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ठेकेदार की जवान बीवी को चोदा - कामुक पत्नी की चुदाई - Tekedar ki jawan wife ki chudai
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उस दिन मैं नाइट ड्यूटी करके सुबह साढ़े सात बजे घर पहुँचा मेरी वाइफ एक टीचर है और स्कूल जाने के लिए तय्यार हो रही थी. आठ बजे वो घर से निकल गयी. मैं नहा कर फ्रेश हो गया और रोज की तरह सोने की तय्यारी करने लगा.अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैं चौंक गया. बड़ी गहरी नींद आ रही थी और मैं बहुत परेशान था की इस वक़्त कौन आ गया.मैने दरवाजा खोला तो सामने एक औरत खड़ी थी.
करीब पच्चीस साल की उमर की एक देहाती औरत को देखकर मैने सोचा शायद कोई माँगने वाली है.
“क्या चाहिए” मैने पूछा.
“मेरा भाई काम पर आया बाबूजी ?” वो बोली
“कौन भाई ?” मुझे गुस्सा आ रहा था
“मेरा भाई हरिया बाबूजी” मीठी सी आवाज़ में वो बोली
“हरिया बेलदार ?” मैने उसे उपर से नीचे तक देखते हुए पूछा. उन दिनों हमारे घर में कन्स्ट्रक्षन का काम चल रहा था और हरिया एक बेलदार का नाम था
हरिया हमारे बिल्डिंग ठेकेदार लल्लन का साला था.यानी मेरे सामने खड़ी औरत लल्लन की बीबी थी.
“जी बाबूजी हरिया बेलदार मेरा भाई है कल रात से घर नही आया तो मैने सोचा की आपके यहाँ देख लूँ” वो बड़ी प्यारी मुस्कुराहट के साथ बोली.
मुझे उसकी मुस्कुराहट बड़ी सूंदर लगी. मैने उसे अंदर आने के लिए कहा तो वो अंदर आकर नीचे ज़मीन पर बैठने लगी
“अरे नीचे नही सोफे पर बैठो” वो शरमाती हुई सोफे पर बैठ गयी.मैं सामने के बेड पर बैठ गया.
“हरिया तो कल शाम को पाँच बजे चला गया था और सुबह से आया नही” मैने कहा. वो गर्मियाँ के दिन थे कूलर की सीधी हवा बेड पर आ रही थी. वो सोफे पर बैठी तो शायद उसे गर्मी लग रही होगी.
“कोई बात नही बाबूजी, शायद किसी दोस्त के यहाँ रुक गया होगा हरिया.मैं कहीं और देख लूँगी” वो बोली.
मैने पूछा ” क्या तुम लल्लन की घरवाली हो ?” उसने हाँ में गर्दन हिला दी,बिल्कुल बच्चों की तरह.
“क्या नाम है तुम्हारा ?” मैने बातों का सिलसिला आगे बढ़ाया.
“सुमन” कहकर वो शर्मा सी गयी.
“बहुत सूंदर नाम है” मैने कहा “चाय पियोगी सुमन ?’
मेरे मूह से अपना नाम सुनकर उसने अचानक मेरी देखा “आप तकलीफ़ क्यों करते हो बाबूजी ?”
“अरे तकलीफ़ कैसी सुमन, मैं अपने लिए तो बना ही रहा हूँ तुम भी पी लेना” मुझे बार बार उसका नाम लेकर बुलाने में मज़ा आ रहा था.
“ठीक है बाबूजी, बना लीजिए” वो फिर मुस्कुराइ. अब मुझे उसकी मुस्कुराहट और अच्छी लगी.
मैं किचन में चाय बना रहा था और मन में उल्टे सीधे विचार आने लगे.चाय बनाने में ध्यान कहाँ लगता. आँखो के सामने सुमन की खूबसूरत मुस्कुराहट
घूम रही थी.चाय उबल कर बाहर निकल गयी.
“क्या हुआ बाबूजी ?” सुमन ने आवाज़ लगाकर पूछा.ऐसा लगा मानो मेरी घरवाली कुछ पूछ रही हो
“कुछ नही “कहते हुए मैं चाय दो कपो में लेकर रूम में आ गया. सामने बैठी सुमन को पसीना आ रहा था.
“गर्मी लग रही हो तो इधर बेड पर आ जाओ सुमन” मैने कहा तो वो आकर मेरे सामने बेड पर बैठ गयी. मैने देखा की उसकी हाइट बहुत कम थी
लेकिन शरीर भरा हुआ था थोडा पेट भी निकला हुआ था रंग सांवला लेकिन नैन नक्श तीखे थे
हम दोनो चाय पीने लगे. मैने पूछा “और घर में कौन कौन है सुमन” मैं जान बूझकर उसका नाम ले रहा था
“हम दोनो मियाँ बीबी और एक बच्चा है बाबूजी. अभी छोटा है एक साल का और साथ में हरिया भी रहता है” वो आँखों में आँखें डालकर बात कर रही थी
“दूसरा बच्चा होने वाला है क्या, सुमन ?” पूछते हुए मेरा मन जोरों से धड़कने लगा. कहीं सुमन बुरा मान गयी तो ?
“धत्त बाबूजी आप भी क्या पूछते हैं ” वो शर्मा कर मुस्कुरा दी “आपने ऐसा क्यों पूछा ?”
“तुम्हारा पेट देखकर” मैने हिम्मत करके कह दिया.
“धत बाबूजी अभी नही, अभी तो पहला ही छोटा है ” उसने चाय ख़त्म करते हुए कहा.”अच्छा अब मैं चलूं बाबूजी ?” वो उठने लगी
“थोड़ी देर और बैठो ना सुमन प्लीज़” कहते हुए मैने उसका हाथ पकड़ लिया.
“ये क्या करते हो बाबूजी ? कहीं किसी ने देख लिया तो ? ” उसने हाथ छुड़ाने की कोशिश नही की
मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैने उसे अपने पास खींच लिया “हम दोनो के अलावा यहाँ है कौन जो हमे देखेगा सुमन ?” मैने उसका एक चुम्मा ले लिया
“नही बाबूजी हमे जाने दो,हमे खराब ना करो” वो दरवाजे की तरफ जाने लगी. मैने उसका पल्लू पकड़ लिया.
“ऐसे नही सुमन, ऐसे मत जाओ प्लीज़. मैं तुम्हारे साथ कुछ और देर रहना चाहता हूँ” मेरे स्वर में विनती थी
“नही बाबूजी मैं और नही रुक सकती. आप इतने लंबे और मैं इतनी छोटी, हमारा मिलन कैसे होगा “वो बोली और इसी छीना झपटी में उसकी साड़ी खुल गयी.उसने अपनी बाहे अपने सीने पर रख ली.
“ये क्या छुपा रही हो हमसे सुमन रानी,दिखाओ ना” मैने उसकी बाहे हटाने लगा.
“आप बड़े गंदे हो बाबूजी,कैसी गंदी बाते करते हो. ये तो मेरा बच्चा चूस्ता है इनमे आप क्या लोगे ?” सुमन बोली.
“तो हमे भी दिखाओ ना हम भी चूस लेंगे थोड़ी सी” कहते हुए मैने उंसकी दोनो चुचियाँ पकड़ ली. क्या पत्थर की तरह सख़्त चुचियाँ थी सुमन की
चुचियाँ पकड़ते ही सुमन बुरी तरह से काँपने लगी
” क्या बात है सुमन रानी ? काँप क्यों रही हो ” मैं घबरा गया था
“क्या बताउन बाबूजी, बहुत डर लग रहा है. पता नहीं आप मेरे साथ क्या करने वाले हो. मुझे छोड़ दो बाबूजी, जाने दो, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ.”
मुझे लगा कहीं सुमन शोर ना मचा दे,आख़िर अडोस पड़ोस में और भी लोग रहते हैं
“इसमे डरने क़ी क्या बात है सुमन रानी ? मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती नहीं करूँगा. जो भी होगा तुम्हारी रज़ामंदी से होगा. आओ बेड पर बैठ कर बात
करते हैं. ठीक है सुमन रानी ?” मैने पूछा
” ठीक है बाबूजी” उसके हाँ कहते ही मेरी जान में जान आई. मैने सुमन को अपनी बाहों में उठा लिया और ला कर बेड पर लिटा दिया.
बिल्कुल फूल क़ी तरह कोमल थी सुमन. हल्की सी, छोटी सी और प्यारी सी
” अब बताओ सुमन रानी, किससे डर लगता है तुम्हे ” मैं उसके पास बैठ गया और सिर पर हाथ फेरने लगा
” बाबूजी आप मुझे बार बार सुमन रानी कहकर क्यों पुकारते हो ? मैं कहीं क़ी रानी थोड़े ना हूँ. मेरा नाम तो सिर्फ़ सुमन है.” वो बोली.
“रानी तो तुम बन गयी हो सुमन, आज से मेरे इस दिल क़ी ” कहकर मैने झुककर उसके होंठ चूम लिए
” हाय राम बाबूजी, आप तो बड़े बेशरम हो ” उसने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया. सुमन क़ी इस अदा पर तो मैं जैसे फिदा ही हो गया. मैने उसके चेहरे से हाथ हटाते हुए कहा “सुमन रानी मेरा दिल करता है कि तुम्हारे इन होंठो क़ी सारी लिपस्टिक चाट लूँ. तुम बुरा तो नहीं मान जाओगी”
“इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है बाबूजी ? बस एक बात का ख़याल रखना कि अगर आप मेरी लिपस्टिक चाटना चाहते हो तो नयी लिपस्टिक भी मुझे
दिलानी पड़ेगी, बोलो मंज़ूर है ?” मेरा कलेज़ा उछाल मारने लगा
“एक नही दस लिपस्टिक ले लेना मेरी जान ” मेरी किस्मत ज़ोर मार रही थी शायद.
“तो फिर आपको किसने रोका है लेकिन अपना वादा याद रखना ” सुमन मुस्कुराते हुए बोली. वही कातिलाना मुस्कुराहट जिसने मुझे पागल किया था. मैं पागलों क़ी तरह उसके होंठो को चूमने लगा. थोड़ी देर बाद सुमन भी मेरा साथ देने लगी.
सुमन ने अपना एक हाथ मेरे सिर के पीछे रख लिया और मेरा चेहरा अपने होंठों पर दबाने लगी. मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगी, मेरे होंठ अपने दाँतों से काटने लगी. पता नही कितनी देर तक हम दोनो एक दूसरे को चुसते रहे. कितने रसीले होंठ थे सुमन के,ऐसा लगा मानो मैं शहद पी रहा था, इतने मीठे होंठ मैने आज तक नहीं चखे थे. जब हम अलग हुए तो मैने कहा “सुमन रानी, मेरा मन कर रहा है कि मैं तुम्हारे ये कोमल कोमल गाल भी चूसू “
“फिर तो आपको एक पाउडर का डिब्बा भी दिलाना पड़ेगा बाबूजी ” कहकर सुमन खिलखिलाकर हंस पड़ी. क्या नज़ारा था वो. सुमन के हंसते ही मानो सारे कमरे में मोती बिखर गये. मेरा रोम रोम खिल गया. क्या किसी औरत क़ी हँसी इतनी सुंदर भी हो सकती है
“मैं तो तुम्हे सारा मेकप का सामान ही दिला दूँगा मेरी जान और अपने हाथों से तुम्हे दुल्हन क़ी तरह सजाऊंगा “कहकर मैं उसके गालो को चूमने लगा
“सच बाबूजी ?” उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया अपनी बाहों में, “ओह बाबूजी आप कितनी प्यारी बाते करते हो. आज आपने मुझे जीत लिया बाबूजी. मैं आज से सचमुच आपकी सुमन रानी बन गयी हूँ ” और वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी
मैने अपना एक हाथ उसके सीने क़ी एक गोलाई पर रख दिया. सुमन ने कोई प्रतिरोध नही किया.मैं समझ गया कि सुमन अब कोई प्रतिरोध नहीं करेगी
वही हाथ मैने दूसरी गोलाई पर रख दिया. “कुछ ढूँढ रहे हो क्या बाबूजी ?” सुमन धीरे से मेरे कान में बोली
“हाँ सुमन रानी “मैने उसके कान में कहा
“क्या ढूँढ रहे हो बाबूजी ? क्या मैं आपकी मदद करूँ?” सुमन मेरा कान दाँतों से काटने लगी
” हाँ सुमन रानी मेरी मदद करो ना. मेरा दिल तुम्हारी चोली में कहीं खो गया है उसे ढूँढने में मेरी मदद करो ” मेरा दिल बेकाबू हो रहा था
“अगर आपका दिल मेरी चोली में खो गया है तो ऐसे उपर से टटोलने से थोड़े ही मिलेगा बाबूजी, ज़रा अंदर कोशिश करो ” फिर वही शरारती मुस्कुराहट
” वाह सुमन रानी तुमने तो मेरे दिल कि बात कह दी,” ठीक है मैं अपना दिल तुम्हारी चोली के अंदर ढूंढता हूँ “
इतना कहकर मैने अपना हाथ उसके ब्लाउस में डाल दिया.उसकी एक गोलाई को पकड़ लिया. कितनी सख़्त चुचि थी सुमन क़ी. फिर दूसरी गोलाई को पकड़ कर बहुत देर तक दबाता रहा. इतना दबाने पर भी चुचियाँ नरम नही हुई. अब मेरा मन सुमन क़ी गोलाइयाँ चूसने के लिए बेताब हो रहा था
” क्या हुआ बाबूजी दिल मिला या नही ” सुमन आँखे बंद किए हुए बोली
“नहीं मिला मेरी जान. अब क्या करूँ सुमन रानी” मैने उसका स्तन ज़ोर से दबा दिया
“उफ्फ बाबूजी, ये क्या करते हो ?अगर नहीं मिला तो ऐसे दबाने से थोड़े ही मिल जाएगा, चोली उतार कर ढूँढ लो ना “सुमन गरम हो चुकी थी
मैं भी तो यही चाहता था. मैने उसके ब्लाउस के सारे हुक खोल दिए.सुमन ने अंदर ब्रा नही पहनी थी हुक खोलते ही दोनो मस्त कबूतर बाहर झाँकने लगे. मैने सुमन को बैठा लिया और उसका ब्लाउस उसके सीने से अलग कर दिया. दोनो सफेद कबूतर अब आज़ाद थे और तने हुए थे
“सुमन रानी ये बताओ तुम्हारी ये सुंदर चुचियाँ इतनी सख़्त और तनी हुई क्यों हैं” मैने चुचियों को सहलाते हुए पूछा.
” बाबूजी ये तनी हुई नही भरी हुई हैं. इनमे दूध भरा है मेरे बेटे के लिए, जब वो इनको चूस लेता है तो उसकी भूख मिट जाती है और मुझे भी बड़ा चैन मिलता है.जब तक वो नही चूस्ता इनमे दर्द होता रहता है जैसा क़ी अब भी हो रहा है ” सुमन बोली
“सुमन रानी तुम्हारी चुचियों में दर्द हो रहा है और मुझे भी भूख लगी है, क्या कोई ऐसा रास्ता नही है क़ी मेरी भूख मिट जाए और तुम्हारी छातियों का दर्द कम हो जाए मेरी जान ” मैने अपने दिल क़ी बात कह दी
“मैं समझ गयी बाबूजी आप क्या चाहते हो. मुझे मालूम था क़ी आप का दिल मेरी चुचियों पर आ चुका है और आप इन्हे चूसे बिना नही छोड़ोगे.आओ बाबूजी मेरी गोद में लेट जाओ आज मैं आपको अपने बच्चे क़ी तरह चुचि पिलाऊँगी. जी भर कर पियो बाबूजी लेकिन काटना मत ” सुमन ने कहा
मैं सुमन क़ी गोद में लेट गया और सुमन ने दो उंगलियों से पकड़ कर चुचि वैसे ही मेरे मूह में दी जैसे कोई माँ अपने बच्चे को देती है. मैं चूसने लगा तो सचमुच सुमन क़ी चुचि में से दूध आने लगा. कितना गर्म और मीठा दूध था सुमन क़ी चुचियों का. मैं एक एक बूँद चूस लेना चाहता था और शायद सुमन भी यही चाहती थी इसलिए एक चुचि खाली होते ही उसने मेरे मूह में झट दूसरी चूची डाल दी
” चूसो बाबूजी और ज़ोर से चूसो, जी भर कर पियो आज अपनी सुमन रानी क़ी छातियाँ, चूस चूस कर खाली कर दो बाबूजी, इनको थोड़ी नरम बना दो, इनका दर्द मिटा दो ” सुमन मस्ती में बड़बड़ा रही थी “हाँ बाबूजी ऐसे ही प्यार से चूसो,हाए बाबूजी आप कितनी अच्छी तरह चूसते हो इतना मज़ा तो पहले कभी नही आया. लल्लन तो कभी इन्हे चूसता ही नही “
“क्या कहती हो सुमन रानी लल्लन इन चुचियों को नही चूसता. भला ऐसा कौन सा मर्द होगा जो तुम्हारी इन मदभरी चूचियों को छोड़ देगा “
” सच कहा बाबूजी आपने कोई मर्द नही छोड़ेगा लेकिन लल्लन मर्द कहाँ वो तो नामर्द है, हिज़ड़ा है हरामी “सुमन क़ी आँखे भर आई
“तो फिर ये बच्चा किसका है सुमन रानी “मैं चोंक गया था
“ये बच्चा भी आप जैसे किसी बाबू का है बाबूजी दो साल पहले उनसे ऐसे ही मिली थी जैसे आज आप मिल गये बाबूजी और उन्होने अपने प्यार क़ी निशानी ये बच्चा मेरे पेट में डाल दिया ” मैने सुमन को अपने पास खींच लिया और जी भर कर चूमा
“तो क्या तुम मेरे बच्चे को भी जन्म दोगी सुमन रानी ” धीरे धीरे वासना क़ी जगह प्यार ने ले ली
” हाँ बाबूजी मैं आपके बच्चे को जन्म दूँगी, आज आप अपना बच्चा मेरे पेट में डाल दो, बाबूजी आप का बच्चा आप ही क़ी तरह होना चाहिए लंबा और तगड़ा बाबूजी. ऐसे ही प्यार से मेरी छातियाँ चूसे जैसे आज आपने चूसी हैं
“सच सुमन रानी मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा क़ी तुम मेरा बच्चा जनोगी ” मेरा दिल मेरे मूह को आ रहा था
” इसमे विश्वास ना करने वाली कौन सी बात है बाबूजी. मैं आपके साथ एक बिस्तर पर लेटी हूँ, नंगी पड़ी हूँ, आपने चूस चूस कर मेरी छातियाँ खाली कर दी मेरिचुचियाँ निचोड़ डाली और अब मैं आपसे एक बच्चे क़ी भीख माँग रही हूँ. प्लीज़ बाबूजी मुझे आपका बच्चा पैदा करना है ” सुमन गिड़गिदने लगी
“सुमन रानी इसमे भीख माँगने वाली कोई बात नही. मैं तो खुद चाहता हूँ क़ी तुम मेरा बच्चा पैदा करो मेरी जान “
” तो फिर दो ना बाबूजी देर किस बात क़ी,डाल दो ना अपना बच्चा मेरे पेट में, मैं तय्यार खड़ी हूँ बाबूजी आओ “सुमन को काफ़ी जल्दी थी चुद्वने क़ी
” अभी तुम पूरी तरह तय्यार कहाँ हो सुमन रानी, ये घाघरा भी तो खोलना है, तभी तो मैं तुम्हारे पेट में बच्चा डाल सकता हूँ ” मैं मज़े ले रहा था
“खोल दो घाघरा बाबूजी आपको किसने रोका है और नही तो ये लो मैं खुद ही खोल देती हूँ ” कहते हुए सुमन ने एक झटके से अपने घाघरे का नाडा
खींच दिया. अब उसका घाघरा ज़मीन पर था और मेरी सुमन मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. कितनी सुंदर दिख रही थी. मैने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा होकर सुमन को बाहों में उठा लिया
” आओ सुमन रानी आज मैं तुम्हारी मनोकामना पूरी करूँगा. तुम्हारे पेट में अपना बच्चा डालूँगा और तुम्हारी योनि क़ी सारी प्यास बुझा दूँगा ” कहते हुए मैने सुमन को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ गया. बाकी कहानी अगले भाग में सुनाऊंगा.
उस दिन मैं नाइट ड्यूटी करके सुबह साढ़े सात बजे घर पहुँचा मेरी वाइफ एक टीचर है और स्कूल जाने के लिए तय्यार हो रही थी. आठ बजे वो घर से निकल गयी. मैं नहा कर फ्रेश हो गया और रोज की तरह सोने की तय्यारी करने लगा.अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैं चौंक गया. बड़ी गहरी नींद आ रही थी और मैं बहुत परेशान था की इस वक़्त कौन आ गया.मैने दरवाजा खोला तो सामने एक औरत खड़ी थी.
करीब पच्चीस साल की उमर की एक देहाती औरत को देखकर मैने सोचा शायद कोई माँगने वाली है.
“क्या चाहिए” मैने पूछा.
“मेरा भाई काम पर आया बाबूजी ?” वो बोली
“कौन भाई ?” मुझे गुस्सा आ रहा था
“मेरा भाई हरिया बाबूजी” मीठी सी आवाज़ में वो बोली
“हरिया बेलदार ?” मैने उसे उपर से नीचे तक देखते हुए पूछा. उन दिनों हमारे घर में कन्स्ट्रक्षन का काम चल रहा था और हरिया एक बेलदार का नाम था
हरिया हमारे बिल्डिंग ठेकेदार लल्लन का साला था.यानी मेरे सामने खड़ी औरत लल्लन की बीबी थी.
“जी बाबूजी हरिया बेलदार मेरा भाई है कल रात से घर नही आया तो मैने सोचा की आपके यहाँ देख लूँ” वो बड़ी प्यारी मुस्कुराहट के साथ बोली.
मुझे उसकी मुस्कुराहट बड़ी सूंदर लगी. मैने उसे अंदर आने के लिए कहा तो वो अंदर आकर नीचे ज़मीन पर बैठने लगी
“अरे नीचे नही सोफे पर बैठो” वो शरमाती हुई सोफे पर बैठ गयी.मैं सामने के बेड पर बैठ गया.
“हरिया तो कल शाम को पाँच बजे चला गया था और सुबह से आया नही” मैने कहा. वो गर्मियाँ के दिन थे कूलर की सीधी हवा बेड पर आ रही थी. वो सोफे पर बैठी तो शायद उसे गर्मी लग रही होगी.
“कोई बात नही बाबूजी, शायद किसी दोस्त के यहाँ रुक गया होगा हरिया.मैं कहीं और देख लूँगी” वो बोली.
मैने पूछा ” क्या तुम लल्लन की घरवाली हो ?” उसने हाँ में गर्दन हिला दी,बिल्कुल बच्चों की तरह.
“क्या नाम है तुम्हारा ?” मैने बातों का सिलसिला आगे बढ़ाया.
“सुमन” कहकर वो शर्मा सी गयी.
“बहुत सूंदर नाम है” मैने कहा “चाय पियोगी सुमन ?’
मेरे मूह से अपना नाम सुनकर उसने अचानक मेरी देखा “आप तकलीफ़ क्यों करते हो बाबूजी ?”
“अरे तकलीफ़ कैसी सुमन, मैं अपने लिए तो बना ही रहा हूँ तुम भी पी लेना” मुझे बार बार उसका नाम लेकर बुलाने में मज़ा आ रहा था.
“ठीक है बाबूजी, बना लीजिए” वो फिर मुस्कुराइ. अब मुझे उसकी मुस्कुराहट और अच्छी लगी.
मैं किचन में चाय बना रहा था और मन में उल्टे सीधे विचार आने लगे.चाय बनाने में ध्यान कहाँ लगता. आँखो के सामने सुमन की खूबसूरत मुस्कुराहट
घूम रही थी.चाय उबल कर बाहर निकल गयी.
“क्या हुआ बाबूजी ?” सुमन ने आवाज़ लगाकर पूछा.ऐसा लगा मानो मेरी घरवाली कुछ पूछ रही हो
“कुछ नही “कहते हुए मैं चाय दो कपो में लेकर रूम में आ गया. सामने बैठी सुमन को पसीना आ रहा था.
“गर्मी लग रही हो तो इधर बेड पर आ जाओ सुमन” मैने कहा तो वो आकर मेरे सामने बेड पर बैठ गयी. मैने देखा की उसकी हाइट बहुत कम थी
लेकिन शरीर भरा हुआ था थोडा पेट भी निकला हुआ था रंग सांवला लेकिन नैन नक्श तीखे थे
हम दोनो चाय पीने लगे. मैने पूछा “और घर में कौन कौन है सुमन” मैं जान बूझकर उसका नाम ले रहा था
“हम दोनो मियाँ बीबी और एक बच्चा है बाबूजी. अभी छोटा है एक साल का और साथ में हरिया भी रहता है” वो आँखों में आँखें डालकर बात कर रही थी
“दूसरा बच्चा होने वाला है क्या, सुमन ?” पूछते हुए मेरा मन जोरों से धड़कने लगा. कहीं सुमन बुरा मान गयी तो ?
“धत्त बाबूजी आप भी क्या पूछते हैं ” वो शर्मा कर मुस्कुरा दी “आपने ऐसा क्यों पूछा ?”
“तुम्हारा पेट देखकर” मैने हिम्मत करके कह दिया.
“धत बाबूजी अभी नही, अभी तो पहला ही छोटा है ” उसने चाय ख़त्म करते हुए कहा.”अच्छा अब मैं चलूं बाबूजी ?” वो उठने लगी
“थोड़ी देर और बैठो ना सुमन प्लीज़” कहते हुए मैने उसका हाथ पकड़ लिया.
“ये क्या करते हो बाबूजी ? कहीं किसी ने देख लिया तो ? ” उसने हाथ छुड़ाने की कोशिश नही की
मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैने उसे अपने पास खींच लिया “हम दोनो के अलावा यहाँ है कौन जो हमे देखेगा सुमन ?” मैने उसका एक चुम्मा ले लिया
“नही बाबूजी हमे जाने दो,हमे खराब ना करो” वो दरवाजे की तरफ जाने लगी. मैने उसका पल्लू पकड़ लिया.
“ऐसे नही सुमन, ऐसे मत जाओ प्लीज़. मैं तुम्हारे साथ कुछ और देर रहना चाहता हूँ” मेरे स्वर में विनती थी
“नही बाबूजी मैं और नही रुक सकती. आप इतने लंबे और मैं इतनी छोटी, हमारा मिलन कैसे होगा “वो बोली और इसी छीना झपटी में उसकी साड़ी खुल गयी.उसने अपनी बाहे अपने सीने पर रख ली.
“ये क्या छुपा रही हो हमसे सुमन रानी,दिखाओ ना” मैने उसकी बाहे हटाने लगा.
“आप बड़े गंदे हो बाबूजी,कैसी गंदी बाते करते हो. ये तो मेरा बच्चा चूस्ता है इनमे आप क्या लोगे ?” सुमन बोली.
“तो हमे भी दिखाओ ना हम भी चूस लेंगे थोड़ी सी” कहते हुए मैने उंसकी दोनो चुचियाँ पकड़ ली. क्या पत्थर की तरह सख़्त चुचियाँ थी सुमन की
चुचियाँ पकड़ते ही सुमन बुरी तरह से काँपने लगी
” क्या बात है सुमन रानी ? काँप क्यों रही हो ” मैं घबरा गया था
“क्या बताउन बाबूजी, बहुत डर लग रहा है. पता नहीं आप मेरे साथ क्या करने वाले हो. मुझे छोड़ दो बाबूजी, जाने दो, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ.”
मुझे लगा कहीं सुमन शोर ना मचा दे,आख़िर अडोस पड़ोस में और भी लोग रहते हैं
“इसमे डरने क़ी क्या बात है सुमन रानी ? मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती नहीं करूँगा. जो भी होगा तुम्हारी रज़ामंदी से होगा. आओ बेड पर बैठ कर बात
करते हैं. ठीक है सुमन रानी ?” मैने पूछा
” ठीक है बाबूजी” उसके हाँ कहते ही मेरी जान में जान आई. मैने सुमन को अपनी बाहों में उठा लिया और ला कर बेड पर लिटा दिया.
बिल्कुल फूल क़ी तरह कोमल थी सुमन. हल्की सी, छोटी सी और प्यारी सी
” अब बताओ सुमन रानी, किससे डर लगता है तुम्हे ” मैं उसके पास बैठ गया और सिर पर हाथ फेरने लगा
” बाबूजी आप मुझे बार बार सुमन रानी कहकर क्यों पुकारते हो ? मैं कहीं क़ी रानी थोड़े ना हूँ. मेरा नाम तो सिर्फ़ सुमन है.” वो बोली.
“रानी तो तुम बन गयी हो सुमन, आज से मेरे इस दिल क़ी ” कहकर मैने झुककर उसके होंठ चूम लिए
” हाय राम बाबूजी, आप तो बड़े बेशरम हो ” उसने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया. सुमन क़ी इस अदा पर तो मैं जैसे फिदा ही हो गया. मैने उसके चेहरे से हाथ हटाते हुए कहा “सुमन रानी मेरा दिल करता है कि तुम्हारे इन होंठो क़ी सारी लिपस्टिक चाट लूँ. तुम बुरा तो नहीं मान जाओगी”
“इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है बाबूजी ? बस एक बात का ख़याल रखना कि अगर आप मेरी लिपस्टिक चाटना चाहते हो तो नयी लिपस्टिक भी मुझे
दिलानी पड़ेगी, बोलो मंज़ूर है ?” मेरा कलेज़ा उछाल मारने लगा
“एक नही दस लिपस्टिक ले लेना मेरी जान ” मेरी किस्मत ज़ोर मार रही थी शायद.
“तो फिर आपको किसने रोका है लेकिन अपना वादा याद रखना ” सुमन मुस्कुराते हुए बोली. वही कातिलाना मुस्कुराहट जिसने मुझे पागल किया था. मैं पागलों क़ी तरह उसके होंठो को चूमने लगा. थोड़ी देर बाद सुमन भी मेरा साथ देने लगी.
सुमन ने अपना एक हाथ मेरे सिर के पीछे रख लिया और मेरा चेहरा अपने होंठों पर दबाने लगी. मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगी, मेरे होंठ अपने दाँतों से काटने लगी. पता नही कितनी देर तक हम दोनो एक दूसरे को चुसते रहे. कितने रसीले होंठ थे सुमन के,ऐसा लगा मानो मैं शहद पी रहा था, इतने मीठे होंठ मैने आज तक नहीं चखे थे. जब हम अलग हुए तो मैने कहा “सुमन रानी, मेरा मन कर रहा है कि मैं तुम्हारे ये कोमल कोमल गाल भी चूसू “
“फिर तो आपको एक पाउडर का डिब्बा भी दिलाना पड़ेगा बाबूजी ” कहकर सुमन खिलखिलाकर हंस पड़ी. क्या नज़ारा था वो. सुमन के हंसते ही मानो सारे कमरे में मोती बिखर गये. मेरा रोम रोम खिल गया. क्या किसी औरत क़ी हँसी इतनी सुंदर भी हो सकती है
“मैं तो तुम्हे सारा मेकप का सामान ही दिला दूँगा मेरी जान और अपने हाथों से तुम्हे दुल्हन क़ी तरह सजाऊंगा “कहकर मैं उसके गालो को चूमने लगा
“सच बाबूजी ?” उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया अपनी बाहों में, “ओह बाबूजी आप कितनी प्यारी बाते करते हो. आज आपने मुझे जीत लिया बाबूजी. मैं आज से सचमुच आपकी सुमन रानी बन गयी हूँ ” और वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी
मैने अपना एक हाथ उसके सीने क़ी एक गोलाई पर रख दिया. सुमन ने कोई प्रतिरोध नही किया.मैं समझ गया कि सुमन अब कोई प्रतिरोध नहीं करेगी
वही हाथ मैने दूसरी गोलाई पर रख दिया. “कुछ ढूँढ रहे हो क्या बाबूजी ?” सुमन धीरे से मेरे कान में बोली
“हाँ सुमन रानी “मैने उसके कान में कहा
“क्या ढूँढ रहे हो बाबूजी ? क्या मैं आपकी मदद करूँ?” सुमन मेरा कान दाँतों से काटने लगी
” हाँ सुमन रानी मेरी मदद करो ना. मेरा दिल तुम्हारी चोली में कहीं खो गया है उसे ढूँढने में मेरी मदद करो ” मेरा दिल बेकाबू हो रहा था
“अगर आपका दिल मेरी चोली में खो गया है तो ऐसे उपर से टटोलने से थोड़े ही मिलेगा बाबूजी, ज़रा अंदर कोशिश करो ” फिर वही शरारती मुस्कुराहट
” वाह सुमन रानी तुमने तो मेरे दिल कि बात कह दी,” ठीक है मैं अपना दिल तुम्हारी चोली के अंदर ढूंढता हूँ “
इतना कहकर मैने अपना हाथ उसके ब्लाउस में डाल दिया.उसकी एक गोलाई को पकड़ लिया. कितनी सख़्त चुचि थी सुमन क़ी. फिर दूसरी गोलाई को पकड़ कर बहुत देर तक दबाता रहा. इतना दबाने पर भी चुचियाँ नरम नही हुई. अब मेरा मन सुमन क़ी गोलाइयाँ चूसने के लिए बेताब हो रहा था
” क्या हुआ बाबूजी दिल मिला या नही ” सुमन आँखे बंद किए हुए बोली
“नहीं मिला मेरी जान. अब क्या करूँ सुमन रानी” मैने उसका स्तन ज़ोर से दबा दिया
“उफ्फ बाबूजी, ये क्या करते हो ?अगर नहीं मिला तो ऐसे दबाने से थोड़े ही मिल जाएगा, चोली उतार कर ढूँढ लो ना “सुमन गरम हो चुकी थी
मैं भी तो यही चाहता था. मैने उसके ब्लाउस के सारे हुक खोल दिए.सुमन ने अंदर ब्रा नही पहनी थी हुक खोलते ही दोनो मस्त कबूतर बाहर झाँकने लगे. मैने सुमन को बैठा लिया और उसका ब्लाउस उसके सीने से अलग कर दिया. दोनो सफेद कबूतर अब आज़ाद थे और तने हुए थे
“सुमन रानी ये बताओ तुम्हारी ये सुंदर चुचियाँ इतनी सख़्त और तनी हुई क्यों हैं” मैने चुचियों को सहलाते हुए पूछा.
” बाबूजी ये तनी हुई नही भरी हुई हैं. इनमे दूध भरा है मेरे बेटे के लिए, जब वो इनको चूस लेता है तो उसकी भूख मिट जाती है और मुझे भी बड़ा चैन मिलता है.जब तक वो नही चूस्ता इनमे दर्द होता रहता है जैसा क़ी अब भी हो रहा है ” सुमन बोली
“सुमन रानी तुम्हारी चुचियों में दर्द हो रहा है और मुझे भी भूख लगी है, क्या कोई ऐसा रास्ता नही है क़ी मेरी भूख मिट जाए और तुम्हारी छातियों का दर्द कम हो जाए मेरी जान ” मैने अपने दिल क़ी बात कह दी
“मैं समझ गयी बाबूजी आप क्या चाहते हो. मुझे मालूम था क़ी आप का दिल मेरी चुचियों पर आ चुका है और आप इन्हे चूसे बिना नही छोड़ोगे.आओ बाबूजी मेरी गोद में लेट जाओ आज मैं आपको अपने बच्चे क़ी तरह चुचि पिलाऊँगी. जी भर कर पियो बाबूजी लेकिन काटना मत ” सुमन ने कहा
मैं सुमन क़ी गोद में लेट गया और सुमन ने दो उंगलियों से पकड़ कर चुचि वैसे ही मेरे मूह में दी जैसे कोई माँ अपने बच्चे को देती है. मैं चूसने लगा तो सचमुच सुमन क़ी चुचि में से दूध आने लगा. कितना गर्म और मीठा दूध था सुमन क़ी चुचियों का. मैं एक एक बूँद चूस लेना चाहता था और शायद सुमन भी यही चाहती थी इसलिए एक चुचि खाली होते ही उसने मेरे मूह में झट दूसरी चूची डाल दी
” चूसो बाबूजी और ज़ोर से चूसो, जी भर कर पियो आज अपनी सुमन रानी क़ी छातियाँ, चूस चूस कर खाली कर दो बाबूजी, इनको थोड़ी नरम बना दो, इनका दर्द मिटा दो ” सुमन मस्ती में बड़बड़ा रही थी “हाँ बाबूजी ऐसे ही प्यार से चूसो,हाए बाबूजी आप कितनी अच्छी तरह चूसते हो इतना मज़ा तो पहले कभी नही आया. लल्लन तो कभी इन्हे चूसता ही नही “
“क्या कहती हो सुमन रानी लल्लन इन चुचियों को नही चूसता. भला ऐसा कौन सा मर्द होगा जो तुम्हारी इन मदभरी चूचियों को छोड़ देगा “
” सच कहा बाबूजी आपने कोई मर्द नही छोड़ेगा लेकिन लल्लन मर्द कहाँ वो तो नामर्द है, हिज़ड़ा है हरामी “सुमन क़ी आँखे भर आई
“तो फिर ये बच्चा किसका है सुमन रानी “मैं चोंक गया था
“ये बच्चा भी आप जैसे किसी बाबू का है बाबूजी दो साल पहले उनसे ऐसे ही मिली थी जैसे आज आप मिल गये बाबूजी और उन्होने अपने प्यार क़ी निशानी ये बच्चा मेरे पेट में डाल दिया ” मैने सुमन को अपने पास खींच लिया और जी भर कर चूमा
“तो क्या तुम मेरे बच्चे को भी जन्म दोगी सुमन रानी ” धीरे धीरे वासना क़ी जगह प्यार ने ले ली
” हाँ बाबूजी मैं आपके बच्चे को जन्म दूँगी, आज आप अपना बच्चा मेरे पेट में डाल दो, बाबूजी आप का बच्चा आप ही क़ी तरह होना चाहिए लंबा और तगड़ा बाबूजी. ऐसे ही प्यार से मेरी छातियाँ चूसे जैसे आज आपने चूसी हैं
“सच सुमन रानी मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा क़ी तुम मेरा बच्चा जनोगी ” मेरा दिल मेरे मूह को आ रहा था
” इसमे विश्वास ना करने वाली कौन सी बात है बाबूजी. मैं आपके साथ एक बिस्तर पर लेटी हूँ, नंगी पड़ी हूँ, आपने चूस चूस कर मेरी छातियाँ खाली कर दी मेरिचुचियाँ निचोड़ डाली और अब मैं आपसे एक बच्चे क़ी भीख माँग रही हूँ. प्लीज़ बाबूजी मुझे आपका बच्चा पैदा करना है ” सुमन गिड़गिदने लगी
“सुमन रानी इसमे भीख माँगने वाली कोई बात नही. मैं तो खुद चाहता हूँ क़ी तुम मेरा बच्चा पैदा करो मेरी जान “
” तो फिर दो ना बाबूजी देर किस बात क़ी,डाल दो ना अपना बच्चा मेरे पेट में, मैं तय्यार खड़ी हूँ बाबूजी आओ “सुमन को काफ़ी जल्दी थी चुद्वने क़ी
” अभी तुम पूरी तरह तय्यार कहाँ हो सुमन रानी, ये घाघरा भी तो खोलना है, तभी तो मैं तुम्हारे पेट में बच्चा डाल सकता हूँ ” मैं मज़े ले रहा था
“खोल दो घाघरा बाबूजी आपको किसने रोका है और नही तो ये लो मैं खुद ही खोल देती हूँ ” कहते हुए सुमन ने एक झटके से अपने घाघरे का नाडा
खींच दिया. अब उसका घाघरा ज़मीन पर था और मेरी सुमन मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. कितनी सुंदर दिख रही थी. मैने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा होकर सुमन को बाहों में उठा लिया
” आओ सुमन रानी आज मैं तुम्हारी मनोकामना पूरी करूँगा. तुम्हारे पेट में अपना बच्चा डालूँगा और तुम्हारी योनि क़ी सारी प्यास बुझा दूँगा ” कहते हुए मैने सुमन को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ गया. बाकी कहानी अगले भाग में सुनाऊंगा.
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