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कुवारी हूँ लेकिन चुदती रोज हूँ - Shadi nahi ki hai lekin chudwati daily hun
कुवारी हूँ लेकिन चुदती रोज हूँ - Shadi nahi ki hai lekin chudwati daily hun , कुँवारी चूत की सफाई , कुवारी लड़की की सेकस चुदाई , कुवारी लड़की की चुत चुदाई , सेक्स कहानी एक कुवारी लड़की की , desi chudai kuwari ladki.
अरे यार सच बताऊँगी तो आपको बड़ा आश्चर्य होगा ? तुम तो जानती हो की मैंने अभी तक शादी नहीं की है। जी हां मैं अभी कुवांरी हूँ पर हर एक रात मैं नये नये लण्ड के साथ गुज़ारती हूँ. हर रोज़ किसी न किसी के लण्ड पे बैठती हूँ। हर रोज़ एक नया लण्ड पीती हूँ, नया लण्ड पेलवाती हूँ.
अरे यार सच बताऊँगी तो आपको बड़ा आश्चर्य होगा ? तुम तो जानती हो की मैंने अभी तक शादी नहीं की है। जी हां मैं अभी कुवांरी हूँ पर हर एक रात मैं नये नये लण्ड के साथ गुज़ारती हूँ. हर रोज़ किसी न किसी के लण्ड पे बैठती हूँ। हर रोज़ एक नया लण्ड पीती हूँ, नया लण्ड पेलवाती हूँ.
मैं लण्ड का सब काम करती हूँ। लण्ड के मामले में मैं बहुत एक्सपर्ट हूँ।कोई बुर चोदी मेरा मुकाबला नहीं कर ही नहीं सकती। आप एक बार मुझे मौक़ा तो दीजिये। अपना लण्ड मुझे पकड़ा तो दीजिये फिर देखिये मैं क्या क्या मज़ा देती हूँ आपको ?
मेरा नाम है मिस रूचि त्रिवेदी। मैं कानपूर की रहने वाली हूँ पर रहती हूँ दिल्ली में। दिल्ली में मेरा एक फ्लैट है मैं अकेली ही उस फ्लैट में रहती हूँ। मेरी उम्र 32 साल की है और मैंने अभी तक शादी नहीं की है और न ही करने का इरादा है। मैं खूबसूरत हूँ, गज़ब की सेक्सी और हॉट हूँ। मैं एक कॉलेज में 5 साल से प्रोफेसर हूँ और मेरे कॉलेज co - education है। यानी लड़के और लड़कियां सभी साथ साथ पढतें हैं। मैं पिछले 5 साल से यहाँ पढ़ा रही हूँ और मैंने अपने नाम की अच्छी ख्याति अर्जित की है। मैं लड़कों के काफी नजदीक रहती हूँ और उन्हें अपने घर बुलाया भी करती हूँ। लड़के भी मुझे काफी खुले हुए हैं और वे बेधकड़ मुझसे मेरे घर में मिलते रहतें हैं। मैं किसी को मना नहीं करती। मेरे दरवाजे सबके लिए खुले रहतें हैं। लड़कियां भी मेरा खूब सम्मान करती हैं और कुछ लड़कियों को मैं अपने नजदीक रखती हूँ।
मैं जब 5 साल पहले यहाँ आई थी तो मन बना लिया था की मैं यहाँ के लड़कों के लण्ड पकड़ूँगी और जो लड़के मुझे पसंद आयेंगें और जिनके लण्ड मुझे पसंद आयेंगें उनसे मैं चुदवाऊंगी।
कुछ दिन में ही मुझे करन नाम का लड़का अच्छा लगता था। मैंने उसे संडे के दिन अपने घर बुलाया। उसने जब बेल बजाई तो मैं बाथ रूम से नहा कर निकली थी। मैंने चूँचियों तक तौलिया बाँध ली थी और बाहर आकर दरवाजा खोल दिया। मेरे बालों से पानी टपक रहा था। मैंने कहा अरे करन तुम आ गये। बैठो मैं अभी आती हूँ। मैं अंदर गयी और एक मैक्सी पहन कर आ गयी। मैंने न ब्रा पहनी और न पैंटी। करन ड्रिंक्स लेते हो ? वह बोला जी कभी कभी ले लेता हूँ । मैंने दो ड्रिंक्स बनाया और एक उसे पकड़ा दिया। मैं उससे बातें करने लगी।
मेरा नाम है मिस रूचि त्रिवेदी। मैं कानपूर की रहने वाली हूँ पर रहती हूँ दिल्ली में। दिल्ली में मेरा एक फ्लैट है मैं अकेली ही उस फ्लैट में रहती हूँ। मेरी उम्र 32 साल की है और मैंने अभी तक शादी नहीं की है और न ही करने का इरादा है। मैं खूबसूरत हूँ, गज़ब की सेक्सी और हॉट हूँ। मैं एक कॉलेज में 5 साल से प्रोफेसर हूँ और मेरे कॉलेज co - education है। यानी लड़के और लड़कियां सभी साथ साथ पढतें हैं। मैं पिछले 5 साल से यहाँ पढ़ा रही हूँ और मैंने अपने नाम की अच्छी ख्याति अर्जित की है। मैं लड़कों के काफी नजदीक रहती हूँ और उन्हें अपने घर बुलाया भी करती हूँ। लड़के भी मुझे काफी खुले हुए हैं और वे बेधकड़ मुझसे मेरे घर में मिलते रहतें हैं। मैं किसी को मना नहीं करती। मेरे दरवाजे सबके लिए खुले रहतें हैं। लड़कियां भी मेरा खूब सम्मान करती हैं और कुछ लड़कियों को मैं अपने नजदीक रखती हूँ।
मैं जब 5 साल पहले यहाँ आई थी तो मन बना लिया था की मैं यहाँ के लड़कों के लण्ड पकड़ूँगी और जो लड़के मुझे पसंद आयेंगें और जिनके लण्ड मुझे पसंद आयेंगें उनसे मैं चुदवाऊंगी।
कुछ दिन में ही मुझे करन नाम का लड़का अच्छा लगता था। मैंने उसे संडे के दिन अपने घर बुलाया। उसने जब बेल बजाई तो मैं बाथ रूम से नहा कर निकली थी। मैंने चूँचियों तक तौलिया बाँध ली थी और बाहर आकर दरवाजा खोल दिया। मेरे बालों से पानी टपक रहा था। मैंने कहा अरे करन तुम आ गये। बैठो मैं अभी आती हूँ। मैं अंदर गयी और एक मैक्सी पहन कर आ गयी। मैंने न ब्रा पहनी और न पैंटी। करन ड्रिंक्स लेते हो ? वह बोला जी कभी कभी ले लेता हूँ । मैंने दो ड्रिंक्स बनाया और एक उसे पकड़ा दिया। मैं उससे बातें करने लगी।
- मैंने कहा करन तुम जवान हो खूबसूरत हो पढ़ाई में भी अच्छे हो। तो तुम पर तो कई लड़कियाँ मरती होंगीं ?
- पता नहीं मेम मरतीं हैं की नहीं ? मैं कुछ कह नहीं सकता।
- देखो यहाँ सच सच बताओ। मैं घर में तेरी टीचर नहीं हूँ। अच्छा तुमने अब तक कितनी लड़कियां चोदीं हैं। मेरे सीधे सवाल से वो थोड़ा घरबारा गया। मैंने कहा यार करन यहाँ तुम मेरे दोस्त हो मैं एक दोस्त की हैसियत से पूंछ रही हूँ। वह फिर भी शर्माने लगा तो मैंने सोंचा की मुझे इसके लण्ड में आग लगानी पड़ेगी। मैंने कहा अच्छा मर्द तो हो न ? इसमें तो कोई शक नहीं है ?
- जी हां मर्द तो पूरा हूँ मेम ?
- पहली बात मैं घर पर मेम नहीं हूँ। मैं सिर्फ रूचि हूँ। तुम मेरे दोस्त हो तो बहन चोद रूचि, मादर चोद रूचि या फिर बुर चोदी रूचि कह सकते हो ? वह थोड़ा खुलने लगा। मैंने पूंछा अब बताओ की तेरा लण्ड खड़ा होता है की नहीं ?
- हां जरूर खड़ा होता है।
- तो फिर किसी खूबसूरत लड़की को देख कर तेरा लण्ड खड़ा होता है न ?
- हां होता है।
- तो मैं खूबसूरत हूँ की नहीं ?
- आप तो वाकई बहुत खूबसूरत हैं ?
- इसका मतलब मुझे देख कर तेरा लण्ड खड़ा है।
- हां है तो खड़ा ?
- तो फिर दिखाओ न मुझे भोसड़ी के अपना खड़ा लण्ड, करन। मैं तेरा लण्ड एकदम नंगा देखना चाहती हूँ। पकड़ कर देखना चाहती हूँ। हिला हिला कर देखना चाहती हूँ तेरा लण्ड ?
बस मैं लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी। मैं फिर बिलकुल नंगी हो चुकी थी। मेरी बिना झांट की चूत देख कर उसका लौड़ा और तन गया। मुझे और मज़ा आने लगा। कुछ देर बाद मैं उसे अपने बेड में ले गई और चित लिटा दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गयी और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी। मैंने कहा करन लो अब तुम मेरी बुर चाटो। वह जबान निकाल मस्ती से मेरी बुर चाटने लगा और मैं इधर उसका लण्ड चाटने लगी। लण्ड के सुपाड़े के चारों ओर जबान घुमाने लगी। उसे भी मज़ा आने लगा तो वह सिसियाने लगा। करन की छोटी छोटी झांटें थीं जो की मुझे बहुत सेक्सी लग रहीं थीं। मैंने उसके पेल्हड़ भी सहलाने लगी और चूमने भी लगी। मुझे पेल्हड़ से भी बड़ा प्यार होता है। बीच बीच मैं लण्ड का सुपाड़ा चूसने लगती। मैं बड़ी मस्ती हो गई थी और खुश भी की चलो कम से कम लण्ड चूसने की शुरुआत तो हुई। ,,,,,,,,,,,,
मैं बहुत गरम हो चुकी थी और अब उससे भी रहा न जा रहा था। तो मैंने अपनी चूत फैला दी। वह बेड के नीचे खड़ा हो गया और मुझे किनारे घसीट लिया मेरी गांड के नीचे दो तकिया लगा दी तो मेरी चूत कुछ ऊपर उठ गयी. फिर उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और उसे चूत पर खूब रगड़ा। चूत भी गीली थी और लण्ड भी तो एक बार लण्ड अपने आप गप्प से अंदर घुस गया। मेरे मुंह से निकला उई माँ , हाय रे पूरा घुसेड़ दिया तूने लण्ड ? मेरी तो बुर फट जाएगी यार। ज़रा धीरे धीरे चोदो न ? मैं कहीं भागी नहीं जा रही। कुछ देर में जब मुझे मज़ा आने लगा तो कहा यार ज़रा जल्दी जल्दी चोदो। मर्दों की तरह चोदो। हचक हचक के चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर। पूरा घुसेड़ दो लण्ड। चूत मेरी बहुत भूंखी है। इसे अपना पूरा लौड़ा खिला दो। हाय रे चोद डालो मेरी चूत। ऐसे चोदो की मेरी बुर की इसकी माँ का भोसड़ा भी फट जाए। वॉवो बड़ा मज़ा आ रहा है यार करन। मैं अपनी गांड से जोर लगा लगा कर चुदवाये जा रही थी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बना दिया और और पीछे से चोदने लगा। मैं भी गुलाम की तरह चुदवाने लगी। मज़ा मुझे भी आ रहा था। जब कोई लौड़ा पेल के धक्के लगता है तो मज़ा आता ही है। आखिर में मैं खुद उसके लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड पूरा अंदर घुसा और मैं धकापेल चुदवाने लगी। अब तक मैं खलास होने वाली हो गई। वह भी निकलने वाला था तो मैं उतर का लण्ड मुठ्ठी में लेकर सड़का मारने लगी। मैंने लण्ड के सामने अपना मुंह खोल रखा था। उसने सारा मक्खन मेरे मुंह में ही उड़ेल दिया और मैं एक मंजी हुई खिलाड़ी की तरह उसे पी गयी और लण्ड का सुपाड़ा जबान निकाल कर चाटने लगी। जब वह जाने लगा तो मैंने पूंछा मुझे उन लड़कियों के नाम बताओ जिनकी बुर तुम चोदते हो उसने आरती, रितिका, राधिका और नेहा का नाम बताया। उसने यह भी कहा की अरुणा मेम भी मुझसे चुदवाती हैं।
मैंने यह भी कहा की करन तुम मुझे हर संडे को इसी समय चोदने आया करो। दूसरे दिन मैंने आरती को बुला भेजा। वह आयी तो मैंने कहा आरती आज शाम को तुम उस लड़के के साथ शाम को मेरे घर आना जिसका लण्ड तुम्हे सबसे ज्यादा पसंद है और जो तुम्हे बड़े मन से चोदता है, करन को छोड़ कर ? शाम को आरती एक लड़के के साथ आ गई। उसका नाम था विकी। फिर हमने दारू चालू कर दी। आरती भी खूब मजे से दारू पीने लगी। मैंने पूंछा तुम कबसे विकी को जानती हो ? वह बोली यही कोई २ साल से। और तभी से हम दोनों सेक्स का मज़ा लेते हैं। मैंने कहा अच्छा तो तुम्हे इसका लौड़ा पसंद है ? वह बोली हां पसंद है। मैंने कहा ठीक है तो फिर इसका लौड़ा खोल कर दिखाओ मुझे ? आरती भी नशे में थी। उसे जोश आया तो उसने विकी को नंगा कर दिया और उसके लण्ड की चुम्मी लेते हुए लण्ड हिलाने लगी। लण्ड बढ़ने लगा। बढ़ते बढ़ते वह करन के लण्ड से भी बड़ा हो गया। ?
मैं तो लण्ड देख कर मस्त हो गयी। मैंने जब लण्ड पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो मेरी साल गिर गई और मेरी चूँचियाँ नंगी हो गईं। विकी ने उन्हें देखा तो उसका लौड़ा और सख्त हो गया। मैंने लण्ड की चुम्मी ली और कहा ये तो करन के लण्ड से बड़ा है। वह बोली हां बड़ा है . इतने में आरती ने मेरे कपड़े उतार दिया और मुझे बिलकुल नंगी कर दिया। खुद भी नंगी हो गयी। उसने कहा उसने कहा रूचि मेम,,,,,,, ? मैं बीच में बोली रूचि मेम की माँ का भोसड़ा ? उसकी माँ की चूत ? यहाँ मैं मेम नहीं हूँ। मैं तेरे लिए बुर चोदी रूचि हूँ और तू भी मेरे लिए बुर चोदी आरती है। वह मुस्कराकर बोली मेरी बुर चोदी रूचि आज मैं तेरी बुर चोदूँगी ? तेरी बुर में लण्ड पेलूँगी मैं। मैंने कहा अरे यार पेलो न ? तुझे रोका किसने है। फाड़ डालो मेरी बुर ? उसने लौड़ा मेरी चूत में टिका दिया और विकी की गांड दबा दी तो लौड़ा सरसराता हुआ अंदर दाखिल हो गया। मैंने कहा तू भोसड़ी की लण्ड घुसाने में बड़ी एक्सपर्ट है। कभी अपनी माँ के भोसड़ा में लण्ड पेला है। वह बड़ी बेबाकी से बोली मैं रोज़ ही पेलती हूँ लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में ?
बस आरती के सामने ही चुदने लगी मेरी चूत। विकी भी एक मद मस्त मर्द की तरह चोदने लगा। मैंने कहा यार आज तुम मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दो। चीर डालो मेरी बुर। तूने आरती की बुर चोदी है अब उसकी टीचर की बुर चोद कर दिखाओ। वह भी जोश में आ चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने लगा आर मैं भी देने लगी। पे धक्का लगाने लगा और मैं उसके हर धक्के का जबाब धक्के से ही देने लगी। वह भी समझ गया की मैं भी चुदाई में एक बहुत बड़ी खिलाड़ी हूँ। कुछ देर में वह मुड़ा और मेरी एक टांग ऊपर की ओर उठा दी और उसके नीचे से पेल दिया लण्ड। बस गचर गोचर चोदने लगा मेरी बुर। मैंने पूंछा विकी तुम कितनी लड़कियां चोद चुके हो। वह बोला यही कोई ४/५ लड़कियां चोद चुका हूँ लेकिन आजकल की लड़कियां चुदवाने से ज्यादा लण्ड पीने के लिए बेताब रहतीं हैं। वो लण्ड मुंह में लेकर ज्यादा मस्त हो जातीं हैं। उसकी इस अदा से मैं खलास हो गयी और तब मैंने भी उसका लौड़ा पकड़ कर मुठ्ठ मारने लगी। उसके लण्ड का स्वाद वाकई बड़ा निराला था। हर लण्ड के वीर्य का टेस्ट अलग अलग होता ही है।
अगले दिन मैंने अरुणा के घर धावा बोल दिया। वह भी हमारे कॉलेज की ही टीचर थी और मुझसे सीनियर थी।
वह ७ साल से पढ़ा रही थी। इसलिए हम दोनों खुल कर बातें करने लगीं। उसने फ़ौरन दारू का इंतज़ाम किया और नशे में फिर हम दोनों अपने अपने दिल के राज़ खोलने लगीं।
अरुणा बोली - देखो यार रूचि मैं मादर चोद एक बदचलन लड़की हूँ और १५ साल की ही उम्र से लण्ड पकडने की शौक़ीन हो गई थी। मैं लड़कों के पजामा में हाथ घुसेड़ कर लण्ड पकड़ लेती थी। सबसे पहले मैंने अपने मामा का लौड़ा पकड़ा था। पहले तो वह भी थोड़ा शरमाया और थोड़ा झिझका भी पर कुछ दिन में ही वह भी मस्त हो गया और मेरे मुंह में लौड़ा घुसेड़ने लगा। मैं लौड़ा पीने लगी और फिर आगे चल कर चुदवाने भी लगी। उसके बाद जीजा का लौड़ा पकड़ा, मौसा का लौड़ा पकड़ा और इन दोनों के दो दो दोस्तों के भी लण्ड पकड़े। मैंने इन सबसे चुदवाया और अच्छी तरह चुदवाया। मुझे मज़ा आया तो मेरे लण्ड पकड़ने की और चुदवाने की यात्रा तेजी पकड़ने लगी।
इत्तिफाक मैं पढ़ने में अच्छी थी तो मुझे यह नौकरी मिल गयी। अब मुझे लण्ड की कोई कमी महसूस नहीं होती। यहाँ तो लण्ड ही लण्ड हैं। चाहे जितने पकड़ो और चाहे जितने पेलो अपनी चूत में। मैं तो हर रोज़ २/३ लड़कों से चुदवाती हूँ। कोई कॉलेज जाने के पहले चोद जाता है कोई कॉलेज के बाद आकर चोदता है।
मैंने कहा - यार अरुणा मेरी भी कुछ ऐसी ही कहानी है। मैं भी भोसड़ी वाली लण्ड की बड़ी दीवानी हूँ। मुझे लण्ड चाहिए लण्ड और लण्ड। बाकी कुछ भी नहीं। कभी कभी मन करता है की मैं कुत्ते का लण्ड पकड़ लूं , घोड़े का लण्ड पकड़ लूं। गधे का लण्ड पकड़ लूँ। 16 साल की उम्र में ही लण्ड पकड़ना शुरू किया तो फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अब तो मुझे यहाँ लण्ड की खान मिल गई है। जिधर देखो उधर लण्ड ही लण्ड हैं. यहाँ एक से एक बेहतर लड़के हैं और उनके लण्ड हैं।
अरुणा बोली - मैं तो कभी कभी दूसरे कॉलेज के लड़कों से चुदवा लेती हूँ। मेरे कॉलेज की लड़कियां ये काम खूब करतीं हैं। ये सब बुर चोदी मेरे लिए लण्ड इकठ्ठा करतीं हैं और मैं हर रोज़ एक नये लण्ड से अपनी बुर फड़वाती रहती हूँ। ये लड़कियां ही मेरी चूत में लण्ड पेलती हैं। ऐसे में बड़ा मज़ा आता है यार। अब तू मेरी दोस्त बन गयी है रूचि तो मैं तेरी भी बुर फड़वाया करुँगी।
फिर अचानक किसी के आने की आवाज़ आई। मैंने देखा की बाहर से एक लड़की अपने दो लड़कों के साथ आ रही है। मैंने उसे देखा तो कहा अरे नेहा तुम ? तुम यहाँ ? वह बोली हां रूचि मेम मैं यहाँ अक्सर आती हूँ अरुणा मेम के पास। नेहा ने इशारे से कहा अरुणा मेम मैं जाती हूँ बाद में आऊंगी। अरुणा बोली नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं ? रूचि भी बिलकुल वैसी ही है जैसी मैं हूँ। तुम्हें शर्माने की कोई जरुरत नहीं है। अब ये बताओ की ये दोनों कौन हैं ? उसने कहा ये रोहन है और ये सूरज। दोनों ही बगल वाले कॉलेज के लड़के हैं और मेरे आजमाए हुए हैं। आपको बड़ा मज़ा आएगा। अब मैं इन्हें आपके पास छोड़ कर जा रही हूँ। अरुणा ने उसे रोकना चाहा तो वह बोली अरे मेम मुझे अभी थामस सर के लण्ड का सड़का मारना है। वह नंगा नंगा बैठा हुआ मेरा इंतज़ार कर रहा होगा ?
तब मुझे मालूम हुआ की नेहा थामस से भी चुदवाती है। अरुणा में उन दोनों को भी दारू में शामिल कर लिया। अरुणा ने खुले शब्दों में पूंछा तुम लोग अरुणा की बुर कब से ले रहे हो ? वे बोले यही कोई 2 महीने से ? अभी तक तो 3 बार ले चुकें है उसकी बुर ? अरुणा ने सूरज के लण्ड पर हाथ रख दिया और मैंने रोहन लण्ड पर। हम दोनों ने ही लण्ड पैंट के ऊपर से दबाया तो समझ में आ गया की लण्ड कैसे हैं। इतने में अरुणा कपड़े उतार दिया। उसका नंगा बदन देख कर मैं तो बहुत मस्त हो गयी है। उसकी चूँचियाँ मेरी से बड़ी हैं और उसकी गांड तो सच में बड़ी मस्त है। उसे देख कर मैं भी कपड़े खोल कर खड़ी हो गयी। मैं भी मादर चोद बड़ी बेशरम हूँ न ? हम दोनों को नंगी देख कर उनके लण्ड उछलने लगे। अरुणा ने सूरज का लण्ड बाहर निकाला तो मैंने रोहन का लण्ड ? वे दोनों भी नंगे हुए तो माहौल बुरी तरह गरमा गया। मैंने दोनों लण्ड देखे तो पूरे बदन में आग लग गयी। इतने मोटे तगड़े लण्ड देख कर चूत बुर चोदी भठ्ठी बन गयी।
मैं एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर रोहन का लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी और अरुणा सूरज का लण्ड। रोहन मेरी चूत और चूँची सहलाता रहा और सूरज अरुणा की चूत और चूँची। अचानक अरुणा में सूरज का लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मैंने रोहन का लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। हम दोनों आमने सामने धकाधक रंडियों की तरह चुदवाने लगीं।
इस तरह दोस्तों, मैं हर रोज़ नए नए लण्ड से अपनी बुर फड़वाती हूँ और एन्जॉय करती हूँ।
=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=० समाप्त
मैं बहुत गरम हो चुकी थी और अब उससे भी रहा न जा रहा था। तो मैंने अपनी चूत फैला दी। वह बेड के नीचे खड़ा हो गया और मुझे किनारे घसीट लिया मेरी गांड के नीचे दो तकिया लगा दी तो मेरी चूत कुछ ऊपर उठ गयी. फिर उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और उसे चूत पर खूब रगड़ा। चूत भी गीली थी और लण्ड भी तो एक बार लण्ड अपने आप गप्प से अंदर घुस गया। मेरे मुंह से निकला उई माँ , हाय रे पूरा घुसेड़ दिया तूने लण्ड ? मेरी तो बुर फट जाएगी यार। ज़रा धीरे धीरे चोदो न ? मैं कहीं भागी नहीं जा रही। कुछ देर में जब मुझे मज़ा आने लगा तो कहा यार ज़रा जल्दी जल्दी चोदो। मर्दों की तरह चोदो। हचक हचक के चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर। पूरा घुसेड़ दो लण्ड। चूत मेरी बहुत भूंखी है। इसे अपना पूरा लौड़ा खिला दो। हाय रे चोद डालो मेरी चूत। ऐसे चोदो की मेरी बुर की इसकी माँ का भोसड़ा भी फट जाए। वॉवो बड़ा मज़ा आ रहा है यार करन। मैं अपनी गांड से जोर लगा लगा कर चुदवाये जा रही थी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बना दिया और और पीछे से चोदने लगा। मैं भी गुलाम की तरह चुदवाने लगी। मज़ा मुझे भी आ रहा था। जब कोई लौड़ा पेल के धक्के लगता है तो मज़ा आता ही है। आखिर में मैं खुद उसके लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड पूरा अंदर घुसा और मैं धकापेल चुदवाने लगी। अब तक मैं खलास होने वाली हो गई। वह भी निकलने वाला था तो मैं उतर का लण्ड मुठ्ठी में लेकर सड़का मारने लगी। मैंने लण्ड के सामने अपना मुंह खोल रखा था। उसने सारा मक्खन मेरे मुंह में ही उड़ेल दिया और मैं एक मंजी हुई खिलाड़ी की तरह उसे पी गयी और लण्ड का सुपाड़ा जबान निकाल कर चाटने लगी। जब वह जाने लगा तो मैंने पूंछा मुझे उन लड़कियों के नाम बताओ जिनकी बुर तुम चोदते हो उसने आरती, रितिका, राधिका और नेहा का नाम बताया। उसने यह भी कहा की अरुणा मेम भी मुझसे चुदवाती हैं।
मैंने यह भी कहा की करन तुम मुझे हर संडे को इसी समय चोदने आया करो। दूसरे दिन मैंने आरती को बुला भेजा। वह आयी तो मैंने कहा आरती आज शाम को तुम उस लड़के के साथ शाम को मेरे घर आना जिसका लण्ड तुम्हे सबसे ज्यादा पसंद है और जो तुम्हे बड़े मन से चोदता है, करन को छोड़ कर ? शाम को आरती एक लड़के के साथ आ गई। उसका नाम था विकी। फिर हमने दारू चालू कर दी। आरती भी खूब मजे से दारू पीने लगी। मैंने पूंछा तुम कबसे विकी को जानती हो ? वह बोली यही कोई २ साल से। और तभी से हम दोनों सेक्स का मज़ा लेते हैं। मैंने कहा अच्छा तो तुम्हे इसका लौड़ा पसंद है ? वह बोली हां पसंद है। मैंने कहा ठीक है तो फिर इसका लौड़ा खोल कर दिखाओ मुझे ? आरती भी नशे में थी। उसे जोश आया तो उसने विकी को नंगा कर दिया और उसके लण्ड की चुम्मी लेते हुए लण्ड हिलाने लगी। लण्ड बढ़ने लगा। बढ़ते बढ़ते वह करन के लण्ड से भी बड़ा हो गया। ?
मैं तो लण्ड देख कर मस्त हो गयी। मैंने जब लण्ड पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो मेरी साल गिर गई और मेरी चूँचियाँ नंगी हो गईं। विकी ने उन्हें देखा तो उसका लौड़ा और सख्त हो गया। मैंने लण्ड की चुम्मी ली और कहा ये तो करन के लण्ड से बड़ा है। वह बोली हां बड़ा है . इतने में आरती ने मेरे कपड़े उतार दिया और मुझे बिलकुल नंगी कर दिया। खुद भी नंगी हो गयी। उसने कहा उसने कहा रूचि मेम,,,,,,, ? मैं बीच में बोली रूचि मेम की माँ का भोसड़ा ? उसकी माँ की चूत ? यहाँ मैं मेम नहीं हूँ। मैं तेरे लिए बुर चोदी रूचि हूँ और तू भी मेरे लिए बुर चोदी आरती है। वह मुस्कराकर बोली मेरी बुर चोदी रूचि आज मैं तेरी बुर चोदूँगी ? तेरी बुर में लण्ड पेलूँगी मैं। मैंने कहा अरे यार पेलो न ? तुझे रोका किसने है। फाड़ डालो मेरी बुर ? उसने लौड़ा मेरी चूत में टिका दिया और विकी की गांड दबा दी तो लौड़ा सरसराता हुआ अंदर दाखिल हो गया। मैंने कहा तू भोसड़ी की लण्ड घुसाने में बड़ी एक्सपर्ट है। कभी अपनी माँ के भोसड़ा में लण्ड पेला है। वह बड़ी बेबाकी से बोली मैं रोज़ ही पेलती हूँ लण्ड अपनी माँ के भोसड़ा में ?
बस आरती के सामने ही चुदने लगी मेरी चूत। विकी भी एक मद मस्त मर्द की तरह चोदने लगा। मैंने कहा यार आज तुम मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दो। चीर डालो मेरी बुर। तूने आरती की बुर चोदी है अब उसकी टीचर की बुर चोद कर दिखाओ। वह भी जोश में आ चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने लगा आर मैं भी देने लगी। पे धक्का लगाने लगा और मैं उसके हर धक्के का जबाब धक्के से ही देने लगी। वह भी समझ गया की मैं भी चुदाई में एक बहुत बड़ी खिलाड़ी हूँ। कुछ देर में वह मुड़ा और मेरी एक टांग ऊपर की ओर उठा दी और उसके नीचे से पेल दिया लण्ड। बस गचर गोचर चोदने लगा मेरी बुर। मैंने पूंछा विकी तुम कितनी लड़कियां चोद चुके हो। वह बोला यही कोई ४/५ लड़कियां चोद चुका हूँ लेकिन आजकल की लड़कियां चुदवाने से ज्यादा लण्ड पीने के लिए बेताब रहतीं हैं। वो लण्ड मुंह में लेकर ज्यादा मस्त हो जातीं हैं। उसकी इस अदा से मैं खलास हो गयी और तब मैंने भी उसका लौड़ा पकड़ कर मुठ्ठ मारने लगी। उसके लण्ड का स्वाद वाकई बड़ा निराला था। हर लण्ड के वीर्य का टेस्ट अलग अलग होता ही है।
अगले दिन मैंने अरुणा के घर धावा बोल दिया। वह भी हमारे कॉलेज की ही टीचर थी और मुझसे सीनियर थी।
अरुणा बोली - देखो यार रूचि मैं मादर चोद एक बदचलन लड़की हूँ और १५ साल की ही उम्र से लण्ड पकडने की शौक़ीन हो गई थी। मैं लड़कों के पजामा में हाथ घुसेड़ कर लण्ड पकड़ लेती थी। सबसे पहले मैंने अपने मामा का लौड़ा पकड़ा था। पहले तो वह भी थोड़ा शरमाया और थोड़ा झिझका भी पर कुछ दिन में ही वह भी मस्त हो गया और मेरे मुंह में लौड़ा घुसेड़ने लगा। मैं लौड़ा पीने लगी और फिर आगे चल कर चुदवाने भी लगी। उसके बाद जीजा का लौड़ा पकड़ा, मौसा का लौड़ा पकड़ा और इन दोनों के दो दो दोस्तों के भी लण्ड पकड़े। मैंने इन सबसे चुदवाया और अच्छी तरह चुदवाया। मुझे मज़ा आया तो मेरे लण्ड पकड़ने की और चुदवाने की यात्रा तेजी पकड़ने लगी।
इत्तिफाक मैं पढ़ने में अच्छी थी तो मुझे यह नौकरी मिल गयी। अब मुझे लण्ड की कोई कमी महसूस नहीं होती। यहाँ तो लण्ड ही लण्ड हैं। चाहे जितने पकड़ो और चाहे जितने पेलो अपनी चूत में। मैं तो हर रोज़ २/३ लड़कों से चुदवाती हूँ। कोई कॉलेज जाने के पहले चोद जाता है कोई कॉलेज के बाद आकर चोदता है।
मैंने कहा - यार अरुणा मेरी भी कुछ ऐसी ही कहानी है। मैं भी भोसड़ी वाली लण्ड की बड़ी दीवानी हूँ। मुझे लण्ड चाहिए लण्ड और लण्ड। बाकी कुछ भी नहीं। कभी कभी मन करता है की मैं कुत्ते का लण्ड पकड़ लूं , घोड़े का लण्ड पकड़ लूं। गधे का लण्ड पकड़ लूँ। 16 साल की उम्र में ही लण्ड पकड़ना शुरू किया तो फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अब तो मुझे यहाँ लण्ड की खान मिल गई है। जिधर देखो उधर लण्ड ही लण्ड हैं. यहाँ एक से एक बेहतर लड़के हैं और उनके लण्ड हैं।
अरुणा बोली - मैं तो कभी कभी दूसरे कॉलेज के लड़कों से चुदवा लेती हूँ। मेरे कॉलेज की लड़कियां ये काम खूब करतीं हैं। ये सब बुर चोदी मेरे लिए लण्ड इकठ्ठा करतीं हैं और मैं हर रोज़ एक नये लण्ड से अपनी बुर फड़वाती रहती हूँ। ये लड़कियां ही मेरी चूत में लण्ड पेलती हैं। ऐसे में बड़ा मज़ा आता है यार। अब तू मेरी दोस्त बन गयी है रूचि तो मैं तेरी भी बुर फड़वाया करुँगी।
फिर अचानक किसी के आने की आवाज़ आई। मैंने देखा की बाहर से एक लड़की अपने दो लड़कों के साथ आ रही है। मैंने उसे देखा तो कहा अरे नेहा तुम ? तुम यहाँ ? वह बोली हां रूचि मेम मैं यहाँ अक्सर आती हूँ अरुणा मेम के पास। नेहा ने इशारे से कहा अरुणा मेम मैं जाती हूँ बाद में आऊंगी। अरुणा बोली नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं ? रूचि भी बिलकुल वैसी ही है जैसी मैं हूँ। तुम्हें शर्माने की कोई जरुरत नहीं है। अब ये बताओ की ये दोनों कौन हैं ? उसने कहा ये रोहन है और ये सूरज। दोनों ही बगल वाले कॉलेज के लड़के हैं और मेरे आजमाए हुए हैं। आपको बड़ा मज़ा आएगा। अब मैं इन्हें आपके पास छोड़ कर जा रही हूँ। अरुणा ने उसे रोकना चाहा तो वह बोली अरे मेम मुझे अभी थामस सर के लण्ड का सड़का मारना है। वह नंगा नंगा बैठा हुआ मेरा इंतज़ार कर रहा होगा ?
तब मुझे मालूम हुआ की नेहा थामस से भी चुदवाती है। अरुणा में उन दोनों को भी दारू में शामिल कर लिया। अरुणा ने खुले शब्दों में पूंछा तुम लोग अरुणा की बुर कब से ले रहे हो ? वे बोले यही कोई 2 महीने से ? अभी तक तो 3 बार ले चुकें है उसकी बुर ? अरुणा ने सूरज के लण्ड पर हाथ रख दिया और मैंने रोहन लण्ड पर। हम दोनों ने ही लण्ड पैंट के ऊपर से दबाया तो समझ में आ गया की लण्ड कैसे हैं। इतने में अरुणा कपड़े उतार दिया। उसका नंगा बदन देख कर मैं तो बहुत मस्त हो गयी है। उसकी चूँचियाँ मेरी से बड़ी हैं और उसकी गांड तो सच में बड़ी मस्त है। उसे देख कर मैं भी कपड़े खोल कर खड़ी हो गयी। मैं भी मादर चोद बड़ी बेशरम हूँ न ? हम दोनों को नंगी देख कर उनके लण्ड उछलने लगे। अरुणा ने सूरज का लण्ड बाहर निकाला तो मैंने रोहन का लण्ड ? वे दोनों भी नंगे हुए तो माहौल बुरी तरह गरमा गया। मैंने दोनों लण्ड देखे तो पूरे बदन में आग लग गयी। इतने मोटे तगड़े लण्ड देख कर चूत बुर चोदी भठ्ठी बन गयी।
मैं एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर रोहन का लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी और अरुणा सूरज का लण्ड। रोहन मेरी चूत और चूँची सहलाता रहा और सूरज अरुणा की चूत और चूँची। अचानक अरुणा में सूरज का लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मैंने रोहन का लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। हम दोनों आमने सामने धकाधक रंडियों की तरह चुदवाने लगीं।
इस तरह दोस्तों, मैं हर रोज़ नए नए लण्ड से अपनी बुर फड़वाती हूँ और एन्जॉय करती हूँ।
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