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टॉयलेट में बुर्के वाली की चुदाई - मुस्लिम लड़की को चोदा - Musalman ladki ki chudai khub choda
टॉयलेट में बुर्के वाली की चुदाई - मुस्लिम लड़की को चोदा - Musalman ladki ki chudai khub choda , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story.
मैं एक बार दिल्ली से आगरा जा रहा था। मैं बस में दो वाली सीट पर जा कर बैठ गया। सर्दियों के दिन थे, बस खाली पड़ी थी।
अचानक एक बड़ा सारा परिवार बस में चढ़ गया, वो कोई 12-14 जन थे। मेरे बगल वाली सीट पर एक 18-19 साल की लड़की बुर्के में आ कर बैठ गई।
जब बस चली तो मैं उसके मम्मों पर हाथ लगाने की जुगाड़ बना रहा था कि मैंने महसूस किया कि मेरी टांग पर वो अपनी टांग मार रही है। उसने शॉल ओढ़ी हुई थी। मैंने डरते डरते अपनी कोहनी उसकी चूची पर दबाई वो हंस पड़ी। मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैं कुछ देर कोहनी से ही उसके चूचे दबाता रहा।
फिर मैंने धीरे से अपना हाथ शॉल के अन्दर बढ़ाया। अब मैं उसकी चूची को मसलने लगा। मेरा लण्ड भी अब तैयार हो चुका था। बस फरीदाबाद पहुँच चुकी थी। मैंने अपना बैग टांग पर रख लिया। उसका हाथ अब मेरा लण्ड सहला रहा था।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही मज़े करते रहे मगर अब तो उसे चोदने की इच्छा थी मगर कोई जुगाड़ नहीं बन रहा था।
तभी बस कोसी में एक ढाबे पर रुकी। मैं टॉयलेट गया। तभी मेरा दिमाग चला कि बस तो करीब 45 मिनट रुकेगी। मैं झट मूत कर बाहर आया और उसे इशारा करने लगा।
वो चाय लेने के बहाने अपने भाई के साथ नीचे उतरी। सबको चाय देने के बाद वो नीचे ही खड़ी होकर चाय पीने लगी। मैं उसके पास पहुंचा और बोला- मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ!
वो बोली- साले गांडू! तू कुछ पागल है क्या? यहाँ मेरे अब्बू और भाई तुझे काट के रख देंगे!
मैंने कहा- तू बता, तेरा मन है या नहीं?
तो बोली- बहन के लौड़े, मन तो बहुत है, तूने मुझे पूरा गीला कर दिया है, मगर कहाँ चोदेगा?
मैंने कहा- देख वहाँ टॉयलेट है, वहां कोई नहीं जा रहा। वहीं किसी पखाने में जुगाड़ बनाते हैं।
वो बोली- चूतिये, पूरी बस में आदमी ही आदमी हैं, इसके पीछे लेडीज टॉयलेट है उसमें कोई नहीं जायेगी, सब मूत मार चुकी हैं।
मैंने कहा- हाँ यह तो है!
वो बोली- पहले मैं जाती हूँ, तू जुगाड़ बना कर पीछे से आ!
वो चली गई तो मैं 5 मिनट बाद इ़धर उधर घूमता हुआ वहाँ पहुँच गया। वो पहले से दरवाज़े पर खड़ी थी। मैं जल्दी से अन्दर चला गया और दरवाजा लगा लिया।
हमने खूब लम्बा चुम्मा लिया मगर पखाना बहुत ही छोटा था चुदाई के मतलब से।
मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और मम्मे चूसने चालू कर दिए।
वो बोली- मादरचोद, बस छूट जायेगी! अपना लौड़ा पेल!
मैंने अपनी जिप खोल कर उसका बुरका ऊपर उठाया। वो सलवार और चड्डी ढीली किए हुए थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक झटका दिया।
वो चीखी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय मर गई!
फिर धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और झटके देने शुरू कर दिए; वो भी सिसकारी भरने लगी।
करीब 7-8 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए। मैंने अपना माल उसकी चूत में डाल दिया।
मैंने कहा- यार, तेरी चूत चाट सकता हूँ?
वो ख़ुशी से बोली- अब भी नहीं मानेगा?
मैंने कहा- यार, ब्लू फिल्म में देखा है तो मेरा भी एक बार करने का मन है।
वो बोली- ठीक है!
मगर जैसे ही मेरा मुँह उसकी चूत पर गया, बदबू के मारे मुझे उलटी आने लगी।
वो बोली- मैं भी तेरा चूस के देखूँ?
मगर वो भी यही बोली- बहुत बदबू है!
फिर हम दोनों कपड़े सही करके बाहर आ गए।
इतने में उसकी मौसी ने देख लिया और लगी हल्ला मचाने!
मैं तो एकदम घबरा गया, डर के मारे भाग खड़ा हुआ, मेरा सारा सामन बस में ही रह गया। मैं किसी तरह करके मथुरा पहुंचा तो जान में जान आई।
मैं एक बार दिल्ली से आगरा जा रहा था। मैं बस में दो वाली सीट पर जा कर बैठ गया। सर्दियों के दिन थे, बस खाली पड़ी थी।
अचानक एक बड़ा सारा परिवार बस में चढ़ गया, वो कोई 12-14 जन थे। मेरे बगल वाली सीट पर एक 18-19 साल की लड़की बुर्के में आ कर बैठ गई।
जब बस चली तो मैं उसके मम्मों पर हाथ लगाने की जुगाड़ बना रहा था कि मैंने महसूस किया कि मेरी टांग पर वो अपनी टांग मार रही है। उसने शॉल ओढ़ी हुई थी। मैंने डरते डरते अपनी कोहनी उसकी चूची पर दबाई वो हंस पड़ी। मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैं कुछ देर कोहनी से ही उसके चूचे दबाता रहा।
फिर मैंने धीरे से अपना हाथ शॉल के अन्दर बढ़ाया। अब मैं उसकी चूची को मसलने लगा। मेरा लण्ड भी अब तैयार हो चुका था। बस फरीदाबाद पहुँच चुकी थी। मैंने अपना बैग टांग पर रख लिया। उसका हाथ अब मेरा लण्ड सहला रहा था।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही मज़े करते रहे मगर अब तो उसे चोदने की इच्छा थी मगर कोई जुगाड़ नहीं बन रहा था।
तभी बस कोसी में एक ढाबे पर रुकी। मैं टॉयलेट गया। तभी मेरा दिमाग चला कि बस तो करीब 45 मिनट रुकेगी। मैं झट मूत कर बाहर आया और उसे इशारा करने लगा।
वो चाय लेने के बहाने अपने भाई के साथ नीचे उतरी। सबको चाय देने के बाद वो नीचे ही खड़ी होकर चाय पीने लगी। मैं उसके पास पहुंचा और बोला- मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ!
वो बोली- साले गांडू! तू कुछ पागल है क्या? यहाँ मेरे अब्बू और भाई तुझे काट के रख देंगे!
मैंने कहा- तू बता, तेरा मन है या नहीं?
तो बोली- बहन के लौड़े, मन तो बहुत है, तूने मुझे पूरा गीला कर दिया है, मगर कहाँ चोदेगा?
मैंने कहा- देख वहाँ टॉयलेट है, वहां कोई नहीं जा रहा। वहीं किसी पखाने में जुगाड़ बनाते हैं।
वो बोली- चूतिये, पूरी बस में आदमी ही आदमी हैं, इसके पीछे लेडीज टॉयलेट है उसमें कोई नहीं जायेगी, सब मूत मार चुकी हैं।
मैंने कहा- हाँ यह तो है!
वो बोली- पहले मैं जाती हूँ, तू जुगाड़ बना कर पीछे से आ!
वो चली गई तो मैं 5 मिनट बाद इ़धर उधर घूमता हुआ वहाँ पहुँच गया। वो पहले से दरवाज़े पर खड़ी थी। मैं जल्दी से अन्दर चला गया और दरवाजा लगा लिया।
हमने खूब लम्बा चुम्मा लिया मगर पखाना बहुत ही छोटा था चुदाई के मतलब से।
मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और मम्मे चूसने चालू कर दिए।
वो बोली- मादरचोद, बस छूट जायेगी! अपना लौड़ा पेल!
मैंने अपनी जिप खोल कर उसका बुरका ऊपर उठाया। वो सलवार और चड्डी ढीली किए हुए थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक झटका दिया।
वो चीखी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय मर गई!
फिर धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और झटके देने शुरू कर दिए; वो भी सिसकारी भरने लगी।
करीब 7-8 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए। मैंने अपना माल उसकी चूत में डाल दिया।
मैंने कहा- यार, तेरी चूत चाट सकता हूँ?
वो ख़ुशी से बोली- अब भी नहीं मानेगा?
मैंने कहा- यार, ब्लू फिल्म में देखा है तो मेरा भी एक बार करने का मन है।
वो बोली- ठीक है!
मगर जैसे ही मेरा मुँह उसकी चूत पर गया, बदबू के मारे मुझे उलटी आने लगी।
वो बोली- मैं भी तेरा चूस के देखूँ?
मगर वो भी यही बोली- बहुत बदबू है!
फिर हम दोनों कपड़े सही करके बाहर आ गए।
इतने में उसकी मौसी ने देख लिया और लगी हल्ला मचाने!
मैं तो एकदम घबरा गया, डर के मारे भाग खड़ा हुआ, मेरा सारा सामन बस में ही रह गया। मैं किसी तरह करके मथुरा पहुंचा तो जान में जान आई।
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