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गंदी बातें सुनकर हमारी चूत और गरम हो गई - Gandi baaten sunkar hamari chut garm ho gayi
मैं कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करके अभी कुछ दिन पहले आयी हूँ। मैं हॉस्टल में ५ साल रह कर आयी हूँ। इन पाँच सालो में मैंने बहुत कुछ सीखा है। मैं जब घर से गयी थी तब मैं सीधी शादी, भोली भाली, नज़रे नीचे करके चलने वाली एक शर्मीली लड़की थी। और जब वापस आयी हूँ तो सीना तान करके, अपनी बड़ी बड़ी मस्त चूंचियां उठा करके, लोगों से नज़रें मिला करके और सबकी माँ बहन चोदते हुए घर पहुंची हूँ। शर्म को तो मैंने ताख पर रख दिया है। मैंने बड़ी मस्ती और बेशर्मी से दिन गुज़ारें हैं हॉस्टल में। मैं अपने कपड़े उतार कर बैठती थी। अधिक तर नंगी ही रहती थी हॉस्टल में। खूब हंसी मजाक और गन्दी गन्दी बातें करती थी हॉस्टल में। गंदे गंदे नॉन वेज चुटकुले सुनाती थी सबको। मैंने अपनी झांटें कभी नहीं बनाई। अपनी सहेलियों से बनवाती थी अपनी झांटें। गालियां भी खूब सीख गयी थी मैं और मेरे मुंह से गालियां पहले निकलती थी बात बाद में। लड़कों की माँ बहन चोदने में मुझे बड़ा मज़ा आता था। लड़को की गांड मारने में मैं अव्वल थी।
धीरे धीरे मैं शराब पीने लगी और सिगरेट भी। इससे लड़कों के और नजदीक आ गयी मैं और एक दिन एक लड़के का लन्ड पकड़ लिया। बस उस दिन से मेरी ज़िन्दगी एकदम पलट गयी। मुझे लन्ड पकड़ना इतना अच्छा लगा की मैंने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। मैं लन्ड पर लन्ड पकड़ती गयी। कभी इसका लन्ड कभी उसका लन्ड ? यहाँ तक की मैं टीचरों के भी लन्ड पकड़ने लगी। इसी बीच मुझे बुर चुदवाने का चस्का लग गया। लन्ड चूत में पेलने का मज़ा लेने लगी। मेरे साथ २/३ लड़कियां और भी थीं वो भी मेरी तरह लन्ड की दीवानी थीं। फिर हम साथ साथ मिलकर लन्ड चाटने और चूसने लगीं। लन्ड मुठ्ठ मार कर पीने लगीं । मुझे शराब से ज्यादा लन्ड का नशा होने लगा। मैंने पिछले ३ साल में एक से एक बेहतरीन लन्ड पकड़े हैं और उनसे चुदवाया है. खूब मस्ती की है मैंने । मैं विदेशी लन्ड तक भी पहुँच गयी। मैं कॉलेज से बड़े बड़े होटलों में लन्ड पकड़ने और चुदवाने जाय करती थी । विदेशी मर्दों के लन्ड बड़े बड़े होतें हैं और वो पैसा भी खूब लुटाते हैं। मुझे लगा की मैं तो ज़न्नत में आ गयी हूँ जहाँ पैसा भी लो और लन्ड का मज़ा भी लो। सुबह लन्ड, दोपहर में लन्ड, शाम को लन्ड, रात में लन्ड यानी हर समय लन्ड ? मुझे लगा कीअब मैं बिना लन्ड के एक दिन भी नहीं रह सकती। मुझे बुर चुदवाने की बड़ी जबरदस्त आदत पड़ गयी।
अब मैं आपको अपनी अम्मी की बात बताती हूँ जो मुझे बाद में मालूम हुई थी। मेरीअम्मी का नाम है रफीका। बहुत मस्त, खूबसूरत और हॉट हैं मेरी अम्मी। आप उसी की जुबान से सुनिये :-
रेशमा मेरी बेटी मेरे पास इंटर तक पढाई करती रही। तब तक मैं भी बड़े नियम संयम से रही। अपनी बेटी को सब अच्छा अच्छा ही सिखाया। उससे कोई गन्दी बात नहीं की। भाषा पर कण्ट्रोल रखा और व्यवहार पर भी। उसके सामने न तो कोई अश्लील बात की और न किसी को गाली दी। उसकी सोहबत का ख्याल रखा और उसे खूब अच्छी तरह से जवान किया। जब वह इंटर मे पढ़ रही थी तो लगभग १८ साल की हो चुकी थी लेकिन मैंने सब्र का बाँध कभी टूटने नहीं दिया। मैं चाहती थी की मेरी बेटी पढ़ लिख कर एक अच्छी सी नौकरी कर ले और इसका ब्याह भी एकअच्छे खानदान में हो जाये, बस। इंटर की पढ़ाई के बाद वह बाहर चली गयी और हॉस्टल में रहने लगी। उसने ३ साल में ग्रेजुएशन किया और २ साल में पी जी कर लिया।
मैं बहुत खुश थी की मेरी बेटी की पढ़ाई अच्छी हो रही है। उसके जान के एक बाद मैं अकेली रह गयी। मेरा शौहर दुबई में काम करता है और साल में २/३ बार ही आ पाता है। मैं जवान थी। अकेले में ये बुर चोदी बुर और हल्ला मचाने लगती है। मुझे लन्ड की याद आने लगी। मेरी चूत लन्ड के लिए तड़पने लगी। मेरी चूत की आग ठंढी होती ही नहीं थी। एक दिन अचानक मेरा देवर आ गया। मेरी नियत उस पर ख़राब हो गयी लेकिन मैं हिम्मत नहीं कर पा रही थी। एक दिन मैंने रात में उसके कमरे की बत्ती जलती हुई देखा। मैं चुपके से गयी और अंदर झाँकने लगी। मैंने देखा की वह एकदम नंगा लेटा है और अपने हाथ से खड़ा लन्ड हिला रहा है। लन्ड देख कर मेरे बदन की आग और भड़क गयी। फिर मैंने देखा की वह मुठ्ठ मारने लगा है। मैं समझ गयी की अगर ये झड़ गया तो लन्ड ठंढ़ा हो जायेगा। फिर मुझे घंटा आधा घटा इंतज़ार करना पड़ेगा बहन चोद। इसलिए मैंने फिर बेशर्मी दिखाई।
मैंने सीधे कमरे में घुस गयी और कहा असद भोसड़ी के ये तुम क्या कर रहे हो तुम ? वह थोड़ा ठिठक गया। मैंने कहा अरे देवर जी ये काम हम भाभियों का है। लन्ड पकड़ना और हिलाना मेरा काम है। लन्ड का मुठ्ठ मारना मेरा काम है। मैं मारूंगी तेरे लन्ड का मुठ्ठ। लेकिन यह बताओ की जब तेरे सामने एक मस्त चूत है तो तू मुठ्ठ क्यों मार रहा है ? ला मुझे पकड़ा दे लन्ड। ऐसा कह कर मैंने लन्ड पकड़ लिया और उसे कई बार चूमा। उसका सुपाड़ा मुंह में ले लिया और चूसने लगी। तब उसने मेरी चूंचियां दबा दीं। फिर मैं नंगी हो गयी और उसे भी पूरा नंगा कर दिया। थोड़ी देर में मैंने लन्डअपनी चूत में घुसेड़ लिया और कहा अब तुम चोदो अपनी भाभी की बुर। वह भी मस्ती में था तो भकाभक चोदने लगा। बहुत दिनों के बाद मुझे लन्ड मिला तो कुछ मन को संतोष हुआ। मैंने फिर रात भर चुदवाया। एक नहीं तीन बार चुदवाया। गांड भी मरवाई मैंने उससे। उसके लन्ड का मज़ा खूब लूटा मैंने।
उसके बाद मैं रुकी नहीं। उसके दोस्तों से चुदवाया। अपने नंदोई से चुदवाया। उसके भाई जान से चुदवाया। पड़ोस के रहमान से चुदवाया। उसकी बेटी के ससुर से चुदवाया। यहाँ तक की बेटी के मियां से भी चुदवाया।, मेरा भोसड़ा चुदाने का काम अच्छी तरह चल पड़ा। फिर मुझे लन्ड की कमी कभी महसूस नहीं हुई। मैं एक लन्ड से नहीं २/३ लन्ड से एक साथ चुदवाने लगी। मैं मन ही मन सोंच रही थी की जब मेरी बुर चोदी बेटी आ जाएगी तो मैं कैसे चुदवाऊँगी ? मैं तो बिना लन्ड के रह ही नहीं सकती ? अब तक वह भी पूरी जवान हो गयी होगी। लन्ड तो वह भी पकड़ती ही होगी मादर चोद ? अपनी बुर में भी पेला होगा लन्ड उसने ? मैं तो कहती हूँ की वह भी भोसड़ी की अगर मेरे साथ चुदवाने लगे तो बहुत अच्छा हो ?
तो दोस्तों, देखा आपने की मेरी अम्मी कैसी हैं ? मैं जब हॉस्टल से सीधे घर पहुंची तो अम्मी बोली अरे वाह रेशमा तू तो बहन चोद बड़ी मस्त जवान हो गयी है। तेरे बड़े बड़े बूब्स, मोटी मोटी जांघें और मस्त गांड देख कर तो लड़के भोसड़ी के बड़े गरम हो जाते होंगें ? मैंने पहली बार अम्मी के मुंह से गालियां सुनी तो इस बात की तसल्ली हुई की मुझे भी गालियां देने का भर पूरअवसर मिलेगा। यानी मेरी गालियों पर मुझे लगाम लगाने की जरुरत नहीं है। मैंने कहा हां अम्मी लड़के तो माँ के लौड़े मेरे पीछे घूमेगें ही क्योंकि मेरे पास वो सब कुछ है जो उन्हें चाहिए। वह बोली अल्ला करे की तेरी जवानी इसी तरह सलामत रहें बेटी और तू जवानी का पूरा फायदा उठाती रहे। मैंने कहा अम्मी निखार तो जबरदस्त तेरे चेहरे पर भी है और तेरे बदन पर भी। तेरे भी बूब्स पहले से बड़े हो गएँ हैं। वह बोली अरे मेरी बेटी बूब्स पर जब मर्दों का हाथ लगता है तो बूब्स बड़े हो ही जातें हैं। मैं समझ गयी की अम्मी गैर मर्दों के लन्ड का मज़ा लेती हैं।
मैं मन ही मनऔर खुश हो गयी।
तब तक अम्मी पूंछ ही बैठी अच्छा रेशमा यह बता की किसी लड़के ने तेरे बूब्स पकड़ें हैं ?
हां अम्मी पकड़े हैं और अच्छी तरह पकड़ें हैं।
अरे वाह ! तो क्या सिर्फ बूब्स ही पकड़े हैं की आगे भी कुछ ,,,,,,,,,,,?
आगे भी सब कुछ पकड़ा है, अम्मी।
हाय मेरी रानी बिटिया तूने ठीक किया। जवानी में लड़कों का पकड़ना भी चाहिए और पकड़ाना भी चाहिए।
मैंने कहा अरे अम्मी आजकल लड़के मादर चोद खुद पकड़ लेते हैं।
अच्छा तो साफ़ साफ़ बता की तूने लड़कों के लन्ड पकड़ें की नहीं ?
हां अम्मी खूब पकड़ें हैं और एक नहीं कई लड़कों के लन्ड पकड़े हैं।
हाय दईया रेशमा तेरी माँ का भोसड़ा बहन चोद मैं जैसा चाहती थी तू वैसी ही हो गयी है।
हाय रब्बा अम्मी तेरी बिटिया की बुर मुझे नहीं मालूम था की मेरी अम्मी इतनी हॉट होंगी ?
अरे बेटी, तेरी अम्मी तो बुर चोदी मर्दों के लन्ड चोदती है।
अरे अम्मी तेरी बेटी भोसड़ी की लन्ड चोदने में तो अव्वल है। कॉलेज में कोई ऐसा लड़का नहीं है जिसका लन्ड तेरी बेटी ने चोदा न हो।
अम्मी मेरी बात सुनकर गद गद हो गयीं और मुझे गले लगा लिया। मैं इस बात से खुश थी की चलो पहले ही दिन से मैं अम्मी से खुल गयी। अब अम्मी केआगे न तो लन्ड, बुर, चूत, गांड, भोसड़ा जैसी बाते करने में कोई शर्म है और न गालियां देने में। अब तो बस एक ही काम बाकी है। अगर मैं अम्मी के सामने चुदवाने लगूं और अम्मी मेरे सामने चुदवाने लगें तो सब कुछ बेपर्दा हो जायेगा और तब मिलजुल कर ज़िन्दगी बड़ी मस्ती से कटने लगेगी। २/३ तरह बीत गए।
एक दिन मैं शाम को थोड़ा देर से आयी। घर में घुसते ही अम्मी ने आवाज़ दी अरी वो रेशमा कितनी देर लगा दी तूने। किसी का लन्ड हिला रही थी क्या ? या फिर कोई तेरी चूँचियों का मज़ा ले रहा था। मैंने कहा नहीं अम्मी ऐसा कुछ नहीं है। तब उसने कहा अच्छा ठीक है जल्दी से कपड़े बदल कर मेरे कमरे में आ जाओ। मैं जब कमरे में घुसी तो देखा की अम्मी सारे कपड़े उतार कर सोफा पर बैठी हुई एक आदमी से बात कर रहीं हैं। इतने में एक और आदमी बाथ रूम से निकला वह भी अम्मी के दूसरी तरफ बैठ गया। अम्मी बोली बेटी रेशमा इससे मिलो ये है मेरी दोस्त का शौहर असरार और ये है इसका दोस्त दिलदार अली। तुम ज़रा ड्रिंक्स का सेट लगा कर ले आओ प्लीज। मैंने अंदर गयी और ड्रिंक्स तैयार किया फिर मोबाइल टेबल पर रख कर कमरे में पहुँच गयी। अंदर पहुँच कर मैंने देखा की अम्मी उन दोनों के पैजामे के अंदर हाथ घुसेड़े हुए उनके लन्ड सहला रहीं हैं। मैं समझ गयी की आज कुछ मस्ती होने वाली है।
तब तक मैंने शराब का गिलास सबको पकड़ा दिया और खुद भी पीने लगी। मैंने देखा की अम्मी और वो दोनों एक ही सांस में गिलास खाली कर गया। मैंने कहा अरे वाह क्या बात है ! फिर मैं भी पी गयी और दूसरा गिलास बना दिया। इस बार लोगों ने आधा गिलास खाली किया। इतने में अम्मी ने असरार का लन्ड बाहर निकाल लिया और मुझे दिखा कर बोली लो मेरी बुर चोदी रेशमा अब तुम शराब के साथ लन्ड पियो। मैं भी दिलदार का पियूँगी। उसने दिलदार का लन्ड निकल लिया। मुझे क्या ? मैं तो चाहती यही थी। मैंने असरार का लन्ड लिया और उसे हिला हिला कर चारों तरफ से देखने लगी। मैंने लन्ड कई बार चूमा और फिर चाटने लगी। अम्मी भी मस्ती से लन्ड चाटने में जुट गयीं। तब तक मैंने असरार अंकल को बिलकुल नंगा कर दिया। उधर दिलदार भी नंगा हो गया। अम्मी ने अपने कपड़े उतारे और मैंने भी। हम दोनों भी नंगी हो गयीं। मेरा नंगा जिस्म देख कर दोनों लन्ड और तन कर हिनहिनाने लगे।
तब अम्मी मस्ती में बोली :- रेशमा, आज मैं तेरी माँ का भोसड़ा चोदूंगी।
मैंने भी उसी तरह कहा :- अम्मी, आज मैं तेरी बिटिया की बुर चोदूंगी।
हम सब हंस पड़े और फिर वो साले भोसड़ी वाले हमारी चूत चाटने लगे। मैं जिस तरह से लन्ड चाट रही थी, लन्ड चूस रही थी और शराब में डुबो डुबो कर लन्ड पी रही थीं उससे अम्मी को समझ में आया की रेशमा शायद पहले भी लन्ड पी चुकी है। वह बोली बेटी रेशमा तू बता की तूने अब तक कितने लन्ड पियें हैं ? मैंने कहा अम्मी अब मैंने गिनती तो की नहीं पर हां मैं हर दूसरे दिन लन्ड पीती थी। अम्मी बोली मादर चोद तू तो बहुत बड़ी लौड़ा बाज़ निकली ? मैंने कहा अरे अम्मी तू भी तो बहुत बड़ी चुदक्कड़ है बहन चोद। वह फिर बोली तेरी माँ का लन्ड रेशमा ? आज मैं देखूँगी की तू ज्यादा चुदक्कड़ है की मैं ? मैंने भी कहा तेरी बिटिया का लन्ड ? देख लो न मैं कोई कम नहीं हूँ। तब तक वाकई असरार ने लन्ड मेरी चूत में पेल दिया और मैं चुदवाने लगी। उधर दिलदार मेरी माँ चूत चोदने लगा। कमरा चुदाई से गूंजने लगा।
असरार अंकल का चोदना मुझे अच्छा लगा थोड़ा अलग तरीके का था। जैसे सब लोगो के लन्ड अलग अलग होतें है वैसे ही सबका चोदने का स्टाइल भी अलग अलग होता है। इसीलिए मुझे कई लोगों से चुदवाने में मज़ा आता है। पता नहीं की एक सेकंड में क्या हुआ कैसे हुआ की दिलदार अंकल का लन्ड मेरी चूत में आ गया और असरार अंकल का लन्ड मेरी माँ की चूत में चला गया। लन्ड बदला तो मज़ा भी बदल गया। हम दोनों पहली बार एक दूसरे के सामने चुदवा रहीं थीं। वैसे मैं कॉलेज में अपनी सहेलियों के साथ चुदवाया है। ग्रुप चुदाई का मज़ा लिया है मज़ा आज की मुझे हमेशा याद रहेगी। इतने में जाने कहाँ से एकआवाज़ आयी अरे रेशमा तू भोसड़ी की अपनी माँ चुदा रही है। तू भी मेरी बेटी की तरह अपनी माँ चुदवाने लगी ? हाय दईया आजकल की ये बुर चोदी लड़कियां क्या क्या कर रहीं हैं ?
मैंने आवाज़ पहचान ली। ये मेरी रबीना खाला जान थीं। मैंने कहा हाय रब्बा खाला जान कितने लन्ड घुसेड़े तेरी बेटी ने तेरी चूत में ? वह बोली हाय अल्ला, एक के बाद एक तीन तीन लन्ड तो घुसेड़ चुकी थी वो मेरे भोसड़ा में। मैं इसीलिए वहां से भाग निकली नहीं तो वह एक लन्ड मेरी गांड में ठोंक देती ? जबसे वह अपने कॉलेज से आयी है तबसे अपनी माँ चुदाने में ही लगी है। उसकी माँ लन्ड ? इसका बदला मैं कल लूंगी। इतने लन्ड उसकी चूत में पेलूंगी की उसकी गांड फट जाएगी। मैंने पूंछा खाला जान अभी अभी किससे चुदवाकर आ रही हो। वह बोली रेशमा इस बार तो उसने अपने ससुर के लन्ड घुसा दिया मेरी चूत में। लन्ड साला बड़ा मोटा था, मुझे मज़ा आ रहा था तो चुदवाती रही। मैंने जब सर उठा कर उसका मुंह देखा तो बोली हाय दईया सबीना बेटी तूने अपने ससुर का लन्ड पेल दिया मेरी चूत में ? वह बोली हां अम्मी मुझे मालूम है मोटा लन्ड पसंद करती है इसलिए पेल दिया।
मैंने कहा अच्छा अब मैं समझ गयी की तू भी अपने ससुर से चुदवाती है। वह बोली अरे अम्मी एक दिन मैंने अपनी नन्द को अपने ससुर से चुदवाते हुए देख लिया। तब उसने कहा भाभी मैं अपने ससुर से चुदवा रही हूँ तुम भी अपने ससुर से चुदवा लो। वो अपने कमरे में अकेला ही है। बस मैं उसके कमरे में घुस गयी। वह नंगा लेटा हुआ था और उसका लन्ड खड़ा था। लन्ड मुझे एक नज़र में भा गया। बस मैंने हाथ बढ़ाया और लन्ड पकड़ लिया। उसके बाद तो मैं रात भर चुदवाती रही। खाला जान की बातें सुनकर हमारी चूत और गरम हो गयी। थोड़ी देर में मैंने दिलदार अंकल का लन्ड खाला की बुर में घुसेड़ दिया। मैंने कहा खाला ये ले अपनी बहन का लन्ड ? तू तो भोसड़ी की रंडी की तरह चुदवाती है। अब मैं चोदूंगी तेरा भोसड़ा खाला जान ?
उस दिन से खाला और उसकी बेटी सबीना हमारे साथ चुदवाने लगीं।
सबीना बोली :- हाय रेशमा दीदी, तेरी बेटी चोद खाला की बुर ?
मैंने कहा :- हाय सबीना, तेरी माँ की बहन का लन्ड ?
बस एक ही गाली से हम दोनों एक दूसरे से खुल गयीं और फिर होने लगी धुआंधार चुदाई।
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