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सगी बहन को चुदाई का मीठा दर्द दिया - Sagi bahan ki chudai ka mitha dard diya
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एक दिन तृष, त्रुती को वासना भरी नजरों से देख रहा था। तृष की पत्नी कुन्ध्ला यह सब देख रही थी। कुन्ध्ला बोली - क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। तृष बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन त्रुती को भोगने की ताक में था। तृष एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी कुन्ध्ला और बहन त्रुती के साथ रहता था। त्रुती पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.
एक दिन तृष, त्रुती को वासना भरी नजरों से देख रहा था। तृष की पत्नी कुन्ध्ला यह सब देख रही थी। कुन्ध्ला बोली - क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। तृष बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन त्रुती को भोगने की ताक में था। तृष एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी कुन्ध्ला और बहन त्रुती के साथ रहता था। त्रुती पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.
तृष के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। फ़िर कुन्ध्ला अपने पति का चुम्बन लेते हुए खिलखिलाकर हंस पड़ी। कुन्ध्ला ने तृष से कहा की वह त्रुती को चोदने में तृष की सहायता करेगी। पर इस शर्त पर वह भी त्रुती के साथ जो चाहे करेगी और तृष कुछ नहीं कहेगा। तृष तुरंत मान गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
अगले दिन सुबह कुन्ध्ला ने त्रुती को स्कूल नहीं जाने दिया और तृष से भी आफिस में फोन करवा दिया कि वह लेट आयेगा। कुन्ध्ला ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी और त्रुती से कहा कि वह किसी काम से बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी. जरा बेडरूम जमा देना।
जब त्रुती अन्दर गई तो कुन्ध्ला ने तृष से कहा। "डार्लिन्ग, जाओ, मजा करो। उसको अभी सिर्फ़ चोदना। गांड मत मारना। उसकी गांड बड़ी कोमल होगी। इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी। मै भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संभालने के लिये वहां रहना चाहती हूं। इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेंगे।
तृष को आंख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गई। पांच मिनिट बाद तृष ने चुपचाप जा कर देखा तो त्रुती अश्लील किताब देख रही थी। उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.
मौका देख कर तृष बेडरूम में घुस कर बोला - क्या पढ़ रही है?" त्रुती सकपका गई और किताब छुपाने लगी. तृष ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. तृष ने त्रुती को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूं।
त्रुती बोली कि उसने पहली बार ऐसी किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी। तृष एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के त्रुती की ओर बढ़ा। उसकी आंखो में काम वासना की झलक देख कर त्रुती घबरा गई लेकिन तृष ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिया. पहले स्कर्ट खींच कर उतार दी और फिर ब्लाउज फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची।
उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर तृष का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर त्रुती के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का। वह सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लण्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का लंड कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लोड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई।
तृष ने उसके अन्तर्वस्त्र भी उतार दिये। त्रुती पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुवा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुन्दरता के साथ तृष के सामने था। त्रुती को बाहों में भर कर तृष ने अपनी ओर खिंचा और अपने दोनो हाथों में त्रुती के मुलायम स्तन सहलाने लगा। फिर वह उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".
तृष तो वासना से पागल था. त्रुती का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर त्रुती के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने त्रुती के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंम रहे थे. उसका हर अंग उसने खूब टटोला.
मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. "बोल त्रुती रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इंच का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर त्रुती घबरा गई और याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मै मर जाऊंगी, मत चोदो मुझे प्लीऽऽऽज़ . मैं आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"
तृष को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि त्रुती चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ तृष बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैं नहीं छोड़ने वाला। चोदूंगा भी और गांड भी मारूंगा। पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूं मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मै मरा जा रहा था।
त्रुती की गोरी गोरी चिकनी जान्घे अपने हाथों से तृष ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह लाल - लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.
चाटने के साथ तृष उसकी चिकनी बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे त्रुती का सिसकना बंद हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यन्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गई. बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा था जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब त्रुती के कड़े लाल मणि जैसे क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो त्रुती मस्ती से हुमक कर अपनी जान्घे अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में त्रुती एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे तृष बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे त्रुती की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही त्रुती फ़िर से मस्त हो गई.
तृष अब त्रुती को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोई से मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगाया और त्रुती को सीधा करते हुए बोला. "चल छोटी, चुदने का समय आ गया." त्रुती घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देंगे पर तृष को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मक्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. तृष उसकी टांगें फ़ैला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन त्रुती की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.
तृष को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर त्रुती दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बन्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुंवारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और त्रुती ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि तृष से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और त्रुती छटपटाने लगी.
कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया। चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. तृष ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. त्रुती के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.
तृष एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसी ने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. त्रुती के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ तृष धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से त्रुती होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आँखे खोलीं और सिसक - सिसक कर रोने लगी - "तृष भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
तृष ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड त्रुती की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. तृष ने चैन की सांस ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने त्रुती के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटना शुरू कर दिया. त्रुती के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी त्रुती, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे चोदता हूं."
टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब त्रुती और जोर से रोने लगी तो तृष ने त्रुती के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो त्रुती को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर तृष अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.
सम्भलने के बाद उसने त्रुती से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.
दस मिनट बाद त्रुती की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. तृष जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' जैसी निकलने लगी.
रोना बन्द कर के त्रुती ने अपनी बांहे तृष के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर तृष के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह तृष को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।"
भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. तृष तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. त्रुती को मजा तो आ रहा था पर तृष के लंड के बार – बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर तृष के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.
काफ़ी देर यह सम्भोग चला. तृष पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. त्रुती कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि तृष का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.
तृष तो अब पूरे जोश से त्रुती पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ त्रुती फिर बेहोश हो गई. तृष उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.
गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब त्रुती की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब तृष उसे छोड़ देगा पर तृष उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. त्रुती रोनी आवाज में उससे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." तृष हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है त्रुती रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है."
त्रुती के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. तृष हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा." उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे, गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने त्रुती से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर त्रुती के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.
थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने त्रुती की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से त्रुती की बुर अब एकदम चिकनी हो गई थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई। पुचुक पुचुक पुचुक' की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. त्रुती बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर तृष ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पांच मिनट में झड़ गया. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
झड़ने के बाद कुछ देर तो तृष मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकाला. वह 'पुक्क' की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. त्रुती बेहोश पड़ी थी. तृष उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आ गया।
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