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मैंने की दिन के समय छत पर भाभी की चुदाई Maine ki din ke samay chhat par bhabhi ki chudai
मैंने की दिन के समय छत पर भाभी की चुदाई Maine ki din ke samay chhat par bhabhi ki chudai , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
मैं जिस मकान में रहता हूँ. उस मकान मालिक की बीवी बहुत सुंदर है. मैं उसे भाभी कहता हूँ. उसकी गांड देखने से बनती हैं और आँखे भी शराब की प्याली के जैसी हैं उसका पति पैसे कमाने में व्यस्त रहता था लेकिन इस यौवन के प्याले को पीछे छोड़ के गया था मेरे जैसे सेक्स पारखू के लिए. पहले दिन से ही मेरा दिमाग इस भाभी की चूत के गुलाबजामुन को खाने के लिए मचल रहा था. लेकिन उसका बुढा ससुर बहुत सयाना था. वो जानता था की आजकल के लौंडे कितने खतरनाक होते हैं. वो कभी भी भाभी को मेरे करीब आने नहीं देता था.
मैं जिस मकान में रहता हूँ. उस मकान मालिक की बीवी बहुत सुंदर है. मैं उसे भाभी कहता हूँ. उसकी गांड देखने से बनती हैं और आँखे भी शराब की प्याली के जैसी हैं उसका पति पैसे कमाने में व्यस्त रहता था लेकिन इस यौवन के प्याले को पीछे छोड़ के गया था मेरे जैसे सेक्स पारखू के लिए. पहले दिन से ही मेरा दिमाग इस भाभी की चूत के गुलाबजामुन को खाने के लिए मचल रहा था. लेकिन उसका बुढा ससुर बहुत सयाना था. वो जानता था की आजकल के लौंडे कितने खतरनाक होते हैं. वो कभी भी भाभी को मेरे करीब आने नहीं देता था.
फिर मेरी किस्मत से एक बार इस बूढ़े को टाइफाइड हुआ और उसे अस्पताल में भरती किया गया. भाभी की ननंद यहाँ आ गई. भाभी टिफिन बनाती थी और उसकी ननंद हॉस्पिटल में बूढ़े के पास रहती थी. इस बिच में मैं भी चांस मार रहा था भाभी के ऊपर. वो कम ही बोलती थी.
एक दिन जब वो खाना पका रही थी तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुसा. जानबूझ के तौलिया मैंने नहीं लिया था और कपडे भी बाहर सोफे पर ही रख के मैं अन्दर चला गया. कुछ देर तक लंड को साबुन लगा लगा के मैंने खड़ा किया और फिर भाभी को आवाज लगाईं. भाभी प्लीज़ मेरे कपडे देना मैं भूल गया हूँ. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
भाभी बोली - आई, रोटी उतार के.
एक मिनिट में जब वो आई तो मैंने उसके कदमो की आवाज महसूस की. मैंने लंड पर दो हाथ और मारे और उसे टाईट किया. भाभी ने बाथरूम के दरवाजे पर कपडे और तौलिया रखा, और तभी मैंने अपना प्लान अमम में रख दिया. मैंने पाँव फिसलने की एक्टिंग की और दरवाजे पर अपनी आधी बोड़ी को धकेल दिया. दरवाजा खुल गया और मैं लड़खड़ाने की एक्टिंग कर रहा था. भाभी की नजर ना चाहते हुए भी मेरे कसे हुए लंड पर आ गई. वो उसे सब कुछ भूल के देख रही थी. मैं खड़ा हुआ और भाभी के हाथ से कपडे लिए और लंड को ढंक लिया. भाभी तब होश में आई और हंस पड़ी. मैंने कहा क्या हुआ?
भाभी कुछ नहीं बोली और वो किचन की ओर चली गई. मैं तौलिया लपेट के ही उसके पीछे चला गया. तौलिये में भी मेरा लंड अपना आकार बनाये हुए था. किचन में भाभी ने मुझे और मेरे कसे हुए लंड को तिरछी नजर से देखा और चुपचाप रोटी सेकने लगी, मेरा लौड़ा बौखला गया था. मेरे सामने भाभी की गांड थी जो नाइटी में एकदम मादक लग रही थी. अन्दर उसने पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए गांड की फांक में कपडा घुसा हुआ था. अब आप तो जानते ही है की यह सिन कितना मादक होता हैं.
मैं भाभी के पास गया तो वो फट से मेरी और मुड गई. मैंने देखा की उसकी साँसे फूली हुई थी. मैं अपने चहरे को उसके करीब ले गया तो उसने आँखे बंध कर दी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चहरे को पकड लिया और अपने होंठो को उसके होंठो पर लगा दिया. भाभी अपने आप मुझे किस देने लगी, हमारे होंठ एक दुसरे से जुड़ चुके थे और भाभी कि साँसों की खुसबू से मेरा लोडा और भी टाईट हो गया. वो भाभी के पेट पर चुभा भी होगा.
मैंने हाथ आगे किया और भाभी के पेट पर रख दिया. फिर धीरे धीरे कर के हाथ को बूब्स की तरफ बढ़ा दिया. वो साँसे बढ़ा चुकी थी और मेरे हाथ को उसने पकड लिया. मैंने जबरन उसके बूब्स पकडे और दबा दिए. लेकिन फिर पता नहीं उसे क्या हुआ की उसने मुझे धक्का दे दिया और वहां से हट गई. वो छत की तरफ गई. मैं भी सीडियां चढ़ के ऊपर गया. ऊपर मस्त धुप थी, भाभी सुखाये हुए कपडे लेने लगी तो मैंने पीछे से उसे पकड लिया. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
भाभी ने कहा, यह गलत हैं.
मैंने कहा, मैं आप को प्यार करता हूँ भाभी, इसमें क्या गलत हैं.
वो बोली - मैं शादीशुदा हूँ.
मैं - लेकिन आप अकेली भी हैं और मुझसे यह देखा नहीं जाता हैं.
वो बोली - कही कुछ अनर्थ हो गया तो.
मैं - अन्दर नहीं निकालूँगा आप के, फिर तो कुछ नहीं होगा न.
वो बोली - नहीं नहीं, यह गलत हैं.
मेरी आँखों में आँखे डाल के कहिये की आप मुझसे प्यार नहीं करती हैं. और आप मेरे साथ ख़ुशी के दो चार पल बांटना नहीं चाहती हैं, मैने फ़िल्मी स्टाइल में डायलोग बोल दिया. और साला यह डायलोग काम कर गया. भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मैंने उसकी गांड पर हाथ रख दिया. मैं धीरे से उसकी नाइटी को हटा के गांड की फांक को खोलने लगा था. भाभी ने कहा, आह्ह्ह ह्ह्ह्हह.
मैंने कहा, डार्लिंग मुझे पता है की तुझे बहुत टाइम से चोदा नहीं गया हैं. लेकिन आज तेरे सब ख्वाब पुरे कर दूंगा.
वो बोली - जल्दी करो, मेरी ननंद आ जाए उसके पहले.
मैं जान गया की भाभी को जल्दी ही चोदना पड़ेगा क्यूंकि उसकी ननंद के आने का वक्त हो चला था.. भाभी ने अपने हाथ से अपनी नाईटी को ऊपर किया. धुप सख्त थी इसलिए हम दिवार के करीब आ गए. फिर मैंने भाभी की झांट से भरी हुई चूत को टच किया. भाभी के मुहं से सिसकी निकल पड़ी. मैंने अपने लंड को तौलिये को हटा के आजाद कर दिया. भाभी ने अपने हाथ को आगे कर के लंड को पकड़ा और बोली, बहुत बड़ा हैं तुम्हारा तो. कितनो को चोदा हैं इस से?
मैंने झूठ बोलते हुए कहा, बस आप से पहले एक को ही चोदा हैं, जिसे मैं प्यार करता था! भाभी हंस पड़ी और मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर लगा दिया. दोपहर की गर्मी के बिच में जब मैंने अपना लंड भाभी की चूत में रगडा तो हम दोनों ही पसीने से नहा रहे थे. भाभी को मैंने वही छत पर चोदा और वादे के मुताबिक़ माल चूत में नहीं निकाला. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर हम दोनों निचे आ गए और मैं फिर से नहाने चला गया. भाभी की ननंद टिफिन लेकर आ गई. जब वह वापिस चली गई तो मैंने एक बार फिर से भाभी को चोदा. भाभी की चुदाई का सिलसिला जो उस दिन से स्टार्ट हुआ था आजतक भी चालु हैं. मैं जब भी चांस मिले और बूढ़ा रुकावट न डाले तो भाभी को चोदता हूँ. वो भी खुश हैं और मैं भी.
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