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दीदी के ससुर का लण्ड धीरे धीरे उठाने लगी - Didi ke sasur ka lund dhire dhire uthane lagi
मैं उस समय १८ + की हो चुकी थी। पूरी जवान हो चुकी थी। मेरी जवानी साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी। मेरे बूब्स बड़े बड़े हो गये थे, मेरी जांघें मोटी मोटी हो गयीं थीं। मेरे चूतड़ों में उभार आ गया था। मेरी गांड मस्त हो गयी थी। कमर मेरी पतली थी और गुन्डाज़ बाहें थीं। मुझे स्लीवलेस कपड़े पहनना बड़ा अच्छा लगता था। मेरी मस्तानी चूत तो गज़ब ढ़ा रही थी। उभरी हुई भी थी और टाइट भी थी। मेरी काली काली घनी झांटें तो बहुत पहले निकल आयीं थीं। मेरे मन में उमंग थी, मैं शोख़, चंचल और हसीन लड़कियों में गिनी जाती थी। मेरा नाम भी हसीना है। मेरा झुकाव लड़कों की तरफ ज्यादा हो गया। मुझे लड़कों को नंगा देखने का बड़ा शौक हो गया था । मैं लैपटॉप पर घंटों लण्ड देखा करती थी। तरह तरह से लण्ड देखती थी मैं। मेरी भी इच्छा होती थी की मैं लड़कों के लण्ड पकड़ूँ, लण्ड हिलाऊँ, लण्ड से खेलूं, लण्ड मुंह में लूं, लण्ड का मुठ्ठ मारू, लण्ड पियूं और लण्ड पेलूं अपनी चूत में ? एक दिन मैंने देखा की मेरा अब्बू सोफा पर बैठा है। वह केवल लुंगी पहने है और कुछ भी नहीं। इतने में पड़ोस की एक रुबिया नाम की लड़की आई। वह मुझसे २ साल बड़ी थी।
- उसे देख कर अब्बू ने कहा - रुबिया अब आयी हो तो मेरा लण्ड पी कर जाओ बेटी ?
- वह बोली - नहीं अंकल मुझे अभी किसी जरुरी काम से जाना है। मैं तेरा लण्ड अभी नहीं पी सकती ?
- अच्छा तो थोड़ा पकड़ कर, हिला कर, थोड़ा मुंह में लेकर तो देख लो मेरा लण्ड ?
- नहीं अंकल टाइम नहीं है मेरे पास।
- अच्छा एक बार तो पकड़ लो। तेरी माँ आती है तो मेरा लण्ड पी कर ही जाती है।
- तो फिर मेरी अम्मी को बुला लो और पिला दो उसे अपना लण्ड।
- अच्छा रुबीना एक बार देख तो लो मेरा लण्ड, बेटी।
- देख लूंगी तो फंस जाऊंगी अंकल। तेरा लण्ड बहुत बड़ा है और खूबसूरत भी है।
- तुझे कैसे मालूम रुबीना तूने तो कभी मेरा लण्ड देखा ही नहीं ?
- मुझे तेरे लण्ड के बारे में अम्मी ने सब कुछ बता दिया है। मैं सब जानती हूँ। तेरा लण्ड तो बहन चोद जादूगर है जो लड़कियों को फंसा लेता है।
- तेरे घर में कोई और है जो मेरा लण्ड पकड़ ले ?
- हां मेरी फूफी की बेटी है। वो सबके लण्ड पकड़ लेती है लेकिन अभी वह कॉलेज से आई नहीं है।
- अच्छा तो जब आये तो भेज देना मगर तू तो मेरे लण्ड की एक झलक ले ले ।
मैं थोड़ी देर में रुबिया के अम्मी के पास चली गयी। मैं उससे बातें करने लगी और खुल कर बातें करने लगी। वह बोली अरी हसीना अब तो तू जवान हो गयी है भोसड़ी वाली। तेरी माँ की चूत बहन चोद ? तेरी बहन का लण्ड ? अब तो मैं तुझे गालियां दिया करुँगी। तेरी गांड मारा करुँगी, तेरे सामने तेरी माँ चोदा करुँगी। मैंने मुस्कराकर कहा मैं भी पेला करुँगी रुबिया के सामने उसकी माँ की चूत में लण्ड ? उसने कहा रुबिया तो मादर चोद पहले से ही पेल रही है मेरी चूत में लण्ड ?
मैंने कहा :- अच्छा आंटी यह बताओ तुम्हे मेरे अब्बू का लण्ड कैसा लगा ?
वह बोली :- हाय दईया क्या लौड़ा है उसका ? खुदा ने बड़ी फुर्सत से बनाया है तेरे अब्बू का लण्ड हसीना ? थोड़ी ही कसर रह गयी नहीं तो वह १०" का लण्ड घोड़े के लण्ड के बराबर हो जाता ? जब खड़ा होता है तेरे अब्बू का लण्ड तो बड़ा खूंखार भी लगता है और बड़ा खूबसूरत भी ? मैं तो उसका लण्ड देख कर उस पर फ़िदा हो गयी। अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं तेरी असली माँ होती, हसीना।
मैंने पूंछा ;- अच्छा आंटी तेरी बेटी ने कभी पकड़ा मेरे अब्बू का लण्ड ?
वह बोली :- नहीं अभी तक नहीं पकड़ा ? वह डरती है की अगर उसने देख लिया किसी दिन उसका लण्ड तो फिर वह अपने आपको रोक नहीं पायेगी। चुदवाना शुरू कर देगी वह तेरे अब्बू से ? मेरी बेटी बुर चोदी चुदवाने में बड़ी बेशरम है। वह किसी का भी लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ लेती है।
मैंने कहा :- तो फिर मेरे अब्बू का लण्ड क्यों नहीं ?
वह बोली :- मेरी बेटी को डर है की तेरे अब्बू से चुदवाने के बाद उसे किसी और का लण्ड पसंद नहीं आएगा। फिर किसी और से चुदवाने में मज़ा भी नहीं आएगा और ऐसे में वह केवल एक ही लण्ड से चुदवाती रह जाएगी। कई कई लण्ड का मज़ा नहीं लूट पायेगी।
मैंने कहा :- अरे आंटी ऐसा होता नहीं है ? सभी बुर चोदी बीवियों को ग़ैर मर्दों से लण्ड से ज्यादा प्यार होता है , लण्ड चाहे किसी भी तरह के हों। अब मेरी अम्मी को देखो वह तो अब्बू के लण्ड की परवाह ही नहीं करती। हमेशा गैर मर्दों से ही चुदवाया करती हैं। मैं तो उसे अक्सर लोगों से चुदवाते हुए देखती हूँ।
आंटी बोली :- हां हसीना, तू सच कह रही है। मैं भी तो ग़ैर मर्दों के लण्ड की दीवानी हूँ। पर तेरी सहेली रुबिया भोसड़ी की मेरी बात माने तब न ?
मैंने कहा :- आंटी जी, उसकी शादी कर दीजिये बस वह उसी दिन से मान जाएगी।
आंटी बोली :- शादी तो पक्की हो गयी है, निकाह होना बाकी है।
मैं शाम को अपने घर लौट आयी। आकर मैं सीधे ऊपर अम्मी के कमरे में चली गई। मुझे मालूम था की मेरा अब्बू नीचे कमरे में अकेला बैठा है. मैं जैसे ही अंदर घुसी तो देखा की अम्मी अपने बड़े बड़े स्तन खोले हुए किसी आदमी का लण्ड हिला रहीं हैं। मेरी नज़र लण्ड पर पड़ी तो मरे बदन में गुद गुदी होने लगी। मैं भी बड़ी बेशर्मी से बोली हाय ये कौन है,अम्मी ? किसका लण्ड हिला रही है तू बहन चोद ? अगर लण्ड हिलाना ही था तो दरवाजा बंद कर लेती ? मेरे अलावा कोई और आ जाता तो ? वह बोली तो क्या वह मुझे लण्ड हिलाते हुए देख ही लेती न ? तो देख ले। डर किस बात का है मुझे ? और सुन बुर चोदी हसीना हमारे घर में चोदा चोदी छुप छुप कर नहीं होती। खुले आम होती है। सबको मालूम होना चाहिए कौन किसकी बुर ले रहा है और कौन किसका लण्ड ले रही है ? मैं लण्ड ही तो हिला रही हूँ कोई चोरी तो नहीं कर रही हूँ। अब तो तू भी जवान हो गई है ले पकड़ केर देख ले अपने सफी अंकल का लण्ड ? नहीं तो अभी ये थोड़ी देर में तेरी माँ के भोसड़ा में घुस जायेगा और फाड़ डालेगा तेरी माँ का भोसड़ा ? अम्मी इतने प्यार से बोलीं तो मैं मना नहीं कर सकी और अंकल का लण्ड पकड़ कर चाटने लगी।
अम्मी तो चली गयी और मैं अंकल का लण्ड चाटती चूसती ही रही। अंकल को भी मज़ा आने लगा। उसने कहा हसीना आज तू मेरा सड़का मार दे बेटी। कल मैं तेरी बुर चोदने आऊंगा। मैंने लण्ड मुठ्ठी में दबाया और सटासट सड़का मारने लगी। मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर में वह झड़ गया और मैंने लण्ड अपने मुंह में भर लिया था तो मैं उसका सारा वीर्य पी गयी। तब तक अम्मी वापस आ गयी। मैंने कहा देखो अम्मी तेरे भोसड़ी वाले सफी का लण्ड मैंने कितनी जल्दी खलास कर दिया। अब ये तेरी बिटिया की बुर चोदने कल आएगा। अम्मी मेरे गाल थपथपा कर हंसने लगी।
मैं नीचे उतर कर अब्बू के कमरे में बैठ गयी। जैसे ही मैं बैठी वैसे ही मेरी सहेली रिया आ गयी। वह खूबसूरत और बड़ी बड़ी चूँचियों वाली लड़की थी। उसे देख कर अब्बू अपनी लुंगी के अंदर हाथ दाल कर अपना लण्ड सहलाने लगा। मैं समझ गयी की अब्बू की नियत मेरी सहेली पर ख़राब हो गई है। मैं उठी और उससे बड़े प्यार से मिली। मैंने थोड़ी बात की ही थी तभी अब्बू बोला हसीना ये तेरी सहेली है न ? मैंने कहा हां ये रिया है मेरी पक्की सहेली। बस अब्बू उसकी तरफ मुंह करके बोला रिया बेटी लो ज़रा मेरा लण्ड पकड़ कर देखो बेटी ? उसने अपनी लुंगी उठा कर लण्ड उसे दिखा दिया। लण्ड साला आधा खड़ा था। वह भी मुस्कराने लगी। मैंने कहा अब्बू तेरा ये मादर चोद लण्ड तुमसे ज्यादा हरामी है। जहाँ कोई खूबसूरत लड़की देखता है बस खड़ा हो जाता है भोसड़ी का ? अपने लण्ड को काबू में नहीं रख सकते तुम अब्बू जान ?
वह बोला बेटी हसीना चूत और लण्ड किसी के काबू में नहीं रहते ? चूत सबकी काबू के बाहर हो जाती है। तेरी भी बहुत काबू के बाहर है हसीना। लण्ड भी साला खड़ा होते ही काबू के बाहर हो जाता है। उसकी बातें सुनकर रिया बोली अरे यार हसीना, अंकल ठीक ही कह रहे हैं। मेरे भी अब्बू का लण्ड काबू के बाहर हो जाता है। मैंने कहा तो फिर जा पकड़ ले मेरे अब्बू का लण्ड और घुसेड़ ले अपनी चूत में ? वह सच में आगे बढ़ी और लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड साला एकदम से खड़ा हो गया। आज मैंने पहली बार अब्बू का लण्ड इतने नजदीक से देखा। मेरा भी दिल आ गया लण्ड पर। मैं भी आगे बढ़ी और रिया के साथ लण्ड सहलाने लगी। उसने लण्ड मेरे मुंह में डाल दिया। मैं मना न कर सकी। मैं लण्ड चूसने लगी। थोड़ी देर में मैंने लण्ड निकाल कर रिया के मुंह में घुसेड़ दिया।
फिर मैंने उसे नंगी किया और उसने मुझे। हम दोनों को नंगी देख कर उसका लण्ड साला और कड़क हो गया। इधर हम दोनों की चूत की भठ्ठी की तरह जलने लगी। अब कोई शर्म तो थी नहीं। न मुझे न रिया को और न अब्बू को ? अब्बू ने लण्ड रिया की चूत पर टिका दिया और एक जोर का धक्का मारा तो लण्ड सरसराता हुआ अंदर घुस गया। वह चिल्ला पड़ी उई माँ भोसड़ी के असलम अंकल इतना मोटा लण्ड एक ही बार में घुसा दिया। ये मेरी चूत है अंकल तेरी जायदाद नहीं की जैसा चाहे वैसा इस्तेमाल करें। ज़रा आहिस्ते आहिस्ते चोदो। मेरी चूत कहीं भागी नहीं जा रही। अब तो मैं चुदवाकर ही जाऊंगी। थोड़ी देर में वह बोली अरे अंकल भोसड़ी के ईंटे धीमे धीमे क्यों चोद रहे हो। तेरे लण्ड की गांड में दम नहीं है क्या ? थक गया है तेरा लण्ड ? मैंने जब मज़ा आया तो स्पीड बढ़ने की बात कर रही है तू। अब्बू ने तूफ़ान मेल की तरह चोदना शुरू किया तो पागलों की तरह बड़बड़ाने लगी। थोड़ी देर में रिया ने लण्ड मेरी बुर में पेल दिया और मैं भी उसी की तरह चुदवाने लगी। मुझे भी लण्ड का मज़ा मिलने लगा।
रिया बीच बीच में लण्ड मेरी चूत से निकाल कर चाटने लगी। बड़ी मस्त थी रिया और रिया की चूत। मैंने फिर दरियादिली दिखाई और लण्ड रिया की बुर में फिर पेल दिया। वह रिया की बुर फिर लेने लगा।
मैंने पूंछा :- अब्बू तुम किस किस की बुर लेते हो ? रुबिया की बुर लेते हो, रुबिया की माँ की बुर लेते हो, रेहाना की बुर लेते हो, रेशमा की बुर लेते हो, उसकी बहन की भी बुर लेते हो, मेरी खाला की बिटिया की बुर लेते हो, फूफी की बिटिया और उसकी बहू की बुर लेते हो, अपने दोस्तों की बेटियों की बुर लेते हो, अरे यहाँ तक की अपने दोस्तों की बीवियों की भी बुर लेते हो, अब्बू, तुम किस किस की बुर लेते हो बहन चोद ?
वह बोला :- बेटी हसीना मैं सबकी बुर लेता हूँ। जो मेरा खड़ा लण्ड पकड़ लेती है मैं उसकी बुर जरूर लेता हूँ। वो चाहे माँ हो, चाहे बेटी हो, चाहे सास हो, चाहे बहू हो, नन्द हो, चाहे भौजाई हो, मैं किसी को छोड़ता नहीं हूँ। मेरे दोस्त भी तो मेरी बीवी की बुर लेते हैं। मेरी बेटियों और बहुओं की बुर लेते हैं तो फिर मैं क्यों न लूं ? मैं तो सबकी बुर लूंगा और डंके की चोट पर लूंगा।
तब तक रेशमा ने मेरे कपड़े उतार दिया और मैं बुरी तरह नंगी हो गयी। फिर मैंने उसके अब्बू का पैजामा खोल कर उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका बिना झांट का लण्ड बड़ा खूबसूरत लग रहा था। मैंने रेशमा के भी कपडे उतार फेंक दिया। उसे भी नंगी कर दिया। उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी। तब तक एक जवान लड़का कमरे में आ गया। उसे देख कर रेशमा बोली आओ मेरे भोसड़ी के जीजू तुम भी चोद लो मेरी सहेली हसीना की बुर ? रेशमा ने उसका पैजामा खोला तो उसका भी लण्ड फड़फड़ाकर खड़ा हो गया। मैं उसका लण्ड देख कर
थोड़ी देर बाद उसके जीजू ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया और उसका अब्बू अपनी ही बेटी की बुर चोदने लगा। रेशमा भी अपनी टाँगे फैलाकर चुदवाने लगी और बोली यार हसीना देखो लण्ड पर किसी का नाम नहीं लिखा होता। मेरी चूत में लण्ड घुसा है बस ? मैंने कहा तू बिलकुल ठीक कह रही है। यही बात मेरी अम्मी भी कह रही थी की बेटी किसी से भी चुदवाने कोई हर्ज़ नहीं है। चूत में लंड घुसना चाहिए बस ? लण्ड किसी का भी हो। फिर हम दोनों ने रात भर इन दोनों लण्ड से चुदवाया और खूब मस्ती की। इन दोनों को खूब गन्दी गन्दी गालियां सुनाईं और अपनी बुर मस्ती से चटवाई।
सवेरे करीब ६ बजे मैं अपने घर आ गई। मैं सीधे अम्मी के कमरे में चली गयी। अम्मी का कमरा खुला था। मगर वह एकदम नंगी नंगी सो रहीं थी. उसकी चूँचियाँ और भोसड़ा दोनों खुले हुए थे। उसके बगल में लेटा था मेरी दीदी का नंदोई। वह भी बिलकुल नंगा था। उसका नंगा लण्ड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। उसी कमरे में दूसरी तरफ मेरी दीदी भी नंगी लेटी थीं। उसके बगल में उसका ससुर लेटा था बिलुल नंगा ? उसके लण्ड का सुपाड़ा तो देख कर मेरी लार टपकने लगी। मुझे यह समझने में देर नहीं लगी की मेरी अम्मी दीदी के नंदोई से चुदवाकर सो गयीं हैं और दीदी अपने ससुर से चुदवाकर सो गयीं हैं।
मैं अपने आप को रोक नहीं सकी। मैं जबान से दीदी के ससुर का लण्ड धीरे धीरे उठाने लगी। लण्ड उठ भी गया तो मैंने उसे अपने मुंह में भर लिया। तब तक वह जग गया और बोला हसीना तुम ? मैंने कहा हां अंकल मैं ? रात भर तूने मेरी दीदी की बुर ली है अब दिन भर मेरी बुर लो। फिर मैंने धीरे उसके नंदोई के लण्ड पर हाथ फेरा तो वह भी उठ गया। वह बोला अरे हसीना जी आप ? मैंने कहा तुमने रात भर मेरी माँ का भोसड़ा चोदा है अब दिन भर मेरी बुर चोदो।
सवेरे करीब ६ बजे मैं अपने घर आ गई। मैं सीधे अम्मी के कमरे में चली गयी। अम्मी का कमरा खुला था। मगर वह एकदम नंगी नंगी सो रहीं थी. उसकी चूँचियाँ और भोसड़ा दोनों खुले हुए थे। उसके बगल में लेटा था मेरी दीदी का नंदोई। वह भी बिलकुल नंगा था। उसका नंगा लण्ड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। उसी कमरे में दूसरी तरफ मेरी दीदी भी नंगी लेटी थीं। उसके बगल में उसका ससुर लेटा था बिलुल नंगा ? उसके लण्ड का सुपाड़ा तो देख कर मेरी लार टपकने लगी। मुझे यह समझने में देर नहीं लगी की मेरी अम्मी दीदी के नंदोई से चुदवाकर सो गयीं हैं और दीदी अपने ससुर से चुदवाकर सो गयीं हैं।
मैं अपने आप को रोक नहीं सकी। मैं जबान से दीदी के ससुर का लण्ड धीरे धीरे उठाने लगी। लण्ड उठ भी गया तो मैंने उसे अपने मुंह में भर लिया। तब तक वह जग गया और बोला हसीना तुम ? मैंने कहा हां अंकल मैं ? रात भर तूने मेरी दीदी की बुर ली है अब दिन भर मेरी बुर लो। फिर मैंने धीरे उसके नंदोई के लण्ड पर हाथ फेरा तो वह भी उठ गया। वह बोला अरे हसीना जी आप ? मैंने कहा तुमने रात भर मेरी माँ का भोसड़ा चोदा है अब दिन भर मेरी बुर चोदो।
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