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अब्बू मेरी जेठानी की बुर में लंड पेलो - Abbu meri jethani ki bur mein lund pelo
बाप से करवाई जेठानी की चुदवाई , पिता से जेठानी की गांड मरवाई , अब्बू मेरी जेठानी की बुर में लंड पेलो - Abbu meri jethani ki bur mein lund pelo , जेठानी की बुर में डलवाया , जेठानी ने देवरानी को अपने अब्बा से चुदवाया , जेठानी देवरानी ने बाप बदलकर चुदाई करवाई.
उस रात मैं अपनी टांगें पसारे हुए अपनी जेठानी के भाई जान से अपनी बुर चुदवा रही थी। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था। मेरी चूत भी नीचे धक्के पे धक्के लगाए जा रही थी। मेरी गांड नीचे से बार बार उछल रही थी और ऊपर से मेरी चूँचियाँ नाच रहीं थीं। तभी मैंने अपने अब्बू जान को एकदम नंगा देखा। उसका खड़ा हुआ टन टनाटा हुआ लण्ड देखा। लण्ड की लम्बाई चौड़ाई देखी. अब्बू का लण्ड बहन चोद घोड़े के लण्ड की तरह हिन् हिना रहा था। मुझे अब्बू के लण्ड पर बड़ा फक्र था। मैं कोई पहली बार उसका लौड़ा नहीं देख रही थी। मैं तो उसे कई बार देख चुकी हूँ। पकड़ कर देख चुकी हूँ। मुंह में डाल कर देख चुकी हूँ। बुर में घुसा कर देख चुकी हूँ। पर जब जब मैं उसे देखती हूँ तब तब वह मुझे पहले से बड़ा ही दिखाई पड़ता है। मेरे बगल में मेरी जेठानी नंगी लेटी थीं। वह अपने भाई जान के पेल्हड़ सहला रहीं थी जो मुझे भकाभक चोदे चला जा रहा था।
मैंने अब्बू से कहा - अपना लण्ड पेल दो न जेठानी की बुर में अब्बू जान और चोद डालो मेरी बुर चोदी जेठानी की बुर ? यह सुनते ही वह जोश आ गया और उसने अपना लण्ड मेरी जेठानी की बुर में घुसा दिया। लण्ड साला एक ही धक्के में गच्च से घुस गया। अब्बू तो मस्ती से चोदने लगा मेरी जेठानी की बुर ? मैं जेठानी की अब्बू से चुदती हुई बुर देख देख कर मज़ा लेने लगी।
अचानक अब्बू बोला - बेटी हिना, तेरी जेठानी की बुर बिलकुल तेरी ही बुर की तरह लग रही है और तुम्हारी ही चुदवा भी रही है। मुझे इसे चोदने में वही मजा आ रहा है जो तेरी बुर चोदने में आता है।
इतने में जेठानी को मजाक सूझा तो वह बोली - हाय मेरी बुर चोदी देवरानी, तू अपने अब्बू से अपनी जेठानी की बुर फड़वा रही है। ऐसे में तुझे कोई शर्म नहीं आती ? तेरी बुर चोदी जेठानी की माँ का भोसड़ा ?
इसमें शर्माने की क्या बात है मेरी हरामजाद जेठानी ? तू भी तो अपनी देवरानी की बुर अपने भाई जान से चुदवा रही है। तेरी बुर चोदी देवरानी की माँ का भोसड़ा ?
हम दोनों इसी तरह की मस्ती करती हुई और एक दूसरे को प्यार से गालियां देतीं हुई बड़ी देर तक चुदवाती रहीं। मेरा अब्बू जेठानी की बुर चोद रहा था और उसका भाई जान मेरी बुर चोद रहा था। जेठानी फिर बोली अरी हिना आज तू मेरी बुर अपने अब्बू से चुदवा रही है एक दिन मैं अपने अब्बू का लण्ड तेरी चूत में पेलूँगी हिना। हम दोनों इसी तरह आमने सामने ग़ैर मर्दों से चुदवाती हूँ। वो मरद चाहे अपने ही कुनबे के हों या फिर बाहर के कुनबे के। हमें किसी भी लण्ड से कोई परहेज नहीं है। हम दोनों किसी का भी लण्ड पेलवा सकतीं हैं अपनी चूत में। कोई भी हमें चोद सकता है। उस दिन की चुदाई आज भी मुझे याद है। दूसरे दिन फिर मेरी चूत लण्ड मांगने लगी। मेरी जेठानी भी चुदासी घूमने लगी।
हम लोग चुदाई का प्लान बना ही रहीं ही थी की अचानक की हमारा नंदोई तारिक अली आ गया। हम दोनों उसे देख कर खुश हुई की चलो एक तो मुर्गा फंसा। हम दोनों मिलकर इसके लण्ड का मज़ा लूटेंगीं। तभी अचानक वह बोला हिना यार अभी मेरा दोस्त भी आता होगा। आज रात को यहीं हमारे साथ रहेगा। कल उसे यहाँ के एक सरकारी दफ्तर जाना है। अगर कल उसका काम हो गया तो वह वापस अपने गांव चला जायेगा। इतने में वह आ भी गया। , हमने उसे देखा तो चूत में और खलभली मच गयी। उसका नाम था आसिक अली। मैं और जेठानी दोनों उससे पहली बार मिल रहीं थी। हमने उन लोगों का अच्छी तरह खैरमकदम किया और वे अपने बिस्तर पर लेट गए. रात के ८ बज चुके थे। मैंने पूंछा नंदोई जी खाना खा लो। वह बोला अनहि अभी उच्च देर बाद खाऊंगा। तब मैंने कहा अच्छा तो ड्रिंक्स ही ले लो। वह बोला मैं ड्रिंक्स में आपका साथ दे सकता हूँ। फिर क्या हम चारों लोग ड्रिंक्स पर बैठ गए। हमें नंदोई और उसके दोस्त के साथ ड्रिंक्स करने में मज़ा आने लगा। जेठानी भी मस्त होती जा रहीं थीं. हम दोनों बीच बीच अपनी चूँचियाँ बी उन्हें दिखाने लगीं। इसका बड़ा असर पड़ा। आखिर कार वह मजाक करते हुए बोला - हिना तेरी और रिया भाभी की चूँचियाँ बड़ी सेक्सी और हॉट लग रहीं हैं।
मैंने कहा - अच्छा ये बात है ?
तब तक जेठानी तिरछीं निगाहीं से बड़ी अदा से बोली - अगर अच्छी लग रहीं हैं तो पकड़ कर देख लो न ?
वह बोला - बुरा तो नहीं मानोगी भाभी जी, अगर मैं इन्हे पकड़ लूँ ?
मैंने कहा - ये मेरी जेठानी है तुम अगर इसकी बुर भी पकड़ लोगे तो ये बुरा नहीं मानेगी ? चाहो तो मेरी भी पकड़ लो चूँचियाँ ? ये बुर चोदी होती ही हैं पकड़ने के लिए।
मेरी बात सुनकर उसने सच में मेरी चूँचियाँ दबा दीं। नशा अपना काम करने लगा था। मस्ती बढती जा रही थी। मेरी जेठानी का हाथ नन्दोई की जांघ से होता हुआ उसके लण्ड तक पहुँच गया। जेठानी ने लण्ड ऊपर से दबा कर कहा हाय अल्लाह ये तो पहले से ही खड़ा है। इसे बाहर निकाल लो न ? इसे क़ैद करके क्यों कर रखा है ? तारिक़ को जोश आ गया तो उसने जेठानी की चूँचियाँ खोल कर कहा इन्हे भी क़ैद से बाहर निकालो भाभी जान। जेठानी की चूँचियाँ नंगी हो गईं। तो आसिक ने मेरी चूँचियाँ नंगी कर दी । अब वे दोनों चूँचियों से खेलने लगे और हम दोनों उन्हें लण्ड ऊपर से दबा दबा कर मज़ा लेने लगीं।,,,,,,,,,,,,
सभी लोग मूड में आ गए। मैं आसिक के कपड़े उतारने लगी और आसिक मेरे कपड़े। जेठानी नंदोई तारिक़ के कपड़े उतरने लगीं और तारिक़ जेठानी के कपड़े। देखते ही देखते हम चारों एकदम नंगे हो गए। मुझे तो मर्दों के आगे नंगी होने में कोई भी शर्म नहीं आती। मैं जब अपने अब्बू के आगे नंगी कड़ी हो जाती हूँ और उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगाती हूँ तो फिर किसी और से शर्म क्यों ? मैं तो आसिक के लण्ड से खेलने लगी। लण्ड मुझे पसंद आ गया। उसका सुपाड़ा तो बड़ा सेक्सी था। मैंने देखा की तारिक़ का लौड़ा भी है बड़े मजे से मुंह में लेकर चूस रही हैं। आसिक मेरे नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा. मेरी चूँचियाँ और चूत मसलने लगा और यही काम तारिक़ भी जेठानी के जिस्म के साथ करनी लगा। मुझे तो ग़ैर मर्दों लण्ड सच में बहुत प्यारे लगतें हैं। मैं तो चाहती हूँ की दुनिया का हर आदमी मुझे चोदे। मेरी बुर में लण्ड पेले। मेरी आगे मेरी माँ चोदे, मेरी बहन चोदे फिर मुझे चोदे और बार बार चोदे।
इतने में आसिक मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लण्ड ?
जेठानी का अब्बा आ गया। उसने मुझे अपने अब्बा से मिलवाया तो मुझे भी खूब अच्छा लगा। दिन तो यूँ ही निकल गया रात को जेठानी अपने अब्बा का आगे ही बोली - मेरी भोसड़ी की देवरानी, आज मैं अपने अब्बा का लण्ड तेरी बुर में पेलूँगी। मैंने भी कहा - हां पेल लेना ? पर मैं समझ गयी की जेठानी के अपने अब्बा से रिश्ते कैसे हैं। वह बुर चोदी अपने अब्बा से चुदवाती जरूर होगी तभी इतना खुल कर बोल रही है। अचानक मेरा चचा जान भी आ गया। मैंने कहा लो जेठानी तेरे चचा जान से मिलो। वह मिलकर बहुत खुश हुई क्यंकि मेरा चाचा जान भी
बड़ा हैंडसम था और गोरा चिट्टा था। मैंने भी कहा - आज मैं तेरी चूत में अपने चचा जान का लण्ड पेलूँगी। उसे भी समझ में आ गया की मेरे रिश्ते भी अपने चचा जान से चोदा चोदी के हैं। जेठानी उठी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने अब्बा के लण्ड पे रखती हुई बोली ले भोसड़ी की हिना अब तू मेरे बाप का लण्ड पकड़ कर देख और बता की तुझे कैसा लगा लण्ड ? मैंने लण्ड ऊपर से दबा कर उसका ज़ायज़ा लिया। मुझे एहसास हुआ की लण्ड दमदार है। तब मैंने भी जेठानी का हाथ अपने चचा जान के लण्ड पे रखा और कहा लो जेठानी जी अब तुम मेरे चचा जान का लण्ड पकड़ कर देखो और बताओ की ते तेरी बुर का बाजा बजा सकता है की नहीं ? इस तरह मैं उसके बाप का लण्ड खोल कर देखने लगी और जेठानी मेरे चचा जान का लण्ड ? दोनों मर्दों के लण्ड एकदम से टन टना कर खड़े हो गए। मेरे चाचा जान ने जेठानी को नंगी कर दया और उसके अब्बा जान ने मुझे नंगी कर दिया। मेरी जेठानी बिना किसी ना नुकुर के नंगी हो गयी और मैं भी मस्ती से नंगी हो गयी। हम दोनों की चूँचियाँ बड़ी बड़ी थीं और सुडौल थीं। मर्दों को तो औरतों की चूँचियाँ ही सबसे ज्यादा अच्छी लगतीं हैं। मेरी झांटें छोटी छोटी थीं और जेठानी की भी झांटें छोटी छोटी थीं। दोनों की चूत सेक्सी भी थी और हॉट भी। मुझे तो जेठानी के अब्बा का लण्ड पसंद आ गया। मैं उसे मुंह में डाल कर आम की गुठली की तरह चूसने लगी। लण्ड का सुपाड़ा बार बार मुंह से निकाल निकाल कर चूसने लगी। मुझे मज़ा आने लगा और मैं लण्ड का पूरा मज़ा लेने में जुट गयी। उधर मेरा चचा जान का लौड़ा जेठानी भी बड़ी मस्ती से चाट और चूस रही थीं।
वह बोली - हाय मेरी देवरानी तेरे चचा जान का लौड़ा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। ये बहन चोद तेरी जेठानी की बुर का भरता बना देगा। फाड़ डालेगा उसकी बुर ? तुम तो इससे खूब चुदवाती होगी। अब मैं भी तेरे साथ चुदवाऊंगी।
मैंने कहा - हां जेठानी जी तुम खूब चुदवा लो। अपनी माँ भी चुदवा लो . अपनी बहन की बुर में भी इसका लण्ड पेल दो।
तब जेठानी अपने अब्बा से बोली - अरे अब्बा जान अब तुम लण्ड पेल दो मेरी देवरानी की चूत में। इसकी जब बुर चुदेगी तब इसका मुंह बंद होगा ?
इतने में उसके अब्बा ने सच में पूरा लण्ड एक ही बार में घुसा दिया मेरी बुर में। मैं भी मजे से चुदवाने लगी। मेरा चचा जान भी उसकी बुर चोदने में कोई कमी नहीं कर रहा था , हम दोनों की बुर अच्छी तरह चुद रही थी। यह चुदाई मुझे आज भी याद है।
मैं तबसे आज तक अपनी जेठानी के साथ पराये मर्दों से चुदवाने का मज़ा लूट रही हूँ।
=०=०=-०=०=० समाप्त
उस रात मैं अपनी टांगें पसारे हुए अपनी जेठानी के भाई जान से अपनी बुर चुदवा रही थी। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था। मेरी चूत भी नीचे धक्के पे धक्के लगाए जा रही थी। मेरी गांड नीचे से बार बार उछल रही थी और ऊपर से मेरी चूँचियाँ नाच रहीं थीं। तभी मैंने अपने अब्बू जान को एकदम नंगा देखा। उसका खड़ा हुआ टन टनाटा हुआ लण्ड देखा। लण्ड की लम्बाई चौड़ाई देखी. अब्बू का लण्ड बहन चोद घोड़े के लण्ड की तरह हिन् हिना रहा था। मुझे अब्बू के लण्ड पर बड़ा फक्र था। मैं कोई पहली बार उसका लौड़ा नहीं देख रही थी। मैं तो उसे कई बार देख चुकी हूँ। पकड़ कर देख चुकी हूँ। मुंह में डाल कर देख चुकी हूँ। बुर में घुसा कर देख चुकी हूँ। पर जब जब मैं उसे देखती हूँ तब तब वह मुझे पहले से बड़ा ही दिखाई पड़ता है। मेरे बगल में मेरी जेठानी नंगी लेटी थीं। वह अपने भाई जान के पेल्हड़ सहला रहीं थी जो मुझे भकाभक चोदे चला जा रहा था।
मैंने अब्बू से कहा - अपना लण्ड पेल दो न जेठानी की बुर में अब्बू जान और चोद डालो मेरी बुर चोदी जेठानी की बुर ? यह सुनते ही वह जोश आ गया और उसने अपना लण्ड मेरी जेठानी की बुर में घुसा दिया। लण्ड साला एक ही धक्के में गच्च से घुस गया। अब्बू तो मस्ती से चोदने लगा मेरी जेठानी की बुर ? मैं जेठानी की अब्बू से चुदती हुई बुर देख देख कर मज़ा लेने लगी।
अचानक अब्बू बोला - बेटी हिना, तेरी जेठानी की बुर बिलकुल तेरी ही बुर की तरह लग रही है और तुम्हारी ही चुदवा भी रही है। मुझे इसे चोदने में वही मजा आ रहा है जो तेरी बुर चोदने में आता है।
इतने में जेठानी को मजाक सूझा तो वह बोली - हाय मेरी बुर चोदी देवरानी, तू अपने अब्बू से अपनी जेठानी की बुर फड़वा रही है। ऐसे में तुझे कोई शर्म नहीं आती ? तेरी बुर चोदी जेठानी की माँ का भोसड़ा ?
इसमें शर्माने की क्या बात है मेरी हरामजाद जेठानी ? तू भी तो अपनी देवरानी की बुर अपने भाई जान से चुदवा रही है। तेरी बुर चोदी देवरानी की माँ का भोसड़ा ?
हम दोनों इसी तरह की मस्ती करती हुई और एक दूसरे को प्यार से गालियां देतीं हुई बड़ी देर तक चुदवाती रहीं। मेरा अब्बू जेठानी की बुर चोद रहा था और उसका भाई जान मेरी बुर चोद रहा था। जेठानी फिर बोली अरी हिना आज तू मेरी बुर अपने अब्बू से चुदवा रही है एक दिन मैं अपने अब्बू का लण्ड तेरी चूत में पेलूँगी हिना। हम दोनों इसी तरह आमने सामने ग़ैर मर्दों से चुदवाती हूँ। वो मरद चाहे अपने ही कुनबे के हों या फिर बाहर के कुनबे के। हमें किसी भी लण्ड से कोई परहेज नहीं है। हम दोनों किसी का भी लण्ड पेलवा सकतीं हैं अपनी चूत में। कोई भी हमें चोद सकता है। उस दिन की चुदाई आज भी मुझे याद है। दूसरे दिन फिर मेरी चूत लण्ड मांगने लगी। मेरी जेठानी भी चुदासी घूमने लगी।
हम लोग चुदाई का प्लान बना ही रहीं ही थी की अचानक की हमारा नंदोई तारिक अली आ गया। हम दोनों उसे देख कर खुश हुई की चलो एक तो मुर्गा फंसा। हम दोनों मिलकर इसके लण्ड का मज़ा लूटेंगीं। तभी अचानक वह बोला हिना यार अभी मेरा दोस्त भी आता होगा। आज रात को यहीं हमारे साथ रहेगा। कल उसे यहाँ के एक सरकारी दफ्तर जाना है। अगर कल उसका काम हो गया तो वह वापस अपने गांव चला जायेगा। इतने में वह आ भी गया। , हमने उसे देखा तो चूत में और खलभली मच गयी। उसका नाम था आसिक अली। मैं और जेठानी दोनों उससे पहली बार मिल रहीं थी। हमने उन लोगों का अच्छी तरह खैरमकदम किया और वे अपने बिस्तर पर लेट गए. रात के ८ बज चुके थे। मैंने पूंछा नंदोई जी खाना खा लो। वह बोला अनहि अभी उच्च देर बाद खाऊंगा। तब मैंने कहा अच्छा तो ड्रिंक्स ही ले लो। वह बोला मैं ड्रिंक्स में आपका साथ दे सकता हूँ। फिर क्या हम चारों लोग ड्रिंक्स पर बैठ गए। हमें नंदोई और उसके दोस्त के साथ ड्रिंक्स करने में मज़ा आने लगा। जेठानी भी मस्त होती जा रहीं थीं. हम दोनों बीच बीच अपनी चूँचियाँ बी उन्हें दिखाने लगीं। इसका बड़ा असर पड़ा। आखिर कार वह मजाक करते हुए बोला - हिना तेरी और रिया भाभी की चूँचियाँ बड़ी सेक्सी और हॉट लग रहीं हैं।
मैंने कहा - अच्छा ये बात है ?
तब तक जेठानी तिरछीं निगाहीं से बड़ी अदा से बोली - अगर अच्छी लग रहीं हैं तो पकड़ कर देख लो न ?
वह बोला - बुरा तो नहीं मानोगी भाभी जी, अगर मैं इन्हे पकड़ लूँ ?
मैंने कहा - ये मेरी जेठानी है तुम अगर इसकी बुर भी पकड़ लोगे तो ये बुरा नहीं मानेगी ? चाहो तो मेरी भी पकड़ लो चूँचियाँ ? ये बुर चोदी होती ही हैं पकड़ने के लिए।
मेरी बात सुनकर उसने सच में मेरी चूँचियाँ दबा दीं। नशा अपना काम करने लगा था। मस्ती बढती जा रही थी। मेरी जेठानी का हाथ नन्दोई की जांघ से होता हुआ उसके लण्ड तक पहुँच गया। जेठानी ने लण्ड ऊपर से दबा कर कहा हाय अल्लाह ये तो पहले से ही खड़ा है। इसे बाहर निकाल लो न ? इसे क़ैद करके क्यों कर रखा है ? तारिक़ को जोश आ गया तो उसने जेठानी की चूँचियाँ खोल कर कहा इन्हे भी क़ैद से बाहर निकालो भाभी जान। जेठानी की चूँचियाँ नंगी हो गईं। तो आसिक ने मेरी चूँचियाँ नंगी कर दी । अब वे दोनों चूँचियों से खेलने लगे और हम दोनों उन्हें लण्ड ऊपर से दबा दबा कर मज़ा लेने लगीं।,,,,,,,,,,,,
सभी लोग मूड में आ गए। मैं आसिक के कपड़े उतारने लगी और आसिक मेरे कपड़े। जेठानी नंदोई तारिक़ के कपड़े उतरने लगीं और तारिक़ जेठानी के कपड़े। देखते ही देखते हम चारों एकदम नंगे हो गए। मुझे तो मर्दों के आगे नंगी होने में कोई भी शर्म नहीं आती। मैं जब अपने अब्बू के आगे नंगी कड़ी हो जाती हूँ और उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगाती हूँ तो फिर किसी और से शर्म क्यों ? मैं तो आसिक के लण्ड से खेलने लगी। लण्ड मुझे पसंद आ गया। उसका सुपाड़ा तो बड़ा सेक्सी था। मैंने देखा की तारिक़ का लौड़ा भी है बड़े मजे से मुंह में लेकर चूस रही हैं। आसिक मेरे नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा. मेरी चूँचियाँ और चूत मसलने लगा और यही काम तारिक़ भी जेठानी के जिस्म के साथ करनी लगा। मुझे तो ग़ैर मर्दों लण्ड सच में बहुत प्यारे लगतें हैं। मैं तो चाहती हूँ की दुनिया का हर आदमी मुझे चोदे। मेरी बुर में लण्ड पेले। मेरी आगे मेरी माँ चोदे, मेरी बहन चोदे फिर मुझे चोदे और बार बार चोदे।
इतने में आसिक मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लण्ड ?
- मैंने पूंछा यार आसिक तुम मेरे नंदोई के दोस्त हो ? तुम्हारी दोस्ती कितनी पक्की है ?
- वह बोला हमारी दोस्ती बहुत पक्की है। हम दोनों एक साथ पढ़े लिखें हैं। शादी के पहले हम दोनों खूब एन्जॉय करते थे। शादी के बाद तो और एन्जॉय करने लगे हैं।
- क्या मतलब ? ज़रा खुल कर बताओ।
- हम दोनों शादी के पहले एक दूसरे की बहन चोदा करते थे। वह मेरे आगे मेरी बहन चोदता था और मैं उसके आगे उसकी बहन चोदता था। एक दिन इत्तिफाक से उसने मुझसे अपनी माँ चुदवा ली तो फिर मैंने भी उससे अपनी माँ चुदवाई। इससे हमारी दोस्ती और पक्की हो गयी। हम दोनों की अम्मियों को भी मज़ा आया। उसके बाद हमने एक दूसरे की माँ कई बार चोदी।
- शादी के बाद क्या किया तुम लोगों ने ? शादी के हम हम दोनों एक दूसरे की बीवी चोदने लगे ?
- यह कैसे हुआ ? तुम्हारी बीवियां मान कैसे गई ?
- हुआ यह की एक दिन तारिक़ मेरे घर अपनी बीवी के साथ आया. उसकी बीवी मेरी बीवी से मिली दोनों ने खूब बातें भी की और खूब एन्जॉय करने लगी। इधर हम दोनों भी खूब बातें करते हुए मज़ा करने लगे। हम सब एक ही साथ बैठे हुए थे। अचानक तारिक़ बोला एक बात कहूँ। मैंने कहा हां हां कहो न ? बिलकुल कहो। वह बोला यार मेरी बीवी तुमसे चुदवाना चाहती है। मैंने अपनी बीवी की तरफ देखा वह मुस्करा रही थी। उसकी बीवी भी मुस्करा रही थी। मैं बड़ी असमंजस में था की क्या कहूँ ? क्या करूँ ? तब तक उसने अपनी बीवी का हाथ पकड़ कर मेरे लण्ड पर रख दिया और कहा लो अब तुम मेरे दोस्त का लण्ड पकड़ो ? मैंने कहा यार अगर ऐसा है तो तुम भी मेरी बीवी चोदो। मैंने भी अपनी बीवी का हाथ पकड़ कर उसके लण्ड पर रख दिया। मेरी बीवी इस बात से बहुत खुश हुई और लण्ड दबा कर कहा वॉवो लौड़ा तो बड़ा मस्त लग रहा है आपका जनाब ? अब किसी को कोई शक नहीं था। मेरी बीवी ने उसे नंगा कर दिया और लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी। उसकी बीवी ने मुझे नंगा कर मेरा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। वे दोनों भी फिर एकदम नंगी हो गयीं। आखिर में मैंने उसकी बीवी चोदना शुरू किया तो उसने मेरी बीवी चोदना शुरू किया। फिर क्या उसके बाद तो हम लोग अक्सर एक दूसरे की बीवी चोदने लगे। हमें भी मज़ा आने लगा और उन्हें भी।
- अच्छा तो तुम मेरी नन्द की बुर लेते हो ? आज तुम नन्द की छोटी भाभी जान की बुर ले लो और उसकी बड़ी भाभी जान की भी बुर ले लो।
जेठानी का अब्बा आ गया। उसने मुझे अपने अब्बा से मिलवाया तो मुझे भी खूब अच्छा लगा। दिन तो यूँ ही निकल गया रात को जेठानी अपने अब्बा का आगे ही बोली - मेरी भोसड़ी की देवरानी, आज मैं अपने अब्बा का लण्ड तेरी बुर में पेलूँगी। मैंने भी कहा - हां पेल लेना ? पर मैं समझ गयी की जेठानी के अपने अब्बा से रिश्ते कैसे हैं। वह बुर चोदी अपने अब्बा से चुदवाती जरूर होगी तभी इतना खुल कर बोल रही है। अचानक मेरा चचा जान भी आ गया। मैंने कहा लो जेठानी तेरे चचा जान से मिलो। वह मिलकर बहुत खुश हुई क्यंकि मेरा चाचा जान भी
वह बोली - हाय मेरी देवरानी तेरे चचा जान का लौड़ा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। ये बहन चोद तेरी जेठानी की बुर का भरता बना देगा। फाड़ डालेगा उसकी बुर ? तुम तो इससे खूब चुदवाती होगी। अब मैं भी तेरे साथ चुदवाऊंगी।
मैंने कहा - हां जेठानी जी तुम खूब चुदवा लो। अपनी माँ भी चुदवा लो . अपनी बहन की बुर में भी इसका लण्ड पेल दो।
तब जेठानी अपने अब्बा से बोली - अरे अब्बा जान अब तुम लण्ड पेल दो मेरी देवरानी की चूत में। इसकी जब बुर चुदेगी तब इसका मुंह बंद होगा ?
इतने में उसके अब्बा ने सच में पूरा लण्ड एक ही बार में घुसा दिया मेरी बुर में। मैं भी मजे से चुदवाने लगी। मेरा चचा जान भी उसकी बुर चोदने में कोई कमी नहीं कर रहा था , हम दोनों की बुर अच्छी तरह चुद रही थी। यह चुदाई मुझे आज भी याद है।
मैं तबसे आज तक अपनी जेठानी के साथ पराये मर्दों से चुदवाने का मज़ा लूट रही हूँ।
=०=०=-०=०=० समाप्त
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