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बेटियां फड़वातीं हैं माँ का भोसड़ा - Betiyan karvati hai apni Maa ki chudai
बेटियां फड़वातीं हैं माँ का भोसड़ा - Betiyan karvati hai apni Maa ki chudai , बेटी ही चुदवाती है माँ की चूत गांड , माँ को देती है रोज नए लंड , बेटियां खुद चुदकर माँ के लिए बड़ा और मोटा लौड़ा खोजकर लाती है.
आज कल बेटियां जवान होते ही अपनी माँ का भोसड़ा फड़वाने लगतीं हैं। जानते हो क्यों ? क्योंकि वे सब जवान होने के एक दो साल पहले से ही अपनी माँ का भोसड़ा चुदते हुए देखने लगतीं हैं। उन्हें हर रोज़ रात को अपनी माँ की चुदाई देखने की आदत पड़ जाती है। उनकी अम्मियाँ हर रोज़ रात को नए नए लण्ड पेलवा कर मस्ती से चुदवाती हैं। उन्हें ये नहीं पता होता की हमारी बेटियां छुप छुप कर हमारी चुदाई देख रही हैं । बेटियां हर रोज़ नए नए लण्ड देख कर समझ जातीं हैं की हमारी अम्मी गैर मर्दों से खूब धकाधक चुदवाती हैं। और तब वे ठान लेतीं हैं की वे भी जवान होते ही अपनी माँ का भोसड़ा चुदवाने लगेंगीं ? जब वो जवान हो जातीं हैं तो फिर बड़ी बेशर्मी से कहती हैं आज मैं तेरा भोसड़ा चोदूँगी अम्मी जान ? फिर क्या ? वह लण्ड अपनी अम्मी के भोसड़ा में पेल देती है और अम्मी कुछ कह भी नहीं सकती ? क्योंकि अम्मी की पोल पट्टी उसे पहले से ही मालूम होती है।
मेरा नाम मेघना है मैं एक बंगाली लड़की हूँ। मेरी बड़ी बड़ी आँखें हैं गोरा और गोल गोल चेहरा है। मेरी चूँचियाँ बहुत बड़ी बड़ी हैं, बड़े बड़े बाल हैं। मेरी जांघें मोटी मोटी हैं और उसके बीच की चूत तो बहुत ही मस्त है। मेरी गांड उभरी हुई है और मैं बहुत ही हॉट और बोल्ड लड़की हूँ। जवान होते ही मेरे अंदर सेक्स की इच्छा जगने लगी। मुझे लण्ड की जरुरत महसूस होने लगी। मैं लड़कों के साथ रहने की कोशिश करने लगी। मैं छुप छुप कर लड़कों के लण्ड देखने का प्रयास करने लगी। कॉलेज में लड़कियां अक्सर लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा, गांड, झांट की बातें करने लगी। मैं भी उसी तरह बोलने लगी। कुछ दिन में लड़कियां गालियां भी देने लगीं और अच्छी तरह गालियां देना भी सीख गयी।
इन्ही बातों में मैंने कई लड़कियों के मुंह से सुना की वे रात को उठकर अपनी मम्मी की चुदाई देखती हैं। अपने पापा का लण्ड देखतीं है और लण्ड अपनी मम्मी की चूत में घुसते हुए देखतीं हैं फिर छुप छुप कर उनकी बातें सुनतीं हैं। मैंने सोंच लिया की मैं भी रात में उठ कर मम्मी को देखूँगी की वह क्या करती हैं ? मेरे पापा फौज में काम करतें हैं कर मम्मी अकेले ही घर पर रहतीं हैं। उस दिन मैं घर ज़रा जल्दी पहुँच गई। मम्मी को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी की मैं आज जल्दी आ जाऊंगी। घर की एक चाभी मेरे पास भी रहती है। मैंने दरवाजा खोला और सीधे अपने कमरे में चली गयी। मैंने कपड़े चेंज किया तभी मुझे मम्मी के कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई पड़ी। मैं जान गयी की वहां मम्मी के साथ कोई और है जो मम्मी से बात कर रहा है। बात क्या हो रही है यह मैं अच्छी तरह समझ नहीं पाई।
मैं कान लगाकर उन लोगों की बातें सुनने लगी और यह भी देखने लगी की अंदर क्या हो रहा है। मैंने जो देखा उसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। मैं तो वह देख कर दंग रह गयी। मैंने देखा की मम्मी एकदम नंगी नंगी लेटी है और उसके बगल में लेटा है एक आदमी। वह भी भोसड़ी का एकदम नंगा लेटा है। उसका लण्ड खड़ा है। लण्ड की छोटी छोटी झांटें हैं लेकिन पेल्हड़ बिलकुल चिकने हैं। उधर मम्मी का भोसड़ा एकदम साफ़ दिख रहा था मुझे। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ अंकल चुम भी रहा था और चूस भी रहा था। मम्मी उसका लण्ड हौले हौले सहला रहीं थीं। अंकल बोला भाभी जी कहीं ऐसे में तुम्हारी बेटी न जाए ? मम्मी बोली - नहीं वह नहीं आएगी। वह तो बुर चोदी दो घंटे के बाद ही आएगी। तब तक तुम मुझे बड़े इत्मिनान से चोदो। उसके आने के पहले ही तुम मुझे चोद कर चले जाओगे।
आज मुझे मम्मी का असली चेहरा दिख रहा था। इससे यह तो पता चल गया की मेरी मम्मी पराये मर्दों से चुदवाती हैं। बस उसी दिन से मैं मम्मी के ऊपर नज़र रखने लगी। एक दिन रात को मैं उठी और मम्मी के कमरे में झांकने लगी। मैंने देखा की वह नंगी नंगी किसी का लण्ड चाट रही हैं। लण्ड तो साला बड़ा जबरदस्त था। उसे देख कर मेरी भी चूत चुचुहा उठी। कुछ देर बाद मम्मी अपनी बुर उससे चटवाने लगी। तब मैंने उसकी शकल देखी। वह तो साला नमन अंकल था हमारा पड़ोसी। मैं जान गयी की मम्मी पड़ोसी से चुदवाती हैं। फिर मैने उसकी पूरी चुदाई देखी। अब मेरे अंदर मम्मी के लिए न कोई शर्म रही और न ही कोई झिझक। मैंने ठान लिया की अब मैं जिस दिन मम्मी को रंगे हाथ पकड़ूँगी उसी दिन मैं अपने हाथ से लण्ड उसकी चूत में पेलूँगी। फिर जो होगा वो देखा जायेगा।
एक दिन मैं अपनी सहेली बरखा से मिली। उससे बातें होने लगी और खुल कर होने लगी. उसका भी पापा फौज में है और उसकी मम्मी अकेली घर में रहतीं हैं। उसने बताया की यार मेरी मम्मी तो पराये मर्दों से चुदवाती है. मैंने उसे कई बार देखा है। अब मैं भी जवान हूँ। मेरी उम्र २१ साल की है। मैं जब जब उसकी चुदाई देखती थी तो मेरी चूत बुरी तरह चुदासी हो जाती थी. मुझे भी लण्ड की जरुरत महसूस होती थी। मैं कब तक ऊँगली पेल पेल कर अपनी चूत का कबाड़ा करती ? इसलिए मैंने कॉलेज के लड़कों को पटाना शुरू किया और उनके लण्ड चूसने लगी। लण्ड सड़का मार मार कर पीने लगी और फिर एक दिन लण्ड पेल कर चुदवा भी लिया। फिर २/३ बार और चुदवाया तो मैं थोड़ा बोल्ड हो गई। बेशरम हो गयी। मैंने फिर ठान लिया की आज अगर मेरी मम्मी ने किसी और से चुदवाया तो मैं उसका भोसड़ा फाड़ दूँगी। हुआ भी यही। वह सच चुदवाने लगी। मैं पहले तो थोड़ी देर तक देखती फिर एकदम से घुस गयी कमरे में।
मैंने कहा - ये क्या हो रहा है मम्मी जी ? वह बोली - तू यहाँ क्यों आ गई ? तू जा अपने कमरे में मुझे डिस्टर्ब न कर ? मैंने कहा - नहीं मैं नहीं जाऊंगी ? मैं यहीं रहूंगी। वह बोली - तो तू क्या करेगी यहाँ रह कर ? मैं तो अंदर से भरी हुई थी। मैंने कहा - मैं भी लण्ड अपनी चूत में पेलूँगी। मैं भी तुम्हारी तरह चुदवाऊंगी। वह बोली - इतना बड़ा लण्ड जायेगा तो तेरी चूत फट जाएगी, बरखा। मैंने कहा - अगर तुम मुझे चुदवाने नहीं दोगी तो मैं अभी तेरा भोसड़ा फाड़ डालूंगी। मैंने आज पहली बार तुम्हे पराये मर्द से चुदवाते हुए नहीं देखा बल्कि मैं तो कई बार तुम्हे चुदवाते हुए देख चुकी हूँ। हर बार एक नया लण्ड दिखाई पड़ता है। मैं तुम्हारी करतूत जान गयी हूँ मम्मी जी. तुम्हारी पोल पट्टी सब मेरे आगे खुल चुकी है ? अब मैं नहीं रुक सकती। तब वह बोली - तेरी माँ की चूत ? ले पेल ले लण्ड अपनी चूत में फिर मुझसे मत कहना उई माँ मेरी चूत फट गई। मैंने फिर सच में पेला लण्ड अपनी चूत में और खूब मस्ती से चुदवाया।
उस दिन से मम्मी मेरी दोस्त हो गयी और अब मैं उसका भोसड़ा रोज़ फाड़ती हूँ और वह मेरी बुर फाड़ती है। बरखा की बात मेरे दिल को छू गयी और में मन में कहा की अब मैं भी मम्मी को सबक सिखाऊंगी। दो दिन बाद मुझे भी मौक़ा मिल गया। उस दिन कोई और नहीं बल्कि मेरा मौसा नंगा नंगा लेटा था मम्मी के पास और मम्मी भी मादर चोद बिलकुल नंगी थीं। मम्मी मौसा का लण्ड चाट रहीं थीं और मौसा मम्मी की बुर चाट रहा था। दोनों को 69 की पोजीशन में देख कर मेरी झांटें सुलगने लगीं। मैंने मन में कहा मम्मी को यह नहीं पता है की उसकी बेटी भी घर में है। वह भी जवान है। उसकी भी चूत है। उसकी भी चूत में आग है। उसे भी लण्ड की जरुरत है। ये कैसे मम्मी है जो अपनी बेटी की जरुरत नहीं समझ रही है बहन चोद ? मैं फिर बेधड़क कमरे में घुस गई। मुझे लगा की मम्मी अब मुझे खूब डाँटेगीं पर हुआ बिलकुल उलटा। वह मुझे देख कर बोली अरी मेघना कहाँ थी तू अब तक ? आ इधर मेरे पास।
मैं आगे बढ़ी तो मम्मी ने मुझे लण्ड दिखाते हुए कहा बेटी लो अपने मौसा का लण्ड चाटो। अब तुम जवान हो गई हो। लण्ड का मज़ा लेना शुरू कर दो। शर्माने की जरुरत नहीं है। मैंने थड़ा शर्माने का नाटक किया तो वह बोली - अरी मेरी बुर चोदी मेघना, तेरी माँ का भोसड़ा ? इस समय न मैं तेरी माँ हूँ और न तू मेरी बेटी। अब तू मेरी दोस्त है। मैं तेरी मादर चोद सुनीता हूँ और तू मेरी बुर चोदी मेघना है . उसने मेरी शर्म ख़तम कर दी और मुझे एकदम बेशर्म बना दिया। वह बोली मेघना चुदाई में बेशर्म होना जरुरी है बेटी और बोल्ड बनना जरुरी है। बोल्ड बनने के लिए तुझे सबसे पहले गालियां देना आना चाहिए। उसने ऐसा कह कर मेरे कपड़े उतार दिया। मैं भी उसकी तरह नंगी हो गई और मौसा का लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने फिर लण्ड चूमा, चाटा और मुंह में डाल कर लण्ड का सुपाड़ा चूसने लगी।
इतने में किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मम्मी ने दरवाजा खोला। वह थोड़ी देर में एक आदमी का लण्ड पकड़े[पकडे मेरे सामने आ गई और कहा लो मेघना इसे देखो ये तेरे मौसा का दोस्त है आशीष। इसका भी लण्ड पकड़ कर देखो। मैं फ़ौरन लण्ड पकड़ लिया और फिर हम दोनों मिलकर दोनों लण्ड चाटने लगीं । कभी मम्मी मेरे मुंह में लण्ड घुसेड़ती और कभी मैं उसके मुंह में। अब वह पूरी तरह मेरी दोस्त बन चुकी थीं। मैं तो बहुत ही उत्तेजित थी। मैंने चुपके से मम्मी के भोसड़ा पर हाथ रखा तो वह भठ्ठी की तरह जल रहा था। मैंने आशीष का लण्ड उस पर रखा और उसकी गांड पर हाथ रख कर दबा दिया तो लण्ड गप्प से अंदर घुस गया। मैं अपनी मम्मी का भोसड़ा चुदवाने लगी। उसी समय मम्मी ने भी मौसा का लण्ड मेरी चूत में पेल दिया तो मैं भी मस्ती से धकाधक चुदवाने लगी। यह मेरा पहला मौक़ा था जब की मैं मम्मी के साथ चुदाई का मज़ा लूट रही थी। मैंने मन ही मन सोंच लिया मैं अपने दोस्तों के लण्ड मम्मी के भोसड़ा में पेलूँगी। फिर मैंने भी मौसा से खूब चुदवाया और उसके दोस्त से भी। मम्मी मस्ती से बोली - देख मेघना कितनी मस्ती से चुद रहा है मेरी माँ का भोसड़ा ? मैंने भी चुदवाते हुए कहा - तुम भी देखो मम्मी कितनी मस्ती से चुद रही है तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर और अब आगे भी इसी तरह चुदती रहेगी भोसड़ी वाली।
एक दिन मेरी बुआ की बेटी काजल आ गई। वह शादी शुदा है। उसी समय मेरे मामा की बेटी राधा भी आ गयी। उसकी भी शादी हो चुकी है। हम तीनो बैठी हुई बातें करने करने लगीं। बस थोड़ी ही देर में बातें लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा और चोदा चोदी तक पहुँच गई।
आने लगे। पहले मेरे बॉय फ्रैंडस अरुण और टोनी आ गये जो मुझे कई बार चोद चुके हैं। फिर काजल का दोस्त विकी आ गया फिर राधा का दोस्त गोपी भी आ गया। सबका सबसे परिचय हुआ और उसके बाद मैंने ड्रिंक्स चालू कर दी। शराब पीते पीते बातें भी होने लगीं और मस्ती भी छाने लगी। उधर नशा भी चढ़ने लगा। एक तो शराब का नशा और दूसरा चुदाई का नशा। मेरी मम्मी मिसेज सुनीता, काजल की मम्मी (मेरी बुआ) मिसेज रीता और राधा की मम्मी (मेरी मामी ) मिसेज रेखा तीनो मम्मियां भी खूब मस्ती से सबके साथ शराब पी रहीं थीं। उन्हें मालूम था की आज हमारी बेटियां हमारा भोसड़ा खुल्लम खुल्ला फड़वायेंगी इसलिए वे तीनो बहुत खुश थीं और अपना भोसड़ा फड़वाने के लिए एकदम तैयार बैठीं थीं। अब अपनी बेटी की उम्र का मस्त जवान लड़का अगर हमारा भोसड़ा फाड़े तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। तीन की तीनो मम्मियां इन लड़कों से भोसड़ा फड़वाने के लिए बेताब हो रहीं थीं। इतने में मैंने मामी का हाथ पकड़ कर अपने दोस्त अरुण के लण्ड पर रख दिया और कहा लो पकड़ो न मेरे दोस्त का लण्ड। उसने पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया लण्ड । उधर काजल ने अपने दोस्त विकी का लण्ड मेरी माँ को पकड़ा दिया। फिर राधा ने अपने दोस्त गोपी का लण्ड काजल की मम्मी रीता को पकड़ा दिया। बचा टोनी का लण्ड तो मैंने उसे राधा की मम्मी को पकड़ा दिया। अब मामी के हाथ में दो दो लण्ड आ गए। फिर एक एक करके हम सबके कपड़े उतरने लगे। पहले हम तीनो बेटियां नंगी हुई, फिर हमारी मम्मियां नंगी हुई और फिर हमारे चारों दोस्त भी नंगे हो गये। उनके लण्ड फनफना कर खड़े हो गये। चारों लण्ड एक से एक बढ़कर थे।
मेरी मम्मी विकी का लण्ड चाटने लगीं। काजल की मम्मी गोपी का लण्ड चाटने लगी और राधा की मम्मी अरुण और टोनी का लण्ड बारी बारी से चाटने लगीं। मैं काजल की मम्मी के साथ लण्ड चाटने लगी, काजल राधा की मम्मी के साथ लण्ड चाटने लगी और राधा मेरी मम्मी के साथ लण्ड चाटने लगी। मैं कभी गोपी के लण्ड का सुपाड़ा चाटती तो रीता आंटी उसके पेल्हड़ और जब मैं पेल्हड़ चाहती तो वह लण्ड का सुपाड़ा। इसी तरह काजल भी करती और राधा भी। हम सबको एक दूसरे की मम्मी के साथ लण्ड चाटने में मज़ा आने लगा। फिर मैंने गोपी का लण्ड काजल की मम्मी के भोसड़ा में पेल दिया और चुदवाने लगी उसका मस्ताना भोसड़ा। वह भी बड़े मजे से गोपी के लण्ड का मज़ा लेने लगी। उधर काजल ने राधा की मम्मी के भोसड़ा में अरुण का लण्ड पेल दिया और टोनी का लण्ड उसके मुंह में। उसकी मम्मी दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी। राधा ने मेरी मम्मी के भोसड़ा में विकी का लण्ड घुसेड़ दिया। वह भी पेल्हड़ सहलाती हुई मेरी माँ का भोसड़ा फड़वाने लगी। हम तीनो एक दूसरे की माँ का फड़वाने में जुट गईं। फिर हंसी मजाक भी होने लगी।
मैंने कहा - देख काजल मैं तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ रही हूँ। किसी दिन तेरी भी बुर फाड़ूंगी।
काजल बोली - मैं तो राधा की माँ का भोसड़ा फाड़ रही हूँ। राधा की बुर में अपंने मियां का लण्ड पेल कर उसकी भी बुर फाड़ डालूंगी।
राधा बोली - तो क्या मैं अपनी झांटें गिनूँगी बैठे बैठे। मैं तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ूंगी और तेरी बुर चोदी बुर की धज्जियाँ उड़ा दूँगी। अपने ससुर का लण्ड पेलूँगी तेरी चूत में और मेघना की बुर में भी।
मैंने कहा - पहले तू अपने मियां का ही लण्ड पेल दे मेरी चूत में. ससुर का लण्ड बाद में पेल देना।
उधर मेरी मम्मी ने काजल की मम्मी से कहा - अरी मेरी नन्द रानी देख, आजकल तो बेटियां बड़ी मस्ती से फड़वाती है अपनी माँ का भोसड़ा ? इसी तरह हम सब एन्जॉय करती हुई चुदाई का मज़ा लेने लगीं।
दूसरी पारी ने इन मम्मियों ने लण्ड हम सब बेटियों की बुर में घुसेड़ दिया। फिर मम्मियां चुदवाने लगी एक दूसरे की बिटिया की बुर।
=०=०=०=०=०=०=० समाप्त
Tags: बेटियां फड़वातीं हैं माँ का भोसड़ा - Betiyan karvati hai apni Maa ki chudai , बेटी ही चुदवाती है माँ की चूत गांड , माँ को देती है रोज नए लंड , बेटियां खुद चुदकर माँ के लिए बड़ा और मोटा लौड़ा खोजकर लाती है.
इन्ही बातों में मैंने कई लड़कियों के मुंह से सुना की वे रात को उठकर अपनी मम्मी की चुदाई देखती हैं। अपने पापा का लण्ड देखतीं है और लण्ड अपनी मम्मी की चूत में घुसते हुए देखतीं हैं फिर छुप छुप कर उनकी बातें सुनतीं हैं। मैंने सोंच लिया की मैं भी रात में उठ कर मम्मी को देखूँगी की वह क्या करती हैं ? मेरे पापा फौज में काम करतें हैं कर मम्मी अकेले ही घर पर रहतीं हैं। उस दिन मैं घर ज़रा जल्दी पहुँच गई। मम्मी को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी की मैं आज जल्दी आ जाऊंगी। घर की एक चाभी मेरे पास भी रहती है। मैंने दरवाजा खोला और सीधे अपने कमरे में चली गयी। मैंने कपड़े चेंज किया तभी मुझे मम्मी के कमरे से कुछ आवाज़ सुनाई पड़ी। मैं जान गयी की वहां मम्मी के साथ कोई और है जो मम्मी से बात कर रहा है। बात क्या हो रही है यह मैं अच्छी तरह समझ नहीं पाई।
मैं कान लगाकर उन लोगों की बातें सुनने लगी और यह भी देखने लगी की अंदर क्या हो रहा है। मैंने जो देखा उसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। मैं तो वह देख कर दंग रह गयी। मैंने देखा की मम्मी एकदम नंगी नंगी लेटी है और उसके बगल में लेटा है एक आदमी। वह भी भोसड़ी का एकदम नंगा लेटा है। उसका लण्ड खड़ा है। लण्ड की छोटी छोटी झांटें हैं लेकिन पेल्हड़ बिलकुल चिकने हैं। उधर मम्मी का भोसड़ा एकदम साफ़ दिख रहा था मुझे। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ अंकल चुम भी रहा था और चूस भी रहा था। मम्मी उसका लण्ड हौले हौले सहला रहीं थीं। अंकल बोला भाभी जी कहीं ऐसे में तुम्हारी बेटी न जाए ? मम्मी बोली - नहीं वह नहीं आएगी। वह तो बुर चोदी दो घंटे के बाद ही आएगी। तब तक तुम मुझे बड़े इत्मिनान से चोदो। उसके आने के पहले ही तुम मुझे चोद कर चले जाओगे।
आज मुझे मम्मी का असली चेहरा दिख रहा था। इससे यह तो पता चल गया की मेरी मम्मी पराये मर्दों से चुदवाती हैं। बस उसी दिन से मैं मम्मी के ऊपर नज़र रखने लगी। एक दिन रात को मैं उठी और मम्मी के कमरे में झांकने लगी। मैंने देखा की वह नंगी नंगी किसी का लण्ड चाट रही हैं। लण्ड तो साला बड़ा जबरदस्त था। उसे देख कर मेरी भी चूत चुचुहा उठी। कुछ देर बाद मम्मी अपनी बुर उससे चटवाने लगी। तब मैंने उसकी शकल देखी। वह तो साला नमन अंकल था हमारा पड़ोसी। मैं जान गयी की मम्मी पड़ोसी से चुदवाती हैं। फिर मैने उसकी पूरी चुदाई देखी। अब मेरे अंदर मम्मी के लिए न कोई शर्म रही और न ही कोई झिझक। मैंने ठान लिया की अब मैं जिस दिन मम्मी को रंगे हाथ पकड़ूँगी उसी दिन मैं अपने हाथ से लण्ड उसकी चूत में पेलूँगी। फिर जो होगा वो देखा जायेगा।
एक दिन मैं अपनी सहेली बरखा से मिली। उससे बातें होने लगी और खुल कर होने लगी. उसका भी पापा फौज में है और उसकी मम्मी अकेली घर में रहतीं हैं। उसने बताया की यार मेरी मम्मी तो पराये मर्दों से चुदवाती है. मैंने उसे कई बार देखा है। अब मैं भी जवान हूँ। मेरी उम्र २१ साल की है। मैं जब जब उसकी चुदाई देखती थी तो मेरी चूत बुरी तरह चुदासी हो जाती थी. मुझे भी लण्ड की जरुरत महसूस होती थी। मैं कब तक ऊँगली पेल पेल कर अपनी चूत का कबाड़ा करती ? इसलिए मैंने कॉलेज के लड़कों को पटाना शुरू किया और उनके लण्ड चूसने लगी। लण्ड सड़का मार मार कर पीने लगी और फिर एक दिन लण्ड पेल कर चुदवा भी लिया। फिर २/३ बार और चुदवाया तो मैं थोड़ा बोल्ड हो गई। बेशरम हो गयी। मैंने फिर ठान लिया की आज अगर मेरी मम्मी ने किसी और से चुदवाया तो मैं उसका भोसड़ा फाड़ दूँगी। हुआ भी यही। वह सच चुदवाने लगी। मैं पहले तो थोड़ी देर तक देखती फिर एकदम से घुस गयी कमरे में।
मैंने कहा - ये क्या हो रहा है मम्मी जी ? वह बोली - तू यहाँ क्यों आ गई ? तू जा अपने कमरे में मुझे डिस्टर्ब न कर ? मैंने कहा - नहीं मैं नहीं जाऊंगी ? मैं यहीं रहूंगी। वह बोली - तो तू क्या करेगी यहाँ रह कर ? मैं तो अंदर से भरी हुई थी। मैंने कहा - मैं भी लण्ड अपनी चूत में पेलूँगी। मैं भी तुम्हारी तरह चुदवाऊंगी। वह बोली - इतना बड़ा लण्ड जायेगा तो तेरी चूत फट जाएगी, बरखा। मैंने कहा - अगर तुम मुझे चुदवाने नहीं दोगी तो मैं अभी तेरा भोसड़ा फाड़ डालूंगी। मैंने आज पहली बार तुम्हे पराये मर्द से चुदवाते हुए नहीं देखा बल्कि मैं तो कई बार तुम्हे चुदवाते हुए देख चुकी हूँ। हर बार एक नया लण्ड दिखाई पड़ता है। मैं तुम्हारी करतूत जान गयी हूँ मम्मी जी. तुम्हारी पोल पट्टी सब मेरे आगे खुल चुकी है ? अब मैं नहीं रुक सकती। तब वह बोली - तेरी माँ की चूत ? ले पेल ले लण्ड अपनी चूत में फिर मुझसे मत कहना उई माँ मेरी चूत फट गई। मैंने फिर सच में पेला लण्ड अपनी चूत में और खूब मस्ती से चुदवाया।
उस दिन से मम्मी मेरी दोस्त हो गयी और अब मैं उसका भोसड़ा रोज़ फाड़ती हूँ और वह मेरी बुर फाड़ती है। बरखा की बात मेरे दिल को छू गयी और में मन में कहा की अब मैं भी मम्मी को सबक सिखाऊंगी। दो दिन बाद मुझे भी मौक़ा मिल गया। उस दिन कोई और नहीं बल्कि मेरा मौसा नंगा नंगा लेटा था मम्मी के पास और मम्मी भी मादर चोद बिलकुल नंगी थीं। मम्मी मौसा का लण्ड चाट रहीं थीं और मौसा मम्मी की बुर चाट रहा था। दोनों को 69 की पोजीशन में देख कर मेरी झांटें सुलगने लगीं। मैंने मन में कहा मम्मी को यह नहीं पता है की उसकी बेटी भी घर में है। वह भी जवान है। उसकी भी चूत है। उसकी भी चूत में आग है। उसे भी लण्ड की जरुरत है। ये कैसे मम्मी है जो अपनी बेटी की जरुरत नहीं समझ रही है बहन चोद ? मैं फिर बेधड़क कमरे में घुस गई। मुझे लगा की मम्मी अब मुझे खूब डाँटेगीं पर हुआ बिलकुल उलटा। वह मुझे देख कर बोली अरी मेघना कहाँ थी तू अब तक ? आ इधर मेरे पास।
मैं आगे बढ़ी तो मम्मी ने मुझे लण्ड दिखाते हुए कहा बेटी लो अपने मौसा का लण्ड चाटो। अब तुम जवान हो गई हो। लण्ड का मज़ा लेना शुरू कर दो। शर्माने की जरुरत नहीं है। मैंने थड़ा शर्माने का नाटक किया तो वह बोली - अरी मेरी बुर चोदी मेघना, तेरी माँ का भोसड़ा ? इस समय न मैं तेरी माँ हूँ और न तू मेरी बेटी। अब तू मेरी दोस्त है। मैं तेरी मादर चोद सुनीता हूँ और तू मेरी बुर चोदी मेघना है . उसने मेरी शर्म ख़तम कर दी और मुझे एकदम बेशर्म बना दिया। वह बोली मेघना चुदाई में बेशर्म होना जरुरी है बेटी और बोल्ड बनना जरुरी है। बोल्ड बनने के लिए तुझे सबसे पहले गालियां देना आना चाहिए। उसने ऐसा कह कर मेरे कपड़े उतार दिया। मैं भी उसकी तरह नंगी हो गई और मौसा का लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने फिर लण्ड चूमा, चाटा और मुंह में डाल कर लण्ड का सुपाड़ा चूसने लगी।
इतने में किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मम्मी ने दरवाजा खोला। वह थोड़ी देर में एक आदमी का लण्ड पकड़े[पकडे मेरे सामने आ गई और कहा लो मेघना इसे देखो ये तेरे मौसा का दोस्त है आशीष। इसका भी लण्ड पकड़ कर देखो। मैं फ़ौरन लण्ड पकड़ लिया और फिर हम दोनों मिलकर दोनों लण्ड चाटने लगीं । कभी मम्मी मेरे मुंह में लण्ड घुसेड़ती और कभी मैं उसके मुंह में। अब वह पूरी तरह मेरी दोस्त बन चुकी थीं। मैं तो बहुत ही उत्तेजित थी। मैंने चुपके से मम्मी के भोसड़ा पर हाथ रखा तो वह भठ्ठी की तरह जल रहा था। मैंने आशीष का लण्ड उस पर रखा और उसकी गांड पर हाथ रख कर दबा दिया तो लण्ड गप्प से अंदर घुस गया। मैं अपनी मम्मी का भोसड़ा चुदवाने लगी। उसी समय मम्मी ने भी मौसा का लण्ड मेरी चूत में पेल दिया तो मैं भी मस्ती से धकाधक चुदवाने लगी। यह मेरा पहला मौक़ा था जब की मैं मम्मी के साथ चुदाई का मज़ा लूट रही थी। मैंने मन ही मन सोंच लिया मैं अपने दोस्तों के लण्ड मम्मी के भोसड़ा में पेलूँगी। फिर मैंने भी मौसा से खूब चुदवाया और उसके दोस्त से भी। मम्मी मस्ती से बोली - देख मेघना कितनी मस्ती से चुद रहा है मेरी माँ का भोसड़ा ? मैंने भी चुदवाते हुए कहा - तुम भी देखो मम्मी कितनी मस्ती से चुद रही है तेरी बुर चोदी बिटिया की बुर और अब आगे भी इसी तरह चुदती रहेगी भोसड़ी वाली।
एक दिन मेरी बुआ की बेटी काजल आ गई। वह शादी शुदा है। उसी समय मेरे मामा की बेटी राधा भी आ गयी। उसकी भी शादी हो चुकी है। हम तीनो बैठी हुई बातें करने करने लगीं। बस थोड़ी ही देर में बातें लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा और चोदा चोदी तक पहुँच गई।
- काजल बोली - यार मैं जब ससुराल गयी तो कुछ ही दिनों में मेरी नन्द मेरी दोस्त बन गयी। वह ससुरी बहुत बड़ी चुदक्कड़ है। उसने कई लड़कों से मेरी बुर चुदवाई। मुझे बड़ा मज़ा आया। फिर एक दिन वह बोली भाभी जी मैं तो अपनी माँ का भोसड़ा भी चुदवाती हूँ। मैं बोली अरे वाह तू तो बिलकुल मेरी ही तरह है मैं भी अपनी माँ चुदवाती हूँ।
- राधा ने कहा - यार आजकल ये कोई नई बात नहीं है। मेरी तीन सहेलियां है और तीनो बुर चोदी अपनी माँ चुदवाती हैं।
- मैंने पूंछा तो क्या तू भी अपनी माँ चुदवाती है भोसड़ी वाली।
- वह बोली - क्यों नहीं चुदवाती ? बिलकुल चुदवाती हूँ। मेरी मम्मी बुर चोदी बड़ी मस्त होकर गैर मर्दों से चुदवाती है। भी एक दिन अपने बॉय फ्रेंड का लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
- काजल बोली - अच्छा तो मैं किसी दिन तेरी माँ का चोदूँगी, राधा ।
- मैंने कहा - यार किसी दिन क्यों ? आज ही चोदो न इसकी माँ की चूत ? तो सबको मज़ा आये।
- काजल मस्ती में बोली - यार आज सबकी माँ का भोसड़ा चोदना नहीं फाड़ना है। मैं तो तुम दोनों की माँ का भोसड़ा फाड़ूंगी।
- तब मैं और राधा भी बोली - मैं भी तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ूंगी काजल और सबकी माँ का भोसड़ा भी।
मेरी मम्मी विकी का लण्ड चाटने लगीं। काजल की मम्मी गोपी का लण्ड चाटने लगी और राधा की मम्मी अरुण और टोनी का लण्ड बारी बारी से चाटने लगीं। मैं काजल की मम्मी के साथ लण्ड चाटने लगी, काजल राधा की मम्मी के साथ लण्ड चाटने लगी और राधा मेरी मम्मी के साथ लण्ड चाटने लगी। मैं कभी गोपी के लण्ड का सुपाड़ा चाटती तो रीता आंटी उसके पेल्हड़ और जब मैं पेल्हड़ चाहती तो वह लण्ड का सुपाड़ा। इसी तरह काजल भी करती और राधा भी। हम सबको एक दूसरे की मम्मी के साथ लण्ड चाटने में मज़ा आने लगा। फिर मैंने गोपी का लण्ड काजल की मम्मी के भोसड़ा में पेल दिया और चुदवाने लगी उसका मस्ताना भोसड़ा। वह भी बड़े मजे से गोपी के लण्ड का मज़ा लेने लगी। उधर काजल ने राधा की मम्मी के भोसड़ा में अरुण का लण्ड पेल दिया और टोनी का लण्ड उसके मुंह में। उसकी मम्मी दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी। राधा ने मेरी मम्मी के भोसड़ा में विकी का लण्ड घुसेड़ दिया। वह भी पेल्हड़ सहलाती हुई मेरी माँ का भोसड़ा फड़वाने लगी। हम तीनो एक दूसरे की माँ का फड़वाने में जुट गईं। फिर हंसी मजाक भी होने लगी।
मैंने कहा - देख काजल मैं तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ रही हूँ। किसी दिन तेरी भी बुर फाड़ूंगी।
काजल बोली - मैं तो राधा की माँ का भोसड़ा फाड़ रही हूँ। राधा की बुर में अपंने मियां का लण्ड पेल कर उसकी भी बुर फाड़ डालूंगी।
राधा बोली - तो क्या मैं अपनी झांटें गिनूँगी बैठे बैठे। मैं तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ूंगी और तेरी बुर चोदी बुर की धज्जियाँ उड़ा दूँगी। अपने ससुर का लण्ड पेलूँगी तेरी चूत में और मेघना की बुर में भी।
मैंने कहा - पहले तू अपने मियां का ही लण्ड पेल दे मेरी चूत में. ससुर का लण्ड बाद में पेल देना।
उधर मेरी मम्मी ने काजल की मम्मी से कहा - अरी मेरी नन्द रानी देख, आजकल तो बेटियां बड़ी मस्ती से फड़वाती है अपनी माँ का भोसड़ा ? इसी तरह हम सब एन्जॉय करती हुई चुदाई का मज़ा लेने लगीं।
दूसरी पारी ने इन मम्मियों ने लण्ड हम सब बेटियों की बुर में घुसेड़ दिया। फिर मम्मियां चुदवाने लगी एक दूसरे की बिटिया की बुर।
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Tags: बेटियां फड़वातीं हैं माँ का भोसड़ा - Betiyan karvati hai apni Maa ki chudai , बेटी ही चुदवाती है माँ की चूत गांड , माँ को देती है रोज नए लंड , बेटियां खुद चुदकर माँ के लिए बड़ा और मोटा लौड़ा खोजकर लाती है.
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