Home
» Mastram ki kahaniyan मस्ताराम की चुदाई कहानियां Hindi ki mast chudai ke kisse
» लंड के लिए चूत ऐसे तड़पती है जैसे पानी के लिए मछली - Land ke liye chut huyi baichen
लंड के लिए चूत ऐसे तड़पती है जैसे पानी के लिए मछली - Land ke liye chut huyi baichen
तड़प मिटाने के लिए चूत की चुदाई , लंड के लिए चूत ऐसे तड़पती है जैसे पानी के लिए मछली - Land ke liye chut huyi baichen , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
उस दिन रात को मैं अपंने कमरे में लैपटॉप पर पोर्न फिल्म देख रही थी। मुझे पोर्न में सबसे ज्यादा सामूहिक चुदाई की फ़िल्में ज्यादा पसंद हैं। मुझे कई लड़कियों के हाथ में कई लण्ड देखने का बड़ा शौक है और मैं फिर उसी में मस्त हो जाती हूँ। मेरे कपड़े भी खुल जातें हैं और मैं अपनी चूँचियाँ दबाने लगती हूँ और चूत सहलाने लगती हूँ। उस दिन भी मैं यही कर रही थी। तभी मेरी अम्मी आ गयी और आते ही मुझे देख कर बोली - बेटी तेरी बुर चोदी माँ का भोसड़ा ? देखो साला तेरी माँ का भोसड़ा बहन चोद कितना आवारा हो गया है ? अभी आज सवेरे सवेरे ही दो दो लण्ड खा कर उठा था। आज दोपहर में भी इसने एक मोटा लण्ड खाया है पर अब जब कोई लण्ड नहीं है तो बड़ा शोर मचाये हुए है। बिना लण्ड के तेरी माँ का भोसड़ा साला एक रात भी नहीं काट सकता ? तेरी माँ की बिटिया की बुर, बेटी हसीना।
मैंने कहा अरे अम्मी जान तुम अपनी बुर चोदी बिटिया की बुर नहीं जानती क्या ? अभी आज सवेरे ही वह अपनी ससुराल से ३ - ३ लण्ड पेल कर आयी है। रात भर इसने तीन तीन लड़कों से चुदवाया है फिर भी इसका पेट नहीं भरा। अरी भोसड़ी अम्मी जान, तेरी बिटिया की बुर लण्ड के लिए ऐसे तड़प रही है जैसे मछली पानी के बिना तड़पती है। आज अभी तक इसे कोई लण्ड नहीं मिला तो यह ब्लू फिल्म में लण्ड देख देख कर समय गुज़ार रही है। तेरी बेटी की माँ का भोसड़ा अम्मी जान ? मैं अपनी अम्मी जान से ऐसे ही बातें करती हूँ। खूब गालियां देती हूँ और खुल कर हंसी मजाक करती हूँ। मेरी अम्मी को बड़े बड़े और मोटे मोटे लण्ड का शौक है और मुझे भी। रोज़ ही २/३ लण्ड मैं अपनी बुर में घुसेड़ती हूँ और मेरी अम्मी जान भी। फिर भी हम दोनों लैपटॉप पर बड़े बड़े काले काले और गोरे गोरे लण्ड देखा करती हैं।
मेरा नाम हसीना है और मेरी अम्मी जान हैं फरीदा बेगम। मैं २४ साल की हूँ और अम्मी ४५ साल की हम दोनों ही मस्त जवान हैं और चोदा चोदी का खेल साथ साथ खेलती हैं. इस खेल में हमारा साथ मेरी खाला जान, मेरी फूफी जान और मेरी मामी जान भी देती हैं। हम सब एक दूसरे की चूत में लण्ड पेल पेल कर खूब एन्जॉय करती हैं। मेरी शादी हो चुकी है और ऐसा कोई लण्ड मेरी ससुराल में नहीं है जिसे मैंने चोदा न हो। यानी ऐसा कोई भोसड़ी का मरद नहीं है मेरी ससुराल में जिसने अपना लण्ड मेरी बुर में पेला न हो ? आपको लग रहा होगा की मैं अम्मी से कैसे खुल गयी और कब खुल कर बात करने लगी और गालियां बकने लगी। कैसे हम दोनों एक साथ चोदा चोदी करने लगीं। मैं आपको संछेप में वही कहानी सुनाती हूँ।
देखिये दोस्तों, हम एक उच्च घराने वाली माँ बेटी हैं और बहुत धनी परिवार की हैं इसलिए हम दोनों ही बहुत अय्यास हैंऔर मुंबई में रहती हैं। मुंबई में हमारे कई फ्लैट्स हैं। मैं १५ साल की उम्र से लण्ड पकड़ती और पीती आ रही हूँ। १७ पार करने के बाद चुदवाने लगी। १८ उम्र पर मुझे मुझे मालूम अब भी कर सकती हूँ क्योनी अब मैं बालिग हो गयी हूँ। एक दिन मैंने एक एडल्ट क्लब ज्वाइन कर लिया। वहां जब मैं पहुंची तो देखा की यहाँ तो सब लोग नंगे नंगे शराब पी रहे हैं लड़का हो या लड़की सभी नंगी हैं। आदमी हो या औरत वही भी नंगीं हैं। मैंने जैसे ही शराब के गिलास पर हाथ लगाया तो आवाज़ आयी पहले आपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाईये फिर शराब का गिलास उठाईये। चूँकि वहां सभी नंगे और नंगी थी तो मैं नंगी हो गयी मुझे कोई शर्म नहीं आयी। मैं नंगी नंगी सबके साथ शराब पीने लगी।
थोड़ी ही देर में लड़कियां लड़कों के लण्ड पकड़ कर हिलाने लगीं और लण्ड सबके फ़टाफ़ट खड़े होने लगे। मुझे यह सीन देख कर बड़ा मज़ा आने लगा। मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी। जो लण्ड मैं अपने लैपटॉप पर देखा करती थी आज वहीँ लण्ड मेरे सामने खड़े होकर हिनहिना रहे हैं। मेरी ख़ुशी का ठिकाना न था। मुझे लगा की मैं सेक्स की दुनिया में आ चुकी हूँ।
तब मैंने एक लड़की से पूंछा - क्या मैं भी लण्ड पकड़ सकती हूँ ?
वह बोली - हां बिलकुल पकड़ सकती हो। हम सब यहाँ लण्ड पकड़ने, लण्ड पीने, लण्ड मुंह में लेने और लण्ड चोदने ही तो आयीं हैं। यहाँ सब कुछ करने की पूरी आज़ादी है। चाहे जिसका लण्ड पकड़ो, लण्ड हिलाओ, लण्ड खेलो, लण्ड से बातें करो, लण्ड मुंह में पेलो, लण्ड बुर में पेलो, चूँचियाँ के बाच घुसेड़ो लण्ड, जो चाहे करो कोई मना नहीं करेगा और न ही कोई बुरा मानेगा। यहाँ सब लोग एन्जॉय करने ही आतें हैं। बस ऐसा सुनते ही मैंने भी हाथ बढाकर एक लण्ड पकड़ लिया और मजे से उसे चूमने चाटने लगी। तब तक किसी और ने मेरे कंधे पर अपना लण्ड रख दिया। मैंने उसे घूम कर कनखियों से देखा तो लण्ड मुझे पसंद आ गया। मैंने उसे भी पकड़ लिया और उसकी कई बार चुम्मी ले ली तो लण्ड आसमान ताकने लगा। मैं अपने चारों लण्ड पाकर मस्ती से पागल हो गयी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मैं इतने सारे एक से बढ़कर लण्ड टन टनाते हुए देख रही हूँ। मेरी नज़र एक एक करके सारे लण्ड पर घूम रही थी।
मैं दोनों लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। लण्ड साले ८" से कम के न थे और मोटे भी ५" से कम न थे। तब मुझे मालूम हुआ की लण्ड सच में इतने बड़े बड़े होतें हैं। वो दोनों भीमेरे पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगे. मेरी चूत चाटने लगे मेरी गांड पर हाथ फिराने लगे और मेरी चूँचियाँ मसलने लगे। मैं और मस्त होने लगी। उधर अगल बगल के लोग भी मुझे देखने लगे। अब मुझे धीरे धीरे मरदों के आगे नंगी होने में मज़ा आने लगा। इस तरह मैं दिन पर दिन बेशरम होती चली गयी। लण्ड बुर चूत भोसड़ा, लौड़ा गांड झांट आदि की बातें भी खुल कर करने लगी और गालियां भी खुल कर बोलने लगी। मैं पहले तो बड़ी देर तक दोनो लण्ड से खेलती रही और फिर एक लण्ड अपनी चूत में पेल कर चुदवाने लगी। मैं उसके बाद दोनों लण्ड से बारी बारी से चुदवाया। मैं चुदवाते समय और भी लड़कियों को चुदवाते हुए देख रही थी। मुझे ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था। मैं उसके बाद करीब करीब हर रोज़ इस क्लब में जाने लगी और बड़ी बेशर्मी से अय्यासी करने लगी। मुझे हर दिन नये नये और मोटे मोटे लण्ड मिलने लगे।
एक दिन मैंने इसी क्लब में अपनी अम्मी जान को देखा। उसे देख कर मैं हैरान हो गयी। मैं जान गयी की अम्मी भी इस क्लब की मेंबर हैं। वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी नंगी बड़ी मस्ती से एक मस्त मोटा लण्ड पी रही थीं। उसका भोसड़ा मैं पहली बार देख रही थी। उसकी लण्ड पीने की कला ने मुझे उत्तेजित कर दिया। मैं भी दूर रह कर अम्मी की तरह एक लड़के का लण्ड पीने लगी। उधर अम्मी ने जब दूसर लण्ड पकड़ा तो मैंने भी दूसरा लण्ड पकड़ लिया। उधर अम्मी ने लण्ड अपनी चूत में पेला तो मैंने भी लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया। मैं धीरे धीरे अम्मी से ज्यादा बेशर्म और हरामजादी होती जा रही थी। मेरे मन में आया की जब मेरी अम्मी बुर चोदी इस उम्र के इतनी अय्यास हो सकती है तो मैं अपनी नयी जवानी में क्यों नहीं हो सकती ? अम्मी ने फिर लण्ड अपनी चूँचियों के बीच पेला तो मैं भी अपनी चूँचियाँ चुदवाने लगी। शुक्र करो की अम्मी ने कोई लण्ड अपनी गांड में नहीं पेला नहीं तो मैं भी उसकी तरह अपनी गांड मरवाने लगती। अब अम्मी लण्ड के साथ जैसे जैसे करतीं मैं भी वैसे वैसे ही करने लगी। मैं अम्मी को देख रही थी पर वह मुझे नहीं देख पा रही थीं। मैं समझ गयी की मेरी अम्मी ग़ैर मर्दों से खूब चुदवाती हैं और ग़ैर मर्दों के लण्ड का खूब मज़ा लूटती हैं। मुझे अम्मी के मुंहे से निकली मस्त मस्त गालियां भी सुनाई पड़ीं जिससे मेरी उत्तेजना और गयी।
उस दिन से मैं क्लब में जल्दी पहुँचने लगी की मैं अम्मी को आते हुए देखूं और अम्मी मुझे आते हुए न देख पाएं। हम कई दिनों तक अम्मी को देख देख कर खूब एन्जॉय करती रहीं। मुझे ममी जान की पूरी पोल मालूम हो गयी।अब मैं अम्मी के सामने भी खुल कर बोल सकती हूँ यह हिम्मत मेरे मन आ गयी। अम्मी मुझे यहाँ आने से कभी नहीं रोक सकतीं। एक दिन इत्तिफाक से अम्मी ने मुझे लण्ड पीते हुए देख लिया। मैं उसे नहीं देख पायी। मैं एकदम नंगी थीं। मेरी चूत सबके सामने खुली हुई थी। मेरी चूँचियाँ एक लड़का नंगा नंगा मस्ती से दबा रहा था।उसका लण्ड कोई और लड़की चूस रही थी। हम दोनों की जब आँख लड़ी तो अम्मी ने मुझे इशारे से बुला लिया। अम्मी भी उस समय किसी का लण्ड हाथ में लिए सहला रहीं थीं।
कब मैं २४ साल की हुई टीवैसे अम्मी ने मेरी शादी कर दी। मैं शादी के बाद अपनी ससुराल चली गयी। मैंने अपनी सुहागरात मनाई और फिर कुछ दिन ससुराल में रह कर अपने माईके आ गयी। यहाँ आने के बाद मैं फिर से लैपटॉप पर बड़े बड़े लण्ड मोटे मोटे लण्ड और काले काले गोरे गोरे लण्ड देखने लगी। उस दिन मैं यही कर रही थी तब अम्मी आ गयी और मेरी उससे बात चीत हुई आपने उसे सुना। अम्मी अपने भोसड़ा के बारे में मुझे बताने लगी और मैं अपनी बुर के बारे में उसे बताने लगीं। हम दोनों की इस बात चीत ने हमारे अंदर और जोश भर दिया। अब मैं भी बुरी तरह गरम हो गयी और अम्मी भी। मुझे भी फ़ौरन लण्ड की जरुरत महसूस होने लगी और अम्मी को भी लण्ड अपनी चूत में पेलने की इच्छा जोर पकड़ने लगी।
एकाएक अम्मी ने कहा अरी हसीना ऊपर अपने दो किरायेदार रहते हैं न भोसड़ी के साहिर और ताहिर। दोनों साले मस्त जवान लड़के हैं। जाओ उन दोनों को लेकर मेरे पास ले आओ। और हां अपनी दोनों चूँचियाँ खोल कर जाना तो उनके लण्ड में उछाल आ जायेगा और तब आएगा असली मज़ा। अम्मी की बात सुनकर मेरी भी चूँचियाँ फड़कने लगी और मैं ऊपर उन दोनों के कमरे में पहुँच गयी। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला और मुझे अध नंगी देखा तो उनके लण्ड में सही उछाल आ गया। मैंने देखा की वे दोनों एकदम नंगे बदन लेटे हैं। केवल एक एक चड्ढी पहने हुए थे। उनके लण्ड का उभार साफ साफ़ झलक रहा था। मैंने कहा तुम दोनों को मेरी अम्मी अभी बुला रही हैं। कुछ काम है। तुम लोग अभी मेरे साथ चलो। वे दोनों बिना कुछ और पहने हुए मेरे साथ चल पड़े।
मैं उन दोनों को लेकर अम्मी के सामने पेश हो गयी।
अम्मी ने कहा - बेटी हसीना लौड़ा तो बड़ा मस्त है और जबरदस्त भी है।
मैंने कहा - हां अम्मी , तुम सही कह रही हो। हमने लण्ड पकड़ने में बड़ी देर कर दी। अगर मुझे मालूम होता की मेरे घर में ही इतने बड़े बड़े लण्ड हैं तो मैं इनसे पहले ही चुदवा लेती।
अम्मी ने कहा - हां बेटी कभी कभी ऐसा होता है। घर में लण्ड होता है और हम बाहर के लण्ड का इंतज़ार करती रहतीं हैं।
ये सब बातें हो ही रहीं थीं की साहिर ने अम्मी की चूत में लण्ड पेल दिया। वह बड़ी मस्ती से चोदने लगा मेरी माँ की चूत। उसे देख कर ताहिर को भी जोश आ गया। उसने भी लण्ड मेरी बुर में घुसा दिया और चोदने लगा मेरी माँ की बिटिया की बुर। मैं अम्मी की बुर में लण्ड आता जाता देखने लगी और अम्मी मेरी बुर में लण्ड आते जाते। वो दोनों लड़के भी बड़े मजे से चोद रहे थे।
थोड़ी देर में साहिर मेरी बुर चोदने लगा और ताहिर मेरी माँ का भोसड़ा ? इस तरह हम दोनों ने इन दोनों से लण्ड अदल बदल कर रात भर चुदवाया।
उस दिन रात को मैं अपंने कमरे में लैपटॉप पर पोर्न फिल्म देख रही थी। मुझे पोर्न में सबसे ज्यादा सामूहिक चुदाई की फ़िल्में ज्यादा पसंद हैं। मुझे कई लड़कियों के हाथ में कई लण्ड देखने का बड़ा शौक है और मैं फिर उसी में मस्त हो जाती हूँ। मेरे कपड़े भी खुल जातें हैं और मैं अपनी चूँचियाँ दबाने लगती हूँ और चूत सहलाने लगती हूँ। उस दिन भी मैं यही कर रही थी। तभी मेरी अम्मी आ गयी और आते ही मुझे देख कर बोली - बेटी तेरी बुर चोदी माँ का भोसड़ा ? देखो साला तेरी माँ का भोसड़ा बहन चोद कितना आवारा हो गया है ? अभी आज सवेरे सवेरे ही दो दो लण्ड खा कर उठा था। आज दोपहर में भी इसने एक मोटा लण्ड खाया है पर अब जब कोई लण्ड नहीं है तो बड़ा शोर मचाये हुए है। बिना लण्ड के तेरी माँ का भोसड़ा साला एक रात भी नहीं काट सकता ? तेरी माँ की बिटिया की बुर, बेटी हसीना।
मैंने कहा अरे अम्मी जान तुम अपनी बुर चोदी बिटिया की बुर नहीं जानती क्या ? अभी आज सवेरे ही वह अपनी ससुराल से ३ - ३ लण्ड पेल कर आयी है। रात भर इसने तीन तीन लड़कों से चुदवाया है फिर भी इसका पेट नहीं भरा। अरी भोसड़ी अम्मी जान, तेरी बिटिया की बुर लण्ड के लिए ऐसे तड़प रही है जैसे मछली पानी के बिना तड़पती है। आज अभी तक इसे कोई लण्ड नहीं मिला तो यह ब्लू फिल्म में लण्ड देख देख कर समय गुज़ार रही है। तेरी बेटी की माँ का भोसड़ा अम्मी जान ? मैं अपनी अम्मी जान से ऐसे ही बातें करती हूँ। खूब गालियां देती हूँ और खुल कर हंसी मजाक करती हूँ। मेरी अम्मी को बड़े बड़े और मोटे मोटे लण्ड का शौक है और मुझे भी। रोज़ ही २/३ लण्ड मैं अपनी बुर में घुसेड़ती हूँ और मेरी अम्मी जान भी। फिर भी हम दोनों लैपटॉप पर बड़े बड़े काले काले और गोरे गोरे लण्ड देखा करती हैं।
मेरा नाम हसीना है और मेरी अम्मी जान हैं फरीदा बेगम। मैं २४ साल की हूँ और अम्मी ४५ साल की हम दोनों ही मस्त जवान हैं और चोदा चोदी का खेल साथ साथ खेलती हैं. इस खेल में हमारा साथ मेरी खाला जान, मेरी फूफी जान और मेरी मामी जान भी देती हैं। हम सब एक दूसरे की चूत में लण्ड पेल पेल कर खूब एन्जॉय करती हैं। मेरी शादी हो चुकी है और ऐसा कोई लण्ड मेरी ससुराल में नहीं है जिसे मैंने चोदा न हो। यानी ऐसा कोई भोसड़ी का मरद नहीं है मेरी ससुराल में जिसने अपना लण्ड मेरी बुर में पेला न हो ? आपको लग रहा होगा की मैं अम्मी से कैसे खुल गयी और कब खुल कर बात करने लगी और गालियां बकने लगी। कैसे हम दोनों एक साथ चोदा चोदी करने लगीं। मैं आपको संछेप में वही कहानी सुनाती हूँ।
देखिये दोस्तों, हम एक उच्च घराने वाली माँ बेटी हैं और बहुत धनी परिवार की हैं इसलिए हम दोनों ही बहुत अय्यास हैंऔर मुंबई में रहती हैं। मुंबई में हमारे कई फ्लैट्स हैं। मैं १५ साल की उम्र से लण्ड पकड़ती और पीती आ रही हूँ। १७ पार करने के बाद चुदवाने लगी। १८ उम्र पर मुझे मुझे मालूम अब भी कर सकती हूँ क्योनी अब मैं बालिग हो गयी हूँ। एक दिन मैंने एक एडल्ट क्लब ज्वाइन कर लिया। वहां जब मैं पहुंची तो देखा की यहाँ तो सब लोग नंगे नंगे शराब पी रहे हैं लड़का हो या लड़की सभी नंगी हैं। आदमी हो या औरत वही भी नंगीं हैं। मैंने जैसे ही शराब के गिलास पर हाथ लगाया तो आवाज़ आयी पहले आपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाईये फिर शराब का गिलास उठाईये। चूँकि वहां सभी नंगे और नंगी थी तो मैं नंगी हो गयी मुझे कोई शर्म नहीं आयी। मैं नंगी नंगी सबके साथ शराब पीने लगी।
थोड़ी ही देर में लड़कियां लड़कों के लण्ड पकड़ कर हिलाने लगीं और लण्ड सबके फ़टाफ़ट खड़े होने लगे। मुझे यह सीन देख कर बड़ा मज़ा आने लगा। मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी। जो लण्ड मैं अपने लैपटॉप पर देखा करती थी आज वहीँ लण्ड मेरे सामने खड़े होकर हिनहिना रहे हैं। मेरी ख़ुशी का ठिकाना न था। मुझे लगा की मैं सेक्स की दुनिया में आ चुकी हूँ।
तब मैंने एक लड़की से पूंछा - क्या मैं भी लण्ड पकड़ सकती हूँ ?
वह बोली - हां बिलकुल पकड़ सकती हो। हम सब यहाँ लण्ड पकड़ने, लण्ड पीने, लण्ड मुंह में लेने और लण्ड चोदने ही तो आयीं हैं। यहाँ सब कुछ करने की पूरी आज़ादी है। चाहे जिसका लण्ड पकड़ो, लण्ड हिलाओ, लण्ड खेलो, लण्ड से बातें करो, लण्ड मुंह में पेलो, लण्ड बुर में पेलो, चूँचियाँ के बाच घुसेड़ो लण्ड, जो चाहे करो कोई मना नहीं करेगा और न ही कोई बुरा मानेगा। यहाँ सब लोग एन्जॉय करने ही आतें हैं। बस ऐसा सुनते ही मैंने भी हाथ बढाकर एक लण्ड पकड़ लिया और मजे से उसे चूमने चाटने लगी। तब तक किसी और ने मेरे कंधे पर अपना लण्ड रख दिया। मैंने उसे घूम कर कनखियों से देखा तो लण्ड मुझे पसंद आ गया। मैंने उसे भी पकड़ लिया और उसकी कई बार चुम्मी ले ली तो लण्ड आसमान ताकने लगा। मैं अपने चारों लण्ड पाकर मस्ती से पागल हो गयी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मैं इतने सारे एक से बढ़कर लण्ड टन टनाते हुए देख रही हूँ। मेरी नज़र एक एक करके सारे लण्ड पर घूम रही थी।
मैं दोनों लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। लण्ड साले ८" से कम के न थे और मोटे भी ५" से कम न थे। तब मुझे मालूम हुआ की लण्ड सच में इतने बड़े बड़े होतें हैं। वो दोनों भीमेरे पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगे. मेरी चूत चाटने लगे मेरी गांड पर हाथ फिराने लगे और मेरी चूँचियाँ मसलने लगे। मैं और मस्त होने लगी। उधर अगल बगल के लोग भी मुझे देखने लगे। अब मुझे धीरे धीरे मरदों के आगे नंगी होने में मज़ा आने लगा। इस तरह मैं दिन पर दिन बेशरम होती चली गयी। लण्ड बुर चूत भोसड़ा, लौड़ा गांड झांट आदि की बातें भी खुल कर करने लगी और गालियां भी खुल कर बोलने लगी। मैं पहले तो बड़ी देर तक दोनो लण्ड से खेलती रही और फिर एक लण्ड अपनी चूत में पेल कर चुदवाने लगी। मैं उसके बाद दोनों लण्ड से बारी बारी से चुदवाया। मैं चुदवाते समय और भी लड़कियों को चुदवाते हुए देख रही थी। मुझे ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था। मैं उसके बाद करीब करीब हर रोज़ इस क्लब में जाने लगी और बड़ी बेशर्मी से अय्यासी करने लगी। मुझे हर दिन नये नये और मोटे मोटे लण्ड मिलने लगे।
एक दिन मैंने इसी क्लब में अपनी अम्मी जान को देखा। उसे देख कर मैं हैरान हो गयी। मैं जान गयी की अम्मी भी इस क्लब की मेंबर हैं। वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी नंगी बड़ी मस्ती से एक मस्त मोटा लण्ड पी रही थीं। उसका भोसड़ा मैं पहली बार देख रही थी। उसकी लण्ड पीने की कला ने मुझे उत्तेजित कर दिया। मैं भी दूर रह कर अम्मी की तरह एक लड़के का लण्ड पीने लगी। उधर अम्मी ने जब दूसर लण्ड पकड़ा तो मैंने भी दूसरा लण्ड पकड़ लिया। उधर अम्मी ने लण्ड अपनी चूत में पेला तो मैंने भी लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया। मैं धीरे धीरे अम्मी से ज्यादा बेशर्म और हरामजादी होती जा रही थी। मेरे मन में आया की जब मेरी अम्मी बुर चोदी इस उम्र के इतनी अय्यास हो सकती है तो मैं अपनी नयी जवानी में क्यों नहीं हो सकती ? अम्मी ने फिर लण्ड अपनी चूँचियों के बीच पेला तो मैं भी अपनी चूँचियाँ चुदवाने लगी। शुक्र करो की अम्मी ने कोई लण्ड अपनी गांड में नहीं पेला नहीं तो मैं भी उसकी तरह अपनी गांड मरवाने लगती। अब अम्मी लण्ड के साथ जैसे जैसे करतीं मैं भी वैसे वैसे ही करने लगी। मैं अम्मी को देख रही थी पर वह मुझे नहीं देख पा रही थीं। मैं समझ गयी की मेरी अम्मी ग़ैर मर्दों से खूब चुदवाती हैं और ग़ैर मर्दों के लण्ड का खूब मज़ा लूटती हैं। मुझे अम्मी के मुंहे से निकली मस्त मस्त गालियां भी सुनाई पड़ीं जिससे मेरी उत्तेजना और गयी।
उस दिन से मैं क्लब में जल्दी पहुँचने लगी की मैं अम्मी को आते हुए देखूं और अम्मी मुझे आते हुए न देख पाएं। हम कई दिनों तक अम्मी को देख देख कर खूब एन्जॉय करती रहीं। मुझे ममी जान की पूरी पोल मालूम हो गयी।अब मैं अम्मी के सामने भी खुल कर बोल सकती हूँ यह हिम्मत मेरे मन आ गयी। अम्मी मुझे यहाँ आने से कभी नहीं रोक सकतीं। एक दिन इत्तिफाक से अम्मी ने मुझे लण्ड पीते हुए देख लिया। मैं उसे नहीं देख पायी। मैं एकदम नंगी थीं। मेरी चूत सबके सामने खुली हुई थी। मेरी चूँचियाँ एक लड़का नंगा नंगा मस्ती से दबा रहा था।उसका लण्ड कोई और लड़की चूस रही थी। हम दोनों की जब आँख लड़ी तो अम्मी ने मुझे इशारे से बुला लिया। अम्मी भी उस समय किसी का लण्ड हाथ में लिए सहला रहीं थीं।
- मैं जब उसके सामने पहुंची तो वह बोली - तू माँ की लौड़ी कब से इस क्लब में आ रही है ?
- मैंने कहा - मैं एक महीने से आ रही हूँ यहाँ अम्मी जान ?
- भोसड़ी की, तू इतने दिनों से यहाँ आ रही है और अभी तक तूने अपनी माँ नहीं चुदवाई। गांड मराने आती है क्या तू यहाँ बुर चोदी हसीना ?
- नहीं अम्मी जान ऐसी कोई बात नहीं है ?
- है कैसे नहीं ? अभी तक तूने कोई लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में क्यों नहीं पेला ? तेरी माँ की चूत बेटी हसीना। जब अय्यासी करने निकली है तो गांड क्यों फट रही है तेरी ? खुल कर बेशर्मी से अय्यासी क्यों नहीं करती ? मैं भी यहाँ अपनी झांटें उखाड़ने नहीं आती हूँ। मैं भी यहाँ लण्ड का मज़ा लूटने आती हूँ। लण्ड चूत में पेलवाने आती हूँ। चुदवाती हूँ मैं इन ग़ैर मर्दों से बेटी हसीना ?
- लण्ड का मज़ा मैं भी लेने आती हूँ अम्मी जान।
- अम्मी ने मुस्कराकर कहा तो फिर वह काला लौड़ा पेल दे अपनी माँ की चूत में बेटी हसीना। अब तू खुल कर अय्यासी कर और सभी लण्ड का पूरा मज़ा ले। तेरी माँ की बिटिया की बुर ?
- हां अम्मी जान मैं भी लण्ड का पूरा मज़ा लूंगी ? तेरी बेटी की माँ का भोसड़ा, अम्मी जान।
कब मैं २४ साल की हुई टीवैसे अम्मी ने मेरी शादी कर दी। मैं शादी के बाद अपनी ससुराल चली गयी। मैंने अपनी सुहागरात मनाई और फिर कुछ दिन ससुराल में रह कर अपने माईके आ गयी। यहाँ आने के बाद मैं फिर से लैपटॉप पर बड़े बड़े लण्ड मोटे मोटे लण्ड और काले काले गोरे गोरे लण्ड देखने लगी। उस दिन मैं यही कर रही थी तब अम्मी आ गयी और मेरी उससे बात चीत हुई आपने उसे सुना। अम्मी अपने भोसड़ा के बारे में मुझे बताने लगी और मैं अपनी बुर के बारे में उसे बताने लगीं। हम दोनों की इस बात चीत ने हमारे अंदर और जोश भर दिया। अब मैं भी बुरी तरह गरम हो गयी और अम्मी भी। मुझे भी फ़ौरन लण्ड की जरुरत महसूस होने लगी और अम्मी को भी लण्ड अपनी चूत में पेलने की इच्छा जोर पकड़ने लगी।
एकाएक अम्मी ने कहा अरी हसीना ऊपर अपने दो किरायेदार रहते हैं न भोसड़ी के साहिर और ताहिर। दोनों साले मस्त जवान लड़के हैं। जाओ उन दोनों को लेकर मेरे पास ले आओ। और हां अपनी दोनों चूँचियाँ खोल कर जाना तो उनके लण्ड में उछाल आ जायेगा और तब आएगा असली मज़ा। अम्मी की बात सुनकर मेरी भी चूँचियाँ फड़कने लगी और मैं ऊपर उन दोनों के कमरे में पहुँच गयी। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला और मुझे अध नंगी देखा तो उनके लण्ड में सही उछाल आ गया। मैंने देखा की वे दोनों एकदम नंगे बदन लेटे हैं। केवल एक एक चड्ढी पहने हुए थे। उनके लण्ड का उभार साफ साफ़ झलक रहा था। मैंने कहा तुम दोनों को मेरी अम्मी अभी बुला रही हैं। कुछ काम है। तुम लोग अभी मेरे साथ चलो। वे दोनों बिना कुछ और पहने हुए मेरे साथ चल पड़े।
मैं उन दोनों को लेकर अम्मी के सामने पेश हो गयी।
- अम्मी ने पूंछा - साहिर, तूने मेरी बेटी की चूँचियाँ पकड़ीं की नहीं ?
- वह बोला नहीं आंटी नहीं पकड़ीं ?
- तो तुम मरद हो की नहीं ? एक लड़की तेरे सामने अपनी चूँचियाँ खोले हुए खड़ी हो और तू उसकी चूँचियाँ न पकड़े तो इसका मतलब यह है की तेरे लण्ड में मर्दानगी नहीं है। अच्छा ताहिर तुम बोलो तूने क्यों नहीं पकड़ीं मेरी बेटी की चूँचियाँ ?
- ताहिर बोला मन तो था पकड़ने का पर डर रहा था।
- अम्मी ने कहा अरे डर किस बात का ? मैं अगर लड़का होती तो इस बुर चोदी लड़की को नंगी करके इसके ऊपर चढ़ बैठती। चोद डालती इसकी बुर और नोच डालती उसकी चूँचियाँ। क्या तुम लोग मरद हो की नहीं ?
- साहिर बोला हम दोनों पूरी तरह मरद हैं, आंटी जी।
- मैंने कहा अम्मी जान ये दोनों अगर मरद हैं तो साबित करके दिखाएं न ?
- अम्मी जान ने कहा - बेटी हसीना इनकी चड्ढियाँ खोलो और इन दोनों के लण्ड बाहर निकाल कर देखो। यह सुनकर मैंने फ़ौरन दोनोंकी चढ़ियाँ खोल कर फेंक दी। दोनों के लण्ड टन टना कर खड़े हो गए।
अम्मी ने कहा - बेटी हसीना लौड़ा तो बड़ा मस्त है और जबरदस्त भी है।
मैंने कहा - हां अम्मी , तुम सही कह रही हो। हमने लण्ड पकड़ने में बड़ी देर कर दी। अगर मुझे मालूम होता की मेरे घर में ही इतने बड़े बड़े लण्ड हैं तो मैं इनसे पहले ही चुदवा लेती।
अम्मी ने कहा - हां बेटी कभी कभी ऐसा होता है। घर में लण्ड होता है और हम बाहर के लण्ड का इंतज़ार करती रहतीं हैं।
ये सब बातें हो ही रहीं थीं की साहिर ने अम्मी की चूत में लण्ड पेल दिया। वह बड़ी मस्ती से चोदने लगा मेरी माँ की चूत। उसे देख कर ताहिर को भी जोश आ गया। उसने भी लण्ड मेरी बुर में घुसा दिया और चोदने लगा मेरी माँ की बिटिया की बुर। मैं अम्मी की बुर में लण्ड आता जाता देखने लगी और अम्मी मेरी बुर में लण्ड आते जाते। वो दोनों लड़के भी बड़े मजे से चोद रहे थे।
थोड़ी देर में साहिर मेरी बुर चोदने लगा और ताहिर मेरी माँ का भोसड़ा ? इस तरह हम दोनों ने इन दोनों से लण्ड अदल बदल कर रात भर चुदवाया।
Click on Search Button to search more posts.
