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भाभी की चुदाई देख चूत से पानी छुटा - Bhabhi ki chudai dekhkar Nanad chudi
भाभी की चुदाई देख चूत से पानी छुटा , देवर ने भाभी को मौके पर पकड़ कर चोदा - Bhabhi ki chudai dekhkar Nanad chudi , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
यह बात उस समय की है जब मैं बारहवीं पडती थी , हमारे परिवार में मम्मी-पापा, भैया-भाभी और मैं, मैं पांच लोग हैं पापा बैंक में काम करते हैं और भाईया मिलिट्री में सेवा करते हैं, उनका ड्यूटी लडाख में है हमारे घर दो मंजिल का है, नीचे एक कमरा, ड्राइंग रूम, रसोई और लैटिरिन बाथरूम हैं, ऊपर दो कमरे और उनके बीच में लेतीरीन-बाथरूम है। नीचे के कमरे में मम्मी-पापा रहते हैं और ऊपर का एक कमरा भाई-बबरी का है और दूसरे मेरा है। मगर मैं बबई के कमरे में ही रहती हूं क्योंकि क्योंकि भाई सेना में हैं इसलिए उन्हें तीन महीनों में ही छुटी मिलती है। ज़ब भैया घर पर रहते हैं, तब ही मैं अपने कमरे में रहना चाहता हूं, नहीं तो भाभी के कमरे में ही रहती हूं। मैं भैया के कमरे में ही पढ़ने के लिए एक मेज-कुर्सी लगा रखा है और पढ़ाई के बाद मैं भाभी के साथ ही बिस्तर पर सो जाऊं। भाभी दस-साढ़े दस बजे तक घर का काम खत्म हो गया और वहां से मुझे पढ़ा और बाद में हम दोनों कुछ देर टीवी देख रहे थे और सो जाते थे! मैं और भैया सहेली की तरह रहते थे
सब कुछ सामान्य ही चल रहा था, मगर एक रात सब कुछ बदल गया, उस रात मैं और भैया सो रहे थे और करीब दो बजे भैया घर आया। वैसे तो जब भी भैया घर आते तो दिन में ही आए थे लेकिन वह रात पता नहीं कैसे आए, भैया भाभी की आवाज सुनकर मैं जग गया तो मैं बहुत सो रहा था, इसलिए मुझे यह सोच रहा था कि 'भैया से सुबह मिल जाए 'फिर से सो गया लेकिन कुछ देर बाद अजीब तरह की आवाज सुनकर मेरी नींद फिर से खुल गई
मैं चेहरे से थोड़ा सा कंबल उठाकर भाभी के तरफ़ से देखा तो मेरी सांस गिर गई रह गई और मैंने दोबारा अपनी चेहरे पर कंबल डाली क्योंकि सामने के नजारे के बारे में मैं कुछ बहुत ही अपने दोस्त से ही सुना था वह, वो भी अपने भाई भाभी को! भाभी के नाईटी के कंधों तक उल्टी हुई और नीचे भी उन्होंने कुछ नहीं पहना था, भैया भी बिल्कुल नंगे होकर भाभी के ऊपर लेटे थे और अपनी कमर को ऊपर नीचे हिला रहे थे भाभी के पैर भैया के कंबर से लिपटे थे और उनके मुंह से धीरे-धीरे ओहहाह ओह्ह्ह्ह का मादक आवाज आ रही थी जिसे मैं आसानी से सुन सकती थी ।सर्दी का मौसम था, इसलिए मैं कम्बल ओढ़ रखा था और मेरे भाई को मेरे हालात में देखकर मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया और मेरे दिल की धड़कन रेल इंजन की तरह चलने लगे। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं |
मुझे फिर से कम्बल को चेहरे से बस इतना सा हटा दिया गया था कि मैं भाई भाभी को देख सकता था और वो मेरे चेहरे को नहीं देख सकता था। वैसे भी उनका ध्यान मुझ पर बिल्कुल नहीं है, वो समझ रहा था कि मैं गहरी नींद सो रहा हूं और उसी तरह लगे रहे कुछ देर बाद भैया ने गति पकड़ ली वो कमर को जोर जोर से हिलाने लगे और साथ ही भाभी के बूब्स भी दबा रहे थे और भाभी भी कमर उठकर उठकर भाईया के साथ दे रहे थे। यह सब देखकर मेरी स्थिति खराब हो रही है कुछ देर बाद बबई का उहह, आह्हह, आह की आवाज़ सिसकारियों में बदल गई और भाभी ने अपने हाथों और पैरों से भैया के कंबर को कस कर पकड़ लिया और वह शांत हो गया। कुछ देर बाद भैया भी नीधल हो गए
और भाभी के बगल में लेट गए कुछ देर दोनों ऐसे ही पड़े हुए, फिर बबली उठी और अपनी ब्रा और पट्टी पहनने लगे। मैं भाभी के ब्रा और पेंटी में कई बार देखा था कि मगर भाभी के बड़े बड़े बूब्स और योनि को आज पहली बार देख रहा था। इसके बाद भैया भी उठकर अपने कपड़े पहनने लगे, जब मेरी नजर भैया के लंड पर गया, जो अब शांत हो गया
लेकिन अब भी उसका आकार काफी बड़ा है। मैं पहली बार किसी का लंड देखा था जो मुझे एक आश्चर्य की तरह था इसके बाद भैया-बबति सोएड़े मगर यह सब देखे जाने के बाद मेरी नींद कोसें दूर हो गई, मेरा पूरा बदन भट्टी की तरह तपने लगा, एसेसा लग रहा था जैसे मुझे बहुत तेज फड़फड़ा हुआ हो और मेरी योनि तो अंगारों की तरह सुलगती महसूस हो रही थी मैं खुद एक हाथ सलवार के ऊपर से ही योनि पर गया था मुझे पति में कुछ गीला गीला सा महसूस हो रहा था तो मैं एक हाथ सलवार के अंदर डाल दिया, योनि से चिपचिपा पानी सा निकल रहा था, मैं उसे सूंघा तो उस से अजीब सी खुशबू आ रही थी
कम्बल को एक बार फिर से चेहरे से हटाकर मैं भैया भाभी को देखा था वो सो चुकी थी , मैं फिर से अपना हाथ सलवार में डाल दिया और योनि की दरार में उँगली घुमाने लगी, उँगली घूमने से मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और पूरे बदन में एक करट सा दौड़ने लगा, योनि से पानी निकलने का करण वो पूरी तरह से गीली हो गया है, इसलिए खुद ही मेरी एक उंगली योनी की अंदर से चली गई, जिसे मैं अंदर-बाहर करने लगी तो मुझे बड़ी आनन्द आने लगा और एक अजीब सा नशा छाने लगा इसलिए मैं उँगली की गति को तेज करता हूं, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सारा खून मेरी जांघों के बीच में इकट्ठा हो गया और सारे शरीर में आग बरस रही है। मैं उंगली की हाक्रट को और तेज कर दिया ...। मेरा मुंह सूख गया और साँसें उखड़ने लगे और कुछ देर बाद ही मेरे दोनों झोंके से एक दूसरे से चिपक गए, और मेरे पूरे शरीर को झटके सागा और मेरी योनि ढेर सारा पानी उगलने लगी से मेरी जांघों और पूरे हाथ तक गीला हो गया, आँखें अपने आप मस्ती में बंद हो गए और पूरे बदन में आनन्द की लहर सी दौड़ हो गई। अब मुझे काफी हल्का लग रहा है और मेरे दिल में एक अजीब सुकून सा मिल गया है
मैं उँगली से आज पहली बार ये सब किया था, अभी तक मैं इस सुख से अनजान था। इसके बाद मैं अपनी पेंटी से ही हाथ साफ किया, पेंटी और सलवार को ठीक से पहनना और फिर पता नहीं जब मेरी आँख लग गई आज के लिए बस इतना ही अब कुछ कल के लिए भी रहने दो मेरे भाईओ अपनी ये बहन अपनी चूत खोल की हमेशा रेडी रहती है | वैसे अब तो मै चली चुदाने अब कल मिलुजी तब तक मुठ मार का काम चलते रहना मेरे प्यारे भाईयो | जिसकी लन्दन खड़ा हो गया, मुझे मेल करें मैं मिलुगी पर सबसे ज्यादा नहीं, जिस से मुझे मिलना चाहिए उसी से मिलुगी
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