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हस्तमैथुन पर शोध और उनके परिणाम Hastmaithun shodh aur parinaam
हस्त-मैथुन कैसे करते हैं? हस्तमैथुन क्या है? हस्तमैथुन क्यों करते है? हस्तमैथुन के फायदे और नुकसान क्या है? क्या हस्तमैथुन करना गलत है? क्या आप भी इसे use करते है? क्या हस्तमैथुन से शरीर में नुकसान होता है? क्या हस्तमैथुन से वीर्य पतला होता है? जानने के लिए यह पोस्ट पूरा पढ़ें और अपना विचार भी कमेंट में डालें.
एक बार हस्त-मैथुन के वीर्योत्पात के बाद किया गया सम्भोग पुरुष को देर तक सम्भोग-रत रहने में तथा स्खलन टालने में बहुत उपयोगी होता है। इससे स्त्री को सम्भोग द्वारा चरमोत्कर्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है जिससे वह स्त्री उस पुरुष से ज्यादा प्रेम करने लगती है।
एक बार हस्त-मैथुन के वीर्योत्पात के बाद किया गया सम्भोग पुरुष को देर तक सम्भोग-रत रहने में तथा स्खलन टालने में बहुत उपयोगी होता है। इससे स्त्री को सम्भोग द्वारा चरमोत्कर्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है जिससे वह स्त्री उस पुरुष से ज्यादा प्रेम करने लगती है।
पर ये सब तो अच्छे प्रभाव हैं… इसलिए बेझिझक और दिल भर कर हस्त-मैथुन करना चाहिए। यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। हाँ, जैसे कोई भी अच्छी क्रिया अत्याधिक मात्रा में की जाये तो हानिकारक हो सकती है… तो हस्त-मैथुन भी उपयुक्त समय और उपयुक्त मात्रा में करना ही उचित है। इसके प्रति आसक्त होना या इसको सम्भोग के एवज में करना ठीक नहीं है।
हस्त-मैथुन कैसे करते हैं?
हस्त-मैथुन सम्भोग क्रिया का ही अनुकरण है। तो भले ही वह पुरुष हो या स्त्री, हस्त-मैथुन करते समय अपने यौनांगों को इस तरह इस्तेमाल करते हैं जिससे उन्हें सम्भोग-क्रिया जैसा सुखी अनुभव हो। पुरुष का लिंग योनि में प्रवेश करके जिस घर्षण का अनुभव करता है वही घर्षण पुरुष अपने लिंग को अपने हाथ से देने का प्रयास करता है। इसी प्रकार से सम्भोग के दौरान जिस तरह स्त्री की योनि तथा भगनासा को मर्दाना लिंग रगड़ता है और योनि में प्रवेश होकर अंदर-बाहर होता है, वही रगड़ हस्त-मैथुन के द्वारा स्त्री अपनी योनि और भगनासा को देने की चेष्टा करती है।
हस्तमैथुन पर शोध
हस्तमैथुन के कारण स्त्री-पुरुषों के लिए अनेकों व्यक्तिगत लाभ तो हैं ही, पर इस विषय पर शोध से यह निष्कर्ष निकला है कि इस अत्यंत निजी क्रिया के कई सामाजिक फायदे भी हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के सामाजिक-शास्त्री अब यह मानने लगे हैं कि हस्तमैथुन करने वाले 15 साल के युवक-युवतियों से लेकर वृद्धावस्था तक के लोगों में अपराध करने की प्रवृत्ति कम पायी जाती है। इस कारण बाल-शोषण और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को रोकने में मदद मिलती है। हस्तमैथुन करने वाले लोग कम विचलित और ज्यादा संतुलित रहते हैं जिनसे समाज में स्थिरता एवं अनुशासन पनपता है। वे ना केवल अपराध कम करते हैं, वे अपराध करने वालों को रोकने में भी योगदान देते हैं।
हस्तमैथुन से समाज को जो अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं उनमें किशोरियों में अवांछित गर्भावस्था को रोकना, यौन रोगों (एस०टी०डी०) को कम करना और नारी को सम्मान देना प्रमुख माना गया है। कई विकसित देश, जैसे ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क आदि किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों को दैनिक हस्तमैथुन करने के लिए प्रोत्साहित करने लगे हैं। “प्रतिदिन एक वीर्योत्पात” उनकी स्वास्थ्य-निर्देश पुस्तिका में एक अधिकार के रूप में सम्मिलित किया गया है। यूरोपीय संघ के अन्य सदस्य देश भी इस तरह के प्रोत्साहन की योजना बना रहे हैं।
हमारे देश में भी इस अत्यंत निजी परन्तु साथ ही साथ अत्यंत सामाजिक विषय पर अधिकाधिक विचार-विमर्श करने की जरूरत है तथा इसे गोपनीयता के दायरे से बाहर निकाल कर प्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करने के आवश्यकता है। ऐसा नहीं करने से हमारे देश में यौन-अपराधों की घिनौनी घटनाएँ निरंतर बढ़ती ही जाएँगी और निर्भया जैसी अनेकों लड़कियाँ यौन-त्रस्त युवकों की बलि चढ़ती जाएँगी।
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