Home
» Hindi Short Stories For Adults बहाने बनाकर चुदाई करवाने वाली कहानियां Chudne ke bahane stories
» बूट पालिस करने वाले से अपनी चूत की मालिस करवाई But palis wale se apni chut ki malis karwayi
बूट पालिस करने वाले से अपनी चूत की मालिस करवाई But palis wale se apni chut ki malis karwayi
बूट पालिस करने वाले से अपनी चूत की मालिस करवाई But palis wale se apni chut ki malis karwayi , मोची से करवाई चूत की चुदाई , चोदा चादी के लिए मोची से चुदवाना पड़ा , बूट पोलिस के बहाने बुर की मालिस करवा ली , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सोमबीत है. मेरी उम्र 28 साल है. मैं बूट पालिस का काम करता हूँ. मैं इस वेबसाइट की सभी कहानियां पढ़ चूका हूँ. इसकी सारी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी. मैंने सोचा क्यों ना मैं भी आज अपनी कहानी शेयर करूँ. इसी 21 नवम्बर को दोपहर में 11 बजे एक औरत मेरी दुकान पर आई. उसने मुझसे कहा कि मेरे घर में कई जोड़े बूट है जिनको पालिस करनी है. मैंने उससे कहा कि मैडम आप सभी बूट मेरी दुकान पर भिजवा देना. परन्तु उसने कहा कि आपको मेरे घर चलकर ही यह काम करना है मैं आपको डबल पैसे दूंगी. उसका घर भी मेरी दूकान से ज्यादा दूरी पर नहीं था और पैसे भी डबल मिलने थे इसलिए मैंने हाँ कर दी. वो मुझे आधे घंटे बाद आने की कहकर चली गई.
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सोमबीत है. मेरी उम्र 28 साल है. मैं बूट पालिस का काम करता हूँ. मैं इस वेबसाइट की सभी कहानियां पढ़ चूका हूँ. इसकी सारी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी. मैंने सोचा क्यों ना मैं भी आज अपनी कहानी शेयर करूँ. इसी 21 नवम्बर को दोपहर में 11 बजे एक औरत मेरी दुकान पर आई. उसने मुझसे कहा कि मेरे घर में कई जोड़े बूट है जिनको पालिस करनी है. मैंने उससे कहा कि मैडम आप सभी बूट मेरी दुकान पर भिजवा देना. परन्तु उसने कहा कि आपको मेरे घर चलकर ही यह काम करना है मैं आपको डबल पैसे दूंगी. उसका घर भी मेरी दूकान से ज्यादा दूरी पर नहीं था और पैसे भी डबल मिलने थे इसलिए मैंने हाँ कर दी. वो मुझे आधे घंटे बाद आने की कहकर चली गई.
मैं दोपहर को 11:30 बजे उनके घर चला गया। मैंने उससे कहा कि आप सभी बूट ले आइये मैं अभी पालिस कार देता हूँ. उसने मुझसे कहा कि सभी बूट अंदर कमरे में रखें है आप खुद ही ले लो. यह कहकर वो मेरे लिए चाय बनाने लगी. मैंने कमरे में जाकर देखा वहां केवल 2 जोड़ी ही बूट थे.
मैंने कहा - मैडम जी, यहाँ तो बस दो जोड़ी बूट ही है लेकिन आपने तो कहा था कि कई जोड़े बूट है.
वो बोली- आप अपना काम शुरू तो करो.
मैं उन दो जोड़ी बूटों पर पालिस करने लगा. वो मेरे लिए चाय और बिस्कुट लेकर आ गई.
वो बोली - आप ये काम यहीं रोक दीजिए क्योंकि पहले चाय पीनी है.
मैं पालिस बीच में ही छोड़कर चाय पिने लगा. वो मुझे घूरकर देख रही थी और बोली - आप पालिस तो बहुत अच्छी कर लेते है. क्या आपको मालिस भी करनी आती है.
मैंने कहा - किसकी मालिस करनी है मैडम जी.
वो बोली - मेरी.
मैंने कहा - मजाक मत करो मैडम जी.
वो बोली - मैं मजाक नहीं कर रही हूँ, मुझे वास्तव में मालिस करवानी है और मैं तुम्हें मुंह मांगे पैसे देने को तैयार हूँ.
मैं निचे गर्दन करके अपने काम पर लग गया. मैंने दोनों जोड़ी बूट पालिस कर दिए और कहा - मैडम जी बाकी बूट कहाँ है मैंने इनको पालिस कर दिया है.
वो बोली - बस, अभी तो यही है.
यह कहकर उसने मुझे 500 रुपए दे दिए.
मैंने कहा - मैडम जी मेरे पास खुले पैसे नहीं है.
वो बोली - रख लो, मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, लेकिन तुमने मालिस करने के बारे में जवाब नहीं दिया.
मैंने कहा - मुझसे यह कैसे होगा.
वो बोली - यह तुम मुझपर छोड़ दो.
वो मुझे अपने कमरे में ले गई। नीचे कालीन पर एक मोटा चादर डाल दिया और वह उस पर लेट गई। तेल भी वहीँ पास में ही रखा हुआ था।
उसने अपने कपड़े उतार दिए, वो केवल चड्डी में लेट गई। ब्रा उसने पहनी नहीं थी।
वो बोली - अब आप तेल लेकर मेरी पीठ पर मालिस शुरू करो.
वो पीठ ऊपर करके लेट गई, उमा के लेट जाने के बाद मैंने उसकी पीठ पर हल्का गुनगुना तेल डाला और उसकी पीठ पर फैला कर मालिश करने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब मेरा दर भी निकल गया और मैंने सोचा कि क्यों ना इसे अपने हाथ का कमाल दिखा ही दूँ. फिर मैंने उसकी अपने हिसाब से शुरू कर दी.
उसने कंधे और पुट्ठों पर मुझसे देर तक रगड़वाया उसने हाथ पर हल्का ही लिया।
फिर मैं उसकी कमर पर आया.. कमर को रगड़ कर मैं उसके गर्दन तक हाथ लगा रहा था।
उसने चड्डी पहनी हुई थी.. इसलिए मैंने उस हिस्से को बचा कर मालिश की।
फिर उसकी जांघ पर मालिश की। उसको जाँघों पर मालिश करवाने में मजा आ रहा था।
उमा को मैंने उसके पैर की ऊँगली तक मालिश दी.. फिर उसको पलटने को बोला, वह पलट गई।
वो बोली - आपने तो कहा था कि आपको मालिस करनी नहीं आती है लेकिन आप तो उस्ताद निकले.
मैंने उनसे पूछा- आपके मम्मों पर मालिश करना है कि नहीं?
उसने कहा- सब जगह करना है।
इस पर मैं बोला- फिर आप फिर अपनी चड्डी उतार दें.. जिससे उधर भी मालिश करने में आसानी होगी और आपको बार-बार उठना न पड़े।
वह बोली- तुम ही नीचे से खींच दो।
मैंने उसकी चड्डी उतार दी।
क्या औरत थी.. बिल्कुल साफ़.. चिकनी.. झांट के बाल साफ़ करके बैठी थी और बुर तो ऐसी खिली हुई था जैसे की पावरोटी.. उसकी पंखुड़ी काली थीं.. लेकिन उसका किनारा साफ़ था जरा गहरे रंग का था।
मैंने उसके मम्मों पर तेल डाल कर मालिश करना शुरू किया और काफी देर तक उसने मुझसे मालिश करवाई। उसकी पसलियाँ भी मालिश से तरोताज़ा होती गईं।
अब उसने मुझसे बोला- तुमको लगता नहीं कि तुम मुझे चोद दो?
उसके मुँह से चुदाई से सम्बंधित शब्द मुझे बता रहा था कि अब ये गरम होने लगी है।
मैं बोला- नहीं मैडम.. ऐसा नहीं कि उत्तेजना नहीं होती.. हाँ.. उत्तेजित हो चूका हूँ आप जितना कहेंगी मैं उतना काम ही करूँगा।
उसने मुझसे कहा कि आप भी अपने कपड़े उतार लो. मैंने मेरे कपड़े उतार दिए, अब मैं अपनी चड्डी में ही था।
उसके मम्मे गोल-गोल थे और कसे हुए भी थे. वो 35 साल की थी जरूर.. लेकिन उसके जिस्म में ढलकाव नहीं था। उसकी चूचियाँ भरी हुई थीं और रगड़ पाने से वे और सख्त होती चली गईं।
उसको मम्मों को रगड़वाने में मजा आ रहा था। जब मैं रगड़ रहा था तो मैं उसकी तरफ देख रहा था.. उसके पैर कसमसा रहे थे। उसका इस तरह करने से मुझे पता लग रहा था कि यह गरम हो गई है.. उसके मम्मों की अच्छी मालिश से वह पूरी तरह से चुदवाने के मूड में आ चुकी थी।
बोली- अब जरा नीचे बुर की मालिश अच्छे से करना।
मैंने तेल लेकर उसकी बुर को गीला कर दिया। उसकी बुर पहले से ही गीली थी बुर में से पानी रिस रहा था…
ऊपर से तेल की चिकनाहट से उधर थोड़ा चिपचिपा हो गया लेकिन ठीक ही था। उसको रगड़ थोड़ी अच्छी मिल रही थी। उसकी बुर के बगल में मालिश करने से उसकी थकान कम हो गई, जिससे वह आराम से पैर खोल कर लेट गई। अब क्या बचा था.. मेरे सामने उसकी बुर तेल और उसके कामरस से चमचमा रही थी। उसकी चूत के होंठों को लेकर मैंने अपनी दोनों ऊँगली के बीच दबा कर धीरे से मसलना शुरू किया। यह उसके लिए बिजली का झटका लगने जैसा था।
मेरी मालिश की ये अदा उसको उत्तेजित कर रही थी। उसके मुँह और कान लाल हो गए थे, उसने पैर और खोल दिए थे, उसकी फांकें अच्छे से गीली हो रही थी। फिर मैंने उसकी फांकें खोल कर उसका दाना छुआ। वह उछल पड़ी और उसने अपनी कमर हिला दी। मैं समझ रहा था कि अगर इस वक्त कोई उमा को ठोक दे.. उसको बुरा नहीं लगेगा लेकिन मुझे अपनी हद तक रहना था। मैं भी उत्तेजित तो था लेकिन रुका हुआ था। उसका दाना जब मैंने खोला तो उसकी गुलाबी फ़ुद्दी मेरे सामने नाश्ते की प्लेट तरह खुल गई। उसका दाना जब कुछ ही मिनट रगड़ने से उसका दम फूलने लगा। वह अपने हाथ से ही अपनी चूची को मसलने लगी थी। उसका दाना मसलने की वजह से वह अपनी कमर उचका रही थी।
फिर मैंने उसकी बुर के छेद में धीरे से ऊँगली डाल दी और उसके अन्दर की दीवार को सहलाना शुरू किया तो वह खुद ही कमर उछाल कर कोशिश करने लगी कि मैं उसकी बुर के अन्दर तक ऊँगली डाल कर मसलूँ। वह लगातार अपना पानी छोड़ रही थी जिससे मेरा हाथ पूरा हथेली तक हाथ गीला हो गया था।
उसने बोला- अच्छा अब मेरी बुर को अपने जुबान से चाट कर मालिश कर दो।
मैंने उसकी बुर को अपने रुमाल से पोंछा उस पर लगा तेल पौंछ कर साफ़ किया और फिर मैंने खुद को घुटने के बल करके उसकी चूत पर अपना मुँह सटा दिया और अपनी जीभ उसकी बुर के अन्दर डाल कर चाटने लगा।
आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उमा ने भी अपने हाथ से पूरा साथ दिया उसने अपनी बुर को अपनी ऊँगली से खींच कर खोल रखा था और मैं उसकी बुर को जीभ से चाट रहा था. साथ में अपनी ऊँगली से उसके भग्नासे को हिला रहा था। जिससे उसको पूरी उत्तेजना मिल रही थी और वो कोशिश यह कर रही थी कि मेरी जीभ उसके भग्नासे को खूब चाटे।
उसके लिए खुद वह अपना चूत के होंठों को खींच कर खोल रही थी और उसकी कोशिश रंग लाई और उसका भगनासा सामने दिखने लगा। मेरी जुबान उस तक पहुँच गई। मेरा मुँह.. पूरी नाक.. उसके छोड़े हुए पानी से गीले हो गए थे। उसकी बुर की आग से वो बिल्कुल पागल हो गई थी। उसने उछल-उछल कर अपना पानी गिराना शुरू कर दिया और इतना तेज़ गिराया की मेरा मुँह उसको चाटने की बजाए पी रहा था। मेरा मुँह एक तरह से भर गया था। उसको चूसने के बाद उमा पूरी निढाल हो गई थी। उसने थक कर अपने को अलग कर लिया और मुझसे बोला कि मैं उसके ऊपर एक कंबल डाल दूँ। मैंने उसके ऊपर कंबल डाल दिया। मैं वहीं सोफे पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उमा उठी और मुझे 2000 रूपए दे दिए. मैंने 3 बजे उमा से विदा ली और वहाँ से निकल गया।
Click on Search Button to search more posts.
