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चूत की कातिल एडल्ट शायरी इन हिंदी - Adult and Non Veg Shayri in Hindi
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मैं नंगी हो के मस्ती से, कभी चूंची हिलाती हूँ
मैं मादर चोद अपनी चूत पर उंगली फिराती हूँ
मटकती गांड से चल कर, कभी झाँटें बनाती हूँ
जवां हूँ मैं, जवानी के बड़े करतब दिखाती हूँ
मोहब्बत लंड से करती, मज़ा लौंडों का लेती हूँ
सभी मर्दों को अपने सामने, नंगा नचाती हूँ
पकड़ कर लण्ड सबके, चाटती हूँ चूस लेती हूँ
बड़ी मस्ती से हंस हंस, के सभी लौड़े हिलाती हूँ
कभी मैं बुर चुदाती हूँ, कभी चूंची चुदाती हूँ
पकड़ कर लंड मुठ्ठी से , कभी सड़का लगाती हूँ
नन्द की बुर चुदाती हूँ, तो माँ का भोसड़ा भी
बहन की चूत में लौड़ा, तो मैं हरदम घुसाती हूँ
खाला की हो, फूफी की हो, या चूत अम्मी की
मैं लौड़ा पेल देती हूँ, पेल कर मुस्कराती हूँ
बहू की चूत में लौड़ा, सास की चूत में लौड़ा
मैं कितने पेल देती हूँ, नहीं मैं कुछ बताती हूँ
कभी मैं गोद में बैठी, कभी मैं लंड पे बैठी
पकड़ के गांड से लौड़ा, उसे उल्टा घुमाती हूँ
तू मेरी बुर चुदाती है, मैं तेरी बुर चुदाती हूँ
तू मेरी माँ चुदाती है, मैं तेरी माँ चुदाती हूँ
मैं लौड़ा ओढ़ती हूँ, और लौड़ा ही बिछाती हूँ
कई लौड़ों से अपनी गांड अपनी बुर चुदाती हूँ
मैं रंडी हूँ, मैं लौड़ी हूँ बहन की, भोसड़ी वाली
मगर लौड़े के खातिर मैं, कई लौड़े हिलाती हूँ
अम्मी पेल देतीं हैं, मेरी जब चूत में लौड़ा
तो लौड़ा पेल कर बुर में, मैं अपनी माँ चुदाती हूँ
जहां देखूँ वहां लौड़ा, जिधर घूमू उधर लौड़ा
मैं लौड़े की कहानी, प्यार से सबको सुनाती हूँ
=०=०=०=०= समाप्त
Tags: शायरी में चुदाई , चूत की कातिल शायरी , शलील शायरी, एडल्ट शायरी इन हिंदी, गंदा शायरी, गँदे नानवेज शायरी, गन्दी शायरी हिंदी, गन्दे शायरी , Adult and Non Veg हास्य शायरी , बहुत गन्दी. चूत बुर गांड लंड लौड़ा की चार लाइने.
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मैं मादर चोद अपनी चूत पर उंगली फिराती हूँ
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जवां हूँ मैं, जवानी के बड़े करतब दिखाती हूँ
मोहब्बत लंड से करती, मज़ा लौंडों का लेती हूँ
सभी मर्दों को अपने सामने, नंगा नचाती हूँ
पकड़ कर लण्ड सबके, चाटती हूँ चूस लेती हूँ
बड़ी मस्ती से हंस हंस, के सभी लौड़े हिलाती हूँ
कभी मैं बुर चुदाती हूँ, कभी चूंची चुदाती हूँ
पकड़ कर लंड मुठ्ठी से , कभी सड़का लगाती हूँ
नन्द की बुर चुदाती हूँ, तो माँ का भोसड़ा भी
बहन की चूत में लौड़ा, तो मैं हरदम घुसाती हूँ
खाला की हो, फूफी की हो, या चूत अम्मी की
मैं लौड़ा पेल देती हूँ, पेल कर मुस्कराती हूँ
बहू की चूत में लौड़ा, सास की चूत में लौड़ा
मैं कितने पेल देती हूँ, नहीं मैं कुछ बताती हूँ
कभी मैं गोद में बैठी, कभी मैं लंड पे बैठी
पकड़ के गांड से लौड़ा, उसे उल्टा घुमाती हूँ
तू मेरी बुर चुदाती है, मैं तेरी बुर चुदाती हूँ
तू मेरी माँ चुदाती है, मैं तेरी माँ चुदाती हूँ
मैं लौड़ा ओढ़ती हूँ, और लौड़ा ही बिछाती हूँ
कई लौड़ों से अपनी गांड अपनी बुर चुदाती हूँ
मैं रंडी हूँ, मैं लौड़ी हूँ बहन की, भोसड़ी वाली
मगर लौड़े के खातिर मैं, कई लौड़े हिलाती हूँ
अम्मी पेल देतीं हैं, मेरी जब चूत में लौड़ा
तो लौड़ा पेल कर बुर में, मैं अपनी माँ चुदाती हूँ
जहां देखूँ वहां लौड़ा, जिधर घूमू उधर लौड़ा
मैं लौड़े की कहानी, प्यार से सबको सुनाती हूँ
=०=०=०=०= समाप्त
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