Home
» Desi Chut Gand Chudai Ki Kahaniyan देसी चूत गांड चुदाई की कहानियां Hindi Short Stories For Adults
» हम दोनों अपनी चूँचियाँ एक दूसरे से लड़ाती हैं - Ham dono apni chuchiyan ladati hai
हम दोनों अपनी चूँचियाँ एक दूसरे से लड़ाती हैं - Ham dono apni chuchiyan ladati hai
हम दोनों अपनी चूँचियाँ एक दूसरे से लड़ाती हैं - Ham dono apni chuchiyan ladati hai , मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
मेरी बबली मौसी मुझसे केवल एक साल ही बड़ी हैं। इसलिए मैं उससे दोस्ती का रिस्ता रखती हूँ। वैसी ही बात चीत करती हूँ, हंसी मजाक करती हूँ और खूब एन्जॉय करती हूँ। हमारे बीच बहन चोद, मादर चोद, माँ की लौड़ी, बहन की लौड़ी, बहन का लण्ड, भोसड़ी की, बुर चोदी, हरामजादी, गांडू, झँटुल्ली सब कुछ होता रहता है। शादी उसकी भी हो गयी है और शादी मेरी भी हो गयी है। लण्ड की वह भी शौक़ीन है और लण्ड की मैं भी शौक़ीन हूँ। पोर्न फिल्म वह भी खूब देखती है और पोर्न फिल्म मैं भी खूब देखती हूँ। लण्ड वह भी खूब पीती है और लण्ड मैं भी खूब पीती हूँ। उसे भी लण्ड चोदने में मज़ा आता है और मुझे भी लण्ड चोदने में मज़ा आता है। इसलिए हम दोनों में खूब पटती है। हमारी दोस्ती इतनी पक्की है की हम दो जिस्म और एक जान हैं। ब्लू फिल्म देखती देखती अक्सर हम दोनों नंगी हो जातीं हैं। फिर वह मेरी बुर चाटती है और मैं उसकी बुर चाटती हूँ। मैं उसकी झांटें बनाती हूँ और वह मेरी झांटें बनाती हैं। हम दोनों अपनी चूँचियाँ एक दूसरे से लड़ाती हैं और चूत से चूत रगड़तीं हैं। वह मेरी चूत में ऊँगली करती है और मैं उसकी चूत में ऊँगली करती हूँ। इसका मतलब यह नहीं की हम लोग लेस्बियन हैं। हम लण्ड भी मिलकर चूसतीं हैं और एक दूसरे की चूत में लण्ड पेलती भी हैं। मेरा नाम रचना है। मैं २४ साल की हूँ। बेहद खूबसूरत हूँ, हॉट हूँ और बिंदास हूँ। मैं स्वाभाव से बड़ी चुलबुली हूँ और खुल कर बातें करती हूँ। स्मार्ट हूँ, पढ़ी लिखी हूँ और बोल्ड हूँ। साथ ही साथ मैं अय्यास प्रकृति की भी हूँ। मेरी बबली मौसी बिलकुल मेरी ट्रू कॉपी हैं। इसलिए हम दोनों की खूब जमती है। एक बात और आपको बता की हम दोनों शराब भी पीती हैं और कभी कभी सिगरेट भी। मैं भी सर्विस करती हूँ और मेरा मौसी भी। हमारे पास न पैसों की कमी है और न हुश्न की ?
एक दिन मैंने कहा - मौसी दो दिन हो गये अभी तक कोई लौड़ा नहीं मिला यार ? तू क्या कर है ? अपनी झांटें उखाड़ रही है तू बैठी बैठी।
मौसी बोली - तेरी माँ की बिटिया की बुर ? झांटें नहीं उखाड़ रही हूँ ? तेरी माँ चुदा रही हूँ रचना ?
मैंने कहा - मेरी माँ चुदाने से तुझे लौड़ा मिल जायेगा क्या, मेरी बुर चोदी मौसी ?
मौसी ने कहा - तेरी माँ की बहन का भोसड़ा रचना। जब चूत में आग लगी होती है तो कोई न कोई लौड़ा मिल ही जाता है ?
तब तक किसी ने डोर बेल बजा दी। मैंने दरवाजा खोला तो बोली अरे बलराज तुम ? तुम कब आ गए ? तुम तो विदेश गए हुए थे अपनी बीवी के साथ ? वह बोला मैं अभी दो दिन पहले ही आया हूँ। मेरी बीवी ने कहा था की जाते ही रचना भाभी से जरूर मिलना। इसलिए मैं तुमसे मिलने आ गया। मैंने कहा अरे यार मैंने तेरी बीवी से कुछ और भी कहा था। वह बोला हां मालूम हैं। मैं अपने दोस्त को साथ लाया हूँ। वह गाड़ी में बैठा है। मैंने कहा तो फिर उसे भी बुला लो न ? बलराज और दिलीप दोनों अंदर आ गए और तब मैंने दोनों को अपनी बबली मौसी से मिलवाया। वह बहुत खुश हुई। मैंने ड्रिंक्स का सेट लगा दिया और पूंछा की पानी के साथ लोगे की सोडा के साथ। वह बोला दोनों आधा आधा ? बस फिर हम चारों मदिरा पान करने लगे। बातें होने लगीं और भाषा चढ़ने लगा। मस्ती भी बढ़ने लगी।
तब मैंने बताया की मौसी जी बलराज की बीवी मेरी दोस्त है और मैंने उससे एक दिन कहा था की यार मैं तेरे पति का लण्ड चोदना चाहती हूँ। वह बोली हां हां बिलकुल चोदो मेरे पति का लण्ड। अभी वह दो दिन के बाद इंडिया पहुंचेगा। मैं उससे तुमसे मिलने के लिए कह दूँगी। तब मैंने बताया की यार मैं अकेली नहीं हूँ। मेरे साथ मेरी मौसी भी हैं। उसे भी लण्ड चोदना है। तुम अपने पति के साथ उसके किसी दोस्त को भी भेज देना। इसलिए ये दोनों आ गए। मौसी मेरी बातें सुनकर एकदम मगन हो गईं।
एक तरफ शराब का नशा चढ़ रहा था और दूसरी तरफ ग़ैर मरद का लण्ड पकड़ने की चाहत सर पर चढ़ कर बोल रही थी। अचानक मैं उठी और अपने कपड़े एक एक करके उतारने लगी। मैं उन दोनों के आगे नंगी होना चाहती थीं। अपना मद माता हुआ जिस्म दिखाना चाहती थी। मेरी जब चूँचियाँ खोलीं तो दोनों एकटक मुझे देखने लगे और जब मैंने अपनी पैंटी उतार कर अपनी छोटी छोटी झांटों वाली चूत दिखाई तो उनके होश उड़ गये. मुझे देख कर मौसी भी जोश में आ गयी। वह खड़ी हुई और कपड़े उतार कर नंगी हो गई। अब हम दोनों नंगी नंगी घूम घूम कर अपना मस्ताना बदन दिखाने लगी और फिर आमने सामने खड़े होकर अपनी गांड मटकाती हुई एक दूसरे की चूँचियों से चूँचियाँ रगड़ने लगी।
फिर मैंने बलराज को हाथ पकड़ कर उठाया और उसे नंगा करने लगी. उधर मौसी ने दिलीप को नंगा करना शुरू किया। आखिर में जब मैंने बलराज की चड्ढी उतार कर फेंकी तो उसका फनफनाता हुआ लण्ड मेरे सामने खड़ा हो गया। मैंने उसे बड़ी बेशर्मी से पकड़ा और चूमने चाटने लगी। तब तक मौसी ने भी दिलीप को नंगा कर दिया था। उसका लौड़ा भी टन्ना कर खड़ा हो गया और मौसी ने उसे कई बार चूमा उसे प्यार किया और पेल्हड़ सहित लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी।
मैंने कहा - मौसी बलराज का लण्ड 8 + है और मोटा भी गज़ब का है।
वह बोली - हां यार , दिलीप का भी लण्ड 8 + का है और मोटा तो इतना है की यह तेरी मौसी का बुर चीर देगा ? तेरी मौसी की गांड तो अभी से फटने लगी है।
मैंने कहा - मौसी एक बात सुन लो ? तेरी गांड फटे चाहे तेरी बहन की बिटिया की गांड फटे आज तो ये दोनों हम दोनों की बुर हचक हचक के लेगें। इतने में बलराज मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लण्ड ? हम दोनों 69 की पोजीशन का मज़ा लेने लगे। मुझे देख कर मौसी भी दिलीप के साथ 69 बन गयी। हम दोनों को खूब मज़ा आने लगा। मैंने पूंछा - बलराज, तेरी बीवी तो तुमसे चुदवाती होगी। तेरे लण्ड का मज़ा तो खूब लेती होगी वो ?
वह बोला - नहीं रचना भाभी ऐसी बात नहीं है। मेरी बीवी मुझसे चुदवाती ही नहीं है। मैं तो दोस्तों की बीवियां चोद चोद कर काम चलाता हूँ। मेरी बीवी दूसरों से खूब चुदवाती है। उसे पराये मरद के लण्ड बहुत पसंद हैं। वह दिलीप का लण्ड अक्सर अपनी चूत में पेला करती है।
दिलीप बोला - अरे रचना भाभी मेरी बीवी मुझसे नहीं चुदवाती। वह तो अक्सर बलराज से चुदवाती है और मेरे दोस्तों से चुदवाती है। उसे पराये मरदों के लण्ड ही पसंद है।
मैंने कहा - यार बुरा मत मानो। ये बीवी बुर चोदी सबकी ऐसी ही होती है। अब मुझे देखो मैं अपने हस्बैंड नहीं बल्कि दूसरों से चुदवाती हूँ। यही हाल मेरी मौसी का भी है। वह भो भोसड़ी वाली दूसरे मर्दों के लण्ड के पीछे अपनी दुम हिलाया करती है।
अब मैं बुरी तरह चुदासी हो गयी थी और मौसी भी। मैं अपनी टाँगे फैलाकर पलंग पर लेट गयी। बलराज ने मेरी गांड में नीचे दो तकिया लगा दी तो मेरी चूत थोड़ा ऊपर उठ गयी। फिर उसने मेरी चूत पर अपना लण्ड टिका दिया और एक जोर का धक्का मारा तो लण्ड अंदर तक सरसराता हुआ घुस गया और मैं चिल्ला पड़ी - धीरे से पेलो लौड़ा मेरी चूत फटी जा रही है। उई माँ बड़ा दर्द हो रहा है। इतना मोटा लण्ड एक ही बार में पेल दिया तूने बलराज ? वह मुस्कराया और फिर मस्ती से चोदने लगा। मेरे बगल में मौसी मेरे मुंह की तरफ अपनी गांड करके लेट गयी। उसकी चूत में दिलीप ने लण्ड घुसा दिया। वह मेरी तरह दिलीप से चुदवाने लगी। मैंने गर्दन घुमाई और मौसी की बुर में दिलीप का लण्ड आते जाते देखने लगी. मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। मौसी मेरी चूत में बलराज का लण्ड आते जाते देखने लगी। मैं दिलीप के पेल्हड़ पकड़ कर सहलाने लगी और मौसी बलराज के पेल्हड़ ?
आज सच में चुदाई का कुछ और ही मज़ा था। आज मुझे मालूम हो रहा है की अकेले में चुदवाने में कोई मज़ा नहीं है। अगर साथ में २/३ और चुदवाने वाली हों तो चुदाई का मज़ा दूना तिगुना हो जाता है। आज मैं मौसी के साथ पहली बार चुदवा रही हूँ। मुझे मेरी दोस्त का हसबैंड चोद रहा था और मौसी को उसका दोस्त। मजे की बात यह थी की न मुझे कोई शर्म थी और न मौसी को। चुदाई का मज़ा बेशर्मी से चुदवाने में ही है।
मौसी ने कहा - रचना भोसड़ी की तू तो बहुत अच्छी चुदवा लेती है बुर ? ऐसा लग रहा है की तू बहन चोद वर्षों से चुदवा रही है। कभी अपनी माँ चुदवाई है तूने ?
मैंने कहा - माँ तो नहीं चुदवाई पर हां माँ की बहन चुदवा रही हूँ। माँ का भोसड़ा नहीं तो क्या हुआ ? माँ की बहन का भोसड़ा तो है मैं उसी को चुदवा रही हूँ।
चुदाई बड़ी तेज रफ़्तार से हो रही थी। फिर पता नहीं दोनों के बीच क्या हुआ ? बलराज ने मेरी चूत से लण्ड निकाल कर मौसी की चूत मे घुसेड़ दिया। और दिलीप ने अपना लण्ड मौसी की चूत से निकाल कर मेरी चूत में पेल दिया। अब मैं दिलीप से चुदवाने लगी और मौसी बलराज से। हम दोनों की चुदाई का स्वाद बदल गया। इस अदला बदली ने चुदाई में चार चाँद लगा दिया। अब हम दोनों को ज्यादा मज़ा आने लगा। हम लोग इसी पोजीशन में बड़ी देर तक चुदवाती रहीं। मुझे तो चुदवाने से ज्यादा मौसी की चुदाई देखने में मज़ा आ रहा था। वह भी मेरी चुदाई देख कर मज़ा ले रहीं थीं। तभी मैंने नीचे चटाई पर आने का इशारा किया। वहां कुछ तकिया भी पड़ी थी। मैं एकदम कुतिया की तरह अपनी गांड उठा कर पीछे से चुदवाने का इशारा करने लगी। दिलीप मेरी बात समझ गया और वह मुझे पीछे से चोदने लगा। उधर मौसी को बलराज कुतिया की तरह चोदने लगा। हम दोनों की चूँचियाँ नीचे हिल रहीं थीं जो मुझे शीशे में दिखाई पड़ रहा था। दिलीप मेरे दोनों कूल्हे पकड़े हुए कुत्तों की तरह चोदने में जुटा था।
थोड़ी ही देर में मेरी तो चूत ढीली पड़ने लगी और मौसी की चूत भी कुछ ढीली होने लगी थी। तभी दिलीप बोला रचना भाभी अब मैं निकलने वाला हूँ। , बस मैं घूम गयी और लण्ड मुठ्ठी में ले लिया। मैं प्यार से मारने लगी सड़का। मुझे दनादन सड़का मारने में मज़ा आता है। दिलीप के लण्ड ने जैसे ही पिचकारी जोड़ी वैसे ही मैंने अपना मुंह खोल दिया और पी गई सारा मक्खन। मौसी भी मजे से बलराज का लौड़ा पीने लगी। हम दोनों ने संतुष्टि की सांस ली और मन के कहा यार क्या मस्त चुदाई थी !
उसके बाद हम दोनों ने कई लोगों से एकसाथ चुदवाया। हम अकेले चुदवाना वास्तव में भूल गयी। मैंने कई होटलों से कांटेक्ट कर लिया जहाँ से मैं चोदने वाले लड़के बुलाने लगी। हमारे पास पैसों की कमी नहीं थी। , एक बार एक होटल की मैनेजर लेडी थी मिसेज मारिया। वह बोली रचना मैडम इस बार मैं आपको दो नेपाली लड़के दे रही हूँ इनसे चुदवाकर देखिये ? मैंने कहा यार मारिया नेपाली लोगों के लण्ड छोटे छोटे होतें हैं और मुझे छोटे लण्ड बिलकुल पसंद नहीं। वह बोली ऐसा नहीं है रचना आप उनके कद पर मत जाईये। मेरे आजमाए हुए लड़के हैं। तुम्हे खूब मज़ा आएगा। मैं मान गयी और शाम को दो लड़के आ गए। उनका नाम था थापा और बहादुर। दोनों गोरे चिट्टे हट्टे कट्टे थे। जब हमने उनके लण्ड देखे तो मेरी सच में गांड फट गयी। 8.5" x 5.5" साइज के खूबसूरत दोनों लण्ड हम दोनों की चूत के चीथड़े उड़ा दिए।
एक दिन मैंने कहा मौसी जी मैंने अभी तक मौसा का लण्ड नहीं देखा। अब तो मेरी इच्छा है की मैं मौसा का लण्ड पकड़ कर देखूं और फिर तेरे सामने तेरे मियां का लण्ड चोदूँ ? वह बोली हाय दईया रचना यही तो मैं भी सोंच रही थी। मैं भी तेरे मियां का लण्ड चोदना चाहती हूँ। तेरे सामने ही चोदना चाहती हूँ तेरे मियां का लण्ड ? मैंने कहा तो फिर चोदो म नौसी ? तुम्हे किस भोसड़ी वाली ने मना किया है।
अभी शनिवार को मेरा मियां आ रहा है, मौसी । तुम भी अपने मियां को बुला लो। फिर तुम चोदो मेरे मियां का लण्ड और मैं चोदूँ तेरे मियां का लण्ड ?
मेरा पति है मिस्टर रोहित और मेरी बबली मौसी का पति है मिस्टर बलवंत। दोनों एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित हैं। अच्छी तरह एक दूसरे को जानतें हैं. पहले मेटा पति आया और फिर मौसी का पति। मैं बलवंत को मौसा जी कहती हूँ। कभी कभी प्यार से केवल मौसा ही कह देती हूँ। दोनों लगभग एक ही उम्र के हैं और बड़े हंस मुख हैं, खूब हंसी मजाक करतें हैं. मस्ती करतें हैं। दिन में हम सब घूमने फिरने निकल गए। लंच भी बाहर ही लिया और शाम को घर वापस आ गए। करीब ८ बजे हम सब ड्रिंक्स पर बैठ गए। रोहित और बलवंत दोनों को ड्रिंक्स का शौक है और हम दोनों भी शराब पीने से परहेज नहीं करतीं एन्जॉय करती हैं। हमने चियर्स कहा और पीना शुरू कर दिया।
मैंने कहा - मौसा जी आज आप बहुत स्मार्ट और हैंडसम लग रहे हो।
वह बोला - रचना, तुम तो मुझसे ज्यादा स्मार्ट हो खूबसूरत हो और हॉट हो ? मेरा मन तो तुम्हे भाभी कहने का हो रहा है पर बहन चोद यह रिस्ता है जिसके कारण तुम मुझे मौसा कह रही हो।
मेरा पति रोहित बोला - अब तो मैं भी तुम्हे मौसा जी कहूँगा बलवंत जी ? ?
वह बोला - यार मैं तेरी उम्र का हूँ। मुझे बलवंत ही कहो तो अच्छा है। हां अपनी मौसी को मौसी कहो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है। इतने में थोड़ा नशा चढ़ चुका था।
मौसी कुछ मूड में आ गयी और बोली - रोहित, तेरी बुर चोदी मौसी की चूत ? तेरी बीवी बहन चोद मेरी बहन की बेटी है। मैं तो उसे खूब गालियां देती हूँ। वह भी मुझे गाली देने में कोई कंजूसी नहीं करती ? हम दोनों मौसी भांजी होते हुए भी आपस में दोस्त हैं। ऐसा तुम लोग भी कर सकते हो ?
मौसा ने कहा - हां यह बात सही है। हम सब बराबर हैं रिस्ता अपनी जगह और दोस्ती अपनी जगह ?
मैंने कहा - मौसी, तेरी भांजी की माँ का भोसड़ा ? तेरी बहन की बिटिया की बुर ? माँ चुदाये बहन चोद रिस्ता ? सबसे बढ़िया रिस्ता दोस्ती का रिस्ता ?
गालियां देकर हमने माहौल को गरमा दिया। मेरी निगाह मौसा के लण्ड पर थी और वह भी बार बार मेरी चूँचियाँ देख रहा था जो आधी से अधिक खुली हुई थीं। मौसी मेरे मियां के लण्ड नज़रें गड़ाए हुए थी और मेरा पति मेरी मौसी की चूँचियाँ ही नहीं बल्कि उसके पूरे जिस्म को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था। मैं समझ गयी की मेरा पति मौसी की बुर लेना चाहता है। तीसरा पैग शराब शुरू हुआ तो मैंने मौसा की जांघ पर हाथ रख दिया और उसे सेक्सी निगाहों से देखती हुई उसकी जांघें रगड़ने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड तक पहुँचने लगा। उधर मौसी ने मेरे पति के गले में अपनी बाहें डाल दीं और उसके गाल चूम लिया। मेरे पति को मालूम गया की आग मौसी के जिस्म में भी लगी है। बस मेरा रास्ता खुल गया।
मैंने अपने बूब्स खोल दिए और मौसा उन्हें चूमने और चाटने लगा। उधर मेरा हाथ उसका लण्ड टटोलने लगा।मौसी भी अपनी चूँचियाँ खोल चुकी थीं। मेरा पति उन्हें मसलने लगा और उसके पूरे बदन पर हाथ फिराने लगा। मैंने देखा की मौसी तो अब तक पूरी नंगी हो चुकीं हैं । उसकी मस्तानी चूत अपनी छोटी छोटी झांटों के साथ मेरे पति को ललकार रही थी। मैंने मौसा की कमीज उतारी तो उसकी नंगी छाती मेरे सामने आ गयी। उस पर छोटे छोटे बाल मुझे बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैं उसकी पैंट खोलने लगी। आखिर में मैंने जब उसकी चढ्ढी उतारी तो उसका लौड़ा टन्न से मेरे गाल पर लगा। मेरे मुंह से निकला अरे भोसड़ी के लौड़े मियां तू आते ही मुझे थप्पड़ मारने लगा ? मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया और उसे चूमने चाटने लगी। उधर मौसी ने मेरे पति का लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगी थी। उसका सुपाड़ा बार बार मुंह से निकालती और फिर अंदर घुसेड़ लेती। मौसी तो बुर चोदी लण्ड चूसने में बड़ी माहिर है। मौसी ने कहा - रचना तेरे मरद का आलूदा तो बड़ा शानदार है जबरदस्त है यार। आज तेरी मौसी की बुर की ख़ैर नहीं ? मैंने कहा - ख़ैर तो तेरी भांजी की बुर बी नहीं है मौसी। आज तेरा मियां मेरी चूत चीर डालेगा। मौसा का इतना बड़ा और मोटा लण्ड मेरी बुर चोद चोद कर उसका हलवा बना देगा ? मौसी ने कहा - अरी मेरी रचना रानी, भूल गयी क्या तू ? आज तो तुझे मेरे मियां का लण्ड चोदना है अपनी बुर नहीं चुदवानी है ? मैंने कहा - हां यार मैं तो सच में भूल गयी थी। आज तो मैं मौसा का लण्ड चोदूँगी ? मौसा के लण्ड की बहन की बुर ? तेरे मियां के लण्ड की ऐसी की तैसी ? आज मैं तेरे मियां के लण्ड की गांड मारूंगी मौसी ? जानते हो दोस्तों, जब दिमांग में सेक्स घुसा हो तो फिर इसी तरह की बातें मुंह से निकलतीं ही हैं। मौसी ने भी कहा रचना मैं तेरे मियां के लण्ड की चटनी बनाऊंगी। इसे अपनी चूत में डाल के भून डालूंगी। अपनी चूत से चोदूँगी तेरे मियां का लण्ड, रचना ?
अब तक मैं बुरी तरह से चुदासी हो चुकी थी। मैं तुरंत मौसा के लण्ड पर बैठ गयी। मेरे बैठते ही लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं अपने चूतड़ उस पर रगड़ने लगी। फिर मैं थोड़ा आगे झुकी और अपनी गांड उठा उठा के लण्ड पर पटकने लगी। मैं गांड पटकने की स्पीड बढ़ाने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई मरद किस की बुर चोद रहा हो। मैंने कहा देखो मौसी मैं तेरे मियां का लण्ड चोद रही हूँ। मुझे देख कर मौसी भी मेरे मियां का लण्ड चोदने लगीं। तभी बीच में मौसा बोला अरे रचना ,,,,,? मैंने उसे बीच में ही टोका और कहा रचना की माँ का भोसड़ा ? रचना की बहन की बुर ? रचना की मौसी की चूत ? माँ चुदाये अपनी बुर चोदी रचना ? मैं रचना नहीं हूँ। मैं तेरी भाभी हूँ। मुझे भाभी कहो। तुम अपनी भाभी की बुर चोद रहे हो। तू मेरा देवर है ? मैं अपने देवर से चुदवा रही हूँ। जो मुझे चोदे वही मेरा देवर ? मैं अपनी बुर चोदने वाले के मुंह से भाभी सुनना पसंद करती हूँ। तुम भाभी की बुर कहो, भाभी की चूत कहो, भाभी की चूँचियाँ कहो, भाभी की गांड कहो, जो कहो वह सब भाभी कह कर कहो ? वह बोला - रचना भाभी तुम सच में बड़ी सुन्दर हो हॉट हो ? तुमसे ज्यादा हॉट तेरी चूत है भाभी ? उसने मुझे चोदने की स्पीड बढ़ा दी।
इसी तरह मेरा पति भी मौसी को बबली भाभी कहने लगा। वह बोला मैं जिसको चोदता हूँ उसको भाभी कहता हूँ। मैं जब किसी कुवांरी लड़की को चोदता हूँ तो उसे भी भाभी कहता हूँ। किसी लड़की की माँ चोदता हूँ तो उसे भी भाभी कहता हूँ। मैं हमेशा भाभी की चूत में लण्ड पेलता हूँ किसी और की चूत में नहीं ? आज भी मैं अपनी मौसी की बुर नहीं अपनी भाभी की बुर ले रहा हूँ।
इस तरह हम दोनों ने खूब मस्ती की और रात भर एक दूसरे के मियां से चुदवाती रही।
मैंने कहा - तेरे मियां का लण्ड चोदूँगी, मौसी
मौसी बोलीं - मैं भी तेरे मियां का लण्ड चोदूँगीमेरी बबली मौसी मुझसे केवल एक साल ही बड़ी हैं। इसलिए मैं उससे दोस्ती का रिस्ता रखती हूँ। वैसी ही बात चीत करती हूँ, हंसी मजाक करती हूँ और खूब एन्जॉय करती हूँ। हमारे बीच बहन चोद, मादर चोद, माँ की लौड़ी, बहन की लौड़ी, बहन का लण्ड, भोसड़ी की, बुर चोदी, हरामजादी, गांडू, झँटुल्ली सब कुछ होता रहता है। शादी उसकी भी हो गयी है और शादी मेरी भी हो गयी है। लण्ड की वह भी शौक़ीन है और लण्ड की मैं भी शौक़ीन हूँ। पोर्न फिल्म वह भी खूब देखती है और पोर्न फिल्म मैं भी खूब देखती हूँ। लण्ड वह भी खूब पीती है और लण्ड मैं भी खूब पीती हूँ। उसे भी लण्ड चोदने में मज़ा आता है और मुझे भी लण्ड चोदने में मज़ा आता है। इसलिए हम दोनों में खूब पटती है। हमारी दोस्ती इतनी पक्की है की हम दो जिस्म और एक जान हैं। ब्लू फिल्म देखती देखती अक्सर हम दोनों नंगी हो जातीं हैं। फिर वह मेरी बुर चाटती है और मैं उसकी बुर चाटती हूँ। मैं उसकी झांटें बनाती हूँ और वह मेरी झांटें बनाती हैं। हम दोनों अपनी चूँचियाँ एक दूसरे से लड़ाती हैं और चूत से चूत रगड़तीं हैं। वह मेरी चूत में ऊँगली करती है और मैं उसकी चूत में ऊँगली करती हूँ। इसका मतलब यह नहीं की हम लोग लेस्बियन हैं। हम लण्ड भी मिलकर चूसतीं हैं और एक दूसरे की चूत में लण्ड पेलती भी हैं। मेरा नाम रचना है। मैं २४ साल की हूँ। बेहद खूबसूरत हूँ, हॉट हूँ और बिंदास हूँ। मैं स्वाभाव से बड़ी चुलबुली हूँ और खुल कर बातें करती हूँ। स्मार्ट हूँ, पढ़ी लिखी हूँ और बोल्ड हूँ। साथ ही साथ मैं अय्यास प्रकृति की भी हूँ। मेरी बबली मौसी बिलकुल मेरी ट्रू कॉपी हैं। इसलिए हम दोनों की खूब जमती है। एक बात और आपको बता की हम दोनों शराब भी पीती हैं और कभी कभी सिगरेट भी। मैं भी सर्विस करती हूँ और मेरा मौसी भी। हमारे पास न पैसों की कमी है और न हुश्न की ?
एक दिन मैंने कहा - मौसी दो दिन हो गये अभी तक कोई लौड़ा नहीं मिला यार ? तू क्या कर है ? अपनी झांटें उखाड़ रही है तू बैठी बैठी।
मौसी बोली - तेरी माँ की बिटिया की बुर ? झांटें नहीं उखाड़ रही हूँ ? तेरी माँ चुदा रही हूँ रचना ?
मैंने कहा - मेरी माँ चुदाने से तुझे लौड़ा मिल जायेगा क्या, मेरी बुर चोदी मौसी ?
मौसी ने कहा - तेरी माँ की बहन का भोसड़ा रचना। जब चूत में आग लगी होती है तो कोई न कोई लौड़ा मिल ही जाता है ?
तब तक किसी ने डोर बेल बजा दी। मैंने दरवाजा खोला तो बोली अरे बलराज तुम ? तुम कब आ गए ? तुम तो विदेश गए हुए थे अपनी बीवी के साथ ? वह बोला मैं अभी दो दिन पहले ही आया हूँ। मेरी बीवी ने कहा था की जाते ही रचना भाभी से जरूर मिलना। इसलिए मैं तुमसे मिलने आ गया। मैंने कहा अरे यार मैंने तेरी बीवी से कुछ और भी कहा था। वह बोला हां मालूम हैं। मैं अपने दोस्त को साथ लाया हूँ। वह गाड़ी में बैठा है। मैंने कहा तो फिर उसे भी बुला लो न ? बलराज और दिलीप दोनों अंदर आ गए और तब मैंने दोनों को अपनी बबली मौसी से मिलवाया। वह बहुत खुश हुई। मैंने ड्रिंक्स का सेट लगा दिया और पूंछा की पानी के साथ लोगे की सोडा के साथ। वह बोला दोनों आधा आधा ? बस फिर हम चारों मदिरा पान करने लगे। बातें होने लगीं और भाषा चढ़ने लगा। मस्ती भी बढ़ने लगी।
तब मैंने बताया की मौसी जी बलराज की बीवी मेरी दोस्त है और मैंने उससे एक दिन कहा था की यार मैं तेरे पति का लण्ड चोदना चाहती हूँ। वह बोली हां हां बिलकुल चोदो मेरे पति का लण्ड। अभी वह दो दिन के बाद इंडिया पहुंचेगा। मैं उससे तुमसे मिलने के लिए कह दूँगी। तब मैंने बताया की यार मैं अकेली नहीं हूँ। मेरे साथ मेरी मौसी भी हैं। उसे भी लण्ड चोदना है। तुम अपने पति के साथ उसके किसी दोस्त को भी भेज देना। इसलिए ये दोनों आ गए। मौसी मेरी बातें सुनकर एकदम मगन हो गईं।
एक तरफ शराब का नशा चढ़ रहा था और दूसरी तरफ ग़ैर मरद का लण्ड पकड़ने की चाहत सर पर चढ़ कर बोल रही थी। अचानक मैं उठी और अपने कपड़े एक एक करके उतारने लगी। मैं उन दोनों के आगे नंगी होना चाहती थीं। अपना मद माता हुआ जिस्म दिखाना चाहती थी। मेरी जब चूँचियाँ खोलीं तो दोनों एकटक मुझे देखने लगे और जब मैंने अपनी पैंटी उतार कर अपनी छोटी छोटी झांटों वाली चूत दिखाई तो उनके होश उड़ गये. मुझे देख कर मौसी भी जोश में आ गयी। वह खड़ी हुई और कपड़े उतार कर नंगी हो गई। अब हम दोनों नंगी नंगी घूम घूम कर अपना मस्ताना बदन दिखाने लगी और फिर आमने सामने खड़े होकर अपनी गांड मटकाती हुई एक दूसरे की चूँचियों से चूँचियाँ रगड़ने लगी।
फिर मैंने बलराज को हाथ पकड़ कर उठाया और उसे नंगा करने लगी. उधर मौसी ने दिलीप को नंगा करना शुरू किया। आखिर में जब मैंने बलराज की चड्ढी उतार कर फेंकी तो उसका फनफनाता हुआ लण्ड मेरे सामने खड़ा हो गया। मैंने उसे बड़ी बेशर्मी से पकड़ा और चूमने चाटने लगी। तब तक मौसी ने भी दिलीप को नंगा कर दिया था। उसका लौड़ा भी टन्ना कर खड़ा हो गया और मौसी ने उसे कई बार चूमा उसे प्यार किया और पेल्हड़ सहित लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी।
मैंने कहा - मौसी बलराज का लण्ड 8 + है और मोटा भी गज़ब का है।
वह बोली - हां यार , दिलीप का भी लण्ड 8 + का है और मोटा तो इतना है की यह तेरी मौसी का बुर चीर देगा ? तेरी मौसी की गांड तो अभी से फटने लगी है।
मैंने कहा - मौसी एक बात सुन लो ? तेरी गांड फटे चाहे तेरी बहन की बिटिया की गांड फटे आज तो ये दोनों हम दोनों की बुर हचक हचक के लेगें। इतने में बलराज मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लण्ड ? हम दोनों 69 की पोजीशन का मज़ा लेने लगे। मुझे देख कर मौसी भी दिलीप के साथ 69 बन गयी। हम दोनों को खूब मज़ा आने लगा। मैंने पूंछा - बलराज, तेरी बीवी तो तुमसे चुदवाती होगी। तेरे लण्ड का मज़ा तो खूब लेती होगी वो ?
वह बोला - नहीं रचना भाभी ऐसी बात नहीं है। मेरी बीवी मुझसे चुदवाती ही नहीं है। मैं तो दोस्तों की बीवियां चोद चोद कर काम चलाता हूँ। मेरी बीवी दूसरों से खूब चुदवाती है। उसे पराये मरद के लण्ड बहुत पसंद हैं। वह दिलीप का लण्ड अक्सर अपनी चूत में पेला करती है।
दिलीप बोला - अरे रचना भाभी मेरी बीवी मुझसे नहीं चुदवाती। वह तो अक्सर बलराज से चुदवाती है और मेरे दोस्तों से चुदवाती है। उसे पराये मरदों के लण्ड ही पसंद है।
मैंने कहा - यार बुरा मत मानो। ये बीवी बुर चोदी सबकी ऐसी ही होती है। अब मुझे देखो मैं अपने हस्बैंड नहीं बल्कि दूसरों से चुदवाती हूँ। यही हाल मेरी मौसी का भी है। वह भो भोसड़ी वाली दूसरे मर्दों के लण्ड के पीछे अपनी दुम हिलाया करती है।
अब मैं बुरी तरह चुदासी हो गयी थी और मौसी भी। मैं अपनी टाँगे फैलाकर पलंग पर लेट गयी। बलराज ने मेरी गांड में नीचे दो तकिया लगा दी तो मेरी चूत थोड़ा ऊपर उठ गयी। फिर उसने मेरी चूत पर अपना लण्ड टिका दिया और एक जोर का धक्का मारा तो लण्ड अंदर तक सरसराता हुआ घुस गया और मैं चिल्ला पड़ी - धीरे से पेलो लौड़ा मेरी चूत फटी जा रही है। उई माँ बड़ा दर्द हो रहा है। इतना मोटा लण्ड एक ही बार में पेल दिया तूने बलराज ? वह मुस्कराया और फिर मस्ती से चोदने लगा। मेरे बगल में मौसी मेरे मुंह की तरफ अपनी गांड करके लेट गयी। उसकी चूत में दिलीप ने लण्ड घुसा दिया। वह मेरी तरह दिलीप से चुदवाने लगी। मैंने गर्दन घुमाई और मौसी की बुर में दिलीप का लण्ड आते जाते देखने लगी. मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। मौसी मेरी चूत में बलराज का लण्ड आते जाते देखने लगी। मैं दिलीप के पेल्हड़ पकड़ कर सहलाने लगी और मौसी बलराज के पेल्हड़ ?
आज सच में चुदाई का कुछ और ही मज़ा था। आज मुझे मालूम हो रहा है की अकेले में चुदवाने में कोई मज़ा नहीं है। अगर साथ में २/३ और चुदवाने वाली हों तो चुदाई का मज़ा दूना तिगुना हो जाता है। आज मैं मौसी के साथ पहली बार चुदवा रही हूँ। मुझे मेरी दोस्त का हसबैंड चोद रहा था और मौसी को उसका दोस्त। मजे की बात यह थी की न मुझे कोई शर्म थी और न मौसी को। चुदाई का मज़ा बेशर्मी से चुदवाने में ही है।
मौसी ने कहा - रचना भोसड़ी की तू तो बहुत अच्छी चुदवा लेती है बुर ? ऐसा लग रहा है की तू बहन चोद वर्षों से चुदवा रही है। कभी अपनी माँ चुदवाई है तूने ?
मैंने कहा - माँ तो नहीं चुदवाई पर हां माँ की बहन चुदवा रही हूँ। माँ का भोसड़ा नहीं तो क्या हुआ ? माँ की बहन का भोसड़ा तो है मैं उसी को चुदवा रही हूँ।
चुदाई बड़ी तेज रफ़्तार से हो रही थी। फिर पता नहीं दोनों के बीच क्या हुआ ? बलराज ने मेरी चूत से लण्ड निकाल कर मौसी की चूत मे घुसेड़ दिया। और दिलीप ने अपना लण्ड मौसी की चूत से निकाल कर मेरी चूत में पेल दिया। अब मैं दिलीप से चुदवाने लगी और मौसी बलराज से। हम दोनों की चुदाई का स्वाद बदल गया। इस अदला बदली ने चुदाई में चार चाँद लगा दिया। अब हम दोनों को ज्यादा मज़ा आने लगा। हम लोग इसी पोजीशन में बड़ी देर तक चुदवाती रहीं। मुझे तो चुदवाने से ज्यादा मौसी की चुदाई देखने में मज़ा आ रहा था। वह भी मेरी चुदाई देख कर मज़ा ले रहीं थीं। तभी मैंने नीचे चटाई पर आने का इशारा किया। वहां कुछ तकिया भी पड़ी थी। मैं एकदम कुतिया की तरह अपनी गांड उठा कर पीछे से चुदवाने का इशारा करने लगी। दिलीप मेरी बात समझ गया और वह मुझे पीछे से चोदने लगा। उधर मौसी को बलराज कुतिया की तरह चोदने लगा। हम दोनों की चूँचियाँ नीचे हिल रहीं थीं जो मुझे शीशे में दिखाई पड़ रहा था। दिलीप मेरे दोनों कूल्हे पकड़े हुए कुत्तों की तरह चोदने में जुटा था।
थोड़ी ही देर में मेरी तो चूत ढीली पड़ने लगी और मौसी की चूत भी कुछ ढीली होने लगी थी। तभी दिलीप बोला रचना भाभी अब मैं निकलने वाला हूँ। , बस मैं घूम गयी और लण्ड मुठ्ठी में ले लिया। मैं प्यार से मारने लगी सड़का। मुझे दनादन सड़का मारने में मज़ा आता है। दिलीप के लण्ड ने जैसे ही पिचकारी जोड़ी वैसे ही मैंने अपना मुंह खोल दिया और पी गई सारा मक्खन। मौसी भी मजे से बलराज का लौड़ा पीने लगी। हम दोनों ने संतुष्टि की सांस ली और मन के कहा यार क्या मस्त चुदाई थी !
उसके बाद हम दोनों ने कई लोगों से एकसाथ चुदवाया। हम अकेले चुदवाना वास्तव में भूल गयी। मैंने कई होटलों से कांटेक्ट कर लिया जहाँ से मैं चोदने वाले लड़के बुलाने लगी। हमारे पास पैसों की कमी नहीं थी। , एक बार एक होटल की मैनेजर लेडी थी मिसेज मारिया। वह बोली रचना मैडम इस बार मैं आपको दो नेपाली लड़के दे रही हूँ इनसे चुदवाकर देखिये ? मैंने कहा यार मारिया नेपाली लोगों के लण्ड छोटे छोटे होतें हैं और मुझे छोटे लण्ड बिलकुल पसंद नहीं। वह बोली ऐसा नहीं है रचना आप उनके कद पर मत जाईये। मेरे आजमाए हुए लड़के हैं। तुम्हे खूब मज़ा आएगा। मैं मान गयी और शाम को दो लड़के आ गए। उनका नाम था थापा और बहादुर। दोनों गोरे चिट्टे हट्टे कट्टे थे। जब हमने उनके लण्ड देखे तो मेरी सच में गांड फट गयी। 8.5" x 5.5" साइज के खूबसूरत दोनों लण्ड हम दोनों की चूत के चीथड़े उड़ा दिए।
एक दिन मैंने कहा मौसी जी मैंने अभी तक मौसा का लण्ड नहीं देखा। अब तो मेरी इच्छा है की मैं मौसा का लण्ड पकड़ कर देखूं और फिर तेरे सामने तेरे मियां का लण्ड चोदूँ ? वह बोली हाय दईया रचना यही तो मैं भी सोंच रही थी। मैं भी तेरे मियां का लण्ड चोदना चाहती हूँ। तेरे सामने ही चोदना चाहती हूँ तेरे मियां का लण्ड ? मैंने कहा तो फिर चोदो म नौसी ? तुम्हे किस भोसड़ी वाली ने मना किया है।
अभी शनिवार को मेरा मियां आ रहा है, मौसी । तुम भी अपने मियां को बुला लो। फिर तुम चोदो मेरे मियां का लण्ड और मैं चोदूँ तेरे मियां का लण्ड ?
मेरा पति है मिस्टर रोहित और मेरी बबली मौसी का पति है मिस्टर बलवंत। दोनों एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित हैं। अच्छी तरह एक दूसरे को जानतें हैं. पहले मेटा पति आया और फिर मौसी का पति। मैं बलवंत को मौसा जी कहती हूँ। कभी कभी प्यार से केवल मौसा ही कह देती हूँ। दोनों लगभग एक ही उम्र के हैं और बड़े हंस मुख हैं, खूब हंसी मजाक करतें हैं. मस्ती करतें हैं। दिन में हम सब घूमने फिरने निकल गए। लंच भी बाहर ही लिया और शाम को घर वापस आ गए। करीब ८ बजे हम सब ड्रिंक्स पर बैठ गए। रोहित और बलवंत दोनों को ड्रिंक्स का शौक है और हम दोनों भी शराब पीने से परहेज नहीं करतीं एन्जॉय करती हैं। हमने चियर्स कहा और पीना शुरू कर दिया।
मैंने कहा - मौसा जी आज आप बहुत स्मार्ट और हैंडसम लग रहे हो।
वह बोला - रचना, तुम तो मुझसे ज्यादा स्मार्ट हो खूबसूरत हो और हॉट हो ? मेरा मन तो तुम्हे भाभी कहने का हो रहा है पर बहन चोद यह रिस्ता है जिसके कारण तुम मुझे मौसा कह रही हो।
मेरा पति रोहित बोला - अब तो मैं भी तुम्हे मौसा जी कहूँगा बलवंत जी ? ?
वह बोला - यार मैं तेरी उम्र का हूँ। मुझे बलवंत ही कहो तो अच्छा है। हां अपनी मौसी को मौसी कहो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है। इतने में थोड़ा नशा चढ़ चुका था।
मौसी कुछ मूड में आ गयी और बोली - रोहित, तेरी बुर चोदी मौसी की चूत ? तेरी बीवी बहन चोद मेरी बहन की बेटी है। मैं तो उसे खूब गालियां देती हूँ। वह भी मुझे गाली देने में कोई कंजूसी नहीं करती ? हम दोनों मौसी भांजी होते हुए भी आपस में दोस्त हैं। ऐसा तुम लोग भी कर सकते हो ?
मौसा ने कहा - हां यह बात सही है। हम सब बराबर हैं रिस्ता अपनी जगह और दोस्ती अपनी जगह ?
मैंने कहा - मौसी, तेरी भांजी की माँ का भोसड़ा ? तेरी बहन की बिटिया की बुर ? माँ चुदाये बहन चोद रिस्ता ? सबसे बढ़िया रिस्ता दोस्ती का रिस्ता ?
गालियां देकर हमने माहौल को गरमा दिया। मेरी निगाह मौसा के लण्ड पर थी और वह भी बार बार मेरी चूँचियाँ देख रहा था जो आधी से अधिक खुली हुई थीं। मौसी मेरे मियां के लण्ड नज़रें गड़ाए हुए थी और मेरा पति मेरी मौसी की चूँचियाँ ही नहीं बल्कि उसके पूरे जिस्म को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था। मैं समझ गयी की मेरा पति मौसी की बुर लेना चाहता है। तीसरा पैग शराब शुरू हुआ तो मैंने मौसा की जांघ पर हाथ रख दिया और उसे सेक्सी निगाहों से देखती हुई उसकी जांघें रगड़ने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड तक पहुँचने लगा। उधर मौसी ने मेरे पति के गले में अपनी बाहें डाल दीं और उसके गाल चूम लिया। मेरे पति को मालूम गया की आग मौसी के जिस्म में भी लगी है। बस मेरा रास्ता खुल गया।
मैंने अपने बूब्स खोल दिए और मौसा उन्हें चूमने और चाटने लगा। उधर मेरा हाथ उसका लण्ड टटोलने लगा।मौसी भी अपनी चूँचियाँ खोल चुकी थीं। मेरा पति उन्हें मसलने लगा और उसके पूरे बदन पर हाथ फिराने लगा। मैंने देखा की मौसी तो अब तक पूरी नंगी हो चुकीं हैं । उसकी मस्तानी चूत अपनी छोटी छोटी झांटों के साथ मेरे पति को ललकार रही थी। मैंने मौसा की कमीज उतारी तो उसकी नंगी छाती मेरे सामने आ गयी। उस पर छोटे छोटे बाल मुझे बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैं उसकी पैंट खोलने लगी। आखिर में मैंने जब उसकी चढ्ढी उतारी तो उसका लौड़ा टन्न से मेरे गाल पर लगा। मेरे मुंह से निकला अरे भोसड़ी के लौड़े मियां तू आते ही मुझे थप्पड़ मारने लगा ? मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया और उसे चूमने चाटने लगी। उधर मौसी ने मेरे पति का लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगी थी। उसका सुपाड़ा बार बार मुंह से निकालती और फिर अंदर घुसेड़ लेती। मौसी तो बुर चोदी लण्ड चूसने में बड़ी माहिर है। मौसी ने कहा - रचना तेरे मरद का आलूदा तो बड़ा शानदार है जबरदस्त है यार। आज तेरी मौसी की बुर की ख़ैर नहीं ? मैंने कहा - ख़ैर तो तेरी भांजी की बुर बी नहीं है मौसी। आज तेरा मियां मेरी चूत चीर डालेगा। मौसा का इतना बड़ा और मोटा लण्ड मेरी बुर चोद चोद कर उसका हलवा बना देगा ? मौसी ने कहा - अरी मेरी रचना रानी, भूल गयी क्या तू ? आज तो तुझे मेरे मियां का लण्ड चोदना है अपनी बुर नहीं चुदवानी है ? मैंने कहा - हां यार मैं तो सच में भूल गयी थी। आज तो मैं मौसा का लण्ड चोदूँगी ? मौसा के लण्ड की बहन की बुर ? तेरे मियां के लण्ड की ऐसी की तैसी ? आज मैं तेरे मियां के लण्ड की गांड मारूंगी मौसी ? जानते हो दोस्तों, जब दिमांग में सेक्स घुसा हो तो फिर इसी तरह की बातें मुंह से निकलतीं ही हैं। मौसी ने भी कहा रचना मैं तेरे मियां के लण्ड की चटनी बनाऊंगी। इसे अपनी चूत में डाल के भून डालूंगी। अपनी चूत से चोदूँगी तेरे मियां का लण्ड, रचना ?
अब तक मैं बुरी तरह से चुदासी हो चुकी थी। मैं तुरंत मौसा के लण्ड पर बैठ गयी। मेरे बैठते ही लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं अपने चूतड़ उस पर रगड़ने लगी। फिर मैं थोड़ा आगे झुकी और अपनी गांड उठा उठा के लण्ड पर पटकने लगी। मैं गांड पटकने की स्पीड बढ़ाने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई मरद किस की बुर चोद रहा हो। मैंने कहा देखो मौसी मैं तेरे मियां का लण्ड चोद रही हूँ। मुझे देख कर मौसी भी मेरे मियां का लण्ड चोदने लगीं। तभी बीच में मौसा बोला अरे रचना ,,,,,? मैंने उसे बीच में ही टोका और कहा रचना की माँ का भोसड़ा ? रचना की बहन की बुर ? रचना की मौसी की चूत ? माँ चुदाये अपनी बुर चोदी रचना ? मैं रचना नहीं हूँ। मैं तेरी भाभी हूँ। मुझे भाभी कहो। तुम अपनी भाभी की बुर चोद रहे हो। तू मेरा देवर है ? मैं अपने देवर से चुदवा रही हूँ। जो मुझे चोदे वही मेरा देवर ? मैं अपनी बुर चोदने वाले के मुंह से भाभी सुनना पसंद करती हूँ। तुम भाभी की बुर कहो, भाभी की चूत कहो, भाभी की चूँचियाँ कहो, भाभी की गांड कहो, जो कहो वह सब भाभी कह कर कहो ? वह बोला - रचना भाभी तुम सच में बड़ी सुन्दर हो हॉट हो ? तुमसे ज्यादा हॉट तेरी चूत है भाभी ? उसने मुझे चोदने की स्पीड बढ़ा दी।
इसी तरह मेरा पति भी मौसी को बबली भाभी कहने लगा। वह बोला मैं जिसको चोदता हूँ उसको भाभी कहता हूँ। मैं जब किसी कुवांरी लड़की को चोदता हूँ तो उसे भी भाभी कहता हूँ। किसी लड़की की माँ चोदता हूँ तो उसे भी भाभी कहता हूँ। मैं हमेशा भाभी की चूत में लण्ड पेलता हूँ किसी और की चूत में नहीं ? आज भी मैं अपनी मौसी की बुर नहीं अपनी भाभी की बुर ले रहा हूँ।
इस तरह हम दोनों ने खूब मस्ती की और रात भर एक दूसरे के मियां से चुदवाती रही।
Click on Search Button to search more posts.
