नहीं बताऊंगी पर बात क्या है ? वह बोली आज मैं अपनी ससुराल में अपने ससुर से चुदवाने जा रही हूँ। सुना है उसका लौड़ा बड़ा जबरदस्त है। रात भर चुदवाऊंगी और कल दोपहर तक आऊंगी। मेरे मियां को कुछ मत बताना। मैंने कहा मैं मियां क्या किसी को नहीं बताऊंगी। वह चली गईं तो मेरा काम बन गया। रात ११ बजे थे। सब अपने बिस्तर पर चले गए और मैं भी। आधे घंटे के बाद मैं उठी और अपने सारे कपड़े खोल कर एकदम नंगी हो गयी। बस ऊपर से एक साल ओढ़ ली जिससे मेरी चूँचियाँ और चूत छिप गयी और मैं नंदोई के कमरे में घुस गयी। मैंने देखा की वह नंगे बदन लेटा है। गर्मी के दिन थे। उसके पैजामे का नाड़ा खुला था। मैं जान गयी की उसने अपना हाथ अंदर डाल कर लौड़ा सहलाया होगा। मैं कुछ बोली और नज़दीक पहुँच गयी।
पैजामे के उभार से मालूम हो रहा था की लण्ड खड़ा है। मैंने अपना हाथ धीरे से उसके पैजामे में घुसेड़ दिया। वह बोला अरे सूफ़िया भाभी आप ? मैंने कहा हां मैं तेरा लण्ड देखने आयी हूँ नंदोई जी ? तब तक मेरे हाथ में लण्ड आ चुका था और वह मुझे मना भी नहीं कर सका। मैंने अपनी साल फेंक दी। वह मुझे एकदम नंगी देख कर हैरान हो गया। उसका लौड़ा उछाल मारने लगा। मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और कहा जब मैं नंगी हूँ नंदोई तो तुम भी नंगे हो जाओ। मैंने उसका लण्ड का सुपाड़ा चाटा और कहा हाय रे बड़ा प्यारा है तेरा भोसड़ी का लण्ड। इतने में उसने मुझे चिपका लिया और मेरी चूँचियाँ मसलने लगा। वह बोला भाभी आज तो मैं तेरी बुर लूंगा। मैंने कहा नंदोई जी मैं तुम्हे अपनी बुर देने ही आयी हूँ। अच्छा यह बताओ तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो ? वह बोला भाभी तेरी नन्द मेरी बीवी है मगर उसकी बुर मेरे दोस्त लेते हैं। कुनबे के भी कुछ लोग लेते हैं मेरी बीवी की बुर। ऐसा कह कर वह मेरी बुर चाटने लगा।
थोड़ी देर तक वह मेरी बूर चाटता रहा और मैं उसका लण्ड। फिर उसन लण्ड घुसा दिया मेरी चूत में और बोलै भाभी अब रहा नहीं जा रहा है। अब मैं तुझे चोदूंगा। मैंने कहा तो फिर लो मुझे चोदो न ? पेल दो पूरा लौड़ा। मैं भी इसी का इंतज़ार कर रही हूँ। वह चोदने लगा। कुछ देर बाद मैंने पूंछा नंदोई जी कभी अपनी बीवी की माँ चोदी है तुमने। वह बोला चोदी तो नहीं है पर चोदने का मन हैं। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियों में लण्ड पेलना चाहता हूँ मैं। मैंने कहा नंदोई जी जो तेरी सास है वही बुर चोदी मेरी भी सास है। तुम मेरी सास का भोसड़ा चोदोगे तो मैं तेरी सास का भोसड़ा चोदूँगी। मेरी मस्त मस्त बातों से उसका लौड़ा और टन टना उठा। मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा और उसे भी। उसका लौड़ा भी मुझे अच्छा लगा। उसने फिर पीछे से चोदा और फिर लण्ड पे बैठा के चोदा। बाद मैंने झड़ता हुआ लण्ड चाटा।
दूसरे दिन जब मेरी नन्द वापस आयी तो मैंने पूंछा कैसा था तेरे ससुर का लण्ड नन्द रानी ? वह बोली वाओ, क्या लौड़ा है उसका बहन चोद ? मैंने रात में ३ बार चुदवाया अब मैं किसी दिन उसे अपनी माँ चुदवाऊंगी। मेरी माँ को उस तरह का लौड़ा बहुत पसंद है यार। मैंने कहा अच्छा तो तू बुर चोदी अपनी भाभी की बुर भूल गयी। उसने कहा नहीं भाभी मैं तेरी भी बुर में उसका लौड़ा पेलूँगी।
फिर मैं एक दिन अपनी नन्द के साथ अपने माईके आ गयी। वह मेरे घर में दो दिन रुकी और इसी बीच मेरे अब्बू ने उसकी बुर ले ली। मेरी नन्द ने मुझे खुल कर बताया भाभी जी आज तेरे अब्बू ने मेरी बुर चोद ली। उसका लौड़ा मुझे बहुत ही पसंद आ गया इसलिए मैं भी मस्ती से चुदवाती रही। मैंने कहा भोसड़ी की तूने मेरे अब्बू से चुदवाया है। अब मैं तेरे अब्बू से चुदवाऊंगी। वह बोली वाओ, भाभी जान मैं अपने अब्बू का लण्ड तेरी बुर में पेलूँगी। मेरा अब्बा भोसड़ी का बहू बेटों की बुर खूब लेता है। मेरी बड़ी भाभी तो उससे भकाभक चुदवाती हैं। इस तरह मैं भी अपने ससुर से चुदवाने लगी।
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