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मेरी वर्जिन चूत की सील तोडी - कुंवारी चूत की चुदाई मस्त चोदा - Virgin pussy fucking in hindi
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एक बार की बात है हमारे घर पर कोई नहीं था। उस वक्त दिनेश हमारे घर आया और पूछने लगा सब लोग कहां गए मैंने कहा सब लोग गए हैं बाहर तुम बताओ काम क्या है। मैंने बातों बातों में उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ दी वह थोड़ा शक पकाया और वहां से चला गया। लेकिन मुझे बहुत मजा आया और मेरा पानी भी गिरने लगा था। मुझे बहुत मजा आता था।
जब भी मैं दिनेश के साथ ऐसा करती थी। उससे मुझे बहुत ही शांति मिलती थी। 2 साल पहले की बात है हम लोग घर में लुका छुपी खेल रहे थे। तभी दिनेश जहां पर मैं छुपी हुई थी। वहां पर वह आ गया मैंने दिनेश के लंड को पकड़ लिया बड़ी जोर से ऐसा मैं करती ही रहती थी। बीच-बीच में लेकिन फिर भी वह मेरे इशारे समझ नहीं पाता था। या फिर समझते हुए भी इग्नोर कर देता था।
अब मैं 17 साल की हो चुकी थी। तो मुझसे सब्र नहीं होता था। तो मुझे किसी भी तरीके से दानीश से अपनी सील तुड़वाने ही थी। तो मैं उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो गई। मैंने एक दिन अपनी पैंटी दिनेश के बिस्तर में जा कर रख दी उस पर मेरा पानी भी गिरा हुआ था। और मैं चुपके से देखने लगी दिनेश क्या करता है दिनेश ने पहले तो उसको सुघना शुरू किया और फिर आपने पर लंड रगड़ने लगा मैं यह सब देखती जा रही थी। और थोड़ी देर बाद उसने उस पर मुट्ठ मार दिया। मैं यह देखकर बहुत ही खुश हो गई कि दिनेश भी मेरे साथ सेक्स कर सकता है। लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती है। तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। दिनेश के बस की बात नहीं थी। कि वह मुझे इस तरीके से बोल पाए। वह बहुत ही सीधा लड़का था। इसी वजह से मैं उसे पसंद करती थी। इसीलिए मैं उससे अपनी सील भी तुडवाना चाहती थी।
दोपहर की बात है उस दिन सब लोग कहीं काम से गए हुए थे। मैंने दिनेश के घर में जाकर देखा। तो दिनेश अपने कमरे में ही लेटा हुआ था मैंने दिनेश को कहा दिनेश जरा घर में आना कुछ काम था तुमसे वह बोलने लगा क्या काम है। मैंने कहा बाथरूम में नल खराब हो गया है पानी रुक ही नहीं रहा है। तुम जरा आकर देख लो और घर पर कोई है भी नहीं तो वह बोलने लगा। तुम चलो मैं 5 मिनट में आता हूं। और थोड़ी देर में हमारे घर पर आ गया औजार लेकर वह बाथरुम में जैसे ही आया तो उसने देखा वाकई में नल टूटा हुआ है। वहां से पानी बहुत तेजी से गिर रहा है।
अब वह अपने हाथ से नल को दबाता तो सारा पानी वहां से बाहर आ जाता और मेरे ऊपर गिर पड़ता। ऐसे में हम दोनों के दोनों गीले हो गए। मेरे अंतर्वस्त्र दिखने लगे मैं तो यही चाहती थी। कि मेरे अंतर्वस्त्र दिखने लगे और हुआ भी ऐसा ही जैसे-जैसे मे चाहती थी। जैसे पानी मेरे ऊपर गिरता जाता वैसे वैसे मेरे स्तनों के उभार दिखाई पड़ते। शायद दिनेश भी पिघलने लगा था और वह बार-बार मेरे चूचो को देखा जा रहा था। अब मैं दिनेश से चिपक गई और कहने लगी मैं बहुत भिग गई हूं इसे जल्दी ठीक करो जैसे ही मैं उसे चिपकी मैंने अपने स्तन उसके कंधों पर लगाने लगी और उनको रगड़ने लगी। दिनेश भी ज्यादा मूड में आ गया था। उसने भी मुझे एकदम से पकड़ लिया और कहने लगा मैं ठीक तो कर रहा हूं।
थोड़ा सब्र रखो मैं ठीक कर लूंगा जैसे ही उसने यह कहा मैंने उस को पकड़कर किस कर लिया और उसके होठों को अपने होठों में दबाते हुए काट भी लिया। दिनेश ने भी मुझे कसकर पकड़ लिया और किस करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ दिया और कहने लगा यह सब ठीक नहीं है। मैं यह नहीं कर सकता। मैंने उससे कहा तो ठीक क्या है तुम ही बताओ तुमने जो मेरी पैंटी पर अपना लंड रगड़ा था। उस पर मुट्ठ मार दी थी बहुत सही है। वह कहने लगा तुम्हें यह सब कैसे पता चला मैंने उसे कहा मैंने ही तुम्हारे बिस्तर पर अपनी पैंटी रखी थी। अब वह सब समझ चुका था। तो उसने भी मेरे चूचो पर हाथ मारना शुरू कर दिया मैं भी उससे लिपट गई। मैंने दिनेश को कहा दिनेश मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुमसे कहना चाहती थी पर मेरी हिम्मत नहीं हुई। दिनेश समझ चुका था कि वाकई में ही यह मुझसे प्यार करती है। दिनेश ने मेरे कपड़े फाड़ दिए।
कपड़े गीले हो रखे थे तो उससे भी सब्र नहीं हुआ। उसने मेरे कपड़े फाड़ कर फेंक दिया अब मैं कमसिन और जवान उसके सामने नग्न खड़ी थी। वह यह देख कर मुझे कहने लगा तेरा जिस्म तो बहुत ही सुंदर है। फिर मैंने उससे कहा तूने कभी ध्यान दिया ही नहीं मेरी तरफ तू तो अपनी मस्ती में लगा रहता है। अब दिनेश से भी रहा नहीं गया और उसने मेरी पैंटी भी उतार दी और वह खुद भी नंगा हो गया। हम दोनों का जोश इतना ज्यादा था कि हम दोनो ज्यादा देर तक सब्र नहीं कर सकते थे। दिनेश ने मेरी पिंक चूत पर उंगलियां फेरनी शुरू कर दी और जैसे ही मेरा थोड़ा गीला हो गया। तो उसने मुझे वही पर लिटा दिया और ऊपर से पानी भी गिर रहा था। तो वह फीलिंग मेरे लिए बहुत ही अच्छी थी। अब दिनेश ने अपना लंड मेरी चूत से सटा दिया।
जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत मैं लगाया मुझे ऐसा लगा मेरे अंदर से कुछ निकल रहा हो जैसे क्योंकि इसने थोड़ा सा लंड मेरी चूत मैं घुसा दिया था। धीरे-धीरे उसने मेरी चूत मे और अंदर धक्का देकर घुसा दिया। हां मुझे मालूम पड़ चुका था कि मेरी सील टूट चुकी है। क्योंकि वहां से जो पानी गिर रहा था वह पूरा लाल हो गया था नल का पानी और ऊपर से मेरा पानी भी बाहर की तरफ छूट गया था। बाथरूम पूरा लाल हो चुका था लेकिन दिनेश ने अपने जवानी दिखाई और आधे घंटे तक अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा।
एक समय बाद उसने मेरी चूत मे अपना माल गिरा दिया। इस तरीके से मेरी इच्छा पूरी हो गई दिनेश से अपनी सील तुड़वाने की उसके बाद हम दोनों वहां से उठे और जल्दी से पूरे बाथरूम को साफ किया। दिनेश ने वह नल ठीक कर दिया। दिनेश ने मेरे पूरे कपड़े फाड़ दिए थे इस वजह से मैंने नए कपड़े पहने। लेकिन मेरा खून रुक ही नहीं रहा था। वह काफी तेजी से बहते जा रहा था। उसके लिए मैंने कपड़ा भी लगा कर रखा। लेकिन वह ठीक नहीं हुआ लेकिन मैंने वह मैनेज कर लिया। मेरे घरवालों को मालूम नहीं पड़ा एक-दो दिन तक तो मेरी चाल भी बिगड़ी रही। मैं अच्छे से चल भी नहीं पा रही थी। क्योंकि मुझे चलने में भी दिक्कत हो रही थी।
उसके बाद दिनेश और मेरा प्यार बढ़ता चला गया। हम लोग जब भी कोई घर पर नहीं होता तब मैं उसको बुला लेती और हम दोनों जम कर सेक्स करते हैं। मुझे दिनेश के साथ सेक्स करने में भी मजा आता है। दिनेश बहुत ही अच्छा लड़का है। वह भी मुझसे प्यार करता है।अब हम दोनों बड़े हो गए हैं। लेकिन अभी वह मुझे उसी तरीके से चोदता है। जैसे उसने मुझे पहले दिन चोदा था। मुझे वह दिन हमेशा याद आता है कि हम दोनों ने बाथरूम में कैसे एक दूसरे के साथ सेक्स किया था। हम दोनों ने अब शादी भी कर ली है। हमारे घर वाले मान गए हमारी शादी के लिए हमारी जिंदगी अब अच्छे से चल रही है।
एक बार की बात है हमारे घर पर कोई नहीं था। उस वक्त दिनेश हमारे घर आया और पूछने लगा सब लोग कहां गए मैंने कहा सब लोग गए हैं बाहर तुम बताओ काम क्या है। मैंने बातों बातों में उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ दी वह थोड़ा शक पकाया और वहां से चला गया। लेकिन मुझे बहुत मजा आया और मेरा पानी भी गिरने लगा था। मुझे बहुत मजा आता था।
जब भी मैं दिनेश के साथ ऐसा करती थी। उससे मुझे बहुत ही शांति मिलती थी। 2 साल पहले की बात है हम लोग घर में लुका छुपी खेल रहे थे। तभी दिनेश जहां पर मैं छुपी हुई थी। वहां पर वह आ गया मैंने दिनेश के लंड को पकड़ लिया बड़ी जोर से ऐसा मैं करती ही रहती थी। बीच-बीच में लेकिन फिर भी वह मेरे इशारे समझ नहीं पाता था। या फिर समझते हुए भी इग्नोर कर देता था।
अब मैं 17 साल की हो चुकी थी। तो मुझसे सब्र नहीं होता था। तो मुझे किसी भी तरीके से दानीश से अपनी सील तुड़वाने ही थी। तो मैं उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो गई। मैंने एक दिन अपनी पैंटी दिनेश के बिस्तर में जा कर रख दी उस पर मेरा पानी भी गिरा हुआ था। और मैं चुपके से देखने लगी दिनेश क्या करता है दिनेश ने पहले तो उसको सुघना शुरू किया और फिर आपने पर लंड रगड़ने लगा मैं यह सब देखती जा रही थी। और थोड़ी देर बाद उसने उस पर मुट्ठ मार दिया। मैं यह देखकर बहुत ही खुश हो गई कि दिनेश भी मेरे साथ सेक्स कर सकता है। लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती है। तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। दिनेश के बस की बात नहीं थी। कि वह मुझे इस तरीके से बोल पाए। वह बहुत ही सीधा लड़का था। इसी वजह से मैं उसे पसंद करती थी। इसीलिए मैं उससे अपनी सील भी तुडवाना चाहती थी।
दोपहर की बात है उस दिन सब लोग कहीं काम से गए हुए थे। मैंने दिनेश के घर में जाकर देखा। तो दिनेश अपने कमरे में ही लेटा हुआ था मैंने दिनेश को कहा दिनेश जरा घर में आना कुछ काम था तुमसे वह बोलने लगा क्या काम है। मैंने कहा बाथरूम में नल खराब हो गया है पानी रुक ही नहीं रहा है। तुम जरा आकर देख लो और घर पर कोई है भी नहीं तो वह बोलने लगा। तुम चलो मैं 5 मिनट में आता हूं। और थोड़ी देर में हमारे घर पर आ गया औजार लेकर वह बाथरुम में जैसे ही आया तो उसने देखा वाकई में नल टूटा हुआ है। वहां से पानी बहुत तेजी से गिर रहा है।
अब वह अपने हाथ से नल को दबाता तो सारा पानी वहां से बाहर आ जाता और मेरे ऊपर गिर पड़ता। ऐसे में हम दोनों के दोनों गीले हो गए। मेरे अंतर्वस्त्र दिखने लगे मैं तो यही चाहती थी। कि मेरे अंतर्वस्त्र दिखने लगे और हुआ भी ऐसा ही जैसे-जैसे मे चाहती थी। जैसे पानी मेरे ऊपर गिरता जाता वैसे वैसे मेरे स्तनों के उभार दिखाई पड़ते। शायद दिनेश भी पिघलने लगा था और वह बार-बार मेरे चूचो को देखा जा रहा था। अब मैं दिनेश से चिपक गई और कहने लगी मैं बहुत भिग गई हूं इसे जल्दी ठीक करो जैसे ही मैं उसे चिपकी मैंने अपने स्तन उसके कंधों पर लगाने लगी और उनको रगड़ने लगी। दिनेश भी ज्यादा मूड में आ गया था। उसने भी मुझे एकदम से पकड़ लिया और कहने लगा मैं ठीक तो कर रहा हूं।
थोड़ा सब्र रखो मैं ठीक कर लूंगा जैसे ही उसने यह कहा मैंने उस को पकड़कर किस कर लिया और उसके होठों को अपने होठों में दबाते हुए काट भी लिया। दिनेश ने भी मुझे कसकर पकड़ लिया और किस करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ दिया और कहने लगा यह सब ठीक नहीं है। मैं यह नहीं कर सकता। मैंने उससे कहा तो ठीक क्या है तुम ही बताओ तुमने जो मेरी पैंटी पर अपना लंड रगड़ा था। उस पर मुट्ठ मार दी थी बहुत सही है। वह कहने लगा तुम्हें यह सब कैसे पता चला मैंने उसे कहा मैंने ही तुम्हारे बिस्तर पर अपनी पैंटी रखी थी। अब वह सब समझ चुका था। तो उसने भी मेरे चूचो पर हाथ मारना शुरू कर दिया मैं भी उससे लिपट गई। मैंने दिनेश को कहा दिनेश मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुमसे कहना चाहती थी पर मेरी हिम्मत नहीं हुई। दिनेश समझ चुका था कि वाकई में ही यह मुझसे प्यार करती है। दिनेश ने मेरे कपड़े फाड़ दिए।
कपड़े गीले हो रखे थे तो उससे भी सब्र नहीं हुआ। उसने मेरे कपड़े फाड़ कर फेंक दिया अब मैं कमसिन और जवान उसके सामने नग्न खड़ी थी। वह यह देख कर मुझे कहने लगा तेरा जिस्म तो बहुत ही सुंदर है। फिर मैंने उससे कहा तूने कभी ध्यान दिया ही नहीं मेरी तरफ तू तो अपनी मस्ती में लगा रहता है। अब दिनेश से भी रहा नहीं गया और उसने मेरी पैंटी भी उतार दी और वह खुद भी नंगा हो गया। हम दोनों का जोश इतना ज्यादा था कि हम दोनो ज्यादा देर तक सब्र नहीं कर सकते थे। दिनेश ने मेरी पिंक चूत पर उंगलियां फेरनी शुरू कर दी और जैसे ही मेरा थोड़ा गीला हो गया। तो उसने मुझे वही पर लिटा दिया और ऊपर से पानी भी गिर रहा था। तो वह फीलिंग मेरे लिए बहुत ही अच्छी थी। अब दिनेश ने अपना लंड मेरी चूत से सटा दिया।
जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत मैं लगाया मुझे ऐसा लगा मेरे अंदर से कुछ निकल रहा हो जैसे क्योंकि इसने थोड़ा सा लंड मेरी चूत मैं घुसा दिया था। धीरे-धीरे उसने मेरी चूत मे और अंदर धक्का देकर घुसा दिया। हां मुझे मालूम पड़ चुका था कि मेरी सील टूट चुकी है। क्योंकि वहां से जो पानी गिर रहा था वह पूरा लाल हो गया था नल का पानी और ऊपर से मेरा पानी भी बाहर की तरफ छूट गया था। बाथरूम पूरा लाल हो चुका था लेकिन दिनेश ने अपने जवानी दिखाई और आधे घंटे तक अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा।
एक समय बाद उसने मेरी चूत मे अपना माल गिरा दिया। इस तरीके से मेरी इच्छा पूरी हो गई दिनेश से अपनी सील तुड़वाने की उसके बाद हम दोनों वहां से उठे और जल्दी से पूरे बाथरूम को साफ किया। दिनेश ने वह नल ठीक कर दिया। दिनेश ने मेरे पूरे कपड़े फाड़ दिए थे इस वजह से मैंने नए कपड़े पहने। लेकिन मेरा खून रुक ही नहीं रहा था। वह काफी तेजी से बहते जा रहा था। उसके लिए मैंने कपड़ा भी लगा कर रखा। लेकिन वह ठीक नहीं हुआ लेकिन मैंने वह मैनेज कर लिया। मेरे घरवालों को मालूम नहीं पड़ा एक-दो दिन तक तो मेरी चाल भी बिगड़ी रही। मैं अच्छे से चल भी नहीं पा रही थी। क्योंकि मुझे चलने में भी दिक्कत हो रही थी।
उसके बाद दिनेश और मेरा प्यार बढ़ता चला गया। हम लोग जब भी कोई घर पर नहीं होता तब मैं उसको बुला लेती और हम दोनों जम कर सेक्स करते हैं। मुझे दिनेश के साथ सेक्स करने में भी मजा आता है। दिनेश बहुत ही अच्छा लड़का है। वह भी मुझसे प्यार करता है।अब हम दोनों बड़े हो गए हैं। लेकिन अभी वह मुझे उसी तरीके से चोदता है। जैसे उसने मुझे पहले दिन चोदा था। मुझे वह दिन हमेशा याद आता है कि हम दोनों ने बाथरूम में कैसे एक दूसरे के साथ सेक्स किया था। हम दोनों ने अब शादी भी कर ली है। हमारे घर वाले मान गए हमारी शादी के लिए हमारी जिंदगी अब अच्छे से चल रही है।
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