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खेत में चुदाई नौ इंच लम्बे लंड से छान में Khet me chudai 9 inch lambe land se chhan me
खेत में चूत की चुदाई नौ इंच लम्बे लंड से छान में Khet me chudai 9 inch lambe land se chhan me , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
हेलो दोस्तों, मैं एक गाँव की रहने वाली हूँ, आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसमे मैंने अपनी पति से छिपकर किसी गैर मर्द से सेक्स किया. उस मर्द का नाम धरमु है. मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ और ऐसा नहीं करना चाहती थी लेकिन उस जाट के 9 इंच लम्बे लंड को देखकर मैं मजबूर हो गई और अपने आप को रोक नहीं पाई और जा पहुंची उसके पास और बना दिया उसे अपनी चूत और गांड का राजा. यह बात दो दिन पहले की है. मेरे पति शहर में एक कपड़े की दुकान पर नौकरी करते है. हम गाँव में रहते है और हमारे पास दो भैस है. उनके लिए चारा आदि का इंतजाम मुझे ही करना पड़ता है.
हेलो दोस्तों, मैं एक गाँव की रहने वाली हूँ, आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसमे मैंने अपनी पति से छिपकर किसी गैर मर्द से सेक्स किया. उस मर्द का नाम धरमु है. मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ और ऐसा नहीं करना चाहती थी लेकिन उस जाट के 9 इंच लम्बे लंड को देखकर मैं मजबूर हो गई और अपने आप को रोक नहीं पाई और जा पहुंची उसके पास और बना दिया उसे अपनी चूत और गांड का राजा. यह बात दो दिन पहले की है. मेरे पति शहर में एक कपड़े की दुकान पर नौकरी करते है. हम गाँव में रहते है और हमारे पास दो भैस है. उनके लिए चारा आदि का इंतजाम मुझे ही करना पड़ता है.
हमारे पास खेत की जमीन नहीं है इसलिए हम कुछ हरा चारा मोल खरीद लेते है और फिर मैं उसे हर-रोज थोड़ा - थोड़ा काटकर लाती हूँ और अपनी दोनों भैसों को डाल देती हूँ. मेरे पति हर - दिन सुबह शहर चले जाते है और शाम को देरी से घर आते है इसलिए यह सब मुझे ही करना पड़ता है. इस बार मैंने हरा चारा (ज्वार) धरमु के खेत से खरीदी है, उसका खेत हमारे घर से थोड़ी ही दुरी पर है और मैं हर रोज दोपहर बाद चारा लेने जाती हूँ. वहां पर और भी कई लोगों ने चारा ख़रीदा हुआ है. वो सब भी दोपहर बाद ही चारा लेने जाते है. एक दिन दोपहर बाद मेरी तबियत खराब थी इसलिए मैं चारा नहीं ला सकी और अगले दिन दोपहर से पहले ही चारा लेने खेत में चली गई. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
उस समय धरमु खेत में ही था. मैंने चारा काट लिया और बांध भी दिया लेकिन ज्यादा भारी होने के कारण मैं उसे उठा नहीं पाई, फिर मैंने सोचा कि यदि कोई सहारा देने वाला मिल जाएँ तो मैं एक बार सिर पर रखने के बाद इसे घर तक तो ले ही जाउंगी. मैंने चारों तरफ देखा लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया. मैंने सोचा धरमु झोपड़ी में होगा इसलिए मैं उसे बुलाने के लिए झोपड़ी की ओर चल दी. मैंने वहां जाने के बाद देखा कि धरमु अपने मोबाइल में गन्दी फिल्म देख रहा था और उसका पूरा तना हुआ 9 इंच का लंड लुंगी में से बाहर निकला हुआ था. मैं बाहर खड़ी देखती रही. इतना बड़ा लंड मैंने पहले कभी नहीं देखा था.
धरमु झोपड़ी के दरवाजे की तरफ सिर करके लेटा हुआ था और मैं उसके सिर के पीछे खड़ी थी इसलिए वह मुझे देख नहीं पाया. अब वह फिल्म में मगन होकर एक हाथ से अपने लंड हो पकड़ कर सहलाने लगा. मैं भी यह देखकर अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही सहलाने लगी और मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं इस मजे में इतना खो गई कि मुझे कुछ ध्यान ही नहीं रहा कि मैं कब झोपडी के अंदर चली गई और मैंने धरमु का लंड पकड़ लिया.
धरमु एक दम से उठा और घबरा गया और बोला - तुतुतुतुतुम यहाँ कैसे?
मैं भी एकदम से चोंकी और बोली - मैं यहाँ कैसे?
उस समय धरमु का लंड मेरे हाथ में था और इस हादसे के कारण वह ढीला पड़ गया था. धरमु उठा और उसने मेरे सामने ही अपनी लुंगी को जल्दी से ठीक कर लिया. यह जो हुआ था इसमें किसी का दोष नहीं था, शायद कुदरत को यहीं मंजूर था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
धरमु बोला - तुम यहाँ क्यों आई हो?
मैंने कहा - मैं तो आपको बुलाने आई थी ताकि आप चारा उठाकर मेरे सिर पर रख ने मेरी मदद कर दो.
धरमु - इसके लिए तो आप मुझे आवाज देकर भी बुला सकती थी.
मैं - मुझे आप दिखाई ही नहीं दिए, इसलिए आपको यहाँ देखने आई थी.
धरमु - देखो , आज जो हुआ यह किसी को मत कहना, नहीं तो हम दोनों ही बदनाम होंगे.
मैं - मैं किसी से नहीं कहूँगी लेकिन तुम भी पूरा ध्यान रखना क्योंकि ऐसी बातें मर्दों को हजम नहीं होती है,
धरमु - चलो अब चले.
मैं - हाँ चलो.
मैंने धरमु से चलने के लिए तो बोल दिया लेकिन उसका लंड अभी भी मेरे ख्यालों में घूम रहा था. इसलिए मैंने बात को घुमाया और कहा कि मुझे प्यास लगी है. धरमु बोला कि प्यास लगी है तो पानी पी लो. वहीँ पास में ही पानी का मटका रखा था. मैंने थोड़ा सा पानी पिया और फिर बोली कि इससे भी प्यास नहीं बुझ रही है. धरमु ने कहा कि खूंटी से थर्मोस उतारों और इसमें से ठंडा पानी पी लो घर से फ्रीज़ का लेकर आया था. शायद वो समझ नहीं रहा था की मेरी प्यास फ्रीज़ के ठंडे पानी से नहीं बल्कि उसके लंड के गर्म पानी से ही बुझ सकती थी. मैंने कहा कि थर्मोस आप उतारकर दे दो.
थर्मोस बिलकुल मेरे ऊपर थी, जब वह उसे उतारने लगा तो उसका लंड बिलकुल मेरे सामने और पास ही था. मैंने झट से अपना हाथ बढ़ाया और लुंगी में से ही उसका लंड पकड़ लिया. उसने कहा - क्या कर रही हो छोड़ दो. मैंने कहा - अब तो जो होना था हो ही चूका है फिर अब तड़पने और तड़पाने का क्या फायदा. वह भी मेरी बात को समझ गया और बोला - ठंडा पानी पीना है या नहीं. मैंने कहा - मुझे तो तेरा गरम पानी पीना है यदि पिलाना है तो पिला दें और नहीं पिलाना है तो इंकार कर दे मैं प्यासी ही चली जाउंगी. मेरे यह कहते ही उसने मुझे कंधो से पकड़ा और मुझे खड़ी कर लिया और मेरे होठों पर होंठ रखकर चूसने लगा. मैं भी उसके होंठ चूसने लगी. 15 मिनट तक हम भूल गए कि हम कहाँ है और मस्ती में एक दुसरे के होंठ चूसते रहे.
फिर धरमु बोला कि तुम यहीं रुको मैं एकबार देख लेता हूँ कहीं कोई आ ना जाएँ. मैंने कहा कि ठीक है देख लो. धरमु जल्दी ही वापिस अंदर आ गया और बोला कोई नहीं आ रहा अब निश्चित होकर मजा लेंगे, जल्दी अपने कपड़े निकाल दो. मैंने और धरमु ने सारे कपड़े उतार दिए और एक तरफ रख दिए. मैं निचे बैठ गई और उसका लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और 10 मिनट तक चूसने के बाद धरमु बोला की मेरा पानी निकलने वाला है. मैंने कहा कि मैं तुम्हारा माल पीना चाहती हूँ, मेरे यह कहते ही धरमु के लंड से वीर्य निकलने लगा और मेरा पूरा मुंह भरने तक निकलता ही रहा.
मैंने सारा वीर्य पि लिया. अब तक उसका लंड ज्यों का त्यों तना हुआ था मैं कुतियाँ की पोजीशन में आ गई और मैंने धरमु से उसका लंड मेरी चूत में डालने को कहा. अगली ही मिनट में धरमु का पूरा लंड मेरी चूत में था और मैं एक दम से छुड़ाने की कोशिश करने लगी क्योंकि उसका लंड मेरे पेट में बहुत गहराई तक जा चूका था. वो अपने लंड को जोर - जोर से आगे पीछे करने लगा और मैं हाथों के नाखूनों से कुतियाँ की तरह दर्द के मारे मिट्टी उखाड़ने लगी. मैं उससे विनती करने लगी और कहने लगी कि मुझे छोड़ दो, मैं आज के बाद कभी तुम्हें ऐसा करने के लिए नहीं कहूँगी. परन्तु उसने मेरी एक ना सुनी और चूत को फाड़ ही डाला. करीब 25 मिनट बाद वह झड़ गया और उसके दिल में थोड़ी शांति आई और अपनी स्पीड कम कर ली लेकिन रुका नहीं और 5 मिनट बाद फिर अपनी स्पीड बढाने लगा. अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा था क्योंकि उसका मुसल लंड मेरे अंदर अपने साइज की जगह बना चूका था. फिर 30 मिनट की धुँआदार चुदाई हुई और वो झड गया और मैं तब तक 3 बार झड़ चुकी थी.
अब वह उठा और लुंगी बांधकर बाहर गया और एक मिनट के अंदर ही वापिस आया और बोला कोई नहीं आ रहा है आज तो भगवान भी हमारा पूरा साथ दे रहा है. मैं पूरी थक चुकी थी इसलिए मैंने जाने के लिए कहा लेकिन उसने मना करते हुए मुझे घोड़ी बनाया और लंड मेरी गांड में डालने लगा और चार - पांच झटकों में लंड को पूरा गांड में ठोक दिया और लगातार दबादब लंड पेलने लगा. मैं बिलकुल निढाल हो चुकी थी और अब मैं अपने आप संभल भी नहीं सकती थी लेकिन उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और 40 मिनट की चुदाई के बाद अपने वीर्य से मेरी गांड को पूरा भर दिया. मुझे लगा कि अब वह मुझे छोड़ देगा लेकिन उसने अब भी मुझे महीन छोड़ा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने उसे और सेक्स करने से बिलकुल मना कर दिया. अब उसने मुझे चारपाई पर बैठाया और मेरे मुंह के आगे अपना लंड करके मुठ मारने लगा और 15 - 20 मिनट बाद इतना गीजर (वीर्य) फेंक दिया कि मेरे मुंह और चुच्चियों पर पूरा लेप लगा गया. फिर वह आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाज करता हुआ शांत हुआ. थोड़ी देर हम वहीँ बैठे रहे और फिर अपने कपड़े पहनकर छान (खेत में बनी झोपड़ी) से बाहर आ गए. दोपहर हो चुकी थी. उसने वो चारा अकेले ही उठाकर मेरे सिर पर रख दिया और एक बार फिर मेरे मुंह को चूम लिया. मैं लड़खड़ाती हुयी अपने घर आ गई. मुझमे कुछ करने की हिम्मत नहीं थी इसलिए मैं चारपाई पर लेट गई और मुझे नींद आ गई. आज दो दिन बाद भी मेरी चूत और गांड में दर्द हो रहा है....
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