Home
» Chut chudai kahaniyan चूत गांड की चुदाई कहानी Chodan in india लंड चूसने के खेल
» पति का लंड छोटा जीजा के बड़े लंड से चुदी Pati ka land chhota jija ke bade land se chudi
पति का लंड छोटा जीजा के बड़े लंड से चुदी Pati ka land chhota jija ke bade land se chudi
पति का लंड छोटा जीजा के बड़े लंड से चुदी, Pati ka land chhota jija ke bade land se chudi, जीजा साली की चुदाई, साली की चुदाई करके सील तोड़ी, जीजा साली सेक्स स्टोरी, जीजा साली की चुदाई कहानी, हिंदी में जीजा साली सेक्स स्टोरी, साली की चुदाई, जीजू की कहानी, साली की कहानी, सेक्स कहानी जीजा और साली की, देसी साली सेक्स, देसी जीजा साली की सेक्सी कहानी हिंदी में, सेक्सी साली की चुदाई, अकेली साली को जीजा ने जबरदस्ती पकड़कर ठोक दिया, मेरी हॉट साली की चूत में लंड दिया, Jija ne ki sali ki chudai, साली की चूत में लंड डाल उसे प्रेग्नेंट कर दिया.
दोस्तों, मैं तेईस वर्ष की हूँ और हरियाणा में रहती हूँ। लगभग तीन वर्ष पहले मेरी शादी हुई थी। शादी से पहले भी मैं बहुत ही सुन्दर दिखती थी, लेकिन शादी के बाद मेरा रंग रूप और भी ज्यादा निखर आया है, अब तो मैं एक अप्सरा से कम नहीं लगती हूँ ! मेरे पैमाने हैं 36-24-36, कद पांच फुट छह इंच, रंग बहुत गोरा, छाती उठी हुई और उस पर दो कसी हुई चूचियाँ, जिनके ऊपर मोटे काले अंगूरों जैसी घुन्डियाँ, बल खाती हुई कमर पतली, चौड़े नितम्ब, सुडौल जांघें और लंबी तथा पतली टाँगें ! नाभि के नीचे और टांगों के बीच में काले रंग के बालों के बीच में विराजमान मेरी संकरी सी गोरी चूत ! तीन वर्ष की शादी के बाद भी कोई बच्चा ना होने की वजह से अभी तक इस चूत में कोई बदलाव नहीं आया, अभी भी वह तीन वर्ष पहले जैसी कुंवारी और संकरी दीखती है ! आज भी जब मैं चुदती हूँ तो वही पहली रात जैसा ही आनन्द आता है !
दोस्तों, मैं तेईस वर्ष की हूँ और हरियाणा में रहती हूँ। लगभग तीन वर्ष पहले मेरी शादी हुई थी। शादी से पहले भी मैं बहुत ही सुन्दर दिखती थी, लेकिन शादी के बाद मेरा रंग रूप और भी ज्यादा निखर आया है, अब तो मैं एक अप्सरा से कम नहीं लगती हूँ ! मेरे पैमाने हैं 36-24-36, कद पांच फुट छह इंच, रंग बहुत गोरा, छाती उठी हुई और उस पर दो कसी हुई चूचियाँ, जिनके ऊपर मोटे काले अंगूरों जैसी घुन्डियाँ, बल खाती हुई कमर पतली, चौड़े नितम्ब, सुडौल जांघें और लंबी तथा पतली टाँगें ! नाभि के नीचे और टांगों के बीच में काले रंग के बालों के बीच में विराजमान मेरी संकरी सी गोरी चूत ! तीन वर्ष की शादी के बाद भी कोई बच्चा ना होने की वजह से अभी तक इस चूत में कोई बदलाव नहीं आया, अभी भी वह तीन वर्ष पहले जैसी कुंवारी और संकरी दीखती है ! आज भी जब मैं चुदती हूँ तो वही पहली रात जैसा ही आनन्द आता है !
लगभग एक वर्ष पहले मेरी इक्कीस वर्षीया छोटी बहन रोधिका की शादी, तेईस वर्षीय रंशु से हुई थी। रंशु एक कंपनी में इंजिनियर है। मेरी छोटी बहन भी मेरे तरह बहुत सुंदर है और उसका शरीर भी बहुत मादक है, हम दोनों बिल्कुल जुड़वाँ लगती हैं। रंशु का कद छह फुट है, चौड़ी छाती है और वह स्वस्थ तथा बलिष्ठ पुरुष है ! नियमित योग और व्यायाम के कारण उसका सिक्स-पैक शरीर अत्यंत ही आकर्षक है ! शादी के तुरंत बाद रंशु और रोधिका जब मेरे घर में दो दिन के लिए रहने आये थे, तब मैंने उन्हें अपने साथ वाले बेडरूम में ही ठहराया था। दोनों बेडरूम के बीच में एक दरवाज़ा था, जिस में से एक दूसरे कमरे में हो रही आवाजें सुनाई देती थी और उस दरवाज़े के की-होल में से उस कमरे के अंदर का नज़ारा भी दिखाई देता था! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
रात को जब मेरे पति सो गए, तब मैं उठ कर उस दरवाज़े के पास खड़े होकर दूसरे कमरे की आवाजें सुनने लगी। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने की-होल में से देखा तो पाया कि कमरे की लाईट जल रही थी तथा रंशु अर्धनग्न खड़ा था और रोधिका के कपड़े उतार रहा था। उसने रोधिका को पूरा नग्न कर दिया और खुद भी पूरा नग्न हो गया. मैं तो उसके लौड़े को देख कर दंग रह गई, रंशु का लौड़ा आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा था तथा उसका सुपाड़ा तो ढाई इंच मोटा था ! लौड़ा एकदम तना हुआ था, उसके ऊपर की नसें फूली हुई थीं और उसका सुपाड़ा बाहर निकला हुआ था। रोधिका पहले उस लौड़े को बड़े प्यार से अपने हाथों से मसलती रही, फिर उसने उसको अपने मुँह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया। उधर रंशु रोधिका की चूचियाँ दबा रहा था और उसकी घुंडियों को मसल रहा था।
कुछ देर के बाद रंशु ने रोधिका को उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच में मुँह डाल कर उसकी चूत को चूसने तथा चाटने लगा। लगभग पांच मिनट के बाद रोधिका चिल्लाने लगी और रंशु को चुदाई के लिए कहने लगी। रंशु रोधिका की दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और उसने अपना लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक धक्का दिया तथा आधा लौड़ा रोधिका की चूत के अंदर कर दिया। फिर उसने दूसरा धक्का लगाया और पूरा लौड़ा चूत में धकेल दिया ! रोधिका ने हल्की सी चीख मारी और रंशु से लिपट गई ! इसके बाद अगले दस मिनट तक रंशु उछल उछल अपना लौड़ा रोधिका की चूत के अंदर बाहर करता रहा और रोधिका भी उछल उछल कर रंशु का साथ देती रही। दस मिनट के बाद अचानक रंशु तेज़ी से चुदाई करने लगा और फिर दोनों ही चीखने चिल्लाने लगे तथा एकदम से अकड़ कर एक दूसरे पर ढेर हो गए। फिर दोनों अलग हुए, लाईट बंद कर दी और सो गए। मैं भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और अभी अभी देखे नज़ारे के बारे में सोचने लगी !
मेरी चूत में खुजली शुरू गई थी, मैं भी चुदना चाहती थी, इसलिए मैं अपने पति से चिपट गई और उनके लौड़े को पकड़ कर मसलने लगी। मेरे पति का लौड़ा रंशु के लौड़े के सामने कुछ भी नहीं था, मेरे पति का लौड़ा सिर्फ छह इंच लंबा और सवा इंच मोटा था और सुपारा तो डेढ़ इंच मोटा ही था तथा टोपी के अंदर ही रहता था ! मुझे रोधिका से ईर्ष्या हो रही थी, मैं भी रंशु का लौड़ा अपनी चूत में डलवाना चाहती थी लेकिन उस समय के हालात और चूत की खुजली से मजबूर मैं अपने पति के लौड़े को ही जगाने लगी थी। मेरे मसलने पर लौड़ा तन गया और मेरे पति भी जाग गए !
मेरी चुदाई की इच्छा को समझते हुए उन्होंने अपने और मेरे कपड़े उतार दिए तथा अपने लौड़े को मेरे मुँह में देकर मेरी चूत को चूसने लगे। मैं तो पहले से ही गर्म थी इसलिए दो मिनट में ही मैंने पानी छोड़ दिया ! मेरी यह हालत देख मेरे पति ने मुझे सीधा लिटाया और अपने लौड़े को एक ही झटके में मेरी चूत में धकेल दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। अगले दस मिनट में मैंने दो बार पानी छोड़ा और फिर जाकर मेरे पति ने अपनी पिचकारी छोड़ी। इसके बाद हम सो गये, लेकिन क्योंकि मेरी संतुष्टि नहीं हुई थी इसलिए सपने में भी मुझे रंशु का लौड़ा ही दिखाई देता रहा ! अगले दिन सुबह हम सब भोपाल घूमने गए, शॉपिंग भी की और खाना भी बाहर ही खाया। रात की गाड़ी से रंशु और रोधिका वापिस आगरा चले गए और हम लोग वापिस अपने घर आ गए।
लेकिन उस रात को मैंने अपने जिंदगी में एक बदलाव देखा, मुझे दिन रात रंशु के आठ इंच लंबे और दो इंच मोटे तथा ढाई इंच मोटे सुपारे के सपने आने लगे। रंशु के लौड़े की चाहत में मुझे पति के छोटे और पतले लौड़े से संतोष मिलना भी बंद हो गया था। इसलिए रंशु के लौड़े को पाने के लिए मेरी इतनी तड़प बढ़ गई थी और मैं कई बार उंगली, बैंगन या खीरे का प्रयोग करके अपने आप को संतुष्ट कर लेती थी ! तीन माह के बाद एक दिन रोधिका का फोन आया और उसने बताया कि रंशु अगले सोमवार को एक सप्ताह के लिए कंपनी के किसी काम की ट्रेनिंग के लिए आ रहा है और हमारे पास ही रहेगा। मैंने उसे कहा कि यह तो अच्छी बात है और आग्रह किया कि वह भी साथ में आ जाये, तो वह कहने लगी कि शादी के बाद वह माँ और पिताजी के पास नहीं गई है, इसलिए वह इन दिनों उनके पास जा रही है।
रंशु अकेला ही आ रहा था यह सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई, मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो और मुझे रंशु का लौड़ा मिल गया हो! रंशु को चोदने के लिए कैसे राज़ी किया जाए इसकी तरकीब सोचने लगी, लेकिन दो बातें समझ नहीं आ रहीं थी। पहली यह कि रंशु चोदने को राज़ी भी होगा या नहीं और दूसरी यह कि मेरे पति के घर में होते हुए मैं और रंशु चुदाई कैसे कर पायेंगे ! इसी उलझन में समय बीत गया और सोमवार सुबह रंशु आ गया। मैंने इस बार भी रंशु को अपने बेडरूम के बगल वाले बेडरूम में ही ठहराया और उसकी सुख सुविधा कि सभी वस्तुओं को खुद ही उस कमरे में रख दिया। रंशु सुबह आने के बाद नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता कर के कंपनी में ट्रेनिंग पर चला गया। दोपहर को मेरे पति जब घर आये तो उन्होंने बताया कि उन्हें उसी रात को व्यापार के सिलसिले में चार दिनों के लिए चेन्नई, बंगलोर और हेदराबाद जाना है और वह शुक्रवार सुबह तक ही वापिस आयेंगे। उन्होंने कहा कि मैं उनका सामान तैयार कर के रख दूं ताकि वह शाम को घर से सामान लेते हुए हवाई अड्डे चलें जायेंगे।
पति के मुख से यह समाचार सुन कर मुझे लगा कि मेरी लाटरी निकल आई है, अपनी किस्मत पर बहुत खुशी हुई और मुझे लगा कि शायद भगवान भी यही चाहते हैं कि मैं रंशु के दमदार लौड़े का खूब मज़ा लूँ ! पांच बजे मेरे पति घर आये और अपना सामान लेकर हवाई अड्डे चले गए। शाम छह बजे रंशु आ गया और चाय पीकर अपने कमरे में आराम करने चला गया। मैंने भी उसे परेशान नहीं किया और आराम करने दिया क्योंकि मैं जानती थी कि मैं उसे रात को बहुत परेशान करने वाली थी। आठ बजे मैं रंशु के कमरे में गई तो देखा के वह गहरी नींद में सो रहा था। तब मैंने उसके और अपने कमरे के बीच वाले दरवाज़े की चिटकनी खोल दी। इसके बाद मैंने अपने कमरे में आकर उस दरवाज़े को खोल कर तस्सली भी कर ली और अपने कपड़े बदल कर नाइटी पहन ली।
रात नौ बजे मैंने रंशु को जगाया और हम दोनों ने खाना खाया और कुछ देर बाहर गार्डन में टहलते रहे। लगभग दस बजे हम अंदर आये तो मैंने रंशु से पूछा कि क्या वह कॉफी पीयेगा तो उसने हाँ कह दी। मैंने उसे कमरे में जाने को कहा और कॉफी बनाने चली गई। रसोई में मैंने गैस पर पानी उबलने के लिए रखा और जल्दी से अपनी नाइटी के नीचे पहनी हुई ब्रा और पैंटी उतार कर वहीं रसोई में रख दी। अब मैं चुदने के लिए मानक और शारीरिक तौर पर बिल्कुल तैयार थी, मेरी आँखों के आगे रंशु का लंबा, मोटा और तगड़ा लौड़ा दिखाई देने लगा था और मेरी चूत में थोड़ी खलबली भी शुरू हो गई थी। जैसे ही कॉफी बन गई, मैं उसे रंशु के कमरे में ले गई तो देखा कि बेड पर उसका सामान बिखरा हुआ था और रंशु सिर पकड़े बैठा हुआ था।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बताया- रोधिका ने रात के सोने वाले कपड़े तो बैग में रखे ही नहीं !
शायद पहली बार सामान बाँधा था इसलिए उसने बैग में पेंट और कमीज तो रख दी थी, लेकिन बनियान और जांघियाँ भी नहीं रखे थे ! मैंने उसे कहा- इसमें परेशान होने की बात नहीं है और मैंने उसे रात के लिए अपने पति की लुंगी दे दी। काफी पीने के बाद मैंने रंशु से कहा कि वह अपना बनियान और जांघियाँ उतार दे ताकि मैं उन्हें अभी धो दूँ ताकि सुबह तक सूख जाएँ ! वह कल वही पहन जाए और कल ही मैं उसके लिए नए बनियान और जांघियाँ ला दूँगी ! मेरी बात मान कर रंशु कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में घुस गया ! उसे अंदर गए अभी कुछ सेकण्ड ही हुए थे कि मैं भी बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर उसमे घुस गई। मैंने देखा कि रंशु बिल्कुल नंगा खड़ा मूत रहा था ! मुझे बाथरूम के अंदर देख कर वह हकबका गया और एकदम घूम गया !
मैंने उसे सँभलने का मौका ही नहीं दिया और मैं उसके पास जाकर उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा कि उसे घबराने और हैरान होने कि जरूरत नहीं है। मैंने उसे कंधों से पकड़ कर घुमाया और उसे अपने सामने कर उसके लौड़े को पकड़ लिया और बताया कि मैंने उसके लौड़े को अच्छी तरह देखा हुआ है ! रंशु अपने लौड़े को छुड़ाने की कोशिश करता रहा पर मैंने उसको नहीं छोड़ा। उस समय उसका लौड़ा छोटा सा हो रखा था इसलिए मैं उसको मसलने लगी और आगे पीछे हिला कर बड़ा करने लगी। देखते ही देखते उसका लौड़ा तन कर लोहे की छड़ जैसा हो गया, तब मैंने नीचे बैठ कर उसे अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। रंशु तो बहुत मना करता रहा लेकिन मैं ही नहीं मानी और चुसाई चालू रखी। क्योंकि रंशु को कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए वह वहीँ खड़ा खड़ा आह्ह… आह्ह्ह्ह… आह्ह… करता रहा !
फिर मैंने तेज़ी से चूसना शुरू किया और उसके ढाई इंच के टट्टों को भी हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया। मेरे ऐसा करने से चुसाई का असर दुगना हो गया और दो मिनट में ही रंशु ने आह्ह्ह्ह्ह्… की ज़ोरदार आवाज़ निकलते हुए अपनी पिचकारी मेरे मुँह में छोड़ दी। इसके लिए मैं तैयार थी और उसका बहुत ही स्वादिष्ट, कुछ नमकीन और कुछ खट्टा वीर्य रस मैंने गटागट पी लिया तथा लौड़े के छेद में से भी बचा हुआ रस चूस कर खींच लिया। फिर मैंने रंशु के लौड़े और टट्टों को चाट कर साफ़ किया और उसे बेडरूम में जाने दिया। इसके बाद मैंने रंशु के बनियान और जांघिये को धोया और बेडरूम में पंखे के नीचे सूखने को फैला दिए। रंशु ने बेड पर फैले सामान को समेट कर, लुंगी पहने बेड पर बैठा हैरान सा मुझे यह सब करते हुए देख रहा था ! इसके बाद मैं उसके पास जाकर बैठ गई और उसका एक हाथ अपने हाथों में ले कर पूछा कि वह हैरान परेशान क्यों है? तो उसने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि कुछ देर पहले यह सब क्या और कैसे हुआ था!
उसने मुझसे पूछा कि मैंने उसका लौड़ा पहले कब देखा था तो मैंने उसे बताया कि जब वे लोग मेरे यहाँ आये थे तब उन्हें चुदाई करते हुए देखा था और मैंने उठ कर अपने कमरे वाला दरवाज़ा खोल कर उसे की-होल के बारे में सब बताया ! रंशु मेरी बात सुन कर थोड़ा शरमाया और फिर मुस्करा कर कहा- आप बहुत ही शातिर हैं ! फिर उसने मुझसे कहा- आपने मुझे और रोधिका को नग्न रूप में चुदाई करते हुए देख लिया, और अब मेरा लौड़ा चूस कर उसका रस भी पी लिया लेकिन मुझे अभी तक अपने किसी भी अंग के दर्शन नहीं कराये? तब मैंने उसे इशारा किया कि इसके लिए उसे ही मेहनत करनी पड़ेगी और मैं कमरे के बीच में आँखें बंद करके खड़ी हो गई ! रंशु उठ कर मेरे पास आया और मेरी नाइटी को ऊपर उठा कर उतार दिया। नाइटी के नीचे मुझे बिलकुल नग्न पा कर वह मेरी मंशा समझ गया कि मैं इस अवसर के लिए पहले से ही तैयार हो कर आई हूँ !
उसने मेरी नाइटी को वहीं फेंक कर मुझे अपनी गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया तथा मेरे करीब ही बैठ गया। वह अपने हाथ मेरी चूचियों पर फेरने लगा और अंगूठे तथा उंगली के बीच में घुंडियों को पकड़ कर मसलने लगा। फिर उसने अपना एक हाथ मेरी चूत के बालों पर रखा और अपने एक उंगली से मेरे छोले को रगड़ने और बड़ी उंगली को मेरी चूत के अंदर डाल कर हिलाने लगा। मैं तो लौड़ा चूसने के समय से गर्म थी, रंशु की उँगलबाजी से मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई, मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने उसकी लुंगी खोल दी और उसके लौड़े को पकड़ कर मसलने लगी। एक मिनट में ही उसका लौड़ा तन कर फौलाद का हो गया, तब मैं ऊँची हो कर रंशु के लौड़े को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी, यह देख रंशु उल्टा हो कर लेट गया और मेरी चूत में मुँह रख कर चाटने लगा और जीभ को चूत की गली में घुसाने और निकालने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैं भी उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी। पांच मिनट के बाद जब मैं बहुत गर्म हो गई और मेरे मुँह से आहंह्ह… आहंह्ह… उहंह्ह… उहंह्ह्ह… आवाजें निकली और मेरी चूत ने सिकुड़ कर पानी छोड़ दिया। रंशु ने सारा पानी पी लिया, चूत को चाट कर साफ़ कर दिया। क्योंकि मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए मैंने उसे मेरी चुदाई करने का आग्रह किया। तब वह उठ कर मेरी टांगों के बीच में बैठ गया और मेरी चूत को देखने लगा। मैंने पूछा- तुम मेरी चूत को क्यों घूर रहे हो? तो उसने बताया कि उसे मेरी चूत बिल्कुल रोधिका की चूत जैसी ही लग रही थी बल्कि उससे भी कुछ संकरी लग रही थी और उसके लौड़े के चुदाई से कहीं फट गई और खून निकलने लगा तो क्या करेंगे।
यह सुन कर मुझे हंसी आ गई और मैंने कहा- अगर मेरी चूत रोधिका की चूत की जैसी है तो जैसे उसकी नहीं फटी वैसे मेरी भी नहीं फटेगी, और अगर रोधिका की चूत में उसका लौड़ा समां गया था तो उसी तरह मेरी चूत में भी समां जाएगा ! मैं उसके आठ इंच के लौड़े को अन्दर लेने के लिए बेताब थी इसलिए मैंने उसे चुदाई के लिए उकसाया तब उसने धीरे से मेरी चूत के मुँह पर लौड़े को रखा और एक ही झटके में सुपाड़ा अन्दर घुसेड़ दिया ! उसके ढाई इंच मोटे सुपारे के लिए मेरी चूत काफी तंग थी, जैसे नई चूत हो और पहली बार चुद रही हो ! मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं चीख उठी ऊईई ममाँआआ… म्म्म्मररर्र… गईई… हाएए… मेरीईइ… फटगईई… आहंहह्ह… उहंहह्ह… मार डाला ! मेरी चीखें सुन कर रंशु रुक गया और मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर मुझे चुम्बन करता रहा ! जब मैं शांत हो गई तब उसने दूसरा झटका मारा और आधा लौड़ा मेरे अंदर घुसेड़ दिया, मुझे एक बार फिर बहुत ही तीखा दर्द हुआ और एक बार फिर मेरी चीखें निकलने लगी ऊई ईई ममाँआआ… म्म्मरर्र… गईई… हाएए… मेरीई ईइ… फटगईई… आहंह्ह… उहंह्ह्ह…!
रंशु थोड़ी देर फिर रुका और जैसे ही मेरी सांस में सांस आई उसने एक और झटका लगा कर लौड़े को पूरा मेरी चूत के अंदर पहुंचा दिया। इस बार तो मेरी चूत में अत्यंत ही तीखा दर्द हुआ और मैं दर्द के मारे तड़प उठी, मेरे पसीने छूटने लगे, मेरी आँखों में से पानी निकल आया, मेरा पूरा बदन कांपने लगा और मेरी चीखें पूरे कमरे में गूंजने लगी ! रंशु झट से मेरे ऊपर लेट गया और मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर मेरी चीखों को चुप करा दिया ! पांच मिनट वैसे ही लेटे रहने के बाद मैं अपने होश में आई और रंशु से आगे बढ़ने को कहा, तब उसने धीरे धीरे हिलना शुरू किया और बहुत ही प्यार से लौड़े को चूत के अंदर बाहर करने लगा ! उसका लौड़ा मेरी कसी चूत में बुरी तरह से फंसा हुआ था इसलिए बहुत ही अच्छी रगड़ मार रहा था जिससे मुझे बहुत मज़े आने लगे थे ! जब मेरी चूत सिकुड़ने लगी तो मैं बोल उठी- रंशु, मजा आ रहा है ज़रा तेजी से करो, ज़रा जल्दी जल्दी करो ! यह सुन कर रंशु चालू हो गया और झटके पे झटके लगाने लगा, उसने मेरे दोनों पैर ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रख दिए और झटके लगाता रहा। मेरी चूत में आनंद के लहरें उठने लगी, बार बार गीली होने लगी जिससे लौड़े का अंदर बाहर जाने की रगड़ का आनंद चार गुना हो गया था।
पन्द्रह मिनट की तेज रगड़ाई के बाद रंशु का लौड़ा चूत के अंदर ही फड़फड़ाया और मेरी चूत भी जोर से सिकुड़ी, मैं और रंशु दोनों एकदम से अकड़ गए और दोनों के मुँह से आहंह्ह… आहंह्ह्ह… उहंहह्ह… उहंहह्ह… की आवाजें निकली ! इसके साथ ही मेरी चूत में बाढ़ आ गई और वह मेरी चूत के पानी और रंशु के लौड़े से छूटे रस से लबालब भर गई ! रंशु तो इतना आनंदित हुआ कि पागलों की तरह मुझे चूमने लगा और मैं भी उसे बहुत देर तक चूमती रही। बारह बजने वाले थे इसलिए हम दोनों ने उठ कर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर दोनों मेरे कमरे में आ गए! बेड पर लेट कर रंशु ने मेरी चूचियों को मुँह लिया और मैंने उसके लौड़े को हाथ में पकड़ा और हम सो गए ! रात के दो बजे मेरी नींद खुली, रंशु के लौड़े को अपने हाथ में देख कर एक बार फिर चूत मरवाने के लिए ललचा उठी। मैंने रंशु को होंठों पर चूम लिया और उसके लौड़े को मुँह में ले कर तेज़ी से चूसने लगी !
एक मिनट में रंशु भी जाग गया और उसका लौड़ा भी तन गया। मैंने रंशु को सीधा किया और अपनी टाँगें चौड़ी कर के उसके मुँह के ऊपर बैठ गई तथा उसे चूत चूसने को कहा। पांच मिनट चूत चुसवाने के बाद मैं उसके तने हुए लौड़े को चूत में फंसा कर, चीखती चिल्लाती हुई उछल उछल कर चुदने लगी ! दस मिनट में ही हम दोनों अकड़ गए और दोनों की चीखों के साथ हमारा रस छूट गया। एक बार फिर मेरी चूत में बाढ़ आ गई थी, जैसे ही मैंने लौड़े को चूत से बाहर निकाला तो चूत के अंदर से सारा रस बाहर निकल कर रंशु के ऊपर फ़ैलने लगा। मैंने उस रस को अपने हाथ से रंशु के पेट और छाती पर फैला दिया और फिर उसके ऊपर लेट कर अपने आप पर भी उस रस का लेप होने दिया और उसी तरह लेटे लेटे हमें नींद आ गई।
सुबह पांच बजे रंशु की नींद खुली तो उसने मुझे अपने ऊपर चिपका हुआ पाया और जब उसने मुझे हटाने की कोशिश की तब मेरी भी नींद खुल गई। मेरे पूछने पर कि वह इतनी जल्दी क्यों उठ गया, उसने अपनी छोटी उंगली उठा कर बताया कि उसे बाथरूम जाना है। पेशाब तो मुझे भी आया था इसलिए मैं भी उठ कर उसके साथ बाथरूम में चली गई, वहाँ जाकर मैंने रंशु का लौड़ा पकड़ कर उसे पेशाब करवाया और इसके बाद मैं पॉट पर बैठ कर मूतने लगी। रंशु को मैंने पकड़ कर अपने सामने खड़ा कर लिया था और उसका लौड़ा मुँह में डाल कर चूसने लगी। रंशु ने ऐसा करने से मना किया और कहा कि अगर अब चुदाई करेंगे तो मुझे पछताना पड़ेगा, लेकिन मैं नहीं मानी और उसे मजबूर कर दिया। पेसाब करने के बाद हम रंशु के बेड पर जाकर चूसा चुसाई करने लगे और फिर रंशु मेरे ऊपर चढ़ गया तथा एक ही झटके में पूरा लौड़ा मेरी चूत के अंदर तक उतार दिया !
उसके बाद रंशु ने आक्रमण शुरू कर दिया और राजधानी गाडी की स्पीड से मेरी चुदाई करने लगा। क्योंकि रात में वह तीन बार झड़ चुका था इसलिए उसे इस बार छूटने में देर लग रही थी। मेरी चूत का पांच बार पानी निकलने के बाबजूद भी वह नहीं झड़ा और छटी बार जब मैं झड़ने को थी तब उसका लौड़ा भी फड़फड़ाया और हम दोनों चीखते तथा चिल्लाते हुए एक साथ ही झड़ गए ! फिर हमने बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया और दोनों रंशु के बेड पर ही जा कर सो गए! सुबह आठ बजे जब हमारी नींद खुली तो मैं उठ कर अपने कमरे में जाने लगी, लेकिन मुझसे चला ही नहीं गया ! मेरी चूत और उसके आस पास के क्षेत्र में बहुत जलन हो रही थी। मैंने झुक कर देखा तो पाया कि मेरी चूत सूज कर लाल हो चुकी थी। मैं समझ गई कि रंशु ने अपने लौड़े से इसे रगड़ रगड़ कर इसका यह हाल कर दिया है। मैं चूत पर हाथ रख कर, टाँगें चौड़ी करके किसी तरह अपने कमरे में गई और क्रीम लेकर चूत और उसके आस पास के क्षेत्र में लगाई और फिर उसी तरह अपनी टाँगें चौड़ी कर के रसोई में जा कर रंशु के लिए नाश्ता बनाया !
रंशु तैयार होकर रसोई में आया तो मैंने उसे नाश्ता दिया। तब उसने मेरी हालत देख कर हंस कर बोला कि उसने तो मुझे सावधान किया था कि अगर मैंने चुदाई की जिद नहीं छोड़ी तो मुझे पछताना पड़ सकता है। जब मैंने पूछा कि उसे कैसे मालूम था कि यह होने वाला है, तो उसने बताया कि शादी के बाद दूसरी रात को रोधिका ने भी बार बार चुदने की जिद की थी और अगले दिन भी उसके साथ भी ऐसा ही हुआ था। नाश्ता करके रंशु मुझे गोद में उठा कर अपने कमरे में ले गया, बेड पर लिटा दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके गीले कपड़े से मेरी चूत और उसके आस पास के क्षेत्र को साफ़ किया। फिर उसने अपने बैग में से एक मलहम की टयूब निकाली और उसमें से मलहम निकाल कर चूत और उसके आसपास के क्षेत्र पर लगाई। फिर उसने मलहम की टयूब मेरे हाथ में देकर कहा कि मैं दिन में कम से कम तीन बार ज़रूर लगा लूं !
जब मैंने पूछा कि तीन बार क्यों, तो वह तुरंत बोला कि यह जल्द ठीक हो जाएगी और आज रात की चुदाई के लिए भी तैयार हो जाएगी। दिन भर मैं अपनी चूत को बार बार मलहम लगाती रही और दोपहर तक मुझे आराम भी मिलना शुरू हो गया था लेकिन क्योंकि मुझे रात को चुदने की लालसा थी इसलिए मैं दिल लगा कर दिन भर चूत की देखभाल करती रही ! दो बजे कामवाली के जाने के बाद मैंने एक बार फिर चूत कि सेवा की और रात की नींद पूरी करने के लिए सो गई ! लगभग पांच बजे मैं जागी और चूत पर हाथ लगाया तो उसे बिल्कुल ठीक पाया, सूजन और लाली नहीं थी, उंगली डाल कर देखा तो कोई दर्द और जलन भी नहीं थी ! यह देख कर मुझे बहुत ही खुशी हुई और मेरी रात को होने वाली चुदाई के नज़ारे मेरी आँखों के सामने घूमने लगे। छह बजे जब रंशु आया तो सबसे पहले उसने मेरी तकलीफ के बारे में पूछा और फिर मेरा गाउन उठा कर चूत को देखा और हाथ भी फेरा !
इसके बाद उसने झुक कर जोर से मेरी चूत को चूम लिया, जीभ को उसकी गहराइयों में डाला तथा छोले को भी रगड़ दिया। फिर मुझे कस कर अपनी बाजुओं में जकड़ लिया और मेरे होटों को चूमते हुए मुझे बताया कि मेरी चूत बिल्कुल ठीक हो गई थी और रात को दो या तीन बार तो चुद सकती थी ! मैंने कॉफी बनाई और हम दोनों ने साथ बैठ कर पी। रंशु कॉफी पीकर अपने कमरे में चला गया और मैं रसोई में रात का खाना बनाने लगी। आठ बजे मैं रंशु के कमरे में गई तो देखा कि वह अपनी झांटें शेव करने की तैयारी कर रहा था और यह देख कर मुझे भी अपनी झांटें साफ़ करने का ख्याल आया ! मैंने रंशु से कहा कि मैं उसकी झांटे साफ़ कर देती हूँ लेकिन उसे भी मेरी झांटें शेव करनी होंगी !
यह कह कर मैंने उसके हाथ से शेविंग ब्रुश लेकर उसकी झांटों पर शेविंग क्रीम लगा दी, फिर रेजर लेकर उसके लौड़े तथा टट्टों की सारी झांटें साफ़ कर दी और उसे चिकना बना दिया। इसके बाद मैं अपनी टाँगें फैला कर रंशु के सामने बैठ गई और शेविंग ब्रुश उसके हाथ में दे दिया। रंशु ने बड़े प्यार से मेरी चूत की झांटें साफ़ कर दी और उसे बिल्कुल गंजी कर दिया ! रंशु ने एक बार मेरी गंजी चूत को कस कर चूमा और अपना चिकना लौड़ा मुझे चूमने दिया ! इसके बाद हमने खाना खाया और थोड़ी देर गार्डन में घूमने गए तथा साढ़े नौ बजे तक हम अंदर रंशु के कमरे में आ गये ! कमरे में आते ही मैंने रंशु के और रंशु ने मेरे सारे कपड़े उतारे, दोनों नंगे हो कर एक दूसरे से लिपट गए और एक दूसरे को चूसने लगे !
रंशु ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी चूचियों को चूसने लगा, मैं उसके लौड़े को पकड़ कर मसलने तथा मरोड़ने लगी। इसके बाद रंशु पलट गया और मेरी चूत को चाटने-चूसने लगा तथा मैं उसके लौड़े को ! कुछ ही देर में मेरा पानी छूट गया, तब रंशु ने मुझे नीचे खड़ा कर के, मेरा ऊपर का हिस्सा बेड पर झुका कर घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे खड़ा होकर मेरी चूत का मुँह खोला और उसमे अपने लौड़े को सेट करके धक्का दिया। पहले धक्के में रंशु का आधा लौड़ा मेरी चूत के अंदर चला गया और दूसरे धक्के में पूरा लौड़ा अंदर चला गया !
मेरी चूत अब रंशु के लौड़े के आकार की आदि होने लगी थी इसलिए मेरे मुँह से सिर्फ हल्की हल्की सी चीख निकली और मेरी चूत बड़े आराम से रंशु के लौड़े को गप कर गई। फिर रंशु ने धीरे - धीरे धक्के देने शुरू कर दिए, मैंने भी उसके साथ हिलना शुरू कर दिया ! पांच मिनट के बाद वह तेज धक्के देने लगा, तब मैं भी उसकी स्पीड के साथ मेल करते हुए तेजी से हिलने लगी और हमारे मुँह से आह्ह… आह्ह… और उंहह्ह्ह्… उंहह्ह्ह… की आवाजें निकलनी शुरू हो गईं। रंशु को तेज चुदाई करते हुए जब दस मिनट बीत गए तब मैंने रंशु को पुरे जोर से तेज धक्के लगाने को कहा !
मेरे कहने पर रंशु बहुत तेज़ी से धक्के लगाने लगा और कमरे में हम दोनों की आह्ह्ह… आह्ह्ह… उंहह… उंहह्ह… आह्ह्ह… उंहह्ह्… आह्ह्ह… उंहह… की आवाजें गूंजने लगी। अचानक मेरी चूत सिकुड़ने लगी और रंशु का लौड़ा भी फूलने लगा ! देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे की रगड़ से उत्तेजित होने लगे, रंशु मुझे पूरे जोर शोर और तेज़ी से चोदने लगा। दो मिनट में ही मैं एकदम से अकड़ गई और जोर से चिल्लाई- उंहह्ह्ह… उंहह्ह्ह.. ओह्ह… मैं तो गई.. मैं तो गईई.. गईईई.. गईई..! इसके बाद मेरी चूत ने रंशु के लौड़े को बहुत कस कर जकड़ लिया और अंदर खींच लिया तथा अपना पानी छोड़ दिया। उसी समय रंशु का लौड़ा भी फड़का और उसकी पिचकारी की छह-सात धारा छूटीं ! देखते ही देखते मेरी चूत हम दोनों के रस से लबालब भर गई और रस बाहर भी बहने लगा ! बदन के अकड़ने और चूत में खिंचाव की वजह से मेरी टाँगें कांपने लगी थी, जिससे रंशु का लौड़ा बाहर आ गया और मैं वहीं नीचे जमीन पर ही बैठ गई। रंशु भी मेरे पास बैठ गया और मेरी टाँगें पकड़ कर दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं संभली और फिर हमने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया तथा बेड पर आकर लेट गए ! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
रंशु ने मेरे बदन को अपने साथ चिपका कर पूछा कि मुझे क्या हो गया था, तब मैंने बताया कि मुझे अब तक की सबसे बढ़िया खिंचावट हुई है, कल रात से भी ज्यादा, बहुत ज्यादा ! इसके बाद रंशु मुझसे लिपट गया और हम नींद के आगोश में खो गए। इसके बाद रात बारह बजे और सुबह पांच बजे हमारी नींद खुली तो हमने दोनों बार भी चुदाई की ! यही सिलसिला शुक्रवार सुबह तक भी चलता रहा ! उन चार रातों में मैंने और रंशु ने तेरह बार चुदाई की थी। उसके बाद जब जब रंशु आया तब तब हमने मौका देख कर चुदाई की ! अब जब भी रंशु आएगा मैं एक रात में कम से कम नौ बार तो ज़रूर चुदवाऊँगी और इसी की तैयारी भी कर रही हूँ।
Click on Search Button to search more posts.
