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मैंने दोनों को कुल सात बार खुश किया Maine dono ko kul saat baar khush kiya
मैंने दोनों को कुल सात बार खुश किया Maine dono ko kul saat baar khush kiya , 2 लड़कियों की एक साथ चुदाई , महिला औरत की चोदा चादी , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
प्रिय दोस्तों, मेरा नाम अंकित है। मैं आज आपके सामने एक सच्ची सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ। यह मेरे साथ हुई एक घटना है। अब मैं कहानी शुरू करता हूँ। दोस्तों मेरे पास 11 मई 2016 को एक लड़की सुनयना का मेल आया जिसमें मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर मांगा गया था। मैंने थोड़ा सतर्क होकर पहले मेल पर बात की, उसके बाद में अपना नम्बर दिया, इसमें तीन दिन बीत गये। फिर 17 मई को मेरे पास एक नम्बर से कॉल आया, नम्बर से ही पता लगाया जा सकता था सामने वाले की हैसीयत का। सुनयना ने सुरीली आवाज के साथ पूछा- हैलो अंकित?
प्रिय दोस्तों, मेरा नाम अंकित है। मैं आज आपके सामने एक सच्ची सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ। यह मेरे साथ हुई एक घटना है। अब मैं कहानी शुरू करता हूँ। दोस्तों मेरे पास 11 मई 2016 को एक लड़की सुनयना का मेल आया जिसमें मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर मांगा गया था। मैंने थोड़ा सतर्क होकर पहले मेल पर बात की, उसके बाद में अपना नम्बर दिया, इसमें तीन दिन बीत गये। फिर 17 मई को मेरे पास एक नम्बर से कॉल आया, नम्बर से ही पता लगाया जा सकता था सामने वाले की हैसीयत का। सुनयना ने सुरीली आवाज के साथ पूछा- हैलो अंकित?
मैं- जी कहिये?
सुनयना- मुझे पहचाना?
मैं- क्यों नहीं… आप लड़की बोल रही हो ना…
सुनयना- हा हा हा… गजब मजाक करते हो!
मैं- यह नम्बर देखकर ही मेरी… सॉरी नहीं पहचाना आप कौन?
सुनयना- मैं सुनयना बोल रही हूँ अपनी मेल पर बात हुई थी, और वही आपने नम्बर दिया था।
मैं- हाँ हाँ.. दो दिन बाद कॉल कर रही हो।
सुनयना- हिम्मत जुटा रही थी।
मैं- और सुनाओ… क्या बात करनी थी।
सुनयना- क्या आप दमोह आ सकते हो?
मैं- क्यों?
सुनयना- आपसे मिलना था।
मैं- क्यों?
सुनयना- मैंने आपकी लिखी हुई एक कहानी पढ़ी है और मैं आपके साथ सम्भोग करना चाहती हूँ।
मैंने पूछा कि उस पर कैसे भरोसा करूँ, जो लड़की एक अनजान लड़के के साथ यह सब करना चाहती है। लेकिन उसका भरोसा करके मैं 22 मई को सुबह दस बजे जबलपुर से दमोह पहुँचा। उसने मुझे कार से रिसीव किया और किसी कालोनी में लेकर गई, उसने कार पोर्च में पार्क की और मुझे साथ चलने का इशारा किया। मैं उसके पीछे हो चला। मैंने लड़की पर गौर किया, फिगर 34-28-34 सांवला रंग पर मजा नहीं आ रहा था, हाँ कोई मना कर दे, इतना भी नहीं हो सकता था… पर हाँ… क्या शानदार बंगला था, दीवारों पर महंगी से महंगी चीजें लगी हुई थी किसी बहुत ही रईस बंदे का घर था।
उसने मुझसे बैठने को कहा, मैं सोफे पर जाकर बैठ गया। मैंने गौर किया कि घर पर कोई नहीं था, जब वह नींबू शरबत लेकर आई तो मैंने पूछा- और कौन कौन है घर पर? जबाब मिला- माँ, पापा, भाई, दीदी और मैं..
मैंने पूछा- बाकी लोग कहीं गये हैं क्या?
‘हाँ शादी में रात तक आ जायेंगे…’
उसने ऊपर चलने को कहा, हम चले और बेडरूम में पहुँचे। और वो आने का कहकर नीचे चली गई। मैंने बेड पर बैठकर देखा 20X20 का आलीशान रूम, बाथरूम की तरफ से पानी की आवाज आ रही थी जैसे कोई वहाँ हो, मैं बाथरूम की तरफ गया, आवाज से मुझे यकीन हो रहा था कि वहाँ कोई है, परंतु सुनयना घर में अकेली थी तो मैंने माज़रा समझने के लिये जब धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। ओह तेरी… यह क्या… दो लड़कियाँ जो दूध सी सफेद, मृग नयनी, छरहरी काया की मालकिन एक दूसरे से चिपक चिपक कर रगड़ रगड़ कर नहा रही थी।
मैं- क्यों नहीं… आप लड़की बोल रही हो ना…
सुनयना- हा हा हा… गजब मजाक करते हो!
मैं- यह नम्बर देखकर ही मेरी… सॉरी नहीं पहचाना आप कौन?
सुनयना- मैं सुनयना बोल रही हूँ अपनी मेल पर बात हुई थी, और वही आपने नम्बर दिया था।
मैं- हाँ हाँ.. दो दिन बाद कॉल कर रही हो।
सुनयना- हिम्मत जुटा रही थी।
मैं- और सुनाओ… क्या बात करनी थी।
सुनयना- क्या आप दमोह आ सकते हो?
मैं- क्यों?
सुनयना- आपसे मिलना था।
मैं- क्यों?
सुनयना- मैंने आपकी लिखी हुई एक कहानी पढ़ी है और मैं आपके साथ सम्भोग करना चाहती हूँ।
मैंने पूछा कि उस पर कैसे भरोसा करूँ, जो लड़की एक अनजान लड़के के साथ यह सब करना चाहती है। लेकिन उसका भरोसा करके मैं 22 मई को सुबह दस बजे जबलपुर से दमोह पहुँचा। उसने मुझे कार से रिसीव किया और किसी कालोनी में लेकर गई, उसने कार पोर्च में पार्क की और मुझे साथ चलने का इशारा किया। मैं उसके पीछे हो चला। मैंने लड़की पर गौर किया, फिगर 34-28-34 सांवला रंग पर मजा नहीं आ रहा था, हाँ कोई मना कर दे, इतना भी नहीं हो सकता था… पर हाँ… क्या शानदार बंगला था, दीवारों पर महंगी से महंगी चीजें लगी हुई थी किसी बहुत ही रईस बंदे का घर था।
उसने मुझसे बैठने को कहा, मैं सोफे पर जाकर बैठ गया। मैंने गौर किया कि घर पर कोई नहीं था, जब वह नींबू शरबत लेकर आई तो मैंने पूछा- और कौन कौन है घर पर? जबाब मिला- माँ, पापा, भाई, दीदी और मैं..
मैंने पूछा- बाकी लोग कहीं गये हैं क्या?
‘हाँ शादी में रात तक आ जायेंगे…’
उसने ऊपर चलने को कहा, हम चले और बेडरूम में पहुँचे। और वो आने का कहकर नीचे चली गई। मैंने बेड पर बैठकर देखा 20X20 का आलीशान रूम, बाथरूम की तरफ से पानी की आवाज आ रही थी जैसे कोई वहाँ हो, मैं बाथरूम की तरफ गया, आवाज से मुझे यकीन हो रहा था कि वहाँ कोई है, परंतु सुनयना घर में अकेली थी तो मैंने माज़रा समझने के लिये जब धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। ओह तेरी… यह क्या… दो लड़कियाँ जो दूध सी सफेद, मृग नयनी, छरहरी काया की मालकिन एक दूसरे से चिपक चिपक कर रगड़ रगड़ कर नहा रही थी।
मैं झिझक गया, सॉरी कहकर वापिसी को हुआ कि उनमें से एक ने मुझे पकड़ कर अंदर खींच लिया और गले लगाकर मुझे चूमना शुरू कर दिया, दूसरी ने मेरी पीठ पर उंगली फिराते हुए चूमना शुरू किया। मैंने संभलते हुए उन दोनों को अलग किया और कहा- यह क्या हरकत है? तब एक लड़की ने कहा- क्या नहीं पहचाना?
मैंने कहा- क्या आप हैं सुनयना…??
उसने कहा- हाँ…
मैंने कहा - ‘तो फिर वो कौन थी?’
सुनयना- नौकरानी…
मैं- क्या…? सच…? और आप?
दूसरी लड़की की तरफ इशारा करते हुये…
सुनयना- यह समीक्षा है मेरी सहेली… और हम दोनों ने मिलकर आपसे मिलने का प्लान बनाया था।
‘अच्छा…!!’
‘पहले रूको, मुझे अपने कपड़े और मोबाइल को तो निकालने दो, वरना गीला होने पर दोनों खराब हो जायेंगे।’ मैं बाथरूम के बाहर आया पर कपड़े तो गीले हो चुके थे, गनीमत थी कि मोबाइल बच गया था।सुनयना बाहर आई और दीप्ति (नौकरानी) को बुलाकर मेरे कपड़े दिये यह कहकर कि इन्हें साफ करके सुखा दे और हाँ, प्रेस भी कर लाना। दीप्ति चली गई। अब मैं सिर्फ अण्डरवियर- बनियान में था। उसके जाते ही सुनयना मेरे हाथ पकड़कर मुझे बाथरूम में खींच ले गई। वहाँ हम दोनों एक दूसरे को ओठों पर चूमने लगे व मेरा बायां हाथ उसको भींच रहा था और दायें हाथ से उसकी कमर पर गुदगुदाते हुये चूँटी ले रहा था।
वो बहुत कामुक हुई जा रही थी और समीक्षा मेरी पीठ पर गोह सी चिपकी हुई थी ओर मुझे पीछे से ही चूमे जा रही थी। मैं सुनयना के उभारों को रबड़ की तरह मसलता जा रहा था, सुनयना को चूमते हुये मैं अब नीचे की ओर बढ़ने लगा, मैंने उसे वहीं लिटाकर उसकी योनि को चूमा, फिर उसमें उंगली डाल दी। वो सिहर उठी, मेरी उंगली को बाहर निकालकर मुझसे चिपक गई, अपने ओठों को मेरे कान के पास लाकर कहा- पहली बार है, मजा पूरा चाहिये बिना दर्द के साथ, मैंने पढ़ा था कि आप आप अनुभवी हैं, इसलिये तो हमने आपको बुलाया है।
मैंने कहा- आप लोग चिंता न करें, मैं संभोग करके सुख दूँगा, न कि रेप करके दर्द।
दोनों ने कामुक नजरों से मेरी तरफ देखा और कहा- तो चलें बेड पर…?
मैंने कहा- जैसी मर्जी…
और हम बेड की ओर चल दिये, वहाँ पहुँचते ही हम तीनों फिर एक दूसरे से चिपक कर चूमा चाटी करने लगे, हमने त्रिभुज बना लिया मतलब मैं सुनयना की चूत चाट रहा था, सुनयना समीक्षा की और समीक्षा मेरा लंड चूस रही थी। दस मिनट के बाद समीक्षा ने मुझे खींचा और सीधा लिटाकर मेरे ऊपर आई, मेरे लंड को अपनी चूत पर रखकर अंदर करने को कहा तो सुनयना ने कहा- अब मुझसे भी नहीं रहा जाता, जल्दी कर इसे अंदर डाल दे! मैंने दोनों को पैर ऊपर करके लिटाया और पूछा- पहले कौन? एक साथ आवाज आई- मैं…
मैं सुनयना की चूत पर अपना लिंग रखकर आराम से अंदर करने लगा, पर लंड नहीं जा रहा था, तब मैंने लंड निकाला और उंगली को अंदर डालकर अंदर बाहर करने लगा, कुछ ही देर में उसकी चूत गीली हो गई, तब मैंने लंड डाला और लंड 3-4 झटके में पूरा अंदर चला गया। फिर दौर हुआ रफ्तार बढ़ाने का… आठ दस मिनट में वो अकड़कर झड़ गई पर मेरा काम अभी बाकी था, मुझे समीक्षा को भी खुश करना था।
अब मैंने समीक्षा को सीधा लिटाकर उसकी चूत में लंड डाल दिया, उसकी चूत और मेरा लंड दोनों पहले से गीले थे, मेरा लंड आराम से अंदर चला गया, मेरे रफ्तार पकड़ने से पहले ही समीक्षा आऊट हो गई, पर मुझे भी तो आया ना था तो मैंने सुनयना को खींचकर उल्टा कर दिया ओर पीछे से ही लंड को अंदर पेल दिया और बस धक्कमपेल चालू कर दिया और सुनयना के दो बार आने के बाद मैं भी झड़ गया।
उस दिन मैंने दोनों को कुल सात बार खुश किया वो भी बिना दर्द दिये। शाम को उन्होंने मुझे सात बजे बस स्टैण्ड ड्राप किया और मेरा मेहनताना भी दिया।
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