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आर्मी अफ़सर से चूत चुदवाई - Army Officer Se Chut Bur gand Chudwai
आर्मी अफ़सर से चूत चुदवाई - Army Officer Se Chut Bur gand Chudwai , आर्मी अफ़सर से चुदने का मौका , Army Aafisar Se Chudne Ka Mauka , वर्जिन आर्मी-चोदा-चुदाई , Virgin Army Choda Chudai , मिलिट्री के जवान से हुई चूत में ठुकाई , Army officer sex , Army officer fucking , चूत की चुदाई.
दोस्तो, मेरा नाम नीतू पाटिल है.. मैं महाराष्ट्र से हूँ और कॉलेज की स्टूडेंट हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 4 इंच है और मैं अभी 21 साल की हूँ। मेरा फिगर 32-24-28 का है और रंग गोरा है।
जो घटना आज सुनाने जा रही हूँ.. तब मैं कॉलेज के दूसरे वर्ष में थी। कॉलेज के एग्जाम खत्म हो गए थे और एक महीने की छुट्टियाँ थीं, तो मैंने हॉस्टल से घर जाने की सोची।
इस वक्त ट्रेवलिंग सीजन चल रहा था इसलिए ट्रेन की कन्फर्म बुकिंग नहीं मिल रही थी। मेरी सारी सहेलियां घर जा चुकी थीं पर मेरे जाने के दिन भी मेरी टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी और मुझे RAC में बर्थ शेयर करना पड़ा।
ट्रेन का टाइम भी रात को 10 बजे का था। मैंने हॉस्टल से स्टेशन तक ऑटो की, उस दिन मैंने लॉग स्कर्ट और स्लीवलेस टी-शर्ट पहनी हुई थी।
ट्रेन आने के बाद मैं अपने बर्थ पर बैठ गई। आरएसी की बर्थ साइड लोअर होती हैं.. और इस बर्थ पर मेरे साथ जो महिला ट्रेवल करने वाली थी, वो अपने पति के साथ आई हुई थी।
ऐन मौके पर उसने अपनी बर्थ एक्सचेंज कर ली। अब वो अपने पति की बर्थ पर चली गई और मेरे बर्थ पर एक लड़के को भेज दिया।
जब मैंने उसको देखा तो बस देखती ही रह गई वो एक मिलिट्री अफसर था। उसकी उम्र लगभग 24-25 की होगी। वो युवक लम्बा और हैंडसम था।
उसने मुझे ‘हाय..’ कहा.. मैंने भी उसे ‘हाय..’ कहा।
उसने अपना सब सामान एडजस्ट करके रखा और बैठ गया।
करीब 15-20 मिनट तक तो बस हम दोनों एक-दूसरे को चोरी-छुपे ही देखते रहे। फिर उसने बात करना चालू किया। पहले उसने मेरा नाम पूछा और अपना नाम नितिन बताया।
फिर उसने मुझसे मेरे होमटाउन के बारे में पूछा.. मेरे कॉलेज के बारे में पूछा। इस तरह बातचीत शुरू हो गई। टीसी भी टिकट चैक करके चला गया।
सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे, सिर्फ हम दोनों ही बातें कर रहे थे। वो अपने मिलिट्री के किस्से सुना रहा था और मैं अपने कॉलेज के किस्से बता रही थी।
धीरे-धीरे हम एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो रहे थे।
फिर बातचीत थोड़ी पर्सनल होती चली गई। वो बीच-बीच में नॉनवेज जोक्स और किस्से सुनाने लगा। मैं बस उन्हें सुनकर हँस देती थी। रात होते ही ठण्ड बढ़ने लगी.. तो मैंने अपना ब्लैंकेट अपने पैरों पर ओढ़ लिया।
उसके पास कोई ब्लैंकेट नहीं था.. तो मैंने भी उसे रिक्वेस्ट की कि वो भी ब्लैंकेट से अपने पैर ढक ले।
उसने मेरी बात मानते हुए अपने पैर भी मेरी ब्लैंकेट में डाल दिए।
अब बात करते टाइम कभी-कभी हमारे पैर एक-दूसरे को टकरा जाते थे.. पर मैं कुछ नहीं बोलती थी।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने बात करते-करते ब्लैंकेट के नीचे मेरे पैरों पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे सहलाने लगा। इसी के साथ हम दोनों ने बातें करना भी जारी रखा।
मेरे तरफ से कुछ भी विरोध न पाते देख उसने हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसका कर मेरे नंगे टाँगों को घुटनों तक सहलाना चालू कर दिया।
मेरा तो मन कर रहा था कि जाऊँ और उसकी गोद में बैठ जाऊँ.. पर ट्रेन में हम उतना ही कर सकते थे।
फिर उसने अपना पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में मेरे स्कार्ट के अन्दर डाल कर सीधा मेरी चूत तक ले आया। मैंने डर कर इधर-उधर देखा कि कोई देख न ले। लेकिन सब लोग सो रहे थे।
फिर वो अपने अंगूठे से मेरी चुत को मेरी पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा, वो मुझे लगातार देखते हुए मेरी चुत सहला रहा था।
मैंने उत्तेजना में अपनी आंखें बंद कर लीं और थोड़ी ही देर में मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया, मैंने हाँफते हुए उसके अंगूठे को पकड़ लिया और उसको रुकने को इशारा किया।
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।
फिर मैंने थोड़ा सोच कर उसका पैर मेरी स्कर्ट में से हटा दिया.. यह देख कर वो नाराज हो गया। मैं वहाँ से उठकर बाथरूम की तरफ चली गई और उसकी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई।
मेरा इशारा समझते ही वो मेरे पीछे-पीछे बाथरूम में आ गया और दरवाजे का लॉक लगा दिया।
अब उसने मुझे गले लगा लिया। हम दोनों किस करने लगे। वो मेरी गांड को कपड़ों के ऊपर से सहला रहा था और दबा रहा था। थोड़ी देर किस करने के बाद उसने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और मुझे घुमा कर मेरी पीठ और नेक पर किस करने लगा। फिर वो अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और जोर-जोर से सांस ले रही थी। उसका लंड मुझे कपड़ों के ऊपर से ही मेरी गांड की दरार में महसूस हो रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा का हुक खोला ओर मेरी ब्रा भी उतार दी। फिर मुझे अपनी तरफ घुमा के मेरे निप्पलों को बारी-बारी चूसने लगा। मैं तो पागल होने लगी थी और अपने हाथों से उसके बाल पकड़ कर उसका सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी।
वो एक निप्पल अपने होंठों में लेकर चूसता.. तो दूसरे को अपने हाथों से दबा देता। मेरी तो सिसकारियां उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकलने लगी थीं।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा स्कर्ट मेरी पैंटी के साथ ही निकाल दिया और मुझे पूरा नंगी कर दिया, उसने मुझे उठा कर मुझे वाशबेसिन पर बिठा दिया और खुद घुटनों पर बैठ गया। अब उसने मेरी टांगें चौड़ी करते हुए मेरी जांघों को किस करते हुए धीरे-धीरे मेरी चुत तक पहुँच गया, फिर उसने धीरे से मेरी क्लिट को अपने मुँह में भर लिया और चूसना चालू कर दिया।
मेरे मुँह से एक तेज ‘आहह..’ निकल गई।
उसने दोनों हाथ ऊपर करके मेरे मम्मों को दबाते हुए मेरी क्लिट को चबाना चालू रखा। मैं यह सहन नहीं कर पाई और जोर से उसके बाल खींचते हुए अपना पानी छोड़ दिया। उसने बिना रुके मेरा सारा पानी चाट लिया और अपनी जीभ की नोक से मेरी चुत को चोदने लगा।
मेरी हालात खराब होती जा रही थी, वो मेरे मम्मों को दबाता जा रहा था और मेरी चुत को जीभ से चोदे जा रहा था।
कुछ ही पलों में मेरी चुत उसकी जीभ के सामने फिर से हार गई और मैं तीसरी बार झड़ गई।
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फिर मैंने उसको खड़ा किया और बेसिन से उतर गई, अब मैं उसको किस करने लगी, फिर उसके शर्ट के बटन खोलते हुए उसके सीने पर हाथ फेरने लगी।
उसने अपनी शर्ट को निकाल दिया, मैं उसके सीने पर किस करते हुए उसके निप्पल को दाँतों में लेकर काटने लगी और चूसने लगी। वो भी पागलों की तरह मेरे मम्मों और गांड को दबा रहा था।
फिर धीरे-धीरे मैं किस करते-करते नीचे जाने लगी और अपने घुटनों के बल बैठ गई। वो मेरा इशारा समझ गया और उसने अपनी पैंट खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मैंने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और हाथों से मुठ मारने लग गई और मैं दूसरे हाथ से उसके बॉल्स से खेल रही थी। मैंने उसकी ओर देखा तो उसने मुझे लंड चूसने का इशारा किया, मैंने भी मुस्कुराते हुए उसके लंड के सुपारे को किस किया और जीभ से उसके लंड को पूरा चाट लिया।
फिर मैंने उसके लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी, मैं कभी लंड को चूसती.. कभी जीभ से चाटती.. कभी उसके लंड की गोटियों को चाटती और एक हाथ से अपनी चुत सहलाती जाती।
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उसने मेरे सिर को जोर से पकड़ लिया और जोर से अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। मैं समझ गई कि वो झड़ने के करीब है।
थोड़ी ही देर में उसने मेरे मुँह में ही अपना पानी निकाल दिया और जोर-जोर से हाँफने लगा। मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर लिया और पानी से अपना मुँह साफ़ कर लिया।
उसने मुझे अपना लंड चूस कर खड़ा करने को बोला ताकि वो मुझे चोद सके लेकिन मैंने उसको मना कर दिया।
हमको बाथरूम में आए हुए बहुत टाइम हो गया था, फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए। पहले वो बाहर चला गया.. थोड़ी देर बाद मैं भी अपने बर्थ पर वापस आ गई।
अब हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
फिर हमने थोड़ी देर बातें की एक-दूसरे का मोबाइल नंबर लिया और सो गए। मेरा स्टेशन आने से दो घंटे पहले हम वापस बाथरूम में गए। मैंने फिर से उसके लंड को चूसा। उसने मेरी चुत को चूसा और हम दोनों झड़ गए। उस दिन के बाद हम हर रात फ़ोन पर बात करते हैं और जल्द ही मिलने के बारे में सोच रहे हैं।
कुछ दिन बाद हमने मिलने का प्लान बनाया, हमने एक जगह फिक्स की जो मेरे कॉलेज से 150 किलोमीटर दूर थी, जहां हम दोनों को कोई भी नहीं पहचानता था.
उस दिन मैंने लाल रंग का एक वन पीस ड्रेस पहन रखा था जो मेरे घुटनों तक लंबा था और उसमें मेरे गोरे पैर सबको दिखते थे, मैंने गले में एक नेकलेस पहन रखा था जो मेरे ड्रेस के साथ अच्छा लग रहा था और कानों में इयरिंग्स पहनी हुई थी.
मैं अपने हॉस्टल से निकली और दोपहर बाद करीब चार बजे उस जगह पर पहुंची, वो पहले से अपनी कार लेकर वहां पहुंचा हुआ था, हमने एक दूसरे को देखा फिर हाथ मिला कर हाई बोला, फिर उसने मेरे लिए अपने गाड़ी का दरवाजा खोला और मैं गाड़ी में बैठ गई.
दो-तीन घंटे हम वहां घूमे फिरे, कुछ प्लेसेस देखे, फिर एक रेस्ट्रोरेंट में जाकर खाना खाया.
तब हम होटल की तरफ निकले, नितिन ने पहले से ही एक रूम बुक किया था, रिसेप्शन से चाबी लेकर हम सीढ़ी से हमारे रूम की तरफ निकले, नितिन ने दरवाजा खोल दिया और हम दोनों अंदर चले गए, उसने दरवाजा लॉक किया और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा.
मैं घूमती हुई उसकी बाहों में चली गई, उसने अपने दोनों हाथों से मुझे उठाया और बेड की तरफ चल पड़ा, उसने मुझे हल्के से बेड पर लिटा दिया, मैं उसकी तरफ वासना भरी निगाहों से देखने लगी.
उसने मेरे ऊपर आते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए, मेरे होंठ उसके होंठों के स्पर्श से थरथरा उठे, नितिन उठ खड़ा हुआ, उसने अपना जैकेट निकाल दिया, अपनी घड़ी निकाली और अपने शर्ट की बाजू के बटन खोल दिए, मैं खड़ी होकर उसके पास गई और उसकी शर्ट के बटन एक एक करके खोलने लगी.
वो भी मेरी तरफ प्यासी निगाहों से देख रहा था, मैंने उसकी शर्ट के सारे बटन निकाल दिए और शर्ट को साइड पर रख दिया और उसके सीने पर किस करने लगी, उसके सीने को चूमते हुए मैंने उसकी बेल्ट खोली और पैंट के हुक को खोल कर पैंट नीचे सरका दी, अब वो सिर्फ अपनी अंडरवीयर में था.
मेरे नाजुक हाथों के स्पर्श से वो मचल उठा था, उसने मुझे कस के गले लगाया, मेरे चुचे उसके सीने में गड़ गये, मैं भी बहुत उत्तेजित हो गई थी.
वह वैसे ही मुझे पलंग के पास ले गया और मुझे पलंग पर बिठाया, मेरे पैर पलंग से नीचे झूल रहे थे.
नितिन मेरे सामने बैठा, मेरे पैर ऊपर उठा कर मेरे पैरों से सैंडल निकाल दिए, मेरे गोरे पैरों को देख कर उससे रहा नहीं गया और वो मेरे पैरों को चूमने लगा, वो मेरे तलवों को भी चूम रहा था,
वो मेरे तलवो पे उंगलियों से गुदगुदी करने लगा, गुदगुदी की वजह से मैं मेरा पैर इधर उधर हिलाने लगी, घुटनों तक की ड्रेस की वजह से उसकी नजर मेरी जांघों पर पड़ी, वो धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर सरकाते हुए मेरे पैरों को घुटनों तक सहलाने लगा.
मर्दाना स्पर्श से मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, मैं कुछ विरोध ना करते हुए उस पल का मजा ले रही थी, वो सेक्स मैं एक निपुण खिलाड़ी के तरह मुझे उत्तेजित कर रहा था.
उसने मेरे बगल में हाथ डाल कर मुझे खड़ा किया और नीचे बैठते हुए मेरी ड्रेस को पकड़ा और ऊपर उठाते हुए मेरे शरीर से अलग कर दिया, मैंने भी अपने हाथ ऊपर उठा कर ड्रेस निकालने में उसकी मदद की.
वो थोड़ा पीछे हुआ और मेरे गोरे शरीर को निहारने लगा, वो मेरे पैरों को घुटनों तक नंगा देख चुका था, अब वो मेरी नंगी जांघें, नाजुक कमर को देख रहा था, मेरे सफ़ेद पेट, गहरी नाभि देख रहा था.
मैंने उस दिन काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मेरे गोरे गले पे वो नेकलेस चमक रहा था, वो मुझे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था, मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी.
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गया और मेरे पेट पर किस करने लगा, धीरे धीरे ऊपर सरकते हुए वो मेरे चुचों के पास पहुंचा, फिर उसने हाठ मेरे पीछे पीठ पर ले जाते हुए मेरी ब्रा के हुक को खोला और ब्रा निकाल दी, मेरे गोरे स्तन उसके सामने नंगे हो गए, वो मेरे ब्राउन ऐरोला को, खड़े हुए निप्पल्स को देख रहा था, मेरे दायें ऐरोला के पास के तिल पर उसकी नजर पड़ी, तो उसने पहले मेरे तिल को चूमा फिर अपने होंठों को मेरे ऐरोला पर घुमाया, फिर मेरे निप्पल को धीरे से काटा, ये सब उसने इतने नजाकत से किया कि दर्द होने के बजाय मैं और चुदासी हो गई.
फिर वो अपनी जीभ से मेरे निप्पल्स को छेड़ते हुए मेरे एक एक निप्पल बारी बारी चूसने लगा, मेरा हाथ अब उसके बालों में घूमने लगा था और मेरी आँखें सेक्स के नशे में बंद हो गई थी, उसने निप्पलों को चूसना छोड़ दिया और वापस किस करता हुआ मेरे पेट तक पहुंचा, फिर उसने अपनी उंगलियों को मेरे पेंटी की इलास्टिक में फंसाया और धीरे से मेरी पेंटी को उतार दिया.
उसका सर बिल्कुल मेरी चुत के पास था, मेरी चुत की खुशबू उसे मदहोश कर रही थी, मैंने अपनी गोरी चुत को सुबह ही शेव किया था, मेरे चुत के होंठ अब गीले हो गए थे, नितिन ने मेरे नीचे के होंठों पर अपनी नाक को रगड़ा, तो मेरी चुत ने अपने आप ही पंखुड़ियों को खोल कर बंद किया, मेरी चुत की खुशबू फिर एक बार उसके नथुनों में भर गई, उसकी निक्कर में अब एक बड़ा सा टेन्ट बना हुआ था.
उसने मेरी चुत को हल्के से चूमा और फिर धीरे से पंखुड़ियों को अलग किया और मेरे क्लिट को अपनी जीभ से छुआ, मेरा तन बदन सिहर उठा और मेरे मुख से ‘आह…उम्म्ह… अहह… हय… याह… ‘ निकल गया.
मैंने अपने दांतों तले मेरे निचले होंठ को दबाया हुआ था, वो अपने थूक से मेरी क्लिट को गीला कर रहा था, मैंने अपने हाथों से उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चुत पर दबाने लगी, वो भी अपनी जीभ से मेरी क्लिट को मसल रहा था.
उसने अपनी उंगली मेरी चुत में घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा, थोड़ी ही देर बाद मैं झड़ गई, वो लपालप मेरी चुत का रस पिए जा रहा था.
मैं थक कर पलंग के किनारे पैर पसार कर बैठ गई, वो आगे आकर फिर से मेरी चुत चाटने लगा, मैंने भी उसका सिर पकड़कर मेरे चुत पे दबाया और इशारे से ही मुझे और चाहिए बताया.
उसने फिर से दो उंगलियाँ मेरी चुत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा, मैं उसके वार सहन नहीं कर सकी और मेरा बदन अकड़ने लगा, मैंने अपने पैर भींच लिए पर उसका काम बिना रुके चालू था, मैं पीछे लेट के फिर से झड़ने का मजा लेने लगी, मेरे पैर अभी भी पलंग के नीचे थे.
नितिन खड़ा हो गया, उसने अपनी निकर निकाल दी, फिर मेरी टांगों के बीच आकर उसने मेरी चुत पर अपना लंड रखा और अपने लंड से मेरी चुत को मसलने लगा, फिर धीरे से अपना सुपारा मेरी चुत के अंदर घुसा दिया.
मेरी टाइट चुत वैसे भी बहुत पानी छोड़ रही थी तो उसे कोई दिक्कत नहीं हुई.
उसने फिर एक धक्का मार कर अपना आधा लंड अंदर घुसेड़ दिया, उसने अपने उंगली से मेरी क्लिट को छेड़ा तो मेरी चुत फिर से गीली होने लगी, उस गीलेपन की मदद से उसने एक ही धक्के में अपना बाकी लंड अंदर घुसेड़ दिया.
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वो खड़े खड़े ही मेरी चुत में धक्के लगा रहा था, उसके लंड के घर्षण से मेरी चुत धीरे धीरे पानी छोड़ रही थी और वो पानी बह कर बेड पर गिर रहा था, मैं भी अपनी आँखें बंद करके चुदाई का मजा ले रही थी, उसके जोर के धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था.
उसकी नजर मेरी चुची पर अटकी हुई थी, चूसने के वजह से मेरे निप्पल उभर आये थे हल्की सी रोशनी में मेरी गोरी चुची चमक रही थी, मेरे बदन का हिलना, बीच बीच में रोंगटे खड़े होना, मेरी उत्तेजना को दर्शा रहा था.
उसने मेरे पैरों को पकड़ा, खुद थोड़ा नीचे झुका, मेरे पैर अपने कंधों पर रख दिए, उसने उसी पोजीशन में धक्के देने चालू रखा, उसने अपना सिर नीचे लेते हुए मेरा एक निप्पल अपने होंठों में पकड़ा और चूसने लगा, अपनी जीभ से मेरे निप्पल को छेड़ने लगा.
उसके धक्के तेज होने लगे थे, उसका शरीर अकड़ने लगा था, वो झड़ने के बहुत करीब था, और फिर उसने अपना गर्म गर्म लावा मेरी चुत में छोड़ दिया, मैं भी बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसके साथ ही झड़ गई, उसने थोड़े धक्के और लगाये, फिर मेरे पैर अपने कंधों से नीचे ला कर मेरे ऊपर ढेर हो गया.
हम दोनों को थकान की वजह से कब नींद लगी, पता ही नहीं चला.
रात में हमने फिर एक बार सेक्स किया और नंगे ही एक दूसरे के बाहों में लेट गए, नितिन ने उस रात मुझे पूरी संतुष्ट कर दिया.
सुबह हमने साथ नाश्ता किया और उसने मुझे बस स्टॉप पे छोड़ दिया, उसके बाद वो अपनी ड्यूटी पर चला गया.
और हमारी फिर कभी मुलाकात नहीं हुई.
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जो घटना आज सुनाने जा रही हूँ.. तब मैं कॉलेज के दूसरे वर्ष में थी। कॉलेज के एग्जाम खत्म हो गए थे और एक महीने की छुट्टियाँ थीं, तो मैंने हॉस्टल से घर जाने की सोची।
इस वक्त ट्रेवलिंग सीजन चल रहा था इसलिए ट्रेन की कन्फर्म बुकिंग नहीं मिल रही थी। मेरी सारी सहेलियां घर जा चुकी थीं पर मेरे जाने के दिन भी मेरी टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी और मुझे RAC में बर्थ शेयर करना पड़ा।
ट्रेन का टाइम भी रात को 10 बजे का था। मैंने हॉस्टल से स्टेशन तक ऑटो की, उस दिन मैंने लॉग स्कर्ट और स्लीवलेस टी-शर्ट पहनी हुई थी।
ट्रेन आने के बाद मैं अपने बर्थ पर बैठ गई। आरएसी की बर्थ साइड लोअर होती हैं.. और इस बर्थ पर मेरे साथ जो महिला ट्रेवल करने वाली थी, वो अपने पति के साथ आई हुई थी।
ऐन मौके पर उसने अपनी बर्थ एक्सचेंज कर ली। अब वो अपने पति की बर्थ पर चली गई और मेरे बर्थ पर एक लड़के को भेज दिया।
जब मैंने उसको देखा तो बस देखती ही रह गई वो एक मिलिट्री अफसर था। उसकी उम्र लगभग 24-25 की होगी। वो युवक लम्बा और हैंडसम था।
उसने मुझे ‘हाय..’ कहा.. मैंने भी उसे ‘हाय..’ कहा।
उसने अपना सब सामान एडजस्ट करके रखा और बैठ गया।
करीब 15-20 मिनट तक तो बस हम दोनों एक-दूसरे को चोरी-छुपे ही देखते रहे। फिर उसने बात करना चालू किया। पहले उसने मेरा नाम पूछा और अपना नाम नितिन बताया।
फिर उसने मुझसे मेरे होमटाउन के बारे में पूछा.. मेरे कॉलेज के बारे में पूछा। इस तरह बातचीत शुरू हो गई। टीसी भी टिकट चैक करके चला गया।
सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे, सिर्फ हम दोनों ही बातें कर रहे थे। वो अपने मिलिट्री के किस्से सुना रहा था और मैं अपने कॉलेज के किस्से बता रही थी।
धीरे-धीरे हम एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो रहे थे।
फिर बातचीत थोड़ी पर्सनल होती चली गई। वो बीच-बीच में नॉनवेज जोक्स और किस्से सुनाने लगा। मैं बस उन्हें सुनकर हँस देती थी। रात होते ही ठण्ड बढ़ने लगी.. तो मैंने अपना ब्लैंकेट अपने पैरों पर ओढ़ लिया।
उसके पास कोई ब्लैंकेट नहीं था.. तो मैंने भी उसे रिक्वेस्ट की कि वो भी ब्लैंकेट से अपने पैर ढक ले।
उसने मेरी बात मानते हुए अपने पैर भी मेरी ब्लैंकेट में डाल दिए।
अब बात करते टाइम कभी-कभी हमारे पैर एक-दूसरे को टकरा जाते थे.. पर मैं कुछ नहीं बोलती थी।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने बात करते-करते ब्लैंकेट के नीचे मेरे पैरों पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे सहलाने लगा। इसी के साथ हम दोनों ने बातें करना भी जारी रखा।
मेरे तरफ से कुछ भी विरोध न पाते देख उसने हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसका कर मेरे नंगे टाँगों को घुटनों तक सहलाना चालू कर दिया।
मेरा तो मन कर रहा था कि जाऊँ और उसकी गोद में बैठ जाऊँ.. पर ट्रेन में हम उतना ही कर सकते थे।
फिर उसने अपना पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में मेरे स्कार्ट के अन्दर डाल कर सीधा मेरी चूत तक ले आया। मैंने डर कर इधर-उधर देखा कि कोई देख न ले। लेकिन सब लोग सो रहे थे।
फिर वो अपने अंगूठे से मेरी चुत को मेरी पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा, वो मुझे लगातार देखते हुए मेरी चुत सहला रहा था।
मैंने उत्तेजना में अपनी आंखें बंद कर लीं और थोड़ी ही देर में मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया, मैंने हाँफते हुए उसके अंगूठे को पकड़ लिया और उसको रुकने को इशारा किया।
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।
फिर मैंने थोड़ा सोच कर उसका पैर मेरी स्कर्ट में से हटा दिया.. यह देख कर वो नाराज हो गया। मैं वहाँ से उठकर बाथरूम की तरफ चली गई और उसकी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई।
मेरा इशारा समझते ही वो मेरे पीछे-पीछे बाथरूम में आ गया और दरवाजे का लॉक लगा दिया।
अब उसने मुझे गले लगा लिया। हम दोनों किस करने लगे। वो मेरी गांड को कपड़ों के ऊपर से सहला रहा था और दबा रहा था। थोड़ी देर किस करने के बाद उसने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और मुझे घुमा कर मेरी पीठ और नेक पर किस करने लगा। फिर वो अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और जोर-जोर से सांस ले रही थी। उसका लंड मुझे कपड़ों के ऊपर से ही मेरी गांड की दरार में महसूस हो रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा का हुक खोला ओर मेरी ब्रा भी उतार दी। फिर मुझे अपनी तरफ घुमा के मेरे निप्पलों को बारी-बारी चूसने लगा। मैं तो पागल होने लगी थी और अपने हाथों से उसके बाल पकड़ कर उसका सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी।
वो एक निप्पल अपने होंठों में लेकर चूसता.. तो दूसरे को अपने हाथों से दबा देता। मेरी तो सिसकारियां उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकलने लगी थीं।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा स्कर्ट मेरी पैंटी के साथ ही निकाल दिया और मुझे पूरा नंगी कर दिया, उसने मुझे उठा कर मुझे वाशबेसिन पर बिठा दिया और खुद घुटनों पर बैठ गया। अब उसने मेरी टांगें चौड़ी करते हुए मेरी जांघों को किस करते हुए धीरे-धीरे मेरी चुत तक पहुँच गया, फिर उसने धीरे से मेरी क्लिट को अपने मुँह में भर लिया और चूसना चालू कर दिया।
मेरे मुँह से एक तेज ‘आहह..’ निकल गई।
उसने दोनों हाथ ऊपर करके मेरे मम्मों को दबाते हुए मेरी क्लिट को चबाना चालू रखा। मैं यह सहन नहीं कर पाई और जोर से उसके बाल खींचते हुए अपना पानी छोड़ दिया। उसने बिना रुके मेरा सारा पानी चाट लिया और अपनी जीभ की नोक से मेरी चुत को चोदने लगा।
मेरी हालात खराब होती जा रही थी, वो मेरे मम्मों को दबाता जा रहा था और मेरी चुत को जीभ से चोदे जा रहा था।
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मैंने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और हाथों से मुठ मारने लग गई और मैं दूसरे हाथ से उसके बॉल्स से खेल रही थी। मैंने उसकी ओर देखा तो उसने मुझे लंड चूसने का इशारा किया, मैंने भी मुस्कुराते हुए उसके लंड के सुपारे को किस किया और जीभ से उसके लंड को पूरा चाट लिया।
फिर मैंने उसके लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी, मैं कभी लंड को चूसती.. कभी जीभ से चाटती.. कभी उसके लंड की गोटियों को चाटती और एक हाथ से अपनी चुत सहलाती जाती।
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उसने मेरे सिर को जोर से पकड़ लिया और जोर से अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। मैं समझ गई कि वो झड़ने के करीब है।
थोड़ी ही देर में उसने मेरे मुँह में ही अपना पानी निकाल दिया और जोर-जोर से हाँफने लगा। मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर लिया और पानी से अपना मुँह साफ़ कर लिया।
उसने मुझे अपना लंड चूस कर खड़ा करने को बोला ताकि वो मुझे चोद सके लेकिन मैंने उसको मना कर दिया।
हमको बाथरूम में आए हुए बहुत टाइम हो गया था, फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए। पहले वो बाहर चला गया.. थोड़ी देर बाद मैं भी अपने बर्थ पर वापस आ गई।
अब हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
फिर हमने थोड़ी देर बातें की एक-दूसरे का मोबाइल नंबर लिया और सो गए। मेरा स्टेशन आने से दो घंटे पहले हम वापस बाथरूम में गए। मैंने फिर से उसके लंड को चूसा। उसने मेरी चुत को चूसा और हम दोनों झड़ गए। उस दिन के बाद हम हर रात फ़ोन पर बात करते हैं और जल्द ही मिलने के बारे में सोच रहे हैं।
कुछ दिन बाद हमने मिलने का प्लान बनाया, हमने एक जगह फिक्स की जो मेरे कॉलेज से 150 किलोमीटर दूर थी, जहां हम दोनों को कोई भी नहीं पहचानता था.
उस दिन मैंने लाल रंग का एक वन पीस ड्रेस पहन रखा था जो मेरे घुटनों तक लंबा था और उसमें मेरे गोरे पैर सबको दिखते थे, मैंने गले में एक नेकलेस पहन रखा था जो मेरे ड्रेस के साथ अच्छा लग रहा था और कानों में इयरिंग्स पहनी हुई थी.
मैं अपने हॉस्टल से निकली और दोपहर बाद करीब चार बजे उस जगह पर पहुंची, वो पहले से अपनी कार लेकर वहां पहुंचा हुआ था, हमने एक दूसरे को देखा फिर हाथ मिला कर हाई बोला, फिर उसने मेरे लिए अपने गाड़ी का दरवाजा खोला और मैं गाड़ी में बैठ गई.
दो-तीन घंटे हम वहां घूमे फिरे, कुछ प्लेसेस देखे, फिर एक रेस्ट्रोरेंट में जाकर खाना खाया.
तब हम होटल की तरफ निकले, नितिन ने पहले से ही एक रूम बुक किया था, रिसेप्शन से चाबी लेकर हम सीढ़ी से हमारे रूम की तरफ निकले, नितिन ने दरवाजा खोल दिया और हम दोनों अंदर चले गए, उसने दरवाजा लॉक किया और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा.
मैं घूमती हुई उसकी बाहों में चली गई, उसने अपने दोनों हाथों से मुझे उठाया और बेड की तरफ चल पड़ा, उसने मुझे हल्के से बेड पर लिटा दिया, मैं उसकी तरफ वासना भरी निगाहों से देखने लगी.
उसने मेरे ऊपर आते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए, मेरे होंठ उसके होंठों के स्पर्श से थरथरा उठे, नितिन उठ खड़ा हुआ, उसने अपना जैकेट निकाल दिया, अपनी घड़ी निकाली और अपने शर्ट की बाजू के बटन खोल दिए, मैं खड़ी होकर उसके पास गई और उसकी शर्ट के बटन एक एक करके खोलने लगी.
वो भी मेरी तरफ प्यासी निगाहों से देख रहा था, मैंने उसकी शर्ट के सारे बटन निकाल दिए और शर्ट को साइड पर रख दिया और उसके सीने पर किस करने लगी, उसके सीने को चूमते हुए मैंने उसकी बेल्ट खोली और पैंट के हुक को खोल कर पैंट नीचे सरका दी, अब वो सिर्फ अपनी अंडरवीयर में था.
मेरे नाजुक हाथों के स्पर्श से वो मचल उठा था, उसने मुझे कस के गले लगाया, मेरे चुचे उसके सीने में गड़ गये, मैं भी बहुत उत्तेजित हो गई थी.
वह वैसे ही मुझे पलंग के पास ले गया और मुझे पलंग पर बिठाया, मेरे पैर पलंग से नीचे झूल रहे थे.
नितिन मेरे सामने बैठा, मेरे पैर ऊपर उठा कर मेरे पैरों से सैंडल निकाल दिए, मेरे गोरे पैरों को देख कर उससे रहा नहीं गया और वो मेरे पैरों को चूमने लगा, वो मेरे तलवों को भी चूम रहा था,
वो मेरे तलवो पे उंगलियों से गुदगुदी करने लगा, गुदगुदी की वजह से मैं मेरा पैर इधर उधर हिलाने लगी, घुटनों तक की ड्रेस की वजह से उसकी नजर मेरी जांघों पर पड़ी, वो धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर सरकाते हुए मेरे पैरों को घुटनों तक सहलाने लगा.
मर्दाना स्पर्श से मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, मैं कुछ विरोध ना करते हुए उस पल का मजा ले रही थी, वो सेक्स मैं एक निपुण खिलाड़ी के तरह मुझे उत्तेजित कर रहा था.
उसने मेरे बगल में हाथ डाल कर मुझे खड़ा किया और नीचे बैठते हुए मेरी ड्रेस को पकड़ा और ऊपर उठाते हुए मेरे शरीर से अलग कर दिया, मैंने भी अपने हाथ ऊपर उठा कर ड्रेस निकालने में उसकी मदद की.
वो थोड़ा पीछे हुआ और मेरे गोरे शरीर को निहारने लगा, वो मेरे पैरों को घुटनों तक नंगा देख चुका था, अब वो मेरी नंगी जांघें, नाजुक कमर को देख रहा था, मेरे सफ़ेद पेट, गहरी नाभि देख रहा था.
मैंने उस दिन काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मेरे गोरे गले पे वो नेकलेस चमक रहा था, वो मुझे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था, मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी.
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गया और मेरे पेट पर किस करने लगा, धीरे धीरे ऊपर सरकते हुए वो मेरे चुचों के पास पहुंचा, फिर उसने हाठ मेरे पीछे पीठ पर ले जाते हुए मेरी ब्रा के हुक को खोला और ब्रा निकाल दी, मेरे गोरे स्तन उसके सामने नंगे हो गए, वो मेरे ब्राउन ऐरोला को, खड़े हुए निप्पल्स को देख रहा था, मेरे दायें ऐरोला के पास के तिल पर उसकी नजर पड़ी, तो उसने पहले मेरे तिल को चूमा फिर अपने होंठों को मेरे ऐरोला पर घुमाया, फिर मेरे निप्पल को धीरे से काटा, ये सब उसने इतने नजाकत से किया कि दर्द होने के बजाय मैं और चुदासी हो गई.
फिर वो अपनी जीभ से मेरे निप्पल्स को छेड़ते हुए मेरे एक एक निप्पल बारी बारी चूसने लगा, मेरा हाथ अब उसके बालों में घूमने लगा था और मेरी आँखें सेक्स के नशे में बंद हो गई थी, उसने निप्पलों को चूसना छोड़ दिया और वापस किस करता हुआ मेरे पेट तक पहुंचा, फिर उसने अपनी उंगलियों को मेरे पेंटी की इलास्टिक में फंसाया और धीरे से मेरी पेंटी को उतार दिया.
उसका सर बिल्कुल मेरी चुत के पास था, मेरी चुत की खुशबू उसे मदहोश कर रही थी, मैंने अपनी गोरी चुत को सुबह ही शेव किया था, मेरे चुत के होंठ अब गीले हो गए थे, नितिन ने मेरे नीचे के होंठों पर अपनी नाक को रगड़ा, तो मेरी चुत ने अपने आप ही पंखुड़ियों को खोल कर बंद किया, मेरी चुत की खुशबू फिर एक बार उसके नथुनों में भर गई, उसकी निक्कर में अब एक बड़ा सा टेन्ट बना हुआ था.
उसने मेरी चुत को हल्के से चूमा और फिर धीरे से पंखुड़ियों को अलग किया और मेरे क्लिट को अपनी जीभ से छुआ, मेरा तन बदन सिहर उठा और मेरे मुख से ‘आह…उम्म्ह… अहह… हय… याह… ‘ निकल गया.
मैंने अपने दांतों तले मेरे निचले होंठ को दबाया हुआ था, वो अपने थूक से मेरी क्लिट को गीला कर रहा था, मैंने अपने हाथों से उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चुत पर दबाने लगी, वो भी अपनी जीभ से मेरी क्लिट को मसल रहा था.
उसने अपनी उंगली मेरी चुत में घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा, थोड़ी ही देर बाद मैं झड़ गई, वो लपालप मेरी चुत का रस पिए जा रहा था.
मैं थक कर पलंग के किनारे पैर पसार कर बैठ गई, वो आगे आकर फिर से मेरी चुत चाटने लगा, मैंने भी उसका सिर पकड़कर मेरे चुत पे दबाया और इशारे से ही मुझे और चाहिए बताया.
उसने फिर से दो उंगलियाँ मेरी चुत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा, मैं उसके वार सहन नहीं कर सकी और मेरा बदन अकड़ने लगा, मैंने अपने पैर भींच लिए पर उसका काम बिना रुके चालू था, मैं पीछे लेट के फिर से झड़ने का मजा लेने लगी, मेरे पैर अभी भी पलंग के नीचे थे.
नितिन खड़ा हो गया, उसने अपनी निकर निकाल दी, फिर मेरी टांगों के बीच आकर उसने मेरी चुत पर अपना लंड रखा और अपने लंड से मेरी चुत को मसलने लगा, फिर धीरे से अपना सुपारा मेरी चुत के अंदर घुसा दिया.
मेरी टाइट चुत वैसे भी बहुत पानी छोड़ रही थी तो उसे कोई दिक्कत नहीं हुई.
उसने फिर एक धक्का मार कर अपना आधा लंड अंदर घुसेड़ दिया, उसने अपने उंगली से मेरी क्लिट को छेड़ा तो मेरी चुत फिर से गीली होने लगी, उस गीलेपन की मदद से उसने एक ही धक्के में अपना बाकी लंड अंदर घुसेड़ दिया.
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वो खड़े खड़े ही मेरी चुत में धक्के लगा रहा था, उसके लंड के घर्षण से मेरी चुत धीरे धीरे पानी छोड़ रही थी और वो पानी बह कर बेड पर गिर रहा था, मैं भी अपनी आँखें बंद करके चुदाई का मजा ले रही थी, उसके जोर के धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था.
उसकी नजर मेरी चुची पर अटकी हुई थी, चूसने के वजह से मेरे निप्पल उभर आये थे हल्की सी रोशनी में मेरी गोरी चुची चमक रही थी, मेरे बदन का हिलना, बीच बीच में रोंगटे खड़े होना, मेरी उत्तेजना को दर्शा रहा था.
उसने मेरे पैरों को पकड़ा, खुद थोड़ा नीचे झुका, मेरे पैर अपने कंधों पर रख दिए, उसने उसी पोजीशन में धक्के देने चालू रखा, उसने अपना सिर नीचे लेते हुए मेरा एक निप्पल अपने होंठों में पकड़ा और चूसने लगा, अपनी जीभ से मेरे निप्पल को छेड़ने लगा.
उसके धक्के तेज होने लगे थे, उसका शरीर अकड़ने लगा था, वो झड़ने के बहुत करीब था, और फिर उसने अपना गर्म गर्म लावा मेरी चुत में छोड़ दिया, मैं भी बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसके साथ ही झड़ गई, उसने थोड़े धक्के और लगाये, फिर मेरे पैर अपने कंधों से नीचे ला कर मेरे ऊपर ढेर हो गया.
हम दोनों को थकान की वजह से कब नींद लगी, पता ही नहीं चला.
रात में हमने फिर एक बार सेक्स किया और नंगे ही एक दूसरे के बाहों में लेट गए, नितिन ने उस रात मुझे पूरी संतुष्ट कर दिया.
सुबह हमने साथ नाश्ता किया और उसने मुझे बस स्टॉप पे छोड़ दिया, उसके बाद वो अपनी ड्यूटी पर चला गया.
और हमारी फिर कभी मुलाकात नहीं हुई.
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