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दादाजी ने कामवाली को चोदा घर पर ही Dada ji ne kamvali ko choda ghar par hi
दादाजी ने कामवाली को चोदा घर पर ही Dada ji ne kamvali ko choda ghar par hi , कामवाली की चुदाई , दादा जी के बुड्डे लंड ने धमाकेदार चुदाई की , कम के पैसो के साथ साथ लौड़े पर भी दिया हक , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
हेल्लो दोस्तों, मैं शिमला से घुटन सिंह हूँ. यह कहानी नहीं बल्कि एक घटना हैं जो अभी कुछ हफ़्तों पहले ही घटी हैं. और इस सच्ची घटना के हीरो या विलन हैं मेरे जी और इसकी फिमेल किरादार हैं हमारी कामवाली जायरा. मेरे दादा जी आर्मी में थे और वो अभी रिटायर्ड जीवन जी रहे हैं. मेरे डेड यही शिमला में ही एक फेक्ट्री चलाते हैं और मेरी माँ पिछले साल मर गई हैं. घर में काम करने के लिए दादाजी ही यह कामवाली जायरा को ले के आये थे. और इस जायरा को चोदते हुए हैं मैंने उन्हें देखा हैं. जी हाँ मेरे दादा ने उसे चोदा और मैं यह देखा खिड़की के एक छेद से. तो आइयें आप को बताऊँ की मंगलवार की उस शाम को क्या हुआ था. जैसे की मैंने कहा की जायरा को नौकरी दादा जी ने ही दी थी. वो घर में दोनों वक्त का खाना पकाती थी और बर्तन मांजती थी. बाकी के काम के लिए एक दूसरी कामवाली भी आती थी. तो आप ऐसा कहें की जायरा हमारी कुक थी जो किचन संभालती थी. पिता जी सुबह निकलते हैं अपने लोहे की फेक्ट्री को तो शाम से पहले वो घर नहीं आते हैं.
हेल्लो दोस्तों, मैं शिमला से घुटन सिंह हूँ. यह कहानी नहीं बल्कि एक घटना हैं जो अभी कुछ हफ़्तों पहले ही घटी हैं. और इस सच्ची घटना के हीरो या विलन हैं मेरे जी और इसकी फिमेल किरादार हैं हमारी कामवाली जायरा. मेरे दादा जी आर्मी में थे और वो अभी रिटायर्ड जीवन जी रहे हैं. मेरे डेड यही शिमला में ही एक फेक्ट्री चलाते हैं और मेरी माँ पिछले साल मर गई हैं. घर में काम करने के लिए दादाजी ही यह कामवाली जायरा को ले के आये थे. और इस जायरा को चोदते हुए हैं मैंने उन्हें देखा हैं. जी हाँ मेरे दादा ने उसे चोदा और मैं यह देखा खिड़की के एक छेद से. तो आइयें आप को बताऊँ की मंगलवार की उस शाम को क्या हुआ था. जैसे की मैंने कहा की जायरा को नौकरी दादा जी ने ही दी थी. वो घर में दोनों वक्त का खाना पकाती थी और बर्तन मांजती थी. बाकी के काम के लिए एक दूसरी कामवाली भी आती थी. तो आप ऐसा कहें की जायरा हमारी कुक थी जो किचन संभालती थी. पिता जी सुबह निकलते हैं अपने लोहे की फेक्ट्री को तो शाम से पहले वो घर नहीं आते हैं.
दादा जी एक दो क्लब के एक्टिव मेम्बर हैं और उनका पूरा इलाके में एक बड़ा रुतबा हैं. मैं अपनी पढाई के अलावा क्रिकेट में रूचि रखता हूँ. मेरे पिता जी ने मेरी रूचि देख के मुझे एकेडमी में दाखिला भी करवा दिया हैं. और डेली शाम को मैं अपनी क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए जाता हूँ. मंगलवार की उस शाम को थोड़ी बारिश हुई थी इसलिए ट्रेनिंग स्थगित हुई. निराश हो के हम सभी घर की और निकल पड़े. मैंने शूज़ उतारे और किचन से कुछ खाने का सामान लेने के लिए मैं निकला. कीचन के बिलकुल बगल में दादाजी का कमरा हैं. जैसे ही मैं कमरे के पास से गुजरा मुझे सिसकियों की आवाज आई. मैं चमका क्यूंकि यह सिसकी दादाजी के आवाज में बिलकुल नहीं थी. पहले मुझे लगा की यह मेरा वहम हैं लेकिन जब सिसकियाँ आती रही तो मैं समझा की दाल काली हैं. मैं दबे पाँव से दादा जी के कमरे के पास वाले कमरे का रास्ता नापा. इस कमरे में अनाज रखते हैं हम लोग और उसकी एक खिड़की दादाजी के कमरे में पड़ती हैं. चूहों की वजह से दादा जी ने उस खिड़की को बंध कर दिया हैं लेकिन मेरी आँख सेट करने जितने छेद हैं उसमे. मैंने जैसे ही अपनी आँख खिड़की के ऊपर के छेद में लगाई मुझे एक बड़ा झटका लगा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
अंदर दादा जी नंगे थे और उनके साथ हमारी कामवाली जायरा थी. जायरा आधी नंगी थी. उसका ब्लाउज और ब्रा दादा जी उतार चुके थे और वो एक पेटीकोट में खड़ी हुई थी. जायरा की बड़ी चुंचियां और उसके ऊपर की वो बड़ी बड़ी निपल्स बहुत ही मादक लग रहे थे. हमेंशा चश्मे में रहते दादा जी अभी बिलकुल नंगे थे और उनका लंड हवा में लहरा रहा था. आर्मी में होने की वजह से उनका बदन आज भी फुर्तिला था. लेकिन मैं नहीं जानता था की वो इतना स्फुर्तिला हैं की उस से चोदा भी जा सकता था. और दुसरे ही पल मुझे पता चला की जायरा सिसकियाँ क्यों ले रहे थे. दादा जी ने अपने दांतों के बिच में उसकी निपल को पकड के प्यार से एक बाईट दिया था. और वो अपने हाथ से दूसरी निपल को दो ऊँगली के बिच दबा रहे थे. यह मेरे लिए किसी देसी पोर्न क्लिप के जैसा था. दादा जी अपने हाथ और मुहं दोनों को जायरा के चुंचो के ऊपर बारी बारी दे रहे थे. जायरा दादा जी के बालों को पकड के हलके से नोंच रही थी. साला बड़ा ही सेक्सी चोदा चोदी कार्यक्रम था ये, जिसे देखते हुए मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था. अब दादाजी अपने कार्यक्रम में एक स्टेप और आगे बढे और उन्होंने जायरा की पेटीकोट उतार दी. अंदर पहनने को पेंटी नहीं थी उसके पास. उसकी काली गांड बिलकुल मेरे सामने थे.
दादा जी अब पलंग के ऊपर आ बैठे और उन्होंने जायरा का हाथ पकड के अपने लंड पे रख दिया. जायरा समझ गई की दादा जी क्या चाहते थे. उसने अपने होंठ दादा के लौड़े पे रख दिए और मस्त चूस देने लगी. दादा जी का बूढा लंड था तो फिर भी कड़ा जो अभी जायरा के मुहं में अंदर बाहर हो रहा था. जायरा भी मंजी हुई खिलाडी लग रही थी इस चोदा चोदी गेम की क्यूंकि वो अपने हाथ से दादा के लंड को सहला रही थी और साथ में उसे अपने मुहं में भर रही थी. बिलकुल वैसे जैसे की पोर्न मूवी में पोर्नस्टार की चुसाई होती हैं. दादा जी का लंड कम से कम आठ इंच लम्बा और ढाई इंच चौड़ा लग रहा था इतने दूर से भी. दादा ने अपने दोनों हाथो को बेड पे रखा था और वो जायरा के हाथो में पूरा कमांड दे चुके थे. मानो वो बिना शब्दों के कह रहे हो तू चोद जैसे मुझे चोदना चाहती हैं बस मैं तो एन्जॉय करूँगा. जायरा ने लंड को अपने मुहं में ऐसे ही कुछ पांच मिनिट तक चलाया और फिर वो उठ खड़ी हुई. दादा के लंड को तो जैसे अभी तक कुछ असर ही नहीं हुआ था. वो मुहं में जाने से पहले जैसा खड़ा था किसी गिरगिट की तरह अभी भी वैसे ही था. हाँ उसके ऊपर कुछ थूंक लगा था. जायरा अब पलंग के ऊपर आ के उलटी लेट गई. दादा जी ने अपनी कुर्ती के जेब से अपना बटवा निकाला. मैं सोचा की क्या चोदा चोदी कार्यक्रम फिनिश हुआ? क्या दादा उसे पैसे दे रहे हैं….? आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
लेकिन नहीं मैं गलत था. बटवा पैसे के लिए नहीं बल्कि कंडोम के लिए उठाया था दादा जी ने. दादा ने कंडोम के पेकेट को खोल के उसे अपने लौड़े के ऊपर अनरोल किया. जायरा ने वही पड़े पड़े अपनी गांड को फैलाया. मुझे इतनी दूर से भी उसकी काली चूत के अंदर की लाली दिख रही थी. दादा ने अपनी जगह चूत के ठीक पीछे बनाई और मेरा द्रश्य अब साफ़ नहीं था. चूत तो अब दिख नहीं रही थी मुझे क्यूंकि आगे ही दादा जी आ गए थे. लेकिन फिर भी मैं देख सकता था की दादा जी क्या कर रहे हैं. उन्होंने अपने लंड को एक हाथ से पकड के चूत के ऊपर रखा और एक झटका लगाया. जायरा के मुहं से आह निकल पड़ी लेकिन दादा जी को उस से कोई फर्क नहीं पड़ा. दादा जी को थोड़ी पता था की उनका पोता साक्षी हैं उनके इस चोदा चोदी कार्यक्रम का. जायरा की सिसकियाँ फिर बढ़ी और दादा जी की हिलती गांड मुझे छेद से दिखने लगी. दादा जी के एक एक झटका जैसे की पूरी लय में आता था. मैं देख तो नहीं सका लेकिन दो पलन के बिच में सही सही टाइम रहता होंगा. दादा जी ने जायरा की गांड को अपने हाथ में पकड़ा था और वो आगे पीछे हो के जायरा को मजे से लंड का मजा दे रहे थे.
लेकिन नहीं मैं गलत था. बटवा पैसे के लिए नहीं बल्कि कंडोम के लिए उठाया था दादा जी ने. दादा ने कंडोम के पेकेट को खोल के उसे अपने लौड़े के ऊपर अनरोल किया. जायरा ने वही पड़े पड़े अपनी गांड को फैलाया. मुझे इतनी दूर से भी उसकी काली चूत के अंदर की लाली दिख रही थी. दादा ने अपनी जगह चूत के ठीक पीछे बनाई और मेरा द्रश्य अब साफ़ नहीं था. चूत तो अब दिख नहीं रही थी मुझे क्यूंकि आगे ही दादा जी आ गए थे. लेकिन फिर भी मैं देख सकता था की दादा जी क्या कर रहे हैं. उन्होंने अपने लंड को एक हाथ से पकड के चूत के ऊपर रखा और एक झटका लगाया. जायरा के मुहं से आह निकल पड़ी लेकिन दादा जी को उस से कोई फर्क नहीं पड़ा. दादा जी को थोड़ी पता था की उनका पोता साक्षी हैं उनके इस चोदा चोदी कार्यक्रम का. जायरा की सिसकियाँ फिर बढ़ी और दादा जी की हिलती गांड मुझे छेद से दिखने लगी. दादा जी के एक एक झटका जैसे की पूरी लय में आता था. मैं देख तो नहीं सका लेकिन दो पलन के बिच में सही सही टाइम रहता होंगा. दादा जी ने जायरा की गांड को अपने हाथ में पकड़ा था और वो आगे पीछे हो के जायरा को मजे से लंड का मजा दे रहे थे.
पहले पहले तो जायरा ने बहुत आह आह ओह ओह किया. लेकिन फिर वो भी दादा जी के लंड से एडजस्ट हो गई. तभी दादा जी ने साइड बदली और मुझे नजारा दिखने लगा. दादा जी के साइड में आने से अब मैं देख सकता था की वो जायरा की गांड को पकड के अपनी तरफ खिंच रहे थे. ऐसा करने से उनका लंड जायरा की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. जायरा भी मस्ती में आ गई थी और वो भी दादा जी के झटको का जवाब अपने कूल्हों को उठा उठा के दे रही थी. दादा का शक्तिशाली लंड जायरा की योनी में अंदर बाहर हो रहा था और वो आनदं से भरी हुई सिसकियाँ लेती जा रही थी. अब दादा जी ने अपना लंड जायरा की चूत से निकाला और वो खुद पलंग पे लेट गए. जायरा भी जानती थी शायद की दादा की इच्छा क्या हैं. उसने भी अपनी चूत को दादा के कंडोम में छिपे लंड के ऊपर सेट किया और बैठ गई. दादा ने निचे से एक झटका मारा और नौकरानी की चूत में अपना लंड फट से भर दिया. दादा जी अब निचे से झटके लगा रहे थे और ऊपर से जायरा कूल्हों को झटके दे रही थी. संगम स्थान पे लंड चूत में विलीन हो रहा था और फिर बाहर आ रहा था.
मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और वही खड़ा खड़ा मूठ मारने लगा. दादा जी जायरा को चोद रहे थे और इधर मैं आँखे बंध कर के अब जायरा को आँखों में भरकर मुठ मार रहा था. मेरी मूठ आधी हुई थी की जायरा की जोर जोर की आह सुनी मैंने. आँखे खोल के देखा की दादा जी अब किसी टारजन के जैसे चुदाई पे आ गए थे. वो जायरा के चुंचो को मसल रहे थे और साथ में अपने लंड के जोर जोर से झटके निचे दे रहे थे. जायरा की चूत भी शायद पानी निकालने के कगार पे थी क्यूंकि वो भी बहुत तीव्रता से उछल रही थी और अपनी गांड उठा उठा के चुद रही थी. दादा ने और दो झटके मारे और फिर जायरा को दबोच लिया. मैं समझ गया की दादा ने चोदा चोदी कार्यक्रम समापन किया हैं अब. जायरा भी शांत हो गई और दोनों एक दुसरे को बाहों पे लपेटे रहे. पांच मिनिट के बाद जायरा उठी और उसने अपनी पेटीकोट और ब्लाउज पहन लिया. दादा जी ने अपने हाथो से उसे साडी लपेट दी. जायरा जब कमरे के बाहर जाने को निकली तो उस से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, आखिरकार उसे एक आर्मीवाले ने चोदा था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने वही खड़े खड़े मूठ मारी और फिर मैं धीरे से घर से बाहर निकल गया. पांच मिनट घूम के वापस आया तो देखां की दादा जी बाहर न्यूज़पेपर पढ़ रहे थे और जायरा किचन में खाना पका रही थी….
मैंने वही खड़े खड़े मूठ मारी और फिर मैं धीरे से घर से बाहर निकल गया. पांच मिनट घूम के वापस आया तो देखां की दादा जी बाहर न्यूज़पेपर पढ़ रहे थे और जायरा किचन में खाना पका रही थी….
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