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ससुर की चुदाई से बेहोश हो गई - Sasur ki chudai se behosh ho gayi
ससुर ने बहु को चोदा , मस्त चुदाई , ससुर की चुदाई से बेहोश हो गई , बेटे की पत्नी ने पति के बाप से चुदवाया , Sasur ki chudai se behosh ho gayi , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
जब देवर सोहम भाभी के चुंच को दबाया गया था तो बाथरूम के करीब और संदास कर के निकले ससुरु जी ने इसे देख लिया था। सोहम तो डर का उसी समय खेत में भाग गया और उसने दोपहर और शाम का खाना नौकर से वही मांग लिया था। काजल भी दिनभर आँखे छुपाए काम कर रहे थे लेकिन अब तो सास उसे भेजने के लिए ससुरु जी के पास ही था। सदैव का मौसम था और काजल ने उन के सपने पहने थे जिनके अंदर से उसके चुंच के आने के लिए बेहद लग रहे थे। इस तिन कमरे के मकान में वह अपनी सास ससुरु और देवर केसथ रहती था।
उसकी पति रवि मुंबई में रहता था और कितनी बार काजल उसे कह चुकी थी कि उसे भी वह मुंबई ही ले जाए। इस छोटे से घर और बहुत से रीति-रिवाजों के बीच में उसका दम घुटता था। पति हर 6 महीने में एक बार आता है और कुत्ते की तरह उसे चोडकर पन्द्रह दिन में वापस जाता है।
लेकिन ऐसा कुछ हो सकता है कि 6 महीने में 15 दिन दबाएं खाओ और फिर 6 महीने के लिए भूखे रहो। काजल अंदर ही अंदर से मांग रहा था सेक्स और उसके देवर सोहम ने भी भौजी के साथ आँखमिचोली और फिर सेक्स की होली खेलनी चालु कर दिया था। दोनों छुप छुपके सेक्स करते थे लेकिन आज सुबह बाथरूम के पास ससुरा जी में पकड ही लिया दोनों को। सासू रुकमनी बड़े धार्मिक थे और अभी भी वो एक प्रार्थना के लिए निकलने ही वाली थी
काजल ने धडकते दिल से शाल उठाई और वो ससुरु जी की कमरे की और बढ़ी सास रुकमनी ने बहार जा के पला बंधी किया जिसकी हलकी सी धडाम आवाज ससुरु जी के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी काजल को भी आइ। वह दबते पांव ससुरु जी के बेड पर शल रख के मुड़ने ही वाला था कि ससुर की फटे ढोल सी आवाज आई, बहु यह सब क्या हो रहा है घर में? काजल की गड़ फट गयी सेना में सेबर्स के पोस्ट से रिटार्ड हुए ससुर का कद ऐसा था कि एक थप्पड़ में काजल के सभी दांतों को हिला सकते थे
काजल अभी भी कुछ नहीं बोली और ससुरु पास उसके पास खड़े थे.तुम्हें अंदर इतनी गर्मी है तो मैं रवि को उस बुला लूं गाव में। काजल कुछ नहीं बोली और ससुरु रमाकांत को गुस्सा आ गया। उसने काज़ल को अपना और खिच और काजल नज़रें झुका के खड़ी रहा था रमाकांत के नज़रने न चाहते हुए भी बहु के उभरे हुए स्तन के ऊपर जा पड़ी उनके सपनों ने बोबस की साइज जैसे और भी बढ़ा दिया था। रमाकांत के लंड में आज के साल बाद गुदगुदी हुई वह खुद को स्वस्थ करने के लिए बहुत प्रयास करता था लेकिन डॉटि में खड़ा हुआ लंड बैथ ही नहीं। और क्यूंकि उसे पता चलने के लिए चूका था कि बहुत प्यासे हैं इसलिए लंड अब माने भी कैसे उसकी मुहं में उन मम्मो को चूस लेने की इच्छा जगी हुई हुई थी उसका गुस्से का बाष्पीभवन हो चूका था और उत्तेजना ने उसका स्थान ले लिया था। काजल ने जब ससुरु रमाकांत को देखा तो वह भूखे शियाल की तरह बूब्स को ही देख रहा था। काजल एक चुदासी महिला में उसे समझने में देर नहीं लगी ससुरु जी की नियत को .. उसने अपनी पल्लु को निचे गिरा दिया ससुर को सक न हो वेसे अब रमाकांत को उन बड़े मम्मो का असली नजारा होने लगा है। उसके लंड ने सूट की धोती को ऊपर उठाया और उसकी लंड अब खड़ी हो गई। काजल ने भी ढली हुई नजरो से धोती को उठते हुए देख लिया था। वो मन ही मन में सोचने लगी तो क्या बाबू जी आज मुझे पेलें?
रमाकांत उतारु तो बड़े थे लेकिन करण की हिम्मत नहीं मिल रही थी उन्हें अपनी बहु की चूत का रसपान करना था लेकिन अभी कुछ देर पहले तो वे संत बन गए थे इसलिए भी करें शायद काजल को ससुर की यह जीजीविषा समझ में आ गया। उसने ससुरु के और देखा और उसकी आँखों की भाव को पढ़ा। वो बोली, माफ कर दें बाबूजी लेकिन हम भी तो इंसान हैं और हमारे भी अरमान हैं मैं कब तक अकेला बिस्तर में रह रहा है 6 महीने भर में। मुझे भी तो किसी के बाहों में रहना अच्छा लग रहा है
रमाकांत ने गले को साफ किया और हिम्मत जुता के बोले, सही है बहुरानी पर ऐसा सब के सामने करोंजी तो कनदान का इज्जत का क्या हो गया है। रुकमनी ने भी हम जब में सेना में थे तो गल खिलाये थे, यह हम जानते हैं लेकिन किसी का कानो यह बात किया क्या घर की चार दिवारियों में घर की इज्जत उछल हो तो कोनु बात नहीं है, तुम लोग तो बाहर गए बाथरूम के आगे अशोकनीय हिलक कर रहे थे और अगर तुम मुझे कभी मदद की ज़रूरत है तो मुझे बताओ
काजल ने नजरे अपर की और रमाकांत को देखा, कुत्ते सी शक्ल बनी हुई और उसकी काजल उस समय मांस का टुकड़ा था। अगर उस समय रमाकांत को पूंछ लगी है तो वह जरुर कुत्ते की तरह ही हिलती रहे। काजल ने फिर से ससुरा जी की लंड की और सले और उसकी चूत भी गुदगुदा गए। रमाकांत और करीब आये और अब काजल उनकी बाहों का आवाज भी सुन सकती थी
काजल ने दरवाजे के और देखा और वे मुड़ने लगे थे। आजकल मैं बहुत से प्यास को बुझाऊंगा! काजल की गांड ऊपर रमाकांत का लंड टच होने लगा और उस गर्म लंड का स्पर्श उसे भी व्याकुल करने लगा था। रमाकांत ने स्वेटर से ऊपर से काजल की मम दबाए और काजल की सीसकी निकल पड़ी।
बाबूजी कोई देख लांगा। कोई नहीं देखता है, सोहम सुबह से पहले खेत से नहीं आएगा और रुकमनी तो 11 की पहले आजतक नहीं आए हैं।
इतना कहने का काजल ककी सट्टेटर के बड़े बड़े बटन रमाकांत खोलने लगा। उसकी लंड अभी भी काजल की जांघ और उसकी गांड को छू रहा था। काजल ऊँचाई में ससुरा जी से ऊँची थी वान्ना सही गांड के छेद पर बैठे लंड बटन खोल का रामकांत ने काजल के स्तन का मन्दन चालू किया। काजल सिसकियां ले रही थी और रमाकांत अपनी लंड को उसकी गड़ पर घिसना शुरू हो गया। काजल को समझने में देर नहीं लगी की बूढ़ा लंड काफी उत्साह में और उसके अंदर अभी भी जान बाकी है। रमाकांत ने अब काजल को अपने और घुमाए और उसके बूब्स को देखकर लगे।
ब्लॉउज के पीछे छिपा हुआ बूब्स ऊपर और निकल आया और एक एक बूब किसी बड़े आम से कम आकार का नहीं था काजल ने अपना हाथ बाधा के ससुरा के लंड को पकड़ ले लिया और रमाकांत को साल में पहली बार औरत के हाथ की टांग लन्ड की ऊपर हुई। धोती से ऊपर भी लंड की गर्मी का अहसास ज्यों का तू आ रहा था। रमाकांत ने अब धीरे से ब्लॉज के बटन भी खोल दिए, काजल का दाल जोर से धडकने लगा था। ब्लॉउज और सट्टेटर को साथ ही जमीन पर फेंक के रमाकांत ने अपनी कुर्दी और धोती भी खोल डाल दी थी
उनके लंड इतने खड़े थे जैसे कम की टहनी पे गिरगिट ने मुहं निकाला हो। निचले अंडकोस के ऊपर बाल पर बूढ़ेपे का असर दिख रहा था लेकिन लंड सीना ताने सैनिक के माफिक खड़े थे। काजल का हाथ लगते ही वह हिलने लगा। बहु थोडा मुहं में ले लो हमारे लंड को, रमाकांत ने कहा था कि खोली। केजल कुटों के ऊपर बैठी और लंड को चूसने लगी किसी एंगल से नहीं लगता कि वह एक 60 साल का लंड था काजल की मुहं में पूरी तरह से आ रही थी जिस पर वह चूसने लगे। रमाकांत भी सपने देख रहे हैं लेकिन वैसे ही आँखों के बंधन के बहु-चाउसन मजा दबाने लगे। पांच मिनट चूषण के बाद काजल खड़ी हुई और पेटीकोट निकालने के लिए लगी। रमाकांत अभी भी उसके बूब्स दबा रहे थे
काजल अब बेड में लेट गयी और ससुरु जी उसे ऊपर आ गया। बहु की चूची के ऊपर लंड सेट करने के लिए एक ही सच्चे निशाने से लंड को अंदर कर दिया काजल के मुहं से चीख निकल पड़ी, और ससुरु जी अपनी बेलन को उसकी चूत में डालने और निकालने शुरू हुई। बहुत दिन बाद लंड की चूत का सहवास मिला ससुरु जी जोर जोर से चोद रहे थे और काजल अपनी गांड के ऊपर हिला के मजे लेने लगी
रमाकांत को बड़ा ही मजा आ रहा था अपनी भरी हुई बहु की चूत पेलने में। आप ये कहानी हिंदी सेक्स की कहानी डॉट कॉम पर हो रही है। 10 मिनट चूत में लंड का आवागमन करने के बाद रमाकांत ने बहु के चूत से लंड बाहर निकाला। काजल उलटी हो गया और कुतिया बन के लेटेए रमाकांत बेड में खड़े थे और पीछे से लंड को चूचे में भर दिया काजल अनी चौड़ी गांड को हिलाने लगी और ससुर जी उसे जोर जोर से पेलते रहे
पांच मिनट में ही रमाकांट का लंड पानी मारने लगे और काजल की चूत पूरी भीग गया। रमाकांत और भी जोर से झटके देने लगे और काजल भी झड़ गए ससुरु जी के साथ ही उसे सोहम से भी ज्यादा संतुष्टि ससुर की बूढ़े लंड दिया था। वह उठी और अपना कपड़े पहनने लगेगा। तभी रमाकांत बोले, बहु अभी तक रुकमनी को आने में काफी देर हो
जब देवर सोहम भाभी के चुंच को दबाया गया था तो बाथरूम के करीब और संदास कर के निकले ससुरु जी ने इसे देख लिया था। सोहम तो डर का उसी समय खेत में भाग गया और उसने दोपहर और शाम का खाना नौकर से वही मांग लिया था। काजल भी दिनभर आँखे छुपाए काम कर रहे थे लेकिन अब तो सास उसे भेजने के लिए ससुरु जी के पास ही था। सदैव का मौसम था और काजल ने उन के सपने पहने थे जिनके अंदर से उसके चुंच के आने के लिए बेहद लग रहे थे। इस तिन कमरे के मकान में वह अपनी सास ससुरु और देवर केसथ रहती था।
उसकी पति रवि मुंबई में रहता था और कितनी बार काजल उसे कह चुकी थी कि उसे भी वह मुंबई ही ले जाए। इस छोटे से घर और बहुत से रीति-रिवाजों के बीच में उसका दम घुटता था। पति हर 6 महीने में एक बार आता है और कुत्ते की तरह उसे चोडकर पन्द्रह दिन में वापस जाता है।
लेकिन ऐसा कुछ हो सकता है कि 6 महीने में 15 दिन दबाएं खाओ और फिर 6 महीने के लिए भूखे रहो। काजल अंदर ही अंदर से मांग रहा था सेक्स और उसके देवर सोहम ने भी भौजी के साथ आँखमिचोली और फिर सेक्स की होली खेलनी चालु कर दिया था। दोनों छुप छुपके सेक्स करते थे लेकिन आज सुबह बाथरूम के पास ससुरा जी में पकड ही लिया दोनों को। सासू रुकमनी बड़े धार्मिक थे और अभी भी वो एक प्रार्थना के लिए निकलने ही वाली थी
काजल ने धडकते दिल से शाल उठाई और वो ससुरु जी की कमरे की और बढ़ी सास रुकमनी ने बहार जा के पला बंधी किया जिसकी हलकी सी धडाम आवाज ससुरु जी के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी काजल को भी आइ। वह दबते पांव ससुरु जी के बेड पर शल रख के मुड़ने ही वाला था कि ससुर की फटे ढोल सी आवाज आई, बहु यह सब क्या हो रहा है घर में? काजल की गड़ फट गयी सेना में सेबर्स के पोस्ट से रिटार्ड हुए ससुर का कद ऐसा था कि एक थप्पड़ में काजल के सभी दांतों को हिला सकते थे
काजल अभी भी कुछ नहीं बोली और ससुरु पास उसके पास खड़े थे.तुम्हें अंदर इतनी गर्मी है तो मैं रवि को उस बुला लूं गाव में। काजल कुछ नहीं बोली और ससुरु रमाकांत को गुस्सा आ गया। उसने काज़ल को अपना और खिच और काजल नज़रें झुका के खड़ी रहा था रमाकांत के नज़रने न चाहते हुए भी बहु के उभरे हुए स्तन के ऊपर जा पड़ी उनके सपनों ने बोबस की साइज जैसे और भी बढ़ा दिया था। रमाकांत के लंड में आज के साल बाद गुदगुदी हुई वह खुद को स्वस्थ करने के लिए बहुत प्रयास करता था लेकिन डॉटि में खड़ा हुआ लंड बैथ ही नहीं। और क्यूंकि उसे पता चलने के लिए चूका था कि बहुत प्यासे हैं इसलिए लंड अब माने भी कैसे उसकी मुहं में उन मम्मो को चूस लेने की इच्छा जगी हुई हुई थी उसका गुस्से का बाष्पीभवन हो चूका था और उत्तेजना ने उसका स्थान ले लिया था। काजल ने जब ससुरु रमाकांत को देखा तो वह भूखे शियाल की तरह बूब्स को ही देख रहा था। काजल एक चुदासी महिला में उसे समझने में देर नहीं लगी ससुरु जी की नियत को .. उसने अपनी पल्लु को निचे गिरा दिया ससुर को सक न हो वेसे अब रमाकांत को उन बड़े मम्मो का असली नजारा होने लगा है। उसके लंड ने सूट की धोती को ऊपर उठाया और उसकी लंड अब खड़ी हो गई। काजल ने भी ढली हुई नजरो से धोती को उठते हुए देख लिया था। वो मन ही मन में सोचने लगी तो क्या बाबू जी आज मुझे पेलें?
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काजल ने नजरे अपर की और रमाकांत को देखा, कुत्ते सी शक्ल बनी हुई और उसकी काजल उस समय मांस का टुकड़ा था। अगर उस समय रमाकांत को पूंछ लगी है तो वह जरुर कुत्ते की तरह ही हिलती रहे। काजल ने फिर से ससुरा जी की लंड की और सले और उसकी चूत भी गुदगुदा गए। रमाकांत और करीब आये और अब काजल उनकी बाहों का आवाज भी सुन सकती थी
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